लेजिसलेटिव ब्रीफ

रेलवे (संशोधन) बिल, 2024

बिल की मुख्‍य विशेषताएं

  • रेलवे बोर्ड एक्ट, 1905 के तहत रेलवे के संबंध में केंद्र सरकार की शक्तियों और कार्य रेलवे बोर्ड में निहित हैं। बिल 1905 के एक्ट को निरस्त करता है और इसके प्रावधानों को रेलवे एक्ट, 1989 में शामिल करता है।

प्रमुख मुद्दे और विश्‍लेषण

  • बिल भारतीय रेलवे के मौजूदा संगठनात्मक ढांचे को बरकरार रखता है। विशेषज्ञों ने रेलवे के कामकाज को सुधारने के लिए विभिन्न उपाय करने का प्रस्ताव रखा है, जैसे रेलवे का निगमीकरण, स्वतंत्र रेगुलेटर का गठन और उसके जोन्स को अधिक स्वायत्तता प्रदान करना। रेलवे की वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए भी कई सुझाव दिए गए हैं, जैसे एकाउंटिग के तरीके को बदलना, यात्री किराए को सुसंगठित करना, फ्रेट बास्केट में सुधार करना, और निजी भागीदारी के जरिए राजस्व बढ़ाना।

भाग क : बिल की मुख्य विशेषताएं

संदर्भ

रेलवे एक्ट, 1989 में भारतीय रेलवे के कामकाज और प्रशासन के विभिन्न पहलुओं को रेगुलेट किया गया है।[1]  प्रशासनिक सुविधा के लिए इस एक्ट में रेलवे को जोन्स में संगठित करने का प्रावधान है।1 भारतीय रेलवे बोर्ड एक्ट, 1905 में रेलवे बोर्ड को एक केंद्रीय अथॉरिटी के रूप में गठित किया गया था जोकि भारतीय रेलवे को प्रशासित करेगा।[2]  केंद्र सरकार रेलवे के संबंध में अपनी शक्तियों और कामकाज को बोर्ड के जरिए उपयोग कर सकती है।

रेलवे (संशोधन) बिल, 2024 को लोकसभा में 9 अगस्त, 2024 को पेश किया गया। यह बिल 1905 के एक्ट को निरस्त करता है और रेलवे बोर्ड से संबंधित उसके प्रावधानों को 1989 के एक्ट में शामिल करता है। बिल के उद्देश्यों और कारणों के कथन में कहा गया है कि इससे कानूनी संरचना आसान होगी और दो कानूनों का संदर्भ लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। रेलवे बिल, 1986 (जो 1989 का एक्ट बना) की समीक्षा करते हुए ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमिटी ने सुझाव दिया था कि 1905 के एक्ट को 1986 के बिल में शामिल कर दिया जाना चाहिए।[3]

मुख्य विशेषताएं

  • रेलवे बोर्ड का गठन: 1905 के एक्ट में प्रावधान है कि केंद्र सरकार रेलवे से संबंधित सरकार की शक्तियों और कामकाज को रेलवे बोर्ड में निहित कर सकती है। यह एक अधिसूचना के माध्यम से किया जा सकता है। बिल 1905 के एक्ट को निरस्त करता है और इन प्रावधानों को 1989 के एक्ट में शामिल करता है। बिल में यह भी जोड़ा गया है कि केंद्र सरकार निम्नलिखित निर्धारित करेगी: (i) बोर्ड के सदस्यों की संख्या, और (ii) अध्यक्ष और बोर्ड के सदस्यों की क्वालिफिकेशन, अनुभव और सेवा की शर्तें तथा नियुक्ति का तरीका। 

भाग ख: मुख्य मुद्दे और विश्लेषण

रेलवे के कामकाज में सुधार

भारतीय रेलवे केंद्र सरकार का विभागीय उपक्रम है और इस पर सरकार का एकाधिकार है। रेलवे बोर्ड के पास रेलवे से संबंधित नीति निर्माण, परिचालन और रेगुलेशन की शक्तियां हैं।[4] निर्णय लेने का काम व्यापक रूप से बोर्ड द्वारा किया जाता है, और जोन्स के पास बजटीय नियंत्रण, इंफ्रास्ट्रक्चर वर्क्स को मंजूरी और कर्मचारियों की भर्ती के संबंध में सीमित स्वायत्तता है।[5],6 बिल में रेलवे के प्रशासन के मौजूदा ढांचे को बरकरार रखा गया है। पिछले कुछ वर्षो में कई एक्सपर्ट कमिटीज़ ने रेलवे के कामकाज को सुधारने के लिए विभिन्न उपाय सुझाए हैं। इनमें संगठनात्मक संरचना में बदलाव भी शामिल है।[6],[7],[8],[9],[10],[11],[12],[13]

