
इस अंक की झलकियां
मानसून सत्र 2023 समाप्त
संसद का मानसून सत्र 11 अगस्त, 2023 को समाप्त हुआ। 25 बिल पेश और 23 पारित किए गए। इस सत्र में 17वीं लोकसभा का पहला अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया जो खारिज हो गया।
2023-24 की पहली तिमाही में जीडीपी 7.8% बढ़ी
2023-24 की पहली तिमाही में सभी क्षेत्रों में विकास सकारात्मक रहा, जिसमें वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की गई।
भारतीय दंड संहिता, सीआरपीसी और साक्ष्य एक्ट को बदलने के लिए बिल पेश
भारतीय दंड संहिता, 1860, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), 1973 और भारतीय साक्ष्य एक्ट, 1872 का स्थान लेने वाले तीन बिल पेश किए गए और गृह मामलों से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी को भेजे गए।
मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में संशोधन के लिए बिल पेश
राष्ट्रपति एक चयन समिति के सुझाव पर सीईसी की नियुक्ति करेंगे। इस समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे।
संसद ने एनसीटी दिल्ली (संशोधन) बिल, 2023 को पारित किया
बिल दिल्ली सरकार में अधिकारियों के तबादलों और पोस्टिंग का एलजी को सुझाव देने के लिए एक प्राधिकरण की स्थापना करता है। प्राधिकरण में दिल्ली के मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और प्रमुख गृह सचिव शामिल होंगे।
संसद ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2023 को पारित किया
बिल व्यक्तियों के लिए डेटा सुरक्षा और गोपनीयता का प्रावधान करता है। यह डेटा प्रिंसिपलों के अधिकारों और कर्तव्यों और डेटा फिड्यूशरीज़ के दायित्वों को निर्धारित करता है।
कैबिनेट ने सिटी बस संचालन को बढ़ाने के लिए पीएम ई-बस सेवा को मंजूरी दी
इस योजना का लक्ष्य तीन लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में सिटी बस के संचालन को बढ़ाना है। 10 वर्षों में इस योजना का परिव्यय 57,613 करोड़ रुपए है।
स्कूली शिक्षा के लिए नया नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क जारी किया गया
फ्रेमवर्क भाषा की शिक्षा की आवश्यकताओं को संशोधित करता है, परीक्षाओं पर मानदंडों को लचीला बनाता है और माध्यमिक शिक्षा में विषयों के अधिक विकल्प प्रदान करता है।
स्टैंडिंग कमिटियों ने विभिन्न विषयों और नीतियों पर रिपोर्ट प्रस्तुत की
इसमें चुनाव सुधार, न्यायिक सुधार, नागरिकों की डेटा सुरक्षा, मानसिक स्वास्थ्य और स्टार्टअप के इकोसिस्टम पर रिपोर्ट्स शामिल हैं।
संसद
Arpita Mallick (arpita@prsindia.org)
मानसून सत्र 2023 समाप्त; 23 बिल पारित; तीन स्टैंडिंग कमिटी को भेजे गए
संसद का मानसून सत्र 20 जुलाई, 2023 से 11 अगस्त, 2023 तक संचालित किया गया। इस दौरान कुल 17 दिन बैठकें हुईं। 25 बिल पेश किए गए और 23 पारित किए गए। भारतीय दंड संहिता, 1860, दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 और भारतीय साक्ष्य एक्ट, 1872 का स्थान लेने वाले तीन बिल पेश किए गए और गृह मामलों से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी को भेज दिए गए।
इस सत्र में पेश और पारित किए गए बिल्स में एनसीटी दिल्ली सरकार (संशोधन) बिल, 2023, डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2023, खान और खनिज (विकास और रेगुलेशन) बिल, 2023 और जन्म और मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) बिल, 2023 शामिल हैं। पिछले सत्रों से लंबित और इस सत्र में पारित बिल्स में कोस्टल एक्वाकल्चर अथॉरिटी (संशोधन) बिल, 2023, वन (संरक्षण) संशोधन बिल, 2023 और अंतर-सेवा संगठन बिल, 2023 शामिल हैं। इस सत्र में 17वीं लोकसभा का पहला अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया। इस प्रस्ताव को ध्वनि मत से खारिज कर दिया गया। 31 अगस्त, 2023 को संसदीय कार्य मंत्री ने घोषणा की कि संसद का पांच दिवसीय सत्र 18 सितंबर, 2023 से शुरू होगा।[1]
मानसून सत्र 2023 के दौरान विधायी कार्यों पर अधिक जानकारी के लिए कृपया देखें। सत्र के दौरान संसद के कामकाज पर अधिक विवरण के लिए कृपया देखें।
मैक्रोइकोनॉमिक विकास
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
