-
इनलैंड वेसेल्स बिल, 2021 को लोकसभा में 22 जुलाई, 2021 को पेश किया गया। यह इनलैंड वेसेल्स एक्ट, 1917 का स्थान लेता है। एक्ट राज्यों द्वारा इनलैंड वेसेल्स यानी अंतर्देशीय जहाजों के परिवहन का रेगुलेशन करता है जिसमें जहाजों का रजिस्ट्रेशन और वस्तुओं एवं यात्रियों की सुरक्षित ढुलाई शामिल है। बिल देश भर में अंतर्देशीय नौपरिवहन के लिए एक समान रेगुलेटरी फ्रेमवर्क को पेश करने का प्रयास करता है। बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
-
यंत्र चालित (मैकेनिकली प्रोपेल्ड) अंतर्देशीय जहाज: बिल के अनुसार, इस तरह के जहाजों की परिभाषा में शिप, नाव, पाल वाले जहाज, कंटेनर जहाज और फेरीज़ शामिल हैं। केंद्र सरकार इन जहाजों के संबंध में निम्नलिखित निर्दिष्ट करेगी: (i) वर्गीकरण, (ii) डिजाइन, निर्माण और कर्मचारियों के आवास के मानक और (iii) सर्वे का प्रकार और उसकी अवधि। इन जहाजों के निर्माण या उनमें बदलाव के लिए नामित प्राधिकारी से पूर्व मंजूरी लेनी होगी। इस प्राधिकारी का निर्धारण केंद्र सरकार द्वारा किया जाएगा।
-
संचालन: अंतर्देशीय जलक्षेत्रों में संचालन के लिए सभी जहाजों के पास सर्वे सर्टिफिकेट और रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट होना चाहिए। भारतीय स्वामित्व वाले जहाजों को रजिस्ट्रार ऑफ इनलैंड वेसेल्स में रजिस्टर होना चाहिए (इस रजिस्ट्रार की नियुक्ति राज्य सरकार करेगी)। यह रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट देश भर में वैध होगा। सर्वे सर्टिफिकेट राज्य सरकार द्वारा दिया जाएगा, उस प्रारूप में जिसे केंद्र सरकार द्वारा निर्दिष्ट किया जाएगा। सर्टिफिकेट में इन जहाजों के अंतर्देशीय जल क्षेत्रों का उल्लेख होगा (राज्य इन जल क्षेत्रों का सीमांकन करेंगे)। जहाजों का बीमा भी होना चाहिए, जिसमें जहाज के उपयोग के कारण मृत्यु, चोट या नुकसान की लायबिलिटी कवर होगी (दुर्घटनावश प्रदूषण सहित)।
-
नौपरिवहन सुरक्षा: इन जहाजों को नौपरिवहन सुरक्षा के लिए सिग्नल्स और उपकरणों के कुछ विनिर्देशों का पालन करना होगा जिन्हें केंद्र सरकार की तरफ से निर्दिष्ट किया जाएगा। परिवहन संबंधी किसी दुर्घटना की स्थिति में जहाज का मास्टर आस-पास के जहाजों और संबंधित राज्य सरकार को तुरंत खतरे या संकट के सिग्नल भेजेगा। अगर मदद की मांग का जवाब देने के बाद भी किसी जहाज का मास्टर मदद नहीं करता, तो उसे 10,000 रुपए तक का जुर्माना भरना पड़ेगा, जब तक कि वह कुछ निर्दिष्ट आधारों पर सहायता करने में असमर्थ हो।
-
दुर्घटनाओं की जांच: ऐसे जहाजों पर सभी प्रकार की दुर्घटनाओं की सूचना निकटवर्ती पुलिस स्टेशन और राज्य सरकार द्वारा नियुक्त प्राधिकारी को दी जानी चाहिए। राज्य सरकार जिला मेजिस्ट्रेट से कह सकती है कि वह इन मामलों की जांच करे और इस संबंध में कार्रवाई का सुझाव देने हेतु रिपोर्ट सौंपे।
-
मैनिंग की जरूरत: केंद्र सरकार निर्दिष्ट करेगी कि किसी जहाज में विभिन्न भूमिकाओं के लिए कितने न्यूनतम लोग होने चाहिए। इस शर्त का पहली बार उल्लंघन करने पर 10,000 रुपए तक का जुर्माना भरना होगा, और उसके बाद अपराध करने पर 25,000 रुपए तक का। केंद्र सरकार अहर्ता, प्रशिक्षण, परीक्षा और क्षमता संबंधी सर्टिफिकेट देने के मानदंड निर्धारित करेगी। इसमें किसी विशिष्ट भूमि में प्राप्तकर्ता की फिटनेस का भी उल्लेख होगा। राज्य सरकारों द्वारा सर्टिफिकेट दिए जाएंगे।
-
प्रदूषण की रोकथाम: केंद्र सरकार के निर्दिष्ट मानकों के आधार पर जहाज सीवेज को बहाएंगे या उनका निपटान करेंगे। केंद्र सरकार प्रदूषकों की सूची अधिसूचित करेगी जिन्हें बहाने या निपटान से प्रतिबंधित किया जाएगा। केंद्र सरकार द्वारा निर्दिष्ट प्रारूप में राज्य सरकार जहाजों को प्रदूषण रोकथाम का सर्टिफिकेट देगी।
-
अंतर्देशीय जहाजों का डेटाबेस: केंद्र सरकार अंतर्देशीय जहाजों पर केंद्रीयकृत इलेक्ट्रॉनिक डेटा रिकॉर्ड रखेगी। इन रिकॉर्ड्स में निम्नलिखित पर सूचनाएं शामिल होंगी: (i) जहाजों का रजिस्ट्रेशन, (ii) चालक दल और मैनिंग, और (iii) जारी किए गए सर्टिफिकेट्स।
-
डेवलपमेंट फंड: बिल में डेवलपमेंट फंड का प्रावधान है जिसे निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा: (i) आपात स्थिति की तैयारी, (ii) प्रदूषण को रोकना, और (iii) अंतर्देशीय नौपरिवहन को बढ़ावा देना। हर राज्य यह फंड बनाएगा। फंड में निम्नलिखित स्रोतों से योगदान जमा किया जाएगा: (i) राज्य सरकारों की योजनाएं, (ii) स्टेकहोल्डर्स, और (iii) जहाज के टूटे-फूटे हिस्सों या कार्गो की बिक्री से मिलने वाली राशि।
-
गैर यंत्र चालित (नॉन-मैकेनिकली प्रोपेल्ड) अंतर्देशीय जहाज: बिल राज्य सरकारों को यह अधिकार देता है कि वह स्थानीय सरकारों को गैर यंत्र चालित जहाजों से संबंधित कुछ कार्य सौंप सकती हैं। इनमें डेटा जमा करना और जहाज मालिकों, ऑपरेटर्स और यूजर्स के लिए एडवाइजरी प्रोग्राम्स चलाना शामिल है। राज्य सरकारें इन जहाजों की पहचान और वर्गीकरण के लिए मानंदड (जैसे आकार, उद्देश्य, आयु और डिजाइन) निर्धारित करेंगी।
अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।