 

भारतीय रेलवे की संकल्पना एक ऐसे सरकारी वाणिज्यिक उपक्रम के रूप में की गई थी जिसकी अतिरिक्त सामाजिक जिम्मेदारी यह होगी कि वह परिवहन सेवाओं को लोगों के लिए सुविधाजनक और किफायती बनाए।[14] पिछले कुछ वर्षों में रेलवे ने निम्नलिखित चुनौतियों का लगातार सामना किया, जैसे (i) वेतन और पेंशन पर काफी अधिक व्यय के कारण उच्च परिचालन लागत (ऑपरेशनल कॉस्ट्स), (ii) कम मूल्य निर्धारण (अंडर प्राइजिंग) के कारण यात्री कारोबार में निरंतर घाटा, (iii) अधिशेष उत्पन्न न होने और सीमित निजी भागीदारी के कारण क्षमता बढ़ाने (इंफ्रास्ट्रक्चर विकास) पर कम निवेश, और (iv) नेटवर्क की भीड़भाड़ और यात्री सेवाओं के लिए क्रॉस-सबसिडी के कारण फ्रेट प्रतिस्पर्धा का कम होना। तालिका 1 में इन मुद्दों से निपटने के लिए एक्सपर्ट कमिटीज़ के मुख्य सुझावों को सूचीबद्ध किया गया है।

तालिका 1: रेलवे के सुधार के लिए विभिन्न कमिटीज़ के सुझाव

मानदंड

सुझाव

रेलवे क्षेत्र के लिए रेगुलेटरी ढांचा

  • शुल्क निर्धारित करने, प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करने और उपभोक्ता हितों की रक्षा करने के लिए स्वतंत्र रेगुलेटर का गठन6,7,9

भारतीय रेलवे का संगठनात्मक ढांचा

  • भारतीय रेलवे का निगमीकरण6,9
  • रेलवे बोर्ड को इस तरह पुनर्गठित किया जाए कि उसकी संरचना कॉरपोरेट बिजनेस जैसी हो7,9
  • रेलवे बोर्ड की कल्पना सिर्फ नीति निर्माता के तौर पर की जाए6,9
  • जोन्स को पूर्ण वित्तीय स्वायत्तता दी जाए6,7,9,10

परिचालन

  • रेलवे के प्रमुख और गैर प्रमुख कामकाज (अस्पताल, स्कूल, केटरिंग और सुरक्षा) को अलग-अलग करना6,9 
  • रेलवे के कुछ कामकाज में निजी भागीदारी की अनुमति6,7,8,9,10,13

वित्त

  • सामाजिक बाध्यता और वाणिज्यिक व्यापार की भूमिकाओं को स्पष्ट परिभाषित करना6,9,12
  • जोन और रूट के आधार पर लाभ और हानि के विवरणों को प्रदर्शित करने के लिए एकाउंटिंग की प्रक्रिया को पुनर्गठित करना6,7,9
  • निम्नलिखित में निजी भागीदारी को आकर्षित करने के लिए पीपीपी मॉडल को विकसित करना: (i) स्टेशन/टर्मिनल्स को विकसित और उनका रखरखाव करना, (ii) वैगन्स की लीजिंग, (iii) फ्रेट ट्रेन ऑपरेशंस, (iv) रोलिंग स्टॉक की मैन्यूफैक्चरिंग, और (v) गैर प्रमुख व्यापारिक कामकाज करना6,9,10,13
  • रेलवे के एसेट्स का मुद्रीकरण9,10
  • यात्री शुल्क को सुसंगठित करना6,9,11

स्रोत: भारतीय रेलवे रिपोर्ट, 2001 (चेयर: डॉ. राकेश मोहन); रेलवे के आधुनिकीकरण पर एक्सपर्ट ग्रुप, 2012 (चेयर: श्री सैम पित्रोदा); भारतीय परिवहन रिपोर्ट, राष्ट्रीय परिवहन विकास नीति समिति (2014); प्रमुख रेलवे परियोजनाओं के लिए संसाधन जुटाने और रेलवे मंत्रालय एवं रेलवे बोर्ड के पुनर्गठन पर समिति, 2015 (चेयर: श्री बिबेक देबरॉय); रेलवे के रचनात्मक वित्त पोषण पर समिति, 2014 (चेयर: श्री मंटोक सिंह आहलूवालिया); पीआरएस।

