भारत में केंद्र और राज्य सरकारों, दोनों शिक्षा के लिए जिम्मेदार हैं।[1] केंद्र और राज्य सरकारें स्कूलों और उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईआई) का संचालन करती हैं। शिक्षा मंत्रालय राष्ट्रीय नीतियां बनाता और उन्हें लागू करता है, शिक्षा तक पहुंच में सुधार के लिए योजनाएं बनाता है और स्कॉलरशिप देता है।
शिक्षा मंत्रालय के दो विभाग हैं: (i) स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग, और (ii) उच्च शिक्षा विभाग। स्कूली शिक्षा विभाग केंद्रीय विद्यालयों और नवोदय विद्यालयों जैसे स्कूलों के लिए जिम्मेदार है। यह राज्यों द्वारा लागू की जाने वाली कुछ योजनाओं को भी वित्त पोषित करता है, जैसे स्कूलों तक पहुंच और समग्र शिक्षण परिणामों में सुधार का प्रयास करने वाला समग्र शिक्षा अभियान और राष्ट्रीय मध्याह्न भोजन कार्यक्रम। उच्च शिक्षा विभाग केंद्रीय विश्वविद्यालयों, आईआईटी, एनआईटी, आईआईएसईआर, आईआईएम और स्कूल ऑफ प्लानिंग एवं आर्किटेक्चर इत्यादि को वित्त पोषित करता है। यह उच्च शिक्षा के रेगुलेटर्स, यूजीसी और एआईसीटीई को भी वित्तपोषित करता है। विभाग उच्च शिक्षा में अनुसंधान और नवाचार को भी सहयोग देता है और उच्च शिक्षा के लिए स्कॉलरशिप्स देता है। इस नोट में 2023-24 में मंत्रालय के आवंटन और शिक्षा क्षेत्र की वित्तीय समस्याओं की समीक्षा की गई है।
वित्तीय स्थिति
2023-24 में शिक्षा मंत्रालय को 1,12,899 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।[2] यह 2022-23 के संशोधित अनुमानों से 13% अधिक है। स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग को 68,805 करोड़ रुपए (मंत्रालय के व्यय का 61%) आवंटित किए गए हैं। यह 2022-23 के संशोधित अनुमानों से 16.5% अधिक है। उच्च शिक्षा विभाग को 44,095 करोड़ रुपए (मंत्रालय के व्यय का 39%) आवंटित किया गया है, जो 2022-23 के संशोधित अनुमानों से 8% अधिक है।
तालिका 1: शिक्षा मंत्रालय का व्यय (करोड़ रुपए में)
|
2021-22 वास्तविक |
2022-23 संअ |
2023-24 बअ |
% परिवर्तन, 22-23 संअ से 23-24 बअ |
स्कूली शिक्षा |
46,822 |
59,053 |
68,805 |
16.5% |
उच्च शिक्षा |
33,531 |
40,828 |
44,095 |
8.0% |
कुल |
80,352 |
99,881 |
1,12,899 |
13.0% |
नोट: बअ- बजट अनुमान; संअ- संशोधित अनुमान।
स्रोत: मांग संख्या 25 और 26, व्यय बजट 2023-24; पीआरएस।
2013-14 से शिक्षा मंत्रालय के लिए आवंटन 4.7% की वार्षिक औसत दर से बढ़ा है। 2020-21 और 2021-22 में मंत्रालय के खर्च में गिरावट आई थी, जो कि कोविड-19 महामारी के कारण हो सकता है। 2022-23 के लिए संशोधित अनुमान 2021-22 (निम्न आधार) के वास्तविक अनुमानों से 24% अधिक हैं।
रेखाचित्र 1: पिछले एक दशक में शिक्षा मंत्रालय का व्यय (करोड़ रुपए में)
नोट: RE संशोधित अनुमान और BE बजट अनुमान हैं।
स्रोत: केंद्रीय बजट, 2015-16 से 2023-24; पीआरएस।
2023-24 में समग्र शिक्षा अभियान को मंत्रालय के तहत सबसे अधिक आवंटन 37,453 करोड़ रुपए (मंत्रालय के व्यय का 33%) प्राप्त होने का अनुमान है। यह योजना राज्यों द्वारा संचालित स्कूलों को धनराशि प्रदान करती है। इसके बाद स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के तहत स्वायत्त निकायों को 14,391 करोड़ रुपए (मंत्रालय को कुल आवंटन का 13%) आवंटित किए गए हैं। इनमें केंद्रीय विद्यालय और नवोदय विद्यालय शामिल हैं। पीएम पोषण, जो स्कूलों में मध्याह्न भोजन प्रदान करता है, को मंत्रालय के बजट का 10% आवंटित किया गया है।
बजट अभिभाषण 2023-24 में घोषणाएं वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में शिक्षा क्षेत्र से संबंधित निम्नलिखित घोषणाएं कीं: शिक्षकों का प्रशिक्षण: नई पेडेगॉगी, सतत व्यावसायिक विकास, सर्वेक्षण और आईसीटी कार्यान्वयन के माध्यम से शिक्षकों के प्रशिक्षण की फिर से परिकल्पना की जाएगी। इस उद्देश्य के लिए जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों को वाइब्रेंट इंस्टीट्यूट ऑफ एक्सिलेंस के रूप में विकसित किया जाएगा। पुस्तकालय: विभिन्न भूगोलों, भाषाओं, शैलियों और डिवाइसेज़ में उत्तम पुस्तकों की उपलब्धता के लिए एक राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालय स्थापित किया जाएगा। राज्यों को पंचायत और वार्ड स्तरों पर भौतिक पुस्तकालय स्थापित करने और राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालय तक पहुंच के लिए बुनियादी ढांचे प्रदान करने हेतु प्रोत्साहित किया जाएगा। उच्च शिक्षा: शीर्ष शैक्षणिक संस्थानों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए तीन उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए जाएंगे। |
तालिका 2: शिक्षा मंत्रालय के तहत व्यय की मुख्य मद (2023-24 बजट अनुमान, करोड़ रुपए)
मुख्य मद |
2023-24 बअ |
कुल में हिस्सा |
समग्र शिक्षा |
37,453 |
33% |
स्वायत्त निकाय |
14,391 |
13% |
पीएम पोषण |
11,600 |
10% |
विश्वविद्यालय |
11,529 |
10% |
आईआईटी |
9,662 |
9% |
यूजीसी और एआईसीटीई |
5,780 |
5% |
एनआईटी और आईआईईएसटी |
4,821 |
4% |
पीएम श्री |
4,000 |
4% |
अन्य |
13,664 |
12% |
कुल |
1,12,899 |
100% |
नोट: स्वायत्त निकायों में स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत- केंद्रीय विद्यालय संगठन, नवोदय विद्यालय समिति के आते हैं।
स्रोत: मांग संख्या 25 और 26, व्यय बजट 2023-24; पीआरएस।
स्वास्थ्य एवं शिक्षा सेस
प्राथमिक शिक्षा सेस और माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा सेस की जगह 2018-19 में आय पर 4% स्वास्थ्य और शिक्षा सेस लगाया गया था।[3] 2005 में प्रारंभिक शिक्षा कोष (पीएसके) का गठन किया गया था जिसमें प्राथमिक शिक्षा सेस से मिलने वाली आय को जमा किया जा सके। यह एक नॉन-लैप्सेबल रिजर्व फंड है।[4] वर्तमान में इसका उपयोग समग्र शिक्षा अभियान और प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण (पीएम पोषण) के लिए किया जाता है।2
इसी तरह 2017 में माध्यमिक एवं उच्चतर शिक्षा कोष (एमयूएसके) नाम का एक रिजर्व फंड बनाया गया था जिसमें माध्यमिक और उच्च शिक्षा सेस से होने वाली आय को जमा किया जा सके।[5] 2023-24 के लिए इस कोष से निम्नलिखित को हस्तांतरण का प्रस्ताव रखा गया है:(i) सर्व शिक्षा अभियान, (ii) नेशनल मीन्स कम मेरिट स्कॉलरशिप स्कीम, (iii) केंद्रीय विद्यालय संगठन, और (iv) नवोदय विद्यालय समिति।2 उच्च शिक्षा विभाग के तहत, इसे पीएम उच्चतर शिक्षा प्रोत्साहन (पीएम-यूएसपी) योजना के लिए आवंटित किया जाएगा जिसमें उच्च शिक्षा के लिए वर्तमान ब्याज सबसिडी और गारंटी फंड योगदान योजनाएं और स्कॉलरशिप्स को एकीकृत किया गया है।2