2023-24 की पहली तिमाही में जीडीपी 7.8% की दर से बढ़ी
2023-24 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) (स्थिर कीमतों पर) 2022-23 की इसी अवधि की तुलना में 7.8% बढ़ी।[2] 2022-23 की पहली तिमाही में जीडीपी 13.1% बढ़ी थी। 2022-23 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में जीडीपी 6.1% बढ़ी थी।
रेखाचित्र 1: 2011-12 की स्थिर कीमतों पर सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि (वर्ष-दर-वर्ष प्रतिशत में)
नोट: 2020-21 की पहली तिमाही में 23.4% की गिरावट के बाद 2021-22 की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद में निम्न आधार पर वृद्धि हुई थी।
स्रोत: सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय; पीआरएस।
आर्थिक क्षेत्रों में सकल घरेलू उत्पाद को सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) के संदर्भ में मापा जाता है। 2023-24 की पहली तिमाही में सभी क्षेत्रों में विकास सकारात्मक रहा। वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं में सबसे अधिक वृद्धि (12.2%) दर्ज की गई। इसके बाद व्यापार (9.2%), निर्माण (7.9%), और सार्वजनिक सेवाओं (7.9%) का स्थान रहा।
तालिका 1: 2023-24 की पहली तिमाही में सभी क्षेत्रों में जीवीए में वृद्धि, (% में, वर्ष-दर-वर्ष)
क्षेत्र |
तिमाही 1 |
||
|
2021-22 |
2022-23 |
2023-24 |
कृषि |
3.4% |
2.4% |
3.5% |
खनन |
12.2% |
9.5% |
5.8% |
मैन्यूफैक्चरिंग |
51.5% |
6.1% |
4.7% |
बिजली |
16.3% |
14.9% |
2.9% |
निर्माण |
77.0% |
16.0% |
7.9% |
व्यापार |
41.4% |
25.7% |
9.2% |
वित्तीय सेवाएं |
2.8% |
8.5% |
12.2% |
सार्वजनिक सेवाएं |
6.5% |
21.3% |
7.9% |
जीवीए |
20.2% |
11.9% |
7.8% |
जीडीपी |
21.6% |
13.1% |
7.8% |
नोट: जीवीए को आधार मूल्यों (2011-12) पर मापा जाता है।
स्रोत: सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय; पीआरएस।
2023-24 की पहली तिमाही में औद्योगिक उत्पादन 4.5% बढ़ा
2023-24 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) 4.5% बढ़ा।[3] यह 2022-23 की पहली तिमाही में दर्ज 12.8% की वृद्धि से कम था। आईआईपी में मैन्यूफैक्चरिंग, खनन और बिजली क्षेत्रों का भार क्रमशः 78%, 14% और 8% है।
2023-24 की पहली तिमाही में खनन क्षेत्र में 6.4% की वृद्धि हुई, जबकि 2022-23 की इसी तिमाही में यह 9.1% थी। 2023-24 की पहली तिमाही में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में 4.7% की वृद्धि हुई, जो 2022-23 की पहली तिमाही में 12.8% से काफी कम है। 2023-24 की पहली तिमाही में बिजली क्षेत्र की वृद्धि सबसे धीमी 1.3% रही जो 2022-23 की पहली तिमाही के 17.1% से कम थी।
रेखाचित्र 2: आईआईपी में वृद्धि (%, वर्ष-दर-वर्ष)
स्रोत: सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय; पीआरएस।
रेपो दर 6.5% पर अपरिवर्तित
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने पॉलिसी रेपो रेट (जिस दर पर आरबीआई बैंकों को ऋण देता है) को 6.5% पर बरकरार रखने का फैसला किया है।[4] समिति के अन्य निर्णयों में निम्नलिखित शामिल हैं:
स्टैंडिंग डिपॉजिट फेसिलिटी रेट (जिस दर पर आरबीआई कोलेट्रल दिए बिना बैंकों से उधार लेता है) को 6.25% पर बरकरार रखा गया है।
मार्जिनल स्टैंडिंग फेसिलिटी रेट (जिस दर पर बैंक अतिरिक्त धन उधार ले सकते हैं) और बैंक रेट (जिस दर पर आरबीआई बिल्स ऑफ एक्सचेंज को खरीदता है) को 6.75% पर बरकरार रखा गया है।
एमपीसी ने समायोजन की वापसी पर ध्यान केंद्रित रखने का निर्णय लिया है। इससे यह सुनिश्चित होने की उम्मीद है कि विकास को समर्थन देते हुए मुद्रास्फीति उत्तरोत्तर 4% के लक्ष्य के अनुरूप हो। आरबीआई ने फरवरी 2023 में रेपो रेट 6.25% से बढ़ाकर 6.5% कर दिया था।
गृह मामले
दिल्ली जीएनसीटी (संशोधन) बिल, 2023 संसद में पारित किया गया
Alaya Purewal (alaya@prsindia.org)
दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार (संशोधन) बिल, 2023 को लोकसभा में 1 अगस्त, 2023 को पेश किया गया।[5] इसे संसद में 7 अगस्त, 2023 को पारित कर दिया गया।। यह दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार एक्ट, 1991 में संशोधन करता है।[6] बिल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश, 2023 को निरस्त करता है जिसे 19 मई, 2023 को जारी किया गया था।[7] यह बिल 19 मई, 2023 से पूर्वव्यापी रूप से लागू होगा। इसकी मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण: बिल राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण की स्थापना करता है जोकि दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर (एलजी) को निम्नलिखित से संबंधित मामलों पर सुझाव देगा: (i) तबादले और तैनाती, (ii) विजिलेंस से संबंधित मामले, (iii) अनुशासनात्मक कार्यवाहियां, और (iv) अखिल भारतीय सेवाओं (भारतीय पुलिस सेवा को छोड़कर), और दिल्ली सरकार के अधिकारियों की अभियोजन स्वीकृति। पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि के विषयों के संबंध में सेवारत अधिकारी प्राधिकरण के दायरे में नहीं आएंगे।
प्राधिकरण में दिल्ली के मुख्यमंत्री, दिल्ली सरकार के प्रधान गृह सचिव, और मुख्य सचिव शामिल होंगे। प्राधिकरण के सभी निर्णय उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के बहुमत के आधार पर लिए जाएंगे। एक बैठक के लिए कोरम दो व्यक्ति हैं।
एलजी की शक्तियां: एक्ट के तहत ऐसे मामले, जिनमें एलजी अपने विवेक से कार्य कर सकते हैं, वे हैं: (i) दिल्ली विधानसभा की विधायी क्षमता के बाहर के मामले लेकिन जो एलजी को सौंपे गए हैं, या (ii) ऐसे मामले जहां उनसे कानून द्वारा अपने विवेक से कार्य करना या कोई न्यायिक या अर्ध-न्यायिक कार्य करना अपेक्षित है। बिल निर्दिष्ट करता है कि ऐसे मामलों में एलजी अपने विवेक से कार्य करेंगे। बिल एलजी की विवेकाधीन भूमिका का दायरा बढ़ाता है, और उन्हें प्राधिकरण के सुझावों को मंजूरी देने या उन्हें पुनर्विचार के लिए वापस लौटाने की शक्तियां भी देता है। अगर एलजी और प्राधिकरण के विचारों में मतभेद होता है तो उस स्थिति में एलजी का निर्णय ही अंतिम होगा। इसके अतिरिक्त, बिल के तहत एलजी के पास अपने सभी कार्यों पर पूर्ण विवेकाधिकार है।
बिल पर पीआरएस विश्लेषण के लिए कृपया देखें।
जन्म और मृत्यु पंजीकरण एक्ट, 1969 में संशोधन करने वाला बिल संसद में पारित
Alaya Purewal (alaya@prsindia.org)
जन्म और मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) बिल, 2023 को संसद में पारित कर दिया गया।[8] बिल जन्म और मृत्यु पंजीकरण एक्ट, 1969 में संशोधन करता है।[9] एक्ट में जन्म और मृत्यु के पंजीकरण के रेगुलेशन का प्रावधान है। बिल की प्रमुख विशेषताओं में निम्न शामिल हैं:
माता-पिता और सूचना देने वालों का आधार विवरण जरूरी: एक्ट में कुछ व्यक्तियों को रजिस्ट्रार को जन्म और मृत्यु की जानकारी देनी होती है। उदाहरण के लिए, जिस अस्पताल में बच्चा पैदा हुआ है, उसके प्रभारी चिकित्सा अधिकारी को जन्म की जानकारी देनी होती है। बिल में कहा गया है कि, जन्म के मामलों में, निर्दिष्ट व्यक्तियों को माता-पिता और सूचना देने वाले, यदि उपलब्ध हो, का आधार नंबर भी प्रदान करना होगा। यह प्रावधान निम्नलिखित पर लागू होता है: (i) जेल में जन्म होने की स्थिति में, जेलर, और (ii) होटल या लॉज का प्रबंधक, अगर ऐसे स्थान पर जन्म हुआ है। इसके अलावा यह निर्दिष्ट व्यक्तियों की सूची का विस्तार करता है, जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) गैर-संस्थागत एडॉप्शन की स्थिति में एडॉप्टिव माता-पिता, (ii) सरोगेसी के माध्यम से जन्म की स्थिति में जैविक माता-पिता, और (iii) सिंगल पेरेंट या अविवाहित मां से जन्मे बच्चे की स्थिति में पेरेंट।
जन्म और मृत्यु का डेटाबेस: एक्ट भारत के रजिस्ट्रार-जनरल की नियुक्ति का प्रावधान करता है जो जन्म और मृत्यु के पंजीकरण के लिए सामान्य निर्देश जारी कर सकता है। बिल में कहा गया है कि रजिस्ट्रार जनरल पंजीकृत जन्म और मृत्यु का एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाएगा। मुख्य रजिस्ट्रार (राज्यों द्वारा नियुक्त) और रजिस्ट्रार (प्रत्येक स्थानीय क्षेत्र क्षेत्राधिकार के लिए राज्यों द्वारा नियुक्त) पंजीकृत जन्म और मृत्यु के डेटा को राष्ट्रीय डेटाबेस के साथ शेयर करने के लिए बाध्य होंगे। मुख्य रजिस्ट्रार राज्य स्तर पर ऐसा ही डेटाबेस बनाएगा।
