बिहार बजट विश्लेषण
2021-22
बिहार के वित्तमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने 22 फरवरी, 2021 को वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए राज्य का बजट प्रस्तुत किया। कोविड-19 के असर की वजह से वर्ष 2020-21 अर्थव्यवस्था और सरकारी वित्त के लिहाज से स्टैंडर्ड वर्ष नहीं था। इस नोट में 2021-22 के बजट अनुमानों की तुलना 2019-20 के वास्तविक आंकड़ों से की गई है (चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर या सीएजीआर के संदर्भ में)। अनुलग्नक में 2020-21 के संशोधित अनुमानों और 2021-22 के बजट अनुमानों के बीच तुलना की गई है।
बजट के मुख्य अंश
- 2021-22 के लिए बिहार का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) (मौजूदा मूल्यों पर) 7,57,026 करोड़ रुपए अनुमानित है। इसमें 2019-20 की तुलना में 11% की वार्षिक वृद्धि है। संशोधित अनुमानों के अनुसार, पिछले वर्ष की तुलना में 2020-21 में जीएसडीपी में 4.7% की वृद्धि अनुमानित है (बजट अनुमान 11.1% थे)।
- 2021-22 के लिए कुल व्यय 2,18,303 करोड़ रुपए अनुमानित है जिसमें 2019-20 की तुलना में 23% की वार्षिक वृद्धि है। संशोधित अनुमानों के अनुसार, 2020-21 में कुल व्यय, बजट अनुमान से 6% अधिक होने की उम्मीद है (13,697 करोड़ रुपए की वृद्धि)।
- 2021-22 के लिए कुल प्राप्तियां (उधारियों के बिना) 1,86,697 करोड़ रुपए अनुमानित हैं जिसमें 2019-20 की तुलना में 23% की वार्षिक वृद्धि है। 2020-21 में कुल प्राप्तियां बजट अनुमान से 9,684 करोड़ रुपए कम रहने का अनुमान है (5% की गिरावट)।
- 2021-22 के लिए राजस्व अधिशेष 9,196 करोड़ रुपए होने का अनुमान है जोकि जीएसडीपी का 1.21% है। 2020-21 में (संशोधित अनुमान) राज्य को 5,187 करोड़ रुपए के राजस्व घाटे का अनुमान है (जीएसडीपी का 0.8%)।
- 2021-22 में राजकोषीय घाटा 22,511 करोड़ रुपए पर लक्षित है (जीएसडीपी का 2.97%)। संशोधित अनुमान के अनुसार, 2020-21 में राजकोषीय घाटा जीएसडीपी का 6.77% अनुमानित है जो जीएसडीपी के 2.97% के बजट अनुमान से काफी अधिक है।
नीतिगत विशिष्टताएं
- सात निश्चय योजना-2: राज्य 2021-22 में सात निश्चय योजना-2 को लागू करेगा। 2021-22 में इस कार्यक्रम के लिए 4,671 करोड़ रुपए आबंटित किए गए हैं।
- सात निश्चय-2 के अंतर्गत मुख्य योजनाओं में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) पॉलिटेक्निक्स और औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में सेंटर ऑफ एक्सिलेंस की स्थापना, (ii) हर जिले में मेगा स्किल डेवलपमेंट सेंटर और हर डिविजन में टूल रूम्स का स्थापना, (iii) नए व्यवसाय शुरू करने के लिए युवाओं और महिलाओं को सबसिडियुक्त ब्याज दरों पर पांच लाख रुपए तक का अनुदान और पांच लाख रुपए तक के लोन, (iv) बालिकाओं को नकद प्रोत्साहनः सीनियर सेकेंडरी पूरी करने पर 25,000 रुपए और ग्रैजुएशन पूरी करने पर 50,000 रुपए, (v) प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में टेलीमेडिसिन, पैथोलॉजी, डायबिटीज़-ब्लड प्रेशर इत्यादि की स्क्रीनिंग का प्रावधान, और (vi) शहरी क्षेत्रों में बेघर लोगों और भूमिहीन गरीबों के लिए आवास और वृद्धों के लिए सभी शहरों में शेल्टर होम्स।
- शिक्षा: डिजिटल बिहार कार्यक्रम के अंतर्गत कक्षा छह और उससे ऊपर की कक्षाओं के विद्यार्थियों को 2021-22 से कंप्यूटर शिक्षा और प्रशिक्षण मिलेगा। राज्य सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने और 2035 तक उच्च शिक्षा में सकल दाखिला अनुपात को बढ़ाकर 50% करने के लिए कदम उठाएगी।
बिहार की अर्थव्यवस्था
|
रेखाचित्र 1: बिहार में स्थिर मूल्यों पर (2011-12) जीएसडीपी और विभिन्न क्षेत्रों में वृद्धि
नोट: आंकड़े स्थिर मूल्यों (2011-12) पर आधारित हैं जिसका यह अर्थ है कि वृद्धि दर को मुद्रास्फीति के हिसाब से समायोजित किया गया है। Sources: Bihar Economic Summary 2020-21; PRS. |
2021-22 के लिए बजट अनुमान
- 2021-22 में 2,18,303 करोड़ रुपए के कुल व्यय का अनुमान है। इसमें 2019-20 की तुलना में 23% की वार्षिक वृद्धि है। इस व्यय को 1,86,697 करोड़ रुपए की प्राप्तियों (उधारियों के अतिरिक्त) और 31,805 करोड़ रुपए की उधारियों के जरिए पूरा किया जाना प्रस्तावित है। 2019-20 की तुलना में 2021-22 में कुल प्राप्तियों (उधारियों के अतिरिक्त) में 23% की वार्षिक वृद्धि की उम्मीद है।
