युवा मामले और खेल मंत्रालय देश में खेल संबंधी सुविधाएं विकसित करने और खेल प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने के लिए जिम्मेदार है। इन जिम्मेदारियों में अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में कायम रहने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना और क्षमता निर्माण करना शामिल है। इसके दो विभाग हैं : (i) युवा मामलों से संबंधित विभाग, और (ii) खेल विभाग।  

इस नोट में युवा मामले और खेल मंत्रालय के व्यय की प्रवृत्तियों और मंत्रालय से संबंधित कुछ मुद्दों पर चर्चा की गई है।

वित्तीय विवरण

युवा मामले और खेल मंत्रालय के लिए 2018-19 में 2,196 करोड़ रुपए का आबंटन किया गया है (देखें तालिका 1)। यह 2017-18 के संशोधित अनुमानों (1,938 करोड़ रुपए) से 13% अधिक है। 

तालिका 1: युवा मामले और खेल मंत्रालय के लिए बजट आबंटन (करोड़ रुपए में)

मदें

वास्तविक 2016-17

संअ 2017-18

बअ 2018-19

% परिवर्तन (संअ से बअ)

खेलो इंडिया

159

443

576

30%

भारतीय स्पोर्ट्स प्राधिकरण

438

496

430

-13%

राष्ट्रीय खेल परिसंघों को सहायता

359

302

342

13%

नेहरू युवा केंद्र संगठन

215

226

255

13%

राष्ट्रीय युवा सशक्तीकरण कार्यक्रम

98

124

153

23%

अन्य

305

348

441

27%

कुल

1,574

1,938

2,196

13%

Note: BE Budget Estimate; RE Revised Estimates

Sources: Demand No. 100, Ministry of Youth Affairs and Sports, Union Budget 2018-19, PRS.

  • मंत्रालय के अंतर्गत खेलो इंडिया और स्वायत्त निकायों (भारतीय खेल प्राधिकरण और राष्ट्रीय खेल परिसंघों) के लिए सबसे अधिक आबंटन किया गया है। ये खेल विभाग के अंतर्गत आते हैं। मंत्रालय के कुल आबंटन में से 62% खेलो इंडिया, भारतीय खेल प्राधिकरण और राष्ट्रीय खेल परिसंघों के लिए किया गया है (देखें रेखाचित्र 1)। हालांकि इसमें 2017-18 के 430 करोड़ रुपए के संशोधित अनुमान की तुलना में गिरावट है।

रेखाचित्र 1: युवा मामले और खेल मंत्रालय के अंतर्गत आबंटित मुख्य व्यय (2018-19) (% में)

SourceExpenditure Budget Vol- II, Union Budget 2018-19; PRS.

  • खेलो इंडिया कार्यक्रम के निम्नलिखित लक्ष्य हैं : (i) खेल प्रतिभाओं को चिन्हित और विकसित करना, (ii) वार्षिक खेल प्रतियोगिताओं में युवाओं की सामूहिक भागीदारी को प्रोत्साहित करना, और (iii) खेल के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना।
  • राष्ट्रीय खेल परिसंघ (एनएसएफज़) कंपनीज़ या सोसायटीज़ एक्ट के अंतर्गत पंजीकृत स्वायत्त निकाय हैं। ये देश में खेल से संबंधित विषयों को बढ़ावा देती हैं और उन्हें विकसित करती हैं जिनके लिए वे संबंधित अंतरराष्ट्रीय परिसंघों द्वारा मान्यता प्राप्त हैं। वर्तमान में भारत में 54 एनएसएफज़ हैं।
  • भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) खेलों में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय स्तर की नोडल एजेंसी है। इसके अतिरिक्त साई खिलाड़ियों को चिन्हित करने, उन्हें प्रशिक्षण और कोचिंग देने तथा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में एनएसएफज़ को सहयोग प्रदान करती है।
  • युवा मामलों से संबंधित विभाग के अंतर्गत नेहरू युवा केंद्र संगठन और राष्ट्रीय युवा सशक्तीकरण कार्यक्रम के लिए इस वर्ष सबसे अधिक आबंटन किया गया है जोकि क्रमशः 255 करोड़ रुपए और 153 करोड़ रुपए है।

