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मानसून सत्र 2022 के दौरान संसद का कामकाज

वाइटल स्टैट्स

मानसून सत्र 2022 के दौरान संसद का कामकाज

 संसद का मानसून सत्र 18 जुलाई, 2022 से 8 अगस्त, 2022 के दौरान आयोजित किया गया। संसद निर्धारित दिन से दो दिन पहले अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गई और इसकी कुल बैठकों की संख्या 16 दिन थी। इस लोकसभा के साथ, यह लगातार सातवीं बार है कि किसी सत्र को निर्धारित तिथि से पहले खत्म कर दिया गया। इस सत्र के दौरान नए राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति (जोकि राज्यसभा अध्यक्ष भी हैं) का निर्वाचन हुआ।

17वीं लोकसभा में संसद ने अब तक दूसरी बार सबसे कम काम किया

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  • इस सत्र में लोकसभा ने निर्धारित समय से 47%, जबकि राज्यसभा ने 42% काम किया। प्रत्येक सदन के लिए निर्धारित समय प्रति बैठक छह घंटे है। पूरे सत्र के दौरान दोनों सदनों को कई बार स्थगित किया गया।
     
  • राज्यसभा में 23 सदस्यों को एक हफ्ते के लिए निलंबित कर दिया गया क्योंकि वे सदन के वेल में प्रदर्शन कर रहे थे। लोकसभा में चार सदस्यों को शुरुआत में शेष सत्र के लिए निलंबित किया गया; लेकिन बाद में निलंबन रद्द कर दिया गया।

संसद में सीमित विधायी गतिविधियां हुईं; छह बिल पेश, पांच पारित

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तालिका 1: बिल्स पर लगने वाला समय (घंटे:मिनट)

बिल का शीर्षक

लोकसभा

राज्यसभा

फैमिली कोर्ट्स (संशोधन) बिल, 2022

03:34

00:51

भारतीय अंटार्कटिका बिल, 2022

00:39

00:53

राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग बिल, 2021

03:25

04:09

सामूहिक विनाश के हथियार और उनके डिलिवरी सिस्टम्स (गैरकानूनी गतिविधियों पर प्रतिबंध) संशोधन बिल, 2022

02:53

02:03

केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) बिल, 2022

01:46

01:40

वन्य जीव (संरक्षण) संशोधन बिल, 2021

05:05

-

ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) बिल, 2022

01:29

-

नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय आरबिट्रेशन सेंटर (संशोधन) बिल, 2022

00:58

-

 

  • सत्र की शुरुआत में लेजिलेटिव एजेंडा में 24 बिल्स पेश होने और 32 बिल पारित किए जाने के लिए सूचीबद्ध थे। संसद द्वारा सिर्फ छह बिल पेश किए गए और पांच को पारित किया गया। जिन बिल्स को पेश किया गया, उनमें प्रतिस्पर्धा (संशोधन) बिल, 2022, ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) बिल, 2022 और बिजली (संशोधन) बिल, 2022 शामिल हैं। पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2019 को वापस ले लिया गया।
     
  • इस सत्र में सिर्फ बिजली (संशोधन) बिल, 2022 को स्टैंडिंग कमिटी को भेजा गया। वर्तमान में लोकसभा में अब तक सिर्फ 13% बिल्स को कमिटियों के पास भेजा गया है। यह पिछली तीन लोकसभाओं में सबसे कम है: 14 वीं लोकसभा में 60%, 15वीं में 71% और 16वीं लोकसभा में 27%।

दोनों सदनों में सिर्फ मूल्य वृद्धि पर गैर विधायी चर्चा शुरू की गई 

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  • लोकसभा ने मूल्य वृद्धि पर 6.4 घंटे चर्चा की, जबकि राज्यसभा में इस विषय पर 5.8 घंटे चर्चा हुई। संसद ने देश की आर्थिक स्थिति पर आखिरी बार 2019 के शीतकालीन सत्र के दौरान चर्चा की थी।
  • लोकसभा के पिछले सत्र में भारत में खेलों को बढ़ावा देने की जरूरत पर चर्चा की शुरुआत हुई थी जो इस सत्र में जारी रही, लेकिन उसका समापन नहीं किया गया।

राज्यसभा में प्रश्नकाल निर्धारित समय का 47% और लोकसभा में 34% चला

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  • सत्र के दौरान प्रश्नकाल में कई बार व्यवधान पड़ा। लोकसभा में 14% तारांकित प्रश्नों (जिनके लिए मंत्रियों से मौखिक उत्तर की अपेक्षा की जाती है) के मौखिक उत्तर दिए गए। राज्यसभा में यह आंकड़ा 27% है।
     
  • प्रश्नकाल लोकसभा में दो दिन और राज्यसभा में चार दिन, एक घंटे के पूरे समय के लिए हुआ। संसद के दूसरे कामकाज से अलग, प्रश्नकाल के दौरान गंवाए गए समय (सदन के स्थगित होने के कारण) की भरपाई देर तक बैठकर नहीं की जा सकती।

नोट: कोविड-19 के कारण मानसून सत्र 2020 में प्रश्नकाल रद्द कर दिया गया था।

तीन वर्ष से अधिक बीत जाने के बावजूद लोकसभा में उपाध्यक्ष नहीं है

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  • संविधान का अनुच्छेद 93 कहता है कि लोकसभा जितना जल्दी हो, उतनी जल्दी अपने दो सदस्यों को अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनेगी।
  • 17वीं लोकसभा को शुरू हुए तीन वर्ष से अधिक बीत जाने के बाद भी उपाध्यक्ष पद का चुनाव नहीं कराया गया है। इससे पहले सिर्फ एक उदाहरण ऐसा है- 12वीं लोकसभा के दौरान 269 दिन- जब उपाध्यक्ष का चुनाव करने में तीन महीने का समय लगा था।

स्रोत: 8 अगस्त, 2022 को लोकसभा और राज्यसभा के बुलेटिन; संसदीय मामलों के मंत्रालयों की स्टैटिस्टिकल हैंडबुक, 2019; पीआरएस। 

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है। 

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