- 2021-22 के लिए राज्य ने राजकोषीय घाटे को जीएसडीपी का 2.97% अनुमानित किया है। यह 2021-22 में केंद्र सरकार द्वारा राज्यों के राजकोषीय घाटे की 4% की अनुमत सीमा से कम है। आर्थिक बहाली को सहयोग देने के लिए व्यय बढ़ाने हेतु एफआरबीएम एक्ट के अंतर्गत राज्यों को 3% की सामान्य सीमा से अधिक राजकोषीय घाटे की अनुमति दी गई है। 2021-22 में राज्य ने 9,196 करोड़ रुपए के राजस्व अधिशेष का अनुमान लगाया है जोकि 2019-20 में राजस्व अधिशेष से काफी अधिक है (263% की वार्षिक वृद्धि)।
- 2020-21 के संशोधित अनुमानों के अनुसार, प्राप्तियों (उधारियों के अतिरिक्त) के बजट अनुमान से 5% कम होने की उम्मीद है जबकि कुल व्यय के बजटीय अनुमानों की तुलना में 6% अधिक होने का अनुमान है। पिछले पांच वर्षों में राज्य में राजस्व अधिशेष हुआ है लेकिन 2020-21 में यह अनुमान है कि 5,187 करोड़ रुपए का राजस्व घाटा होगा (जीएसडीपी का 0.80%)। 2020-21 में राजकोषीय घाटा जीएसडीपी का 6.77% होना अनुमानित है (संशोधित अनुमानों के अनुसार) जोकि 2020-21 में केंद्र सरकार द्वारा राज्यों के राजकोषीय घाटे की 5% की अनुमत सीमा से अधिक है।
तालिका 1: बजट 2021-22 के मुख्य आंकड़े (करोड़ रुपए में)
मद |
2019-20 वास्तविक |
2020-21 बजटीय |
2020-21 संशोधित |
बअ 2020-21 से संअ 2020-21 में परिवर्तन का % |
2021-22 बजटीय |
वार्षिक परिवर्तन |
कुल व्यय |
1,43,614 |
2,11,761 |
2,25,458 |
6% |
2,18,303 |
23% |
क. प्राप्तियां (उधारियों के बिना) |
1,24,263 |
1,84,352 |
1,74,668 |
-5% |
1,86,697 |
23% |
ख. उधारियां |
29,145 |
27,609 |
37,629 |
36% |
31,805 |
4% |
कुल प्राप्तियां (ए+बी) |
1,53,408 |
2,11,961 |
2,12,297 |
0% |
2,18,503 |
19% |
राजस्व संतुलन |
699 |
19,173 |
5,187 |
-127% |
9,196 |
263% |
जीएसडीपी का % |
0.11% |
2.80% |
-0.80% |
|
1.21% |
|
राजकोषीय घाटा |
12,241 |
20,374 |
43,737 |
115% |
22,511 |
36% |
जीएसडीपी का % |
1.98% |
2.97% |
6.77% |
|
2.97% |
|
प्राथमिक घाटा |
1,250 |
7,449 |
30,786 |
313% |
7,993 |
153% |
जीएसडीपी का % |
0.20% |
1.09% |
4.76% |
|
1.06% |
|
नोट्स: बअ- बजट अनुमान; संअ- संशोधित अनुमान। नेगेटिव राजस्व संतुलन घाटे को दर्शाता है।
Sources: Bihar Budget Documents 2021-22; Bihar Economic Survey 2020-21; PRS.
2021-22 में व्यय
- 2021-22 में पूंजीगत व्यय 41,231 करोड़ रुपए प्रस्तावित है जिसमें 2019-20 की तुलना में 43% की वार्षिक वृद्धि है। पूंजीगत व्यय में ऐसे व्यय शामिल हैं, जोकि राज्य की परिसंपत्तियों और देनदारियों को प्रभावित करते हैं, जैसे (i) पूंजीगत परिव्यय यानी ऐसा व्यय जोकि परिसंपत्तियों का सृजन (जैसे पुल और अस्पताल) करता है और (ii) राज्य सरकार द्वारा ऋण का पुनर्भुगतान और ऋण देना। 2021-22 में पूंजीगत परिव्यय (30,788 करोड़ रुपए) में 2019-20 की तुलना में 58% की वार्षिक वृद्धि अनुमानित है।
- 2021-22 के लिए 1,77,071 करोड़ रुपए का राजस्व व्यय प्रस्तावित है जिसमें 2019-20 की तुलना में 20% की वृद्धि है। इसमें वेतन का भुगतान, ब्याज और सब्सिडी शामिल हैं। 2020-21 में राजस्व व्यय के बजट अनुमान से 9% अधिक होने का अनुमान है।
- संशोधित अनुमानों के अनुसार, 2020-21 में जबकि राजस्व व्यय बजट अनुमान से 9% अधिक अनुमानित है, पूंजीगत परिव्यय के 3% कम होने का अनुमान है।
तालिका 2: बजट 2021-22 में व्यय (करोड़ रुपए में)
मद |
2019-20 वास्तविक |
2020-21 बजटीय |
2020-21 संशोधित |
बअ 2020-21 से संअ 2020-21 में परिवर्तन का % |
2021-22 बजटीय |
वार्षिक परिवर्तन |
पूंजीगत व्यय |
20,080 |
47,010 |
46,032 |
-2% |
41,231 |
43% |
जिसमें पूंजीगत परिव्यय |
12,304 |
38,745 |
37,748 |
-3% |
30,788 |
58% |
राजस्व व्यय |
1,23,534 |
1,64,751 |
1,79,426 |
9% |
1,77,071 |
20% |
कुल व्यय |
1,43,614 |
2,11,761 |
2,25,458 |
6% |
2,18,303 |
23% |
क. ऋण पुनर्भुगतान |
7,110 |
7,035 |
7,053 |
0.3% |
9,094 |
13% |
ख. ब्याज भुगतान |
10,991 |
12,925 |
12,951 |
0.2% |
14,517 |
15% |
ऋण चुकौती (क+ख) |
18,101 |
19,960 |
20,004 |
0.2% |
23,612 |
14% |
नोट्स: बअ- बजट अनुमान; संअ- संशोधित अनुमान। पूंजीगत परिव्यय का अर्थ ऐसा व्यय है जिससे परिसंपत्तियों का सृजन होता है।
Sources: Bihar Budget Documents 2021-22; PRS.
