- चिट फंड्स (संशोधन) बिल, 2018 को लोकसभा में 12 मार्च, 2018 को पेश किया गया। यह बिल चिट फंड्स एक्ट, 1982 को संशोधित करने का प्रयास करता है। 1982 का एक्ट चिट फंड्स को रेगुलेट करता है और राज्य सरकार की पूर्व मंजूरी के बिना किसी फंड के बनाए जाने पर प्रतिबंध लगाता है। किसी चिट फंड के अंतर्गत लोग इस बात के लिए सहमत होते हैं कि वे समय समय पर एक निश्चित राशि फंड में जमा करेंगे। फिर एक नियत समय पर पर चिट निकालकर एक सबस्क्राइबर को चुना जाता है जिसे पुरस्कार स्वरूप फंड में से राशि की दी जाती है।
- मैत्री फंड : एक्ट ऐसे विभिन्न नाम विनिर्दिष्ट करता है जिनका इस्तेमाल चिट फंड के लिए किया जा सकता है। इनमें चिट, चिट फंड और कुरी शामिल है। बिल इस सूची में ‘मैत्री फंड’ को जोड़ता है।
- वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सबस्क्राइबरों की उपस्थिति : एक्ट विनिर्दिष्ट करता है कि कम से कम दो सबस्क्राइबरों की उपस्थिति में चिट निकाली जाएगी। बिल इन सबस्क्राइबरों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उपस्थित होने की अनुमति देने का प्रयास करता है।
- फोरमैन का कमीशन : एक्ट के अंतर्गत चिट फंड को चलाने की जिम्मेदारी ‘फोरमैन’ की है। वह चिट की कुल राशि का अधिकतम 5% कमीशन के तौर पर पाने के लिए अधिकृत है। बिल इस कमीशन को बढ़ाकर 7% करने का प्रयास करता है।
- एक्ट का एप्लीकेशन : वर्तमान में एक्ट निम्न पर लागू नहीं होता : (i) एक्ट लागू होने से पहले शुरू किए गए किसी चिट पर, और (ii) किसी ऐसे चिट (या एक ही फोरमैन द्वारा चलाए जाने वाले कई चिट्स) पर जिसकी राशि 100 रुपए से कम है। बिल 100 रुपए की सीमा को हटाता है और राज्य सरकार को आधार राशि तय करने की अनुमति देता है जिससे अधिक की रकम होने पर एक्ट के प्रावधान लागू होंगे।
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