वित्तीय आबंटन से संबंधित मुद्दे

मंत्रालय के बजटीय आबंटन के संबंध में, मानव संसाधन विकास संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2016-17) ने कहा कि कई वर्षों से अनुमानित मांग की तुलना में आबंटन काफी कम रहा है।[1],[2],[3]  उदाहरण के लिए 2016-17 में नेहरू युवा केंद्र संगठन की अनुमानित मांग 864 करोड़ रुपए थी। इस मांग के विपरीत 2016-17 का आबंटित बजट अनुमान 205 करोड़ रुपए था। इसके अतिरिक्त ऐसे आबंटन संशोधित अनुमान के चरण में कम कर दिए गए। उदाहरण के लिए वित्त मंत्रालय ने युवा मामलों से संबंधित विभाग के लिए 2016-17 में 596 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया लेकिन संशोधित अनुमान के चरण में इसे कम करके 530 करोड़ रुपए कर दिया।[4]  

रेखाचित्र 2: युवा मामले और खेल मंत्रालय के आबंटन (2007-17) (करोड़ रुपए में)

Note: Revised estimates have been used for 2017-18 and budget estimates for 2018-19.

Sources: Union Budgets, 2008-18; PRS.

अनुमानित मांग की तुलना में कम आबंटन के बावजूद वास्तविक व्यय के लिहाज से देखा जाए तो फंड्स का उपयोग वर्ष दर वर्ष लगातार अधिक रहा।3  उदाहरण के लिए पिछले तीन वर्षों के दौरान उपयोग 90% से अधिक रहा, यहां तक 2017-18 में इसने 100% की दर छू ली थी (देखें तालिका 2)। हालांकि 2014-15 में उपयोग 60% से अधिक था। रेखाचित्र 2 में वास्तविक आबंटन और इन आबंटनों में वर्ष दर वर्ष होने वाले परिवर्तन को प्रदर्शित किया गया है। पिछले तीन वर्षों के दौरान वास्तविक आबंटन में होने वाले परिवर्तन में 10% से 30% के बीच उतार-चढ़ाव रहा है। 

तालिका 2: बजट अनुमान और वास्तविक व्यय के बीच तुलना (2007-17) (करोड़ रुपए में)

वर्ष

बअ

वास्तविक

वास्तविक/बअ

2007-08

780

857

110%

2008-09

1,112

1,593

143%

2009-10

3,073

3,670

119%

2010-11

3,565

2,841

80%

2011-12

1,121

970

87%

2012-13

1,152

871

76%

2013-14

1,219

1,123

92%

2014-15

1,769

1,121

63%

2015-16

1,541

1,423

92%

2016-17

1,592

1,574

99%

2017-18

1,943

1,938*

100%

Note: B.E.: Budget Estimates; *Revised Estimate.

Sources: Union Budgets, 2015-18; PRS.

 

वित्त मंत्रालय ने 9 सितंबर, 2016 को इंफ्रास्ट्रक्चर उप-क्षेत्रों की हारमोनाइज्ड मास्टर लिस्ट में खेल इंफ्रास्ट्रक्चर को शामिल किया।[5]  इस लिस्ट में पांच प्रमुख क्षेत्र आते हैं : (i) परिवहन,  (ii) ऊर्जा, (iii) जल और स्वच्छता, (iv) संचार और (v) सामाजिक और कमर्शियल इंफ्रास्ट्रक्चर। खेल को सामाजिक और कमर्शियल इंफ्रास्ट्रक्चर के अंतर्गत उप क्षेत्र के तौर पर शामिल किया गया है। यह समावेश खेल के स्टेडियम और उन अकादमियों के इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रावधान से संबंधित है जो खेल की गतिविधियों में प्रशिक्षण देते और अनुसंधान करते हैं।