ऐतिहासिक रूप से, प्राथमिक शिक्षा सेस के कलेक्शन का पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं किया गया है, जैसा कि 2018 में मानव संसाधन विकास संबंधी स्टैंडिंग कमिटी ने कहा था।[6] 2004-05 और 2016-17 के बीच प्राथमिक शिक्षा सेस का कलेक्शन 1,92,770 करोड़ रुपए था जिसमें से 13,113 करोड़ रुपए (6.8%) का उपयोग नहीं किया गया था।6
2018-19 और 2019-20 में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने पाया कि शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों के बीच स्वास्थ्य और शिक्षा सेस (41,309 करोड़ रुपए) के कलेक्शन को साझा करने के लिए कोई सिद्धांत लागू नहीं किया गया था।[7],[8] हालांकि 2018-19 और 2019-20 (क्रमशः 12,608.98 करोड़ रुपए और 14,460 करोड़ रुपए) में आय को हस्तांतरण के लिए आवंटित किया गया था लेकिन एमयूएसके को कोई हस्तांतरण नहीं किया गया था क्योंकि इसे चालू नहीं किया गया था।7,8 हालांकि दोनों वर्षों में सेस कलेक्शन सीधे उन मदों पर खर्च किए गए थे जिन्हें कोष से मदद मिलनी थी।7,8 यह 2018-19 में 11,632 करोड़ रुपए और 2019-20 में 974 करोड़ रुपए था। 2019-20 में पीएसके के लिए 28,920 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे, लेकिन केवल 26,848 करोड़ रुपए ही हस्तांतरित किए गए थे।8 2020 में कैग ने कहा था कि यह सुनिश्चित करने की कोई व्यवस्था नहीं थी कि सेस कलेक्शन का उचित उपयोग किया जाएगा।7
2020-21 में 35,821 करोड़ रुपए का सेस कलेक्शन किया गया जिसमें से एमयूएसके को 20,567 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे। हालांकि कैग ने पाया कि हस्तांतरण नहीं किया गया, चूंकि फंड के लिए एकाउंटिंग प्रक्रिया को अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया गया था।[9] वित्त मंत्रालय ने आदेश दिया कि उस वर्ष सेस कलेक्शन का 75% शिक्षा क्षेत्र में उपयोग किया जाना है।9
बजट दस्तावेजों के आंकड़ों से पता चलता है कि 2023-24 के बजट अनुमानों सहित, छह वर्षों में से चार वर्षों के लिए, जिसके लिए सेस कलेक्शन किया गया है, दोनों शिक्षा रिजर्व फंड्स में हस्तांतरित धनराशि सेस कलेक्शन के 75% से कम है (रेखाचित्र 2 देखें)।[10] हालांकि 2022-23 के संशोधित अनुमानों के अनुसार, रिजर्व फंड्स में हस्तांतरित राशि उस वर्ष के सेस कलेक्शन के 75% से अधिक है।
रेखाचित्र 2: स्वास्थ्य और शिक्षा सेस की प्राप्तियां (स्वास्थ्य योजनाओं के लिए 75% का उपयोग) और शिक्षा क्षेत्र के लिए आवंटन (पीएसके और एमयूएसके के तहत) (करोड़ रुपए में)
स्रोत: प्राप्ति बजट 2023-24; मांग संख्या 25, व्यय बजट 2023-24; मांग संख्या 26, व्यय बजट 2023-24; पीआरएस।
2022-23 के संशोधित अनुमानों के अनुसार, 24,350 करोड़ रुपए एमयूएसके को और 38,000 करोड़ रुपए पीएसके को हस्तांतरित किए जाएंगे। 2023-24 के बजट अनुमान कम हैं; पीएसके को 30,000 करोड़ रुपए और एमयूएसके को 12,000 करोड़ रुपए मिलेंगे।
शिक्षा में कुल निवेश नीतिगत लक्ष्यों से कम है
1964-66 में शिक्षा आयोग ने भारत में शिक्षा की व्यापक समीक्षा की और केंद्र और राज्य, दोनों सरकारों द्वारा शिक्षा के लिए भारत की जीडीपी का 6% निवेश करने का लक्ष्य निर्धारित किया।[11] राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 (एनईपी) सहित कई राष्ट्रीय शिक्षा नीतियों में इस लक्ष्य को बरकरार रखा गया है।[12] हालांकि यह लक्ष्य कभी पूरा नहीं हुआ है। 2022-23 में राज्यों और केंद्र ने मिलकर शिक्षा पर लगभग 7.6 लाख करोड़ रुपए खर्च करने का अनुमान लगाया, जो कि भारत की जीडीपी का लगभग 2.9% है।13 शिक्षा के लिए कुल आवंटन 2015 से जीडीपी का लगभग 2.8% से 2.9% रहा है।[13] यह ब्राजील (2019 में 6.0%), दक्षिण अफ्रीका, (2021 में 6.6%), इंडोनेशिया (2020 में 3.5%) जैसे देशों की तुलना में कम है।[14]
15वें वित्त आयोग ने यह भी कहा था कि बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश जैसे गरीब राज्य शिक्षा से संबंधित अपने प्रमुख मानव विकास मानकों में पीछे हैं। शिक्षा पर उनका प्रति व्यक्ति व्यय कम रहता है। उदाहरण के लिए 2022-23 में (बजट अनुमान) उत्तर प्रदेश ने शिक्षा पर प्रति व्यक्ति 3,205 रुपए खर्च किए, बिहार ने 3,245 रुपए और झारखंड ने 3,626 रुपए। बड़े राज्यों द्वारा उस वर्ष शिक्षा पर प्रति व्यक्ति औसत व्यय लगभग 5,300 रुपए था। 2022-23 में राज्यों ने अपने बजट का औसतन लगभग 14.8% शिक्षा पर खर्च किया।
स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग
2023-24 में स्कूली शिक्षा विभाग को 68,805 रुपए आवंटित किए गए हैं, जो 2022-23 के संशोधित अनुमान से 17% अधिक है। 2020-21 और 2021-22 में, विभाग के वास्तविक व्यय में कोविड-19 महामारी के कारण गिरावट आई जिस दौरान स्कूल बंद थे।
तालिका 3: स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के तहत व्यय की मुख्य मद (करोड़ रुपए में)
मुख्य मद |
वास्तविक 2021-22 |
2022-23 संअ |
2023-24 बअ |
परिवर्तन का % (संअ से बअ) |
समग्र शिक्षा |
25,061 |
32,152 |
37,453 |
16% |
स्वायत्त निकाय* |
10,933 |
12,859 |
14,391 |
12% |
पीएम पोषण** |
10,231 |
12,800 |
11,600 |
-9% |
पीएम श्री*** |
4,000 |
|||
एनसीईआरटी |
320 |
405 |
519 |
28% |
अन्य |
25 |
537 |
478 |
-11% |
राष्ट्रीय मीन्स-कम-मेरिट स्कॉलरशिप योजना |
252 |
300 |
364 |
21% |
कुल |
46,822 |
59,053 |
68,805 |
17% |
नोट: * इसमें केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय और सीबीएसई शामिल हैं; ** मध्याह्न भोजन योजना शामिल है; *** एनईपी के तहत 15,000 स्कूल्स ऑफ एक्सिलेंस के लिए आवंटित किया गया है।
स्रोत: व्यय बजट, 2023-24, पीआरएस।
2023-24 में विभाग का अधिकांश आवंटन (54%) समग्र शिक्षा अभियान के लिए 37,453 करोड़ रुपए है। विभाग के अधीन स्वायत्त निकायों को 14,391 करोड़ रुपए प्राप्त होंगे, जो विभाग के व्यय का 21% है। इसमें केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस), नवोदय विद्यालय समिति (एनवीएस), और सीबीएसई जैसे निकाय शामिल हैं। प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण (पीएम-पोषण) कार्यक्रम को 11,600 करोड़ रुपए प्राप्त होने का अनुमान है जो विभाग के अनुमान का 10% है। तालिका 3 में विभागीय व्यय की मुख्य मदों को दर्शाया गया है।
