रक्षा मंत्रालय रक्षा और सुरक्षा से संबंधित मामलों पर नीतियां बनाता है और रक्षा सेवाओं (सेना, नौसेना और वायु सेना) द्वारा उनके कार्यान्वयन को सुनिश्चित करता है। इसके अलावा यह निर्माण प्रतिष्ठानों जैसे रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, अनुसंधान और विकास संगठनों और सहायक सेवाओं के लिए जिम्मेदार है जो रक्षा सेवाओं की सहायता करती हैं जैसे सशस्त्र बल चिकित्सा सेवाएं।
यह नोट मंत्रालय के बजटीय आवंटन और व्यय की प्रवृत्तियों का विश्लेषण करता है। नोट में कुछ मुद्दों पर भी चर्चा की गई है जैसे जीडीपी के प्रतिशत के रूप में रक्षा पर खर्च में कमी, पेंशन का उच्च हिस्सा, रक्षा उपकरणों की जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निरंतर निर्भरता और नियमित कैडर की तुलना में अग्निपथ रंगरूटों का अल्पावधि का कार्यकाल।
वित्तीय स्थिति
रक्षा मंत्रालय के बजट में तीन रक्षा सेवाओं के लिए आवंटन के साथ-साथ अनुसंधान और विकास और सीमावर्ती सड़कों पर खर्च शामिल है। 2023-24 में मंत्रालय को 5,93,538 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। इसमें सशस्त्र बलों और सिविलियन्स के वेतन, पेंशन, सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण, निर्माण प्रतिष्ठानों, रखरखाव और अनुसंधान एवं विकास संगठनों पर खर्च शामिल है। मंत्रालय के लिए आवंटन सभी मंत्रालयों में सबसे अधिक है और केंद्र सरकार के कुल व्यय के 13% से अधिक है।
भारत विश्व में सेना पर सर्वाधिक खर्च करने वाले देशों में, लेकिन बजट के हिस्से के रूप में व्यय में गिरावट
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसआईपीआरआई) के अनुसार, भारत 2021 में युनाइडेट स्टेट्स ऑफ अमेरिका और चीन के बाद समग्र रूप से सेना पर सबसे अधिक खर्च करने वाला देश था।[1] उल्लेखनीय है कि एसआईपीआरआई डेटाबेस में भारत के कुल रक्षा व्यय के तहत अर्धसैनिक बलों पर होने वाला खर्च शामिल है। जबकि चीन भारत की तुलना में अपने सकल घरेलू उत्पाद का कम अनुपात रक्षा पर खर्च करता है, उसकी बड़ी अर्थव्यवस्था का अर्थ है कि यह समग्र रूप से भारत की तुलना में साढ़े तीन गुना अधिक खर्च करता है।
जबकि भारत सेना पर खर्च के मामले में शीर्ष देशों में शामिल है, केंद्र सरकार के व्यय के हिस्से के रूप में मंत्रालय के खर्च में पिछले कुछ वर्षों में लगातार गिरावट आई है। 2016-17 में केंद्र के कुल व्यय का 17.8% रक्षा पर खर्च किया गया था, जो 2023-24 के बजट अनुमानों के अनुसार घटकर 13.2% रहने की उम्मीद है। 2013-14 और 2023-24 के बीच जबकि केंद्र सरकार के व्यय में 11% की वार्षिक दर से वृद्धि का अनुमान है, रक्षा पर खर्च में 9% की वार्षिक दर से वृद्धि का अनुमान है।
तालिका 1: सेना पर सर्वाधिक खर्च करने वाले देश और पाकिस्तान (2021)
देश |
व्यय (बिलियन USD में) |
व्यय (जीडीपी के % के रूप में) |
यूएसए |
801 |
3.48% |
चीन |
293 |
1.74% |
भारत |
77 |
2.66% |
यूके |
68 |
2.22% |
रूस |
66 |
4.08% |
पाकिस्तान |
11 |
3.83% |
नोट: भारत के आंकड़ों में सीमा सुरक्षा बल, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, असम राइफल्स, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस और सशस्त्र सीमा बल जैसे अर्धसैनिक बलों पर होने वाला खर्च शामिल है।
स्रोत: एसआईपीआरआई सैन्य व्यय डेटाबेस; पीआरएस।
रेखाचित्र 1: रक्षा व्यय (करोड़ रुपए)
नोट: BE बजट अनुमान और RE संशोधित अनुमान है।
स्रोत: केंद्रीय बजट दस्तावेज (विभिन्न वर्ष); पीआरएस।
रक्षा संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2018) ने सुझाव दिया था कि सशस्त्र बलों की पर्याप्त तैयारी सुनिश्चित करने के लिए रक्षा मंत्रालय को जीडीपी के लगभग 3% का निश्चित बजट आवंटित किया जाना चाहिए।[2] हालांकि पिछले एक दशक में रक्षा पर भारत का खर्च इस अनुशंसित स्तर से लगातार कम रहा है। 2023-24 में मंत्रालय का आवंटन जीडीपी के 2% से थोड़ा कम रहने का अनुमान है (रेखाचित्र 2)। यह तालिका 1 में दिए गए आंकड़ों से अलग है क्योंकि एसआईपीआरआई अलग पद्धति का इस्तेमाल करता है। अगर रक्षा पेंशन पर खर्च को मंत्रालय के कुल व्यय से अलग कर दिया जाता है, तो जीडीपी के प्रतिशत के रूप में व्यय पिछले कई वर्षों के दौरान लगभग 0.5% कम हो जाता है।
रेखाचित्र 2: जीडीपी के % के रूप में रक्षा व्यय
नोट: BE बजट अनुमान और RE संशोधित अनुमान है।
स्रोत: केंद्रीय बजट दस्तावेज (विभिन्न वर्ष); पीआरएस।
सशस्त्र बलों की अनुमानित जरूरतों से कम बजटीय आवंटन
मंत्रालय को किया गया आवंटन भी रक्षा बलों द्वारा मांगी गई राशि से कम है। प्रत्येक वर्ष मंत्रालय को आवंटित धनराशि सशस्त्र बलों की विभिन्न जरूरतों के हिसाब से निर्धारित की जाती है, जैसे हथियार का अधिग्रहण और वेतन और पेंशन भुगतान। 2022-23 में सशस्त्र बलों ने अपनी जरूरतों के अनुसार जितनी राशि की मांग की थी, उन्हें उससे 28% कम आवंटन किया गया था। राजस्व घटक की तुलना में पूंजीगत घटक के आवंटन में अधिक कमी रही है।
रेखाचित्र 3: बजट आवंटन बनाम अनुमानित जरूरतों में कमी (करोड़ रुपए)
स्रोतः 20वीं रिपोर्ट और 27वीं रिपोर्ट, रक्षा संबंधी स्टैंडिंग कमिटी; पीआरएस।
15वें वित्त आयोग को सौंपे गए एक ज्ञापन में रक्षा मंत्रालय ने अपनी बढ़ती आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वैकल्पिक स्रोतों के माध्यम से पर्याप्त धनराशि की मांग की।[3] मंत्रालय ने कहा था कि पिछले कुछ वर्षों में बजटीय आवंटन में गिरावट आई है और यह बड़े रक्षा अधिग्रहणों के लिए अपर्याप्त है।3 2021-26 की अवधि के लिए मंत्रालय को 17.46 लाख करोड़ रुपए के रक्षा अनुमान के मुकाबले पूंजी परिव्यय के लिए 9.01 लाख करोड़ रुपए प्राप्त होने का अनुमान है (48% कमी)।3 मंत्रालय ने कहा कि लंबी अवधि में रक्षा बजट में लगातार कमी के कारण क्षमता में गंभीर कमी आई है। इसमें सेनाओं की परिचालनगत तैयारियों से संबंधित कमियां भी शामिल हैं।3 पर्याप्त धन की कमी ने मंत्रालय को तदस्थ व्यवस्था के माध्यम से अपने खर्च को पूरा करने के लिए मजबूर किया है, जैसे खरीद को स्थगित करना और भुगतान में देरी।3
