मंत्रालय: 
गृह मामले
  • उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास राज्य मंत्री पबन सिंह घाटोवार ने 11 मार्च, 2013 को राज्यसभा में उत्तर-पूर्वी परिषद (संशोधन) बिल, 2013 पेश किया।
     
  • यह बिल उत्तर-पूर्वी परिषद एक्ट, 1971 को संशोधित करने का प्रयास करता है। एक्ट पूर्वोत्तर राज्यों में संतुलित और समन्वित विकास को सुनिश्चित करने के लिए उत्तर-पूर्वी परिषद (एनईसी) का गठन करता है।
     
  • एनईसी के सदस्यों में अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम राज्यों के राज्यपाल और मुख्यमंत्री शामिल हैं।
     
  • 2002 में इस एक्ट को निम्न उद्देश्यों के लिए संशोधित किया गया थाः (i) पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए क्षेत्रीय योजना निकाय के रूप में परिषद के कार्यों की पुनर्परिभाषा, (ii) सिक्किम को परिषद में सदस्य राज्य के रूप में शामिल करना तथा (iii) राष्ट्रपति द्वारा परिषद के तीन सदस्यों और चेयरमैन को नामित करना।
     
  • बिल के उद्देश्य और कारण के कथन के अनुसार, द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की 7वीं रिपोर्ट में एनईसी के कार्यों में संघर्ष समाधानको शामिल करने के लिए एक्ट में संशोधन का सुझाव दिया गया। एक्ट में इस कार्य को शामिल किया गया था किंतु 2002 में किए गए संशोधन के समय इसे हटा दिया गया।
     
  • बिल संघर्ष समाधानके प्रावधान को पुनःप्रस्तावित करता है और कहता है कि एनईसी के कार्यों में सदस्य राज्यों से समान हितों के मुद्दों और/अथवा केंद्र सरकार से (i) आर्थिक और सामाजिक योजना, (ii) अंतरराज्यीय परिवहन और संचार, और (iii) ऊर्जा या बाढ़ नियंत्रण परियोजनाओं जैसे क्षेत्रों पर विचार विमर्श शामिल है।
     
  • राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों और प्रशासकों के अतिरिक्त, एक्ट केंद्र शासित अरुणाचल प्रदेश के प्रशासक के काउंसिलर को भी सदस्यता प्रदान करता है। बिल काउंसिलर के बजाय दो गैर आधिकारिक सदस्यों का प्रस्ताव रखता है जिन्हें राष्ट्रपति द्वारा नामित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त बिल योजना आयोग के एक सदस्य को शामिल किए जाने की बात भी करता है जोकि पूर्वोत्तर क्षेत्र का प्रभारी होगा।
     
  • बिल कहता है कि नामित व्यक्तियों का कार्यकाल तीन वर्ष होगा, जिसे दो अतिरिक्त वर्षों के लिए बढ़ाया जा सकता है। ऐसे सदस्यों के भत्तों का निर्धारण केंद्र सरकार द्वारा किया जा सकता है।
     
  • 2001 में गृह मंत्रालय के अंतर्गत उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास विभाग का गठन किया गया था। इसके बाद 2004 में इसे एक अलग मंत्रालय में बदल दिया गया। बिल एक्ट में इस परिवर्तन को दर्शाने के लिए संशोधन करता है।

 

यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।