स्कूली शिक्षा के संबंध में, राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 (एनईपी) निम्नलिखित का प्रयास करती है: (i) प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल सहित पाठ्यक्रम और शिक्षाशास्त्र का पुनर्गठन; (ii) बुनियादी साक्षरता और अंकज्ञान के लक्ष्यों को निर्धारित करना और उनकी प्राप्ति के लिए योजना बनाना; और (iii) शिक्षा तक सार्वभौमिक पहुंच प्राप्त करना।12
रेखाचित्र 3: पिछले एक दशक में स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के व्यय के रुझान
स्रोत: केंद्रीय बजट, 2015-16 से 2023-24; पीआरएस।
समग्र शिक्षा अभियान
समग्र शिक्षा अभियान स्कूली शिक्षा विभाग की प्रमुख योजना है, और एनईपी में परिकल्पित स्कूली शिक्षा तक सार्वभौमिक पहुंच प्राप्त करने पर केंद्रित है। इसमें निम्नलिखित को शामिल किया गया है: (i) सर्व शिक्षा अभियान, जिसके तहत सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने का प्रयास किया जाता था; (ii) राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान, जिसका लक्ष्य माध्यमिक शिक्षा में नामांकन बढ़ाना था, और (iii) शिक्षक शिक्षा पहल, जिसके तहत शिक्षकों की योग्यता में सुधार और उसे बरकरार रखने का प्रयास किया जाता था।[15]
योजना का मुख्य अंग है, स्कूलों के बुनियादी ढांचे को अपग्रेड करना, जिसमें शिक्षण सुविधाओं जैसे साइंस लैब से लेकर साफ-सफाई और स्वास्थ्य जैसे पीने के पानी के नल और शौचालय तक शामिल हैं।15 इसके अलावा कई दूसरे बुनियादी ढांचे शारीरिक सुगमता में सुधार से जुड़े हुए हैं, जैसे रैंप बनाना।15
इस योजना के प्रमुख शैक्षणिक घटकों में नेशनल इनिशिएटिव फॉर प्रोफिशिएंसी इन रीडिंग विद अंडरस्टैंडिंग एंड न्यूमेरसी (एनआईपीयूएन) भारत मिशन शामिल है जो एनईपी के फाउंडेशनल लिटरेसी एंड न्यूमेरसी (एफएलएन) के लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास करता है।15,[16] नेशनल इनीशिएटिव फॉर स्कूल हेड्स एंड टीचर्स होलिस्टिक एडवांसमेंट (निष्ठा), इस योजना के तहत एक शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम है जिसका कोविड-19 महामारी के कारण ऑनलाइन विस्तार हुआ है।16 यह योजना विकलांग बच्चों को सहायता प्रदान करती है, जैसे सुलभ पाठ्यक्रम सामग्री जैसे ब्रेल पाठ्यपुस्तकें, और विशेष जरूरतों वाले बच्चों को मौद्रिक सहायता।16 यह योजना राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण और एफएलएन के अध्ययन, फाउंडेशनल लर्निंग स्टडी (एफएलएस) के जरिए शैक्षिक उपलब्धि की प्रगति की निगरानी के लिए भी धनराशि देती है।16 इस योजना को 2023-24 में 37,453 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।
राइजिंग इंडिया के लिए पीएम स्कूल (पीएम-श्री)
इस योजना के तहत 14,500 पीएम श्री स्कूल एनईपी उद्देश्यों के लिहाज से अनुकरणीय स्कूल के तौर पर काम करेंगे।[17] इस योजना के तहत 2022-23 से 2026-27 तक पांच वर्षों को कवर किया जाएगा।[18] इस अवधि में योजना की कुल लागत 27,360 करोड़ रुपए होने का अनुमान है जिसमें से केंद्र सरकार द्वारा 18,128 करोड़ रुपए का योगदान दिया जाएगा।18 2023-34 के लिए योजना को 4,000 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।2
प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण (पीएम-पोषण)
पीएम-पोषण, जोकि पहले मिड मील योजना कहलाती थी, के तहत केंद्रीय, राज्य या स्थानीय सरकारों द्वारा संचालित या सहायता प्राप्त स्कूलों में पात्र बच्चों को पका हुआ दोपहर का भोजन प्रदान किया जाता है।[19] इस योजना का उद्देश्य बच्चों को स्कूली शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने के साथ-साथ उनकी पोषण स्थिति में सुधार करना है।19 योजना को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एक्ट, 2013 के सेक्शन 5 के तहत वैधानिक समर्थन प्राप्त है।[20] योजना को 2023-24 में 11,600 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।
माध्यमिक शिक्षा में भागीदारी कम बनी हुई है
पिछले तीन वर्षों में सबसे बड़ी चिंता यही थी कि महामारी और स्कूलों के बंद होने के कारण स्कूलों में बच्चों के नामांकन और उनके शिक्षण स्तर पर कितना असर होता है। नामांकन, जोकि स्कूली शिक्षा प्रणाली में बच्चों की भागीदारी से संबंधित होता है, वह प्रमुख मुद्दा है, जिसे शिक्षा नीति के जरिए संबोधित करने का प्रयास है।12 महामारी के दौरान स्कूलों के बंद होने के बावजूद प्राथमिक स्तर पर नामांकन 103% बना हुआ है।21
यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इनफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस (यूडीआईएसई+) के आंकड़ों के अनुसार, जिसमें सरकार और निजी दोनों संस्थाओं द्वारा संचालित स्कूल शामिल हैं, नामांकन दर 2020-21 की तुलना में 2021-22 में अधिक थी।[21] जहां आयु समूह भारत में शिक्षा के स्तर के अनुरूप हैं, सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) किसी निश्चित आयु समूह के प्रतिशत के संबंधित होता है, जो किसी निश्चित शिक्षा स्तर के लिए स्कूल में नामांकित है।21 चूंकि किसी निश्चित आयु वर्ग के कम और उससे अधिक उम्र के बच्चे संबंधित शिक्षा स्तर के लिए नामांकन कर सकते हैं, जीईआर का 100% से अधिक होना संभव है। जबकि जीईआर प्राथमिक शिक्षा (लड़कों और लड़कियों दोनों के लिए) में 100% से अधिक है, इसमें प्राथमिक शिक्षा स्तर के बाद तेजी से गिरावट होती है (रेखाचित्र 4 देखें)। 2021-22 में प्राथमिक स्तर पर जीईआर 103.4% है; यह उच्च प्राथमिक स्तर (कक्षा 6-8) पर गिरकर 94.7%, और माध्यमिक स्तर (कक्षा 9-10) पर गिरकर 79.6% हो जाता है।21
रेखाचित्र 4: शिक्षा के सभी स्तरों पर सकल नामांकन दर (जीईआर)
स्रोत: अध्याय 6, आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23, बजट 2023-24; पीआरएस।
ड्रॉप आउट दर (स्कूल छोड़ने वालों की दर) किसी निर्दिष्ट वर्ष के लिए निर्दिष्ट समूह से बाहर होने वाले बच्चों के प्रतिशत को मापती है। शिक्षा के स्तर में वृद्धि के साथ ड्रॉपआउट दर में वृद्धि होती है। जबकि माध्यमिक शिक्षा के लिए ड्रॉपआउट दर में मामूली कमी आई है, प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तरों की तुलना में यह अभी भी अधिक है। 2021-22 में ड्रॉपआउट दर प्राथमिक शिक्षा के लिए 1.5%, उच्च प्राथमिक शिक्षा के लिए 3% और माध्यमिक शिक्षा के लिए 12.6% थी।21
यूडीआईएसई+ आंकड़ों से पता चलता है कि महामारी के दौरान सरकारी स्कूलों और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में नामांकित बच्चों का प्रतिशत 2019-20 में 76% से बढ़कर 2021-22 में 79.6%% हो गया (रेखाचित्र 5 देखें)।21