2021-22 में विभिन्न क्षेत्रों के लिए व्यय
2021-22 के दौरान बिहार के बजटीय व्यय का 68% हिस्सा निम्नलिखित क्षेत्रों के लिए खर्च किया जाएगा। विभिन्न क्षेत्रों में बिहार और अन्य राज्यों द्वारा कितना व्यय किया जाता है, इसकी तुलना अनुलग्नक 1 में प्रस्तुत है।
तालिका 3: बिहार बजट 2021-22 में क्षेत्रवार व्यय (करोड़ रुपए में)
क्षेत्र |
2019-20 वास्तविक |
2020-21 बअ |
2020-21 संअ |
2021-22 बअ |
वार्षिक परिवर्तन |
बजटीय प्रावधान 2021-22 |
शिक्षा, खेल, कला और संस्कृति |
26,353 |
39,351 |
38,509 |
39,467 |
22% |
|
ग्रामीण विकास |
13,198 |
26,058 |
26,059 |
24,156 |
35% |
|
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण |
7,674 |
10,602 |
11,171 |
13,012 |
30% |
|
समाज कल्याण एवं पोषण |
8,810 |
13,505 |
20,700 |
12,610 |
20% |
|
पुलिस |
7,738 |
10,022 |
9,926 |
11,558 |
22% |
|
आवास |
5,658 |
9,317 |
9,317 |
9,075 |
27% |
|
बिजली |
9,043 |
5,457 |
8,549 |
8,473 |
-3% |
|
सड़क एवं पुल |
3,496 |
7,603 |
9,246 |
7,800 |
49% |
|
कृषि एवं संबद्ध गतिविधियां |
4,066 |
7,056 |
6,866 |
7,604 |
37% |
|
शहरी विकास |
2,766 |
6,637 |
6,637 |
6,853 |
57% |
|
सभी क्षेत्रों में कुल व्यय का % |
65% |
67% |
68% |
68% |
2% |
|
Sources: Bihar Budget Documents 2021-22; PRS.
प्रतिबद्ध व्यय: राज्य के प्रतिबद्ध व्यय में आम तौर पर वेतन भुगतान, पेंशन और ब्याज से संबंधित व्यय शामिल होते हैं। अगर बजट में प्रतिबद्ध व्यय की मद के लिए बड़ा हिस्सा आबंटित किया जाता है तो इससे राज्य पूंजीगत निवेश जैसी प्राथमिकताओं पर कम खर्च कर पाता है। 2021-22 में बिहार द्वारा प्रतिबद्ध व्यय पर 63,571 करोड़ रुपए खर्च किए जाने का अनुमान है जोकि उसकी राजस्व प्राप्तियों का 34% है। इसमें वेतन (राजस्व प्राप्तियों का 15%), पेंशन (राजस्व प्राप्तियों का 12%) और ब्याज भुगतान (राजस्व प्राप्तियों का 8%) पर व्यय शामिल हैं। 2019-20 के तुलना में प्रतिबद्ध व्यय में 16% की वार्षिक वृद्धि अनुमानित है।
तालिका 4: प्रतिबद्ध व्यय (करोड़ रुपए में)
मद |
2019-20 वास्तविक |
2020-21 बजटीय |
2020-21 संशोधित |
बअ 2020-21 से संअ 2020-21 में परिवर्तन का % |
2021-22 बजटीय |
वार्षिक परिवर्तन |
वेतन |
19,463 |
24,987 |
24,999 |
0% |
27,237 |
18% |
पेंशन |
17,110 |
20,468 |
20,468 |
0% |
21,817 |
13% |
ब्याज भुगतान |
10,991 |
12,925 |
12,951 |
0% |
14,517 |
15% |
कुल प्रतिबद्ध व्यय |
47,565 |
58,380 |
58,418 |
0% |
63,571 |
16% |
Sources: Bihar Budget Documents 2021-22; PRS.
