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2023 के बजट सत्र में संसद का कामकाज

वाइटल स्टैट्स

2023 के बजट सत्र में संसद का कामकाज

संसद का बजट सत्र 31 जनवरी, 2023 से 6 अप्रैल, 2023 तक संचालित किया गया और 14 फरवरी से 12 मार्च तक अवकाश रहा। संसद 6 अप्रैल को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गई और कुल 25 दिन बैठक हुई। इस सत्र में सीमित विधायी कामकाज दर्ज किया गया और लगातार व्यवधानों के बीच बजट पर न्यूनतम चर्चा हुई।

17वीं लोकसभा के 1952 के बाद सबसे छोटी लोकसभा होने की संभावना

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नोट: *कार्यकाल 5 वर्ष से कम; **6 साल का कार्यकाल। 17वीं लोकसभा के आंकड़े बजट सत्र 2023 तक के हैं।

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नोट: BS – बजट सत्र; MS – मानसून सत्र; WS – शीतकालीन सत्र।

  • 17वीं लोकसभा के कार्यकाल का यह अंतिम वर्ष है, और अब तक इसमें 230 बैठकें हुईं हैं। पूरे पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करने वाली सभी लोकसभाओं में से 16वीं लोकसभा में बैठकों के दिन सबसे कम थे (331)। इस लोकसभा के कार्यकाल में अभी एक वर्ष बचा है और वर्ष में औसत 58 दिन बैठक होती है। इस प्रकार 17वीं लोकसभा के 331 दिन बैठक होने की संभावना नहीं है। इससे 1952 के बाद से यह सबसे कम पूर्ण कार्यकाल वाली लोकसभा बन सकती है।

  • इस सत्र में लोकसभा ने अपने निर्धारित समय का 33% (46 घंटे) और राज्यसभा ने 24% (32 घंटे) के लिए कार्य किया। सत्र के दूसरे भाग के 15 दिनों में लोकसभा ने निर्धारित समय का 5% और राज्यसभा ने 6% काम किया, जिसमें से अधिकांश समय कागज़ात संसद के पटल पर रखने के प्रक्रियागत कार्य में व्यतीत हुआ।

एक बिल चर्चा के बिना पारित; तीन पेश

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नोट: *कार्यकाल 5 वर्ष से कम; **6 साल का कार्यकाल; फाइनांस और विनियोग बिल शामिल हैं; 17वीं लोकसभा के आंकड़े बजट सत्र 2023 तक के हैं।

  • प्रतिस्पर्धा (संशोधन) बिल, 2022 इस सत्र के दौरान पारित एकमात्र बिल था (फाइनांस और विनियोग बिल को छोड़कर)। फाइनांस बिल के अलावा यह बिल भी चर्चा के बिना ही सदन में पारित किया गया।

  • तीन बिल पेश किए गए, जिनमें से वन (संरक्षण) संशोधन बिल, 2023 शामिल है, और इसे ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमिटी को भेज दिया गया।

  • इस लोकसभा में अब तक 150 बिल पेश और 131 बिल पारित किए जा चुके हैं (फाइनांस और विनियोग बिल्स को छोड़कर)। पहले सत्र में 38 बिल पेश और 28 बिल पारित किए गए। इसके बाद से पेश और पारित होने वाले बिल्स की संख्या कम हो रही है। पिछले लगातार चार सत्रों में से प्रत्येक सत्र में 10 से कम बिल पेश या पारित किए गए हैं।

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सभी प्रस्तावित व्यय चर्चा के बिना पारित

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  • 1952 से यह छठा सबसे छोटा बजट सत्र है। लोकसभा ने वित्तीय कामकाज पर 18 घंटे बिताए जिनमें से 16 घंटे बजट की सामान्य चर्चा पर व्यतीत हुए। 17वीं लोकसभा के पिछले बजट सत्रों में वित्तीय कामकाज पर औसतन 55 घंटे चर्चा हुई थी।

  • लोकसभा में चर्चा के लिए पांच मंत्रालयों (11 लाख करोड़ रुपये) के खर्च को सूचीबद्ध किया गया था, हालांकि किसी पर भी चर्चा नहीं हुई। सभी मंत्रालयों का कुल प्रस्तावित व्यय 42 लाख करोड़ रुपए है, और इसे चर्चा के बिना पारित किया गया। पिछले सात वर्षों में औसतन 79% बजट बिना चर्चा के पारित हो गया है।

  • राज्यसभा बजट सत्र के दौरान चुनिंदा मंत्रालयों के कामकाज पर चर्चा करती है। इस सत्र में रेल, कौशल विकास, ग्रामीण विकास, सहकारिता और संस्कृति मंत्रालय समेत सात मंत्रालयों के कामकाज पर चर्चा होनी थी। इनमें से किसी पर चर्चा नहीं हुई।

