मंत्रालय: 
गृह मामले

नियमों की मुख्‍य विशेषताएं

  • आपराधिक दंड प्रक्रिया (पहचान) एक्ट, 2022 के तहत पुलिस अधिकारियों या जेल अधिकारियों को अपराधियों और किसी अपराध के लिए गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों की पहचान योग्य सूचना (जैसे उंगलियों के निशान, जैविक सैंपल) को जमा करने की अनुमति दी गई है। नियम राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) को यह अधिकार देते हैं कि वह पैमाइश (मेज़रमेंट) करने और इन रिकॉर्ड्स को हैंडिल, स्टोर, प्रोसेस, मैच, उसे नष्ट तथा निस्तारित करने के संबंध में दिशानिर्देश निर्दिष्ट करे।
     
  • नियमों में प्रावधान है कि अधिकृत पुलिस अधिकारी या जेल अधिकारी, एक पंजीकृत मेडिकल प्रैक्टीशनर या मेज़रमेंट  लेने में कुशल व्यक्ति एक्ट के तहत मेज़रमेंट ले सकता है।

प्रमुख मुद्दे और विश्‍लेषण

  • एक्ट निर्दिष्ट करता है कि किस आधार पर और किनके द्वारा मेज़रमेंट्स लिए जा सकते हैं। नियम एक्ट के दायरे में बदलाव करते हैं। इनके जरिए मेज़रमेंट्स लेने के आधार में बदलाव किया गया है और उन लोगों की सूची में भी बदलाव किया गया है जो मेज़रमेंट्स ले सकते हैं।
     
  • एक्ट सरकार को कुछ शक्तियां सौंपता है। इसके बाद नियम इन शक्तियों को एनसीआरबी को सौंपते हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि अधीनस्थ कानून में एक इकाई को सौंपे गए कार्यों को आगे किसी दूसरी इकाई को नहीं सौंपा जा सकता। इनमें एनसीआरबी को रिकॉर्ड्स रखने के लिए दिशानिर्देश जारी करने की शक्ति भी सौंपी गई है। एनसीआरबी अपने खुद के लिए दिशानिर्देश जारी करे, यह उन दो इकाइयों के बीच शक्तियों के पृथक्करण (सेपरेशन ऑफ पावर्स) के सिद्धांत का उल्लंघन करता है जिनमें से एक इकाई दिशानिर्देश जारी करती है, औऱ दूसरी इकाई को उन दिशानिर्दशों का पालन करना होता है।
     
  • एक्ट में यह प्रावधान है कि अगर कोई व्यक्ति बरी हो जाता है तो उसके मेज़रमेंट रिकॉर्ड्स को नष्ट कर दिया जाए। नियमों में ऐसे रिकॉर्ड्स नष्ट करने का अनुरोध करने की जिम्मेदारी उस व्यक्ति पर डाली गई है।

आपराधिक दंड प्रक्रिया (पहचान) एक्ट, 2022 अपराध की जांच के लिए व्यक्तियों से पहचान योग्य विवरणों को जमा करने की अनुमति देता है।[i] यह कैदियों की पहचान एक्ट, 1920 का स्थान लेता है और उन लोगों का दायरा बढ़ाता है जिनसे विवरण लिए जा सकते हैं और जमा किए जाने वाले विवरणों की श्रेणियों को भी बढ़ाता है। एक्ट को चुनौती देने वाली याचिकाएं फिलहाल दिल्ली और मद्रास उच्च न्यायालय में लंबित हैं।

सितंबर 2022 में एक्ट के तहत आपराधिक दंड प्रक्रिया (पहचान) नियम, 2022 को अधिसूचित किया गया। व्यक्तियों से विवरण लेने के तरीके, इन रिकॉर्ड्स को जमा, स्टोर और शेयर करने तथा निस्तारित करने के तरीकों को निर्दिष्ट करने के लिए ये नियम अधिसूचित किए गए हैं।[i]

