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आम चुनाव 2024 में उम्मीदवारों का प्रोफाइल

वाइटल स्टैट्स

आम चुनाव 2024 में उम्मीदवारों का प्रोफाइल

18वीं लोकसभा के चुनाव 19 अप्रैल से 1 जून, 2024 के बीच संचालित किए गए। इस दौरान 543 निर्वाचन क्षेत्रों में 8,360 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा। इस नोट में चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों का प्रोफाइल दिया गया है।

बसपा ने सबसे ज्यादा संख्या में उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे, उसके बाद भाजपा का स्थान

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नोट: AIFB-ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक; NPP-नेशनल पीपुल्स पार्टी। इस रेखाचित्र में सिर्फ राष्ट्रीय पार्टियां और राज्य स्तरीय पार्टियां शामिल हैं जिन्होंने 20 से अधिक उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे हैं।

  • इस चुनाव में 744 पार्टियों ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं। इनमें से छह को चुनाव आयोग ने राष्ट्रीय पार्टियों के रूप में मान्यता दी है। राष्ट्रीय पार्टियों के 16% उम्मीदवार और राज्य स्तरीय पार्टियों के 6% उम्मीदवार हैं। 47% उम्मीदवार निर्दलीय हैं।

  • बसपा ने सबसे ज्यादा 488 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं।  राज्य स्तरीय पार्टियों में समाजवादी पार्टी (71) और तृणमूल कांग्रेस (48) ने सबसे अधिक उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे हैं। छह राष्ट्रीय पार्टियों में से नेशनल पीपुल्स पार्टी ने सबसे कम उम्मीदवार (तीन) उतारे हैं, उसके बाद आप (22) का स्थान है।

  • गैर-मान्यता प्राप्त पार्टियों में सोशल यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया (कम्युनिस्ट) ने सबसे अधिक उम्मीदवार (150) उतारे हैं। उसके बाद पीपुल्स पार्टी ऑफ इंडिया (डेमोक्रेटिक) ने 79 उम्मीदवार उतारे हैं।

औसतन 15 उम्मीदवार हर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं

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 नोट: केवल कम से कम 10 निर्वाचन क्षेत्रों वाले राज्य दिखाए गए हैं। 

  • प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की संख्या राज्यों में बड़े पैमाने पर अलग-अलग होती हैं।औसतन, तेलंगाना में प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में 31 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे थे, जबकि चार राज्यों में प्रति निर्वाचन क्षेत्र 10 उम्मीदवार थे। लद्दाख और नागालैंड में तीन-तीन उम्मीदवार थे।

  • तमिलनाडु के करूर में उम्मीदवारों की संख्या सबसे अधिक (54) थी। इनमें से 46 उम्मीदवारों ने निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ा है (85%)। आठ अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में 40 से अधिक उम्मीदवार थे।

  • सूरत में भाजपा उम्मीदवार बिना चुनाव हुए ही जीत गए, क्योंकि अन्य सभी उम्मीदवारों ने अपना नामांकन वापस ले लिया था।

अधिकतर उम्मीदवार मध्यम आयु वर्ग के; कुछ ही पार्टियों ने युवा उम्मीदवार उतारे

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 नोट: यहां सिर्फ ऐसे राज्यों का डेटा है जहां न्यूनतम 10 निर्वाचन क्षेत्र हैं।  

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  • इस चुनाव में लड़ने वाले उम्मीदवारों की औसत आयु 48 वर्ष है। उम्मीदवारों की औसत आयु भी राज्यों में काफी अलग-अलग होती है। तेलंगाना में उम्मीदवारों की औसत आयु 44 वर्ष है, जबकि केरल में 55 वर्ष है।

  • राष्ट्रीय पार्टियों में से 13% उम्मीदवार 40 वर्ष से कम आयु के हैं। बसपा द्वारा मैदान में उतारे गए 20% उम्मीदवार (98 उम्मीदवार) 40 वर्ष से कम उम्र के हैं। एनपीपी और डीएमके का कोई भी उम्मीदवार 40 वर्ष से कम उम्र का नहीं है। नाम तमिलर काची द्वारा मैदान में उतारे गए 43% उम्मीदवार 40 वर्ष से कम उम्र के हैं। कम से कम 40 उम्मीदवारों वाली गैर-मान्यता प्राप्त पार्टियों के लिए यह उच्चतम अनुपात है।

