मंत्रालय:
कृषि
- कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने 23 दिसंबर, 2015 को राज्यसभा में राजेंद्र केंद्रीय विश्वविद्यालय बिल, 2015 पेश किया। 11 जनवरी, 2016 को यह बिल कृषि संबंधी स्थायी समिति (अध्यक्ष- श्री हुकुमदेव नारायण यादव) को सौंप दिया गया। इस तारीख से तीन महीने के अंदर इसकी रिपोर्ट पेश की जानी है।
- यह बिल बिहार कृषि विश्वविद्यालय एक्ट 1987 के तहत संस्थापित पूसा, बिहार के राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित करता है। यह विश्वविद्यालय कृषि की विभिन्न शाखाओं में शिक्षा प्रदान करेगा।
- उद्देश्यः ‘कारण और उद्देश्य’ के कथन में बिल इस बात को मान्यता देता है कि कृषि देश के पूर्वी क्षेत्र के लिए आजीविका का मुख्य आधार है। हालांकि समुचित उत्पादन तकनीकों के अभाव में उत्पादन स्तर कम रहा है। बिल के अनुसार कृषि शिक्षा और शोध जैसे क्षेत्रों में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए प्रशिक्षित लोगों और अन्य सुविधाओं की जरूरत है। संस्थान को राष्ट्रीय महत्व का दर्जा दिए जाने का उद्देश्य कृषि और संबंधित क्षेत्र में आवश्यक प्रशिक्षित कार्यबल तैयार करना है।
- कार्यः विश्वविद्यालय का लक्ष्य होगाः (i) कृषि और व्यावहारिक विज्ञान में शिक्षण और शोध कार्य, (ii) विद्यार्थियों के शिक्षण का रेगुलेट करना और आवास का निरीक्षण एवं नियंत्रण, (iii) परीक्षाएं लेना और डिग्री, डिप्लोमा और अन्य उपाधियां प्रदान करना, (iv) अन्य विश्वविद्यालयों और संस्थानों से समन्वय सहयोग और (v) प्रवेश के मानदंड और फीस तय करना।
- विश्वविद्यालय के अधिकारीः (i) चांसलर विश्वविद्यालय के प्रमुख होंगे, (ii) वाइस चांसलर विश्वविद्यालय के प्रधान कार्यकारी और शैक्षणिक अधिकारी होंगे तथा कार्यों के निरीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण, (iii) डीन और डायरेक्ट्रर्स, (iv) रजिस्ट्रार, (v) कंट्रोलर और अन्य अधिकारियों के लिए उत्तरदायी होंगे। राष्ट्रपति विश्वविद्यालय के अतिथि होंगे। उन्हें विश्वविद्यालय के वित्त, प्रशासन और बुनियादी ढांचागत सुविधाओं से संबंधित निरीक्षण और जांच का अधिकार होगा।
- प्रबंधन बोर्डः यह बोर्ड विश्वविद्यालय का प्रधान कार्यकारी निकाय होगा। वाइस चांसलर इसके अध्यक्ष होंगे। बोर्ड के पास शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति, वित्त प्रबंधन, विद्यार्थियों और शिक्षकों की शिकायतों का निपटारा तथा फेलोशिप या स्कॉलरशिप शुरू करने का अधिकार होगा।
- शैक्षणिक परिषदः यह परिषद विश्वविद्यालय की शैक्षणिक नीतियों का सामान्य निरीक्षण करेगी। यह शिक्षण, प्रशिक्षण, मूल्यांकन इत्यादि के मानदंड बनाए रखेगी और इनका नियंत्रण एवं रेगुलेशन करेगी। अन्य निकायों में शोध परिषद, वित्त समिति, अध्ययन बोर्ड इत्यादि होंगे।
- चयन समितिः बिल निदेशक, महाविद्यालयों के डीन, कंट्रोलर, रजिस्ट्रार, लाइबेरियन के पदों पर नियुक्तियों में बोर्ड को सिफारिश और सुझाव देने के लिए एक चयन समिति बनाने का प्रावधान करता है।
- वित्तीय प्रावधानः इस विश्वविद्यालय का वित्त पोषण केंद्र द्वारा किया जाएगा। विश्वविद्यालय को वर्ष 2015-16 और 2016-17 के लिए 295 करोड़ रुपये दिए जाएंगे।
यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।