वाइटल स्टैट्स
मध्य प्रदेश की 15वीं विधानसभा के चुनाव 28 नवंबर, 2018 को होने तय हुए हैं। इस संदर्भ में हम 14वीं विधानसभा (जनवरी 2014 से जून 2018) के कामकाज के आंकड़े प्रस्तुत कर रहे हैं।
14वीं विधानसभा 135 दिन चली, 112 बिल पारित हुए |
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नोट: पारित किए गए 112 बिल्स में 28 विनियोग बिल्स शामिल नहीं हैं। |
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· 112 बिल पारित हुए, जिनसे 15 नए एक्ट बने, 95 ने मौजूदा एक्ट्स में संशोधन किया, दो ने मौजूदा एक्ट्स को रद्द किया। · वित्त एवं टैक्सेशन, और उच्च शिक्षा मंत्रालयों ने अधिकतर बिल्स पेश किए। · वित्त मंत्रालय और टैक्सेशन मंत्रालयों द्वारा पेश किए गए 34 बिल्स में से 31 ने वैट, एक्साइज, राज्य वित्त आयोग इत्यादि से संबंधित एक्ट्स में संशोधन किए। तीन बिल्स ने जीएसटी और मोटर स्पिरिट एवं हाई स्पीड डीजल पर सेस से संबंधित नए एक्ट्स बनाए। · उच्च शिक्षा मंत्रालय ने 16 बिल्स पेश किए। चार बिल्स ने निम्नलिखित विश्वविद्यालयों की स्थापना की : डॉ. बी.आर. अंबेडकर सोशल साइंसेज़ यूनिवर्सिटी, पंडित एस.एन. शुक्ला यूनिवर्सिटी, मध्य प्रदेश नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी और मध्य प्रदेश धर्मशास्त्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी। एक दूसरे बिल ने राज्य में उच्च शिक्षा परिषद की स्थापना की। 11 दूसरे बिल्स ने मौजूदा एक्ट्स में संशोधन किया। · कुछ अन्य महत्वपूर्ण बिल्स में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) मध्य प्रदेश आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग तथा निम्न आय वर्ग को आवास गारंटी बिल, 2017, (ii) मध्य प्रदेश निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियम बिल, 2017 और (iii) मध्य प्रदेश औद्योगिक सुरक्षा बल बिल, 2015। |
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19 अध्यादेश जारी किए गए; सात अध्यादेश उच्च शिक्षा और श्रम से संबंधित |
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· सरकार ने मौजूदा विधानसभा में 19 अध्यादेश जारी किए। · उच्च शिक्षा से संबंधित अध्यादेश मध्य प्रदेश में निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना और कामकाज से संबंधित थे। · श्रम मंत्रालय द्वारा लाए गए अध्यादेश श्रम कल्याण कोष, दुकानों और इस्टैबलिशमेंट्स, और औद्योगिक योजना से संबंधित थे। |
89% बिल्स पेश होने के एक हफ्ते के अंदर पारित हो गए; बिल्स की पर्याप्त समीक्षा नहीं हुई |
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· 9% बिल्स जिस दिन पेश किए गए, उसी दिन पारित हो गए। इसमें मध्य प्रदेश जीएसटी बिल, 2017 और छत्तीसगढ़ श्रम विधियां (संशोधन) बिल, 2015 शामिल हैं। · इसके अतिरिक्त 80% बिल्स पेश होने के एक हफ्ते के अंदर पारित हो गए। · सिर्फ 12 बिल्स को पारित होने में एक हफ्ते से ज्यादा समय लगा। ये संशोधन एक्ट्स राज्य के सिविल कोर्ट्स, म्यूनिसिपल कानून, दंड कानून, आकस्मिता कोष, वैट और भूमिहीन लोगों के पट्टे के अधिकार, आदि से संबंधित थे। |
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सदन में 39% सूचीबद्ध प्रश्नों के उत्तर दिए गए |
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· मंत्रियों से सदन में तारांकित प्रश्नों का उत्तर देने की अपेक्षा की जाती है। हर दिन प्रश्न काल में 25 तारांकित प्रश्नों को उत्तर देने के लिए चुना जाता है। · सदन में मंत्रियों ने औसत 10 प्रश्नों के मौखिक उत्तर दिए। |
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14वीं विधानसभा पिछली विधानसभा के मुकाबले कम दिन चली |
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· वर्तमान विधानसभा कुल 135 दिन चली। यह 13वीं विधानसभा (2009-2013) की कुल बैठकों (167) की तुलना में 32 दिन कम है। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार यह तय करती है कि विधानसभा कितनी अवधि के लिए चलनी चाहिए। · राज्य विधानसभा का मुख्य काम राज्य सूची में दर्ज विषयों पर कानून पारित करना है। इन विषयों में भूमि, शिक्षा और स्वास्थ्य शामिल हैं। इसके अतिरिक्त विधानसभा सरकारी व्यय को मंजूरी देने, सार्वजनिक महत्व के मामलों पर चर्चा करने और सरकार की नीतियों पर सवाल उठाने जैसे दूसरे मुख्य काम भी करती है। अगर विधानसभा कम दिन चलती है तो संभव है कि विधानसभा के सदस्यों को प्रभावी तरीके से इन कामों को करने के लिए पर्याप्त समय न मिले। |
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· 2011 और 2016 के बीच मध्य प्रदेश विधानसभा एक वर्ष में औसत 35 दिन चली। इस अवधि में 26 राज्यों की विधानसभाएं एक वर्ष में औसत 28 दिन चलीं। |
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Sources: Session end resume (2009-2018) and list of Bills passed (2014-2018) from Madhya Pradesh Legislative Assembly website; PRS. |
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