2021-22 में प्राप्तियां
- 2021-22 के लिए 1,86,267 करोड़ रुपए की कुल राजस्व प्राप्तियों का अनुमान है, जिसमें 2019-20 की तुलना में 22% की वार्षिक वृद्धि है। इनमें से 40,555 करोड़ रुपए (22%) राज्य द्वारा अपने संसाधनों से जुटाए जाएंगे और 1,45,712 करोड़ रुपए (78%) केंद्रीय हस्तांतरण के रूप में होंगे। यह धनराशि केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी (राजस्व प्राप्तियों का 49%) और सहायतानुदान (राजस्व प्राप्तियों का 29%) से मिलेगी।
- हस्तांतरण: 2021-22 में केंद्रीय करों में हिस्सेदारी से राज्य को 91,181 करोड़ रुपए की प्राप्तियों का अनुमान है जिसमें 2019-20 की तुलना में 20% की वार्षिक वृद्धि है। हालांकि केंद्रीय बजट 2021-22 के अनुमानों के अनुसार, बिहार को 2021-22 में हस्तांतरण में 66,942 करोड़ रुपए मिलेंगे (राज्य बजट के अंतर्गत अनुमान से 27% से कम)। अनुमान से इतना अधिक अंतर होने पर राज्य को बाद के चरण में व्यय में कटौती करनी पड़ सकती है। 2020-21 में बजट अनुमान की तुलना में हस्तांतरणों में 13% की कमी अनुमानित है। केंद्रीय बजट 2021-22 में अनुमानित है कि 2020-21 में राज्यों को बजट अनुमान से 30% कम हस्तांतरित होंगे। इसलिए राज्य बजट में 2020-21 के संशोधित अनुमान भी अति प्राक्कलन (ओवरएस्टिमेट) हो सकते हैं।
- राज्य का स्वयं कर राजस्व: 2021-22 में बिहार का कुल स्वयं कर राजस्व 35,050 करोड़ रुपए अनुमानित है, जिसमें 2019-20 की तुलना में 8% की वार्षिक वृद्धि है। स्वयं कर राजस्व की वृद्धि दर जीएसडीपी की वृद्धि दर (11%) से कम है। इसलिए स्वयं कर जीएसडीपी अनुपात 2019-20 में 4.9% से गिरकर 2021-22 में 4.6% होने की उम्मीद है।
तालिका 5 : राज्य सरकार की प्राप्तियों का ब्रेकअप (करोड़ रुपए में)
मद |
2019-20 वास्तविक |
2020-21 बजटीय |
2020-21 संशोधित |
बअ 2020-21 से संअ 2020-21 में परिवर्तन का % |
2021-22 बजटीय |
वार्षिक परिवर्तन |
राज्य के अपने कर |
30,158 |
34,750 |
34,750 |
0% |
35,050 |
8% |
राज्य के अपने गैर कर |
3,700 |
5,239 |
7,839 |
50% |
5,505 |
22% |
केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी |
63,406 |
91,181 |
78,896 |
-13% |
91,181 |
20% |
केंद्र से सहायतानुदान |
26,969 |
52,754 |
52,754 |
0% |
54,531 |
42% |
कुल राजस्व प्राप्तियां |
1,24,233 |
1,83,924 |
1,74,240 |
-5% |
1,86,267 |
22% |
उधारियां |
29,145 |
27,609 |
37,629 |
36% |
31,805 |
4% |
अन्य प्राप्तियां |
30 |
428 |
428 |
0% |
430 |
276% |
कुल पूंजीगत प्राप्तियां |
29,175 |
28,038 |
38,057 |
36% |
32,235 |
5% |
कुल प्राप्तियां |
1,53,408 |
2,11,961 |
2,12,297 |
0.2% |
2,18,503 |
19% |
नोट्स: बअ- बजट अनुमान; संअ- संशोधित अनुमान। 2020-21 के संशोधित चरण में राज्य के स्वयं गैर कर राजस्व बढ़ोतरी संशोधित चरण में अधिक ब्याज प्राप्तियों के कारण हुई है (2,080 करोड़ के बजट अनुमान की तुलना में 4,680 करोड़ रुपए)
Sources: Bihar Budget Documents 2021-22; PRS.
तालिका 6: राज्य के स्वयं कर राजस्व के मुख्य स्रोत (करोड़ रुपए में)
मद |
2019-20 वास्तविक |
2020-21 बजटीय |
2020-21 संशोधित |
बअ 2020-21 से संअ 2020-21 में परिवर्तन का % |
2021-22 बजटीय |
वार्षिक परिवर्तन |
2021-22 में राजस्व प्राप्तियों का % |
राज्य जीएसटी |
15,801 |
20,800 |
20,800 |
0% |
20,621 |
14% |
11.1% |
सेल्स टैक्स/वैट |
6,121 |
5,830 |
5,830 |
0% |
6,010 |
-1% |
3.2% |
स्टाम्प ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क |
4,661 |
4,700 |
4,700 |
0% |
5,000 |
4% |
2.7% |
वाहन टैक्स |
2,713 |
2,500 |
2,500 |
0% |
2,500 |
-4% |
1.3% |
भूराजस्व |
275 |
500 |
500 |
0% |
500 |
35% |
0.3% |
बिजली पर टैक्स और ड्यूटी |
440 |
250 |
250 |
0% |
250 |
-25% |
0.1% |
जीएसटी क्षतिपूर्ति अनुदान |
3,525 |
3,500 |
3,500 |
0% |
3,500 |
0% |
1.9% |
जीएसटी क्षतिपूर्ति ऋण |
- |
- |
3,905 |
- |
- |
- |
- |
Sources: Bihar Budget Documents 2021-22; PRS.
