बिल का सारांश
पंजाब संबद्ध कॉलेज (सेवा की सुरक्षा) संशोधन बिल, 2023
पंजाब संबद्ध कॉलेज (सेवा की सुरक्षा) संशोधन बिल, 2023 को 28 जून, 2023 को पंजाब विधानसभा में पेश किया गया। बिल पंजाब संबद्ध कॉलेज (सेवा की सुरक्षा) एक्ट, 1974 में संशोधन करता है। एक्ट राज्य में निजी तौर पर प्रबंधित संबद्ध महाविद्यालयों के कर्मचारियों को सेवा सुरक्षा प्रदान करने का प्रयास करता है।
ट्रिब्यूनल में रिक्तियां: एक्ट पंजाब में शैक्षिक ट्रिब्यूनल की स्थापना करता है। निजी तौर पर प्रबंधित संबद्ध कॉलेजों के कर्मचारियों और प्रबंधन के बीच होने वाले विवाद इसके क्षेत्राधिकार में आते हैं। ट्रिब्यूनल में एक अध्यक्ष और दो सदस्य होते हैं, अध्यक्ष उच्च न्यायालय का पूर्व न्यायाधीश होता है। अगर अध्यक्ष का पद रिक्त हो जाता है, तो रिक्ति भरने के बाद ही ट्रिब्यूनल की कार्यवाही फिर से शुरू होगी।
बिल में कहा गया है कि ट्रिब्यूनल का कोरम अध्यक्ष और कम से कम एक सदस्य होगा, या अध्यक्ष पद की रिक्ति के मामले में, दो सदस्य होंगे। अगर अध्यक्ष का पद रिक्त है, तो वह सदस्य, जिसने पहले पंजाब सरकार में कम से कम प्रधान सचिव के रूप में कार्य किया हो, अध्यक्ष के रूप में कार्य करेगा। बिल में आगे कहा गया है कि अध्यक्ष या सदस्य की रिक्ति के बावजूद ट्रिब्यूनल की कार्यवाही वैध रहेगी।
ट्रिब्यूनल की बेंच: बिल में प्रावधान है कि चेयरपर्सन डबल बेंच का गठन कर सकता है जिसमें निम्नलिखित शामिल होंगे: (i) अध्यक्ष और एक सदस्य, या (ii) दो सदस्य। एकल पीठ में या तो अध्यक्ष या एक सदस्य शामिल होगा। अध्यक्ष बेंचों के बीच नियुक्ति, पुनर्नियुक्ति या स्थानांतरण कर सकता है। अगर मामलों को बेंच के बीच स्थानांतरित किया जाता है, तो कार्यवाही उसी चरण से जारी रहेगी जहां से उन्हें प्राप्त किया गया था।
देय राशि के लिए आवेदन: अगर ट्रिब्यूनल के आदेश के तहत देय राशि का भुगतान नहीं किया जाता है तो बिल ट्रिब्यूनल में आवेदन करने की अनुमति देता है। अगर जिस व्यक्ति पर राशि बकाया है, वह तीन महीने के भीतर भुगतान नहीं करता तो ट्रिब्यूनल बैंक को दूसरे पक्ष के खाते से देय राशि जमा करने का निर्देश दे सकता है। अगर यह व्यावहारिक या सुविधाजनक नहीं है, तो ट्रिब्यूनल जिला कलेक्टर को राशि के लिए एक प्रमाण पत्र जारी कर सकता है। कलेक्टर इस राशि की वसूली भू-राजस्व के बकाया के रूप में करेगा।
दंडित करने की शक्तियां: बिल में कहा गया है कि शैक्षिक ट्रिब्यूनल के पास स्वयं की अवमानना के संबंध में उच्च न्यायालय के समान ही अधिकार क्षेत्र, शक्तियां और अधिकार होंगे।
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