रेखाचित्र 5: प्रबंधन और वित्त पोषण के आधार पर स्कूलों में नामांकन की समयरेखा
स्रोतः यूडीआईएसई+ स्टैटिस्टिक्स, वर्ष 2012-13 से 2022-21 के लिए
ट्रांजिशन दर उन बच्चों के अनुपात को दर्शाती है जो एक शिक्षा स्तर से दूसरे शिक्षा स्तर में जाते हैं। 2021-22 में 93% बच्चे उच्च प्राथमिक विद्यालयों तक पहुंच पाते हैं। उनमें से 89% माध्यमिक विद्यालयों तक पहुंचते हैं। माध्यमिक से उच्च माध्यमिक शिक्षा तक पहुंचने की ट्रांजिशन दर 78% है (रेखाचित्र 6 देखें)।21
रेखाचित्र 6: स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों के बीच जेंडर के आधार पर ट्रांज़िशन की दर
स्रोतः यूडीआईएसई+ फ्लैश स्टैटिस्टिक्स, 2021-22; पीआरएस।
2017 और 2018 के बीच किए गए राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के 75वें दौर से पता चलता है कि छात्राओं के ड्रॉप आउट का सबसे बड़ा कारण घरेलू गतिविधियों (30.2%) में व्यस्तता है।[22] छात्रों के लिए सबसे बड़ा कारण आर्थिक गतिविधियों में व्यस्तता (36.9%) है।22 यह ड्रॉपआउट और विद्यार्थियों को काम करने के लिए मजबूर करने वाले सामाजिक-आर्थिक दबावों के बीच निरंतर संबंध की तरफ संकेत करता है।
पीएम-पोषण का एक लक्ष्य यह है कि आर्थिक दबाव कम करके, और खाद्य सुरक्षा का एक स्तर सुनिश्चित करते हुए ड्रॉप आउट दर को कम किया जाए।19 पीएम-पोषण को 2023-24 में 11,600 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। यह 2022-23 के संशोधित अनुमान से 9% कम है।
2022 में शिक्षा, महिला, बच्चे, युवा एवं खेल संबंधी स्टैंडिंग कमिटी ने सामाजिक समूहों के बीच शिक्षा तक पहुंच में निरंतर असमानताओं पर गौर किया था।[23] उसने सुझाव दिया था कि स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग उन जिलों की पहचान के लिए एक सर्वेक्षण करे जहां लड़कियों, और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के दोनों जेंडरों के बच्चों में स्कूल छोड़ने की दर (राष्ट्रीय औसत के आधार पर) अधिक है।23 इस सर्वेक्षण का इस्तेमाल करके, एक हस्तक्षेप योजना का मसौदा तैयार किया जा सकता है ताकि शिक्षा पूरी करने, और व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए बच्चों की मदद की जा सके। इसे समस्या को हल करने के लिए 2021-22 से स्कूल से बाहर होने वाले बच्चों को प्रति वर्ष दो हजार रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है और उन्हें आयु-उपयुक्त शिक्षा स्तर पर लौटने में मदद करने के लिए विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।[24]
यूडीआईएसई+ आंकड़ों से पता चलता है कि महामारी के दौरान सरकारी स्कूलों और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में नामांकित बच्चों का प्रतिशत 2019-20 में 78% से बढ़कर 2021-22 में 83% हो गया।21
महामारी का शिक्षण परिणामों पर प्रभाव पड़ा
जबकि महामारी ने नामांकन और ड्रॉपआउट दरों को बहुत ज्यादा प्रभावित तो नहीं किया लेकिन शिक्षण परिणामों पर इसका प्रभाव पड़ा होगा। राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एनएएस) कक्षा 3, 5, 8, और 10 के विद्यार्थियों के बीच किया जाता है।[25],[26] यह गणित और भाषाओं में शिक्षण क्षमता और कुछ अधिक आयु समूहों के लिए भौतिक और सामाजिक विज्ञान को भी मापता है। स्कोर 0 से 500 के पैमाने पर दिए गए हैं। सर्वेक्षण में पाया गया कि 2018 और 2021 के बीच, सभी स्तरों पर कक्षा 10 के लिए आधुनिक भारतीय भाषा और अंग्रेजी को छोड़कर सभी विषयों के अंकों में गिरावट आई है (रेखाचित्र 7 देखें)।25,25, ,[27]
रेखाचित्र 7: एनएएस 2018 से एनएएस 2021 तक अखिल भारतीय अंकों में प्रतिशत परिवर्तन
स्रोत: "राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण राष्ट्रीय रिपोर्ट कार्ड एनएएस 2021, कक्षा III, V, VIII, और X", शिक्षा मंत्रालय; "विद्यार्थियों की शिक्षण की उपलब्धि, दसवीं कक्षा (चक्र 2), एनएएस 2018", मानव संसाधन विकास मंत्रालय; "राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण, क्लास: III, V और VIII, नेशनल रिपोर्ट टू इंफॉर्म पॉलिसी, प्रैक्टिस एंड टीचिंग लर्निंग", मानव संसाधन विकास मंत्रालय; पीआरएस।
एनएएस आंकड़े यह भी दर्शाते हैं कि राज्यों के बीच काफी ज्यादा अंतर हैं। उदाहरण के लिए कुछ राज्यों में विद्यार्थियों को कक्षा 3 के गणित कौशल में अपेक्षाकृत उच्च अंक मिले हैं, जैसे कि पंजाब (339) और तमिलनाडु (304); अन्य का स्कोर कम है, जैसे तेलंगाना (278) और मेघालय (279)।25
निपुण भारत
शैक्षिक उपलब्धि से संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए निपुण भारत मिशन जुलाई 2021 में शुरू किया गया था।[28] इसका उद्देश्य 2026-27 तक कक्षा 3 तक के बच्चों के बीच सार्वभौमिक फाउंडेशनल लिटरेसी एंड न्यूमेरसी (एफएलएन) के एनईपी उद्देश्य को प्राप्त करना है जो इसे प्राप्त नहीं कर पाए हैं।16 मिशन में साक्षरता और संख्यात्मकता के लिए राज्य-स्तरीय और राष्ट्रीय लक्ष्यों का निर्धारण, और राज्यों को वित्त पोषण और मार्गदर्शन के रूप में सहायता प्रदान करने के साथ-साथ पाठ्यक्रम और डिजिटल उपकरणों का विकास शामिल होगा।16
राज्य वार्षिक योजनाओं, प्रगति की निगरानी के लिए योजना और प्रणालियों को लागू करने और पर्याप्त शिक्षकों की नियुक्ति और प्रशिक्षण की निगरानी के लिए जिम्मेदार होंगे।16 दिसंबर 2022 तक प्राथमिक विद्यालय के बच्चों में साक्षरता और संख्यात्मकता के स्तर का पता लगाने के लिए एक फाउंडेशनल लर्निंग अध्ययन किया गया था, और शिक्षकों को 'दीक्षा' नामक एक पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन रिसोर्स उपलब्ध कराए गए थे।[29] इसके अलावा लगभग 12 लाख शिक्षकों ने मिशन के तहत प्रशिक्षण लिया है।29 29 फरवरी 2023 तक आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, जम्मू एवं कश्मीर, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, ओडिशा, पंजाब और पश्चिम बंगाल को छोड़कर सभी राज्यों ने व्यक्तिगत रूप से प्रशिक्षण शुरू किया था।[30]
मंत्रालय ने 2023-24 में राज्यों के लिए शिक्षक-शिक्षण और परिणामों को मजबूत करने के लिए 800 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। इससे राज्यों को ऐसी पहल को विकसित करने, उन्हें लागू करने और उनमें सुधार करने में मदद मिलेगी, जिससे शिक्षण परिणाम दुरुस्त हों और स्कूल से रोजगार में ट्रांजिशन संबंधी रणनीतियों में सुधार हो ताकि श्रम परिणामों में भी सुधार हो। 2022-23 के संशोधित अनुमान के अनुसार इस कार्यक्रम को 400 करोड़ रुपए का आवंटन प्राप्त होगा।