15वें वित्त आयोग ने सुझाव दिया था कि केंद्र सरकार अनुमानित बजटीय जरूरतों और बजट आवंटन के बीच के अंतर को कम करने के लिए रक्षा और आंतरिक सुरक्षा आधुनिकीकरण फंड (एमएफडीआईएस) का गठन कर सकती है।3 यह फंड नॉन-लैप्सेबल होगा। इसकी प्राप्तियों को निम्नलिखित के लिए उपयोग किया जाएगा: (i) रक्षा सेवाओं के आधुनिकीकरण के लिए पूंजी निवेश, और (ii) केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और राज्य पुलिस बलों के आधुनिकीकरण के लिए पूंजी निवेश। फंड में इंक्रीमेंटल फंडिंग के चार विशिष्ट स्रोत हो सकते हैं: (i) भारत के कंसॉलिटेड फंड से हस्तांतरण, (ii) रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों की विनिवेश आय, (iii) अधिशेष रक्षा भूमि के मुद्रीकरण से आय, और (iv) राज्य सरकारों और सरकारी परियोजनाओं के लिए रक्षा भूमि के हस्तांतरण से होने वाली आय।3 वित्त आयोग ने अनुमान लगाया था कि 2021-26 के दौरान फंड का आकार 2,38,354 करोड़ रुपए होगा।3 मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, वित्त मंत्रालय ने 15वें वित्त आयोग के सुझाए फंडिंग पैटर्न को खारिज कर दिया है।[4] वह नए तरीकों की फंडिंग की खोज कर रहा है क्योंकि यह माना जाता है कि किसी नॉन लैप्सेबल फंड में सीधे पैसे डालना अच्छी संसदीय परंपरा के खिलाफ है।4
रक्षा संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2017) ने कहा है कि सशस्त्र बलों की परिचालनगत तैयारियों में सुधार के लिए एक नॉन लैप्सेलबल फंड बनाना जरूरी है।[5] ऐसा फंड बनाने से यह सुनिश्चित होगा कि पैसे की कमी के कारण उपकरण और एम्युनिशन की खरीद में देरी नहीं हो रही है।5
रक्षा संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2022) को बताया गया था कि केंद्र सरकार एक नॉन लैप्सेबल रक्षा आधुनिकीकरण कोष बनाने पर विचार कर रही है।[6] वित्त मंत्रालय की सलाह से इस फंड के प्रबंधन हेतु एक उपयुक्त तंत्र पर काम किया जा रहा था।6 कमिटी ने फंड को जल्द बनाने का सुझाव दिया ताकि पूरक या अतिरिक्त अनुदानों पर निर्भर हुए बिना रक्षा खरीद की जा सके।
रक्षा बजट की संरचना
2023-24 में मंत्रालय को किया गया आवंटन 2022-23 के संशोधित अनुमानों (तालिका 2) की तुलना में 1.5% अधिक है। यह 2022-23 के संशोधित अनुमानों की तुलना में 2023-24 में केंद्र सरकार के कुल व्यय में 7.5% की वृद्धि की तुलना में काफी कम है। रक्षा बजट में 2022-23 के संशोधित अनुमानों की तुलना में 2023-24 में वेतन में 3% की वृद्धि, जबकि पेंशन में 10% की कमी का अनुमान है। 2023-24 में रक्षा बजट में वेतन और पेंशन का हिस्सा 52% है। इसमें राष्ट्रीय राइफल्स, राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी), संयुक्त स्टाफ और अग्निपथ का वेतन शामिल नहीं है क्योंकि इन व्यय मदों का विस्तृत विवरण प्रदान नहीं किया गया है। पूंजी परिव्यय, जिसमें हथियार, एम्युनिशन और अन्य उपकरणों के अधिग्रहण पर खर्च शामिल है, में इसी अवधि में 8% की वृद्धि का अनुमान है। अन्य खर्चों में परिवहन, राष्ट्रीय राइफल्स, संयुक्त स्टाफ, अग्निपथ योजना और मंत्रालय के अन्य स्थापना व्यय शामिल हैं।
तालिका 2: रक्षा बजट आवंटन (करोड़ रुपए में)
प्रमुख मदें |
वास्तविक |
संअ |
बअ |
2022-23 संअ से 2023-24 बअ में परिवर्तन का % |
वेतन |
1,47,471 |
1,62,902 |
1,68,334 |
3% |
पूंजीगत परिव्यय |
1,44,786 |
1,57,979 |
1,71,375 |
8% |
पेंशन |
1,16,800 |
1,53,414 |
1,38,205 |
-10% |
रखरखाव |
62,541 |
75,319 |
74,175 |
-2% |
अन्य व्यय |
29,083 |
35,177 |
41,449 |
18% |
कुल |
5,00,681 |
5,84,791 |
5,93,538 |
1% |
नोट: वेतन में सशस्त्र बलों, सहायक बलों, सिविलियन्स के वेतन और भत्ते, अनुसंधान और विकास, और सिविलियन्स अनुमानों के वेतन व्यय शामिल हैं। इसमें राष्ट्रीय राइफल्स, एनसीसी, संयुक्त स्टाफ और अग्निपथ के रंगरूटों का वेतन शामिल नहीं है क्योंकि विस्तृत ब्रेकअप नहीं दिया गया है। पूंजी परिव्यय में मंत्रालय और सशस्त्र बलों का पूंजीगत व्यय शामिल है। रखरखाव में स्टोर, कार्य, रिपेयर और रिफिट्स पर व्यय शामिल है।
स्रोत: व्यय बजट, केंद्रीय बजट 2023-24; पीआरएस।
रक्षा बजट का 20% से अधिक पेंशन पर खर्च किया जाता है
रक्षा पेंशन में तीनों सेवाओं के सेवानिवृत्त रक्षाकर्मियों (सिविलियन कर्मचारियों सहित) और ऑडनेंस फैक्ट्रियों के कर्मचारियों के पेंशन शुल्क का प्रावधान है। इसमें सर्विस पेंशन, ग्रैच्युटी, फैमिली पेंशन, विकलांगता पेंशन, पेंशन की कम्युटेड वैल्यू और लीव इनकैशमेंट का भुगतान शामिल है। 2013-14 और 2023-24 के बीच रक्षा पेंशन पर खर्च 12% की वार्षिक दर से बढ़ा है। यह मंत्रालय के कुल व्यय में 9% वार्षिक वृद्धि से अधिक है। 2022-23 के संशोधित अनुमान की तुलना में 2023-24 में रक्षा पेंशन 10% कम होने का अनुमान है। हालांकि 2022-23 में बजट चरण की तुलना में संशोधित अनुमान चरण में पेंशन व्यय 28% अधिक था। यह 2022-23 में 28,137 करोड़ रुपए के वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) के बकाए के भुगतान के कारण था। 2014-15 और 2023-24 के बीच रक्षा पेंशन पर खर्च मंत्रालय के कुल बजट के 20% से लगातार अधिक रहा है। 2019-20 और 2022-23 में मंत्रालय के बजट का 26% हिस्सा पेंशन पर खर्च हुआ।
रेखाचित्र 4: रक्षा पेंशन पर खर्च (करोड़ रु.)
