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मानसून सत्र 2021 में संसद का कामकाज

वाइटल स्टैट्स

मानसून सत्र 2021 में संसद का कामकाज

संसद का मानसून सत्र 19 जुलाई, 2021 से 11 अगस्त, 2021 तक चला। सत्र को 13 अगस्त, 2021 को समाप्त होना था। मौजूदा लोकसभा में यह लगातार चौथी बार हुआ है कि सत्र को निर्धारित तारीख से पहले ही खत्म कर दिया गया। इसके अतिरिक्त 2020 में शीतकालीन सत्र आयोजित ही नहीं हुआ। संसद की कार्यवाही में भी नियमित रूप से रुकावट आती रही, क्योंकि दोनों सदनों के भीतर सदस्य विरोध जताते रहे। संसद में निर्धारित समय के एक चौथाई से भी कम समय काम हुआ और कई बिल्स चर्चा के बिना कुछ ही मिनटों में पारित हो गए। 11 अगस्त, 2021 को संसद अनिश्चित काल के लिए स्थगित हो गई और इसमें कुल 17 दिन बैठक हुई। 

हंगामे के बीच संसद में 15 बिल्स पेश हुए और पारित किए गए

 image

  • सत्र के दौरान 15 बिल्स पेश किए गए और इनमें से सभी पारित कर दिए गए। संसद ने सत्र के दौरान 20 बिल्स को पारित किया। 
     
  • संसद में पेश होने के सात दिनों के भीतर औसतन एक बिल पारित हो गया। कुछ बिल्स जैसे ट्रिब्यूनल सुधार बिल, 2021 और टैक्सेशन कानून (संशोधन) बिल, 2021 को लोकसभा में पेश होने के अगले दिन पारित कर दिया गया। 
     
  • अब तक 17वीं लोकसभा में औसतन, 70% बिल्स उसी सत्र के दौरान पेश और पारित किए गए हैं। 16वीं लोकसभा में 33% बिल्स उसी सत्र में पेश और पारित किए गए।

औसतन, लोकसभा ने 34 मिनट में एक बिल पारित किया, राज्यसभा ने 46 मिनट में 

बिल

चर्चा में लगने वाला समय (मिनट में) 

 

लोकसभा

राज्यसभा

संविधान (एक सौ सत्ताइसवां संशोधन) बिल, 2021

474

360

ट्रिब्यूनल्स सुधार बिल, 2021

9

62

अनिवार्य रक्षा सेवा बिल, 2021 

12

46

इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी संहिता (संशोधन) बिल, 2021

5

37

इनलैंड वेसेल्स बिल, 2021 

6

33

टैक्सेशन कानून (संशोधन) बिल, 2021 

6

32

लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप (संशोधन) बिल, 2021 

5

23

भारतीय एयरपोर्ट्स इकोनॉमिक रेगुलेटरी अथॉरिटी (संशोधन) बिल, 2021

14

17

  • लोकसभा ने मानसून सत्र के दौरान 18 बिल्स पारित किए। सदन में एक बिल पर औसतन 34 मिनट चर्चा हुई। कुछ बिल्स जैसे लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप (संशोधन) बिल, 2021 को पांच मिनट में पारित कर दिया गया। राज्यसभा में पारित होने से पहले किसी एक बिल पर औसत 46 मिनट चर्चा हुई।
     
  • सिर्फ संविधान (एक सौ सत्ताइसवां संशोधन) बिल, 2021 पर दोनों सदनों में एक घंटे से अधिक चर्चा हुई।
     
  • मौजूदा लोकसभा में किसी बिल को पारित करने से पहले लोकसभा में उस पर औसत 2 घंटे 23 मिनट चर्चा हुई और राज्यसभा में औसत 2 घंटे।  
     
  • लोकसभा में 15 बिल्स ऐसे पारित हुए कि किसी सदस्य में उस पर होने वाली चर्चा में भाग नहीं लिया।

इसके अतिरिक्त कोई बिल कमिटी को नहीं भेजा गया

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  • इस सत्र में पारित होने वाले 15 में से एक भी बिल को पार्लियामेंटरी कमिटी के पास नहीं भेजा गया।  
     