अलग-अलग राज्यों में महामारी की गंभीरता में अंतर और लॉकडाउन की अवधि में भिन्नताओं के कारण शिक्षण अंतराल को दूर करने के लिए राज्य सरकारों को कई तरह की कोशिश करने की जरूरत है।[31] हालांकि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने बच्चों की स्कूल में वापसी को आसान बनाने के लिए राज्यों के मार्गदर्शन हेतु वैकल्पिक शैक्षणिक कैलेंडर बनाए हैं।[32] एनसीईआरटी ने कई शिक्षण सामग्रियां भी विकसित की हैं जैसे "विद्या प्रवेश" दिशानिर्देश, जिनसे प्री-स्कूल वाले बच्चों में कक्षा 1 में प्रवेश लेने के लिए जरूरी कौशल आए।[33] एनसीईआरटी ने उन विद्यार्थियों के शिक्षण अंतराल को दूर करने के लिए भी कुछ सामग्रियां बनाई हैं जिनके पास डिजिटल उपकरण नहीं थे, जैसे "स्टूडेंट्स लर्निंग एनहांसमेंट गाइडलाइन्स"।[34]
स्कूलों में अभी भी मानव और ढांचागत क्षमता की कमी है
2021-22 में भारत में लगभग 14.9 लाख स्कूल थे।13 हालांकि पिछले कुछ वर्षों में स्कूलों में बुनियादी ढांचे में सुधार हुआ है, लेकिन कुछ की अब भी कमी है। 2021-22 तक 97.5% स्कूलों में लड़कियों का शौचालय था, और 96.2% स्कूलों में लड़कों का शौचालय था। 87% स्कूलों में एक पुस्तकालय/रीडिंग कॉर्नर था, और 89% स्कूलों में बिजली की सुविधा थी। केवल 47.5% स्कूलों में कंप्यूटर था, और 34% स्कूलों में इंटरनेट था।
स्कूल के बुनियादी ढांचे को बरकरार रखने की प्राथमिक जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है। हालांकि शिक्षा मंत्रालय ने स्कूलों को आधुनिक बुनियादी ढांचे से लैस करने और एनईपी के कार्यान्वयन को प्रदर्शित करने के लिए सितंबर 2022 में पीएम स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया (पीएम श्री) योजना शुरू की।18 यह योजना 14,500 चुनींदा मौजूदा स्कूलों में लागू की जाएगी।18 योजना को 2023-24 में 4,000 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।
एनईपी ने औसत विद्यार्थी-शिक्षक अनुपात 30:1 रखने का लक्ष्य निर्धारित किया है।12 यूडीआईएसई+ के आंकड़ों से पता चलता है कि अखिल भारतीय स्तर पर प्राथमिक विद्यालयों में 26:1, उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 19:1, माध्यमिक विद्यालयों में 17:1 और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में 27:1 के अनुपात के साथ यह लक्ष्य हासिल किया गया है। केवल बिहार और दिल्ली ने प्राथमिक स्तर (क्रमशः 53:1 और 33:1) पर इस लक्ष्य को पूरा नहीं किया, और दिल्ली उच्च प्राथमिक स्तर (32:1) पर भी लक्ष्य से चूक गया। माध्यमिक स्तर पर, बिहार और झारखंड में क्रमशः 54:1 और 34:1 का अनुपात है। उच्चतर माध्यमिक स्तर पर, छह राज्यों में उच्च अनुपात है; ये हैं बिहार (62:1), झारखंड (57:1), उत्तर प्रदेश (38:1), महाराष्ट्र (38:1), ओडिशा (35:1), और आंध्र प्रदेश (31:1)।
उच्च शिक्षा विभाग
उच्च शिक्षा विभाग को 2023-24 के लिए 44,095 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं, जो 2022-23 के संशोधित अनुमानों से 8% अधिक है। स्कूल शिक्षा विभाग की तरह उच्च शिक्षा विभाग के वास्तविक व्यय में भी वर्ष 2020-21 और 2021-22 में गिरावट आई है।
रेखाचित्र 8: पिछले एक दशक में उच्च शिक्षा विभाग के व्यय के रुझान
नोट: संशोधित अनुमान 2022-23 के लिए उपयोग किया गया है; 2023-24 के लिए 2022-23 के संशोधित अनुमान की तुलना में 2023-24 के बजट अनुमान के आधार पर आबंटन में परिवर्तन का प्रतिशत निकाला गया है।
स्रोत: केंद्रीय बजट, 2015-16 से 2023-24; पीआरएस।
विभाग के आवंटन के तीन सबसे बड़े घटकों के लिए व्यय 2022-23 के संशोधित अनुमानों की तुलना में 5% से कम बढ़ने का अनुमान है। इनमें से पहला केंद्रीय विश्वविद्यालयों को दिया जाने वाला अनुदान है। इन्हें अनुमानित रूप से 11,529 करोड़ रुपए (4% वृद्धि) प्राप्त होंगे। दूसरा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) के लिए आवंटन है, जिसे 9,662 करोड़ रुपए (3% वृद्धि) प्राप्त होने का अनुमान है। अंत में, विभाग के तहत वैधानिक और रेगुलेटरी निकायों को अनुमानित रूप से 5,780 करोड़ रुपए (4% वृद्धि) प्राप्त होंगे। इन निकायों में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) शामिल है, जो विश्वविद्यालयों (मानकों की स्थापना सहित) को रेगुलेट करता है और उन्हें धनराशि आवंटित करता है।[35] इसमें तकनीकी शिक्षा के लिए अखिल भारतीय परिषद (एआईसीटीई) भी शामिल है जो तकनीकी और प्रबंधन शिक्षा संस्थानों को रेगुलेट, वित्त पोषित और विकास की योजना बनाती है।[36] तालिका 4 में विभाग के व्यय की मुख्य मदों को दर्शाया गया है।
उच्च शिक्षा के संबंध में, एनईपी के निम्नलिखित लक्ष्य हैं: (i) प्रत्येक जिले में कम से कम एक बड़े बहु-विषयी उच्च शिक्षा संस्थान की स्थापना, (ii) उच्च शिक्षा तक समान पहुंच, (iii) अनुसंधान क्षमता में वृद्धि और आउटपुट, और (iv) व्यावसायिक प्रशिक्षण का विस्तार।12
तालिका 4: उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत व्यय की मुख्य मद (करोड़ रुपए में)
मुख्य मद |
वास्तविक 2021-2022 |
2022-23 संअ |
2023-24 बअ |
% परिवर्तन(संअ से बअ) |
केंद्रीय विश्वविद्यालयों को अनुदान |
8,750 |
11,034 |
11,529 |
4% |
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) |
8,082 |
9,345 |
9,662 |
3% |
वैधानिक/रेगुलेटरी निकाय (यूजीसी और एआईसीटीई) |
5,029 |
5,551 |
5,780 |
4% |
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) और आईआईईएसटी |
3,485 |
4,444 |
4,821 |
8% |
विद्यार्थी वित्तीय सहायता |
1,872 |
1,813 |
1,954 |
8% |
विश्व स्तरीय संस्थान |
1,046 |
1,200 |
1,500 |
25% |
भारतीय विज्ञान, शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) |
1,032 |
1,398 |
1,462 |
5% |
भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) |
651 |
608 |
300 |
-51% |
भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईआईटी) |
407 |
488 |
560 |
15% |
अन्य |
3,176 |
4,948 |
6,528 |
32% |
कुल |
33,531 |
40,828 |
44,095 |
8% |
स्रोत: व्यय बजट, 2023-24, पीआरएस।
फैकेल्टी के पदों में रिक्तियां और कमी