नोट: BE बजट अनुमान है और RE संशोधित अनुमान है।
स्रोत: केंद्रीय बजट दस्तावेज (विभिन्न वर्ष); पीआरएस।
नवंबर 2015 में सरकार ने 1 जुलाई, 2014 से प्रभावी लाभ के साथ ओआरओपी को लागू करने का निर्णय लिया।[7] इस फ्रेमवर्क के तहत एक बराबर रैंक के सैनिक, जो समान अवधि की सेवा के बाद सेवानिवृत्त हुए हैं, उन्हें समान पेंशन मिलेगी। यह उनकी सेवानिवृत्ति की तिथि और वर्ष पर ध्यान दिए बिना लागू होता है। ओआरओपी के तहत पेंशन हर पांच साल के बाद संशोधित की जाती है।7 इसके कार्यान्वयन के बाद से ओआरओपी के तहत लगभग 57,000 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं।7 दिसंबर 2022 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 1 जुलाई, 2019 से ओआरओपी के तहत पेंशन के संशोधन को मंजूरी दी थी।7 संशोधित पेंशन को लागू करने के लिए वार्षिक व्यय लगभग 8,450 करोड़ रुपए अनुमानित था।
15वें वित्त आयोग ने सुझाव दिया था कि मंत्रालय को वेतन और पेंशन देनदारियों को कम करने के लिए कदम उठाने चाहिए।3 मंत्रालय रक्षा पेंशन में विभिन्न सुधारों की समीक्षा कर रहा है, जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) वर्तमान में पुरानी पेंशन योजना में आने वाले सेवा कर्मियों को नई पेंशन योजना में लाना, (ii) अधिकारी रैंक से नीचे के कर्मियों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाना, और (iii) सेवानिवृत्त कर्मियों का अन्य सेवाओं में स्थानांतरण। इसके अलावा सशस्त्र बलों में सैनिकों, नाविकों और वायुसैनिकों की भर्ती के लिए हाल ही में लागू की गई अग्निपथ योजना लंबी अवधि में पेंशन व्यय को कम करने में मदद कर सकती है।
पूंजी परिव्यय रक्षा बजट के 30% से कम रहा है
रक्षा पेंशन पर उच्च व्यय का एक नतीजा यह हो सकता है कि पूंजी परिव्यय पर कम खर्च हो। रक्षा के लिए पूंजी परिव्यय में निर्माण कार्य, मशीनरी और उपकरण जैसे टैंक, नौसैनिक जहाज और वायुयान पर व्यय शामिल है। इसमें अनुसंधान एवं विकास तथा सीमावर्ती सड़कों के निर्माण पर पूंजीगत व्यय भी शामिल है। 2013-14 में रक्षा बजट का 32% पूंजी परिव्यय पर खर्च किया गया था। इस हिस्से में गिरावट आई है और 2014-15 और 2023-24 के बीच पूंजी परिव्यय पर 30% से भी कम खर्च किया गया है। 2023-24 में अनुमान है कि मंत्रालय अपने बजट का 29% पूंजी परिव्यय पर खर्च करेगा, जबकि 2022-23 में यह अनुमान 27% था।
रेखाचित्र 5: पूंजी परिव्यय पर व्यय (करोड़ रुपए)
नोट: BE बजट अनुमान और RE संशोधित अनुमान है।
स्रोत: केंद्रीय बजट दस्तावेज (विभिन्न वर्ष); पीआरएस।
रक्षा संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2021) ने कहा था कि पूंजी परिव्यय के लिए राजस्व व्यय का आदर्श अनुपात 60:40 था।[8] 2023-24 में अनुमान है कि नौसेना और वायु सेना अपने बजट आवंटन का आधे से अधिक हिस्सा पूंजीगत व्यय पर खर्च करेंगे।
तालिका 3: 2023-24 में सशस्त्र बलों का राजस्व और पूंजीगत व्यय (करोड़ रुपए में)
सशस्त्र बल |
राजस्व |
पूंजी |
अनुपात (% में) |
थलसेना |
3,03,748 |
37,342 |
89:11 |
नौसेना |
42,722 |
56,341 |
43:57 |
वायु सेना |
56,454 |
58,269 |
49:51 |
नोट: सेना पर खर्च में जम्मू और कश्मीर लाइट इन्फैंट्री शामिल है और नौसेना पर खर्च में तटरक्षक बल शामिल है।
स्रोत: व्यय बजट, केंद्रीय बजट 2023-24; पीआरएस।
तालिका 4: सशस्त्र बलों पर पूंजी परिव्यय (करोड़ रुपए में)
सशस्त्र बल |
वास्तविक |
संअ |
बअ |
2022-23 संअ से 2023-24 बअ में परिवर्तन का % |
थलसेना |
25,131 |
32,598 |
37,342 |
15% |
नौसेना |
45,029 |
47,727 |
52,805 |
11% |
वायुसेना |
53,217 |
53,871 |
58,269 |
8% |
तटरक्षक |
3,189 |
3,300 |
3,536 |
7% |
कुल |
1,26,566 |
1,37,497 |
1,51,951 |
11% |
नोट: सेना और वायु सेना पर पूंजी परिव्यय में प्रोटोटाइप विकास के लिए सहायता शामिल है। बअ बजट अनुमान है और संअ संशोधित अनुमान है।
स्रोत: व्यय बजट, केंद्रीय बजट 2023-24; पीआरएस।
2022-23 के संशोधित अनुमान की तुलना में 2023-24 में सशस्त्र बलों और तट रक्षकों पर पूंजी परिव्यय में 11% की वृद्धि का अनुमान है। 2022-23 में थलसेना और नौसेना के लिए पूंजी परिव्यय मोटे तौर पर बजट अनुमानों के अनुरूप था, जबकि संशोधित अनुमान चरण में वायु सेना के लिए पूंजी परिव्यय में 5% की गिरावट देखी गई। 2023-24 में सेना के पूंजी परिव्यय में 2022-23 के संशोधित अनुमान की तुलना में 15% की वृद्धि का अनुमान है। इसके बाद नौसेना के परिव्यय में 11% और वायु सेना में 8% की वृद्धि का अनुमान है।
प्रतिबद्ध देनदारियां
उल्लेखनीय है कि सशस्त्र बलों के पूंजी अधिग्रहण में दो घटक होते हैं: (i) प्रतिबद्ध देनदारियां, और (ii) नई योजनाएं। प्रतिबद्ध देनदारियां पिछले वर्षों में संपन्न अनुबंधों के संबंध में एक वित्तीय वर्ष के दौरान प्रत्याशित भुगतान होते हैं (क्योंकि अधिग्रहण एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें लंबी अवधि शामिल होती है)। नई योजनाओं में ऐसे नए प्रॉजेक्ट्स शामिल हैं जो अनुमोदन के विभिन्न चरणों में हैं और भविष्य में जिनके लागू होने की संभावना है। प्रतिबद्ध देनदारियों से संबंधित आंकड़े 2019-20 के बाद सार्वजनिक रूप से प्रकट नहीं किए गए हैं।
