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2019 के शीतकालीन सत्र में संसद का कामकाज

संसद का शीतकालीन सत्र 18 नवंबर, 2019 से 13 दिसंबर, 2019 तक संचालित हुआ। इस सत्र के दौरान संसद ने दो उपलब्धियां हासिल कीं। संविधान के लागू होने की 70वीं वर्षगांठ मनाने के लिए संसद के सेंट्रल हॉल में एक समारोह का आयोजन किया गया। यह राज्यसभा का 250वां सत्र भी था। 

लोकसभा ने निर्धारित समय का 111% और राज्यसभा ने 92% कार्य किया

 

  • सामान्य तौर से संसद औसत छह घंटे बैठती है। इस सत्र में लोकसभा ने निर्धारित समय का 111% कार्य किया। राज्यसभा ने निर्धारित समय का 92% कार्य किया। 

  • लोकसभा ने विधायी कार्यों पर 43% समय व्यतीत किया और राज्यसभा ने 51%।

  • लोकसभा में गैर विधायी चर्चाओं में वायु प्रदूषण पर आठ घंटे और फसल नुकसान पर 7.5 घंटे चर्चा हुई।

  • गैर विधायी चर्चाओं में राज्यसभा ने भारत की आर्थिक स्थिति पर 4.5 घंटे चर्चा की। 250वें सत्र के संदर्भ में राज्यसभा ने भारतीय राजनीति में अपनी भूमिका पर भी चर्चा की। 

लोकसभा ने बिल्स पर औसत 3.6 घंटे और राज्यसभा ने 3.1 घंटे चर्चा की

 

तालिका 1: कुछ बिल्स की चर्चा पर लगने वाला समय

बिल का नाम

लोकसभा में चर्चा (घंटे) 

राज्यसभा में चर्चा (घंटे) 

नागरिकता (संशोधन) बिल, 2019 

7.5

8.9

इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट्स पर प्रतिबंध (उत्पादन, निर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, बिक्री, वितरण, स्टोरेज और विज्ञापन) बिल, 2019

5.1

4.6

चिट फंड्स (संशोधन) बिल, 2019

5.3

3.0

टैक्सेशन कानून (संशोधन) बिल, 2019

4.9

3.3

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (अनाधिकृत कालोनियों के निवासियों के संपत्ति के अधिकार को मान्यता) बिल, 2019

4.4

3.3

  • अब तक 17वीं लोकसभा के दो सत्र हुए हैं। इन दो सत्रों में लोकसभा में औसतन किसी बिल पर 3.6 घंटे चर्चा हुई और राज्यसभा में 3.1 घंटे। यह पिछली दो लोकसभाओं में सर्वाधिक है। 

  • इस सत्र के दौरान संसद में 17 बिल पेश किए गए (विनियोग बिल को छोड़कर)। 14 बिल्स संसद में पारित हुए।

  • लोकसभा में 13 बिल पारित हुए और राज्यसभा में 14 बिल। पारित करने से पहले लोकसभा में किसी बिल पर औसतन चार घंटे और राज्यसभा में 3.4 घंटे चर्चा हुई। 

  • इस सत्र के दौरान 10 बिल पेश और पारित हुए। इनमें नागरिकता (संशोधन) बिल, 2019, इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट पर प्रतिबंध बिल, 2019 और टैक्सेशन कानून (संशोधन) बिल, 2019 शामिल हैं। इनमें से प्रत्येक पर संसद में सात घंटे से अधिक चर्चा हुई।

स्टैंडिंग कमिटी की बैठकों में औसतन 55% सदस्य उपस्थित रहे

  • स्टैंडिंग कमिटियां बिल्स, सरकारी व्यय और दूसरे नीतिगत विषयों की समीक्षा करती हैं। इस सत्र के दौरान कमिटी की बैठकों में औसत 55% सदस्य उपस्थित रहे (24 में से 16 कमिटियों के ही आंकड़े उपलब्ध हैं)। यह संसद में सांसदों की औसत उपस्थिति (84%) से कम है।

  • 17वीं लोकसभा में चार बिल्स को संसदीय कमिटियों के पास भेजा गया। डीएनए टेक्नोलॉजी रेगुलेशन बिल, 2019 और व्यवसागत सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थितियां संहिता, 2019 को स्टैंडिंग कमिटियों के पास भेजा गया। सेरोगेसी (रेगुलेशन) बिल, 2019 को राज्यसभा की सिलेक्ट कमिटी और पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2019 को ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमिटी के पास भेजा गया।

राज्यसभा में 60% प्रश्नों के मौखिक उत्तर दिए गए जोकि पिछले 20 वर्षों में सर्वाधिक है

  • इस सत्र में लोकसभा में प्रश्न काल के लिए निर्धारित समय का 88% और राज्यसभा में प्रश्न काल के लिए निर्धारित समय का 76% कार्य हुआ।

  • सत्र के दौरान लोकसभा में 37% और राज्यसभा में 60% प्रश्नों के मौखिक उत्तर दिए गए। यह पिछले 20 वर्षों की तुलना में सर्वाधिक है।

  • 27 नवंबर, 2019 को लोकसभा में मौखिक उत्तर के लिए सूचीबद्ध सभी प्रश्नों को लिया गया। इनमें से छह प्रश्नों के उत्तर पटल पर रखे गए, चूंकि सांसद सदन में मौजूद नहीं थे। इनमें से चार प्रश्नों के लिए अनुपूरक प्रश्न नहीं पूछे गए।

 179 दिन बीतने के बाद भी लोकसभा के उपाध्यक्ष का चुनाव नहीं 

  • संविधान का अनुच्छेद 93 कहता है कि लोकसभा जल्द से जल्द सदन के दो सदस्यों को अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनेगी।

  • 17वीं लोकसभा में पहले सत्र के शुरू होने की तारीख से 179 दिन बाद तक उपाध्यक्ष के पद के लिए चुनाव नहीं कराया गया। 16वीं लोकसभा के दौरान यह अवधि 70 दिन थी। 12वीं लोकसभा के दौरान यह अवधि 269 दिनों के साथ सर्वाधिक थी।

Sources:  Bulletins of Lok Sabha and Rajya Sabha as on December 13, 2019; Statistical Handbook, Ministry of Parliamentary Affairs, 2018; PRS. 

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह रिपोर्ट मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार की गई है। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी की मूल रिपोर्ट से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

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