बिल की मुख्य विशेषताएं
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बिल भारतीय पत्तन एक्ट, 1908 का स्थान लेने का प्रयास करता है। इसमें बंदरगाहों (पत्तन) के कामकाज और प्रबंधन को रेगुलेट करने, शुल्क और प्रभार लगाने और पर्यावरणीय सुरक्षा उपाय करने से संबंधित प्रावधान हैं।
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बिल समुद्री राज्य विकास परिषद और राज्य समुद्री बोर्ड्स को मान्यता प्रदान करता है। परिषद शुल्क की पारदर्शिता और बंदरगाह संबंधी डेटा जमा करने एवं उन्हें प्रस्तुत करने पर दिशानिर्देश जारी करेगी। राज्य समुद्री बोर्ड गैर-प्रमुख बंदरगाहों का प्रबंधन करेंगे।
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राज्य सरकारों को गैर-प्रमुख बंदरगाहों, बंदरगाह के कन्सेशनेयर्स, बंदरगाहों का उपयोग करने वालों और सेवा प्रदाताओं के बीच विवादों पर फैसला लेने के लिए एक विवाद निवारण समिति (डीआरसी) स्थापित करनी होगी।
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बिल में विश्वव्यापी समुद्री कन्वेंशंस (मारपोल और बैलास्ट वॉटर) का अनुपालन अनिवार्य किया गया है। इसके तहत बंदरगाहों को प्रदूषण नियंत्रण और आपदा प्रबंधन योजनाएं तैयार करनी होंगी जिनका केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर ऑडिट किया जाएगा।
प्रमुख मुद्दे और विश्लेषण
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बिल संरक्षक (कंजर्वेटर) द्वारा जुर्माना लगाए जाने के विरुद्ध अपील के लिए कोई व्यवस्था प्रदान नहीं करता है।
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संरक्षक और स्वास्थ्य अधिकारी जैसे बंदरगाह अधिकारियों को प्रवेश और निरीक्षण के अधिकार दिए गए हैं। हालांकि बिल में ऐसी शक्तियों के मद्देनजर सुरक्षा उपायों का अभाव है।
भाग क: बिल की मुख्य विशेषताएं
संदर्भ
भारत में बंदरगाहों को प्रमुख और गैर प्रमुख के तौर पर वर्गीकृत किया गया है।[1] प्रमुख बंदरगाह संघीय सूची में आते हैं, और उनका प्रशासन विशेष रूप से केंद्र सरकार करती है।[2] प्रमुख पत्तन प्राधिकरण एक्ट, 2021 ने प्रत्येक बड़े बंदरगाह के प्रशासन के लिए प्रमुख पत्तन प्राधिकरण बोर्ड की स्थापना की है।[3] गैर प्रमुख बंदरगाह समवर्ती सूची में आते हैं, जिसका अर्थ यह है कि केंद्र और राज्य, दोनों उनके लिए कानून बना सकते हैं।[4] हालांकि उनका प्रशासन मुख्यतया राज्य सरकार संभालती है। गोवा को छोड़कर सभी तटीय राज्यों ने गैर प्रमुख बंदरगाहों के प्रशासन के लिए राज्य समुद्री बोर्ड्स स्थापित किए हैं। भारतीय पत्तन एक्ट, 1908 भी बंदरगाहों की सुरक्षा और संरक्षण, तथा बंदरगाहों के शुल्कों की वसूली के लिए प्रावधान करता है।[5] 2023-24 तक भारत में 12 प्रमुख और 217 गैर प्रमुख बंदरगाह थे।[6] इन 217 गैर प्रमुख बंदरगाहों में से 66 में माल ढुलाई का काम होता है, और बाकी मछलियां पकड़ने के लिए हैं।6 ये समुद्रीय तट वाले नौ राज्यों और तीन केंद्रित शासित प्रदेशों में स्थित हैं।6 2023-24 में प्रमुख बंदरगाहों से देश में 53% माल ढुलाई की गई।6 दो गैर प्रमुख बंदरगाहों, मुंद्रा और सिक्का (दोनों निजी स्वामित्व वाले हैं) से 19%, और बाकी 64 गैर प्रमुख कार्गो बंदरगाहों से 28% माल ढुलाई हुई।6 भारतीय पत्तन बिल, 2025 को मार्च 2025 में लोकसभा में पेश किया गया। यह बिल भारतीय पत्तन एक्ट, 1908 को निरस्त और उसका स्थान लेता है। |
तालिका 1: 2023-24 में कार्गो ट्रैफिक (मिलियन टन में)
स्रोत: भारत के बेसिक पोर्ट स्टैटिस्टिक्स, 2023-24, पत्तन, जहाजरानी एवं जलमार्ग मंत्रालय; पीआरएस। |