तालिका 5: प्रतिबद्ध देनदारियां और आधुनिकीकरण बजट (करोड़ रुपए में)
वर्ष |
प्रतिबद्ध देनदारियां |
आधुनिकीकरण बजट |
कमी |
2016-17 |
73,553 |
62,619 |
15% |
2017-18 |
91,382 |
68,965 |
25% |
2018-19 |
1,10,044 |
73,883 |
33% |
|
|
|
|
2019-20 |
1,13,667 |
80,959 |
29% |
नोट: प्रतिबद्ध देनदारियों के आंकड़े 2019-20 के बाद सार्वजनिक रूप से प्रकट नहीं किए गए हैं।
स्रोत: तीसरी रिपोर्ट, रक्षा सेवाओं पर पूंजी परिव्यय, खरीद नीति और रक्षा योजना, रक्षा संबंधी स्टैंडिंग कमिटी, दिसंबर 2019; पीआरएस।
रक्षा संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2019) ने प्रतिबद्ध देनदारियों के खर्च को पूरा करने के लिए आवंटन में कमी पर चिंता जताई है।[9] कमिटी ने कहा था कि प्रतिबद्ध देनदारियों के लिए अपर्याप्त आवंटन से अनुबंध संबंधी दायित्वों में चूक हो सकती है।9 यह देखा गया है कि अगर भारत भुगतानों में चूक करता है तो इससे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अच्छा संदेश नहीं जाएगा।9 कमिटी ने मंत्रालय को निरंतर सुझाव दिया है कि प्रतिबद्ध देनदारियों और नई योजनाओं के लिए एक समर्पित फंड बनाया जाए।6,8 अब तक ऐसे फंड नहीं बनाए गए हैं। 2022 में कमिटी ने कहा था कि एक अलग फंड होने से यह सुनिश्चित होगा कि सशस्त्र बलों की प्रतिबद्ध खरीद के लिए भुगतान में देरी नहीं होगी।6
रक्षा सेवाएं
2023-24 में तीन रक्षा सेवाओं (पेंशन सहित) के लिए आवंटन 5,54,875 करोड़ रुपए है जो मंत्रालय के कुल बजट आवंटन का 93% है। इसमें से थलसेना के बजट का 57% हिस्सा है जबकि नौसेना और वायु सेना के लिए क्रमशः 17% और 19% आवंटन है। सेना, नौसेना और वायु सेना पर व्यय 3.4:1:1.2 के अनुपात में है। सेना की तीनों सेवाओं में सबसे अधिक पेंशन दायित्व हैं। 2023-24 में पेंशन को छोड़कर सेना, नौसेना और वायु सेना का खर्च 2.4:1:1.1 के अनुपात में है। 2022-23 के संशोधित अनुमान की तुलना में 2023-24 में थलसेना के लिए आवंटन काफी हद तक अपरिवर्तित रहने की उम्मीद है, जबकि नौसेना और वायु सेना के लिए क्रमशः 6% और 2% की वृद्धि का अनुमान है।
तालिका 6: रक्षा बजट आवंटन (करोड़ रुपए में)
प्रमुख मदें |
वास्तविक |
संअ |
बअ |
2022-23 संअ से 2023-24 बअ में परिवर्तन का % |
थलसेना |
2,85,278 |
3,41,221 |
3,41,090 |
0% |
नौसेना |
80,740 |
93,244 |
99,062 |
6% |
वायु सेना |
98,024 |
1,12,071 |
1,14,723 |
2% |
अन्य |
36,638 |
38,256 |
38,663 |
1% |
कुल |
5,00,681 |
5,84,791 |
5,93,538 |
1% |
नोट: सेना के लिए आवंटन में जम्मू और कश्मीर लाइट इन्फैंट्री शामिल है और नौसेना के लिए तटरक्षक बल शामिल है। संअ संशोधित अनुमान है और बअ बजट अनुमान है।
स्रोत: व्यय बजट, केंद्रीय बजट 2023-24; पीआरएस।
थलसेना: वेतन और पेंशन पर भारी खर्च से आधुनिकीकरण पर खर्च की गुंजाइश कम होती है
तालिका 7: 2023-24 में थलसेना के बजट का ब्रेकअप (करोड़ रुपए में)
मद |
आवंटित राशि |
सेवा बजट का % |
वेतन |
1,18,889 |
35% |
पेंशन |
1,19,300 |
35% |
आधुनिकीकरण |
30,163 |
9% |
रखरखाव |
35,475 |
10% |
अन्य बल |
14,036 |
4% |
अग्निपथ |
3,800 |
1% |
विविध |
19,426 |
6% |
कुल |
3,41,090 |
100% |
नोट: वेतन में सिविलियन्स और सहायक बलों का वेतन शामिल है। सेना के लिए आधुनिकीकरण फंड की गणना पूंजी परिव्यय की निम्नलिखित मदों से की जाती है: (i) विमान और एयरोइंजन, (ii) भारी और मध्यम वाहन, (iii) अन्य उपकरण, (iv) रोलिंग स्टॉक, (v) राष्ट्रीय राइफल्स, और (vi) प्रोटोटाइप विकास के लिए सहायता। अन्य बलों में राष्ट्रीय राइफल्स, एनसीसी और जम्मू और कश्मीर लाइट इन्फैंट्री पर राजस्व व्यय शामिल है।
स्रोत: व्यय बजट, केंद्रीय बजट 2023-24; पीआरएस।
थलसेना अपने बजट के साथ-साथ कर्मियों की संख्या के मामले में भी तीनों बलों में सबसे बड़ी है। जुलाई 2022 तक थलसेना में 13.03 लाख कर्मियों (अधिकारियों और सैनिकों सहित) की अधिकृत संख्या है।[10] 2023-23 में थलसेना को 3,41,090 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं जिसमें से लगभग 70% वेतन और पेंशन पर खर्च किए जाने हैं। उल्लेखनीय कि उपरिलिखित तालिका 7 में दिए गए वेतन घटक में राष्ट्रीय राइफल्स, एनसीसी, अग्निपथ योजना और जम्मू एवं कश्मीर लाइट इन्फैंट्री के लिए वेतन पर खर्च शामिल नहीं है क्योंकि उनके आवंटन का विस्तृत विवरण उपलब्ध नहीं है। अगर इन बलों पर होने वाले वेतन व्यय को शामिल कर लिया जाए तो थलसेना का वेतन पर होने वाला कुल खर्च और भी अधिक हो जाएगा।
आधुनिकीकरण में सशस्त्र बलों की रक्षा क्षमताओं को उन्नत करने और उसमें वृद्धि के लिए अत्याधुनिक तकनीकों और हथियार प्रणालियों का अधिग्रहण शामिल है। वेतन और पेंशन पर भारी खर्च सेना के आधुनिकीकरण के लिए उपलब्ध धन को कम कर देता है। 2023-24 में सेना के बजट का 9% आधुनिकीकरण पर खर्च किया जाएगा। 2016-17 के बाद तीनों सेनाओं को आधुनिकीकरण के लिए जितनी धनराशि दी गई है, उसमें थलसेना के हिस्से में कमी आई है। 2023-24 में आधुनिकीकरण हेतु आवंटित धनराशि में थलसेना का हिस्सा 23% है।
रेखाचित्र 6: सेना के आधुनिकीकरण पर व्यय (करोड़ रु. में)
नोट: BE बजट अनुमान है और RE संशोधित अनुमान है।