यह स्थिति खेल के क्षेत्र को बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों से दीर्घकालीन वित्तीय सहयोग हासिल करने के योग्य बनाता है, जैसा अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स को मिलता है। वित्तीय सहयोग की इस समानता से निम्नलिखित की उम्मीद है : (i) खेल के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश को बढ़ावा,  (ii) निजी निवेश को प्रोत्साहन,  (iii) स्वास्थ्य और फिटनेस को बढ़ावा, और (iv) रोजगार के अधिक अवसर प्रदान करना।

 

खेलो इंडिया एक अंब्रेला कार्यक्रम है

राजीव गांधी खेल अभियान, शहरी खेल इंफ्रास्ट्रक्चर के सृजन हेतु सहायता और राष्ट्रीय खेल प्रतिभा खोज योजना के विलय के बाद 2016-17 में खेलो इंडिया कार्यक्रम शुरू किया गया जोकि एक अंब्रेला कार्यक्रम है।[6]  ये तीनों योजनाएं प्रतिस्पर्धाओं, प्रतिभा और खेल के इंफ्रास्ट्रक्चर पर केंद्रित थीं। इसके अतिरिक्त सितंबर 2017 को केंद्रीय कैबिनेट ने खेलो इंडिया कार्यक्रम के कायाकल्प को मंजूरी दी।[7] कार्यक्रम के निम्नलिखित उद्देश्य हैं : (i) खेल प्रतिभाओं को चिन्हित और विकसित करना, (ii) वार्षिक खेल प्रतियोगिताओं में युवाओं की सामूहिक भागीदारी को प्रोत्साहित करना, और (iii) खेल के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना। 2017-18 से 2019-20 की अवधि के लिए कार्यक्रम की अनुमानित लागत 1,756 करोड़ रुपए है।

2016-17 में खेलो इंडिया का बजटीय आबंटन 140 करोड़ रुपए था। हालांकि इस योजना में व्यय की धीमी गति को देखते हुए उस वर्ष के संशोधित अनुमान में इस राशि को कम करके 118 करोड़ रुपए कर दिया गया। चूंकि जैसी परिकल्पना की गई थी, योजना उस गति को हासिल करने में असफल रही थी।3 उदाहरण के लिए 2017 में लोकसभा में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए युवा मामले और खेल मंत्री ने कहा था कि खेलो इंडिया योजना के अंतर्गत किसी राज्य में किसी स्टेडियम को मंजूरी नहीं दी गई।[8] इसके अतिरिक्त खेल राज्य सूची का विषय है, इसलिए केंद्र सरकार द्वारा देश में स्टेडियम्स की संख्या पर कोई डेटा नहीं मेनटेन किया जाता।[9]

राष्ट्रीय खेल विकास फंड (एनएसडीएफ)

1998 में केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय खेल विकास फंड (एनएसडीएफ) की स्थापना की गई जिसका उद्देश्य देश में खेलों को बढ़ावा देने के लिए सरकारी और गैर सरकारी स्रोतों को संघटित करना है। वित्तीय सहायता के सभी आवेदनों पर फंड की एग्जीक्यूटिव कमिटी द्वारा विचार और निर्णय किया जाता है। कमिटी साई और राष्ट्रीय खेल परिसंघों की सलाह से खिलाड़ियों के पूर्व प्रदर्शन और भविष्य की क्षमताओं के आधार पर वित्तीय सहायता प्रदान करती है। पिछले कुछ वर्षों से सरकार द्वारा एनएसडीएफ में औसत 10-15 करोड़ रुपए प्रदान किए जा रहे हैं। 2014-15 में यह राशि उल्लेखनीय रूप से अधिक थी जोकि लगभग 45 करोड़ रुपए थी।[10]  एनएसडीएफ में सरकारी और गैर सरकारी स्रोतों के वित्तीय योगदान का विवरण नीचे तालिका 3 में प्रदान किया गया है।

तालिका 3: सरकारी और गैर सरकारी स्रोतों द्वारा एनएसडीएफ में योगदान (करोड़ रुपए में)

वर्ष

सरकारी योगदान (वास्तविक)

गैर सरकारी योगदान

2013-14

5

10

2014-15

3.7

10

2015-16

14.2

1.3

2016-17

5

11

SourceUnstarred question no. 1439, Ministry of Youth Affairs and Sports, Lok Sabha, March 9, 2017; Union Budgets; PRS.

