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संसद का उद्घाटन और बजट सत्र 2024

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संसद का उद्घाटन और बजट सत्र 2024 

18वीं लोकसभा ने अपने निर्धारित समय का 123% काम किया; उपाध्यक्ष के बिना काम करने का छठा वर्ष

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नोट: *17वीं लोकसभा के पूरे कार्यकाल के दौरान उपाध्यक्ष का चुनाव नहीं हुआ।

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नोट: FS – पहला सत्र; BS – बजट सत्र

  • 18वीं लोकसभा के पहले दो सत्र जून और अगस्त 2024 के बीच आयोजित किए। ये दो सत्र लोकसभा में कुल 22 दिनों और राज्यसभा में 20 दिनों तक चले। दोनों सदन तय समय से एक दिन पहले स्थगित कर दिए गए। दोनों सत्रों में लोकसभा ने अपने निर्धारित समय का 123% और राज्यसभा ने 110% काम किया। ऐसे दो दिन थे, जब लोकसभा की बैठक 11 घंटे से अधिक चली। इन दो दिन राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव और बजट पर चर्चा की गई।
  • श्री ओम बिड़ला को फिर से लोकसभा अध्यक्ष चुने गए। यह छठी बार है कि किसी अध्यक्ष को दूसरे कार्यकाल के लिए फिर से चुना गया है। ऐसा आखिरी बार 1999 में हुआ था। 
  • 17वीं लोकसभा की पूरी अवधि के दौरान उपाध्यक्ष का पद खाली रहा। 18वीं लोकसभा में अब तक उपाध्यक्ष का चुनाव नहीं हुआ है।
  • 11 बिल पेश किए गए, जिनमें आपदा प्रबंधन (संशोधन) बिल, 2024, बैंकिंग कानून (संशोधन) बिल और तेल क्षेत्र रेगुलेशन और विकास (संशोधन) बिल, 2024 शामिल हैं। भारतीय वायुयान विधेयक, 2024 को लोकसभा में पारित किया गया। वक्फ (संशोधन) बिल, 2024 को 20 सांसदों की भागीदारी के साथ दो घंटे की चर्चा के बाद पेश किया गया। बिल को विस्तृत समीक्षा के लिए ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमिटी को भेजा गया है।

लोकसभा में आम बजट पर चर्चा 27 घंटे से अधिक समय तक चली

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नोट: इन आंकड़ों में अंतरिम बजट शामिल नहीं।

  • पिछले कुछ वर्षों में बजट पर सामान्य चर्चा पर व्यतीत समय में गिरावट हुई है। इस बहस में सांसद बजट संबंधी प्रावधानों और समग्र सरकारी वित्त पर चर्चा करते हैं।    
  • इस सत्र में लोकसभा में सामान्य चर्चा पर 27 घंटे से अधिक समय व्यतीत हुआ। यह हाल के वर्षों की तुलना में काफी अधिक है। इस साल केंद्र सरकार के बजट पर जम्मू-कश्मीर के बजट के साथ चर्चा हुई। 2019 से पहले जम्मू-कश्मीर के बजट पर राज्य विधानसभा में चर्चा होती थी।

चार मंत्रालयों के बजट पर विस्तार से चर्चा; 89% बजट बिना चर्चा के पारित

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  • आम बजट पर चर्चा के बाद लोकसभा में विभिन्न मंत्रालयों के व्यय (अनुदान की मांग कहा जाता है) पर चर्चा होती है। यह चर्चा 2024 में 30 घंटे से अधिक समय तक चली, जिसमें चार मंत्रालय शामिल थे: रेलवे, स्वास्थ्य, शिक्षा और पशुपालन। राज्यसभा में मंत्रालयों के कामकाज पर चर्चा होती है। तीन मंत्रालयों, आवासन एवं शहरी मामले, कृषि और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा पर कुल 16 घंटे तक चर्चा हुई।
  • पिछले 20 वर्षों में स्वास्थ्य और शिक्षा मंत्रालय के बजट पर लोकसभा में चार-चार बार चर्चा हुई है। लोकसभा में सबसे ज्यादा आठ बार गृह मंत्रालय पर चर्चा हुई है। 2018-19 और 2023-24 में मंत्रालयवार खर्च पर चर्चा नहीं हुई। इन दो वर्षों को छोड़कर, रेल मंत्रालय पर 2017-18 के बाद से हर साल संसद में चर्चा हुई है (जब रेलवे बजट को केंद्रीय बजट में विलय कर दिया गया था)। 
  • पिछले 10 वर्षों में बजट का दो-तिहाई (67%) से अधिक हिस्सा हर साल बिना चर्चा के पारित किया गया है।  

धन्यवाद प्रस्ताव पर 40 घंटे चर्चा; दो अल्पावधि की चर्चा की गई

  • प्रत्येक लोकसभा की शुरुआत में और प्रत्येक कैलेंडर वर्ष की पहली बैठक में राष्ट्रपति द्वारा दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित किया जाता है। इस संबोधन में सरकार का नीतिगत एजेंडा प्रस्तुत किया जाता है। अभिभाषण के बाद दोनों सदनों में चर्चा होती है। इसे राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव कहा जाता है। लोकसभा में 19 घंटे और राज्यसभा में 21 घंटे इस धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा हुई।