स्रोत: केंद्रीय बजट दस्तावेज (विभिन्न वर्ष); पीआरएस।
रक्षा संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2018) ने कहा था कि आधुनिक सशस्त्र बलों के पास एक तिहाई विंटेज, एक तिहाई वर्तमान और एक तिहाई आधुनिक श्रेणी के उपकरण होने चाहिए।[11] हालांकि भारतीय थलसेना के पास विंटेज श्रेणी के 68%, मौजूदा श्रेणी के 24% और अत्याधुनिक श्रेणी के 8% उपकरण थे।11 कमिटी ने यह भी कहा कि कई वर्षों से थलसेना के पास हथियारों, स्टोर्स और एम्युनिशंस की काफी कमी है। उसने कहा था कि पुरानी आर्मरी के आधुनिकीकरण के लिए नीति और बजट दोनों के संबंध में पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया है।11
नौसेना: पिछले दशक में आधुनिकीकरण के लिए आवंटित धनराशि में उल्लेखनीय वृद्धि
तालिका 8: 2023-24 में नौसेना के बजट का ब्रेकअप (करोड़ रुपए में)
मद |
आवंटित राशि |
सेवा बजट का % |
वेतन |
12,775 |
13% |
पेंशन |
6,776 |
7% |
आधुनिकीकरण |
47,515 |
48% |
रखरखाव |
13,599 |
14% |
अन्य राजस्व व्यय |
7,883 |
8% |
अग्निपथ |
300 |
0.3% |
विविध |
10,214 |
10% |
कुल |
99,062 |
100% |
नोट: वेतन में सिविलियन्स का वेतन शामिल है। नौसेना के लिए आधुनिकीकरण फंड की गणना पूंजी परिव्यय की निम्नलिखित मदों से की जाती है: (i) विमान और एयरोइंजन, (ii) भारी और मध्यम वाहन, (iii) अन्य उपकरण, (iv) नौसेना बेड़ा, और (v) नौसेना डॉकयार्ड और परियोजना। अन्य राजस्व व्यय में संयुक्त स्टाफ और तट रक्षक पर राजस्व व्यय शामिल है।
स्रोत: व्यय बजट, केंद्रीय बजट 2023-24; पीआरएस।
2023-24 के बजट में नौसेना को 99,062 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं (पेंशन और तटरक्षकों पर होने वाले खर्च को मिलाकर)। नौसेना के आधुनिकीकरण के लिए लगभग आधा बजट आवंटित किया गया है। आधुनिकीकरण के तहत नौसैनिक बेड़े के लिए 24,200 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं और नौसैनिक डॉकयार्ड/परियोजनाओं पर खर्च करने के लिए 6,725 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है। 2022-23 के संशोधित अनुमानों की तुलना में 2023-24 में नौसेना डॉकयार्ड/परियोजनाओं पर व्यय में 49% की वृद्धि का अनुमान है।
2013-14 और 2023-24 के बीच नौसेना का आधुनिकीकरण व्यय 10% की वार्षिक दर से बढ़ा है। यह 2019-20 (29% साल-दर-साल वृद्धि) और 2020-21 (58%) में आधुनिकीकरण पर खर्च में तेज वृद्धि की वजह से किया गया है। जुलाई 2021 में रक्षा मंत्रालय ने प्रोजेक्ट 75 (भारत) के तहत छह पारंपरिक पनडुब्बियों को प्राप्त करने के प्रस्ताव के लिए अनुरोध जारी किया।[12] इस परियोजना की लागत 40,000 करोड़ रुपए से अधिक होने का अनुमान है।12 इसके कारण 2021-22 में रक्षा सेवाओं के कुल आधुनिकीकरण व्यय में नौसेना की हिस्सेदारी बढ़कर 38% हो गई। 2023-24 में यह हिस्सा समग्र आधुनिकीकरण बजट का 36% होने का अनुमान है।
रेखाचित्र 7: नौसेना के आधुनिकीकरण पर व्यय (करोड़ रु. में)
नोट: BE बजट अनुमान है और RE संशोधित अनुमान है।
स्रोत: केंद्रीय बजट दस्तावेज (विभिन्न वर्ष); पीआरएस।
वायुसेना: तीनों सेनाओं की तुलना में आधुनिकीकरण व्यय में सबसे कम वृद्धि
2023-24 में वायुसेना को 1,14,723 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं (सेवानिवृत्त कर्मियों के लिए पेंशन सहित)। यह 2022-23 के संशोधित अनुमान से 2% अधिक है। 2023-24 में वायुसेना के बजट का 48% आधुनिकीकरण के लिए आवंटित है।
वायुसेना के आधुनिकीकरण के लिए व्यय की वार्षिक वृद्धि दर तीनों सेनाओं में सबसे कम थी। 2013-14 और 2023-24 के बीच वायुसेना के आधुनिकीकरण व्यय में वार्षिक 4% की वृद्धि होने की उम्मीद है। हालांकि वायुसेना का आधुनिकीकरण व्यय लगातार तीनों सेनाओं में सबसे अधिक रहा है। 2013-14 और 2023-24 के बीच आधुनिकीकरण बजट का 41% से अधिक वायुसेना को आवंटित किया गया था।
तालिका 9: 2023-24 में वायुसेना के बजट का ब्रेकअप (करोड़ रुपए में)
मद |
आवंटित राशि |
सेवा बजट का % |
वेतन |
22,795 |
20% |
पेंशन |
12,109 |
11% |
आधुनिकीकरण |
55,586 |
48% |
रखरखाव |
20,497 |
18% |
अग्निपथ |
166 |
0.1% |
विविध |
3,570 |
3% |
कुल |
1,14,723 |
100% |
नोट: वेतन में सिविलियन्स का वेतन शामिल है। वायुसेना के लिए आधुनिकीकरण फंड की गणना पूंजी परिव्यय की निम्नलिखित मदों से की जाती है: (i) विमान और एयरोइंजन, (ii) भारी और मध्यम वाहन, (iii) अन्य उपकरण, (iv) विशेष परियोजनाएं और (v) प्रोटोटाइप के लिए सहायता विकास।
स्रोत: केंद्रीय बजट, 2023-24 पीआरएस।
रेखाचित्र 8: वायु सेना के आधुनिकीकरण पर व्यय (करोड़ रु. में)
नोट: BE बजट अनुमान है और RE संशोधित अनुमान है।
स्रोत: केंद्रीय बजट दस्तावेज (विभिन्न वर्ष); पीआरएस।
इससे पहले कैग ने भारतीय वायुसेना की पूंजी अधिग्रहण प्रक्रिया से संबंधित मुद्दा उठाया है।[13] अपनी रिपोर्ट (2019) में कैग ने 2012-13 तथा 2017-18 के बीच पूंजीगत अधिग्रहण के 11 हस्ताक्षरित अनुबंधों की समीक्षा की जिसकी कुल लागत लगभग 95,000 करोड़ रुपए थी। यह पाया गया कि मौजूदा अधिग्रहण प्रणाली से भारतीय वायुसेना की परिचालन तैयारियों में खास मदद नहीं होगी, और उसने सुझाव दिया कि रक्षा मंत्रालय संपूर्ण अधिग्रहण प्रक्रिया में संरचनात्मक सुधार पर काम करे।13 एस्टिमेट्स कमिटी (2018) ने कहा था कि विमानों में 70% सेवाक्षमता होनी चाहिए क्योंकि विमानों को मानक रखरखाव जांच से गुजरना पड़ता है।[14] हालांकि नवंबर 2015 तक विमानों की सेवाक्षमता 60% थी।14 सेवाक्षमता यह मापती है कि किसी एक खास समय कितने विमान मिशन के लायक होते हैं।
