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17वीं लोकसभा में सांसदों की भागीदारी

वाइटल स्टैट्स

17वीं लोकसभा में सांसदों की भागीदारी

17वीं लोकसभा ने जून 2019 और फरवरी 2024 के बीच सत्र आयोजित किए। इस दौरान लोकसभा की 274 बैठकें हुईं, जो पिछली सभी पूर्णकालिक लोकसभाओं की तुलना में सबसे कम है। इस लोकसभा में लगभग 15% सांसद महिलाएं हैं और 50% सांसद 60 साल से कम उम्र के हैं। इस नोट में 17वीं लोकसभा के दौरान लोकसभा सांसदों की भागीदारी पर नजर डाली गई है। सांसद जो मंत्री हैं, और अध्यक्ष प्रश्न नहीं पूछते हैं या गैर सरकारी सदस्यों के बिल (प्राइवेट मेंबर बिल) पेश नहीं करते हैं। बहस के दौरान मंत्री सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं। औसतन, लोकसभा के लगभग 5%-7% सदस्य कभी न कभी मंत्री के रूप में कार्य करते हैं।

अधिकतर सांसद नियमित रूप से लोकसभा में मौजूद; एक चौथाई ने 90% से ज्यादा बैठकों में भाग लिया 

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  • 17वीं लोकसभा के दौरान सांसदों की औसतन उपस्थिति 79% रही। इसमें वे सांसद शामिल नहीं हैं जो पूरे कार्यकाल के लिए मंत्री थे, और अध्यक्ष, जिनकी उपस्थिति दर्ज नहीं की जाती है। पुरुष सांसदों की औसत उपस्थिति 79% थी, जबकि महिला सांसदों की औसत उपस्थिति 77% थी।

  • 15वीं लोकसभा के बाद से सांसदों की उपस्थिति 75% से 80% के बीच रही है। इस लोकसभा में लगभग 60% सांसदों की उपस्थिति 80% से अधिक है। लगभग 10% सदस्यों की उपस्थिति 60% से कम है। यह विभाजन 16वीं और 15वीं लोकसभा में लगभग समान था।

  • 17वीं लोकसभा में विशेष सत्र 2023 (92%) के दौरान सबसे अधिक उपस्थिति देखी गई, उसके बाद बजट सत्र 2019 (88%) में देखी गई। कोविड-19 महामारी के बावजूद बजट सत्र 2021 (69%) को छोड़कर, किसी भी सत्र में उपस्थिति 70% से कम नहीं हुई।

महाराष्ट्र के सांसदों ने सबसे ज्यादा पूछे सवाल; युवा सांसदों ने पूछे अधिक सवाल

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 नोट: इसमें केवल 10 से अधिक सांसदों वाले राज्य शामिल हैं। केवल शीर्ष दस राज्य दिखाए गए हैं। 

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 नोट: SS-शिवसेना। इसमें सिर्फ उन पार्टियों को शामिल किया गया है जिनके कम से कम पांच सांसद हैं। शीर्ष 10 पार्टियों को दिखाया गया है। 

  • औसतन, महाराष्ट्र के सांसदों ने सबसे अधिक प्रश्न पूछे (प्रति सांसद 370), उसके बाद आंध्र प्रदेश (275) और राजस्थान (273) आते हैं। उत्तर-पूर्वी राज्यों के सांसदों ने औसतन 152 सवाल पूछे।

  • लोकसभा में पांच या अधिक सांसदों वाले सभी राजनीतिक दलों में से, एनसीपी के सदस्यों ने सबसे अधिक प्रश्न पूछे। छोटे दलों में, एआईएमआईएम के दो सांसदों ने कुल 640 प्रश्न पूछे, और रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के एकमात्र सांसद ने 270 प्रश्न पूछे।

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  • 60 साल से कम उम्र वाले सांसदों ने औसतन 226 सवाल पूछे, जबकि 60 साल से अधिक उम्र वाले सांसदों ने 180 सवाल पूछे। महिला सांसदों ने औसतन 199 सवाल पूछे, जबकि पुरुष सांसदों ने 203 सवाल पूछे।

  • कम संसदीय अनुभव वाले सांसदों ने अधिक प्रश्न पूछे। छह या अधिक कार्यकाल पूरा कर चुके सांसदों ने औसतन लगभग 106 प्रश्न पूछे।

औसत सांसदों ने 45 बहस में भाग लिया

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 नोट: इसमें केवल 20 से अधिक सांसदों वाले राज्य शामिल हैं। केवल शीर्ष 10 राज्य दिखाए गए हैं। 

  • विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसद सरकारी बिल और बजट जैसे सरकारी कामकाज पर बहस में भाग लेते हैं। सांसद जनहित के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा भी शुरू करते हैं और उसमें भाग भी लेते हैं। मुद्दों पर बोलने या मुद्दे उठाने के अलावा सांसद दूसरों द्वारा शुरू की गई बहस में शामिल भी हो सकते हैं ताकि वे उन विषयों पर अपना समर्थन जता सकें। 17वीं लोकसभा के दौरान सांसदों ने औसतन 45 बहसों में हिस्सा लिया। तीन सांसदों ने 500 से अधिक बहसों में भाग लिया।

  • महिला सांसदों ने औसतन 39 बहसों में भाग लिया, और पुरुष सांसदों ने 46 में।

  • केरल और राजस्थान के सांसदों की बहस में औसतन सबसे अधिक भागीदारी रही। इसके बाद उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और झारखंड के सांसद हैं। 

 

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 नोट: SS-शिवसेना। इसमें सिर्फ उन पार्टियों को शामिल किया गया है जिनके कम से कम पांच सांसद हैं। शीर्ष 10 पार्टियों को दिखाया गया है। 

  • बसपा के सदस्यों ने सबसे अधिक बहस में भाग लिया, उसके बाद एनसीपी और कांग्रेस (कम से कम पांच सांसदों वाले दलों के बीच) के सांसदों ने भाग लिया। छोटी पार्टियों में से रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी और एआईएडीएमके के सांसदों ने सबसे अधिक बहस में भाग लिया।

  • उच्च शिक्षा प्राप्त सांसदों ने अधिक बहसों में भाग लिया। स्नातक डिग्री वाले सांसदों का औसत 47 बहस है, और कम से कम स्नातकोत्तर डिग्री वाले सांसदों का औसत 59 है। उच्चतर माध्यमिक तक शिक्षा वाले सांसदों ने औसतन 34 बहसों में भाग लिया।

कुछ सांसदों ने प्राइवेट मेंबर बिल पेश किए

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  • सांसद, जो मंत्री नहीं हैं, वे भी बिल पेश कर सकते हैं, जिन्हें गैर सरकारी सदस्यों के बिल (प्राइवेट मेंबर बिल या पीएमबी) के रूप में जाना जाता है। 17वीं लोकसभा के दौरान लोकसभा में 729 पीएमबी पेश किए गए, औसतन प्रति सांसद 1.5 पीएमबी।

  • 17वीं लोकसभा के दौरान लगभग 73% सांसदों ने कोई पीएमबी पेश नहीं किया।

  • पुरुष सांसदों (1.6) ने औसतन महिला सांसदों (1.0) की तुलना में अधिक पीएमबी पेश किए।      

स्रोत: 15वीं, 16वीं और 17वीं लोकसभा और राज्यसभा के बुलेटिन और बहस; पीआरएस।

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह रिपोर्ट मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार की गई है। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी की मूल रिपोर्ट से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

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