मुख्य विशेषताएं

आपराधिक दंड प्रक्रिया (पहचान) एक्ट, 2022 के तहत पुलिस अधिकारियों या जेल अधिकारियों को यह शक्ति दी गई है कि वे अपराधियों और किसी अपराध के लिए गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों के पहचान योग्य विवरणों को जमा कर सकते हैं। इन विवरणों में उंगलियों की छाप, फोटोग्राफ, आइरिस और रेटिना स्कैन, बायोलॉजिकल सैंपल और उनका एनालिसिस, और व्यवहारगत विशेषताएं शामिल हैं। एक्ट राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) को मेज़रमेंट्स के रिकॉर्ड्स को जमा (राज्य सरकारों, केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) के प्रशासकों, या अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों से), स्टोर, प्रोसेस, शेयर, वितरित और नष्ट करने की शक्ति देता है, जैसे कि नियमों द्वारा निर्दिष्ट किया जा सकता है। आपराधिक दंड प्रक्रिया (पहचान) नियम, 2022 इन विवरणों को निर्दिष्ट करते हैं। इन नियमों को 19 सितंबर, 2022 को गृह मामलों के मंत्रालय द्वारा अधिसूचित किया गया था। 

2022 के नियमों की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • मेज़रमेंट्स लेना: एक्ट के अंतर्गत सभी अपराधियों, गिरफ्तार व्यक्तियों और निवारक निरोधक कानून के अंतर्गत हिरासत में लिए गए व्यक्तियों से उनके मेज़रमेंट देने की अपेक्षा की जा सकती है। नियमों में निर्दिष्ट है कि कुछ व्यक्तियों के मेज़रमेंट तब तक नहीं लिए जाएंगे, जब तक कि उन्हें किसी अन्य अपराध के संबंध में आरोपित या गिरफ्तार नहीं किया गया हो। इनमें ऐसे लोग शामिल हैं जिन्होंने दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (सीआरपीसी) के सेक्शन 144 या 145 के तहत जारी किए गए निषेधात्मक आदेशों का उल्लंघन किया है या जिन्हें सीआरपीसी के सेक्शन 151 के तहत निवारक निरोध के लिए गिरफ्तार किया गया है।
     
  • मेज़रमेंट्स लेने के लिए अधिकृत व्यक्ति: एक्ट में प्रावधान है कि पुलिस अधिकारी या जेल अधिकारी द्वारा मेज़रमेंट्स लिए जाएंगे। नियमों में निर्दिष्ट है कि एक अधिकृत यूज़र, या मेज़रमेंट्स लेने में दक्ष व्यक्ति, या एक पंजीकृत मेडिकल प्रैक्टीशनर, या इसके लिए अधिकृत व्यक्ति ऐसे मेज़रमेंट्स ले सकता है। एक अधिकृत यूज़र पुलिस अधिकारी या जेल अधिकारी के तौर पर परिभाषित है जिसे एनसीआरबी ने डेटाबेस के एक्सेस के लिए अधिकृत किया है।
     
  • मेज़रमेंट्स रिकॉर्ड्स का स्टोरेज: नियमों में निर्दिष्ट है कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) मेज़रमेंट्स लेने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (सोप्स) को जारी करेगा, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) मेज़रमेंट्स संबंधी विनिर्देश और उनका प्रारूप, (ii) मेज़रमेंट्स लेने के लिए इस्तेमाल होने वाले उपकरणों के विनिर्देश, और (iii) राज्य स्तर पर मेज़रमेंट्स को संभालने और रखने का तरीका। इन सोप्स में निम्नलिखित प्रावधान हो सकते हैं: (i) डिजिटल प्रारूप जिसमें प्रत्येक मेज़रमेंट्स को डेटाबेस पर अपलोड करने से पहले कनवर्ट किया जाना चाहिए, और (ii) इस्तेमाल किया जाने वाला एन्क्रिप्शन का तरीका।
     
  • रिकॉर्ड्स की शेयरिंग: किसी व्यक्ति के मेज़रमेंट्स के रिकॉर्ड्स को मैच करने के लिए अधिकृत यूज़र एनसीआरबी से अनुरोध करेगा। एनसीआरबी रिकॉर्ड का मैच करेगा और एक सिक्योर नेटवर्क के जरिए अधिकृत यूज़र को रिपोर्ट देगी। सोप्स इन रिकॉर्ड्स की प्रोसेसिंग और मैचिंग के लिए दिशानिर्देश देंगे।
     
