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17वीं लोकसभा का कामकाज

वाइटल स्टैट्स

17वीं लोकसभा का कामकाज

17वीं लोकसभा ने जून 2019 और फरवरी 2024 के बीच अपने सत्र आयोजित किए। इन पांच वर्षों में लोकसभा ने अपने निर्धारित समय का 88% काम किया, जबकि राज्यसभा ने 73% काम किया। सितंबर 2023 में संसद एक नए भवन में स्थानांतरित हो गई।

सभी पूर्णकालिक लोकसभाओं में सबसे कम बैठकें; पहली बार उपाध्यक्ष नहीं चुना गया 

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 नोट: * पांच वर्ष से कम अवधि का संकेत; ** छह साल की अवधि का संकेत।

  • 17वीं लोकसभा की 274 बैठकें हुईं। पिछली केवल चार लोकसभाओं में इससे कम बैठकें हुई थीं, जिनमें से सभी को पांच साल का कार्यकाल पूरा करने से पहले ही भंग कर दिया गया था। कोविड-19 महामारी के बीच इस लोकसभा की सबसे कम बैठकें 2020 में (33 दिन) हुईं।

  • इस लोकसभा के दौरान हुए 15 सत्रों में से 11 समय से पहले स्थगित कर दिए गए। परिणामस्वरूप, 40 निर्धारित बैठकें नहीं हुईं (निर्धारित बैठकों का 13%)। पहले और आखिरी सत्र को क्रमशः सात बैठकों और एक बैठक तक बढ़ाया गया।

  • संविधान के अनुच्छेद 93 के अनुसार लोकसभा को ‘यथाशीघ्र’ एक अध्यक्ष और एक उपाध्यक्ष का चुनाव करना होता है। यह पहली बार है, जब लोकसभा ने पूरे कार्यकाल के लिए उपाध्यक्ष का चुनाव नहीं किया।

  • 17वीं लोकसभा के दौरान संसद के दोनों सदनों में 206 मौकों पर सांसदों को निलंबित किया गया। शीतकालीन सत्र 2023 में सदन में गंभीर कदाचार के लिए 146 सांसदों को निलंबित कर दिया गया। सांसदों को निलंबित किए जाने के बाद आपराधिक कानूनों में सुधार के लिए नए बिल जैसे कई प्रमुख कानून पारित किए गए।

179 बिल पारित; 58% बिल पेश होने के 2 सप्ताह के भीतर पारित हो गए

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नोट: * पांच वर्ष से कम अवधि का संकेत; ** छह साल की अवधि का संकेत। इस आंकड़े में फाइनांस और एप्रोप्रिएशन बिल शामिल हैं।

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  • 179 बिल (फाइनांस और एप्रोप्रिएशन बिल को छोड़कर) पारित किए गए। वित्त और गृह मंत्रालय ने सबसे अधिक संख्या में बिल (प्रत्येक 15%) पेश किए, उसके बाद कानून एवं न्याय (9%), और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण (9%) मंत्रालयों का स्थान रहा।

  • पारित होने वाले प्रमुख बिल्स में निम्नलिखित शामिल हैं: महिला आरक्षण बिल, 2023, जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल, 2019, सीईसी नियुक्ति बिल, 2023, तीन श्रम संहिता, डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2023 और तीन कृषि कानून (जिन्हें बाद में निरस्त कर दिया गया)। आईपीसी, 1860, सीआरपीसी, 1973 और भारतीय साक्ष्य एक्ट, 1872 की जगह लेने वाले तीन बिल भी पारित किए गए।

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  •  17वीं लोकसभा के कार्यकाल के दौरान पेश किए गए अधिकांश बिल पारित किए गए। 58% बिल पेश होने के दो सप्ताह के भीतर पारित कर दिए गए। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल, 2019 और महिला आरक्षण बिल, 2023 पेश होने के दो दिनों के भीतर पारित कर दिए गए।

  • लोकसभा में एक घंटे से भी कम चर्चा के साथ 35% बिल पारित किए गए। राज्यसभा के लिए यह आंकड़ा 34% था।

