पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय तेल और प्राकृतिक गैस की खोज और उत्पादन, रिफाइनिंग, वितरण और मार्केटिंग, आयात और निर्यात तथा पेट्रोलियम उत्पादों के संरक्षण से संबंधित है। इस नोट में 2025-26 के लिए मंत्रालय के प्रस्तावित व्यय और पिछले कुछ वर्षों में व्यय की प्रवृत्तियों पर चर्चा की गई है।
वित्तीय स्थिति[i]
2025-26 में मंत्रालय को 19,327 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं जो 2024-25 के संशोधित अनुमानों से 11% अधिक है। यह 2025-26 में सरकार के कुल अनुमानित व्यय (50,65,345 करोड़ रुपए) का 0.38% है।
तालिका 1: पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के लिए आवंटन (करोड़ रुपए में)
प्रमुख मदें |
वास्तविक 2023-24 |
बजटीय 2024-25 |
संशोधित 2024-25 |
बजटीय 2025-26 |
एलपीजी सबसिडी |
12,240 |
11,925 |
14,700 |
12,100 |
रणनीतिक तेल भंडार |
153 |
628 |
130 |
5,876 |
आईजीजीएल (उत्तर पूर्व प्राकृतिक गैस पाइपलाइन ग्रिड) |
1,043 |
1,000 |
612 |
700 |
मिशन अन्वेषण |
- |
332 |
50 |
592 |
अन्य |
1,045 |
2,045 |
2,006 |
338 |
कुल |
14,328 |
15,930 |
17,368 |
19,327 |
नोट: एसओआर- रणनीतिक तेल भंडार; ओएमसी- तेल विपणन कंपनी; आईजीजीएल- इंद्रधनुष गैस ग्रिड लिमिटेड। स्रोत: केंद्रीय बजट दस्तावेज 2024-25; पीआरएस।
ऐतिहासिक रूप से मंत्रालय के व्यय की प्रवृत्ति विश्व स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों की प्रवृत्ति के अनुरूप होती है (देखें रेखाचित्र 1)। भारत कच्चे तेल की अपनी जरूरत का लगभग 85% आयात करता है।[ii] जब विश्व स्तर पर तेल की कीमतें बढ़ीं, तो सरकार ने उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए भारत में कीमतों में बढ़ोतरी पर रोक लगा दी। तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को हुए नुकसान की आंशिक भरपाई केंद्र सरकार द्वारा की गई। नुकसान की भरपाई के लिए सरकार ने 2002 से नकद सबसिडी के बदले तेल विपणन कंपनियों को तेल बांड जारी किए। फरवरी 2023 तक तेल बांड का बकाया मूल्य 92,200 करोड़ रुपए (ब्याज सहित 1,06,933 करोड़ रुपए) है। सभी बांड अप्रैल 2026 तक मेच्योर हो जाएंगे (अनुलग्नक में तालिका 7 देखें)।[iii]
2025-26 में एलपीजी सबसिडी के लिए 12,100 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। इसमें एलपीजी के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (पहल) और गरीब परिवारों को एलपीजी कनेक्शन (प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना) के लिए आवंटन शामिल है।1