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उत्तर प्रदेश की 17वीं विधानसभा का कामकाज

उत्तर प्रदेश की 17वीं विधानसभा का कामकाज 

उत्तर प्रदेश की 18वीं विधानसभा के चुनाव 10 फरवरी, 2022 से 7 मार्च, 2022 के दौरान सात चरणों में होंगे। 17वीं विधानसभा के सत्र मई 2017 से दिसंबर 2021 के दौरान संचालित हुए थे। इस नोट में 17 दिसंबर, 2021 तक 17वीं विधानसभा के कामकाज का विश्लेषण किया गया है।

विधानसभा की बैठक वर्ष में औसतन 21 दिन हुई

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  • मई 2017 से दिसंबर 2021 के दौरान विधानसभा के कुल 15 सत्र हुए और कुल 101 दिन बैठकें हुईं। विधानसभा प्रोसीडिंग्स में यह अनिवार्य किया गया है कि साल में कम से कम तीन सत्र और 90 दिन बैठकें होनी चाहिए। विधानसभा के 17वें कार्यकाल के दौरान एक वर्ष में सबसे अधिक 25 दिन बैठकें हुईं (2018 में)। 

  • विधानसभा प्रोसीडिंग्स में यह भी अनिवार्य किया गया है कि दो महीने के अंतराल में कम से कम 10 कार्यदिवस (वर्किंग डे) वाला एक सत्र आयोजित किया जाना चाहिए। विधानसभा की बैठक दस दिनों से ज्यादा समय तक दो बार और दस दिनों तक तीन बार हुई। इनमें से प्रत्येक बजट सत्र थे। विधानसभा की कुल 60% बैठकें (61 दिन) बजट सत्र के दौरान हुईं। विधानसभा किसी भी मानसून या शीतकालीन सत्र के दौरान सात दिनों से अधिक समय तक नहीं चली।

  • 2019 के तीसरे सत्र के दौरान विधानसभा की सबसे लंबी बैठक 36.4 घंटे तक चली। बैठक 2 अक्टूबर 2019 को सुबह 11 बजे शुरू हुई और अगले दिन 11:42 बजे तक चली। इस बैठक के दौरान विधानसभा ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में प्रभावी कदमों पर चर्चा की। अगली सबसे लंबी बैठक 3 मार्च, 2021 को हुई, जब विधानसभा ने राज्य के 2021-22 के बजट पर चर्चा करने के लिए 11 घंटे की बैठक की।

45% बिल्स एक ही दिन पेश और पारित किए गए, कोई भी बिल विचारार्थ कमिटी को नहीं भेजा गया

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नोट: विधानसभा द्वारा पारित 14 विनियोग बिल्स को उपरोक्त गणना से बाहर रखा गया है।

  • दिसंबर 2021 तक 146 बिल पेश और पारित किए गए (विनियोग बिल्स को छोड़कर)। ये सभी बिल एक ही सत्र में पेश और पारित किए गए। मुख्य अधिनियमों में उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धर्म परिवर्तन पर प्रतिबंध एक्ट, 2021 और उत्तर प्रदेश गन्ना (आपूर्ति और खरीद का रेगुलेशन) (संशोधन) एक्ट, 2020 शामिल हैं। 

  • 2020 के दूसरे सत्र के दौरान एक ही सत्र में पेश और पारित होने वाले बिल्स की सबसे अधिक संख्या 27 थी। उस सत्र के दौरान सिर्फ तीन दिन विधानसभा की बैठक हुई थी।

  • विधानसभा के प्रोसीजर्स में प्रावधान है कि पेश होने के बाद बिल को विस्तृत समीक्षा के लिए सिलेक्ट कमिटी को भेजा जा सकता है। इस कार्यकाल के दौरान किसी भी बिल को सिलेक्ट कमिटी को नहीं भेजा गया।

