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2022 के शीतकालीन सत्र में संसद का कामकाज

वाइटल स्टैट्स

2022 के शीतकालीन सत्र में संसद का कामकाज

संसद का शीतकालीन सत्र 7 दिसंबर, 2022 से 23 दिसंबर, 2022 तक संचालित होना था। लेकिन संसद चार दिन पहले ही अनिश्चित काल के लिए स्थगित हो गई और कुल 13 दिन बैठकें हुईं। इस वर्ष 56 दिन संसद की बैठकें हुई हैं।

17वीं लोकसभा के 10 में से आठ सत्र पहले स्थगित कर दिए गए

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  • यह 17वीं लोकसभा के सबसे छोटे सत्रों में से एक है (ऐसा ही मानसून सत्र 2020 था, जिसे कोविड-19 महामारी के दौरान संचालित किया गया था)। पिछले आठ सत्रों में लगातार संसद को निर्धारित समय से पहले ही स्थगित कर दिया गया है। इस लोकसभा के पहले स्थगित होने के कारण 36 निर्धारित बैठकों के दिनों का नुकसान हुआ है।
     
  • पिछले 50 वर्षों के दौरान संसद की बैठकों के दिन कम हो रहे हैं। 1950 और 1960 के दशक से बैठकों की संख्या लगभग आधी हो गई है।
     
  • इस सत्र में लोकसभा ने निर्धारित समय (वास्तविक दिनों) का 88% काम किया, जबकि राज्यसभा ने 94%। अंतिम दिन जब विपक्षी सदस्य भारत-चीन मुद्दे पर चर्चा करने की मांग कर रहे थे, दोनों सदनों में कुछ व्यवधान हुआ और सदनों को बार-बार स्थगित किया गया।

विधायी गतिविधियां कम हुईं; बिल्स को उसी सत्र में पेश और पारित किया गया

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 नोट: वित्त और विनियोग बिल्स को शामिल नहीं किया गया है।

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  • इस सत्र के दौरान सात बिल पारित किए गए और सात को पेश किया गया। विभिन्न राज्यों में अनुसूचित जनजाति की सूची में संशोधन करने वाले चार बिल पेश किए गए जिनमें से दो पारित किए गए। पेश होने वाले दो बिल, बहु-राज्यीय सहकारी समिति बिल, 2022 और जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) बिल, 2022 को संयुक्त संसदीय समितियों (ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमिटी) के पास भेजा गया।
     
  • 17वीं लोकसभा में अब तक पारित होने वाले 130 बिल्स में से 94 को उसी सत्र में पेश और पारित किया गया। विस्तृत समीक्षा के लिए बहुत कम बिल समितियों के पास भेजे गए। मौजूदा लोकसभा में पेश होने वाले 23% बिल्स को समितियों के पास भेजा गया। यह तीन लोकसभाओं में सबसे कम हैः 14वीं लोकसभा में 60%, 15वीं में 71% और 16वीं में 27%।
     
  • गैर सरकारी सदस्यों के बिल उन सदस्यों द्वारा पेश किए जाते हैं जो मंत्री नहीं होते। 1970 से गैर सरकारी सदस्यों का कोई बिल पारित नहीं हुआ है। इस सत्र में गैर सरकारी सदस्यों के 90 बिल पेश किए गए। इनमें भारत में समान नागरिक संहिता बिल, 2020 और संसद (उत्पादकता में वृद्धि) बिल, 2022 शामिल हैं। समान नागरिक संहिता बिल को पेश करने के प्रस्ताव का विरोध हुआ और उस पर मत विभाजन हुआ। इस प्रस्ताव को मंजूर किया गया और परिणामस्वरूप बिल पेश हुआ।  

17वीं लोकसभा के दौरान चर्चाएं कम हुईं

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नोट: * 5 वर्ष से कम के कार्यकाल; ** 6 वर्षीय कार्यकाल

  • इस सत्र में लोकसभा ने भारत में खेलों को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर चर्चा में 4 घंटे और 53 मिनट बिताए। यह चर्चा 2022 के बजट और मानसून सत्र से जारी है। देश में नशीले पदार्थों के सेवन की समस्या पर 7 घंटे और 16 मिनट चर्चा हुई।
     
  • हाल ही में आयोजित कोप27 के मद्देनजर राज्यसभा में ग्लोबल वॉर्मिंग के गंभीर प्रभावों पर तीन घंटे के लिए चर्चा हुई।
  • पिछली कुछ लोकसभाओं के दौरान संसद में होने वाली अल्पावधि की चर्चा (नियम 193 के तहत) में गिरावट आई है। इसके तहत सदस्य सार्वजनिक महत्व के विषयों पर चर्चा करते हैं। अन्य सांसद भी इस चर्चा में भाग ले सकते हैं और अंत में संबंधित मंत्री द्वारा प्रतिक्रिया दी जाती है। 13वीं लोकसभा में ऐसी 59 चर्चाएं हुई थीं जो पिछली तीन लोकसभाओं में गिरकर 55, 41 और 33 हो गईं और मौजूदा लोकसभा के साढ़े तीन वर्षों के दौरान इनकी संख्या छह रही है।

17वीं लोकसभा में औसतन 31% तारांकित प्रश्नों के उत्तर मौखिक दिए गए

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  • लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान निर्धारित समय का 60% काम हुआ, जबकि राज्यसभा में 83% समय। अन्य मामलों के विपरीत, प्रश्नकाल में स्थगन के कारण समय के नुकसान की भरपाई अधिक घंटों तक बैठकर नहीं की जा सकती।
     
  • इस सत्र के दौरान सदन में 31% तारांकित प्रश्नों (जिनके उत्तर मंत्री द्वारा मौखिक दिए जाते हैं) के उत्तर दिए गए। तारांकित प्रश्नों पर मंत्री की प्रतिक्रिया केहैि0 मिति बिल, 2022  आधार पर सदस्य अनुपूरक प्रश्न पूछ सकते हैं। जब मौखिक उत्तर नहीं दिए जाते तो सदस्यों को अनुपूरक प्रश्न पूछने का अवसर नहीं मिल पाता।

नोट: कोविड-19 के कारण मानसून सत्र 2020 में प्रश्नकाल निलंबित कर दिया गया था।

अपने कार्यकाल के चौथे वर्ष में भी लोकसभा में उपाध्यक्ष नहीं 

  • संविधान का अनुच्छेद 93 कहता है कि लोकसभा जल्द से जल्द सदन के दो सदस्यों को अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनेगी।
     
  • 17वीं लोकसभा जब शुरू हुई थी, तब से अब तक, यानी साढ़े तीन वर्षों के बाद भी उपाध्यक्ष के पद का चुनाव नहीं हुआ है। पहले ऐसा सिर्फ एक बार हुआ है, 12वीं लोकसभा के दौरान 269 दिन तक, जब उपाध्यक्ष को चुनने में तीन महीने से ज्यादा लगे थे।

स्रोत:  लोकसभा और राज्यसभा के 23 दिसंबर, 2022 के बुलेटिन; स्टैटिस्टिकल हैंडबुक, संसदीय मामलों का मंत्रालय, 2021; पीआरएस

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

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