- पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री डॉ. महेश शर्मा ने 18 जुलाई, 2017 को लोकसभा में प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल एवं अवशेष (संशोधन) बिल, 2017 को पेश किया। बिल प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल एवं अवशेष एक्ट, 1958 में संशोधन करता है।
- ‘प्रतिबंधित क्षेत्रों’ में निर्माण: एक्ट संरक्षित स्मारक अथवा क्षेत्र के आस-पास 100 मीटर के दायरे को ‘प्रतिबंधित क्षेत्र’ (प्रोहिबिटेड एरिया) के रूप में पारिभाषित करता है। केंद्र सरकार 100 मीटर के बाद के क्षेत्र को भी प्रतिबंधित क्षेत्र के दायरे में ला सकती है। एक्ट ऐसे प्रतिबंधित क्षेत्रों में, कुछ निश्चित स्थितियों को छोड़कर, निर्माण की अनुमति नहीं देता। एक्ट के अंतर्गत ऐसे ‘प्रतिबंधित क्षेत्रों’ में सार्वजनिक उद्देश्य से भी निर्माण नहीं कराए जा सकते।
- बिल इस प्रावधान में संशोधन करता है और सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए ‘प्रतिबंधित क्षेत्रों’ में पब्लिक वर्क्स कराने की अनुमति देता है।
- ‘पब्लिक वर्क्स’ की परिभाषा: बिल ‘पब्लिक वर्क्स’ की परिभाषा प्रस्तुत करता है। इसमें ऐसे किसी भी इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण शामिल है जिसे सार्वजनिक उद्देश्य के लिए केंद्र सरकार द्वारा फाइनांस किया जाए और बनवाया जाए। यह इंफ्रास्ट्रक्चर सार्वजनिक सुरक्षा के लिए जरूरी होना चाहिए। साथ ही इसका तत्काल निर्माण सार्वजनिक सुरक्षा को खतरा पैदा करने वाली किसी घटना के आधार पर जरूरी होना चाहिए। इसके अतिरिक्त प्रतिबंधित क्षेत्र के बाहर ऐसे किसी निर्माण की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए।
- पब्लिक वर्क्स के लिए अनुमति लेने की प्रक्रिया : बिल के अनुसार, केंद्र सरकार के संबंधित विभाग, जोकि प्रतिबंधित क्षेत्र में सार्वजनिक उद्देश्यों से निर्माण कार्य करना चाहता है, को कॉम्पेटेंट अथॉरिटी को आवेदन करना चाहिए।
- अगर इस संबंध में कोई प्रश्न है कि क्या निर्माण प्रॉजेक्ट ‘पब्लिक वर्क्स’ के अंतर्गत आता है, तो उसे नेशनल मॉन्यूमेंट अथॉरिटी को रेफर कर दिया जाएगा। यह अथॉरिटी लिखित कारणों के साथ अपने सुझाव केंद्र सरकार को देगी। केंद्र सरकार का निर्णय अंतिम होगा।
- अगर केंद्र सरकार का निर्णय अथॉरिटी से भिन्न होता है तो केंद्र सरकार को अपने कारणों को लिखित में दर्ज करना होगा।
- कॉम्पेटेंट अथॉरिटी निर्णय के प्राप्त होने के 10 दिनों के भीतर आवेदक को सूचित करेगी।
- प्रस्तावित पब्लिक वर्क्स के प्रभाव का आकलन : बिल नेशनल मॉन्यूमेंट अथॉरिटी को यह अधिकार देता है कि वह प्रस्तावित पब्लिक वर्क्स के प्रभाव के आकलन पर विचार करे, जिसमें निम्नलिखित प्रकार के प्रभाव शामिल हैं : पुरातात्विक (आर्किलॉजिकल) प्रभाव, दृश्य (विजुअल) प्रभाव और विरासत (हेरिटेज) संबंधी प्रभाव।
- अथॉरिटी केंद्र सरकार को पब्लिक वर्क्स के लिए सुझाव दे सकती है, सिर्फ तभी जब वह इस बात से संतुष्ट हो कि निर्माण को प्रतिबंधित क्षेत्र के बाहर स्थानांतरित करने की कोई गुंजाइश नहीं है।
अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) की स्वीकृति के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।