कनेक्टिंग डेटाबेस: बिल में कहा गया है कि राष्ट्रीय डेटाबेस को ऐसे अधिकारियों को उपलब्ध कराया जा सकता है, जो दूसरे डेटाबेस तैयार या मेनटेन करते हैं। इन डेटाबेस में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) जनसंख्या रजिस्टर, (ii) मतदाता सूची, (iii) राशन कार्ड, और (iv) अधिसूचित कोई अन्य राष्ट्रीय डेटाबेस। राष्ट्रीय डेटाबेस के उपयोग को केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए। इसी प्रकार राज्य डेटाबेस को उन अधिकारियों को उपलब्ध कराया जा सकता है, जो राज्य के दूसरे डेटाबेस को तैयार या मेनटेन करते हैं। यह राज्य सरकार की मंजूरी के अधीन होगा।
बिल पर पीआरएस विश्लेषण के लिए कृपया देखें।
आईपीसी का स्थान लेने वाला बिल लोकसभा में पेश; स्टैंडिंग कमिटी को भेजा गया
Tanvi Vipra (tanvi@prsindia.org)
भारतीय न्याय संहिता, 2023 को लोकसभा में पेश किया गया।[10] यह बिल भारतीय दंड संहिता, 1860 (आईपीसी) को निरस्त करता है और इसे गृह मामलों की स्टैंडिंग कमिटी को भेजा गया है।[11] आईपीसी आपराधिक अपराधों पर प्रमुख कानून है। बिल में आईपीसी के कई हिस्सों को बरकरार रखा गया है। आईपीसी के तहत कुछ अपराध, जिन्हें न्यायालयों ने हटा दिया है या खारिज कर दिया है, हटा दिए गए हैं। इनमें व्याभिचार और सेम सेक्स इंटरकोर्स के अपराध शामिल हैं। बिल में प्रस्तावित प्रमुख परिवर्तन निम्नलिखित हैं:
आतंकवाद और संगठित अपराध: बिल आतंकवाद को एक ऐसे कृत्य के रूप में परिभाषित करता है जिसका उद्देश्य देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा को खतरे में डालना, आम जनता को डराना या सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ना है। आतंकवादी कृत्यों में मौत का कारण बनने या भय फैलाने के लिए बंदूकों (फायरआर्म्स), बमों या खतरनाक पदार्थों का उपयोग करना शामिल है।
संगठित अपराध: बिल के अनुसार संगठित अपराध में निरंतर गैरकानूनी गतिविधि, हिंसा, धमकी या अन्य गैरकानूनी तरीकों के अपराध करना, भौतिक या वित्तीय लाभ प्राप्त करने के लिए अपराध करना शामिल है। गैरकानूनी गतिविधि में अपहरण, कॉन्ट्रैक्ट हत्या, वित्तीय घोटाले और साइबर अपराध शामिल हो सकते हैं। इन्हें व्यक्तियों द्वारा अकेले या संयुक्त रूप से, किसी अपराध सिंडिकेट के सदस्य के रूप में या उसकी ओर से किया जा सकता है। आतंकवाद और संगठित अपराध के लिए अधिकतम दंड में मृत्यु या आजीवन कारावास शामिल है, यदि अपराध के परिणामस्वरूप किसी व्यक्ति की मृत्यु हुई हो।
राजद्रोह: बिल राजद्रोह के अपराध को हटाता है, जिसमें तीन साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती थी। इसके बजाय वह निम्नलिखित के लिए दंड का प्रावधान करता है: (i) अलगाव, सशस्त्र विद्रोह, या विध्वंसक गतिविधियों के लिए उकसाना या उकसाने का प्रयास करना, (ii) अलगाववादी गतिविधियों की भावनाओं को प्रोत्साहित करना, या (iii) भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरे में डालना। इन अपराधों में शब्दों या संकेतों का आदान-प्रदान, इलेक्ट्रॉनिक कम्यूनिकेशन या वित्तीय साधनों का उपयोग शामिल हो सकता है। इनमें सात साल तक की कैद या आजीवन कारावास और जुर्माना होगा।
कुछ आधार पर व्यक्ति समूहों द्वारा हत्या: बिल निर्दिष्ट आधार पर पांच या अधिक लोगों द्वारा की गई हत्या के लिए अलग-अलग दंड निर्दिष्ट करता है। इन आधारों में नस्ल, जाति, लिंग, जन्म स्थान, भाषा या व्यक्तिगत विश्वास शामिल हैं। प्रत्येक अपराधी को सात वर्ष से लेकर आजीवन कारावास या मृत्युदंड तक की सजा दी जाएगी।
नाबालिग के सामूहिक बलात्कार पर मृत्यु दंड: आईपीसी 12 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के साथ सामूहिक बलात्कार के लिए मृत्युदंड देने की अनुमति देती है। बिल 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के साथ सामूहिक बलात्कार के लिए मृत्युदंड देने की अनुमति देता है।
बिल पर पीआरएस के सारांश के लिए कृपया देखें।
दंड प्रक्रिया संहिता का स्थान लेने वाला बिल लोकसभा में पेश किया गया
