स्टेट लेजिसलेटिव ब्रीफ
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र अपार्टमेंट स्वामित्व (संशोधन) अध्यादेश, 2023
मुख्य विशेषताएं
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प्रमुख मुद्दे और विश्लेषण
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महाराष्ट्र अपार्टमेंट स्वामित्व (संशोधन) अध्यादेश, 2023 महाराष्ट्र अपार्टमेंट स्वामित्व एक्ट, 1970 में संशोधन करता है। इस अध्यादेश को 23 अक्टूबर, 2023 को जारी किया गया था। |
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भाग क: अध्यादेश की मुख्य विशेषताएं
संदर्भ
भूमि उपयोग और भवन निर्माण का रेगुलेशन संविधान की 12वीं अनुसूची में शामिल हैं। यानी राज्य अपने कानून के जरिए शहरी स्थानीय निकायों को यह अधिकार दे सकता है कि वे भूमि उपयोग और भवन निर्माण से संबंधित मामलों को लागू करें। इन विषयों को व्यापक रूप से राज्य के टाउन और कंट्री प्लानिंग कानून या अपार्टमेंट स्वामित्व कानूनों के तहत रेगुलेट किया जाता है। टाउन और कंट्री प्लानिंग कानून आम तौर पर भूमि उपयोग और विकास को रेगुलेट करते हैं।[1],[2] अपार्टमेंट स्वामित्व कानून विभिन्न अपार्टमेंट्स (आवासीय और व्यावसायिक, दोनों उपयोग के लिए) वाली इमारतों में व्यक्तिगत और साझा स्वामित्व को रेगुलेट करते हैं।[3],[4] अगर स्वामित्व की संरचना सहकारी के तौर पर की गई हो तो उसके स्वामित्व को राज्य सहकारी समितियों के कानूनों के जरिए भी रेगुलेट किया जाता है। निर्माण परियोजनाओं के लिए मंजूरी मुख्य रूप से विकास नियंत्रण कानूनों के माध्यम से स्थानीय और राज्य स्तर पर दी जाती है, और निर्माण को भवन उपनियमों के अनुसार रेगुलेट किया जाता है।
पिछले कुछ वर्षों में गुजरात, तमिलनाडु जैसे विभिन्न राज्यों ने अपार्टमेंट्स की इमारतों के पुनर्विकास हेतु अपने अपार्टमेंट स्वामित्व कानूनों में संशोधन किया है।3,[5] वहां पुनर्विकास मुख्य रूप से इसलिए जरूरी हो गया है क्योंकि इमारतें पुरानी हैं और लोगों के रहने के लिए सुरक्षित नहीं। पुनर्विकास हाउसिंग स्टॉक को बेहतर बनाने में मदद करता है, और इसके कारण निर्माण की बेहतर तकनीकों का इस्तेमाल होता है जिससे अधिक कुशल इमारतें बनती हैं। कुछ मामलों में स्थानीय विकास/प्लानिंग अथॉरिटी अतिरिक्त फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई) भी प्रदान करते हैं जिससे पुनर्विकास से राजस्व उत्पन्न होता है, और पुनर्विकास के लिए अधिक प्रोत्साहन मिलता है। सार्वजनिक आवास या स्लम पुनर्विकास परियोजनाओं के मामले में, स्थानीय प्लनिंग अथॉरिटी अपार्टमेंट युनिट्स का पुनर्विकास कर सकती है, अगर वे रहने के लिए असुरक्षित हो गए हैं।
महाराष्ट्र अपार्टमेंट स्वामित्व एक्ट, 1970 राज्य में अपार्टमेंट की इमारतों (सहकारी आवास समितियों के अलावा) के स्वामित्व अधिकार का प्रावधान करता है। महाराष्ट्र अपार्टमेंट स्वामित्व (संशोधन) अध्यादेश, 2023 को 23 अक्टूबर, 2023 को जारी किया गया था। यह पुनर्विकास के लिए मंजूर इमारत के अपार्टमेंट मालिकों को बेदखल करने के लिए 1970 के एक्ट में संशोधन करता है।
मुख्य विशेषताएं
पुनर्विकास के लिए अपार्टमेंट्स को खाली करना: एक्ट के तहत, टाउन प्लानिंग अथॉरिटी को पुनर्विकास प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए अधिकांश अपार्टमेंट मालिकों की सहमति आवश्यक है। अध्यादेश में कहा गया है कि अथॉरिटी के अनुमोदन के बाद सभी अपार्टमेंट मालिकों को पुनर्विकास हेतु अपने अपार्टमेंट खाली करने होंगे।
वैकल्पिक अस्थायी आवास या किराया: अपार्टमेंट मालिकों के संघ या डेवलपर को सभी अपार्टमेंट मालिकों को ऐसे आवास के बदले में वैकल्पिक अस्थायी आवास या किराया देना होगा।
अपार्टमेंट खाली न करने पर बेदखली संभव: अगर कोई अपार्टमेंट मालिक अपना अपार्टमेंट खाली करने से इनकार करता है, तो संघ टाउन प्लानिंग अथॉरिटी से अनुरोध कर सकता है कि ऐसे अपार्टमेंट मालिक को बेदखल कर दिया जाए। संबंधित अपार्टमेंट/इमारत के किसी भी हिस्से पर बेदखली का नोटिस चिपकाया जाएगा और इसे पर्याप्त सूचना माना जाएगा। अध्यादेश पुलिस को यह अधिकार देता है कि वह मालिक को बेदखल करने के लिए इमारत/अपार्टमेंट में प्रवेश करने के लिए उचित बल का उपयोग कर सकती है।
