• कर्नाटक विधानसभा में 21 दिसंबर, 2021 को कर्नाटक धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का संरक्षण बिल, 2021 पारित किया गया। बिल प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से जबरन धर्म परिवर्तन पर प्रतिबंध लगाता है। बिल धर्म परिवर्तन के लिए एक प्रक्रिया भी निर्दिष्ट करता है। बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
     
  • धर्म परिवर्तन पर प्रतिबंध: कोई भी व्यक्ति कुछ खास तरीकों से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी व्यक्ति का जबरन धर्म नहीं बदल सकता। ये तरीके हैं, गलत बयानी, जबरदस्ती और लालच। व्यक्ति के पूर्व धर्म में दोबारा धर्मांतरण बिल के अंतर्गत धर्म परिवर्तन नहीं माना जाएगा।
     
  • जबरन धर्म परिवर्तन के लिए दंडजबरन धर्म परिवर्तन करने की कोशिश पर क्या दंड दिए जा सकते हैं, उसका विवरण तालिका 1 में दिया गया है। अगर कोई संस्था बिल के प्रावधानों का उल्लंघन करती है तो संस्था के प्रभारी व्यक्तियों को तालिका 1 में दर्ज प्रावधानों के अनुसार दंडित किया जाएगा। बिल के अंतर्गत सभी अपराध संज्ञेय और गैरज़मानती हैं। 

तालिका 1जबरन धर्म परिवर्तन पर दंड

धर्म परिवर्तन

कैद

जुर्माना (रुपए में)

निर्दिष्ट तरीके से किसी व्यक्ति का

3-5 वर्ष

25,000

नाबालिग, महिला, एससी/एसटी, या मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति का

3-10 वर्ष 

50,000

दो या उससे अधिक व्यक्तियों का (सामूहिक धर्म परिवर्तन) 

3-10 वर्ष 

1,00,000

  • धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया: अपना धर्म बदलने का प्रयास करने वाले व्यक्ति को धर्म परिवर्तन के कम से कम 30 दिन पहले एक निर्दिष्ट प्रारूप में जिला मेजिस्ट्रेट (डीएम) को डेक्लरेशन सौंपना होगा। धर्म परिवर्तन कराने वाला व्यक्ति (कनवर्टर) भी डीएम को निर्दिष्ट प्रारूप में डेक्लरेशन देगा (कम से कम 30 दिन पहले) जिसमें इच्छुक धर्म परिवर्तन के संबंध में उसे सूचित किया जाएगा। डीएम अपने और तहसीलदार के कार्यालयों के नोटिस बोर्ड पर प्रस्तावित धर्म परिवर्तन की सूचना दर्ज करेगा। सार्वजनिक नोटिस के 30 दिनों के भीतर इस प्रस्तावित धर्म परिवर्तन पर कोई व्यक्ति आपत्ति दर्ज करा सकता है। अगर इस समय अवधि में कोई आपत्ति प्राप्त होती है तो डीएम प्रस्तावित धर्म परिवर्तन के इरादे, उद्देश्य और कारण की जांच करेगा।
     
  • अगर डीएम को यह निष्कर्ष प्राप्त होता है कि अपराध किया गया है तो उसे क्रिमिनल कार्रवाई करनी होगी। अगर किसी धर्म परिवर्तन में निर्दिष्ट प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाता तो उसे गैरकानूनी और अमान्य माना जाएगा। 
     
  • धर्म परिवर्तन के बाद उस व्यक्ति को डीएम को डेक्लरेशन फॉर्म सौंपना होगा। डीएम डेक्लरेशन फॉर्म को अपने और तहसीलदार के कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर चिपकाएगा। अगर पहले कोई आपत्ति दर्ज नहीं हुई थी तो एक बार फिर 30 दिनों की अवधि के लिए आपत्तियों को आमंत्रित किया जाएगा। अगर आपत्तियां दर्ज की जाती हैं तो डीएम जांच करेगा। अगर कोई आपत्ति दर्ज नहीं होती तो डीएम द्वारा: (i) आधिकारिक अधिसूचना जारी की जाएगी, और (ii) संबंधित अधिकारियों (नियोक्ता, विभिन्न सरकारी विभागों के अधिकारी, ग्रामीण एवं शहरी स्थानीय निकाय और शैक्षणिक संस्थानों के प्रमुख) को धर्म परिवर्तन की सूचना दी जाएगी।
     
  • प्रक्रिया का पालन न करने पर दंडअगर धर्म परिवर्तन का इच्छुक व्यक्ति निर्दिष्ट समय में डेक्लरेशन नहीं देता, तो उसे एक से तीन वर्ष तक की कैद हो सकती है और न्यूनतम 10,000 रुपए का जुर्माना भरना पड़ सकता है। अगर धर्म परिवर्तन कराने वाले व्यक्ति का डेक्लरेशन समय पर प्राप्त नहीं होता तो उसे एक से पांच वर्ष के बीच कैद हो सकती है और उसे न्यूनतम 25,000 रुपए का जुर्माना भरना पड़ सकता है।
     
  • धर्म परिवर्तन के जरिये शादी करना: जिस शादी में कोई भी एक पक्ष अपना धर्म बदलता है, उस शादी को तभी संपन्न माना जाएगा, जब वह पक्ष धर्म परिवर्तन की निर्दिष्ट प्रक्रिया का पालन करता है। फैमिली कोर्ट को उस शादी को रद्द और अमान्य घोषित करना होगा, अगर : (i) एक पक्ष द्वारा याचिका दायर की जाती है, और (ii) गैरकानूनी धर्म परिवर्तन के उद्देश्य से शादी की गई है, या शादी करने के लिए गैरकानूनी धर्म परिवर्तन किया गया है। 
     
  • शिकायत दर्ज करना: बिल में निर्दिष्ट है कि गैरकानूनी धर्म परिवर्तन की शिकायत धर्म परिवर्तन करने वाला व्यक्ति, या उससे संबंधित या जुड़े लोग कर सकते हैं। इसमें माता-पिता, भाई-बहन शामिल हैं और ऐसे संबंधी भी जो धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति से रक्त, शादी या एडॉप्शन के जरिए जुड़े हैं। धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्तियों के सहकर्मी (कलीग्स) भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।


 

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