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बजट सत्र 2022 के दौरान संसद का कामकाज

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बजट सत्र 2022 के दौरान संसद का कामकाज

 संसद का बजट सत्र 31 जनवरी, 2022 से 7 अप्रैल, 2022 के दौरान आयोजित किया गया। 12 फरवरी से 13 मार्च के बीच संसद का अवकाश रहा। संसद निर्धारित दिन से एक दिन पहले अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गई और इसकी कुल बैठकों की संख्या 27 दिन थी। इस लोकसभा के साथ, यह लगातार छठी बार है कि किसी सत्र को निर्धारित तिथि से पहले खत्म कर दिया गया। 

 कुछ ही बिल पेश किए गए; किसी को कमिटी के पास नहीं भेजा गया

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  • सत्र के दौरान सात बिल पेश किए गए (विनियोग और फाइनांस बिल्स को छोड़कर) जोकि 2009 से बजट सत्रों में पेश किए गए 15 बिल के औसत से करीब आधा कम है। पांच बिल पारित किए गए जिनमें से एक बिल पिछले सत्र से लंबित था (चार्टर्ड एकाउंटेंट्स बिल)। पारित होने वाले अन्य बिल्स में आपराधिक दंड प्रक्रिया (पहचान) बिल, 2022 और दिल्ली नगर निगम (संशोधन) बिल, 2022 शामिल हैं।
  • इस लोकसभा में तीन वर्षों के दौरान 134 बिल पेश किए गए हैं जिनमें से 114 पारित किए गए हैं और छह वापस ले लिए गए हैं। इस सत्र के अंत में 35 बिल लंबित हैं जिनमें से 21 को मौजूदा लोकसभा शुरू होने (जून 2019 में) से पहले पेश किया गया था। इनमें से सबसे पुराना बिल 1992 का है।     
  • इस सत्र में पेश किए जाने वाले किसी भी बिल को संसदीय समिति (पार्लियामेंटरी कमिटी) के पास नहीं भेजा गया है। मौजूदा लोकसभा में सिर्फ 13% बिल्स को किसी कमिटी को भेजा गया है। पिछली तीन लोकसभाओं की तुलना में यह बहुत कम है। उदाहरण के लिए 15वीं लोकसभा में 71% बिल्स को कमिटीज़ को भेजा गया था, जबकि 16वीं लोकसभा में 27% बिल्स को कमिटीज़ के पास भेजा गया था।   

राज्यसभा ने निर्धारित समय का 90% काम किया; लोकसभा ने 123% 

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  • 15 मार्च, 2022 को लोकसभा में 13 घंटे काम हुआ जिसमें 11.5 घंटे रेलवे मंत्रालय के बजट पर चर्चा हुई। राज्यसभा में 30 मार्च, 2022 को सबसे अधिक 7.5 घंटे से ज्यादा काम हुआ जिस दौरान चार घंटे से ज्यादा श्रम मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा हुई।
  • 17वीं लोकसभा की अवधि में, अब तक लोकसभा ने अपने निर्धारित समय का लगभग 100%, जबकि राज्यसभा ने 77% काम किया है। उल्लेखनीय है कि निर्धारित समय का अर्थ होता है, बैठक के वास्तविक दिनों के निर्धारित घंटे (आम तौर पर छह घंटे)।

लोकसभा ने वित्तीय मामलों पर अपना ज्यादातर समय खर्च किया; राज्यसभा ने बहस में 

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  • लोकसभा में निर्धारित समय का कुल 40% वित्तीय मामलों पर चर्चा की गई। राज्यसभा ने अपना 18% समय निम्नलिखित चार मंत्रालयों के कामकाज पर चर्चा की: (i) पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास, (ii) आदिवासी मामले, (iii) रेलवे, और (iv) श्रम एवं रोजगार। इसके अतिरिक्त राज्यसभा ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर अपना 10% समय खर्च किया।  
  • पिछले चार बजट सत्रों के दौरान लोकसभा और राज्यसभा ने विधायी कार्यों (लेजिसलेटिव बिजनेस) पर अपना औसत 22% समय खर्च किया। इस सत्र के दौरान दोनों सदनों ने विधायी कार्यों पर अपना कम समय खर्च किया।  
  • लोकसभा में नियम 193 के तहत सार्वजनिक महत्व के मुद्दे पर चर्चा की जाती है। इस सत्र में सदन ने यूक्रेन की स्थिति और भारत में खेलों को बढ़ावा देने पर चर्चा की। इसके अतिरिक्त जलवायु परिवर्तन पर चर्चा (जो 2021 के शीतकालीन सत्र में शुरू हुई थी) का समापन हुआ। राज्यसभा ने इस सत्र के दौरान ऐसी कोई चर्चा नहीं की।

73% बजट चर्चा के बिना पारित किया गया 

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लोकसभा सत्र के दौरान मंत्रालयों के बजट पर चर्चा

मंत्रालय

वोटिंग का %

मांगों पर चर्चा के दौरान लगने वाला समय (घंटा: मिनट में)

रेलवे

15.94%

12:59

सड़क परिवहन 

9.88%

11:28

वाणिज्य एवं उद्योग

0.36%

6:10

नागरिक उड्डयन

0.27%

7:53

बंदरगाह एवं जहाजरानी

0.06%

4:41

 

  • लोकसभा ने पांच मंत्रालयों के व्यय पर चर्चा की। बजट पर जितनी कुल वोटिंग हुई, यह उसका 27% है। शेष 73% चर्चा के बिना पारित कर दिया गया। पिछले छह वर्षों के दौरान 76% बजट लोकसभा में चर्चा के बिना पारित किया गया है। 

लोकसभा में प्रश्नकाल में निर्धारित समय का 89% और; राज्यसभा में 76% कामकाज हुआ     

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 नोट: कोविड-19 के कारण मानसून सत्र 2020 में प्रश्नकाल नहीं किया गया था।  

  • लोकसभा में प्रश्नकाल में निर्धारित समय का 89% काम हुआ, और 36% प्रश्नों का उत्तर मौखिक रूप से दिया गया। राज्यसभा में प्रश्नकाल के लिए निर्धारित समय का 76% काम हुआ, और 38% प्रश्नों के मौखिक उत्तर दिए गए। उल्लेखनीय है कि लोकसभा में हर दिन 20 तारांकित प्रश्न सूचीबद्ध होते हैं (जिनका उत्तर मौखिक रूप से दिया जाता है) और राज्यसभा में 15 प्रश्न।
  • राज्यसभा में चार दिन किसी प्रश्न का मौखिक उत्तर नहीं दिया गया। 18 अवसरों पर राज्यसभा में पूरे समय के लिए प्रश्नकाल संचालित किया गया। 

लोकसभा में लगभग तीन वर्ष बाद भी उपाध्यक्ष नहीं है

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  • संविधान का अनुच्छेद 93 कहता है कि लोकसभा जितना जल्दी हो, उतनी जल्दी अपने दो सदस्यों को अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनेगी। 
  • 17वीं लोकसभा में, जब से यह शुरू हुई है, लगभग तीन वर्षों के बाद भी कोई उपाध्यक्ष नहीं है। इससे पहले सिर्फ एक बार ऐसा हुआ है- 12वीं लोकसभा के दौरान 269 दिन- जब उपाध्यक्ष को चुनने में तीन महीने से ज्यादा का वक्त लगा। 

स्रोत: 7 अप्रैल, 2022 को लोकसभा और राज्यसभा के बुलेटिन; संसदीय मामलों के मंत्रालयों की स्टैटिस्टिकल हैंडबुक, 2022; पीआरएस। 

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।  

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