भाग ख: प्रमुख मुद्दे और विश्लेषण
पुनर्विकास के लिए संपत्ति के मालिकों की बेदखली
1970 के एक्ट को 2018 में संशोधित किया गया था ताकि यह प्रावधान किया जा सके कि अगर अधिकांश अपार्टमेंट मालिक इसके लिए सहमत हैं तो उस अपार्टमेंट की इमारत का पुनर्विकास किया जा सकता है। इससे पहले, किसी इमारत के पुनर्विकास के लिए सभी अपार्टमेंट मालिकों की सहमति की आवश्यकता होती थी। अगर इमारत कम से कम 30 वर्ष पुरानी हो, या प्लानिंग अथॉरिटी ने इसे खंडहर के तौर पर घोषित कर दिया हो या उसके गिरने की आशंका हो तो पुनर्विकास किया जा सकता है। अध्यादेश में कहा गया है कि पुनर्विकास प्रस्ताव को प्लानिंग अथॉरिटी की मंजूरी मिलने के बाद सभी अपार्टमेंट मालिकों को इमारत खाली करनी होगी। उन्हें अपना अपार्टमेंट खाली करने के बदले वैकल्पिक आवास या किराया उपलब्ध कराया जाएगा। अपने अपार्टमेंट्स को खाली करने से इनकार करने वाले व्यक्तियों को प्लानिंग अथॉरिटी अपार्टमेंट मालिकों के संघ या डेवलपर के अनुरोध पर बेदखल कर देगी। इससे कुछ सवाल खड़े होते हैं।
पुनर्विकास की अनुमति के लिए उपयुक्त शर्त और उसके बाद बेदखली
किसी भवन का पुनर्विकास उस परियोजना के सभी अपार्टमेंट मालिकों को प्रभावित करेगा। अगर हरेक मालिक की सहमति जरूरी होगी, तो एक मालिक भी पुनर्विकास को वीटो कर सकता है। पुनर्विकास चाहने वालों, और उसका विरोध करने वालों के अधिकारों को संतुलित करने के लिए, विभिन्न न्यायक्षेत्रों में पुनर्विकास पर सहमति देने के लिए सर्वोच्च बहुमत की जरूरत होती है। इस अध्यादेश के लिए साधारण बहुमत की आवश्यकता है।
गुजरात में पुनर्विकास के लिए 75% अपार्टमेंट मालिकों की सहमति आवश्यक है, जबकि तमिलनाडु में दो-तिहाई अपार्टमेंट मालिकों की सहमति जरूरी है।3,5 कुछ अन्य देशों में भी इसी तरह के कानून हैं। उदाहरण के लिए सिंगापुर में लैंड टाइटिल्स (स्ट्राटा) एक्ट, 1967 के तहत 10 साल से कम पुरानी इमारतों के लिए, सभी लॉट के कुल क्षेत्रफल का कम से कम 90% मालिकाना हक रखने वाले मालिकों को बिक्री के लिए सहमत होना होगा; दूसरों के लिए, कम से कम 80% लॉट के मालिकों को बिक्री के लिए सहमत होना होगा।
अगर इमारत लोगों के लिए रहने के लिए असुरक्षित है तो सहमति की आवश्यकता
दूसरा मुद्दा यह है कि अगर इमारत लोगों के रहने के लिए सुरक्षित नहीं है तो बेदखली और पुनर्विकास के लिए अपार्टमेंट मालिकों की सहमति की जरूरत क्यों है। तमिलनाडु में अगर इमारत लोगों के रहने के लिए असुरक्षित है तो अपार्टमेंट मालिकों की सहमति की आवश्यकता नहीं है। महाराष्ट्र में विकास नियंत्रण रेगुलेशंस के अनुसार, असुरक्षित इमारतों को सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा माना जाएगा। इसलिए उनकी मरम्मत की जानी चाहिए या उन्हें ढहा दिया जाना चाहिए।[6] अगर इमारत को असुरक्षित घोषित किया जाता है तो तमिलनाडु अपार्टमेंट स्वामित्व एक्ट, 2022 के तहत पुनर्विकास के लिए अपार्टमेंट मालिकों की सहमति की आवश्यकता नहीं है।
अस्थायी बेदखली से वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों को वित्तीय नुकसान हो सकता है
किसी अपार्टमेंट की इमारत का मिश्रित उपयोग हो सकता है, यानी एक ही इमारत में आवासीय के साथ-साथ वाणिज्यिक केंद्र भी होते हैं। अध्यादेश में प्रावधान है कि अपार्टमेंट मालिकों को अपना परिसर खाली करने पर या तो वैकल्पिक अस्थायी आवास दिया जाएगा या ऐसे आवास के बदले किराया दिया जाएगा। हालांकि वैकल्पिक आवास या किराया अपना आवास खाली करने वाले किसी व्यक्ति के लिए पर्याप्त हो सकता है, लेकिन वाणिज्यिक प्रतिष्ठान चलाने वाले किसी व्यक्ति के लिए यह पर्याप्त नहीं हो सकता है। किसी दुकान के स्थान को अस्थायी रूप से बदलने से ऐसे प्रतिष्ठानों को वित्तीय नुकसान हो सकता है।
[6]. Regulation 9, Standardised Development Control and Promotion Regulations for Municipal Councils and Nagar Panchayats in Maharashtra.
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