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गुजरात की 14वीं विधानसभा का कामकाज

गुजरात की 14वीं विधानसभा का कामकाज

गुजरात की 14वीं विधानसभा की अंतिम बैठक 22 सितंबर, 2022 को हुई थी। 15वीं विधानसभा के लिए चुनावों की घोषणा होनी अभी बाकी है। इस डॉक्यूमेंट में राज्य की 14वीं विधानसभा के कामकाज का विश्लेषण किया गया है जिसके सत्र जनवरी 2018 और सितंबर 2022 के बीच संचालित हुए थे।

विधानसभा की बैठकें साल में औसतन 25 दिन हुईं

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नोट: (i) FS–पहला सत्र, BS–बजट सत्र, MS–मानसून सत्र, WS–शीतकालीन सत्र; (ii) बैठकों के दिनों के अलावा 2022 के मानसून सत्र के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। 

  • 14वीं गुजरात विधानसभा के कुल 11 सत्र संचालित किए गए। उसने कुल 123 काम किया और प्रत्येक सत्र के दौरान औसत 12 दिन बैठकें हुईं। सभी गैर बजटीय सत्र पांच दिन या उससे कम दिन के लिए संचालित हुए। बजट सत्र के दौरान औसत 18 दिन बैठकें हुईं (2019 के पहले सत्र को गणना के लिए बजट सत्र माना गया है, चूंकि उस सत्र के दौरान अंतरिम बजट पेश किया गया था)। 
  • औसतन, इस विधानसभा में एक वर्ष के दौरान दो सत्र और कुल 25 दिन बैठकें हुईं। 2000 और 2010 के बीच गुजरात विधानसभा में एक वर्ष में औसत 31 दिन बैठकें हुई थीं। 
  • 2016 से 2021 के बीच भारत की राज्य विधानसभाओं की औसत 25 दिन बैठकें चलीं। इस अवधि में गुजरात की विधानसभा का औसत एक वर्ष में 26 दिनों का है। 
  • सबसे लंबी बैठक 26 जुलाई, 2019 को हुई थी जब विधानसभा 16 घंटे से भी अधिक समय तक चली थी। उस दिन चार बिल पेश और पारित किए गए थे, जिसमें औसत से अधिक सदस्यों ने वाद-विवाद में हिस्सा लिया था। 
  • सभी सत्रों में विधानसभा सदस्यों की उपस्थिति का औसत 85% था। छोटे सत्रों के दौरान अधिक उपस्थितियां थीं।   

स्वीकृत 15% प्रश्नों के उत्तर दिए गए

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  • विधानसभा ने प्रश्नों पर अपने कुल कामकाज का 18% समय व्यतीत किया।
  • प्रश्नों के 57,206 नोटिस भेजे गए। इनमें से 40,837 (71%) को स्वीकार किया गया। इनमें 32,349 तारांकित और 8,474 अतारांकित प्रश्न हैं। 
  • विधानसभा में 15% स्वीकृत प्रश्नों के उत्तर दिए गए (2% तारांकित और 65% अतारांकित प्रश्न)।

 

 

92 बिल्स पेश; एक को छोड़कर सभी उसी दिन पारित

  • इस विधानसभा में 92 बिल (विनियोग बिल को छोड़कर) पेश किए गए। एक बिल (गुजरात शहरी क्षेत्रों में मवेशी नियंत्रण (रखना और चराना) बिल, 2019) को छोड़कर बाकी सभी बिल पेश होने वाले दिन ही पारित कर दिए गए। मवेशी नियंत्रण बिल को पेश करने के अगले दिन पारित किया गया। हालांकि जब राज्यपाल ने इसे पुनर्विचार के लिए लौटाया तो इस बिल को वापस ले लिया गया। किसी भी बिल को विस्तृत समीक्षा के लिए कमिटी के पास नहीं भेजा गया।
  • औसतन, प्रत्येक बिल पर 1.4 घंटे चर्चा हुई।

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  • शिक्षा क्षेत्र से संबंधित 21 बिल पारित किए गए जोकि कुल बिल्स का 20% है। जिन अन्य विषयों पर बिल पारित किए गए, उनमें भूमि (13%) और टैक्सेशन (11%) शामिल हैं। विधानसभा के इस कार्यकाल में पारित होने वाले बिल्स में गुजरात धार्मिक स्वतंत्रता (संशोधन) बिल, 2021 और ‘कौशल्या’ कौशल विश्वविद्यालय बिल, 2021 शामिल हैं।
  • पारित होने वाले बिल्स में 84 को स्वीकृति मिली। 70% बिल्स को पारित होने के एक महीने के भीतर स्वीकृति मिल गई। 
  • 13 बिल्स को पारित होने के दो महीने से ज्यादा बीतने के बाद स्वीकृति मिली (राष्ट्रपति के विचार के लिए रुके बिल्स सहित)। इनमें आपराधिक कानून (गुजरात संशोधन) बिल, 2018, कॉन्ट्रैक्ट श्रमिक (रेगुलेशन और उन्मूलन) (गुजरात संशोधन) बिल, 2020 और बाल एवं किशोर श्रमिक (निषेध और रेगुलेशन) (गुजरात संशोधन) बिल, 2020 शामिल हैं।
  • इस विधानसभा के कार्यकाल के दौरान 21 अध्यादेश जारी किए गए। इनमें से 12 को 2020 में जारी किया गया (जिस वर्ष कोविड-19 को महामारी घोषित किया गया था)। ये श्रम कानूनों, कानून एवं व्यवस्था और शिक्षा से संबंधित थे।
  • 12 में से 11 अध्यादेशों की जगह 2020 के मानसून सत्र में कानून लाया गया। बाकी एक की जगह 2021 के बजट सत्र में कानून पारित किया गया।  

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एक सदस्य ने औसत 24 वाद-विवादों में हिस्सा लिया

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नोट: इस आंकड़े में मंत्रियों की हिस्सेदारी भी शामिल की गई है।

  • औसत एक सदस्य ने विधानसभा के कार्यकाल के दौरान 24 वाद-विवादों में भाग लिया है। महिला सदस्य के लिए यह औसत उससे कम, यानी 18 है।
  • अधिकतर सदस्यों ने पांच वर्षों के दौरान 20 से कम वाद-विवादों में हिस्सा लिया है। सिर्फ 16 सदस्यों ने 50 या उससे अधिक वाद-विवादों में हिस्सा लिया है।  

 

स्रोत: गुजरात विधानसभा के सत्रों के रेज्यूमे, राष्ट्रीय ई-विधान एप्लिकेशन, गुजरात विधानसभा की वेबसाइट, गुजरात ईगैजेट, राज्य के कानूनों की वार्षिक समीक्षा, 2021; पीआरएस। 

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह रिपोर्ट मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार की गई है। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी की मूल रिपोर्ट से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

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