रक्षा उपकरणों का घरेलू निर्माण
भारत रक्षा उपकरणों के लिए आयात पर काफी निर्भर है
एसआईपीआरआई के आंकड़ों के अनुसार, भारत 2011-2021 के बीच सऊदी अरब, चीन और ऑस्ट्रेलिया के बाद हथियारों का सबसे बड़ा आयातक था। यह 2011 से 2021 की अवधि में आयात किए गए हथियारों की कुल मात्रा का 12% था। रक्षा संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2022) ने भारत के हथियारों और उपकरणों के बढ़ते आयात पर चिंता व्यक्त की थी।6 2017-18 और 2021-22 के बीच (दिसंबर 2021 तक) 1.18 लाख करोड़ रुपए के सैन्य हार्डवेयर के अधिग्रहण के 239 अनुबंधों में से 87 पर यूएसए, रूस, इज़राइल और फ्रांस सहित विदेशी विक्रेताओं के साथ हस्ताक्षर किए गए हैं।6 इस अवधि के दौरान आयातित रक्षा उपकरणों में हेलीकॉप्टर, विमान, मिसाइल, राइफल, सिमुलेटर और एम्युनिशन शामिल हैं।
रेखाचित्र 9: 2011-2021 के बीच हथियारों के प्रमुख 10 आयातक (विश्वव्यापी आयात के % के रूप में)
स्रोत: एसआईपीआरआई; पीआरएस।
2011-12 और 2020-21 के बीच रक्षा सेवाओं का आयातित पूंजी अधिग्रहण 7.2% की वार्षिक दर से बढ़ा, जबकि स्वदेशी स्रोतों से पूंजीगत उपकरण की खरीद 9.7% की वार्षिक दर से बढ़ी।6 2011-12 में 40% की तुलना में 2020-21 में कुल पूंजी अधिग्रहण का 35% विदेशी स्रोतों से किया गया था। 2021-22 (दिसंबर 2021 तक) में भारत ने रक्षा सेवाओं के लिए अपनी पूंजी अधिग्रहण संबंधी जरूरतों का 39% आयात किया था।
रेखाचित्र 10: सशस्त्र बलों द्वारा पूंजी अधिग्रहण के लिए आयात पर किया जाने वाला खर्च
नोट: 2021-22 के आंकड़े दिसंबर 2021 तक के हैं।
स्रोत: 28वीं रिपोर्ट: रक्षा सेवाओं पर पूंजी परिव्यय, खरीद नीति, रक्षा योजना और विवाहित आवास परियोजना, रक्षा संबंधी स्टैंडिंग कमिटी, 2022; पीआरएस।
हालांकि पिछले एक दशक में तीनों रक्षा सेवाओं की आयात निर्भरता अलग-अलग है। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि युद्धपोत और विमान प्रकृति में अधिक पूंजी गहन हैं और इसलिए घरेलू आपूर्ति उपलब्ध नहीं होने पर आयात करने की जरूरत हो सकती है। 2011-12 और 2020-21 के बीच थलसेना के आयातित पूंजी उपकरणों पर व्यय में औसत वार्षिक वृद्धि 29% थी, जबकि घरेलू स्रोतों से होने वाली खरीद पर व्यय में 6% की वृद्धि हुई थी। नौसेना के लिए, स्वदेशी स्रोतों से 8% की तुलना में आयातित पूंजी उपकरणों पर खर्च 11% की औसत वार्षिक दर से बढ़ा।
रक्षा संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2022) ने कहा कि हालांकि विदेशी विक्रेताओं से खरीद, भारतीय विक्रेताओं की तुलना में कम है, फिर भी 2016-17 से आयात का मूल्य लगातार बढ़ रहा है।6 उसने सुझाव दिया कि रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (डीपीएसयू), रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और निजी उद्योग न केवल आयात का विकल्प बनने वाले उपकरणों के निर्माण के लिए मिलकर काम करते हैं बल्कि निर्यात क्षमता का भी विस्तार करते हैं ताकि भारत रक्षा उपकरणों का निर्यातक बन सके। एस्टिमेट्स कमिटी (2018) ने कहा कि विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता, विशेष रूप से सैन्य हार्डवेयर के लिए, भारत की सुरक्षा को कमजोर बनाती है क्योंकि आपातकालीन स्थितियों के दौरान आपूर्तिकर्ता आवश्यक हथियार या कलपुर्जे प्रदान नहीं कर सकता है।14
तालिका 10: डीएपी 2020 के तहत स्वदेशी सामग्री में वृद्धि
श्रेणी |
डीपीपी-2016 |
डीएपी-2020 |
खरीद (भारतीय-आईडीडीएम) |
40% या अधिक |
50% या अधिक |
खरीद (भारतीय) |
40% या अधिक |
50% या अधिक (स्वदेशी डिजाइन के लिए) |
खरीद और निर्माण (भारतीय) |
'निर्माण' भाग का 50% या उससे अधिक |
'निर्माण' भाग का 50% या उससे अधिक |
खरीद (वैश्विक-भारत में निर्माण) |
- |
50% या अधिक |
खरीद (वैश्विक) |
- |
30% या अधिक (भारतीय वेंडर के लिए) |
नोट: आईडीडीएम का अर्थ है, स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित। खरीद और निर्माण श्रेणी का मतलब किसी विदेशी वेंडर से उपकरणों की शुरुआती खरीद और उसके बाद तकनीक का ट्रांसफर है। डीपीपी रक्षा खरीद प्रक्रिया है।
स्रोत: प्रेस सूचना ब्यूरो; पीआरएस।
आयात पर निर्भरता कम करने के लिए केंद्र सरकार ने तीन सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियों को अधिसूचित किया है जिसमें 310 आइटम शामिल हैं। इन्हें बारी-बारी से आयात प्रतिबंध के तहत रखा जाएगा और स्वदेशी स्रोतों से खरीदा जाएगा।[15] इसके अलावा डीपीएसयू ने 1,238 वस्तुओं के लिए तीन सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियां जारी की हैं, जिनमें से 266 वस्तुओं का अब तक स्वदेशीकरण किया जा चुका है।[16] रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डीएपी), 2020 रक्षा उपकरणों के निर्माण में स्वदेशी सामग्री को बढ़ाने का प्रयास करती है।[17] डीएपी पूंजीगत वस्तुओं और सेवाओं के अधिग्रहण के लिए लागू है। इसमें परिसंपत्तियों को पट्टे पर देने को अधिग्रहण की एक अन्य श्रेणी माना गया है जो आवर्ती किराए के भुगतान के साथ शुरुआती पूंजीगत परिव्यय की जगह ले सकता है।17 तालिका 10 में जिन श्रेणियों को सूचीबद्ध किया गया है, उनमें खरीद (भारतीय-आईडीडीएम) को सबसे अधिक वरीयता दी जाती है। इसके बाद खरीद (भारतीय) और खरीद और निर्माण (भारतीय) का स्थान आता है।[18]