मुख्य विशेषताएं
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राज्य समुद्री बोर्ड्स: यह बिल तटीय राज्यों द्वारा स्थापित सभी राज्य समुद्री बोर्ड्स को वैधानिक मान्यता प्रदान करता है। राज्य समुद्री बोर्ड अपने-अपने राज्यों के गैर-प्रमुख बंदरगाहों के प्रशासन और रेगुलेशन के लिए जिम्मेदार होंगे। उनके कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) बंदरगाह के इंफ्रास्ट्रक्चर की योजना बनाना और उन्हें विकसित करना, (ii) लाइसेंस देना, (iii) शुल्क तय करना, और सुरक्षा और पर्यावरणीय शर्तों के साथ अनुपालन को रेगुलेट करना।
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समुद्री राज्य विकास परिषद: बिल समुद्री राज्य विकास परिषद को वैधानिक मान्यता भी प्रदान करता है। बिल के तहत, परिषद की अध्यक्षता केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री करेंगे। अन्य सदस्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) प्रत्येक तटीय राज्य के प्रभारी मंत्री, (ii) भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल के तटीय सुरक्षा से संबंधित सचिव, और (iii) केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के सचिव। परिषद केंद्र और राज्य सरकारों के परामर्श से निम्नलिखित के संबंध में दिशानिर्देश जारी करेगी: (i) बंदरगाहों द्वारा जमा किए जाने वाले डेटा या सूचना के साथ-साथ, उन्हें जमा करने, उनके अपडेशन, स्टोरेज और उन्हें परिषद को प्रस्तुत करने का तरीका, (ii) बंदरगाहों से संबंधित डेटा या सूचना का प्रसार, और (iii) बंदरगाह शुल्क की पारदर्शिता सुनिश्चित करना। यह केंद्र सरकार को राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (नेशनल पर्सपेक्टिव प्लान) तैयार करने पर भी सलाह देगी और विधायी पर्याप्तता, बंदरगाहों की कार्यकुशलता एवं बंदरगाहों से कनेक्टिविटी से संबंधित मामलों पर सुझाव देगी।
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विवाद निवारण समिति: बिल में राज्य सरकारों से यह अपेक्षा की गई है कि वे एक विवाद निवारण समिति (डीआरसी) का गठन करेंगी, जो राज्य के भीतर गैर-प्रमुख बंदरगाहों, बंदरगाह के कन्सेशनेयर्स, बंदरगाहों का उपयोग करने वालों और बंदरगाहों पर सर्विस देने वालों के आपसी विवादों का निपटारा करेगी। डीआरसी के आदेशों के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की जाएगी। सिविल अदालतों को डीआरसी को सौंपे गए मामलों से प्रतिबंधित किया गया है। राज्य समुद्री बोर्ड्स के साथ किए गए समझौते या अनुमोदनों से संबंधित विवादों को डीआरसी के अतिरिक्त आर्बिट्रेशन या वैकल्पिक विवाद निवारण तंत्र के जरिए भी सुलझाया जा सकता है।
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शुल्क: प्रमुख बंदरगाहों का शुल्क निम्न द्वारा तय किया जाएगा: (i) प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण बोर्ड, या (ii) कंपनी के तौर पर पंजीकृत बंदरगाह का निदेशक मंडल। गैर प्रमुख बंदरगाहों का शुल्क राज्य समुद्री बोर्ड या उसके द्वारा मंजूर कन्सेशनेयर तय करेंगे।