संसद में चर्चा कम हो रही है

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नोट: *कार्यकाल 5 वर्ष से कम; **6 साल का कार्यकाल; अंतिम पेज पर नोट देखें।

  • इस सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान ही चर्चा हुई। दोनों सदनों में करीब 28 घंटे तक इस पर चर्चा हुई, जिसमें कुल 150 सदस्यों ने भाग लिया।

  • संसद के दोनों सदनों की प्रक्रिया के नियम विभिन्न उपायों का प्रावधान करते हैं जिनका उपयोग सार्वजनिक महत्व के मामलों पर ध्यान आकर्षित करने और सरकार को जवाबदेह बनाने के लिए किया जा सकता है। इनमें आधे घंटे की चर्चा, अल्पावधि की चर्चा और स्थगन प्रस्ताव शामिल हैं। 17वीं लोकसभा में अब तक केवल 11 अल्पावधि की चर्चा और एक आधे घंटे की चर्चा हुई है। इस सत्र में इनमें से कोई भी संचालित नहीं की गई।

  • राज्यसभा में नियम 267 के तहत, सदन की कार्यवाही अध्यक्ष की अनुमति से किसी महत्वपूर्ण मामले पर चर्चा के लिए स्थगित की जा सकती है (लोकसभा में स्थगन प्रस्तावों के अनुरूप)। इस सत्र में इस नियम के तहत 150 से अधिक नोटिस दाखिल किए गए, लेकिन एक भी स्वीकार नहीं किया गया।
     

प्रश्न काल का खराब कामकाज; गैर सरकारी सदस्यों का कामकाज सीमित हुआ 

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नोट: 2020 के मानसून सत्र में प्रश्नकाल को रद्द कर दिया गया था; BS– बजट सत्र; MS– मानसून सत्र; WS– शीतकालीन सत्र।

  • इस सत्र के दौरान वर्तमान लोकसभा में प्रश्नों पर सबसे कम समय व्यतीत किया गया। प्रश्नकाल लोकसभा में निर्धारित समय का 19% और राज्यसभा में 9% चला। प्रत्येक सदन में लगभग 7% तारांकित प्रश्नों के उत्तर दिए गए।

  • गैर सरकारी सदस्यों के कोई बिल पेश नहीं किए गए, इस प्रकार उस पर चर्चा नहीं हुई। प्रत्येक सदन ने गैर सरकारी सदस्यों के एक संकल्प पर चर्चा की। लोकसभा में रेलवे स्टेशनों के सौंदर्यीकरण और आधुनिकीकरण पर चर्चा हुई जबकि राज्यसभा में सच्चर समिति की रिपोर्ट को लागू करने पर चर्चा हुई।

इस कार्यकाल का अंतिम वर्ष प्रारंभ, लोकसभा में अब भी उपाध्यक्ष नहीं

  • संविधान का अनुच्छेद 93 कहता है कि लोकसभा जल्द से जल्द सदन के दो सदस्यों को अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनेगी। 17वीं लोकसभा अपने अंतिम वर्ष में प्रवेश कर रही है लेकिन उसने अब भी उपाध्यक्ष नहीं चुना है। यह इसके बावजूद है कि सर्वोच्च न्यायालय ने फरवरी 2023 में केंद्र सरकार को इस संबंध में नोटिस जारी किया था। उपाध्यक्ष के चुनावों में विलंब से संबंधित जनहित याचिका के जवाब में अदालत ने यह नोटिस दिया था। 

  • इससे पहले ऐसा सिर्फ एक बार हुआ है, 12वीं लोकसभा के दौरान 269 दिन तक, जब उपाध्यक्ष को चुनने में तीन महीने से ज्यादा समय लगा था।

नोट: स्थगन प्रस्ताव- किसी अत्यावश्यक मामले पर चर्चा करने के लिए सदन की सामान्य कार्यवाही को स्थगित करने के लिए उपयोग किया जाता है, प्रस्ताव पर चर्चा के अंत में मतदान किया जाता है; अल्पाअवधि की चर्चा- सार्वजनिक महत्व के मामले पर बहस के लिए उपयोग किया जाता है; आधे घंटे की चर्चा- सदन में उत्तर दिए गए प्रश्न के बारे में सरकार से और जानकारी प्राप्त करने के लिए उपयोग किया जाता है।
स्रोत: लोकसभा और राज्यसभा के 6 अप्रैल, 2023 के बुलेटिन
; स्टैटिस्टिकल हैंडबुक, संसदीय मामलों का मंत्रालय, 2021; पीआरएस।

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

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