- महामारी रोग (संशोधन) अध्यादेश, 2020 को 22 अप्रैल, 2020 को जारी किया गया। अध्यादेश महामारी रोग एक्ट, 1897 में संशोधन करता है। एक्ट में खतरनाक महामारियों की रोकथाम से संबंधित प्रावधान हैं। अध्यादेश इस एक्ट में संशोधन करता है जिससे महामारियों से जूझने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को संरक्षण प्रदान किया जा सके, तथा ऐसी बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए केंद्र सरकार की शक्तियों में विस्तार करता है। अध्यादेश की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
- परिभाषाएं: अध्यादेश स्वास्थ्य सेवा कर्मियों को ऐसे व्यक्तियों के रूप में परिभाषित करता है जिन पर अपने कर्तव्यों का पालन करने के दौरान महामारियों के संपर्क में आने का जोखिम है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) पब्लिक और क्लिनिकल स्वास्थ्यसेवा प्रदाता जैसे डॉक्टर और नर्स, (ii) ऐसा कोई भी व्यक्ति जिसे एक्ट के अंतर्गत बीमारी के प्रकोप की रोकथाम के लिए सशक्त किया गया है, और (iii) अन्य कोई व्यक्ति जिसे राज्य सरकार ने ऐसा करने के लिए नामित किया है।
- ‘हिंसक कार्य’ में ऐसे कोई भी कार्य शामिल हैं जो स्वास्थ्य सेवा कर्मियों के खिलाफ किए गए हैं: (i) जीवन या काम की स्थितियों को प्रभावित करने वाला उत्पीड़न, (ii) जीवन को नुकसान, चोट, क्षति या खतरा पहुंचाना, (iii) कर्तव्यों का पालन करने में बाधा उत्पन्न करना, और (iv) स्वास्थ्य सेवा कर्मी की संपत्ति या दस्तावेजों को नुकसान या क्षति पहुंचाना। संपत्ति में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) क्लिनिकल इस्टैबलिशमेंट, (ii) क्वारंटाइन केंद्र, (iii) मोबाइल मेडिकल यूनिट, और (iv) ऐसी अन्य संपत्ति जिससे स्वास्थ्य सेवा कर्मी का महामारी से संबंधित कोई प्रत्यक्ष हित जुड़ा हो।
- केंद्र सरकार की शक्तियां: एक्ट निर्दिष्ट करता है कि केंद्र सरकार निम्नलिखित को रेगुलेट कर सकती है: (i) पोर्ट पर आने या जाने वाले किसी भी जहाज या वेसल का निरीक्षण, और (ii) प्रकोप के दौरान पोर्ट से यात्रा का इरादा रखने वाले किसी भी व्यक्ति को रोकना। अध्यादेश केंद्र सरकार की शक्तियों का दायरा बढ़ाता है और उसे लैंड पोर्ट, पोर्ट या एयरोड्रोम से जाने और आने वाली बसों, ट्रेन, गुड्स वेसल, शिप, वेसल या एयरक्राफ्ट के निरीक्षण को रेगुलेट करने का अधिकार देता है। इसके अतिरिक्त केंद्र सरकार इन साधनों से यात्रा का इरादा रखने वाले किसी भी व्यक्ति को रोक सकती है।
- स्वास्थ्य सेवा कर्मी की सुरक्षा और संपत्ति को क्षति: अध्यादेश निर्दिष्ट करता है कि कोई भी व्यक्ति निम्नलिखित नहीं कर सकता: (i) स्वास्थ्य सेवा कर्मी के खिलाफ हिंसक कार्रवाई करना या ऐसा करने के लिए किसी को उकसाना, या (ii) महामारी के दौरान किसी संपत्ति को नुकसान या क्षति पहुंचाना, या ऐसा करने के लिए किसी को उकसाना। इस प्रावधान का उल्लंघन करने पर तीन महीने से लेकर पांच वर्ष तक की कैद या 50,000 रुपए से लेकर दो लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। अदालत की अनुमति से पीड़ित अपराधी को क्षमा कर सकता है। अगर स्वास्थ्य सेवा कर्मी के खिलाफ हिंसक कार्रवाई गंभीर क्षति पहुंचाती है, तो अपराध करने वाले व्यक्ति को छह महीने से लेकर सात वर्ष तक की कैद हो सकती है और एक लाख रुपए से लेकर पांच लाख रुपए तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है। ये अपराध संज्ञेय और गैर जमानती हैं।
- मुआवजा: अध्यादेश के अंतर्गत अपराध के लिए दोषी व्यक्तियों को उन स्वास्थ्य सेवा कर्मियों को मुआवजा चुकाना होगा, जिन्हें क्षति पहुंची है। इस मुआवजे का निर्धारण अदालत द्वारा किया जाएगा। संपत्ति के नुकसान या क्षति की स्थिति में पीड़ित को देय मुआवजा क्षतिग्रस्त संपत्ति के उचित बाजार मूल्य की दोगुना राशि होगा, जैसा कि अदालत द्वारा निर्धारित किया गया है। अगर दोषी व्यक्ति मुआवजा नहीं चुकाता तो यह राशि राजस्व वसूली एक्ट, 1890 के अंतर्गत भूराजस्व के बकाये के रूप में वसूली जाएगी।
- जांच: अध्यादेश के अंतर्गत पंजीकृत मामलों की जांच इंस्पेक्टर रैंक या उससे उच्च रैंक वाले पुलिस अधिकारी द्वारा की जाएगी। फर्स्ट इनफॉरमेशन रिपोर्ट के दर्ज होने की तारीख के 30 दिनों के भीतर जांच पूरी होनी चाहिए।
- ट्रायल: इंक्वायरी या ट्रायल को एक वर्ष के भीतर समाप्त होना चाहिए। अगर ऐसा न किया गया तो न्यायाधीश को विलंब का कारण रिकॉर्ड करना होगा और इस समय सीमा को बढ़ाना होगा। हालांकि यह समय सीमा सिर्फ छह महीने तक बढ़ाई जा सकती है।
- स्वास्थ्य सेवा कर्मी को गंभीर क्षति पहुंचाने वाले व्यक्ति पर मुकदमे के दौरान अदालत यह मानकर चलेगी कि वह व्यक्ति दोषी है, जब तक कि वह व्यक्ति खुद को बेगुनाह साबित नहीं कर देता।
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