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बंदरगाह के अधिकारी: एक्ट में संरक्षक को प्रत्येक बंदरगाह या बंदरगाहों के समूह के लिए राज्य सरकार द्वारा नियुक्त एक बंदरगाह अधिकारी के रूप में निर्दिष्ट किया गया है। बिल में यह भी कहा गया है कि अन्य सभी बंदरगाह अधिकारी संरक्षक के अधीनस्थ होंगे। अन्य बंदरगाह अधिकारियों में एक हार्बर मास्टर और एक स्वास्थ्य अधिकारी शामिल हैं। बिल में एक्ट के तहत संरक्षक को किसी भी जहाज को लंगर डालने, बर्थिंग करने, बंदरगाह की सीमा के भीतर मूवमेंट करने, अवरोध हटाने और शुल्क व प्रभारों की वसूली के संबंध में निर्देश जारी करने का अधिकार दिया गया है। बिल संरक्षक के लिए कुछ अन्य कार्य भी निर्धारित करता है: (i) संक्रामक रोगों के प्रसार को रोकने के लिए निर्देश जारी करना, (ii) बंदरगाह की संपत्ति को हुए नुकसान का आकलन करना, और (iii) दंड का निर्धारण करना।
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सुरक्षा और संरक्षण: एक्ट उन गतिविधियों के लिए दंड का प्रावधान करता है जो सुरक्षा को खतरे में डालती हैं, जैसे कि बोया को नुकसान पहुंचाना, बंदूक का इस्तेमाल करना और जहाज पर ज्वलनशील पदार्थों को उबालना। बिल में इन प्रावधानों को बरकरार रखा गया है। पर्यावरण संरक्षण के लिए यह एक्ट बंदरगाह पर गिट्टी या कचरा गिराने पर प्रतिबंध लगाता है। बिल में मारपोल (जहाजों से प्रदूषण की रोकथाम के लिए अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन) और बैलास्ट वॉटर मैनेजमेंट कन्वेंशन का अनुपालन अनिवार्य किया गया है। यह प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण, आपातकालीन तैयारी और आपदा प्रबंधन से संबंधित नए दायित्व भी जोड़ता है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) वेस्ट रिसेप्शन और हैंडलिंग योजना तैयार करना, (ii) कचरे के संग्रह के लिए पर्याप्त सुविधाएं प्रदान करना, और (iii) आपातकालीन तैयारी और प्रतिक्रिया योजना तैयार करना। केंद्र सरकार इन योजनाओं के कार्यान्वयन के संबंध में बंदरगाहों का ऑडिट करेगी।
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अपराध और दंड: 1908 के एक्ट के तहत अपराधों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) संरक्षक के किसी भी वैध निर्देश या बंदरगाह के नियमों का पालन करने में विफलता, (ii) संरक्षक या अधिकृत व्यक्तियों को जहाज पर चढ़ने की अनुमति देने से इनकार करना, (iii) नेविगेशन में बाधा डालना या बंदरगाह की संपत्ति को कोई नुकसान पहुंचाना, (iv) जहाज की अनाधिकृत मूवमेंट, और (v) बंदरगाह शुल्क की चोरी। एक्ट के तहत अपराधों के लिए कारावास, जुर्माना या दोनों का दंड है। बिल इन अपराधों को बरकरार रखता है। वह कुछ अपराधों को डीक्रिमिनलाइज करता है और उनके लिए आर्थिक दंड का प्रावधान करता है। बिल पहली बार किए गए सभी उल्लंघनों के लिए कंपाउंडिंग का भी प्रावधान करता है।
बिल कुछ और अपराधों को जोड़ता है और कुछ मौजूदा अपराधों के लिए कारावास की सज़ा निर्दिष्ट करता है। छह महीने तक के कारावास, एक लाख रुपए तक के जुर्माने या दोनों से दंडनीय अपराधों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) जहाज की सुरक्षा को ख़तरे में डालना और (ii) बिना अनुमति के जल-तल (वॉटरबेड) या भूभौतिकीय (जियोफिजिकल) संरचनाओं को नुकसान पहुंचाना। कुछ प्रावधानों का उल्लंघन केवल मौद्रिक दंड के साथ दंडनीय है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) केंद्र या राज्य सरकार की अधिसूचना के बिना बंदरगाह का संचालन शुरू करना, (ii) प्रदूषण की घटनाओं की रिपोर्ट करने और प्रदूषण संबंधी सुविधाएं प्रदान करने में बंदरगाह की विफलता, और (iii) डीआरसी के आदेशों का पालन करने में विफलता।
ख: मुख्य मुद्दे और विश्लेषण
दंड का निर्णय
बिल संरक्षक को यह अधिकार देता है कि वह बिल की दूसरी अनुसूची के तहत अपराधों के लिए जुर्माना लगा सकता है। हम इन प्रावधानों के संबंधित मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं।