रेलवे क्षेत्र के लिए स्वतंत्र रेगुलेटर की जरूरत

रेलवे ने कई सेगमेंट्स में निजी भागीदारी को बढ़ाने का प्रयास किया है।[15],[16]  इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) वैगन में निवेश, (ii) स्टेशन और टर्मिनल पर कामकाज, और (iii) कंटेनर ट्रेन्स के साथ-साथ फ्रेट ट्रेन चलाना।6,15,16  इन उपायों का उद्देश्य निवेश को आकर्षित करना, कामकाज में कुशलता को बढ़ाना और सेवा मानकों में सुधार करना है।रेलवे पुनर्गठन संबंधी कमिटी (2015) ने कहा था कि निजी क्षेत्र की भागीदारी सीमित है।उसने कहा था कि परिचालन में रेलवे के एकाधिकार से निजी भागीदारी हतोत्साहित होती है। जुलाई 2020 में रेलवे ने 12 क्लस्टर्स में 151 यात्री ट्रेनों के परिचालन में निजी भागीदारी को आमंत्रित किया।[17]  हालांकि नौ क्लस्टर्स के लिए कोई बोली प्राप्त नहीं हुई।17

स्टेकहोल्डर्स के हितों की रक्षा और प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए रेलवे पुनर्गठन संबंधी समिति (2015) ने स्वतंत्र रेगुलेटर के गठन का सुझाव दिया। उसके पास विभिन्न पहलुओं को रेगुलेट करने की शक्तियां होंगी, जैसे (i) शुल्क, (ii) सुरक्षा, (iii) निजी ऑपरेटर्स के लिए रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर तक पहुंच, और (iv) तकनीकी और सेवा मानक।दूरसंचार, बिजली, बीमा और हवाई अड्डा जैसे क्षेत्रों के लिए कानून के जरिए स्वतंत्र रेगुलेटर्स की स्थापना की गई है। इन क्षेत्र में 1991 से निजी क्षेत्र की भागीदारी की अनुमति है।[18],[19],[20],[21]

मई 2017 में केंद्रीय कैबिनेट ने रेलवे विकास अथॉरिटी (आरडीए) के गठन को मंजूरी दी थी।[22]  आरडीए मंत्रालय को निम्नलिखित पर विशेषज्ञ सलाह प्रदान करेगा: (i) सेवाओं का मूल्य निर्धारण, (ii) गैर शुल्क राजस्व बढ़ाने के उपाय, (iii) रेल क्षेत्र में मार्केट विकास और स्टेकहोल्डर्स की भागीदारी को प्रोत्साहित करना, ताकि उनके साथ निष्पक्ष सौदा सुनिश्चित हो, (iv) उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना, और (v) अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार सेवा मानकों की बेंचमार्किंग करना।22  ये अथॉरिटी अभी बनाई जानी है।

जोन्स को स्वायत्तता 

रेलवे एक्ट के तहत रेलवे जोन्स अपने क्षेत्राधिकार में आने वाली रेलवे के परिचालन, शेड्यूलिंग और रखरखाव के लिए जिम्मेदार हैं।रेलवे बोर्ड और जोन्स के बीच शक्तियों का बंटवारा इस प्रकार है कि जोन्स के पास बजटिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर वर्क्स के लिए वित्त पोषण को मंजूरी और कर्मचारियों की भर्ती के मामलों में सीमित स्वायत्तता है।5,6  कई समितियां यह प्रस्ताव दे चुकी हैं कि जोन्स के स्तर पर अधिक शक्तियां सौंपी जाएं।6,7,10 

श्रीधरन समिति (2014) ने सुझाव दिया था कि जोन्स को वित्तीय शक्तियां सौंपने की जरूरत है।इससे उन्हें बोर्ड से संपर्क किए बिना परियोजनाओं के टेंडर पर फैसले लेने की स्वायत्तता मिलेगी।रेलवे पुनर्गठन संबंधी समिति (2015) ने भी कहा था कि जोन्स को स्वतंत्र रूप से फैसले लेने की अनुमति दी जानी चाहिए। उसने कहा था कि इससे जोन्स के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित होगी और वे अपने परिवहन आउटपुट और लाभपरकता के प्रति जवाबदेह बनेंगे।6 एक बार जोन्स को स्वायत्तता मिल जाए तो रेलवे बोर्ड किसी कंपनी के कॉरपोरेट बोर्ड की तरह काम कर सकता है जो नीतिगत फैसले करता है।6