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 को लोकसभा में पेश किया गया।[12] यह दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 को निरस्त करती है।[13] इसके बाद बिल को गृह मामले की स्टैंडिंग कमिटी को भेज दिया गया है।[14] यह संहिता भारतीय दंड संहिता, 1860 सहित कई एक्ट्स के तहत अपराधों के लिए गिरफ्तारी, अभियोजन और जमानत की प्रक्रिया प्रदान करती है। बिल में संहिता के अधिकांश प्रावधानों को बरकरार रखा गया है। बिल के तहत प्रस्तावित प्रमुख बदलावों में निम्न शामिल हैं:
विचाराधीन कैदियों की हिरासत: संहिता के तहत, अगर किसी आरोपी ने जांच या मुकदमे के दौरान किसी अपराध के लिए कारावास की अधिकतम अवधि का आधा हिस्सा हिरासत में बिताया है, तो उसे उसके निजी बांड पर रिहा किया जाना चाहिए। यह उन अपराधों पर लागू नहीं होता जिनमें मौत की सज़ा हो सकती है। बिल में कहा गया है कि यह प्रावधान निम्नलिखित पर भी लागू नहीं होगा: (i) आजीवन कारावास की सजा वाले अपराध, और (ii) ऐसे व्यक्ति जिनके खिलाफ एक से अधिक अपराधों में कार्यवाही लंबित है। इसमें आगे कहा गया है कि पहली बार अपराध करने वाले लोगों को जमानत पर रिहा किया जाएगा, अगर उन्होंने अपराध के लिए दी जा सकने वाली अधिकतम कारावास की एक तिहाई अवधि हिरासत में पूरी कर ली है। जिस जेल में आरोपी को हिरासत में लिया गया है, उसके सुपरिंटेंडेंट को ऐसे विचाराधीन कैदियों को जमानत पर रिहा करने के लिए आवेदन करना होगा।
हस्ताक्षर और उंगलियों की छाप: संहिता मेट्रोपॉलिटन/न्यायिक मजिस्ट्रेट को अधिकार देती है कि वह किसी भी व्यक्ति को हस्ताक्षर या हैंडराइटिंग के नमूने देने के आदेश दे सकते हैं। ऐसा आदेश संहिता के तहत किसी भी जांच या कार्यवाही के लिए दिया जा सकता है। हालांकि ऐसा नमूना उस व्यक्ति से जमा नहीं किया जा सकता जिसे जांच के तहत गिरफ्तार नहीं किया गया हो। बिल में इसका विस्तार करते हुए उंगलियों के निशान और आवाज के नमूनों (वॉयस सैंपल) को शामिल किया गया है। ये नमूने किसी ऐसे व्यक्ति से भी लिए जा सकते हैं जिसे गिरफ्तार नहीं किया गया हो।
फॉरेंसिक जांच: बिल उन सभी अपराधों के लिए फॉरेंसिक जांच को अनिवार्य करता है जिनकी सजा कम से कम सात वर्ष का कारावास है। ऐसे मामलों में फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स क्राइम सीन पर जाएंगे ताकि फॉरेंसिक सबूतों को इकट्ठा किया जा सके और मोबाइल फोन या किसी दूसरे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण पर उस प्रक्रिया को रिकॉर्ड करेंगे। अगर राज्य के पास फॉरेंसिक सुविधा नहीं है तो उसे दूसरे राज्य की इस सुविधा का इस्तेमाल करना चाहिए।
बिल पर पीआरएस के सारांश के लिए कृपया देखें।
भारतीय साक्ष्य एक्ट का स्थान लेने वाला बिल लोकसभा में पेश
Rutvik Upadhyaya (rutvik@prsindia.org)
भारतीय साक्ष्य बिल, 2023 को लोकसभा में 11 अगस्त, 2023 को पेश किया गया। यह बिल भारतीय साक्ष्य एक्ट, 1872 को निरस्त करता है।[15] यह एक्ट कानूनी कार्यवाही में साक्ष्यों की स्वीकार्यता (एडमिसिबिलिटी ऑफ एविडेंस) के लिए नियम प्रदान करता है। बिल में एक्ट के कई हिस्सों को बरकरार रखा गया है। यह एक्ट से कुछ औपनिवेशिक संदर्भों को हटाता है, साक्ष्य के रूप में स्वीकार्य इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के दायरे को बढ़ाता है और टेलीग्राफिक संदेशों से संबंधित प्रावधानों को हटाता है। बिल में प्रस्तावित प्रमुख बदलावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
साक्ष्य के रूप में इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड की स्वीकार्यता: एक्ट दो प्रकार के साक्ष्य प्रदान करता है- दस्तावेजी (डॉक्यूमेंटरी) और मौखिक (ओरल) साक्ष्य। दस्तावेजी साक्ष्य में इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड की इनफॉरमेशन शामिल होती है जो कंप्यूटर के जरिए ऑप्टिकल या मैगनेटिक मीडिया में प्रिंट या स्टोर की गई हो। ऐसी इनफॉरमेशन कंप्यूटर या विभिन्न कंप्यूटरों के कॉम्बिनेशन में स्टोर या प्रोसेस की जा सकती है। बिल में प्रावधान है कि इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड का कानूनी प्रभाव कागजी रिकॉर्ड के समान ही होगा। यह इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड का दायरा बढ़ाता है ताकि इसमें सेमीकंडक्टर मेमोरी या किसी कम्युनिकेशन डिवाइस (स्मार्टफोन, लैपटॉप) में स्टोर की गई इनफॉरमेशन को शामिल किया जा सके। इसमें ईमेल, सर्वर लॉग, स्मार्टफोन, लोकेशनल एविडेंस और वॉयस मेल के रिकॉर्ड्स शामिल होंगे।
