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बजट सत्र 2025 में संसद का कामकाज

वाइटल स्टैट्स

बजट सत्र 2025 में संसद का कामकाज

संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से 4 अप्रैल 2025 के बीच संचालित किया गया। इस दौरान लोकसभा और राज्यसभा में 26 दिन काम हुआ। इस नोट में इस अवधि के दौरान दोनों सदनों के कामकाज पर नज़र डाली गई है।

लोकसभा में निर्धारित समय का 111% काम हुआ, प्रश्नकाल में 78%

 

 

 

नोट: बार निर्धारित समय के प्रतिशत के रूप में काम का समय दिखाते हैं। FS पहला सत्र, BS बजट सत्र, MS मानसून सत्र और WS शीतकालीन सत्र है। MS 2020 और FS 2024 के दौरान प्रश्नकाल संचालित नहीं किया गया था।

  • लोकसभा और राज्यसभा में प्रश्नकाल निर्धारित समय का क्रमशः 78% और 83% तक चला। राज्यसभा में चार दिन प्रश्नकाल नहीं चला। मंत्रियों ने लोकसभा और राज्यसभा में 28% तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर दिए। जब तारांकित प्रश्न का मौखिक उत्तर दिया जाता है, तो सांसदों को पूरक प्रश्न पूछने का मौका मिलता है।

वक्फ बिल को पारित करने के लिए दोनों सदनों में आधी रात तक बैठक चली 

  • 2 अप्रैल, 2025 को लोकसभा ने वक्फ (संशोधन) बिल, 2024 पर 13 घंटे 53 मिनट तक चर्चा की। इसके बाद 42 मिनट की चर्चा के बाद मणिपुर में राष्ट्रपति शासन को मंजूरी दी गई।

  • 3 अप्रैल, 2025 को राज्यसभा में आधी रात के बाद अगली सुबह 4:02 बजे तक बैठक हुई। इसमें वक्फ (संशोधन) बिल, 2024 पर 12 घंटे 49 मिनट और मणिपुर में राष्ट्रपति शासन पर एक घंटे 24 मिनट तक चर्चा हुई।

  • 17 सितंबर, 1981 को राज्यसभा में आवश्यक सेवा रखरखाव बिल, 1981 पर चर्चा करने के लिए अगली सुबह 4:43 बजे तक बैठक हुई। 

लोकसभा की कुछ लंबी बैठकें

बैठक की तारीख

अवधि

चर्चा के मुद्दे

30 अगस्त 1997

20:08

हमारे लोकतंत्र की स्थिति 

30 मार्च 1993

18:35

रेलवे बजट

8 जून 1998

18:04

रेलवे बजट

30 अप्रैल 2002

17:25

अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में प्रशासन की विफलता 

15 सितंबर 1981

16:58

आवश्यक सेवा रखरखाव बिल, 1981

2 अप्रैल 2025

15:41

वक्फ (संशोधन) बिल, 2024

5 मई 1986

14:43

मुस्लिम महिला (तलाक के अधिकारों का संरक्षण) बिल, 1986

9 मई 1974

13:50

अविश्वास प्रस्ताव 

20 जुलाई 2004

13:33

बजट चर्चा

2 दिसंबर 2021

13:19

कोविड-19 महामारी पर चर्चा

 

     

18वीं लोकसभा के पहले वर्ष में 11 बिल पारित, 1999 के बाद सबसे कम 

  • इस सत्र में पांच बिल पेश किए गए। आयकर बिल, 2025 को लोकसभा की सिलेक्ट कमिटी को भेजा गया। 18वीं लोकसभा के दौरान पेश किए गए 20 बिल में से चार को कमिटीज़ के पास भेजा गया है। 

  • इस सत्र में संसद ने 10 बिल पारित किए। इनमें वक्फ (संशोधन) बिल, 2024, आप्रवास और विदेशी विषयक बिल, 2025, बॉयलर्स बिल, 2024 और आपदा प्रबंधन (संशोधन) बिल, 2024 शामिल हैं।

नोट: इसमें फाइनांस और एप्रोप्रिएशन बिल शामिल नहीं हैं। 

बजट पर 49 घंटे तक चर्चा हुई; कुल व्यय के केवल 10% भाग पर ही लोकसभा में चर्चा हुई

  • बजट पर सामान्य चर्चा लोकसभा में 16 घंटे और राज्यसभा में 17 घंटे तक चली। 

  • लोकसभा में मंत्रालयों के व्यय पर भी चर्चा होती है। इस सत्र के दौरान तीन मंत्रालयों के व्यय पर चर्चा की गई। कुल बजट व्यय का लगभग 90% हिस्सा लोकसभा में बिना चर्चा के पारित कर दिया गया।