वित्तीय स्थिति में सुधार

यात्री सेगमेंट के लिए मूल्य निर्धारण: रेलवे के यात्री सेगमेंट में पिछले कई वर्षों से निरंतर घाटा दर्ज किया जा रहा है।[23]  इसका मुख्य कारण यह है कि रेलवे अपने यात्री सेगमेंट को लागत से कम कीमत पर संचालित करता है।6,12 इन घाटों को सामाजिक सेवा बाध्यताओं के तौर पर वर्गीकृत किया जाता है।12  रेलवे पुनर्गठन संबंधी समिति (2015) ने कहा था कि यात्री कारोबार करने की लागत की गणना के तरीके अवैज्ञानिक या अनुचित हैं।6 नीति आयोग (2016) ने सुझाव दिया था कि रेलवे को लागत प्रतिपूर्ति के लिए मौजूदा बाजार दरों के अनुसार किराया वसूलना चाहिए।12 राकेश मोहन समिति (2001) और अनिल काकोडकर समिति (2012) ने भी यात्री किराए को सुसंगठित करने का सुझाव दिया था।9,11 

फ्रेट परिवहन के हिस्से में सुधार: रेलवे की फ्रेट बास्केट में थोक वस्तुओं का प्रभुत्व है, जैसे कोयला, आयरन और स्टील। विशेषज्ञों का कहना है कि रेलवे में रीटेल और फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) की ढुलाई की ऐसी क्षमता है जिसका अब तक दोहन नहीं किया गया है।[24] फिर भी रेलवे का फ्रेट-मिक्स अब भी व्यापक रूप से बदला नहीं है, और एफएमसीजी को मुख्यतया सड़क मार्ग से ले जाया जाता है।24  रेलवे फ्रेट का शुल्क भी प्रतिस्पर्धी नहीं है क्योंकि वे यात्री सेगमेंट के घाटों को क्रॉस-सबसिडाइज़ करते हैं।24  फ्रेट ट्रेन भी निम्न औसत गति से चलती हैं, क्योंकि मुख्य रेल रूट्स पर 100% से अधिक क्षमता उपयोग दर्ज किया जाता है, जिससे पता चलता है कि नेटवर्क पर काफी भीड़भाड़ है।[25] आमतौर पर मालगाड़ियों के 75 किमी प्रति घंटे की औसत गति से चलने की उम्मीद की जाती है।24 2020 और 2021 में मालगाड़ियों की औसत गति क्रमशः 40.6 और 36.5 किमी प्रति घंटे थी।[26] 

फ्रेट परिवहन की कार्य कुशलता बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय रेल योजना (2020) ने कई उपाय सुझाए जैसे डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर बनाना, रेलवे लाइनों की मल्टी-लेनिंग और एकीकृत फ्रेट टर्मिनल्स का विकास।[27] योजना के अनुसार, 2026 तक रेलवे फ्रेट ट्रेन्स की औसत गति 50 किमी प्रति घंटा कर सकेगा।25  योजना में कहा गया है कि रेलवे का आंतरिक राजस्व अधिशेष योजना को वित्त पोषित करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा और यह कि इसके लिए कई दूसरे तरीकों से वित्त पोषण करना होगा, जैसे केंद्र सरकार से बजटीय सहयोग, बाजार उधारी और सार्वजनिक-निजी भागीदारी।25

बिजली जैसे दूसरे क्षेत्रों के कानून सेगमेंट्स में क्रॉस-सबसिडी को सीमित करने का प्रयास करते हैं। बिजली एक्ट, 2003 में रेगुलेटर्स से अपेक्षित है कि वे क्रॉस-सबसिडी को धीरे-धीरे कम करें और शुल्क को आपूर्ति की लागत के अनुरूप बनाएं।[28] 

पूंजीगत व्यय का वित्त पोषण: 2017-18 के बाद से रेलवे के आंतरिक राजस्व ने उसके कुल पूंजीगत व्यय का 5% से भी कम वित्त पोषित किया है। एक प्रमुख कारण उच्च स्तर का प्रतिबद्ध व्यय हो सकता है। रेलवे का लगभग 70% राजस्व वेतन और पेंशन पर खर्च होता है।

पिछले कुछ वर्षों में रेलवे ने अतिरिक्त बजटीय संसाधनों के माध्यम से निवेश बढ़ाया है जिसमें सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से उधार और निवेश शामिल है।23 हालांकि उधार पर निर्भरता ने ब्याज का बोझ बढ़ा दिया है (2024-25 में राजस्व प्राप्तियों का लगभग 8%)। हाल के वर्षों में सरकार की ओर से बजटीय सहायता में वृद्धि से अतिरिक्त बजटीय संसाधनों पर निर्भरता कम करने में मदद मिली है (रेखाचित्र 2)।

रेखाचित्र 1: रेलवे के पूंजीगत व्यय का वित्त पोषण

नोट: BE: बजटीय अनुमान; RE: संशोधित अनुमान।
स्रोत: एक्सपेंडिचर प्रोफाइल, रेलवे स्टेटमेंट, यूनियन बजट डॉक्यूमेंट्स, 2014-15 से 2024-25; पीआरएस।


[3]. Report of the Joint Parliamentary Committee on the Railways Bill, 1986, February 1989, https://eparlib.nic.in/bitstream/123456789/757601/1/jcb_08_1989_railways_bill.pdf#search=railways.