संरक्षक द्वारा निर्धारित दंड के खिलाफ अपील की व्यवस्था का अभाव
बिल संरक्षक द्वारा वसूले जाने वाले जुर्माने के खिलाफ अपील की व्यवस्था नहीं करता। यह जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) एक्ट, 2023, जिसमें 42 कानूनों को डी-क्रिमिनलाइज किया गया है और भारतीय वायुयान एक्ट 2024, जो नागरिक उड्डयन को रेगुलेट करता है, जैसे कानूनों के विपरीत है।[7],[8] ये कानून एडजुडिकेटिंग अधिकारी से ऊंची रैंक वाले अधिकारी के सामने अपील का प्रावधान करते हैं।
संरक्षक को अपनी सुपरवाइजरी अथॉरिटी के खिलाफ जुर्माने का निर्णय लेने की आवश्यकता हो सकती है
बिल संरक्षक को उन संस्थाओं पर जुर्माना लगाने का अधिकार देता है जो बंदरगाह के शुल्कों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रकाशित नहीं करतीं। इन संस्थाओं में बंदरगाह प्राधिकरण या कन्सेशनेयर्स शामिल हैं। हालांकि संरक्षक एक ऐसा अधिकारी होता है जो बंदरगाह प्राधिकरण के नियंत्रण में कार्य करता है। इससे ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है, जब संरक्षक को अपनी सुपरवाइजरी अथॉरिटी पर जुर्माना लगाने का फैसला करना पड़े। इससे यह प्रश्न उठता है कि क्या ऐसी व्यवस्था उपयुक्त है।
प्रवेश और निरीक्षण की शक्तियों के खिलाफ सुरक्षात्मक उपायों की कमी
बिल संरक्षक और स्वास्थ्य अधिकारी को बंदरगाह की सीमा के भीतर जहाजों में प्रवेश और निरीक्षण करने का अधिकार देता है। ऐसे ही प्रावधानों वाले कानून इन कार्रवाइयों के खिलाफ कुछ सुरक्षात्मक उपाय निर्दिष्ट करते हैं। ऐसे सुरक्षात्मक उपाय इस बिल में मौजूद नहीं हैं। उदाहरण के लिए व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य स्थिति संहिता, 2020 और खाद्य सुरक्षा एवं मानक एक्ट, 2006 जैसे कानूनों में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), 2023 के तहत ऐसी कार्रवाइयों के खिलाफ सुरक्षात्मक उपायों का उल्लेख किया गया है।[9],[10] बीएनएसएस में जिन सुरक्षात्मक उपायों का उल्लेख है, वे इस प्रकार हैं: (i) कार्रवाई के कारणों को लिखित रूप में दर्ज करना, (ii) इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से कार्यवाही की रिकॉर्डिंग करना, और (iii) गवाहों की उपस्थिति सुनिश्चित करना।[11] खाद्य सुरक्षा एवं मानक एक्ट, 2006 में यह प्रावधान है कि अगर किसी को तंग करने के लिए तलाशी जैसी कार्रवाई की जाती है, या बिना किसी उचित आधार के सामान को जब्त किया जाता है, तो ऐसा करने वाले को सज़ा दी जाएगी।10
‘मेगा पोर्ट्स’ पर स्पष्टता की कमी
बिल केंद्र सरकार को यह अधिकार देता है कि वह किसी बंदरगाह को ‘मेगा पोर्ट’ के तौर पर अधिसूचित कर सकती है। बिल में कहा गया है कि मेगा पोर्ट के रूप में अधिसूचित बंदरगाहों का संचालन उनके मौजूदा प्रमुख या गैर-प्रमुख बंदरगाह के वर्गीकरण के अनुसार ही होता रहेगा। बिल में मेगा पोर्ट्स के संबंध में कोई और प्रावधान नहीं है। किसी बंदरगाह को प्रमुख या गैर-प्रमुख बंदरगाह के दर्जे के अलावा 'मेगा पोर्ट' के रूप में वर्गीकृत करने का उद्देश्य स्पष्ट नहीं है।
1908 के एक्ट के साथ तुलना
तालिका 2: 1908 के एक्ट और 2025 के बिल के बीच तुलना
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भारतीय पत्तन एक्ट, 1908 |
भारतीय पत्तन बिल, 2025 |
दायरा |
सभी बंदरगाह और बंदरगाहों तक जाने वाली नौगम्य नदियों के हिस्से |
इसमें ऐसे सभी विमान शामिल किए गए हैं, जो पानी पर रहते हुए, बंदरगाह के किसी भी हिस्से का उपयोग कर रहे हैं |