विचारणीय मुद्दे

मानव संसाधन विकास संबंधी स्टैंडिंग कमिटी ने मंत्रालय के बारे में निष्कर्ष और सुझाव प्रस्तुत किए, उनमें निम्नलिखित शामिल हैं:3,4,[11],[12]  

  • समन्वय की कमी: एनएसएफज़ और साई/मंत्रालय के साथ-साथ एनएसएफज़ और राज्य खेल परिसंघों (एसएसएफज़) में भी समन्वय की कमी है।11  स्टैंडिंग कमिटी ने यह रेखांकित किया कि खेलों के विकास के लिए मंत्रालय द्वारा अन्य मंत्रालयों जैसे मानव संसाधन विकास, महिला एवं बाल विकास और पंचायती राज के साथ समन्वय बढ़ाए जाने की जरूरत है।
  • योजनाओं के उद्देश्यों को पूरा करना: एनएसएफज़ और मंत्रालय द्वारा लागू की जाने वाली प्रमुख योजनाओं का उद्देश्य व्यापक रूप से एक समान है। इसमें सिर्फ एक अंतर है, वह यह कि एनएसएफज़ अलग-अलग खेल के विकास के लिए काम करती हैं। स्टैंडिंग कमिटी ने कहा कि एनएसएफज़ और एसएसएफज़ को संबंधित खेलों की अपनी क्षमता के हिसाब से सभी योजनाओं में प्रत्यक्ष रूप से शामिल होना चाहिए।11
  • एनएसएफज़ का कामकाज: यह कहा गया कि अधिकतर खेल परिसंघों की संरचना पर किसी ऐसे व्यक्ति का प्रभुत्व है जो स्वयं खिलाड़ी नहीं है।11  कमिटी ने हर परिसंघ के लिए एक चुनाव आयोग गठित करने और खिलाड़ियों एवं अन्य खेल विशेषज्ञों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने का सुझाव दिया। इससे कुप्रशासन, बुरे प्रबंधन इत्यादि जैसी समस्याएं भी हल होंगी।

वर्तमान में अधिकतर खेल परिसंघों में शिकायत निवारण व्यवस्थाएं नहीं हैं। कमिटी ने राष्ट्रीय और राज्य स्तरों पर बहुस्तरीय व्यवस्था कायम करने का सुझाव दिया।11  उसने खेल ट्रिब्यूनल को एक अंतिम अथॉरिटी की भूमिका सौंपने का सुझाव भी दिया।

खेल परिसंघों को सरकार से पर्याप्त राशि नहीं मिलती, इसलिए वे अन्य स्रोतों से अधिक फंड्स का प्रबंध करने का प्रयास करते हैं। इस संदर्भ में यह सुझाव दिया जाता है कि अगर सरकार फंडिंग की सभी जरूरतों को पूरा नहीं कर सकती तो निजी भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।11 इसके अतिरिक्त कमिटी ने गौर किया कि ऐसे गड़बड़ परिसंघ अब भी मौजूद हैं जो सरकारी दिशानिर्देशों का अनुपालन नहीं करते।