[5]. No. 2021/F(X)II/PW3, Delegation of Powers to General Managers, Railway Board, September 21, 2021, https://pbtpj.in/circularsuploads/1981.pdf.

[6]. Report of the Committee for Mobilisation of Resources for Major Railway Projects and Restructuring of Railway Ministry and Railway Board, Ministry of Railways, June 2015, http://www.indianrailways.gov.in/railwayboard/uploads/directorate/HLSRC/FINAL_FILE_Final.pdf.

[7]. “India Transport Report: Moving India to 2032: Volume II, National Transport Development Policy Committee 2013, June 17, 2014, https://logistics.gov.in/media/42bjzvcx/india-transport-report-moving-india-to-2032-national-transport-development-policy-committee.pdf.

[8]. ‘Improving Rail Efficiency and Share in India’s Freight Transport’, NITI Aayog, https://www.niti.gov.in/sites/default/files/2023-03/Efficiency%20and%20competitiveness%20of%20Indian%20Railways.pdf.

[9]. The Indian Railway Report, 2001, Expert Group on Indian Railways, http://rakeshmohan.com/docs/Railway_Report.pdf.

[10]. Report of the Expert Group for Modernisation of Indian Railways, Ministry of Railways, February 25, 2012, http://www.indianrailways.gov.in/railwayboard/uploads/directorate/infra/downloads/Main_Report_Vol_I.pdf.

[11]. Report of High-Level Safety Review Committee (2012), Indian Railways, https://indianrailways.gov.in/FINAL-BOOK-HLSRC%20latest.pdf.

[12]. Reviewing the Impact of “Social Service Obligations” by Indian Railways, NITI Aayog, 2016, http://164.100.94.191/niti/writereaddata/files/document_publication/Social-Costs.pdf.

[14]. “Evolution – About Indian Railways”, Website of Ministry of Railways, last accessed on February 10, 2023, http://www.indianrailways.gov.in/railwayboard/view_section.jsp?lang=0&id=0,1,261.

[15]. Policies for Private Investment in Railways, Press Information Bureau, Ministry of Railways, December 6, 2012, https://pib.gov.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=90035.

[16]. Public-Private partnership mode to facilitate faster development of Indian Railways network, manufacturing of rolling stocks and delivery of passenger and freight services, Press Information Bureau, Ministry of Railways, July 23, 2021, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1738177.

[17]. Statement on Implementation of Budget Announcements of 2021-22, Union Budget 2022-23, https://www.indiabudget.gov.in/budget2022-23/doc/impbud2021-22.pdf.

[18]. Section 3, The Telecom Regulatory Authority of India Act, 1997, https://trai.gov.in/sites/default/files/The_TRAI_Act_1997.pdf.

[19]. Section 3, The Electricity Regulatory Commissions Act, 1998, https://cercind.gov.in/electregucommiact1998.pdf.

[20]. Section 3, The Insurance Regulatory and Development Authority Act, 1999, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/1893/1/A1999_41.pdf.

[21]. Section 3, The Airports Economic Regulatory Authority of India Act, 2008, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/2090/1/A2008-27.pdf.

[22]. Setting up of Railway Development Authority, Press Information Bureau, Ministry of Railways, March 13, 2020, https://pib.gov.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=200226.

[23]. Report No. 13, Railway Finances for the year ended 2022, Comptroller and Auditor General of India, August 8, 2023, https://cag.gov.in/rly/new-delhi-ii/en/audit-report/download/119077.

[24]. ‘Improving Rail Efficiency and Share in India’s Freight Transport’, NITI Aayog, 2023, https://www.niti.gov.in/sites/default/files/2023-03/Efficiency%20and%20competitiveness%20of%20Indian%20Railways.pdf

[27]. Dedicated Freight Corridor Projects, Press Information Bureau, Ministry of Railways, February 9, 2024, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2004494.

[28]. Section 61, The Electricity Act, 2003, https://cercind.gov.in/Act-with-amendment.pdf.

 

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