पिछले कुछ वर्षों में रक्षा निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है जिसकी शुरुआत मुख्य रूप से निजी क्षेत्र ने की है।[19] 2016-17 और 2021-22 के बीच भारत का रक्षा निर्यात 53% की औसत वार्षिक दर से बढ़ा। रक्षा निर्यात में निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी 114% की औसत वार्षिक दर से तेजी से बढ़ी। रक्षा मंत्रालय ने 2024 तक 35,000 करोड़ रुपए के रक्षा निर्यात का लक्ष्य रखा है।[20]
तालिका 11: रक्षा उत्पादों का निर्यात (करोड़ रु. में)
वर्ष |
कुल निर्यात |
निजी क्षेत्र द्वारा निर्यात |
% हिस्सा |
2016-17 |
1,521 |
194 |
13% |
2017-18 |
4,682 |
3,163 |
68% |
2018-19 |
10,746 |
9,813 |
91% |
2019-20 |
9,116 |
8,008 |
88% |
2020-21 |
8,435 |
7,271 |
86% |
2021-22 |
12,815 |
8,800 |
69% |
स्रोत: तारांकित प्रश्न संख्या 198, लोकसभा, रक्षा मंत्रालय; पीआरएस।
रक्षा कर्मी
सशस्त्र बलों में भर्ती मुख्य रूप से दो व्यापक श्रेणियों के तहत की जाती है: (i) अधिकारी, और (ii) अधिकारी रैंक से नीचे के कर्मचारी (पीबीओआर)। पीबीओआर को सेना में जूनियर कमीशंड ऑफिसर (जेसीओ)/अन्य रैंक (ओआर) कहा जाता है जबकि नौसेना और वायु सेना में उन्हें क्रमशः नाविक और एयरमैन के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। सशस्त्र बलों में अधिकारियों और पीबीओआर दोनों के लिए भर्ती के कई स्रोत हैं। उदाहरण के लिए सेना में एक अधिकारी के रूप में शामिल होने के लिए उम्मीदवारों का चयन राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, भारतीय सैन्य अकादमी या शॉर्ट सर्विस कमीशन के माध्यम से किया जा सकता है।[21]
अग्निपथ के तहत अधिकांश भर्तियों की सेवा अवधि नियमित कैडर की तुलना में काफी कम होगी
राष्ट्रीय सुरक्षा पर मंत्रियों के समूह (2001) की रिपोर्ट में कहा गया था कि सशस्त्र सेवाओं के लिए एक युवा प्रोफ़ाइल की जरूरत ताकि वह हमेशा अपनी लड़ाई में अव्वल रहे।[22] कारगिल समीक्षा समिति (1999) ने सुझाव दिया था कि सेना युवा और तंदुरुस्त हो, इसके लिए पेंशन पात्रता हेतु सेवा की न्य़ूनतम अवधि 17 वर्ष से घटाकर 7 से 10 वर्ष की जानी चाहिए।22
जून 2022 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना को मंजूरी दी।[23] अब से अग्निपथ पीबीओआर श्रेणी के लिए सशस्त्र बलों के तहत भर्तियों का प्रबंधन करेगा।23 इस योजना के तहत भर्ती किए गए उम्मीदवार चार साल तक काम करेंगे और सशस्त्र बलों के तहत एक अलग रैंक बनाएंगे, जिसे अग्निवीर कहा जाता है। अग्निवीरों के प्रत्येक बैच से 25% तक कर्मियों को सशस्त्र बलों के नियमित कैडर में भर्ती किया जाएगा। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, अग्निपथ योजना के तहत कर्मियों की भर्ती से सशस्त्र बलों के युवा प्रोफाइल में वृद्धि होगी।23 यह सशस्त्र बलों की औसत आयु प्रोफ़ाइल को लगभग चार से पांच वर्ष कम करने में मदद करेगा।23 वर्तमान स्वीकृत संख्या (जुलाई 2022 तक) के अनुसार, थलसेना, नौसेना और वायु सेना के कुल कर्मियों में क्रमशः 95%, 87% और 92% जेसीओ/ ओआर/नाविक/एयरमैन हैं। हालांकि विभिन्न रैंकों के पीबीओआर कर्मियों की तुलना में 75% अग्निवीरों का सेवा कार्यकाल काफी कम है।
तालिका 12: जेसीओ/ओआर की सेवानिवृत्ति (वर्षों में)
थलसेना |
नौसेना |
वायु सेना |
||||
रैंक |
कार्यकाल |
सेवानिवृत्ति की आयु |
कार्यकाल |
सेवानिवृत्ति की आयु |
कार्यकाल |
सेवानिवृत्ति की आयु |
सिपाही/ समकक्ष |
19- 22 |
42-48 |
15 |
52 |
17-22 |
52 |
नायक/ समकक्ष |
24 |
49 |
19-22 |
52 |
19-24 |
49-52 |
हवलदार/ समकक्ष |
26 |
49 |
25-28 |
52 |
25-28 |
49-52 |
नायब सूबेदार/ समकक्ष |
28 |
52 |
30-32 |
52 |
28-33 |
52 |
सूबेदार/ समकक्ष |
30 |
52 |
34-35 |
57 |
30-35 |
52-57 |
सूबेदार मेजर/ समकक्ष |
34 |
54 |
37 |
57 |
33-37 |
54-57 |
नोट: जेसीओ- जूनियर कमीशंड अधिकारी; ओआर- अन्य रैंक।
स्रोत: सातवें केंद्रीय वेतन आयोग की रिपोर्ट, नवंबर 2015; पीआरएस।
हालांकि सशस्त्र बलों की परिचालनगत तैयारियों पर अग्निपथ योजना का प्रभाव वर्तमान में स्पष्ट नहीं हो सकता है, यह लंबे समय में पेंशन व्यय को कम करने में मदद कर सकता है। चूंकि कम से कम 75% अग्निवीरों को कोई पेंशन लाभ नहीं मिलेगा, इससे कर्मियों पर खर्च कम करने में मदद मिल सकती है। चार साल की समाप्ति के बाद, सशस्त्र बलों को छोड़ने वाले लोगों को 11.7 लाख रुपए का सेवा निधि पैकेज मिलेगा।23
[1] Trends in World Military Expenditure, Stockholm International Peace Research Institute, April 2022, https://www.sipri.org/sites/default/files/2022-04/fs_2204_milex_2021_0.pdf.