20% से भी कम बिल समितियों के पास भेजे गए

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  • 16% बिल्स को विस्तृत समीक्षा के लिए समितियों के पास भेजा गया। यह पिछली तीन लोकसभाओं के संबंधित आंकड़ों से कम है। चार बिल्स को ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमिटी और एक (सरोगेसी (रेगुलेशन) बिल, 2019) को राज्यसभा की सिलेक्ट कमिटी के पास भेजा गया।

  • बिल पर 50% रिपोर्ट 115 दिनों के भीतर पेश की गईं। पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2019 पर ज्वाइंट कमिटी ने सबसे लंबा समय लिया, दो वर्षों से अधिक समय में 78 बार बैठक की। एंटी मैरीटाइम पायरेसी बिल, 2019 और डीएनए टेक्नोलॉजी रेगुलेशन बिल, 2019 की समीक्षा करने वाली कमिटीज़ को अपनी रिपोर्ट पेश करने में 1.5 साल से अधिक का समय लगा।

  • बिल पर रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए कमिटीज़ ने औसतन नौ बैठकें कीं। डेटा प्रोटेक्शन बिल के अलावा, कम से कम 15 बैठकों में केवल जैव विविधता (संशोधन) बिल, 2021 पर चर्चा हुई। आपराधिक कानूनों में सुधार करने वाले तीन बिल्स की 12 बैठकों में एक साथ समीक्षा की गई।

10% से भी कम बिल रिकॉर्डेड वोटिंग से पारित हुए; चार बिल लैप्स होने वाले हैं

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नोट: इस आंकड़े में संवैधानिक संशोधन बिल शामिल नहीं हैं, जिसके लिए रिकॉर्डेड वोटिंग अनिवार्य है। 

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नोट: * पांच वर्ष से कम अवधि का संकेत; ** छह साल की अवधि का संकेत। 

  • 17वीं लोकसभा के दौरान अधिकांश बिल रिकॉर्डेड वोटिंग के बिना पारित किए गए। 9% बिल रिकॉर्डेड वोटिंग के कम से कम एक मौके के साथ पारित किए गए (इसमें बिल के संशोधनों पर मतदान के साथ-साथ उनका पारित होना भी शामिल है)। 16वीं और 15वीं लोकसभा के दौरान यह आंकड़ा लगभग समान था।

  • इस लोकसभा के भंग होने के साथ ही चार बिल लैप्स हो जाएंगे। यह अब तक की सभी लोकसभाओं में सबसे कम संख्या है। जो बिल लैप्स हो जाएंगे, उनमें अंतर-राज्य नदी जल विवाद (संशोधन) बिल, 2019, बाल विवाह निषेध (संशोधन) बिल, 2021 और बिजली (संशोधन) बिल, 2022 शामिल हैं। बाद के दो बिल समितियों को भेजे गए थे, और उनकी रिपोर्ट का इंतजार है।

  • राज्यसभा में पेश किया गया कीटनाशक प्रबंधन बिल, 2020 अभी भी लंबित है। पिछली लोकसभाओं के दौरान राज्यसभा में पेश किए गए 19 बिल भी लंबित हैं। इनमें से सबसे पुराना 1992 का संवैधानिक संशोधन है।

गैर सरकारी सदस्यों के कुछ ही बिल और प्रस्तावों पर चर्चा 

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नोट: * पांच वर्ष से कम अवधि का संकेत; ** छह साल की अवधि का संकेत। 

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  • व्यक्तिगत सांसदों द्वारा पेश किए गए बिल और संकल्पों को गैर सरकारी सदस्यों का कामकाज (प्राइवेट मेंबर्स बिजनेस) कहा जाता है। 17वीं लोकसभा में गैर सरकारी सदस्यों के 729 बिल (पीएमबी) पेश किए गए, जो 16वीं को छोड़कर पिछली सभी लोकसभाओं से सबसे अधिक है। हालांकि केवल दो पीएमबी पर चर्चा की गई। इसी अवधि के दौरान राज्यसभा में 705 पीएमबी पेश किए गए और 14 पर चर्चा हुई। आज तक, केवल 14 पीएमबी पारित किए गए हैं और उन्हें सम्मति मिली है। 1970 के बाद से दोनों सदनों में कोई भी पीएमबी पारित नहीं हुआ है।

