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हिमाचल प्रदेश की 13वीं विधानसभा का कामकाज

वाइटल स्टैट्स 

हिमाचल प्रदेश की 13वीं विधानसभा का कामकाज 

हिमाचल प्रदेश की 14वीं विधानसभा के चुनाव 12 नवंबर, 2022 को होने निश्चित हैं। इस डॉक्यूमेंट में राज्य की 13वीं विधानसभा के कामकाज का विश्लेषण किया गया है जिसका सत्र जनवरी 2018 और अगस्त 2022 के बीच संचालित हुआ था। 

विधानसभा की बैठकें साल में औसतन 28 दिन हुईं 

 imageनोट: (i) FS–पहला सत्र, BS–बजट सत्र, MS–मानसून सत्र, WS–शीतकालीन सत्र; (ii) एक दिन का विशेष सत्र 7 जनवरी, 2020 को संचालित किया गया। इस सत्र का डेटा 8वें सत्र में शामिल कर दिया गया है।

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  • 13वीं विधानसभा के दौरान कुल 15 सत्र संचालित किए गए, यानी हर साल तीन सत्र। 10वां सत्र बुलाया गया लेकिन बाद में रद्द कर दिया गया।
  • विधानसभा ने कुल 139 दिन काम किया, और हर सत्र में औसत नौ दिन बैठकें हुईं। पहला और 15वां सत्र सबसे कम दिन चला, चार-चार दिन। बजट सत्र सबसे ज्यादा लंबा चला, जिस दौरान 13 से 17 दिन बैठकें हुईं। औसतन, गैर बजट सत्र छह दिन चले।
  • 2016 से 2021 के बीच भारत की राज्य विधानसभाओं की औसत 25 दिन बैठकें चलीं। इस अवधि में हिमाचल प्रदेश की विधानसभा वर्ष में औसत 30 दिन चली, जोकि राष्ट्रीय औसत से अधिक है। 
  • एक बैठक की औसत अवधि 4.2 घंटे थी। सबसे लंबी अवधि की बैठक 7 घंटे और 55 मिनट लंबी थी और यह 8 मार्च, 2022 का दिन था, जब बजट पर चर्चा हो रही थी। 

128 दिन प्रश्नकाल संचालित किए गए

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  • तारांकित और अतारांकित प्रश्नों के लिए प्राप्त 73% नोटिसों को स्वीकार किया गया। अल्प सूचना प्रश्न के लिए तीन नोटिस प्राप्त हुए और इनमें से केवल एक को ही स्वीकार किया गया था। स्वीकृत तारांकित प्रश्नों में से 14% के लिए अनुपूरक प्रश्न प्राप्त हुए।
  • औसत 40 सदस्यों (70% से अधिक गैर मंत्रीय सदस्य) ने प्रत्येक सत्र में प्रश्नों के लिए नोटिस भेजे थे। सदन में मौखिक रूप से दिए गए प्रत्येक प्रश्न पर लगभग 1.3 मिनट खर्च किए गए।
  • सदस्य मंत्रियों से तारांकित, अतारांकित या अल्प सूचना प्रश्न पूछ सकते हैं। मंत्री तारांकित और अल्प सूचना प्रश्नों के मौखिक उत्तर दे सकते हैं, जिनके अनुपूरक प्रश्न पूछे जा सकते हैं। अतारांकित प्रश्नों के उत्तर लिखित में दिए जाते हैं।
     

 

61 बिल पारित; 48% बिल पेश होने वाले दिन या उसके अगले दिन पारित 

  • इस विधानसभा में 62 बिल पेश किए गए (विनियोग बिल्स को छोड़कर)। इनमें से 61 पारित कर दिए गए, और 55 को मंजूरी मिल चुकी है। 48% बिल्स (61 में से 29) को पेश होने वाले दिन या उसके अगले दिन पारित कर दिया गया।   

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  • दो बिल्स को सिलेक्ट कमिटी को भेजा गया। ये बिल हैं, हिमाचल प्रदेश भूमि जोत अधिकतम सीमा (संशोधन) बिल, 2021 और हिमाचल प्रदेश कृषि उत्पाद मार्केटिंग (संवर्धन और सुविधा) बिल, 2019। हिमाचल प्रदेश कृषि उत्पाद मार्केटिंग (संवर्धन और सुविधा) बिल, 2019 को विधानसभा के कार्यकाल के अंत तक पारित नहीं किया गया। हिमाचल प्रदेश जमाकर्ताओं के हितों का संरक्षण (वित्तीय प्रतिष्ठानों में) संशोधन बिल, 2018 को पारित करने के बाद विधानसभा द्वारा वापस ले लिया गया, चूंकि संसद ऐसा ही एक कानून पारित कर चुकी थी।

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  • 2018 और 2022 के बीच 10 अध्यादेश जारी किए गए। नौ अध्यादेशों की जगह कानून लाए गए और एक लैप्स हो गया।  
  • विषयों के लिहाज से सर्वाधिक बिल शहरी शासन (8), टैक्सेशन (7) और शिक्षा (6) से संबंधित थे। पारित होने वाले मुख्य बिल थे, हिमाचल प्रदेश पुलिस (संशोधन) बिल, 2018, हिमाचल प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता बिल, 2019 और हिमाचल प्रदेश आबादी देह (अधिकार अभिलेख) बिल, 2021।

 

90% मांगों को गिलोटिन किया गया 

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  • बजट प्रस्तुत करने के बाद, उस पर दो स्तरों पर चर्चा होती है। पहला, बजट पर आम चर्चा होती है। यह आम चर्चा हर वर्ष औसत 14.4 घंटे चली। औसत 41 सदस्यों (मंत्रियों सहित) ने हर वर्ष चर्चा में भाग लिया (सदन के कुल 60% सदस्यों ने)। 
  • बजट पर चर्चा के दूसरे चरण में विस्तृत चर्चा और अनुदान मांगों (विभागों/मंत्रालयों के बजटीय आबंटन) पर वोटिंग होती है। प्रत्येक वर्ष बजट में 32 मांगों को प्रस्तुत किया गया। औसतन, 29 मांगों (कुल का 90%) को हर वर्ष गिलोटिन किया गया, यानी वाद-विवाद के बिना पारित किया गया। कोविड-19 महामारी के कारण 2020 में सभी मांगों को गिलोटिन किया गया।
       

 

विभिन्न नियमों के तहत वाद-विवाद के लिए 226 विषयों को उठाया गया 

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  • हिमाचल प्रदेश विधानसभा की कार्य प्रक्रिया के नियमों में विधायकों के लिए सदन में विषय उठाने और चर्चा के लिए विभिन्न प्रक्रियाएं दी गई हैं। इनमें ध्यानाकर्षण प्रस्ताव, आधे घंटे की चर्चा, लोक महत्व के विषय, अल्पकालीन चर्चा और विशेष उल्लेख शामिल हैं।  
  • इन प्रावधानों के अंतर्गत विधानसभा में वाद-विवाद के लिए 226 विषयों को उठाया गया। यह सदन में वाद-विवाद के लिए सौंपे गए सभी नोटिस का 60% है। 

स्रोत: हिमाचल प्रदेश विधानसभा के स्टैटिस्टिकल स्टेटमेंट्स और बुलेटिन, राज्य के कानूनों की वार्षिक समीक्षा, 2021; पीआरएस। 

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह रिपोर्ट मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार की गई है। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी की मूल रिपोर्ट से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

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