  • 17वीं लोकसभा में अब तक पेश होने वाले सिर्फ 12% बिल्स को कमिटी के पास भेजा गया है, जोकि 14वीं (60%), 15वीं (71%) और 16वीं (27%) लोकसभाओं के मुकाबले सबसे कम है।
     
  • राज्यसभा में ट्रिब्यूनल्स सुधार बिल, 2021 को राज्यसभा की सिलेक्ट कमिटी को भेजने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया गया। इस प्रस्ताव के खिलाफ 79 सदस्यों ने वोट दिया और पक्ष में 44 सदस्यों ने, जिसके कारण यह प्रस्ताव नामंजूर हो गया।

लोकसभा ने निर्धारित समय के मुकाबले केवल 21% काम किया; राज्यसभा ने 29%

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  • लोकसभा के लिए 19 दिनों में हर दिन छह घंटे काम करना निर्धारित था। हालांकि कई मौकों पर कार्यवाही में रुकावट आई। सदस्य पेगासेस की निगरानी पर चर्चा करने और कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग करते रहे। सदन की बैठक 21 घंटे हुई जोकि निर्धारित समय का 21% है। यह शीतकालीन सत्र 2016 के बाद से सबसे कम है, जब लोकसभा ने अपने निर्धारित समय के मुकाबले 15% समय के लिए काम किया था।  
     
  • राज्यसभा की 19 दिनों में 112 घंटे बैठक होनी तय थी। हालांकि उसकी बैठक 29 घंटे हुई जोकि निर्धारित समय का 29% है। पिछले 10 वर्षों के दौरान राज्यसभा ने पांच सत्रों के दौरान अपने निर्धारित समय के 25% से भी कम समय के लिए काम किया है।
     
  • लोकसभा ने किसी गैर विधायी मुद्दों पर बहस नहीं की। 23,675 करोड़ रुपए के अनुपूरक बजट पर चर्चा में नौ मिनट लगे (बजट अनुमान के मुकाबले व्यय में 0.7% की बढ़ोतरी है)। इसमें कोविड-19 इमरजेंसी रिस्पांस और हेल्थ सिस्टम प्रिपेयर्डनेस पैकेज के लिए 15,750 करोड़ रुपए की राशि शामिल है। राज्यसभा में सिर्फ एक बड़ी बहस (गैर विधायी) हुई जोकि कोविड-19 महामारी के प्रबंधन पर केंद्रित थी। 
     
  • लोकसभा में प्रश्नकाल के लिए निर्धारित समय का 35% और राज्यसभा में 25% काम हुआ। दोनों सदनों में मंत्रियों ने केवल 20% प्रश्नों के मौखिक उत्तर दिए। 

कार्यकाल का लगभग आधा समय बीत जाने के बावजूद लोकसभा ने उपाध्यक्ष का चुनाव नहीं किया 

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  • संविधान का अनुच्छेद 93 कहता है कि लोकसभा ‘यथाशक्य शीघ्र’ (as soon as may be) अपने दो सदस्यों को अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनेगी। जब अध्यक्ष का पद रिक्त होता है, या अध्यक्ष अनुपस्थित होता है, तब उपाध्यक्ष अध्यक्ष के तौर पर काम करता है।
     
  • 17वीं लोकसभा में पिछले दो वर्षों से लोकसभा में कोई उपाध्यक्ष नहीं है। यह अब तक की सबसे लंबी रिक्ति है जो कि पहले सत्र के शुरू होने के बाद दो साल से भी ज्यादा समय से है। 
     
  • 16वीं लोकसभा के दौरान यह अवधि 70 दिन थी। इससे पहले 12वीं लोकसभा में यह अवधि सर्वाधिक थी (269 दिन)। 

नोट: हमने पेश किए और पारित होने वाले बिल्स के विश्लषण में एप्रोप्रिएशन (विनियोग) बिल्स को शामिल नहीं किया है। हमने मौखिक उत्तर के रूप में तारांकित प्रश्नों को नहीं गिना है, अगर: प्रश्न का उत्तर दिए जाने के दौरान सांसद सदन में मौजूद नहीं था और उस प्रश्न के लिए कोई पूरक प्रश्न नहीं पूछा गया था।

Sources:  Bulletins of Lok Sabha and Rajya Sabha as of August 11, 2021; Statistical Handbook, Ministry of Parliamentary Affairs, 2019; PRS. 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

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