  • शिक्षकों का प्रशिक्षण और रिक्तियां: लक्ष्मीबाई फिजिकल एजुकेशन विश्वविद्यालय एक राष्ट्रीय एपेक्स संस्थान है जो फिजिकल एजुकेशन के शिक्षकों को प्रशिक्षण देता है और स्कूलों के लिए राष्ट्रीय फिटनेस योजना तथा फिजिकल एजुकेशन का पाठ्यक्रम तैयार करता है।  
  • स्टैंडिंग कमिटी ने कहा कि विश्वविद्यालय के मंजूर किए गए वित्तीय परिव्यय के लैप्स होने और स्वीकृत प्रॉजेक्ट्स के लागू होने में देरी के मामले पाए गए।4 यह सुझाव दिया कि कि विश्वविद्यालय के शैक्षणिक स्तर की गुणवत्ता में सुधार करने, प्रशिक्षण कौशल को मजबूत करने और विद्यार्थियों को प्रशासनिक सहयोग देने के प्रयास किए जाने चाहिए।

राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय बिल, 2017 को लोकसभा में अगस्त 2017 को पेश किया गया और यह संसद में लंबित है।[13] मानव संसाधन विकास संबंधी स्टैंडिंग कमिटी ने बिल पर अपनी रिपोर्ट सौंपी है। बिल मणिपुर में राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय की स्थापना का प्रावधान करता है। यह विश्वविद्यालय निम्नलिखित क्षेत्रों में खेल की शिक्षा को बढ़ावा देगा: (i) खेल विज्ञान, (ii) खेल प्रौद्योगिकी, (iii) खेल प्रबंधन, और (iv) खेल की कोचिंग।   विश्वविद्यालय खेल के चुनिंदा पाठ्यक्रमों के लिए राष्ट्रीय प्रशिक्षण केंद्र के रूप में कार्य करेगा। यह देश के अन्य हिस्सों में कैंपस और शिक्षण केंद्रों की स्थापना भी कर सकता है। इसे डिग्री, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट देने का अधिकार होगा।

 कमिटी ने गौर किया कि नेहरू युवा केंद्र संगठन (एनवाईकेएस) द्वारा अपेक्षित परिणामों को हासिल करने की मुख्य बाधा कर्मचारियों की कमी है। उदाहरण के लिए एनवाईकेएस में पदों की कुल स्वीकृत संख्या 2,273 है जिनमें से 861 पद रिक्त हैं।4

  • यहां तक कि भारतीय खेल प्राधिकरण के अंतर्गत कोच की कमी है और 37% से अधिक पद रिक्त हैं। भर्ती की तरीका और गति भी संतोषजनक नहीं है और इसे प्रक्रिया कॉन्ट्रैक्ट आधारित नियुक्तियों से नहीं भरा जाना चाहिए।4
  • एनएसडीएफ और कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) : सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयूज़) के तौर पर एनएसडीएफ और सीएसआर को लेकर भ्रम है।12  सीएसआर कंपनीज़ एक्ट, 2013 के अंतर्गत आता है, जबकि एनएसडीएफ चैरीटेबल एन्डॉमेंट्स एक्ट, 1890 के अंतर्गत आता है। इसलिए सीएसआर के अंतर्गत एनएसडीएफ को वित्तीय सहायता नहीं दी जा सकती। स्टैंडिंग कमिटी ने सुझाव दिया कि खेल विभाग को पीएसयूज़ को इस अंतर के संबंध में शिक्षित करना चाहिए।   

इसके अतिरिक्त कमिटी ने सुझाव दिया कि फंड्स को प्रबंधित करने के लिए एनएसडीएफ के अंतर्गत एक परिषद का गठन किया जाए। विभिन्न स्टेकहोल्डर जैसे खिलाड़ी, प्रशासक, इत्यादि इस परिषद के सदस्य होंगे। साथ ही, कमिटी ने यह सुझाव दिया कि परिषद उन सभी संभावित दाताओं तक पहुंचने का प्रयास करेगी, जिनमें चंदा देने की क्षमता है। एनएसडीएफ केवल सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों या बैंकों तक सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि कॉरपोरेट क्षेत्र तक भी पहुंच बनानी चाहिए।       