  • रिकॉर्ड्स को नष्ट करना: एक्ट में प्रावधान है कि रिकॉर्ड्स को नष्ट कर दिया जाएगा, अगर (i) व्यक्ति को पहले दोषी नहीं ठहराया गया है (कैद वाले अपराध के साथ), और (ii) उसे अदालत द्वारा बिना किसी मुकदमे के रिहा कर दिया जाता है, डिस्चार्ज कर दिया जाता है या अपराध से बरी कर दिया जाता है, जब तक कि मजिस्ट्रेट या अदालत द्वारा अन्यथा निर्देश न दिया जाए। एनसीआरबी रिकॉर्ड्स को नष्ट कर देगा, जैसा कि निर्दिष्ट होगा। नियमों में प्रावधान है कि सोप्स में रिकॉर्ड्स को नष्ट और निस्तारित करने की प्रक्रिया का प्रावधान होगा। राज्य या केंद्र सरकार या केंद्र शासित प्रदेश का प्रशासन नोडल अधिकारी को नियुक्त करेगा जिसके समक्ष मेज़रमेंट्स के रिकॉर्ड को नष्ट करने का अनुरोध किया जाएगा। नोडल अधिकारी यह सत्यापित करने के बाद एनसीआरबी को रिकॉर्ड्स नष्ट करने की सिफारिश करेगा कि ये रिकॉर्ड्स किसी दूसरे आपराधिक मामले के साथ लिंक नहीं हैं।

प्रमुख मुद्दे और विश्‍लेषण

एक्ट में ऐसे कई प्रावधान हैं जोकि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत व्यक्ति के निजता के अधिकार का उल्लंघन कर सकते हैं। यह अनुच्छेद 14 की शर्तो को पूरा करने में भी असफल हो सकते हैं कि कानून को निष्पक्ष और उचित, और सभी के साथ समान व्यवहार करना चाहिए। हमने आपराधिक दंड प्रक्रिया (पहचान) बिल, 2022 के अपने नोट में इन मुद्दों को स्पष्ट किया है।[1] इस नोट में हम उन मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं जोकि 19 सितंबर, 2022 को अधिसूचित नियमों के अंतर्गत उभरते हैं।

 

नियम एक्ट के दायरे से बाहर जाते हैं

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि नियम मूल एक्ट के दायरे, प्रावधानों या सिद्धांतों को नहीं बदल सकते।[2],[3],[4]  ऐसे कई मौके हैं जहां ये नियम एक्ट के दायरे में बदलाव कर सकते हैं। हम यहां इन पर चर्चा कर रहे हैं।

ऐसे मामलों को सीमित किया गया है जिनमें मेज़रमेंट लिया जा सकता है

एक्ट के अंतर्गत सभी अपराधियों, गिरफ्तार व्यक्तियों, और निवारक निरोधक कानून के अंतर्गत हिरासत में लिए गए व्यक्तियों से अपने मेज़रमेंट्स देने की अपेक्षा की जाती है। इसके अतिरिक्त मेजिस्ट्रेट जांच में सहयोग देने के लिए किसी भी व्यक्ति से मेज़रमेंट जमा करने का आदेश दे सकता है। नियमों में निर्दिष्ट है कि कुछ व्यक्तियों के मेज़रमेंट तब तक नहीं लिए जाएंगे, जब तक कि उन्हें किसी अन्य अपराध के संबंध में आरोपित या गिरफ्तार नहीं किया गया हो। इनमें ऐसे लोग शामिल हैं जिन्होंने दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (सीआरपीसी) के सेक्शन 144 या 145 के तहत जारी किए गए निषेधात्मक आदेशों का उल्लंघन किया है या जिन्हें सीआरपीसी के सेक्शन 151 के तहत निवारक निरोध के लिए गिरफ्तार किया गया है। इस प्रकार नियम उन आधारों को सीमित करते हैं जिनके तहत किसी व्यक्ति के डेटा को जमा किया जा सकता है। ऐसा करके, वे एक्ट में निर्दिष्ट आधारों को बदल सकते हैं और इस प्रकार एक्ट के दायरे से बाहर जा सकते हैं।  

उन लोगों की सूची को बढ़ाना, जो मेज़रमेंट्स ले सकते हैं

एक्ट में प्रावधान है कि पुलिस अधिकारी या जेल अधिकारी द्वारा मेज़रमेंट्स लिए जाएंगे। नियम इसका दायरा बढ़ाते हैं और कहते हैं कि मेज़रमेंट्स लेने में दक्ष व्यक्ति, या एक पंजीकृत मेडिकल प्रैक्टीशनर, या इसके लिए अधिकृत व्यक्ति ऐसे मेज़रमेंट्स ले सकता है। इन नई श्रेणियों के लोगों को शामिल करके, जोकि एक्ट में निर्दिष्ट नहीं है, नियम एक्ट के दायरे से बाहर जा सकते हैं। एक्ट या नियम यह भी परिभाषित नहीं करते कि कौन सा व्यक्ति इन मेज़रमेंट्स को लेने में दक्ष है।  