जीएसटी क्षतिपूर्ति जीएसटी (राज्यों को मुआवजा) एक्ट, 2017 सभी राज्यों को जीएसटी के कारण होने वाले नुकसान की पांच वर्षों तक (2022 तक) भरपाई करने की गारंटी देता है। एक्ट राज्यों को उनके जीएसटी राजस्व में 14% की वार्षिक वृद्धि की गारंटी देता है, और ऐसा न होने पर राज्यों को इस कमी को दूर करने के लिए मुआवजा अनुदान दिया जाता है। ये अनुदान केंद्र द्वारा वसूले जाने वाले जीएसटी क्षतिपूर्ति सेस से दिए जाते हैं। चूंकि 2020-21 में राज्यों की क्षतिपूर्ति की जरूरत को पूरा करने के लिए सेस कलेक्शन पर्याप्त नहीं था, उनकी जरूरत के एक हिस्से को केंद्र के लोन्स के जरिए पूरा किया जाएगा (जोकि भविष्य के सेस कलेक्शन से चुकाया जाएगा)। 2020-21 के संशोधित अनुमानों की तुलना में बिहार को जीएसटी क्षतिपूर्ति के रूप में 7,405 करोड़ रुपए प्राप्त होने का अनुमान है। इसमें 3,500 करोड़ रुपए जीएसटी मुआवजा अनुदान और 3,905 करोड़ रुपए के लोन्स शामिल हैं। राज्य को 2021-22 में 3,500 करोड़ रुपए का जीएसटी क्षतिपूर्ति अनुदान प्राप्त होने का अनुमान है। |
- राज्य का स्वयं कर राजस्व: 2021-22 में बिहार का कुल स्वयं कर राजस्व 35,050 करोड़ रुपए अनुमानित है जिसमें 2019-20 की तुलना में 8% की वार्षिक वृद्धि है। स्वयं कर राजस्व की वृद्धि दर जीएसडीपी की वृद्धि दर (11%) की तुलना में कम अनुमानित है। इसलिए स्वयं कर जीएसडीपी अनुपात 2019-20 में 4.9% से गिरकर 2021-22 में 4.6% होना अनुमानित है।
- 2020-21 में जबकि जीएसडीपी बजट अनुमान से 6% कम होना अनुमानित है, स्वयं कर राजस्व या स्वयं कर राजस्व के मुख्य घटकों में बजट से संशोधित चरण में किसी गिरावट का अनुमान नहीं है (तालिका 6)। इसलिए 2020-21 में वास्तविक स्वयं कर राजस्व अनुमान से कम हो सकता है।
- अनुमान है कि 2021-22 में स्वयं कर राजस्व में एसजीएसटी सबसे बड़ा स्रोत हो सकता है (राज्य के स्वयं कर राजस्व का 59%)। 2021-22 में एसजीएसटी में 2019-20 की तुलना में 14% की वार्षिक वृद्धि का अनुमान है। 2020-21 में उम्मीद है कि बिहार सेल्स टैक्स और वैट से 6,010 करोड़ रुपए अर्जित करेगा, जिसमें 2019-20 के स्तर से 1% की वार्षिक गिरावट है।
2021-22 में घाटे, ऋण और एफआरबीएम के लक्ष्य
बिहार के राजकोषीय दायित्व और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) अधिनियम, 2006 में राज्य सरकार की बकाया देनदारियों, राजस्व घाटे और राजकोषीय घाटे को प्रगतिशील तरीके से कम करने के लक्ष्यों का प्रावधान है।
राजस्व संतुलन: यह सरकार की राजस्व प्राप्तियों और व्यय के बीच का अंतर होता है। राजस्व घाटे का यह अर्थ होता है कि सरकार को अपना व्यय पूरा करने के लिए उधार लेने की जरूरत है जोकि भविष्य में पूंजीगत परिसंपत्तियों का सृजन नहीं करेगा। राजस्व अधिशेष का अर्थ यह है कि राज्य की राजस्व प्राप्तियां राजस्व व्यय की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त हैं। राज्य ने 2021-22 में 9,196 करोड़ रुपए (या जीएसडीपी का 1.21%) के राजस्व अधिशेष का अनुमान लगाया है।
2021-26 के लिए राजकोषीय योजनाएं 15वें वित्त आयोग ने 2021-26 में राज्य के लिए निम्नलिखित राजकोषीय घाटा सीमा का सुझाव दिया है (i) 2021-22 में 4% (ii) 2022-23 में 3.5%, और (iii) 2023-26 में 3%। आयोग ने अनुमान लगाया है कि इस तरीके से बिहार अपनी कुल देनदारियों को 2020-21 में जीएसडीपी के 41.2% से कम करके 2025-26 के अंत तक जीसएडीपी का 39.3% कर देगा। अगर राज्य पहले चार वर्षों (2021-25) के दौरान उधारी की निर्दिष्ट सीमा का उपयोग नहीं कर पाया तो वह बाद के वर्षों (2021-26 की अवधि में शेष) में उपयोग न हुई राशि हासिल कर सकता है। अगर राज्य बिजली क्षेत्र के सुधार करते हैं तो पहले चार वर्षों (2021-25) के दौरान उन्हें जीएसडीपी के 0.5% मूल्य की अतिरिक्त वार्षिक उधारी लेने की अनुमति होगी। इन सुधारों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) ऑपरेशनल नुकसान कम करना, (ii) राजस्व अंतराल में कमी, (iii) प्रत्यक्ष लाभ अंतरण को अपनाने से नकद सबसिडी के भुगतान में कमी, और (iv) राजस्व के प्रतिशत के रूप में टैरिफ सबसिडी में कमी। |
राजकोषीय घाटा: कुल प्राप्तियों से कुल व्यय अधिक होने को राजकोषीय घाटा कहा जाता है। सरकार उधारियों के जरिए इस अंतर को कम करने का प्रयास करती है जिससे सरकार पर कुल देनदारियों में वृद्धि होती है। 2021-22 में 22,511 करोड़ रुपए के राजकोषीय घाटे का अनुमान है (जीएसडीपी का 2.97%)। यह अनुमान एफआरबीएम एक्ट की 3% की निर्धारित सीमा से कम है। संशोधित अनुमानों के अनुसार, 2021-22 में राज्य का राजकोषीय घाटा जीएसडीपी का 6.67% होने की उम्मीद है जोकि 2.97% के बजट अनुमान से अधिक है। उल्लेखनीय है कि 2020-21 में राजकोषीय घाटा अतिप्राक्कलन (ओवरएस्टिमेट) हो सकता है, चूंकि यह अनुमत सीमा से काफी अधिक हैं (2020-21 में केंद्र सरकार द्वारा 5% की अनुमति)। 2019-20 में भी संशोधित चरण में राज्य ने 9.45% के राजस्व घाटे का अनुमान लगाया था और व्यय बजट अनुमान से 8% अधिक था। हालांकि 2019-20 के वास्तविक आंकड़ों के अनुसार राजकोषीय घाटा जीएसडीपी का 1.98% था (एफआरबीएम एक्ट की 3% की सीमा के भीतर) और कुल व्यय बजट अनुमान से 28.3% कम था।
