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  • बिहार की 17वीं विधानसभा का कामकाज

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बिहार की 17वीं विधानसभा का कामकाज

बिहार की 18वीं विधानसभा के चुनाव 6 और 11 नवंबर, 2025 को निर्धारित किए गए हैं। इस नोट में नवंबर 2020 से जुलाई 2025 के बीच बिहार की 17वीं विधानसभा के कामकाज की समीक्षा की गई है।

विधानसभा की बैठक वर्ष में औसत 29 दिन हुई; औसत तीन घंटे 

 नोट: *पांच वर्ष से कम कार्यकाल को दर्शाता है। 13वीं विधानसभा में कोई बैठक होती, इससे पहले ही वह भंग कर दी गई थी। 

नोट: BS बजट सत्र है; WS शीतकालीन सत्र है; MS मानसून सत्र है; FS पहला सत्र है। 

  • 2020 और 2025 के बीच विधानसभा की कुल बैठकें 146 दिन हुईं जो इसके सभी पांच-वर्षीय कार्यकालों में सबसे कम है। इसकी बैठकें वर्ष में औसतन 29 दिन हुईं। 

  • जिन दिनों सदन की बैठकें हुईं, उन दिनों औसतन तीन घंटे ही काम हुआ। 2024 में सभी राज्यों की विधानसभाओं की बैठकें औसतन पांच घंटे हुईं।

सभी बिल पेश होने वाले दिन पारित; कोई भी समितियों को नहीं भेजे गए

नोट: 2005 में कोई विधानसभा सत्र आयोजित नहीं किया गया था। इसमें एप्रोप्रिएशन बिल शामिल नहीं हैं।

  • 17वीं विधानसभा ने 78 बिल पारित किए। इनमें से सभी बिल पेश होने वाले दिन ही पारित कर दिए गए। इनमें से किसी भी बिल को अधिक विचार-विमर्श के लिए समितियों के सुपुर्द नहीं किया गया। 

  • इस विधानसभा के दौरान पारित होने वाले अधिकतर बिल शिक्षा, फाइनांस और टैक्सेशन तथा प्रशासन से संबंधित थे। इनमें से कुछ बिल इस प्रकार हैं: (i) बिहार सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) बिल, 2024, (ii) बिहार अपराध नियंत्रण बिल, 2024 और (iii) प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर्स (पंजीकरण, सुरक्षा एवं कल्याण) बिल, 2025। 2023 में विधानसभा ने सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण बढ़ाने वाले दो बिल भी पारित किए थे। लेकिन जून 2024 में पटना उच्च न्यायालय ने उन्हें रद्द कर दिया। 

नोट: फाइनांस में फाइनांस और टैक्सेशन शामिल हैं।

सात अध्यादेश जारी किए गए, पिछली विधानसभाओं की तुलना में यह सबसे कम संख्या है

  • 2021 और 2025 के बीच सात अध्यादेश जारी किए गए। अध्यादेश ऐसे अस्थायी कानून होते हैं, जो तब लाए जाते हैं, जब विधानसभा का सत्र नहीं चल रहा होता। ये अगले सत्र की शुरुआत से छह हफ्ते में लैप्स हो जाते हैं, जब तक कि कोई कानून इनकी जगह पर नहीं लाया जाता। इस कार्यकाल के दौरान जारी किए गए सभी अध्यादेशों को कानूनों द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया।

  • बिहार में पिछले कुछ वर्षों में जारी अध्यादेशों की संख्या गिरी है। जैसे 1990 और 1994 के बीच कुल 144 अध्यादेश जारी किए गए थे।

बजट पर औसत दस दिन चर्चा की गई

  • वार्षिक बजट पर सामान्य चर्चा के अलावा विधानमंडल प्रमुख मंत्रालयों के व्यय पर भी चर्चा करते हैं। पिछले पांच वर्षों में विधानमंडल ने इन मंत्रालयों के व्यय पर औसतन नौ दिन चर्चा की।

स्रोत: दैनिक बुलेटिन, कार्य विवरण, बैठक के दिनों और बिल्स पर सांख्यिकीय विवरण, बिहार विधानसभा (https://vidhansabha.bihar.gov.in/index.html).

डिस्क्लेमर: प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

 

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