उन लोगों की सूची को सीमित करना जोकि मेज़रमेंट्स ले सकते हैं

एक्ट कहता है कि मेज़रमेंट्स या तो जेल अधिकारी (हेड वार्डर से नीचे के रैंक वाला नहीं) या पुलिस अधिकारी (पुलिस थाने का प्रभारी या कम से कम हेड कॉन्स्टेबल के रैंक वाला) के द्वारा जमा किए जाएंगे। नियमों में निर्दिष्ट है कि अधिकृत यूज़र एक्ट के तहत मेज़रमेंट्स ले सकता है। नियमों के अनुसार, एक अधिकृत यूज़र को एक पुलिस अधिकारी या जेल अधिकारी के रूप में परिभाषित किया गया है जिन्हें एनसीआरबी ने डेटाबेस को एक्सेस करने के लिए अधिकृत किया है। इस प्रकार नियम उन अधिकारियों की श्रेणियों को सीमित करते हैं जो मेज़रमेंट्स ले सकते हैं और डेटाबेस एक्सेस कर सकते हैं। एक्ट एनसीआरबी या किसी अन्य इकाई को इन सीमाओं को निर्दिष्ट करने की अनुमति नहीं देता। वह केंद्र या राज्य सरकारों को ऐसी सीमाएं निर्दिष्ट करने की शक्ति भी नहीं सौंपता। इसलिए इन सीमाओं को निर्दिष्ट करके, नियम एक्ट के दायरे से बाहर जा सकते हैं।

अत्यधिक शक्तियां सौंपना

एक्ट राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) को मेज़रमेंट्स के रिकॉर्ड्स को जमा (राज्य सरकारों, केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) के प्रशासकों, या अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों से), स्टोर, प्रोसेस, शेयर, वितरित और नष्ट करने की शक्ति देता है, जैसे कि नियमों द्वारा निर्दिष्ट किया जा सकता है। यह केंद्र और राज्य सरकारों को नियम बनाने की शक्ति सौंपता है। नियमों में निर्दिष्ट है कि एनसीआरबी सोप्स के जरिए निम्नलिखित के लिए दिशानिर्द्श और प्रक्रियाएं निर्दिष्ट करेगा: (i) ) मेज़रमेंट्स लेना, (ii) इन रिकॉर्ड्स को हैंडिल करना और उनका स्टोरेज, (iii) इन रिकॉर्ड्स की प्रोसेसिंग और मैचिंग, और (iv) इन रिकॉर्ड्स को नष्ट और निस्तारित करना। इससे दो प्रश्न उठते हैं।

एनसीआरबी को नियम बनाने की शक्ति सौंपना

एनसीआरबी को दिशानिर्देश निर्दिष्ट करने की अनुमति देकर, नियम सरकार की नियम बनाने की शक्तियों को एनसीआरबी को सौंपते हैं। सर्वोच्च न्यायालय (2014) ने अत्यधिक प्रत्यायोजन (एक्सेसिव डेलिगेशन) के एक मामले की जांच करते हुए कहा था कि "अधीनस्थ कानून,  जो आम तौर पर विस्तृत कानून के कार्यान्वयन की प्रक्रिया से संबंधित नियमों और रेगुलेशंस के दायरे में होता है, आम तौर पर एक निर्दिष्ट अथॉरिटी के सुपुर्द किया गया कार्य होता है। चूंकि विधायिका को कानून के कार्यान्वयन के विवरणों पर कार्य करने में अपना समय़ बिताने की जरूरत नहीं होती, इसलिए यह सोचा गया कि उक्त कार्य को एक एजेंसी के सुपुर्द किया जाए। वह एजेंसी अपने अधीनस्थों को ऐसा कार्य नहीं सौंप सकती है; यह प्रत्यायुक्त (डेलिगेट) में जताए गए विश्वास का उल्लंघन होगा।[5]

ये सवाल भी खड़े होते हैं कि क्या इन सोप्स को संसद या राज्य विधायिकों के सामने रखा जाएगा। एक्ट में यह अपेक्षित है कि संबंधित सरकारें इन नियमों को संसद या राज्य विधानमंडलों के पटल पर रखे। उदाहरण के लिए जिन नियमों पर हम चर्चा कर रहे हैं, उन्हें पटल पर रखे जाने की जरूरत है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि क्या एनसीआरबी द्वारा निर्दिष्ट सोप्स की भी ऐसी समीक्षा की जाएगी। 