2020-21 में उधारियों पर निर्भरता बढ़ी: कोविड-19 के कारण केंद्र सरकार ने 2020-21 में सभी राज्यों को अपने राजकोषीय घाटे को अधिकतम 5% बढ़ाने की अनुमति दी है। सभी राज्य अपने राजकोषीय घाटे को जीएसडीपी का 4% कर सकते हैं। शेष 1% के लिए शर्त यह है कि राज्य कुछ सुधारों को लागू करेंगे (प्रत्येक सुधार के लिए 0.25%)। ये सुधार हैं (i) एक देश एक राशन कार्ड, (ii) ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस, (iii) बिजली वितरण और (iv) शहरी स्थानीय निकाय/यूटिलिटी। 19 फरवरी, 2021 तक बिहार ने सिर्फ बिजली वितरण संबंधी सुधारों को पूरा किया है, और वह भी आंशिक रूप से। बिहार बिजली वितरण में राजस्व की कमी को पूरा करने के लिए 323 करोड़ रुपए उधार ले सकता है। बिहार के मामले में बिजली वितरण में दो लंबित सुधार इस प्रकार हैं: (i) तकनीकी और कमर्शियल नुकसान को कम करना, और (ii) किसानों को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के जरिए बिजली सबसिडी का वितरण।
बकाया देनदारियां: वित्तीय वर्ष के अंत में राज्य की कुल उधारियां जमा होकर बकाया देनदारियां बन जाती हैं (पब्लिक एकाउंट्स पर देनदारियों सहित)। 2021-22 में राज्य की बकाया देनदारियों के जीएसडीपी के 32.3% के बराबर होने का अनुमान है जोकि 2020-21 के संशोधित अनुमान से कम है (जीएसडीपी का 34.3%)। बकाया देनदारियों के 2018-19 में 31.9% से बढ़कर 2021-22 में जीएसडीपी के 32.3% होने का अनुमान है।
रेखाचित्र 2: राजस्व एवं राजकोषीय संतुलन (जीएसडीपी का %)
नोट्स: बअ- बजट अनुमान; संअ- संशोधित अनुमान। Sources: Bihar Budget Documents 2021-22; PRS. |
रेखाचित्र 3: बकाया देनदारियों के लक्ष्य (जीएसडीपी का %)
नोट्स: बअ- बजट अनुमान; संअ- संशोधित अनुमान। Sources: Bihar Budget Documents 2021-22; PRS. |
अनुलग्नक 1: मुख्य क्षेत्रों में राज्य के व्यय की तुलना
निम्नलिखित तालिकाओं में छह मुख्य क्षेत्रों में अन्य राज्यों के औसत व्यय के अनुपात में बिहार के कुल व्यय की तुलना की गई है। क्षेत्र के लिए औसत, उस क्षेत्र में 30 राज्यों (बिहार सहित) द्वारा किए जाने वाले औसत व्यय (2020-21 के बजटीय अनुमानों के आधार पर) को इंगित करता है।[1]
- शिक्षा: 2021-22 में बिहार ने शिक्षा के लिए बजट का 19% हिस्सा आबंटित किया है। अन्य राज्यों द्वारा शिक्षा पर जितनी औसत राशि का आबंटन किया गया (15.8%) उसकी तुलना में बिहार का आबंटन अधिक है (2020-21 बजट अनुमान)।
- स्वास्थ्य: बिहार ने स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए कुल 6.3% का आबंटन किया है। अन्य राज्यों के औसत आबंटन (5.5%) से यह ज्यादा है।
- कृषि: राज्य ने 2021-22 में कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों के लिए अपने बजट का 3.7% हिस्सा आबंटित किया है। यह अन्य राज्यों के औसत आबंटनों (6.3%) से कम है।
- ग्रामीण विकास: 2021-22 में बिहार ने ग्रामीण विकास के लिए 11.6% का आबंटन किया है। यह अन्य राज्यों के औसत (6.1%) से काफी ज्यादा है।
- पुलिस: 2021-22 में बिहार ने पुलिस के लिए 5.6% का आबंटन किया है। यह अन्य राज्यों के औसत आबंटन (4.3%) से ज्यादा है।
- सड़क और पुल: 2021-22 में बिहार ने सड़कों और पुलों के लिए 3.8% का आबंटन किया है। यह अन्य राज्यों द्वारा सड़कों और पुलों के लिए औसत आबंटन (4.3%) से कम है।
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Note: 2019-20, 2020-21 (BE), 2020-21 (RE), and 2021-22 (BE) figures are for Bihar.
Sources: Bihar Budget in Brief 2021-22; various state budgets; PRS.
अनुलग्नक 2: 2021-26 में 15वें वित्त आयोग के सुझाव
