अध्यादेश का सारांश

हरियाणा नगर निगम (संशोधन) अध्यादेश, 2023

 

  • हरियाणा नगर निगम (संशोधन) अध्यादेश, 2023 को 16 मई, 2023 को जारी किया गया। यह हरियाणा नगर निगम एक्ट, 1994 में संशोधन करता है। एक्ट राज्य में नगर निगमों के गठन का प्रावधान करता है।
  • सीटें तय करने के लिए डेटा रेपोज़िटरी में बदलाव: एक्ट के अनुसार प्रत्येक जनगणना के बाद राज्य सरकार को नवीनतम जनगणना आंकड़ों के आधार पर नगर निगम में सीटों की संख्या तय करनी होगी। इसके बजाय अध्यादेश में प्रावधान है कि सीटों की संख्या हरियाणा परिवार पहचान एक्ट, 2021 के तहत स्थापित परिवार सूचना डेटा रेपोज़िटरी (एफआईडीआर) के आधार पर तय की जाएगी। हालांकि अगर एफआईडीआर के अनुसार जनसंख्या हालिया मतदाता सूची के तहत पंजीकृत मतदाताओं के 140% से कम है तो जनसंख्या का अनुमान मतदाता सूची में मतदाताओं की संख्या का 140% माना जाएगा।
  • एक्ट में कहा गया है कि पूरे निगम में प्रत्येक वॉर्ड की जनसंख्या एक समान होनी चाहिए, जिसमें 10% से अधिक भिन्नता नहीं होनी चाहिए। अध्यादेश भिन्नता की सीमा को बढ़ाकर 20% करता है।
  • पिछड़े वर्गों के लिए सीटों का आरक्षण: एक्ट में पिछड़े वर्ग के व्यक्तियों के लिए प्रत्येक नगर निगम में दो सीटें आरक्षित की गई हैं। आरक्षित सीटें उन निर्वाचन क्षेत्रों में आवंटित की गई हैं, जिनमें पिछड़े वर्गों के व्यक्तियों की अधिकतम आबादी है। इसके बजाय अध्यादेश में प्रावधान है कि सीटें पिछड़ा वर्ग 'ए' के ​​लिए आरक्षित की जाएंगी, जो अधिसूचित पिछड़ा वर्ग का एक उपसमूह है। आरक्षित सीटों की संख्या, जहां तक संभव होगी, नगर निगम की कुल जनसंख्या में पिछड़ा वर्ग 'ए' की जनसंख्या के अनुपात की आधी होगी। पिछड़ा वर्ग 'ए' के ​​लिए आरक्षित कम से कम एक तिहाई सीटें समुदाय की महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। आरक्षण निर्धारित करने के लिए जनसंख्या का डेटा एफआईडीआर से लिया जाएगा।
  • अध्यादेश यह निर्धारित करने के लिए एक व्यवस्था निर्दिष्ट करता है कि पिछड़ा वर्ग ‘ए’ के लिए किन निर्वाचन क्षेत्रों को आरक्षित किया जाए। आरक्षित सीटों की तीन गुनी संख्या में से लॉटरी निकाली जाएगी और उन नगर निगमों के बीच बारी-बारी से आवंटित की जाएगी, जिनमें पिछड़े वर्ग 'ए' की जनसंख्या का सबसे बड़ा प्रतिशत है।
  • इसके अतिरिक्त यह प्रावधान करता है कि प्रत्येक नगर निगम में पिछड़ा वर्ग 'ए' का कम से कम एक सदस्य होगा, अगर उनकी जनसंख्या कुल जनसंख्या का 2% या उससे अधिक है। अगर आरक्षित सीटों की कुल संख्या, अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित सीटों सहित, 50% से अधिक है, तो पिछड़े वर्ग 'ए' के ​​लिए आरक्षित सीटें अधिकतम संख्या तक सीमित रहेंगी ताकि वह सीमा के भीतर रहे।
  • आरक्षित सीटों की समीक्षा: एक्ट प्रावधान करता है कि दस साल की जनगणना के बाद अनुसूचित जातियों, महिलाओं (अनुसूचित जातियों सहित) और पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित सीटों की समीक्षा की जाएगी। अध्यादेश इसमें से पिछड़े वर्गों के संदर्भ को हटाता है।
  • मेयर का पद: एक्ट में प्रावधान है कि नगर निगम के मेयर के पद को लॉटरी के आधार पर बारी-बारी से निम्नलिखित वर्गों के सदस्यों द्वारा भरा जाएगा: (i) सामान्य श्रेणी, (ii) महिला, (iii) अनुसूचित जाति और (iv) पिछड़ा वर्ग। अध्यादेश में पिछड़ा वर्ग की जगह पिछड़ा वर्ग ‘ए’ को रखा गया है।

 

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