  • पिछले दशक में लोकसभा ने रेलवे बजट पर हर वर्ष चर्चा की है (2016 तक एक अलग बजट के रूप में)। इसमें 2018 और 2023 अपवाद थे, जब पूरा बजट बिना चर्चा के पारित कर दिया गया था। अन्य प्रमुख मंत्रालयों पर केवल कुछ वर्षों में ही चर्चा हुई।

पिछले 10 वर्षों में लोकसभा में मंत्रालयों के व्यय पर चर्चा 

मंत्रालय

2015

2016

2017

2018

2019

2020

2021

2022

2023

2024

2025

रक्षा

   

✓

               

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग

       

✓

   

✓

     

रेलवे

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✓

✓

 

✓

✓

✓

✓

 

✓

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गृह मंत्रालय

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✓

               

उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण

                     

ग्रामीण विकास

       

✓

           

रसायन एवं उर्वरक

✓

                   

कृषि एवं किसान कल्याण

   

✓

 

✓

         

✓

शिक्षा

✓

         

✓

   

✓

 

संचार

                     

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण

✓

         

✓

   

✓

 

जल शक्ति

✓

                 

✓

आवास एवं शहरी मामले

 

✓

                 

नोट: इसमें 2025-26 के केंद्रीय बजट में आवंटन के आधार पर शीर्ष 13 मंत्रालय शामिल हैं।

     

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर 35 घंटे तक चर्चा हुई; कोई स्थगन प्रस्ताव नहीं लिया गया

  • हर वर्ष संसद का पहला सत्र राष्ट्रपति के अभिभाषण से शुरू होता है, जिसके बाद दोनों सदन राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा करते हैं। इस सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर 35 घंटे तक चर्चा हुई। 

  • लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव के लिए 85 से ज्यादा नोटिस दिए गए। हालांकि उनमें से कोई भी स्वीकार नहीं किया गया। राज्यसभा में नियम 267 के तहत 144 से ज्यादा नोटिस दिए गए। इनमें से कोई भी स्वीकार नहीं किया गया और न ही चर्चा की गई। इन उपायों के जरिए तत्काल महत्व के मामलों पर चर्चा के लिए सदन के निर्धारित कामकाज को निलंबित कर दिया जाता है।

 

 नोट: * पांच वर्ष से कम अवधि को दर्शाता है; ** छह वर्ष की अवधि को दर्शाता है। 18वीं लोकसभा के लिए 4 अप्रैल, 2025 तक के आंकड़े। 

  • सत्र के दौरान लोकसभा में देश के मछुआरों की कठिनाइयों पर एक ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा की गई। कोई अल्पकालिक चर्चा नहीं की गई।

लोकसभा में गैर सरकारी सदस्यों के किसी बिल पर चर्चा नहीं की गई; दो प्रस्तावों पर चर्चा हुई

 

  • हर शुक्रवार को ढाई घंटे का समय गैर सरकारी सदस्यों (सांसद जो मंत्री नहीं हैं) के बिल और संकल्पों के लिए सुरक्षित होता है। 

  • लोकसभा में केवल एक शुक्रवार को गैर सरकारी सदस्यों के एक संकल्प पर चर्चा हुई। राज्यसभा में दो शुक्रवार को गैर सरकारी सदस्यों के एक बिल और एक संकल्प पर चर्चा की गई।

जून 2019 से कोई उपाध्यक्ष नहीं


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  • 18वीं लोकसभा ने अभी तक उपाध्यक्ष का चुनाव नहीं किया है। 17वीं लोकसभा ने अपने पूरे कार्यकाल के लिए उपाध्यक्ष का चुनाव नहीं किया। संविधान के अनुसार लोकसभा को जल्द से जल्द अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव करना चाहिए।

  • अस्वस्थता के कारण अध्यक्ष का पद रिक्त होने या उसके अनुपस्थित होने की स्थिति में उपाध्यक्ष, अध्यक्ष के रूप में कार्य करता है। अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी उपाध्यक्ष को ही प्रस्तुत किया जाता है।

  • फरवरी 2023 में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को एक नोटिस जारी किया था। इसमें उपाध्यक्ष के चुनाव में देरी से संबंधित जनहित याचिका पर जवाब देने को कहा गया था। 

स्रोत: लोकसभा और राज्यसभा की कार्य सूची, बुलेटिन; कार्य प्रक्रिया और संचालन नियम, लोकसभा और राज्यसभा, सांख्यिकीय विवरण 2023, संसदीय कार्य मंत्रालय; प्रैक्टिस एंड प्रोसीजर ऑफ पार्लियामेंट, एमएन कौल और एसएल शकधर (2016), द जर्नी सिंस 1952, राज्यसभा (2019); पीआरएस।

     

डिस्क्लेमर: प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह रिपोर्ट मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार की गई है। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी की मूल रिपोर्ट से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

 

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