अप्रैल 2022 तक केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 6,549 फैकेल्टी पद खाली थे जिसमें अप्रैल 2021 (6,136 रिक्तियों) और अप्रैल 2020 (6,318 रिक्तियों) की तुलना में मामूली वृद्धि हुई है।[37] केंद्र सरकार के अधीन अन्य संस्थानों, जैसे आईआईटी, आईआईएम, और एनआईटी इत्यादि में 13,812 शिक्षण पद रिक्त हैं।[38] शिक्षा, महिला, बच्चे, युवा एवं खेल संबंधी स्टैंडिंग कमिटी ने सुझाव दिया था कि फैकेल्टी पदों की भर्ती के लिए विशेष भर्ती अभियान चलाए जाएं।38 उसने यह सुझाव भी दिया कि उच्च शिक्षा विभाग एकैडमिक फैकेल्टी की भर्ती, मूल्यांकन और पदोन्नति की प्रक्रिया की समीक्षा करे, जैसे कि यह शोध योगदानों को पुरस्कृत करता है।40
उच्च शिक्षा में भागीदारी में सामाजिक-आर्थिक असमानता
एनईपी उच्च शिक्षा में 50% जीईआर का लक्ष्य निर्धारित करती है, जिसे 2035 तक हासिल किया जाना है।12 2020-21 तक उच्च शिक्षा (18-23 आयु वर्ग के लिए) में जीईआर 27.3% है।[39] उच्च शिक्षा में जीईआर धीरे-धीरे बढ़ रहा है; 2019-20 में यह 25.6% और 2018-19 में 24.9% था।39 2020-21 तक लगभग 4.1 करोड़ विद्यार्थी उच्च शिक्षा में नामांकित थे (2.1 करोड़ पुरुष, और 2 करोड़ महिलाएं)।13
हालांकि, राज्यों में जीईआर में असमानताएं हैं। अपेक्षाकृत उच्च जीईआर वाले राज्यों में तमिलनाडु (45.4%), उत्तराखंड (42.8%), और मणिपुर (36.9%) शामिल हैं। अपेक्षाकृत कम जीईआर वाले राज्यों में झारखंड (12.4%), नागालैंड (15.4%), और छत्तीसगढ़ (14.1%) शामिल हैं।39
नामांकन दर सामाजिक समूहों में भी भिन्न होती है। अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) से संबंधित लोगों के लिए नामांकन दर अखिल भारतीय जीईआर से कम है। हालांकि जीईआर समय के साथ सभी समूहों के लिए बढ़ रहा है (रेखाचित्र 9 देखें)।
रेखाचित्र 9: 2016-17 से उच्च शिक्षा में जीईआर
स्रोत: उच्च शिक्षा का अखिल भारतीय सर्वेक्षण 2020-21
एआईएसएचई आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि समय के साथ लैंगिक असमानता कम हुई है। लैंगिक समानता सूचकांक (जीपीआई) उच्च शिक्षा में नामांकित प्रत्येक छात्र के लिए छात्राओं की संख्या का औसत बताता है, जैसे जीपीआई 1 होने का मतलब यह है कि पुरुषों और महिलाओं का नामांकन एक बराबर है। सभी विद्यार्थियों के साथ-साथ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के लिए, जीपीआई 2016-17 में 1 से कम था, और 2020-21 में एक से अधिक हो गया है। (रेखाचित्र 10 देखें)।
रेखाचित्र 10: 2016-17 से उच्च शिक्षा में जीपीआई
स्रोत: उच्च शिक्षा का अखिल भारतीय सर्वेक्षण 2020-21
शिक्षा की लागत में राज्यों के बीच काफी अधिक भिन्नताएं हैं। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण में एकत्र किए गए जून 2017- और जुलाई 2018 के बीच के आंकड़ों से पता चलता है कि तकनीकी या व्यावसायिक शिक्षा के लिए औसत वार्षिक व्यय उत्तर प्रदेश के लिए 72,959 रुपए था, जबकि असम के लिए 20,656 रुपए और हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के लिए मोटे तौर पर क्रमशः 42,224 रुपए और 40,774 रुपए के आस-पास।
2022 में शिक्षा, महिला, बच्चे, युवा एवं खेल संबंधी स्टैंडिंग कमिटी ने कहा था कि विद्यार्थियों के लिए वित्तीय सहायता योजनाएं उच्च शिक्षा की लागत को कवर करने के लिए पर्याप्त नहीं थीं।38 ऐसा इसलिए है क्योंकि स्कॉलरशिप का ज्यादातर व्यय कोर्स फीस के लिए किया जाता है।38 कमिटी ने सुझाव दिया था कि विभाग स्कॉलरशिप आवंटन के व्यय का अध्ययन करे। साथ ही अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के सदस्यों को लाभ पहुंचने के लिए अन्य विभागों और मंत्रालयों द्वारा प्रस्तावित योजनाओं का तुलनात्मक अध्ययन करे। इस अध्ययन का उपयोग इन विभागों और मंत्रालयों के साथ एक समन्वय तंत्र विकसित करने के लिए किया जाना चाहिए।38
2023-24 में विभाग के तहत विद्यार्थी वित्तीय सहायता के लिए आवंटन 1,954 करोड़ रुपए है। यह 2022-23 के संशोधित अनुमानों से 8% अधिक है। इसमें पीएम रिसर्च फेलोशिप का आवंटन शामिल है।
विद्यार्थी वित्तीय सहायता का सबसे बड़ा घटक पीएम उच्चतर शिक्षा प्रोत्साहन योजना (पीएम-यूएसपी) है, जिसे 1,554 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।2 इसमें तीन पूर्व मदों को शामिल किया गया है जिसमें से सबसे बड़ी शिक्षा लोन के लिए ब्याज भुगतान पर सबसिडी और डीफॉल्ट के लिए गारंटी के लिए फंड है। पीएम-यूएसपी के तहत शामिल अन्य मदों में कॉलेज और विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के लिए स्कॉलरशिप (उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्कूलों से उत्तीर्ण होने वाले 2% विद्यार्थियों को स्कॉलरशिप प्रदान की जाती है), और जम्मू और कश्मीर के विद्यार्थियों के लिए विशेष स्कॉलरशिप शामिल हैं।2 पीएम-यूएसपी के लिए आवंटन, इसमें शामिल की गई मदों के संशोधित अनुमानों की तुलना में केवल 3% अधिक है।
उल्लेखनीय है कि 2022-23 में संशोधित अनुमान स्तर पर विद्यार्थी वित्तीय सहायता के लिए आवंटन (1,813 करोड़ रुपए) बजट अनुमान (2,078 करोड़ रुपए) से 13% कम है। यह ज्यादातर ब्याज सबसिडी और गारंटी फंड योगदान में 24% की कमी के कारण है।
निजी संस्थानों में अधिक नामांकन, जो अधिक महंगे होते हैं
2020-21 तक 65% कॉलेज नामांकन निजी तौर पर संचालित होने वाले कॉलेजों में हैं।39 राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के 75वें दौर से पता चलता है कि स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर (2017-18), दोनों में निजी संस्थानों में उच्च शिक्षा अधिक महंगी है। स्नातक स्तर पर, औसत व्यय (i) गैर-सहायता प्राप्त निजी संस्थानों में 19,972 रुपए, (ii) सरकारी अनुदान प्राप्त करने वाले निजी संस्थानों में 16,769 रुपए, और (iii) केंद्र, राज्य या स्थानीय सरकारों द्वारा संचालित संस्थानों में 10,501 रुपए है (देखें रेखाचित्र 11)।22 सार्वजनिक रूप से वित्तपोषित और संचालित उच्च शिक्षा संस्थान उच्च शिक्षा को वहन करने योग्य बनाते हैं। शिक्षा, महिला, बच्चे, युवा एवं खेल संबंधी स्टैंडिंग कमिटी ने सुझाव दिया था कि गैर-लाभकारी संस्थानों पर लागू मानकों के अनुसार एचईआई का ऑडिट किया जाए और उनके लिए चंदों को प्रोत्साहित करने हेतु नीतिगत उपायों को लागू किया जाए।[40]
रेखाचित्र 11: एचईआई के प्रकार के अनुसार उच्च शिक्षा पर औसत व्यय
स्रोत: "भारत में शिक्षा पर घरेलू सामाजिक उपभोग के प्रमुख संकेतक, एनएसएस 75वां दौर (2017-18), सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय
उच्च शिक्षा के बाद- श्रमबल की भागीदारी और शोध
रोजगारपरकता