केवल 10% उम्मीदवार महिलाएं हैं

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  • आम चुनाव लड़ने वाली महिलाओं की संख्या 1957 में 3% से बढ़कर 2024 में 10% हो गई है। छह राष्ट्रीय दलों में से भाजपा में महिला उम्मीदवारों की संख्या और अनुपात सबसे अधिक (16%) है। एनपीपी के तीन उम्मीदवारों में दो महिलाएं हैं। 20 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने वाले क्षेत्रीय दलों में बीजद (33% महिला उम्मीदवार) और राजद (29%) में महिला उम्मीदवारों का अनुपात सबसे अधिक है। नाम तमिलर काची द्वारा मैदान में उतारे गए 50% उम्मीदवार (40 में से 20 उम्मीदवार) महिलाएं हैं।

  • थर्ड जेंडर के छह व्यक्तियों ने चुनाव लड़ा है। इनमें से चार उम्मीदवारों ने निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ा है, और दो ने गैर मान्यता प्राप्त पार्टियों के उम्मीदवारों के तौर पर। 2014 और 2019 के चुनावों में भी थर्ड जेंडर के छह उम्मीदवार थे।

17वीं लोकसभा के 60% सांसद दोबारा चुनाव लड़ रहे हैं

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नोट: 17वीं लोकसभा में न्यूनतम 10 सांसदों वाली पार्टियों को ही दिखाया गया है।

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  • प्रमुख राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों में से 27% पहले सांसद रह चुके हैं (नोट देखें)[*]। 25% पहले लोकसभा सांसद रहे हैं, और 4% राज्यसभा सांसद रहे हैं। 2% उम्मीदवार लोकसभा और राज्यसभा दोनों के सदस्य रहे हैं।

  • 17वीं लोकसभा के 327 सांसद फिर से चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें से एक सांसद दो निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ रहा है। 18 सांसद ऐसे थे, जिन्होंने 17वीं लोकसभा में जिस निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था, उससे अलग निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा। 

  • 17वीं लोकसभा के 34 सांसद अलग-अलग पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें से ऐसे 11 मामले पार्टियों में विभाजन के कारण हैं, जैसे कि शिवसेना, राकांपा और लोक जन शक्ति पार्टी के मामले में।

  • 73 उम्मीदवारों को राज्यसभा का अनुभव है। एक उम्मीदवार ने राज्यसभा में पांच कार्यकाल पूरे किए हैं और दो ने चार-चार कार्यकाल पूरे किए हैं। 25 उम्मीदवार वर्तमान में राज्यसभा के सदस्य हैं, या उन्होंने 2024 में अपनी सीटें खाली कर दी हैं। प्रमुख राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों में से 11 उम्मीदवारों ने लोकसभा में छह या उससे अधिक कार्यकाल पूरे किए हैं।

  • 53 मौजूदा मंत्री भी चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें से तीन मंत्री वर्तमान में राज्यसभा के सदस्य हैं, और पांच अन्य ने अप्रैल 2024 में अपना राज्यसभा कार्यकाल पूरा किया।

राष्ट्रीय और राज्य पार्टियों के 31% उम्मीदवारों ने कॉलेज की डिग्री पूरी नहीं की है

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नोट: इसमें पांच उम्मीदवारों को शामिल नहीं किया गया है क्योंकि उनका विवरण उपलब्ध नहीं था।

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[*]नोट: प्रमुख उम्मीदवारों में राष्ट्रीय पार्टियों और राज्य की मान्यता प्राप्त पार्टियों द्वारा मैदान में उतारे गए सभी उम्मीदवार शामिल हैं, साथ ही वे पार्टियां भी इसमें शामिल हैं जो दो मुख्य चुनाव पूर्व गठबंधनों, नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस और इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इन्क्लूसिव अलायंस का हिस्सा हैं। इसमें किसी भी पार्टी से चुनाव लड़ने वाले पूर्व सांसद और निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले लोग भी शामिल हैं। इस विश्लेषण में 1,816 उम्मीदवारों को शामिल किया गया है।

  • प्रमुख पार्टियों के 69% उम्मीदवारों के पास कम से कम स्नातक डिग्री है। 4% उम्मीदवारों के पास डॉक्टरेट डिग्री है।

  • आंध्र प्रदेश और केरल में 82% उम्मीदवारों के पास कम से कम स्नातक की डिग्री है। छत्तीसगढ़, झारखंड, गुजरात और पंजाब में ऐसे उम्मीदवारों का अनुपात सबसे अधिक है, जिनके पास सिर्फ स्कूली शिक्षा है।

स्रोत: भारतीय निर्वाचन आयोग; लोकसभा और राज्यसभा की वेबसाइट्स; पीआरएस।

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह रिपोर्ट मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार की गई है। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी की मूल रिपोर्ट से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

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