एनसीआरबी अपने दिशानिर्देश खुद निर्दिष्ट करे, इस पर विवाद

सोप्स जारी करके, एनसीआरबी मेज़रमेंट्स जमा करने, स्टोर और प्रोसेस करने के संबंध में दिशानिर्देश जारी करेगा। यह उन दो इकाइयों के बीच भूमिकाओं के पृथक्करण के सिद्धांत का उल्लंघन कर सकता है, जिनमें से एक इकाई दिशानिर्देश जारी करती है और दूसरी इकाई को उन दिशानिर्देशों का पालन करना होता है।

 

अनुरोध पर रिकॉर्ड्स नष्ट करना

एक्ट के तहत एनसीआरबी रिकॉर्ड्स स्टोर, संरक्षित और नष्ट करेगा, जैसा कि निर्दिष्ट हो। रिकॉर्ड्स नष्ट कर दिए जाएंगे, अगर (i) व्यक्तियों को पहले दोषी नहीं ठहराया गया है, और (ii) उन्हें सभी अपीलों के बाद बरी कर दिया जाता है, या बिना मुकदमे के रिहा कर दिया जाता है। नियमों के अनुसार, सोप्स रिकॉर्ड्स को नष्ट और निस्तारित करने की प्रक्रिया प्रदान करेंगे। किसी रिकॉर्ड को नष्ट करने के लिए नोडल अधिकारी को अनुरोध करना होगा (जिसे राज्य या केंद्र सरकार या यूटी प्रशासन नियुक्त करेगा)। नोडल अधिकारी यह सत्यापित करने के बाद एनसीआरबी से रिकॉर्ड्स को नष्ट करने की सिफारिश करेगा कि ये रिकॉर्ड्स किसी अन्य आपराधिक मामले से लिंक नहीं हैं। जबकि एक्ट ऐसे मामलों में रिकॉर्ड्स को नष्ट करने को कहता है, नियम रिक़ॉर्ड्स को नष्ट करने का अनुरोध करने की जिम्मेदारी व्यक्तियों पर डालते हैं।

कुछ दूसरे कानूनों में व्यक्तिगत सूचना को नष्ट करने की जिम्मेदारी उन विवरणों को रखने वाली अथॉरिटी पर है, या अदालतों पर जोकि उन अथॉरिटीज़ को निर्देश देंगी कि अब ऐसी सूचना की जरूरत नहीं है। उदाहरण के लिए किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख एवं संरक्षण) एक्ट, 2015 में प्रावधान है कि एक बच्चे के रिकॉर्ड को नष्ट कर दिया जाना चाहिए जिसे कानून के तहत दोषी ठहराया गया है (जघन्य अपराध को छोड़कर)।[6] ऐसे मामलों में किशोर न्याय बोर्ड पुलिस या अदालत या अपनी खुद की रजिस्ट्री को रिकॉर्ड्स को नष्ट करने का निर्देश दे सकता है। एक्ट के अंतर्गत नियम भी निर्दिष्ट करते हैं कि प्रभारी व्यक्ति, बोर्ड या बाल अदालतों द्वारा इन रिकॉर्ड्स को नष्ट कर दिया जाए (अपील की अवधि समाप्त होने के बाद)।[7] कैदियों की पहचान एक्ट, 1920 (2022 के एक्ट द्वारा निरस्त) में प्रावधान था कि बरी किए गए व्यक्ति के रिकॉर्ड नष्ट किए जाएं।[8] 


 

[2]. Agricultural Market Committee vs Shalimar Chemical Works Ltd, 1997 Supp (1) SCR 164, May 7, 1997.

[3]. State of Karnataka vs Ganesh Kamath, 1983 SCR (2) 665, March 31, 1983.

[4]. Kerala State Electricity Board vs Indian Aluminium Company, 1976 SCR (1) 552, September 1, 1975.

[5]. Siddharth Sarawagi vs Board of Trustees for the Port of Kolkata and others, SPECIAL LEAVE PETITION (CIVIL) NO.18347/2013, Supreme Court of India, April 16, 2014.

[7]. The Juvenile Justice (Care and Protection of Children) Model Rules, 2016, Ministry of Women and Child Development, September 21, 2016. 

[8]. The Identification of Prisoners Act, 1920

[i]. The Criminal Procedure (Identification) Rules, 2022, Ministry of Home Affairs, September 19, 2022.

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।