आर्थिक सर्वेक्षण 2022 में कहा गया है कि आधुनिक उद्योग की आवश्यकताओं से मेल खाने के लिए शिक्षा और कौशल को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। एनईपी में एक लक्ष्य व्यावसायिक शिक्षा को सामान्य शिक्षा के साथ एकीकृत करना और व्यावसायिक शिक्षा को मुख्यधारा बनाना है। श्रमबल भागीदारी दर 15 वर्ष और उससे अधिक उम्र के उन लोगों की तरफ इशारा करती है जो काम में लगे होते हैं। जब एनईपी में उच्च शिक्षा के लिए जीईआर को 50% तक बढ़ाने का सुझाव दिया गया है, जो मौजूदा स्तरों से लगभग दोगुना है, ऐसे में इन स्नातकों के लिए रोजगार और नौकरियों की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती है।
वार्षिक श्रम बल भागीदारी सर्वेक्षण 2020-21 के आंकड़ों से पता चलता है कि स्नातकों के लिए श्रमबल भागीदारी दर पिछले चार वर्षों में सुधार के बावजूद अब भी कम है।[41] स्नातकों के लिए, श्रमबल की भागीदारी दर 2020-21 में 51.8% है; इसमें स्नातक स्तर के पाठ्यक्रमों के बराबर डिप्लोमा और सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम शामिल हैं।41 जिन लोगों की शिक्षा का उच्चतम स्तर डिप्लोमा या स्नातक स्तर से नीचे का सर्टिफिकेट कोर्स है, उनकी श्रमबल भागीदारी दर 64.2% है।41 जिन लोगों ने स्नातकोत्तर या उससे अधिक की शिक्षा पूरी की है, उनकी श्रमबल भागीदारी दर 59.4% है।41
जेंडर्स के बीच असमानताएं अधिक स्पष्ट हैं। उदाहरण के लिए, महिलाओं और पुरुषों के लिए श्रमबल भागीदारी दर के बीच का अंतर उन लोगों में 40% है, जिनकी उच्चतम शैक्षिक योग्यता उच्चतर माध्यमिक स्तर की है, लेकिन स्नातकों के लिए यह 49% है (देखें रेखाचित्र 12)।
2021 में शिक्षा, महिला, बच्चे, युवा एवं खेल संबंधी स्टैंडिंग कमिटी ने सुझाव दिया था कि यूजीसी स्नातकों की रोजगारपरकता बढ़ाने के लिए बीए, बी.एससी और बी. कॉम पाठ्यक्रमों में इंटर्नशिप घटक पेश किया जाए। [42] इसके बाद मई 2022 में यूजीसी ने शोध इंटर्नशिप्स के लिए ड्राफ्ट दिशानिर्देश प्रकाशित किए जिसमें एनईपी के अनुसार उच्च शिक्षा संस्थानों में अनुसंधान को बढ़ावा देने की बात कही गई थी।[43] ड्राफ्ट दिशानिर्देशों में प्रस्ताव है कि इंटर्नशिप शोध योग्यता या रोजगारपरकता में सुधार का काम कर सकती है।[44]
रेखाचित्र 12: शैक्षिक योग्यता के आधार पर श्रम बल की भागीदारी दरों में जेंडर संबंधी असमानताएं
स्रोत: आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) - वार्षिक रिपोर्ट [जुलाई 2020 - जून 2021], सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय; पीआरएस।
रोजगार क्षमता में सुधार के लिए अन्य योजनाओं का उद्देश्य व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करना है। राष्ट्रीय शिक्षुता प्रशिक्षण योजना तकनीकी रूप से योग्य युवाओं को इंजीनियरिंग योग्यता, डिप्लोमा या व्यावसायिक पाठ्यक्रम स्नातकों को पेशेवर वातावरण में व्यावहारिक अनुभव भी प्रदान करती है।2,[45] इस योजना को 2023-24 के बजट अनुमानों में 440 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं, जो 2022-23 के संशोधित अनुमान की तुलना में 10% अधिक है।
अनुसंधान
अन्य नीतिगत प्रयासों का उद्देश्य अनुसंधान कौशल में सुधार करना है। तकनीकी शिक्षा में बहुआयामी शिक्षा और अनुसंधान सुधार (एमईआरआईटीई) कार्यक्रम तकनीकी शिक्षा में अनुसंधान कौशल और बाजारपरकता में सुधार पर केंद्रित है।[46] कार्यक्रम का एक लक्ष्य सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूहों के सदस्यों, जैसे कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों के बीच तकनीकी शिक्षा तक पहुंच में सुधार करना है।46 कार्यक्रम में पाठ्यक्रम में सुधार, फैकेल्टी प्रशिक्षण और इंजीनियरिंग कॉलेजों में सुविधाओं में सुधार करना (डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर सहित) शामिल होगा।46 अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के लिए योजना एक प्रतिस्पर्धी अनुसंधान कोष बनाएगी ताकि विशिष्ट क्षेत्रों में अनुसंधान को प्रोत्साहित किया जा सके, जैसे जलवायु परिवर्तन।46 कार्यक्रम को विश्व बैंक की उधारी द्वारा सहायता प्राप्त है।2 संशोधित अनुमान के अनुसार इसे 2023-24 में 100 करोड़ रुपए और 2022-23 में नौ करोड़ रुपए प्राप्त होने का अनुमान है।
[1] Entry No. 25, Seventh Schedule, the Constitution of India
[2] Demand No. 25, Department of School Education and Literacy, Ministry of Education, Union Budget 2023-24, https://www.indiabudget.gov.in/doc/eb/sbe25.pdf; Demand No. 26, Department of Higher Education, Ministry of Education, Union Budget 2023-24, https://www.indiabudget.gov.in/doc/eb/sbe26.pdf.
[3] Section 2 (13), The Finance Act, 2018, https://egazette.nic.in/writereaddata/2018/184302.pdf.
[4] “Creation of Non-lapsable Fund for Elementary Education Approved”, Press Information Bureau, Cabinet, October 6, 2005, https://pib.gov.in/newsite/erelcontent.aspx?relid=12567.
[5] “Cabinet approves creation of a single non-lapsable corpus fund for Secondary and Higher education from the proceeds of Cess for Secondary and Higher Education levied under Section 136 of Finance Act, 2007”, Press Information Bureau, Cabinet, August 16, 2017, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1499914.
[6] Report No. 305, Standing Committee on Human Resource Development, on “Demands for Grants 2018-19 (Demand No. 57) of the Department of School Education & Literacy”, Rajya Sabha, March 9, 2018, http://164.100.47.5/committee_web/ReportFile/16/98/305_2018_6_17.pdf.
[7] Report No. 4 of 2020 – Financial Audit of Accounts of the Union Government for the year 2018-19, Comptroller and Auditor General of India, August 4, 2020, https://cag.gov.in/webroot/uploads/download_audit_report/2020/Report%20No.%204%20of%202020_Eng-05f808ecd3a8165.55898472.pdf.
[8] Report No. 7 of 2021, – Financial Audit of Accounts of the Union Government for the year 2019-20, Comptroller and Auditor General of India, July 16, 2021, https://cag.gov.in/uploads/download_audit_report/2021/Report%20No.%207%20of%202021_English_(12-7-2021)-061a4c5a0ceebc7.43031638.pdf.
[9] Report No. 31 of 2022 – Financial Audit of Accounts of the Union Government for the year 2020-21, Comptroller and Auditor General of India, December 21, 2022, https://cag.gov.in/uploads/download_audit_report/2022/DSC-Report-No.-31-of-2022_UGFA-English-PDF-A-063a2f3ee1c14a7.01369268.pdf.