  • लोकसभा में पेश किए गए 14% पीएमबी गृह मामलों से संबंधित हैं, इसके बाद कानून एवं न्याय (11%), स्वास्थ्य (8%) और शिक्षा (8%) से संबंधित हैं। इनमें से 16% बिल्स में संविधान में संशोधन की मांग की गई है।

  • लोकसभा में गैर सरकारी सदस्यों के 11 संकल्प पेश किए गए, जिनमें से तीन पर चर्चा हुई और कोई भी मंजूर नहीं हुआ। पिछले कुछ वर्षों में गैर सरकारी सदस्यों के काफी कम संकल्पों को मंजूर किया गया है। 1999 के बाद से केवल दो को मंजूरी मिली है। 

कुछ चर्चाएं हुईं; कोई स्थगन प्रस्ताव नहीं लिया गया

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 नोट: * पांच वर्ष से कम अवधि का संकेत; ** छह साल की अवधि का संकेत।   
  • लोकसभा में कुल कामकाज का लगभग 31% और राज्यसभा में 32% समय कानून और बजट के अलावा अन्य चर्चाओं पर व्यतीत किया गया। इनमें संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण, सार्वजनिक महत्व के मामले और विश्वास मत पर चर्चा शामिल है।

  • संसद के 75 वर्षों और अंतरिक्ष में भारत की उपलब्धियों पर विशेष चर्चा की गई। लोकसभा में आधे घंटे की चर्चा सिर्फ एक बार हुई (ग्रामीण आवास योजना के लाभार्थियों पर)। लोकसभा में 13 अल्पकालिक चर्चा हुईं, जिनमें जलवायु परिवर्तन, मूल्य वृद्धि, भारत में खेलों को बढ़ावा और यूक्रेन की स्थिति जैसे मुद्दे शामिल थे। इस अवधि के दौरान राज्यसभा में 14 अल्पकालिक चर्चा हुईं।

  • अगस्त 2023 में लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया और उस पर चर्चा हुई। चर्चा 20 घंटे तक चली। सदन की सामान्य कार्यवाही को रोकने और किसी जरूरी मामले पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव लाया जा सकता है। 16वीं या 17वीं लोकसभा में कोई स्थगन प्रस्ताव नहीं लाया गया। 15वीं लोकसभा में दो और 14वीं लोकसभा में सात ऐसे प्रस्तावों पर चर्चा हुई।

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नोट: *पांच वर्ष से कम अवधि की तरफ संकेत करता है; इन आंकड़ों में संसदीय कार्य मंत्री द्वारा सवालों के सही उत्तर और सरकारी कामकाज पर अपडेट शामिल नहीं हैं। 

  • जनहित के मामलों को लेकर मंत्री सदन में स्वतः संज्ञान से बयान देते हैं। 17वीं लोकसभा के दौरान, लोकसभा में मंत्रियों द्वारा ऐसे 28 बयान दिए गए, जबकि 16वीं में 62 और 15वीं लोकसभा में 98 बयान दिए गए।

  • इन बयानों में कोविड-19 महामारी, लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में भारत की सीमाओं पर घटित घटनाएं और भारत की विदेश नीति जैसे मुद्दे शामिल थे।

प्रश्नकाल निर्धारित समय का 60% समय तक चला 

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  • 17वीं लोकसभा के दौरान, लोकसभा में प्रश्नकाल निर्धारित समय के 60% और राज्यसभा में 52% समय तक चला।

  • मौखिक उत्तरों के लिए सूचीबद्ध प्रश्नों में से 24% प्रश्नों का उत्तर लोकसभा में मंत्रियों द्वारा दिया गया, और 31% का उत्तर राज्यसभा में दिया गया।

