- तत्कालीन विधि और न्याय मंत्री सलमान खुर्शीद ने 4 मई, 2012 को राज्यसभा में तमिलनाडु विधान परिषद (रद्द) बिल, 2012 पेश किया।
- यह बिल तमिलनाडु विधान परिषद एक्ट, 2010 को रद्द करता है।
- 12 अप्रैल, 2010 को विधान सभा द्वारा पारित प्रस्ताव के बाद संसद ने तमिलनाडु राज्य में विधान परिषद के सृजन के लिए इस एक्ट को पास किया था।
- इसके अतिरिक्त, एक्ट में यह अपेक्षित है कि राष्ट्रपति संविधान के अनुच्छेद 168 (1) (क) में तमिलनाडु राज्य का नाम शामिल करने के लिए एक तिथि निश्चित करने का आदेश जारी करें। इस अनुच्छेद में उन राज्यों के नाम शामिल हैं जहां दो सदन- विधानसभा और विधान परिषद हैं।
- विधान परिषद के गठन से पहले, विधानसभा ने 7 जून, 2011 को दूसरा प्रस्ताव पारित करके, विधान परिषद बनाने के अपने फैसले को वापस ले लिया।
- उद्देश्य और कारण के कथन के अनुसार, राष्ट्रपति ने संविधान में तमिलनाडु राज्य का नाम शामिल करने के लिए एक तिथि निश्चित करने का आदेश अभी तक जारी नहीं किया है।
- अतः एक्ट के रद्द होने के बाद, इस बिल के माध्यम से, संविधान के अनुच्छेद 168 (1) (क) में संशोधन की कोई आवश्यकता नहीं है।
- बिल लोक प्रतिनिधित्व एक्ट, 1950 और लोक प्रतिनिधित्व एक्ट, 1951 में अनुवर्ती संशोधनों को भी प्रस्तावित करता है।
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