15वें वित्त आयोग ने 1 फरवरी, 2021 को 2021-26 की अवधि के लिए अपनी रिपोर्ट जारी की। 2021-26 की अवधि के लिए आयोग ने केंद्रीय करों में राज्यों का 41% हिस्सा सुझाया गया है जोकि 2020-21 (जिसे 15वें वित्त आयोग ने 2020-21 के लिए अपनी रिपोर्ट में सुझाया था) के लगभग समान ही है। 14वें वित्त आयोग (2015-20 की अवधि) ने 42% का सुझाव दिया था और इसमें से 1% की कटौती इसलिए की गई है ताकि नए गठित जम्मू एवं कश्मीर तथा लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों को अलग से धनराशि दी जा सके। 15वें वित्त आयोग ने प्रत्येक राज्य के हिस्से को निर्धारित करने के लिए अलग मानदंड प्रस्तावित किए हैं (जोकि 14वें वित्त आयोग से अलग हैं)। 2021-26 की अवधि के लिए 15वें वित्त आयोग के सुझावों के आधार पर बिहार को केंद्रीय करों के डिवाइजिबल पूल से 4.12% हिस्सा मिलेगा। इसका अर्थ यह है कि 2021-22 में केंद्र के कर राजस्व में प्रति 100 रुपए पर बिहार को 4.12 रुपए मिलेंगे।
तालिका 8: 14वें और 15वें वित्त आयोग के अंतर्गत केंद्रीय कर राजस्व में राज्यों की हिस्सेदारी
राज्य |
14वां विआ |
15वां विआ |
15वां विआ |
% परिवर्तन |
|
2015-20 |
2020-21 |
2021-26 |
2015-20 से |
2020-21 |
|
आंध्र प्रदेश |
1.808 |
1.686 |
1.659 |
-8.2% |
-1.6% |
अरुणाचल प्रदेश |
0.575 |
0.722 |
0.720 |
25.2% |
-0.2% |
असम |
1.391 |
1.284 |
1.282 |
-7.8% |
-0.1% |
बिहार |
4.059 |
4.125 |
4.124 |
1.6% |
0.0% |
छत्तीसगढ़ |
1.294 |
1.401 |
1.397 |
8.0% |
-0.3% |
गोवा |
0.159 |
0.158 |
0.158 |
-0.3% |
0.0% |
गुजरात |
1.295 |
1.393 |
1.426 |
10.1% |
2.4% |
हरियाणा |
0.455 |
0.444 |
0.448 |
-1.6% |
1.0% |
हिमाचल प्रदेश |
0.299 |
0.328 |
0.340 |
13.6% |
3.9% |
जम्मू एवं कश्मीर |
0.779 |
- |
- |
- |
- |
झारखंड |
1.318 |
1.358 |
1.356 |
2.8% |
-0.2% |
कर्नाटक |
1.979 |
1.495 |
1.495 |
-24.5% |
0.0% |
केरल |
1.050 |
0.797 |
0.789 |
-24.8% |
-0.9% |
मध्य प्रदेश |
3.170 |
3.233 |
3.219 |
1.5% |
-0.5% |
महाराष्ट्र |
2.319 |
2.515 |
2.590 |
11.7% |
3.0% |
मणिपुर |
0.259 |
0.294 |
0.294 |
13.3% |
-0.3% |
मेघालय |
0.270 |
0.314 |
0.314 |
16.6% |
0.3% |
मिजोरम |
0.193 |
0.207 |
0.205 |
6.1% |
-1.2% |
नागालैंड |
0.209 |
0.235 |
0.233 |
11.5% |
-0.7% |
ओड़िशा |
1.950 |
1.898 |
1.856 |
-4.8% |
-2.2% |
पंजाब |
0.662 |
0.733 |
0.741 |
11.9% |
1.1% |
राजस्थान |
2.308 |
2.451 |
2.471 |
7.1% |
0.8% |
सिक्किम |
0.154 |
0.159 |
0.159 |
3.2% |
0.0% |
तमिलनाडु |
1.690 |
1.717 |
1.672 |
-1.0% |
-2.6% |
तेलंगाना |
1.024 |
0.875 |
0.862 |
-15.8% |
-1.5% |
त्रिपुरा |
0.270 |
0.291 |
0.290 |
7.7% |
-0.1% |
उत्तर प्रदेश |
7.543 |
7.352 |
7.355 |
-2.5% |
0.0% |
उत्तराखंड |
0.442 |
0.453 |
0.458 |
3.7% |
1.3% |
पश्चिम बंगाल |
3.076 |
3.083 |
3.084 |
0.3% |
0.1% |
कुल |
42.000 |
41.000 |
41.000 |
नोट: हालांकि 15वें वित्त आयोग ने 2020-21 और 2021-26 की अवधियों के लिए एक जैसे मानदंडों का सुझाव दिया है, कुछ संकेतकों की गणना की संदर्भ अवधि अलग है। इसलिए 2020-21 और 2021-26 में राज्यों को डिवाइजिबल पूल से अलग-अलग हिस्सा मिलेगा।
Sources: Reports of 14th and 15th FCs; Union Budget Documents 2021-22; PRS.
15वें वित्त आयोग ने पांच वर्षों (2021-26) में राज्यों के लिए 10.3 लाख करोड़ रुपए के अनुदानों का सुझाव दिया है। इन अनुदानों का एक हिस्सा सशर्त होगा। 17 राज्यों को इस अवधि के लिए राजस्व घाटा अनुदान दिया जाएगा। क्षेत्र विशिष्ट अनुदानों में स्वास्थ्य, कृषि और शिक्षा जैसे क्षेत्रों के लिए अनुदान दिए जाएंगे। स्थानीय सरकारों के अनुदानों में निम्नलिखित शामिल होंगे: (i) ग्रामीण स्थानीय निकायों को 2.4 लाख करोड़ रुपए, (ii) शहरी स्थानीय निकायों को 1.2 लाख करोड़ रुपए, और (iii) स्थानीय सरकारों के जरिए हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 70,000 करोड़ रुपए। |
तालिका 9: 2021-26 के लिए अनुदान (करोड़ रुपए में)
नोट: इसमें प्रतिस्पर्धा आधारित अनुदान शमिल नहीं, जिनमें *नए शहरों के इनक्यूबेशन के लिए अनुदान (स्थानीय निकायों के अनुदानों का भाग) और #स्कूली शिक्षा और आकांक्षी जिलों और ब्लॉक्स के अनुदान शामिल हैं। |
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बिहार के लिए निम्नलिखित अनुदानों का सुझाव दिया गया है: (i) स्थानीय निकायों को 35,577 करोड़ रुपए का अनुदान, (ii) आपदा प्रबंधन अनुदान के रूप में 7,824 करोड़ रुपए, और (iii) पुरातात्विक स्थलों के संरक्षण, डिजिटल यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ आर्ट की स्थापना और भागलपुर सिल्क उद्योग को पुनर्जीवित करने जैसे कार्यों के लिए 2,267 करोड़ रुपए का राज्य विशिष्ट अनुदान। |
तालिका 10: केंद्रीय बजट 2021-22 में राज्यों को कर हस्तांतरण