मौखिक साक्ष्य: एक्ट के तहत मौखिक साक्ष्य में जांच के तहत किसी तथ्य के संबंध में गवाहों द्वारा न्यायालय के समक्ष दिए गए बयान शामिल हैं। बिल के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक तरीके से दी गई इनफॉरमेशन को भी मौखिक साक्ष्य माना जाएगा। इससे गवाह, आरोपी व्यक्ति और पीड़ित इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से गवाही दे सकता है।
बिल पर पीआरएस के सारांश के लिए कृपया देखें।
सूचना प्रौद्योगिकी
Pratinav Damani (pratinav@prsindia.org)
डिजिल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2023 संसद में पारित
डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2023 को संसद में पारित कर दिया गया।[16] इसे लोकसभा में 3 अगस्त, 2023 को पेश किया गया। बिल पर्सनल डेटा और व्यक्तियों की प्राइवेसी के संरक्षण का प्रावधान करता है। मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
एप्लिकेबिलिटी: बिल भारत के भीतर डिजिटल पर्सनल डेटा की प्रोसेसिंग पर लागू होता है जहां यह डेटा: (i) ऑनलाइन जमा किया जाता है या (ii) ऑफलाइन जमा किया जाता है और फिर उसे डिजिटलीकृत किया जाता है। यह भारत के बाहर पर्सनल डेटा प्रोसेसिंग पर भी लागू होगा, अगर यह प्रोसेसिंग भारत में वस्तुओं और सेवाओं को ऑफर करने के लिए की जाती है। पर्सनल डेटा किसी व्यक्ति के उस डेटा को कहा जाता है, जिससे वह व्यक्ति पहचाना जाता है, या जो उससे संबंधित होता है। प्रोसेसिंग उस पूर्ण या आंशिक ऑटोमेटेड ऑपरेशन या सेट ऑफ ऑपरेशंस को कहा जाता है जो डिजिटल पर्सनल डेटा पर किए जाते हैं। इसमें कलेक्शन, स्टोरेज, उपयोग और शेयरिंग शामिल है।
डेटा प्रिंसिपल के अधिकार और कर्तव्य: जिस व्यक्ति के डेटा को प्रोसेस किया जा रहा है (डेटा प्रिंसिपल), उसे निम्नलिखित का अधिकार होगा: (i) प्रोसेसिंग के बारे में जानकारी हासिल करना, (ii) पर्सनल डेटा में करेक्शन और उसे हटाने की मांग करना, (iii) मृत्यु या अक्षमता की स्थिति में किसी दूसरे को इन अधिकारों का इस्तेमाल करने के लिए नामित करना, और (iv) शिकायत निवारण। उन्हें: (i) झूठी या ओछी शिकायत दर्ज नहीं करानी चाहिए और (ii) कोई गलत विवरण नहीं देना चाहिए या निर्दिष्ट मामलों में किसी दूसरे का रूप नहीं धरना चाहिए। इन कर्तव्यों का उल्लंघन करने पर 10,000 रुपए तक का जुर्माना लगाया जाएगा।
डेटा फिड्यूशरी के दायित्व: एंटिटी, प्रोसेसिंग के उद्देश्य और तरीके को निर्धारित करने वाली, (डेटा फिड्यूशरी) को निम्नलिखित करना चाहिए: (i) उसे डेटा की सटीकता और पूर्णता सुनिश्चित करने के लिए उचित प्रयास करने चाहिए, (ii) डेटा ब्रीच को रोकने के लिए उचित सुरक्षात्मक उपाय करने चाहिए, (iii) ब्रीच की स्थिति में भारतीय डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड और प्रभावित व्यक्तियों को उसकी जानकारी देनी चाहिए, और (iv) उद्देश्य पूरा होने और लीगल उद्देश्यों के लिए रिटेंशन जरूरी न होने (स्टोरेज लिमिटेशन) पर पर्सनल डेटा को मिटा देना चाहिए। सरकारी संस्थाओं के मामले में, स्टोरेज लिमिटेशन और डेटा प्रिंसिपल का डेटा मिटाने का अधिकार लागू नहीं होगा।
बिल पर पीआरएस विश्लेषण के लिए कृपया देखें।
स्टैंडिंग कमिटी ने नागरिकों की डेटा सिक्योरिटी और प्राइवेसी पर अपनी रिपोर्ट सौंपी
संचार और सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री प्रतापराव जाधव) ने 1 अगस्त, 2023 को 'नागरिकों की डेटा सिक्योरिटी और प्राइवेसी' पर अपनी रिपोर्ट पेश की।[17] कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
ड्राफ्ट डिजिटिल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2022: कमिटी ने कहा कि मंत्रालय ने डेटा प्रोटेक्शन कानून के लिए पिछले परामर्श के दौरान उठाए गए सवालों को 2022 के ड्राफ्ट बिल में शामिल किया है। इन सवालों में केंद्र सरकार की नियम बनाने की शक्तियां, डेटा प्रोसेस करने वालों से क्षतिपूर्ति, सहमति प्रदान करने के लिए न्यूनतम आयु और डेटा प्रिंसिपल के लिए शिकायत निवारण तंत्र का निर्माण शामिल हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि मंत्रालय उन लोगों को लाभ देने के लिए सहमति और नोटिस व्यवस्था में दृश्य तत्वों (विजुअल एलिमेंट्स) को शामिल करे, जो डिजिटल रूप से साक्षर नहीं हैं।
