मंत्रालय:
खान
- खान और खनिज (विकास और रेगुलेशन) संशोधन बिल 2016, लोकसभा में 16 मार्च, 2016 को पेश किया गया। यह बिल खान और खनिज (विकास और रेगुलेशन) एक्ट 1957 में संशोधन करता है।
- खान और खनिज (विकास और रेगुलेशन) एक्ट 1957 भारत में खनन क्षेत्र को रेगुलेट करता है तथा खनन कार्यों के लिए लीज की स्वीकृति और उसे प्राप्त करने की शर्तों को स्पष्ट करता है।
- खनन लीज का हस्तांतरणः यह एक्ट नीलामी प्रक्रिया के जरिए स्वीकृत खनन लीजों के हस्तांतरण की अनुमति देता है। इन खनन लीजों का धारक, केंद्र सरकार द्वारा निर्दिष्ट दिशानिर्देशों के अनुसार और राज्य सरकार की मंजूरी से, किसी भी पात्र व्यक्ति को लीज का हस्तांतरण कर सकता है। यदि राज्य सरकार नोटिस मिलने के 90 दिन के अंदर अपनी मंजूरी नहीं भेजती है, तो हस्तांतरण मंजूर माना जाएगा। यदि राज्य सरकार लिखित रूप में यह कहती है कि जिसके नाम हस्तांतरण किया जा रहा है, वह योग्य पात्र नहीं है, तो लीज का हस्तांतरण नहीं हो सकेगा।
- बिल उन खनन लीजों के हस्तांतरण की अनुमति देता है, जिनकी मंजूरी नीलामी के अतिरिक्त अन्य प्रक्रियाओं के जरिये की गई है और जहां खनिज का उपयोग ‘कैप्टिव पर्पज’ के लिए किया जाता है। कैप्टिव पर्पज का अर्थ है निकाले गए खनिज की पूरी मात्रा का लीजधारक की अपनी निर्माण इकाई में ही प्रयुक्त होना। इस तरह की लीज का हस्तांतरण केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित नियमों और शर्तों तथा हस्तांतरण शुल्क पर निर्भर करेगा। ऐसे हस्तांतरण स्वीकृत मौजूदा हस्तांतरण के अतिरिक्त होंगे।
- बिल के उद्देश्य और कारण के कथन के अनुसार यह प्रावधान कैप्टिव खनन लीज वाली कंपनियों के विलय और अधिग्रहण की अनुमति देगा।
- लीज क्षेत्रः बिल लीज क्षेत्र को उस क्षेत्र के रूप में परिभाषित करता है, जिसके दायरे में खनन कार्य किए जा सकते हैं। इसमें खान के भीतर का वह गैर- खनिज क्षेत्र में भी शामिल होगा, जो 1952 के खनन कानून के तहत निर्धारित गतिविधियों के लिए जरूरी है। 1952 का एक्ट खदान को ऐसी खुदाई वाले क्षेत्र के रूप में परिभाषित करता है, जहां खनिज की तलाश या प्राप्त करने का काम किया जा रहा हो। इसमें (i) बोरिंग, बोरवेल और तेल कुएं, (ii) सभी ओपनकास्ट वर्किंग, (iii) खदान के अहाते के अंदर की सभी वर्कशॉप और स्टोर, और (iv) खान से निकलने वाले मलबे को जमा करने की जगह और जहां ऐसे मलबे का कोई काम किया जा रहा हो।
यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।