मंत्रालय: 
गृह मामले

 

  • "त्रिभुवन" सहकारी विश्वविद्यालय बिल, 2025 को 3 फरवरी, 2025 को लोकसभा में पेश किया गया। बिल में ग्रामीण प्रबंधन संस्थान, आणंद, गुजरात (आईआरएमए) को "त्रिभुवन" सहकारी विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित करने का प्रावधान है। वर्तमान में आईआरएमए एक सोसायटी के रूप में पंजीकृत है।
  • विश्वविद्यालय के उद्देश्य: विश्वविद्यालय सहकारी क्षेत्र में शिक्षा एवं प्रशिक्षण प्रदान करेगा और क्षमता निर्माण करेगा। साथ ही संबंधित क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास गतिविधियां संचालित करेगा। यह डिग्री प्रोग्राम, दूरस्थ शिक्षा और ई-लर्निंग पाठ्यक्रम पेश करेगा और सहकारी क्षेत्र में उत्कृष्टता केंद्र विकसित करेगा। यह भारत में या भारत के बाहर किसी अन्य स्थान पर दूरस्थ परिसर या संबद्ध संस्थान स्थापित कर सकता है।
  • आईआरएमए की स्थिति: आईआरएमए विश्वविद्यालय के स्कूलों में से एक बन जाएगा। बिल में कहा गया है कि आईआरएमए की स्वायत्त पहचान विश्वविद्यालय की संस्थागत संरचना के भीतर संरक्षित की जाएगी। आईआरएमए की प्रशासनिक और शैक्षणिक स्वायत्तता केंद्र सरकार द्वारा निर्दिष्ट संरचना के अधीन होगी। आईआरएमए का अपना कार्यकारी बोर्ड और एक निदेशक होगा। आईआरएमए के कर्मचारी विश्वविद्यालय के कर्मचारी बन जाएंगे, उनके रोजगार के नियमों और शर्तों में कोई बदलाव नहीं होगा। आईआरएमए में संचालित शैक्षणिक प्रोग्राम्स और पाठ्यक्रमों में कोई भी संशोधन केवल आईआरएमए के कार्यकारी बोर्ड की सहमति से ही किया जा सकता है। बिल आईआरएमए को ग्रामीण प्रबंधन के लिए उत्कृष्टता केंद्र भी घोषित करता है।
  • विश्वविद्यालय का गवर्नेंस: विश्वविद्यालय में एक वाइस-चांसलर होगा, जो विश्वविद्यालय का प्रमुख कार्यकारी और शैक्षणिक अधिकारी होगा। वाइस-चांसलर की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा तीन वर्ष की अवधि के लिए की जाएगी, और वह अगले दो वर्षों के लिए पुनःनियुक्ति का पात्र होगा। वाइस-चांसलर कार्यकारी परिषद का नेतृत्व करेगा जो विश्वविद्यालय का प्रमुख कार्यकारी निकाय होगा। केंद्र सरकार परिषद के गठन, उसकी शक्तियों और कार्यों तथा उसके सदस्यों के कार्यकाल की शर्तों को निर्दिष्ट करेगी।
  • विश्वविद्यालय में एक गवर्निंग बोर्ड होगा जिसके प्रमुख कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) विश्वविद्यालय की व्यापक नीतियों और प्रोग्राम्स की समीक्षा करना, और (ii) उसकी विभिन्न प्रशासनिक परिषदों में सदस्यों को नियुक्त करना। चांसलर बोर्ड का अध्यक्ष होगा, जो प्रतिष्ठित व्यक्ति होगा और केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाएगा। चांसलर का कार्यकाल पांच वर्ष का होगा। गवर्निंग बोर्ड के अन्य सदस्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) वाइस-चांसलर, (ii) सहकारिता मंत्रालय के सचिव, (iii) सहकारी क्षेत्र से संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों के चार सचिव, (iv) नाबार्ड, राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड और राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड जैसे बोर्ड्स के प्रमुख, (v) सहकारी समितियों के क्षेत्र में चार प्रतिष्ठित व्यक्ति।
  • संबद्धता और मान्यता के लिए बोर्ड: संस्थानों को प्रवेश देने या संबद्ध करने के लिए विश्वविद्यालय में एक संबद्धता और मान्यता बोर्ड होगा। वाइस-चांसलर इस बोर्ड का अध्यक्ष होगा।

 

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