कमिटी ने कहा कि मंत्रालय एक बिल लाने की प्रक्रिया में है ताकि डिजिटल पर्सनल डेटा की प्रोसेसिंग के साथ-साथ पर्सनल डेटा की सुरक्षा को संतुलित करने के लिए एक फ्रेमवर्क बनाया जा सके। उसने कहा कि एक उपयुक्त कानून से डेटा सिक्योरिटी बढ़ेगी और यह सुनिश्चित होगा कि पर्सनल इनफॉरमेशन सुरक्षित है। उसने यह भी कहा कि 2022 का ड्राफ्ट बिल पर्सनल डेटा को वर्गीकृत किए बिना, समग्र रूप से सुरक्षा प्रदान करता है। इससे व्याख्या और वर्गीकरण-आधारित सुरक्षा के मुद्दों से बचा जा सकता है।
केंद्र सरकार की नियम बनाने की शक्तियां: 2022 के ड्राफ्ट बिल में ऐसे प्रावधान हैं जो नियमों को निर्धारित करके कानून के प्रत्यायोजन (डेलिगेशन ऑफ लेजिसलेशन) की अनुमति देते हैं। सूचना प्रौद्योगिकी की गतिशील प्रकृति को ध्यान में रखते हुए कमिटी ने अधीनस्थ कानून की गुंजाइश की सराहना की। हालांकि उसने मंत्रालय को आगाह किया कि नियम बनाने की शक्तियों का विवेकपूर्ण ढंग से उपयोग और उन्हें अत्यधिक सावधानी और जिम्मेदारी के साथ लागू किया जाए। असहमति के नोट के अनुसार, ड्राफ्ट बिल में प्रत्यायोजित कानून का अत्यधिक उपयोग किया गया था जिसमें कुछ प्रावधानों के कार्यान्वयन का दायरा और तरीका निर्दिष्ट नहीं किया गया था।
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चुनाव आयोग
Alaya Purewal (alaya@prsindia.org)
मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में संशोधन करने वाला बिल पेश
मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें और कार्यावधि) बिल, 2023 को राज्यसभा में पेश किया गया।[18] यह बिल निर्वाचन आयोग (चुनाव आयुक्तों की सेवा शर्तें और कार्य संचालन) एक्ट, 1991 को निरस्त करता है।[19]
चुनाव आयोग: संविधान के अनुच्छेद 324 के अनुसार, चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और उतने ही अन्य चुनाव आयुक्त (ईसी) होते हैं, जितने राष्ट्रपति तय करें। सीईसी और अन्य ईसी की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। बिल चुनाव आयोग की समान संरचना को निर्दिष्ट करता है। इसमें कहा गया है कि सीईसी और अन्य ईसी की नियुक्ति चयन समिति के सुझावों पर राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी।
चयन समिति (सिलेक्शन कमिटी): चयन समिति में निम्नलिखित शामिल होंगे: (i) अध्यक्ष के रूप में प्रधानमंत्री, (ii) सदस्य के रूप में लोकसभा में विपक्ष के नेता, और (iii) प्रधानमंत्री द्वारा सदस्य के रूप में नामित एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री। अगर लोकसभा में विपक्ष के नेता को मान्यता नहीं दी गई है तो लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल का नेता इस भूमिका में होगा।
खोजबीन समिति (सर्च कमिटी): चयन समिति पर विचार करने के लिए खोजबीन समिति पांच व्यक्तियों का एक पैनल तैयार करेगी। खोजबीन समिति की अध्यक्षता कैबिनेट सचिव करेंगे। इसमें दो अन्य सदस्य होंगे जो केंद्र सरकार के सचिव स्तर से नीचे के नहीं होंगे। उनके पास चुनाव से संबंधित मामलों का ज्ञान और अनुभव होना चाहिए। चयन समिति उन उम्मीदवारों पर भी विचार कर सकती है जिन्हें खोजबीन समिति द्वारा तैयार पैनल में शामिल नहीं किया गया है।
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राष्ट्रपति ने असम में निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन को मंजूरी दी
राष्ट्रपति ने असम में संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन को मंजूरी दे दी है।[20] यह आदेश 16 अगस्त, 2023 से लागू हुआ है। यह आदेश भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) द्वारा लोक प्रतिनिधित्व एक्ट, 1950 के तहत प्रकाशित किया गया था।[21] राज्य के सभी विधानसभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों को 2001 की जनगणना के आधार पर परिसीमित किया गया है। असम में निर्वाचन क्षेत्रों का अंतिम परिसीमन 1971 की जनगणना के आधार पर 1976 में किया गया था।
