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संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाएं

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संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाएं

संविधान (एक सौ अट्ठाईसवां संशोधन) बिल, 2023 को 19 सितंबर, 2023 को लोकसभा में पेश किया गया। बिल में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए सभी सीटों में से एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है। इसी तरह का एक बिल 2008 में राज्यसभा में पेश किया गया था और दो साल बाद सदन द्वारा पारित किया गया। 2014 में 15वीं लोकसभा के भंग होने के साथ यह बिल लैप्स हो गया। इस नोट में संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी पर एक नज़र डाली गई है।

लोकसभा में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में सुस्त वृद्धि

 

स्रोत: जेंडर-वाइस स्टैटिस्टिकल लिस्ट, लोकसभा, 2019; पीआरएस।

 

स्रोत: इंटर-पार्लियामेंटरी यूनियन की वेबसाइट, 19 सितंबर, 2023 को एक्सेस; पीआरएस।

  • लोकसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व पहली लोकसभा में 5% से बढ़कर वर्तमान लोकसभा में 15% हो गया है।

  • स्वीडन और नॉर्वे और दक्षिण अफ्रीका जैसे स्कैंडिनेवियाई देशों की राष्ट्रीय विधायिकाओं में 45% से अधिक महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। जापान 10% पर है और भारत से पीछे है।

             

             

नोट: केवल 10 या अधिक सदस्यों वाली पार्टियों को यहां प्रदर्शित किया गया है। स्रोत: लोकसभा और राज्यसभा की वेबसाइट्स, 19 सितंबर, 2023 को एक्सेस; पीआरएस।

     
  • वर्तमान में 15% लोकसभा सांसद और 13% राज्यसभा सांसद महिलाएं हैं।

  • लोकसभा में 10 से अधिक सीटों वाली पार्टियों में बीजेडी में 42% और टीएमसी में 39% महिला सांसद हैं। राज्यसभा में कांग्रेस में 17% महिला सांसद हैं। 

पुरुष और महिला उम्मीदवारों की 'जीतने की क्षमता' में कोई अंतर नहीं

स्रोत: आम चुनावों पर सांख्यिकीय रिपोर्ट्स 2019, भारतीय निर्वाचन आयोग; पीआरएस।

  • टीएमसी और बीजेडी ने सबसे ज्यादा महिला उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा। 10 या अधिक सांसदों वाली पार्टियों में महिलाओं के जीतने की संभावना पुरुषों की तरह ही थी।

9% विधायक महिलाएं हैं

नोट: इसमें पुद्दूचेरी और सिक्किम के आंकड़े शामिल नहीं हैं। 
स्रोत: राज्य विधानसभाओं की वेबसाइट्स; पीआरएस।

  • किसी भी राज्य की विधानसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 20% से अधिक नहीं है। 18% महिला विधायकों के साथ, छत्तीसगढ़ में महिलाओं का सबसे अधिक प्रतिनिधित्व है, जबकि हिमाचल प्रदेश में केवल एक महिला विधायक है और मिजोरम में एक भी महिला विधायक नहीं है।

17वीं लोकसभा में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की भागीदारी थोड़ी कम 

 

स्रोत: लोकसभा वेबसाइट; पीआरएस। 

 
 

  • लोकसभा में पुरुषों और महिलाओं, दोनों की उपस्थिति 75% से अधिक है। लोकसभा में उपस्थिति और भागीदारी सुनिश्चित करती है कि सदस्य अपने विधायी कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं।   

महिला और पुरुष सांसद/विधायकों की शैक्षणिक पृष्ठभूमि समान है

 नोट: 464 सांसदों के उपलब्ध आंकड़ों पर आधारित।
स्रोत: लोकसभा वेबसाइट; पीआरएस।
 

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नोट: 4,030 सांसदों के उपलब्ध आंकड़ों पर आधारित।
स्रोत: राज्य विधानसभाओं की वेबसाइट्स, चुनावी हलफनामा, भारतीय निर्वाचन आयोग; पीआरएस।
 

  • पुरुष और महिला सांसदों/विधायकों की शैक्षिक योग्यताओं में महत्वपूर्ण अंतर नहीं है।

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

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