  • महामारी के कारण मानसून सत्र 2020 में प्रश्नकाल रद्द कर दिया गया था। हालांकि सदस्य अतारांकित प्रश्न पूछ सकते थे, जिनका लिखित उत्तर मिलता है। विशेष सत्र 2023 में किसी भी प्रश्न की अनुमति नहीं दी गई थी।

 

बजट पर चर्चा में कम समय व्यतीत हुआ; औसतन 80% बजट चर्चा के बिना पारित हुआ

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नोट: इसमें आम बजट पर व्यतीत समय और विभागीय व्यय पर चर्चा शामिल है। 2017 से रेलवे बजट को आम बजट में शामिल कर दिया गया, अंतरिम बजट को गणना से बाहर रखा गया है। 

  • पिछले कुछ वर्षों में लोकसभा में बजट चर्चा पर व्यतीत होने वाला समय कम हो गया है। 17वीं लोकसभा में वार्षिक बजट पर औसतन 35 घंटे चर्चा हुई (निचले सदन में)।

  • 2019 से 2023 के बीच औसतन लगभग 80% बजट पर बिना चर्चा के मतदान हुआ है। 2023 में पूरा बजट बिना चर्चा के पास हो गया। पिछले दशक में ऐसा दो बार हुआ है- 2018 और 2013 में।

कमिटीज़ ने लगभग 1,700 बैठकें कीं

  • 17वीं लोकसभा के दौरान पार्लियामेंटरी कमिटीज़ (तीन फाइनांस कमिटीज़ और 24 विभाग संबंधी स्टैंडिंग कमिटीज़ (डीआरएससीज़)) ने लगभग 1,700 बैठकें कीं। एक कमिटी की बैठक की औसत अवधि लगभग 2 घंटे थी।

  • वित्तीय समितियां सरकारी वित्त और व्यय के विभिन्न पहलुओं की समीक्षा करती हैं। डीआरएससी क्षेत्र-विशिष्ट विषयों और मंत्रालय-वार बजट की समीक्षा करती हैं, और उन पर रिपोर्ट पेश करती हैं। पार्लियामेंटरी कमिटीज़ इस बात की भी समीक्षा करती हैं कि सरकार ने कमिटी के पिछले सुझावों (जिन्हें ऐक्शन टेकन रिपोर्ट या एटीआर कहा जाता है) पर किस हद तक कार्रवाई की है।

तालिका 1: 17वीं लोकसभा के दौरान कमिटी रिपोर्ट्स के प्रकार

रिपोर्ट के प्रकार

फाइनांस कमिटीज़

डीआरएससीज़

ऐक्शन टेकन रिपोर्ट्स

46%

48%

अनुदान मांग (या बजट) 

3%

31%

विषय

51%

19%

बिल

0%

2%

 

  • 17वीं लोकसभा के कार्यकाल के दौरान तीन फाइनांस कमिटीज़ ने लगभग 180 रिपोर्ट पेश कीं और 24 डीआरएससी ने लगभग 1,100 रिपोर्ट पेश कीं। डीआरएससी की 19% रिपोर्ट बिल्स और बजट के अलावा अन्य विषयों पर थीं। कमिटियों की लगभग 50% रिपोर्टें एटीआर थीं।

  • 2020 और 2023 के बीच प्रस्तावित व्यय पर 32% रिपोर्ट बजट पारित होने से पहले पेश की गईं।

स्रोत: लोकसभा और राज्यसभा के बुलेटिन; स्टैटिस्टिकल हैंडबुक 2023, संसदीय कार्य मंत्रालय, 2023; संसद के 60 वर्ष, विभिन्न लोकसभाओं, लोकसभा सचिवालय द्वारा किए गए कार्यों का संकलन; राज्यसभा एक नज़र में, राज्यसभा सांख्यिकीय जानकारी 1952-2018, राज्यसभा सचिवालय; लोकसभा और राज्यसभा की वेबसाइटें; पीआरएस।

     

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

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