मंत्रालय: 
वित्त
  • वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 5 अप्रैल, 2017 को लोकसभा में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (संशोधन) बिल, 2017 को पेश किया। बिल राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक एक्ट, 1981 में संशोधन का प्रयास करता है।
     
  • 1981 के एक्ट में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की स्थापना का प्रावधान है। नाबार्ड ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और औद्योगिक विकास के लिए ऋण जैसी सुविधाएं प्रदान करने और उन्हें रेगुलेट करने के लिए जिम्मेदार है।
     
  • नाबार्ड की पूंजी में बढ़ोतरी: 1981 के एक्ट के तहत नाबार्ड की पूंजी 100 करोड़ रुपए हो सकती है। इसे केंद्र सरकार द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की सलाह से 5,000 करोड़ तक बढ़ाया जा सकता है।
     
  • बिल केंद्र सरकार को इस पूंजी को 30,000 करोड़ रुपए तक बढ़ाने की अनुमति देता है। अगर जरूरी हो तो इसे केंद्र सरकार द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की सलाह से 30,000 करोड़ से अधिक किया जा सकता है।
     
  • केंद्र सरकार को आरबीआई के हिस्से का हस्तांतरण : 1981 के एक्ट के तहत केंद्र सरकार और आरबीआई, दोनों के पास नाबार्ड की शेयर पूंजी का कम से कम 51% हिस्सा होना चाहिए। बिल कहता है कि केंद्र सरकार के पास अकेले नाबार्ड की शेयर पूंजी का कम से कम 51% हिस्सा होना चाहिए। बिल आरबीआई की शेयर पूंजी को केंद्र सरकार को हस्तांतरित करता है और उसका मूल्य 20 करोड़ रुपए तय करता है। केंद्र सरकार आरबीआई को इतनी राशि देगा।
     
  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) : बिल ‘लघु स्तर के उद्योग’ और ‘छोटे और विकेंद्रित क्षेत्र में उद्योग’ जैसे शब्दों को ‘सूक्ष्म उद्यम’, ‘लघु उद्यम’ और ‘मध्यम उद्यम’ जैसे शब्दों से बदलता है, जैसा कि एमएसएमई विकास एक्ट, 2006 में पारिभाषित है। 1981 के एक्ट के तहत नाबार्ड 20 लाख रुपए के निवेश वाले उद्योगों को मशीनरी और संयंत्रों के लिए ऋण और दूसरी सुविधाएं देता है। संशोधन बिल इसमें मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में 10 करोड़ रुपए तक के और सेवा क्षेत्र में पांच करोड़ रुपए तक के निवेश वाले उद्यमों को शामिल करता है।
     
  • 1981 के एक्ट के तहत लघु उद्यमों के विशेषज्ञों को नाबार्ड के निदेशक बोर्ड और सलाहकार परिषद में शामिल किया जाता है। इसके अतिरिक्त लघु स्तरीय, छोटे और विकेंद्रित क्षेत्रों को ऋण देने वाले बैंक नाबार्ड से वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकते हैं। बिल इन प्रावधानों में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को शामिल करता है।
     
  • कंपनी एक्ट, 2013 के साथ तालमेल : नाबार्ड एक्ट, 1981 में कंपनी एक्ट, 1956 के प्रावधानों का संदर्भ लिया गया है। बिल इन्हें कंपनी एक्ट, 2013 के प्रावधानों से बदलता है। ये प्रावधान निम्नलिखित से संबंधित हैं : (i) सरकारी कंपनी की परिभाषा, और (ii) ऑडिटर्स की क्वालिफिकेशंस।

 

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