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दिल्ली की 7वीं विधानसभा का कामकाज (2020-25)

वाइटल स्टैट्स

दिल्ली की 7वीं विधानसभा का कामकाज (2020-25)

दिल्ली विधानसभा की 8वीं विधानसभा के चुनाव 5 फरवरी, 2025 को होंगे। 7वीं विधानसभा के सत्र फरवरी 2020 और दिसंबर 2024 के दौरान संचालित किए गए। यह नोट इस अवधि के दौरान विधानसभा के कामकाज को स्पष्ट करता है।

विधानसभा की बैठक के दिन सबसे कम रहे, साल में औसतन 15 दिन बैठकें हुईं

 

नोट: *जनवरी और नवंबर 2014 के बीच विधानसभा ने काम किया। कैबिनेट के इस्तीफा देने के साथ विधानसभा भंग हो गई।

 

  • विधानसभा पांच वर्षों में 74 दिनों तक चली, जो कि इसके पिछले सभी पांच वर्षीय कार्यकालों की तुलना में सबसे कम है। बैठक के दिन विधानसभा ने औसतन तीन घंटे तक काम किया।

  • प्रत्येक वर्ष सत्रों को बिना सत्रावसान के स्थगित कर दिया गया और भागों में विभाजित किया गया। इसका नतीजा यह हुआ कि कई मौकों पर सदन की बैठक एक या दो दिन चली। गौरतलब है कि लेफ्टिनेंट गवर्नर सत्र प्रारंभ और सत्रावसान करते हैं तथा विधानसभा अध्यक्ष सत्र के दौरान बैठक बुलाते हैं।

वर्ष में एक बार सत्र बुलाया गया

सत्र

भाग

सत्र प्रारंभ

सत्रावसान

पहला

पांच

20 फरवरी, 2020

3 मार्च, 2021

दूसरा

चार

3 मार्च, 2021

8 मार्च, 2022

तीसरा

चार

8 मार्च, 2022

9 मार्च, 2023

चौथा

चार

9 मार्च, 2023

7 फरवरी, 2024

पांचवां

तीन

7 फरवरी, 2024

 

पांच वर्षों में 14 बिल पारित; कोई भी बिल कमिटी को नहीं भेजा गया

 

 

नोट: इसमें एप्रोप्रिएशन बिल शामिल नहीं। *विधानसभा साल भर में भंग हो गई।

बिल के विषय और उन्हें पारित होने में लगने वाला समय

निम्न से संबंधित

बिल की संख्या

पारित होने में लगने वाला समय (पेश होने से) 

विधायकों के वेतन

5

सभी उसी दिन पारित

जीएसटी संशोधन

5

तीन उसी दिन पारित, अन्य तीन दिन के भीतर पारित

शिक्षा

1

अगले दिन

बिजली सुधार

1

उसी दिन

सिख गुरुद्वारा

1

अगले दिन

पर्यटन

1

उसी दिन

कुल

14

 

नोट: इसमें एप्रोप्रिएशन बिल शामिल नहीं।

  • विधानसभा ने जो पांच बिल पारित किए, उनमें विधायकों, मंत्रियों, विपक्ष के नेता, मुख्य सचेतक, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के वेतन और भत्तों को बढ़ाने से संबंधित कानून में संशोधन प्रस्तावित थे। जुलाई 2022 में विधानसभा में ये बिल पारित किए गए और 225 दिन बाद, फरवरी 2023 में इन्हें राष्ट्रपति से मंजूरी मिली। ऐसे ही बिल पिछली विधानसभा में भी पारित किए गए थे, लेकिन उन्हें लेफ्टिनेंट गवर्नर की मंजूरी नहीं मिली थी। 

  • कोई भी बिल कमिटी को नहीं भेजे गए। आखिरी बार जब किसी बिल को सिलेक्ट कमिटी को भेजा गया था, वह वर्ष 2012 था (दिल्ली विवाह पंजीकरण बिल, 2012)।

 

 

नोट: इसमें एप्रोप्रिएशन बिल शामिल नहीं। *विधानसभा साल भर में भंग हो गई। 

74 बैठकों में से नौ दिन प्रश्नकाल हुआ 

  • 74 बैठकों में से नौ के दौरान प्रश्नकाल आयोजित किए गए।  सदस्यों को 12 दिन पहले प्रश्न सौंपने होते हैं। दूसरे मौकों पर विधानसभा की बैठकों की घोषणा औसतन सात दिनों के नोटिस के साथ की जाती है, जिससे प्रश्न सौंपने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलता।

