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विधि एवं न्याय
- एनिमी प्रॉपर्टी (संशोधन और वैलिडेशन) तीसरा अध्यादेश 31 मई, 2016 को जारी किया गया। यह 1968 के एनिमी प्रॉपर्टी एक्ट और 1971 के सार्वजनिक परिसर (अनाधिकृत कब्जा हटाना) एक्ट में संशोधन करता है। इससे पहले जनवरी, 2016 और अप्रैल, 2016 में इसी प्रकार के दो अध्यादेश जारी किए जा चुके हैं।
- केंद्र सरकार ने 1962, 1965 और 1971 के युद्ध के दौरान पाकिस्तान और चीन के नागरिकों की कुछ प्रॉपर्टीज को एनिमी प्रॉपर्टी घोषित किया था। इन प्रॉपर्टीज को केंद्र सरकार के अंतर्गत गठित कार्यालय कस्टोडियन ऑफ एनिमी प्रॉपर्टी में निहित कर दिया था। 1968 का एक्ट इन एनिमी प्रॉपर्टीज को रेगुलेट करता है।
- पूर्ववर्ती प्रभावः यह बिल अध्यादेश जारी होने की तारीख 7 जनवरी, 2016 से लागू माना जाएगा। हालांकि इसके कई प्रावधान 1968 के एक्ट के शुरू होने की तारीख से ही लागू होंगे। इसके कारण ही एनिमी प्रॉपर्टी का छोड़ा जाना (डायवेस्टमेंट) (जैसे कस्टोडियन से प्रॉपर्टी के मालिक लौटाया जाना) और हस्तांतरण जो 7 जनवरी, 2016 से पहले हो चुका है और बिल के प्रतिकूल जाता है, अमान्य हो जाएंगे।
- एनिमी की परिभाषाः 1968 के एक्ट ने एनिमी को ऐसे देश (और इसके नागरिकों) के रूप में पारिभाषित किया है जिसने भारत के खिलाफ बाहरी आक्रमण किए हैं (जैसे पाकिस्तान और चीन)। बिल इन्हें भी शामिल करने के लिए इस परिभाषा का दायरा बढ़ाना चाहता है) (i) एनिमी के कानूनी वारिस, यदि वे भारत या किसी ऐसे देश के नागरिक हों जो एनिमी न हो, तो भी, (ii) एक एनिमी देश के नागरिक जो बाद में अपनी नागरिकता बदलकर दूसरे देश के नागरिक बन गए हों, इत्यादि।
- एनमी प्रॉपर्टी का निहित बना रहनाः 1968 के एक्ट ने पाकिस्तान और चीन के साथ युद्ध के बाद एनिमी प्रॉपर्टीज को कस्टोडियन में निहित किए जाने की अनुमति दी थी। अध्यादेश यह स्पष्ट करने के लिए कानून में संशोधन करना चाहता है कि निम्नलिखित स्थितियों में भी एनिमी प्रॉपर्टी कस्टोडियन में निहित रहेगीः (i) एनिमी की मृत्यु होने पर, (ii) कानूनी वारिस के भारतीय होने पर, (iii) एनिमी के अपनी नागरिकता बदलकर दूसरे देश का नागरिक बन जाने पर, इत्यादि। बिल आगे प्रावधान करता है कि एनिमी प्रॉपर्टी को कस्टोडियन में निहित किए जाने का अर्थ होगा कि प्रॉपर्टी के समस्त अधिकार, स्वामित्व (टाइटिल) और हित कस्टोडियन में निहित होंगे। इन प्रॉपर्टीज पर उत्तराधिकार संबंधी कोई भी कानून या प्रथा लागू नहीं होगी।
- लौटाया जानाः 1968 का एक्ट प्रावधान करता था कि केंद्र सरकार किसी एनिमी प्रॉपर्टी को कस्टोडियन से संपत्ति के मालिक या अन्य व्यक्ति को लौटाए जाने का आदेश दे सकती है। अध्यादेश में यह प्रावधान बदल दिया गया है और केवल उसी स्थिति में प्रॉपर्टी मालिक को लौटाए जाने की अनुमति है जब कोई पीडि़त व्यक्ति सरकार को आवेदन दे और संपत्ति एनिमी प्रॉपर्टी न पाई जाए।
- बिक्री का अधिकारः 1968 के एक्ट में केवल उन्हीं स्थितियों में कस्टोडियन द्वारा एनिमी प्रॉपर्टी की बिक्री की अनुमति थी, यदि ऐसा करना प्रॉपर्टी के संरक्षण के हित में हो या भारत में एनिमी या उसके परिवार का रखरखाव सुनिश्चित करना हो। अध्यादेश इस अधिकार का दायरा बढ़ाकर कस्टोडियन को एनिमी प्रॉपर्टी की बिक्री या निस्तारण का अधिकार देता है। कस्टोडियन केंद्र सरकार द्वारा निश्चित समय सीमा में ऐसा कर सकता है, किसी विपरीत अदालती फैसल के बावजूद।
- एनिमी द्वारा हस्तांतरणः 1968 का एक्ट इन स्थितियों में एनिमी द्वारा एनिमी प्रॉपर्टी के हस्तांतरण पर रोक लगाता है, यदि (i) यह जनहित के खिलाफ हो या (ii) कस्टोडियन को प्रॉपर्टी को निहित करने से बचाने के लिए ऐसा किया गया हो। अध्यादेश में इस प्रावधान को हटा दिया गया है और एनिमी द्वारा किसी प्रॉपर्टी के हस्तांतरण की मनाही है। इसके अतिरिक्त 1968 का एक्ट लागू होने से पहले या बाद के सभी हस्तांतरणों को अमान्य करता है।
- अदालतों का अधिकार क्षेत्रः अध्यादेश में सिविल कोर्ट और अन्य अथॉरिटीज को एनिमी प्रॉपर्टी के खिलाफ मामले दर्ज करने से प्रतिबंधित किया गया है। फिर भी अध्यादेश केंद्र सरकार के आदेश से पीड़ित व्यक्ति को हाई कोर्ट में इस संबंध में अपील करने की अनुमति देता है कि प्रॉपर्टी, एनिमी प्रॉपर्टी है अथवा नहीं। यह अपील 60 दिनों के भीतर दर्ज करानी होगी (जिसे 120 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है।)
- कस्टोडियन के अधिकारः 1968 का एक्ट कस्टोडियन को एनिमी प्रॉपर्टी के संरक्षण तथा एनिमी प्रॉपर्टी से होने वाली आय से एनिमी और उसके परिवार के रखरखाव के प्रबंध का अधिकार देता है, अगर वे भारत में रहते हैं। अध्यादेश से एनिमी और उसके परिवार के रखरखाव की जिम्मेदारी हटा दी गई है। इसके अतिरिक्त अध्यादेश सार्वजनिक परिसर एक्ट, 1971 में संशोधन करता है और कस्टोडियन को यह अधिकार देता है कि वह एनमी प्रॉपर्टी से अनाधिकृत दखल करने वालों या निर्माण को हटा सके।
यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।
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