क्षेत्राधिकार |
प्रमुख बंदरगाह: केंद्र सरकार गैर प्रमुख बंदरगाह: राज्य सरकार |
कोई परिवर्तन नहीं |
वैधानिक निकाय |
कोई वैधानिक निकाय नहीं बनाया गया |
समुद्री राज्य विकास परिषद और राज्य समुद्री बोर्ड्स को वैधानिक मान्यता, और राज्य सरकारों को विवाद निवारण समितियां बनानी होंगी |
बंदरगाह का प्रबंधन |
संरक्षक, हार्बर मास्टर, स्वास्थ्य अधिकारी और सरकार द्वारा अधिसूचित अन्य अधिकारी |
सभी बंदरगाह अधिकारियों को बरकरार रखता है। संरक्षक को कुछ उल्लंघनों के लिए दंड का निर्णय करने का भी अधिकार देता है |
बंदरगाह शुल्क निर्धारण |
बड़े बंदरगाह: केंद्र सरकार छोटे बंदरगाह: राज्य सरकार |
प्रमुख बंदरगाह: (i) प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण बोर्ड या (ii) कंपनी के रूप में पंजीकृत बंदरगाह का निदेशक मंडल गैर प्रमुख बंदरगाह: राज्य समुद्री बोर्ड या अधिकृत कन्सेशनेयर्स |
बंदरगाहों के दायित्व |
दायित्व बंदरगाह सुरक्षा, वेसेल के रेगुलेशन और युद्ध काल या आपातकाल में रक्षा युद्धाभ्यास में सहयोग से संबंधित हैं |
इसमें यह भी कहा गया है कि बंदरगाहों को वेस्ट रिसेप्शन सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए, अपशिष्ट प्रबंधन, आपातकालीन तैयारी और आपदा प्रबंधन के लिए योजनाएं बनानी चाहिए; साथ ही उन्हें नाविकों के लिए कल्याणकारी सेवाएं भी प्रदान करनी चाहिए |
प्रदूषण निवारण |
नौवहन के लिए नुकसानदेह बैलास्ट वॉटर, तेल, कचरे आदि को बहाने पर प्रतिबंध लगाता है |
जहाजों से प्रदूषण की रोकथाम के लिए अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन और बैलास्ट वॉटर मैनेजमेंट कन्वेंशन के अनुपालन को जोड़ता है |
स्रोत: भारतीय पत्तन एक्ट. 1908, भारतीय पत्तन बिल, 2025; पीआरएस।
[1]. Annual Report 2022-23, Ministry of Ports, Shipping and Waterways, https://shipmin.gov.in/sites/default/files/Annual%20Report%202022-23%20English.pdf.
[2]. Union List: Entry 27, Constitution of India.
[3]. The Major Ports Authority Act, 2021, https://www.indiacode.nic.in/handle/123456789/16956?view_type=browse.
[4]. Concurrent List: Entry 31, Constitution of India.
[5]. The Indian Ports Act, 1908, https://www.indiacode.nic.in/handle/123456789/2344?view_type=browse.
[6]. Basic Port Statistics of India, 2023-24, Ministry of Ports, Shipping and Waterways, https://www.shipmin.gov.in/sites/default/files/Basic%20port%20Statistics%20of%20India%202023-24%20PDF.pdf.
[7]. Chapter VIII, Bharatiya Vayuyan Adhiniyam, 2024, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/20589/1/A2024-16.pdf.
[8]. Jan Vishwas (Amendment of Provisions) Act, 2023, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2023/248047.pdf.
[9]. Chapter IX, Occupational Safety, Health and Working Code, 2020, https://dgfasli.gov.in/public/Admin/Cms/AllPdf/650059fbb8f1a9.98699174.pdf.
[10]. Chapter VII, The Food Safety and Standards Act, 2006, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/7800/1/200634_food_safety_and_standards_act,_2006.pdf.
[11]. Chapter VII, XIII, The Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023, https://www.indiacode.nic.in/handle/123456789/20099?view_type=browse.
डिस्क्लेमर: प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।