  • 2020 से 2025 के बीच विधायकों ने औसतन एक वर्ष में 219 प्रश्न पूछे। 2019 से 2024 के बीच लोकसभा में सांसदों ने एक वर्ष में औसतन 8,200 प्रश्न पूछे।

  • 2021 में प्रश्न समिति ने एक प्रश्न के उत्तर की समीक्षा की और निष्कर्ष दिया कि उत्तर गलत था, जोकि विशेषाधिकार के उल्लंघन के समान था।

 

बैठक के जिस दिन प्रश्नकाल आयोजित किए गए 

उसने इस मामले को विशेषाधिकार  समिति को भेजने का सुझाव दिया। 2022 में अध्यक्ष ने प्रश्नों के असंतोषजनक जवाब का मामला विशेषाधिकार समिति को भेजा। मामला फिलहाल समिति के पास लंबित है।

  • 2024 में शीतकालीन सत्र के दौरान अध्यक्ष ने कहा कि राजस्व, सेवा, भूमि और भवन और गृह जैसे विभाग प्रश्नों के उत्तर नहीं सौंपते हैं, जिससे प्रश्नकाल कमजोर होता है।

बजट पर औसतन दो दिन चर्चा हुई 

  • राज्य विधानसभाओं में अक्सर वार्षिक बजट और  मंत्रालयों के व्यय बजट पर अलग-अलग चर्चा होती है। दिल्ली विधानसभा ने इन दोनों पर एक साथ चर्चा की। इस दौरान बजट पर औसतन चार घंटे तक चर्चा चली। 

         


 

 

सदन की समितियों ने 17 रिपोर्ट पेश कीं; वित्तीय समितियों ने कोई रिपोर्ट पेश नहीं की

विभिन्न समितियों द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट

समिति

2015-20 विधानसभा

2020-25 विधानसभा

सदन समितियां

49

17

स्थायी समितियां 

0

3

वित्तीय समितियां

0

0

अन्य समितियां

1

0

कुल

50

20

 

  • विधानसभा में 33 समितियां हैं। सदन समिति दैनिक कामकाज, याचिका और विशेषाधिकार जैसे मुद्दों की समीक्षा करती है। वित्तीय समिति कैग रिपोर्ट की समीक्षा करती है। स्थायी समितियां मंत्रालयों के कामकाज की समीक्षा करती हैं।

  • याचिका समिति ने चार रिपोर्ट प्रस्तुत कीं; उसने पिछले कार्यकाल में 27 रिपोर्ट प्रस्तुत की थीं। इसमें वृद्धावस्था पेंशन के वितरण और दिल्ली सरकार के अस्पतालों में ओपीडी काउंटरों के कामकाज जैसे मुद्दों पर विचार किया गया।

31% विधायकों की 90% या उससे अधिक उपस्थिति; 8% से 40 से अधिक बहस में भाग लिया

  • विधानसभा में 62 पुरुष और 8 महिला सदस्य थे। महिला विधायकों की औसत उपस्थिति 83% थी, जबकि पुरुष विधायकों की 79% उपस्थिति थी। पुरुष विधायकों ने औसत 20 बहस में तथा महिला विधायकों ने 16 बहस में हिस्सा लिया।  

  • विधायकों ने औसत 15 प्रश्न पूछे। भाजपा के विधायकों ने औसत 40 प्रश्न पूछे, और आप के विधायकों ने औसत 11 प्रश्न पूछे।

 नोट: विधायकों की भागीदारी के आंकड़ों में मंत्री, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष शामिल नहीं हैं। ये आंकड़े मार्च 2024 तक के है।

स्रोत: बुलेटिन और सत्र समीक्षाएं, विधान, समितियां, दिल्ली विधानमंडल की वर्तमान संरचना, प्रक्रिया के नियम, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधानसभा में समिति प्रणाली (कमिटी सिस्टम इन लेजिसलेटिव एसेंबली ऑफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली)- हैंडबुक, दिल्ली विधानसभा (https://delhiassembly.delhi.gov.in/). 

       

स्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह रिपोर्ट मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार की गई है। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी की मूल रिपोर्ट से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

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