[10] Receipt Budget 2023-24; Demand No. 25, Expenditure Budget 2023-24; Demand No. 26, Expenditure Budget 2023-24
[11] Report of the Education Commission, Ministry of Education 1964-66, http://14.139.60.153/handle/123456789/61.
[12]National Education Policy 2020, Ministry of Education, https://www.education.gov.in/sites/upload_files/mhrd/files/NEP_Final_English_0.pdf.
[13] Chapter 6, “Social Infrastructure and Employment: Big Tent,” Economic Survey 2022-23, Budget 2023-24, https://www.indiabudget.gov.in/economicsurvey/doc/eschapter/echap06.pdf.
[14] “UIS.Stat Bulk Data Download Service”, UNESCO Institute for Statistics (UIS), https://apiportal.uis.unesco.org/bdds, (accessed on February 16, 2023)
[15] “Samagra Shiksha An Integrated Scheme For School Education Framework For Implementation”, Ministry of Education, October 12 2022, https://samagra.education.gov.in/docs/ss_implementation.pdf.
[16] National Initiative for Proficiency in Reading with Understanding and Numeracy (NIPUN) Bharat Guidelines for Implementation, 2021, Ministry of Education, https://www.education.gov.in/sites/upload_files/mhrd/files/nipun_bharat_eng1.pdf.
[17] “About PM SHRI School”, Department of School Education and Literacy, accessed on February 15, 2023, https://pmshrischools.education.gov.in/about-us.
[18] “Cabinet approves a new centrally sponsored Scheme - PM SHRI Schools (PM ScHools for Rising India)”, Press Information Bureau, Department of School Education and Literacy, September 2, 2022, https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1857409.
[19] Pradhan Mantri Poshan Shakti Nirman (PM POSHAN) Guidelines, Department of School Education and Literacy, December 21, 2022, https://pmposhan.education.gov.in/Files/Guidelines/2023/Guidelines%20on%20PM%20POSHAN%20SCHEME.pdf.
[20] Sub-Section (b), Section 5, The National Food Security Act, 2013, https://legislative.gov.in/sites/default/files/A2013-20.pdf.
[21] Unified District Information System for Education+ Annual Report 2021-22, Ministry of Education, https://dashboard.udiseplus.gov.in/#/reportDashboard/sReport.
[22] “Key Indicators of Household Social Consumption on Education in India, NSS 75th Round (2017-18)”, Ministry of Statistics and Programme Implementation, http://microdata.gov.in/nada43/index.php/catalog/151/download/1937.
[23] Report No. 336, Standing Committee on Education, Women, Children, Youth and Sports, on “Demands for Grants 2022-23 of the Department of School Education & Literacy”, March 16, 2022, Rajya Sabha, https://rajyasabha.nic.in/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/16/162/336_2022_3_15.pdf.
[24] Report No. 343, Standing Committee on Education, Women, Children, Youth and Sports, on “Action Taken by the Government on the Recommendations/Observations contained in the Three Hundred Thirty Sixth Report on Demands for Grants 2022-23 of the Department of School Education & Literacy, Ministry of Education”, Rajya Sabha, December 19, 2022, https://rajyasabha.nic.in/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/16/167/343_2022_12_15.pdf.
[25] “National Achievement Survey National Report Card NAS 2021, Class III, V, VIII, &X”, Ministry of Education, https://nas.gov.in/download-national-report.
[26] “Learning Achievement of Students, Class X (Cycle 2), NAS 2018”, Ministry of Human Resources Development, https://nas.gov.in/assets/front/National-Report-Card-2017.zip.
[27] NAS 2017: National Achievement Survey, Class : III, V and VIII. https://nas.gov.in/assets/front/National-Report-Card-2017.zip.
[28] “Union Education Minister to launch NIPUN Bharat tomorrow”, Press Information Bureau, Ministry of Education, July 4, 2021, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1732597.
[29] Lok Sabha Unstarred Question No. 1863, Ministry of Education, December 19, 2022, https://pqals.nic.in/annex/1710/AU1863.pdf.
[30] “National Level Data”, NISHTA Portal, National Council of Educational Research and Training, accessed February 19, 2023, https://itpd.ncert.gov.in/mss/nishthadashboard/dashboardprint.php.
[31] Report No. 342, Standing Committee on Education, Women, Children, Youth and Sports, on “Action Taken by the Government on the Recommendations/Observations contained in the Three Hundred Twenty Eighth Report on Plans for Bridging the Learning Gap caused due to School Lockdown as well as Review of Online and Offline Instructions and Examinations and Plans for Re-Opening of Schools”, December 19, 2022, Rajya Sabha, https://rajyasabha.nic.in/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/16/167/342_2022_12_15.pdf.
[32] Alternative Academic Calendar”, National Council of Educational Research and Training, accessed February 19, 2022, https://ncert.nic.in/alternative-academic-calendar.php.
[33] “Vidya Pravesh: Guidelines for Three-month Play-based School Preparation Module for Grade I”, National Council of Educational Research and Training, January 2022, https://ncert.nic.in/pdf/VidyaPravesh_Guidelines_GradeI.pdf.
[34] “Students’ Learning Enhancement Guidelines”, National Council of Educational Research and Training, https://ncert.nic.in/pdf/announcement/Learning_%20Enhancement_Guidelines.pdf.
[35] The University Grants Commission Act, 1956, https://www.ugc.ac.in/oldpdf/ugc_act.pdf.
[36] All India Council for Technical Education Act, 1987, https://www.aicte-india.org/downloads/aicteact.pdf.
[37] Lok Sabha Unstarred question No. 134, Ministry of Education, July 25, 022, https://pqals.nic.in/annex/179/AU1354.pdf.
[38] Report No. 337, Standing Committee on Education, Women, Children, Youth and Sports, on “Demands for Grants 2022-23 of the
Department of Higher Education”, Rajya Sabha, March 16, 2022, https://rajyasabha.nic.in/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/16/162/337_2022_3_15.pdf.
[39]All India Survey of Higher Education 2020-21, Department of Higher Education, Ministry of Education, https://aishe.gov.in/aishe/BlankDCF/AISHE%20Final%20Report%202020-21.pdf.
[40] Report No. 341, Standing Committee on Education, Women, Children, Youth And Sports, On “Review of Education Standards, Accreditation Process, Research, Examination Reforms and Academic Environment in Deemed/ Private Universities/Other Higher Education Institutions”, Rajya Sabha, July 4, 2022, https://rajyasabha.nic.in/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/16/162/341_2022_7_14.pdf.
[41] Annual Report, Periodic Labour Force Survey (PLFS) (July 2020 – June 2021), Ministry of Statistics and Programme Implementation,
https://dge.gov.in/dge/sites/default/files/2022-07/Annual_Report_PLFS_2020-21_0_0.pdf
[42] Report No. 324, Standing Committee on Education, Women, Children, Youth and Sports, on “Demands for Grants 2021-22 of the
Department of Higher Education”, March 9, 2021, https://rajyasabha.nic.in/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/16/144/324_2021_7_13.pdf.
[43] No.: l-512021(NEP/Desk-Parl.), University Grants Commission, May 12, 2022, https://www.ugc.ac.in/pdfnews/6119071_Public-Notice_002.pdf.
[44] Draft Guidelines for Research Internship with Faculty and Researchers at Higher Education Institutions/Research Institutions, University Grants Commission, https://www.ugc.ac.in/pdfnews/1887287_Rsearch-Internship-Guidelines-120522.pdf
[45] “Overview”, National Apprenticeship Training Scheme (NATS) Instituted by Boards of Apprenticeship Training / Practical Training, Ministry of Education, accessed on February 20, 2023, http://portal.mhrdnats.gov.in/about-us.
[46] “Multidisciplinary Education and Research Improvement in Technical Education (MERITE) Project Information Document (PID)”, World Bank, August 15, 2022, https://documents1.worldbank.org/curated/en/099105108162230978/pdf/P17791700c9b5e060b98a0b48ec578417f.pdf.
अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।