बिल का सारांश

झारखंड स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय बिल, 2023

  • झारखंड स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय बिल, 2023 को 4 अगस्त, 2023 को झारखंड विधानसभा में पेश किया गया। बिल का उद्देश्य राज्य में स्वास्थ्य विज्ञान की विभिन्न शाखाओं के लिए एक विश्वविद्यालय स्थापित करना है। बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय: बिल झारखंड स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापना करता है। इसमें निम्नलिखित होंगे: (i) चांसलर (कुलाधिपति), (ii) वाइस-चांसलर (कुलपति), (iii) कार्यकारी परिषद, और (iv) अकादमिक परिषद। विश्वविद्यालय के उद्देश्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) स्वास्थ्य विज्ञान में उत्कृष्टता केंद्र और संस्थान बनाना, (ii) स्वास्थ्य विज्ञान की विभिन्न शाखाओं में शिक्षण और अनुसंधान को बढ़ावा देना, और (iii) आधुनिक चिकित्सा, स्पीच थेरेपी, आयुर्वेद और हेल्थ इकोनॉमी जैसे क्षेत्रों में शिक्षा मानकों में एकरूपता लाना। मौजूदा सरकारी कॉलेज या स्व-वित्तपोषित संस्थान जो स्वास्थ्य विज्ञान पढ़ाते हैं, विश्वविद्यालय से संबद्ध होंगे। विश्वविद्यालय कॉलेजों/संस्थानों पर नियम और शर्तें लागू कर सकता है, जैसा कि उसे अपने उद्देश्यों को हासिल करने के लिए जरूरी लगे।

  • कुलाधिपतिझारखंड के मुख्यमंत्री अपने पद के आधार पर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के रूप में कार्य करेंगे। कुलाधिपति को विश्वविद्यालय, उसके संबद्ध संस्थानों और परिसंपत्तियों के साथ-साथ इसके प्रशासन और वित्त के निरीक्षण को अधिकृत करने का अधिकार होगा।

  • कुलपतिकुलपति (वीसी) विश्वविद्यालय के प्रमुख कार्यकारी और शैक्षणिक अधिकारी के रूप में कार्य करेगा। वह विश्वविद्यालय की गतिविधियों पर सामान्य पर्यवेक्षण और नियंत्रण रखेगा। आपातकालीन स्थिति में वीसी के पास तत्काल कार्रवाई करने की शक्ति होगी। अगर कोई व्यक्ति उस कार्रवाई से प्रभावित होता है तो वह तीन माह के भीतर कुलपति के समक्ष अपील कर सकता है।

  • वीसी के रूप में नियुक्त होने के योग्य व्यक्तियों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) चिकित्सा और स्वास्थ्य विज्ञान शिक्षा में अनुभवी शिक्षाविद, (ii) प्रतिष्ठित चिकित्साकर्मी, या (iii) स्वास्थ्य विज्ञान में शैक्षणिक पृष्ठभूमि और मानव संसाधन विकास में अनुभव वाले व्यक्ति। वीसी की नियुक्ति कुलाधिपति द्वारा स्क्रीनिंग कमिटी की तरफ से सुझाए गए उम्मीदवारों के आधार पर राज्य सरकार के परामर्श से की जाएगी। समिति में निम्नलिखित तीन व्यक्ति शामिल होंगे: (i) कार्यकारी परिषद, (ii) चांसलर, और (iii) राज्य सरकार।

  • शासी निकाय: बिल के तहत शासी निकाय विश्वविद्यालय के प्राधिकारियों में से एक होगा। यह विश्वविद्यालय की नीतियों और पाठ्यक्रमों को तैयार करेगा और समय-समय पर उनकी समीक्षा करेगा। इसे कार्यकारी परिषद द्वारा तैयार किए गए बजट और वित्तीय विवरणों पर विचार करने और उनका अनुमोदन करने का भी अधिकार होगा। निकाय में निम्नलिखित शामिल होंगे: (i) कुलाधिपति, (ii) वीसी, (iii) स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा और परिवार कल्याण विभाग के मंत्री, (iv) उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग के मंत्री, और (v) अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, देवघर के निदेशक। कुलाधिपति द्वारा निर्धारित तिथि पर वर्ष में कम से कम दो बार निकाय की बैठक होगी।

  • कार्यकारी परिषद: कार्यकारी परिषद विश्वविद्यालय का प्रमुख कार्यकारी निकाय होगी। इसके कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) शैक्षणिक वर्ष के लिए विश्वविद्यालय के वित्तीय खाते और बजट तैयार करना, (ii) विश्वविद्यालय के मामलों को चलाने के लिए भवनों, परिसरों, उपकरणों और अन्य संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करना, और (iii) विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली पर रिपोर्ट बनाना। परिषद के सदस्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) वीसी, (ii) स्वास्थ्य विभाग और वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव/प्रधान सचिव/सचिव, (iii) राज्य में चिकित्सा शिक्षा के निदेशक, और (iv) कुलाधिपति द्वारा मनोनीत तीन शिक्षक।

  • अकादमिक परिषदअकादमिक परिषद विश्वविद्यालय की मुख्य शैक्षणिक संस्था होगी। इसके कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) सामान्य निकाय या कार्यकारी परिषद द्वारा सौंपे गए किसी भी मामले पर रिपोर्ट तैयार करना, (ii) परीक्षा आयोजित करना, (iii) वज़ीफा और छात्रवृत्ति का सुझाव देना, और (iv) अनुसंधान को बढ़ावा देना। परिषद के सदस्यों में निम्नलिखित शामिल होंगे: (i) वीसी (अध्यक्ष), (ii) विभिन्न विभागों के सभी डीन, और (iii) राज्य सरकार द्वारा रोटेशन के आधार पर नामित सरकारी चिकित्सा/स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालयों के 10 प्रधानाचार्य।

  • वित्तपोषणबिल विश्वविद्यालय के लिए एक सामान्य कोष स्थापित करता है। निम्नलिखित स्रोतों के जरिए इस कोष का वित्त पोषण किया जाएगा: (i) शुल्क, अनुदान और दान, (ii) चंदा और अन्य प्राप्तियां, और (iii) किसी भी राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय एजेंसी द्वारा दिया गया कोई योगदान या अनुदान। धनराशि का प्रबंधन निर्धारित तरीके से किया जाएगा।

 

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