  • बैंकों से सहभागिता: स्टैंडिंग कमिटी ने सुझाव दिया कि साई को ग्रामीण क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर/ कोचिंग की सुविधा बढ़ाने के लिए सक्रिय कदम उठाने चाहिए।12 उसने सुझाव दिया कि बैंकों को जमीनी स्तर पर प्रतिभाओं की खोज करने में संलग्न किया जाना चाहिए। उसने यह सुझाव भी दिया कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों (निजी क्षेत्र सहित) को अपने स्तर पर विशिष्ट खेल नीति बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
  • यूथ हॉस्टलों का प्रबंधन: यह देखा गया है कि राज्य सरकार के विभिन्न विभाग यूथ हॉस्टलों का अतिक्रमण करते हैं और उन उद्देश्यों के लिए उनका इस्तेमाल करते हैं जो निर्दिष्ट नहीं होते।4 इसके अतिरिक्त हॉस्टल मैनेजमेंट कमिटी की बैठकें भी नियमित रूप से नहीं होतीं जिससे यूथ हॉस्टलों के सुचारू कामकाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इस संबंध में कमिटी ने सुझाव दिया कि सभी यूथ हॉस्टलों से अधिकृत कब्जा हटाने के लिए मंत्रालय को उपयुक्त कदम उठाने चाहिए। हॉस्टल मैनेजमेंट कमिटी की बैठकों को नियमित करने के लिए भी सभी जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए।    

 

[1] Outcome Budget 2013-14, Ministry of Youth Affairs and Sports, http://yas.nic.in/sites/default/files/1122048530_0.pdf.

[2] Outcome Budget 2014-15, Ministry of Youth Affairs and Sports, http://yas.nic.in/sites/default/files/Outcome%20Budget%202014-15.pdf.

[3]Report no.277: Demands for Grants 2016-17 (Demand No. 98) of the Ministry of Youth Affairs and Sports, Standing Committee on Human Resource Development, April 27, 2016, http://164.100.47.5/newcommittee/reports/EnglishCommittees/Committee%20on%20HRD/277.pdf.

[4]Report no. 287Demands for Grants 2017-18 (Demand No. 100) of the Ministry of Youth Affairs and Sports, Standing Committee on Human Resource Development, March 21, 2017, http://164.100.47.5/newcommittee/reports/EnglishCommittees/Committee%20on%20HRD/287.pdf.

[5] No. 13/6/2009- Notification, Ministry of Finance, the Gazette of India, September 9, 2016, http://egazette.nic.in/WriteReadData/2016/171686.pdf.

[6]Annual Report 2015-16, Ministry of Youth Affairs and Sports, http://yas.nic.in/sites/default/files/FY_English_Annual%20Report_2015-16.pdf

[7]Cabinet approves Revamped Khelo India Programme, Press Information Bureau, Cabinet, September 20, 2017.  

[8] Unstarred Question No.1141, December 21, 2017, Ministry of Youth Affairs and Sports, http://164.100.47.190/loksabhaquestions/annex/13/AU1141.pdf.

[9] Unstarred Question No. 5034, Lok Sabha, December 23, 2014, http://164.100.47.194/Loksabha/Questions/QResult15.aspx?qref=9876&lsno=16.

[10] Unstarred Question No. 1570, Lok Sabha, December 2, 2014, http://164.100.47.194/Loksabha/Questions/QResult15.aspx?qref=11543&lsno=16.

[11]Report no.262: The Functioning of National Sports Federations, Standing Committee on Human Resource Development, February 20, 2014, http://164.100.47.5/newcommittee/reports/EnglishCommittees/Committee%20on%20HRD/262.pdf.

[12]Report no.281: Performance of National Sports Development Fund And Recruitment and Promotion of Sportspersons (Part-III)”, Standing Committee on Human Resource Development, Rajya Sabha, August 9, 2016, http://164.100.47.5/newcommittee/reports/EnglishCommittees/Committee%20on%20HRD/281.pdf.

[13] The National Sports University Bill, 2017, http://www.prsindia.org/uploads/media/Sports%20University%20Bill,%202017/National%20sports%20university%20bill,%202017.pdf.

 

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