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नोट: * पांच वर्ष से कम अवधि का संकेत; ** छह वर्ष का कार्यकाल।

  • पेरिस ओलंपिक के लिए भारत की तैयारियों पर लोकसभा में एक अल्पावधि चर्चा और दिल्ली में एक कोचिंग संस्थान में विद्यार्थियों की मौत पर राज्यसभा में एक अल्पावधि चर्चा हुई।
  • लोकसभा में गृह मंत्री का ध्यान देश के विभिन्न हिस्सों में बाढ़ और भूस्खलन से हुए जान-माल के नुकसान की ओर आकर्षित किया गया। राज्यसभा में केरल के वायनाड में विनाशकारी भूस्खलन के बाद बने हालात पर ध्यान आकर्षित किया गया। इन्हें ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के रूप में जाना जाता है।

प्रश्नकाल निर्धारित समय के लगभग 100% समय तक चला

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  • 8 अगस्त, 2024 तक प्रश्नकाल लोकसभा में निर्धारित समय का 97% और राज्यसभा में निर्धारित समय का 99% समय तक चला। 
  • मंत्रियों ने सदन में 31% प्रश्नों के मौखिक उत्तर दिए। जब कोई मंत्री सदन में किसी प्रश्न का उत्तर देता है, तो सांसदों को अनुवर्ती प्रश्न पूछने की अनुमति होती है, जिन्हें पूरक प्रश्न (सप्लिमेंटरीज़) कहा जाता है।  
  • लोकसभा में 81% प्रश्न और राज्यसभा में 92% प्रश्न पूरक प्रश्न पूछे गए।

गैर सरकारी सदस्यों के संकल्पों पर दोनों सदनों में चर्चा

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  • गैर सरकारी सदस्यों का कामकाज ऐसे बिल्स और संकल्पों को कहा जाता है जिन्हें उन सांसदों द्वारा पेश किया जाता है जो मंत्री नहीं हैं।     
  • गैर सरकारी सदस्यों के बिल दोनों सदनों में पेश किए गए।  संविधान के अनुच्छेद 16 में संशोधन करने वाले एक बिल पर राज्यसभा में लगभग 25 मिनट तक चर्चा हुई। एक और बिल पेश करने का प्रस्ताव, जिसमें राज्यपाल की शक्तियों में संशोधन की मांग की गई थी, गिर गया।
  • गैर सरकारी सदस्यों के दो संकल्पों पर चर्चा की गई। लोकसभा में हवाई किराए को रेगुलेट करने से संबंधित एक प्रस्ताव पर चर्चा की गई। राज्यसभा में नीट परीक्षा को निरस्त करने और 'शिक्षा' को संविधान की सातवीं अनुसूची में समवर्ती सूची से राज्य सूची में डालने के प्रस्ताव पर चर्चा हुई।

पहले कार्यकाल वाले 82% सांसदों ने वाद-विवाद में भाग लिया 

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नोट: सिर्फ न्यूनतम 10 सांसदों वाले राज्यों की गणना की गई है। आंकड़े 6 अगस्त 2024 तक के हैं।

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नोट: सिर्फ न्यूनतम 10 सांसदों वाले राज्यों की गणना की गई है। आंकड़े 6 अगस्त 2024 तक के हैं।

  • लोकसभा में तमिलनाडु के सांसदों ने बहस में सबसे अधिक भाग लिया, उसके बाद केरल और राजस्थान के सांसदों ने भाग लिया। औसतन सबसे अधिक प्रश्न शिवसेना के सांसदों ने पूछे, उसके बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) और तेलुगू देशम पार्टी के सांसदों का स्थान रहा। यह केवल कम से कम 10 सांसदों वाले राज्यों और पार्टियों से संबंधित आंकड़े हैं।
  • पहले कार्यकाल वाले 82% सांसदों ने बहस में भाग लिया। पहले कार्यकाल वाले 61% सांसदों ने बजट चर्चा में भाग लिया। लोकसभा में जिन गैर सरकारी सदस्यों के संकल्पों पर चर्चा की गई, उन्हें पहले कार्यकाल वाले सांसदों ने पेश किया था।

42% सांसदों ने हिंदी में शपथ ली; अंग्रेजी, मराठी और तमिल सबसे लोकप्रिय अन्य भाषाएं

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  • 42% सांसदों ने हिंदी में और 7% ने अंग्रेजी भाषा में शपथ ली। 4% सांसदों ने संस्कृत में शपथ ली।
  • लगभग 50% लोकसभा सांसदों ने अन्य भाषाओं में शपथ ली। तमिल, मराठी, बंगाली और तेलुगू ऐसी सबसे लोकप्रिय भाषाएं थीं (अधिकांश सांसदों वाले राज्यों की स्थानीय भाषाओं के अनुरूप)।

स्रोत: लोकसभा और राज्यसभा के बुलेटिन, रेज्यूम और वेबसाइट्स; स्टैटिस्टिकल हैंडबुक 2023, संसदीय कार्य मंत्रालय; पीआरएस।

             

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह रिपोर्ट मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार की गई है। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी की मूल रिपोर्ट से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

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