- लोकसभा में 20 दिसंबर, 2021 को चुनाव कानून (संशोधन) बिल, 2021 पेश किया गया। बिल चुनावी सुधारों को लागू करने के लिए जन प्रतिनिधित्व एक्ट, 1950 और जन प्रतिनिधित्व एक्ट, 1951 में संशोधन करता है। 1950 का एक्ट चुनावों के लिए सीटों के आबंटन और निर्वाचन क्षेत्रों के सीमांकन, मतदाताओं की अहर्ता (क्वालिफिकेशंस) और मतदाता सूची की तैयारी से संबंधित प्रावधान करता है। 1951 के एक्ट में चुनाव कराने तथा चुनावों से संबंधित अपराध और विवादों से जुड़े प्रावधान हैं।
- आधार से मतदाता सूची को लिंक करना: 1950 के एक्ट में प्रावधान है कि कोई भी व्यक्ति किसी निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में अपने नाम को शामिल करने के लिए चुनाव पंजीकरण अधिकारी को आवेदन कर सकता है। वैरिफिकेशन के बाद अगर अधिकारी इस बात से संतुष्ट है कि आवेदक पंजीकरण का हकदार है तो वह निर्देश देगा कि आवेदक के नाम को मतदाता सूची मे शमिल किया जाए। बिल कहता है कि चुनाव पंजीकरण अधिकारी किसी व्यक्ति से कह सकता है कि अपनी पहचान साबित करने के लिए वह अपना आधार नंबर उपलब्ध कराए। अगर उनका नाम पहले से मतदाता सूची में है तो उस सूची में प्रविष्टियों के प्रमाणीकरण के लिए आधार नंबर की जरूरत हो सकती है। अगर कोई व्यक्ति उपयुक्त कारणों से, जिन्हें निर्दिष्ट किया जाएगा, अपना आधार नंबर नहीं देता, तो उसे मतदाता सूची में शामिल करने से इनकार नहीं किया जा सकता, या उनका नाम मतदाता सूची से हटाया नहीं जा सकता। ऐसे लोगों को वैकल्पिक दस्तावेज देने की अनुमति दी जा सकती है जिन्हें केंद्र सरकार निर्दिष्ट करेगी।
- मतदाता सूची में नामांकन के लिए पात्रता तिथि: 1950 के एक्ट के अंतर्गत जिस वर्ष मतदाता सूची तैयार या संशोधित की जा रही है, उस वर्ष की 1 जनवरी को नामांकन की पात्रता तिथि माना जाता है। इसका मतलब यह है कि 1 जनवरी के बाद 18 वर्ष का (यानी वोट देने के लिए पात्र) होने वाला व्यक्ति मतदाता सूची में तभी नामांकन कर सकता है, जब अगले वर्ष के लिए मतदाता सूची तैयार/संशोधित की जाए। बिल इसमें संशोधन करता है और एक कैलेंडर वर्ष में चार पात्रता तिथियों का प्रावधान करता है, 1 जनवरी, 1 अप्रैल, 1 जुलाई और 1 अक्टूबर।
- चुनावी उद्देश्यों के लिए परिसर की मांग: 1951 के एक्ट में राज्य सरकार को यह अनुमति दी गई है कि वे ऐसे परिसरों की मांग कर सकती हैं, जहां मतदान केंद्र बनाना है या बनाने की संभावना है, या जहां चुनाव होने के बाद मत पेटी रखनी है या रखने की संभावना है। बिल उन उद्देश्यों का विस्तार करता है जिनके लिए परिसरों की मांग की जा सकती है। इनमें मतगणना, वोटिंग मशीन और चुनाव संबंधी सामग्री रखने और सुरक्षा बलों एवं मतदान कर्मियों के रहने के लिए परिसर का उपयोग शामिल है।
- जेंडर-न्यूट्रल प्रावधान: 1950 के एक्ट में उन लोगों को मतदाता सूची में पंजीकृत करने की अनुमति दी गई है, जो निर्वाचन क्षेत्र में सामान्य रूप से रहते हैं। इनमें सर्विस क्वालिफिकेशन वाले लोग, जैसे सशस्त्र बलों के सदस्य या भारत के बाहर तैनात केंद्र सरकार के कर्मचारी शामिल हैं। ऐसे व्यक्तियों की पत्नियों को भी सामान्यतया उसी निर्वाचन क्षेत्र में निवास करने वाला माना जाता है, अगर वे उनके साथ रहती हैं। 1951 के एक्ट के अंतर्गत सर्विस क्वालिफिकेशन वाले व्यक्ति को पत्नी व्यक्तिगत रूप से या पोस्टल बैलट के जरिए मतदान कर सकती है। बिल दोनों एक्ट्स में ‘पत्नी’ की जगह ‘स्पाउस’ शब्द को रिप्लेस करता है।
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