कार्यकाल के दौरान 57 अध्यादेश जारी किए गए     

  • कार्यकाल के दौरान 57 अध्यादेश जारी किए गए और उनमें से 23 अध्यादेश 2020 में जारी किए गए। कोविड-19 महामारी के मद्देनजर विधानसभा में उत्तर प्रदेश सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं महामारी रोग नियंत्रण बिल, 2020 को पारित किया गया ताकि अध्यादेश के जरिए लाए गए परिवर्तनों को मंजूरी दी जा सके। उत्तर प्रदेश लोक और निजी संपत्ति क्षति वसूली एक्ट, 2020 और उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धर्म परिवर्तन पर प्रतिबंध एक्ट, 2021 उन मुख्य कानूनों में शामिल हैं जिन्हें पहले अध्यादेशों के तौर पर जारी किया गया था।
     

  • कुल मिलाकर, पारित होने वाले 55 बिल अध्यादेशों का स्थान लेते थे। इस प्रकार पारित होने वाले हर तीन बिल्स में से एक अध्यादेश का स्थान लेता था। इन बिल्स में उत्तर प्रदेश गोहत्या पर प्रतिबंध (संशोधन) बिल, 2020 और उत्तर प्रदेश नगरीय परिसर किरायेदारी का रेगुलेशन बिल, 2021 शामिल हैं।

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2021 में 1,307 प्रश्नों के उत्तर दिए गए जोकि विधानसभा के कार्यकाल में सर्वाधिक हैं

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  • विधानसभा तीन प्रकार के प्रश्नों को स्वीकार करती है: तारांकित, अतारांकित और अल्प सूचना। तारांकित प्रश्नों के उत्तर विधानसभा में मौखिक रूप से दिए जाते हैं, जबकि अतारांकित प्रश्नों के उत्तर लिखित में दिए जाते हैं। अल्प सूचना प्रश्न उन प्रश्नों को कहा जाता है जोकि तात्कालिक सार्वजनिक महत्व के होते हैं, खासकर जोकि तीन दिनों के नोटिस पर पूछे जाते हैं। 
     
  • फरवरी 2021 में आयोजित सत्र के दौरान कुल मिलकर 1,307 प्रश्न पूछे गए जोकि विधानसभा के किसी कार्यकाल में अधिकतम थे। सभी सत्रों के दौरान 40 अल्प सूचना प्रश्नों के उत्तर दिए गए। 
     
  • अक्टूबर 2019 और अगस्त 2020 में आयोजित सत्रों के दौरान किसी प्रश्न के उत्तर नहीं दिए गए। पहला वाला विशेष सत्र था और दूसरा वाला कोविड-19 महामारी की शुरुआत में संचालित किया गया। उल्लेखनीय है कि किसी एक सत्र में मंजूर किए जाने वाले प्रश्नों को अगर सत्र के दौरान पटल पर नहीं रखा जाता तो वे लैप्स हो जाते हैं। जिन प्रश्नों को पटल पर रखा जाता है, लेकिन मंत्रालय उनका उत्तर नहीं देता, वे अगले सत्र के लिए लंबित हो जाते हैं। 

विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने के सिर्फ पांच महीने पहले उपाध्यक्ष चुना गया

  • विधानसभा के गठन के चार वर्ष बाद और कार्यकाल समाप्त होने के सिर्फ पांच महीने पहले उपाध्यक्ष का चुनाव किया गया। संविधान के अनुच्छेद 178 में कहा गया है कि प्रत्येक राज्य विधानसभा अपने दो सदस्यों को सदन के गठन के बाद "जितनी जल्दी हो सके" अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के रूप में चुनेगी।

स्रोत: उत्तर प्रदेश विधानसभा की वेबसाइट (http://uplegisassembly.gov.in), उत्तर प्रदेश सत्र सारांश और कार्यवृत, उत्तर प्रदेश विधानसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियम (दिसंबर 2019 तक संशोधित)। 2021 के दूसरे-चौथे सत्र के लिए बिल्स और अध्यादेशों का विवरण विधानसभा सचिवालय से प्राप्त लिखित उत्तरों पर आधारित है; पीआरएस।

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह रिपोर्ट मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार की गई है। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी की मूल रिपोर्ट से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

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