[2] 40th Report: Demands for Grants (2018-19) General Defence Budget, Border Roads Organisation, Indian Coast Guard, Military Engineer Services, Directorate General Defence Estates, Defence Public Sector Undertakings, Welfare of Ex-Servicemen, Defence Pensions, Ex-Servicemen Contributory Health Scheme, Standing Committee on Defence, Lok Sabha, March 12, 2018, https://loksabhadocs.nic.in/lsscommittee/Defence/16_Defence_40.pdf.
[3] Chapter 11, Defence and Internal Security, Volume-I Main Report, 15th Finance Commission, October 2020, https://fincomindia.nic.in/writereaddata/html_en_files/fincom15/Reports/XVFC%20VOL%20I%20Main%20Report.pdf.
[4] “FinMin eyes new ways to boost defence fund”, Business Standard, February 7, 2022, https://www.business-standard.com/article/economy-policy/finance-ministry-eyes-new-ways-to-boost-non-lapsable-defence-fund-122020700004_1.html.
[5] 32nd Report, Creation of Non-Lapsable Capital Fund Account, Instead of the Present System, Standing Committee on Defence, Lok Sabha, August 2017, http://164.100.47.193/lsscommittee/Defence/16_Defence_32.pdf.
[6] 28th Report: Capital Outlay on Defence Services. Procurement Policy, Defence Planning and Married Accommodation Project (Demand No. 21), Standing Committee on Defence, Lok Sabha, March 2022, https://loksabhadocs.nic.in/lsscommittee/Defence/17_Defence_28.pdf.
[7] “Union Cabinet approves revision of pension of Armed Forces Pensioners/family pensioners under One Rank One Pension w.e.f. July 01, 2019”, Press Information Bureau, Ministry of Defence, December 23, 2022, https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1886168.
[8] 21st Report, Demands for Grants (2021-22) Capital Outlay on Defence Services, Procurement Policy, Defence Planning and Married Accommodation Project, Standing Committee on Defence, Lok Sabha, March 2021, https://loksabhadocs.nic.in/lsscommittee/Defence/17_Defence_21.pdf.
[9] 3rd Report, Demands for Grants (2019-20), Capital Outlay on Defence Services, Procurement Policy, Defence Planning and Married Accommodation Project, December 2019, http://164.100.47.193/lsscommittee/Defence/17_Defence_3.pdf.
[10] Strength of Officers in Defence Forces, Unstarred Question No. 1121, Lok Sabha, July 22, 2022, http://164.100.24.220/loksabhaquestions/annex/179/AU1121.pdf.
[11] 41st Report, Demands for Grants (2018-19) Army, Navy and Air Force, Standing Committee on Defence, Lok Sabha, March 2018, https://loksabhadocs.nic.in/lsscommittee/Defence/16_Defence_41.pdf.
[12] “MoD issues RFP for construction of six P-75(I) submarines for Indian Navy”, Press Information Bureau, Ministry of Defence, July 20, 2021, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1737191.
[13] Report No. 3 of 2019: Performance Audit Report of the Comptroller and Auditor General of Indian on Capital Acquisition in Indian Air Force, Comptroller and Auditor General, February 13, 2019.
[14] 29th Report: Preparedness of Armed Forces- Defence Production and Procurement, Committee on Estimates, July 25, 2018, https://loksabhadocs.nic.in/lsscommittee/Estimates/16_Estimates_29.pdf.
[15] Unstarred Question No. 2235, Lok Sabha, Ministry of Defence, July 29, 2022, http://164.100.24.220/loksabhaquestions/annex/179/AU2235.pdf.
[16] Srijan Dashboard (Status of Positive Indigenisation List of DPSUs), Ministry of Defence, as accessed on February 6, 2022, https://srijandefence.gov.in/DashboardForPublic.
[17] Defence Acquisition Procedure, 2020, Ministry of Defence, https://www.mod.gov.in/dod/sites/default/files/DAP202013Apr22.pdf.
[18] Defence Acquisition Procedure, 2020, Ministry of Defence, September 2020, https://www.mod.gov.in/sites/default/files/DAP2030new_0.pdf.
[19] Starred Question No. 198, Lok Sabha, Ministry of Defence, July 29, 2022, https://pqals.nic.in/annex/179/AS198.pdf.
[20] “Seven new defence companies, carved out of OFB, dedicated to the Nation on the occasion of Vijayadashami”, Press Information Bureau, Ministry of Defence, October 15, 2021.
[21] How to Join, Join Indian Army, as accessed on February 7, 2022, https://joinindianarmy.nic.in/Default.aspx?id=530&lg=eng&.
[22] Report of the Group of Ministers on National Security, February 19, 2001, https://www.vifindia.org/sites/default/files/GoM%20Report%20on%20National%20Security.pdf.
[23] “In a transformative reform, Cabinet clears ‘Agnipath’ scheme for recruitment of youth in the armed forces”, Press Information Bureau, Ministry of Defence, June 14, 2022, https://www.pib.gov.in/PressReleseDetailm.aspx?PRID=1833747.
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