राज्य |
2019-20 |
2020-21 |
2021-22 |
आंध्र प्रदेश |
29,421 |
22,611 |
26,935 |
अरुणाचल प्रदेश |
9,363 |
9,681 |
11,694 |
असम |
22,627 |
17,220 |
20,819 |
बिहार |
66,049 |
55,334 |
66,942 |
छत्तीसगढ़ |
21,049 |
18,799 |
22,676 |
गोवा |
2,583 |
2,123 |
2,569 |
गुजरात |
21,077 |
18,689 |
23,148 |
हरियाणा |
7,408 |
5,951 |
7,275 |
हिमाचल प्रदेश |
4,873 |
4,394 |
5,524 |
जम्मू एवं कश्मीर |
12,623 |
-38 |
- |
झारखंड |
21,452 |
18,221 |
22,010 |
कर्नाटक |
32,209 |
20,053 |
24,273 |
केरल |
17,084 |
10,686 |
12,812 |
मध्य प्रदेश |
51,584 |
43,373 |
52,247 |
महाराष्ट्र |
37,732 |
33,743 |
42,044 |
मणिपुर |
4,216 |
3,949 |
4,765 |
मेघालय |
4,387 |
4,207 |
5,105 |
मिजोरम |
3,144 |
2,783 |
3,328 |
नागालैंड |
3,403 |
3,151 |
3,787 |
ओड़िशा |
31,724 |
25,460 |
30,137 |
पंजाब |
10,777 |
9,834 |
12,027 |
राजस्थान |
37,554 |
32,885 |
40,107 |
सिक्किम |
2,508 |
2,134 |
2,582 |
तमिलनाडु |
27,493 |
23,039 |
27,148 |
तेलंगाना |
16,655 |
11,732 |
13,990 |
त्रिपुरा |
4,387 |
3,899 |
4,712 |
उत्तर प्रदेश |
1,22,729 |
98,618 |
1,19,395 |
उत्तराखंड |
7,189 |
6,072 |
7,441 |
पश्चिम बंगाल |
50,051 |
41,353 |
50,070 |
कुल |
6,83,353 |
5,49,959 |
6,65,563 |
नोट: 2019-20 के वास्तविक आंकड़े और 2020-21 के संशोधित अनुमान पिछले वर्षों में अधिक या कम विचलन के लिए समायोजित करने के बाद केंद्रीय बजट में प्रदर्शित किए गए हैं।
Sources: Union Budget Documents 2021-22; PRS.
अनुलग्नक 3: 2020-21 के संशोधित और 2021-22 के बजट अनुमानों के बीच तुलना
यहां तालिकाओं में 2021-22 के बजट अनुमानों की तुलना 2020-21 के संशोधित अनुमानों से की गई है।
मद |
2020-21 संअ |
2021-22 बअ |
2020-21 संअ से 2021-22 बअ के बीच परिवर्तन की दर |
प्राप्तियां (1+2) |
212,297 |
218,503 |
3% |
प्राप्तियां, उधारियों के बिना |
174,668 |
186,697 |
7% |
1. राजस्व प्राप्तियां (क+ख+ग+घ) |
174,240 |
186,267 |
7% |
क. स्वयं कर राजस्व |
34,750 |
35,050 |
1% |
ख. स्वयं गैर कर राजस्व |
7,839 |
5,505 |
-30% |
ग. केंद्रीय करों में हिस्सा |
78,896 |
91,181 |
16% |
घ. केंद्र से सहायतानुदान |
52,754 |
54,531 |
3% |
इसमें जीएसटी क्षतिपूर्ति |
3,500 |
3,500 |
0% |
2. पूंजीगत प्राप्तियां |
38,057 |
32,235 |
-15% |
क. उधारियां |
37,629 |
31,805 |
-15% |
इनमें से जीएसटी क्षतिपूर्ति ऋण |
3,905 |
- |
- |
व्यय (3+4) |
225,458 |
218,303 |
-3% |
3. राजस्व व्यय |
179,426 |
177,071 |
-1% |
4. पूंजीगत व्यय |
46,032 |
41,231 |
-10% |
i. पूंजीगत परिव्यय |
37,748 |
30,788 |
-18% |
ii. ऋण पुनर्भुगतान |
7,053 |
9,094 |
29% |
राजस्व घाटा |
-5,187 |
9,196 |
- |
राजस्व संतुलन (जीएसडीपी के % के रूप में) |
-0.80% |
1.21% |
- |
राजकोषीय संतुलन |
43,737 |
22,511 |
- |
राजकोषीय घाटा (जीएसडीपी के % के रूप में) |
6.77% |
2.97% |
- |
नोट: नेगेटिव राजस्व संतुलन घाटे को दर्शाता है।
राज्य के स्वयं कर राजस्व के घटक
टैक्स |
2020-21 संअ |
2021-22 बअ |
2020-21 संअ से 2021-22 बअ के बीच परिवर्तन की दर |
एसजीएसटी |
20,800 |
20,621 |
-0.9% |
सेल्स टैक्स/वैट |
5,830 |
6,010 |
3.1% |
स्टाम्प ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क |
4,700 |
5,000 |
6.4% |
वाहन टैक्स |
2,500 |
2,500 |
0% |
भूराजस्व |
500 |
500 |
0% |
बिजली पर टैक्स और ड्यूटी |
250 |
250 |
0% |
राज्य की एक्साइज ड्यूटी |
0 |
0 |
- |
मुख्य क्षेत्रों के लिए आबंटन
क्षेत्र |
2020-21 संअ |
2021-22 बअ |
2020-21 संअ से 2021-22 बअ के बीच परिवर्तन की दर |
शिक्षा, खेल, कला एवं संस्कृति |
38,509 |
39,467 |
2% |
ग्रामीण विकास |
26,059 |
24,156 |
-7% |
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण |
11,171 |
13,012 |
16% |
सामाजिक कल्याण एवं पोषण |
20,700 |
12,610 |
-39% |
पुलिस |
9,926 |
11,558 |
15% |
आवास |
9,317 |
9,075 |
-3% |
बिजली |
8,549 |
8,473 |
-1% |
सड़क और पुल |
9,246 |
7,800 |
-16% |
कृषि एवं संबद्ध गतिविधियां |
6,866 |
7,604 |
11% |
शहरी विकास |
6,637 |
6,853 |
3% |
[1] 30 राज्यों में दिल्ली और जम्मू एवं कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं।
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