असम में लोकसभा की 14 सीटें हैं, जिनमें से एक सीट अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित है।[22] राज्य विधानसभा में 126 सीटें हैं जिनमें नौ सीटें अनुसूचित जाति के लिए और 19 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए हैं। लोकसभा और विधानसभा दोनों में सीटों की कुल संख्या में कोई बदलाव नहीं किया गया है। एससी विधानसभा सीटें आठ से बढ़ाकर नौ कर दी गई हैं, जबकि एसटी विधानसभा सीटें 16 से बढ़ाकर 19 कर दी गई हैं।22 इसके अलावा, बोडोलैंड जिलों में विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र 11 से बढ़ाकर 15 कर दिए गए हैं।22
स्टैंडिंग कमिटी ने चुनावी प्रक्रिया और सुधारों पर अपनी रिपोर्ट सौंपी
कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री सुशील कुमार मोदी) ने “चुनावी प्रक्रिया के विशिष्ट पहलू और उनमें सुधार” पर अपनी रिपोर्ट सौंपी।[23] कमिटी ने निर्वाचन प्रक्रिया से संबंधित कुछ मुद्दों की पहचान की: (i) सामान्य मतदाता सूची की स्थिति, और (ii) मतदान करने और चुनाव लड़ने की न्यूनतम आयु। भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) ने एक सामान्य मतदाता सूची बनाने का प्रस्ताव रखा था। सामान्य मतदाता सूची का उद्देश्य मतदाताओं की जानकारी वाली एक केंद्रीकृत रेपोजिटरी के रूप में काम करना है, जिसका एक्सेस ईसीआई और राज्य चुनाव आयोगों सहित सभी संबंधित अधिकारी कर सकें। कमिटी के प्रमुख निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
सामान्य मतदाता सूची: कमिटी ने कहा कि सामान्य मतदाता सूची का उद्देश्य संसाधनों को सुव्यवस्थित करना तथा मेहनत और खर्चों को कम करना है। हालांकि उसे इसके कार्यान्वयन से संबंधित दो मुद्दों की पहचान की: (i) वर्तमान कानूनी ढांचा, और (ii) ईसीई द्वारा मतदाता सूची के निर्माण का मार्गदर्शन करने वाले संवैधानिक नियम। कमिटी ने राज्य की शक्तियों पर संभावित प्रभाव के बारे में चिंता व्यक्त की, क्योंकि पंचायत चुनाव और नगरपालिका चुनाव राज्य चुनाव आयोगों के अधिकार में आते हैं। प्रत्येक स्थानीय चुनाव से पहले राज्य सरकारों और राज्य चुनाव आयोगों द्वारा स्थानीय वार्डों और पंचायतों का परिसीमन अनिवार्य किया जाता है। संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार, स्थानीय चुनाव राज्य का विषय हैं। ईसीआई के पास राज्य चुनाव आयोगों को निर्देश देने का अधिकार नहीं है। इसलिए कमिटी ने सुझाव दिया कि ईसीआई को सामान्य मतदाता सूची तैयार करने से पहले संवैधानिक प्रावधानों पर विचार करना चाहिए।
इसके अतिरिक्त कमिटी ने कहा कि केंद्र सरकार और ईसीआई द्वारा प्रस्तावित सामान्य मतदाता सूची का कार्यान्वयन संविधान के अनुच्छेद 325 के दायरे से बाहर है। कमिटी के अनुसार, अनुच्छेद 325 संसद और राज्य विधानसभाओं के चुनावों के लिए अलग-अलग मतदाता सूचियों के उपयोग को अनिवार्य बनाता है। कमिटी ने केंद्र सरकार को कोई भी कार्रवाई करने से पहले संभावित परिणामों का सावधानीपूर्वक आकलन करने की सलाह दी।
चुनाव लड़ने की आयु: कमिटी ने कहा कि चुनाव में उम्मीदवारी के लिए न्यूनतम आयु की अनिवार्यता को कम करने से युवाओं को लोकतंत्र में शामिल होने के समान अवसर मिलेंगे। उसने राज्य विधानसभा चुनावों में उम्मीदवारी के लिए न्यूनतम आयु की अनिवार्यता को कम करने का सुझाव दिया।
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वित्त
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
संसद ने कुछ गतिविधियों पर जीएसटी लगाने के लिए संशोधन पारित किए
केंद्रीय वस्तु और सेवा कर (संशोधन) बिल, 2023 और एकीकृत वस्तु और सेवा कर (संशोधन) बिल, 2023 संसद में पारित किए गए।[24],[25] ये बिल क्रमशः केंद्रीय वस्तु और सेवा कर (सीजीएसटी) एक्ट, 2017 और एकीकृत वस्तु और सेवा कर (आईजीएसटी) एक्ट, 2017 में संशोधन करते हैं।[26],[27] संशोधनों के अनुसार, सीजीएसटी कैसीनो, घुड़दौड़, जुआ और ऑनलाइन मनी गेमिंग पर लागू होगा। आईजीएसटी ऑनलाइन मनी गेमिंग पर लागू होगा। ऑनलाइन मनी गेमिंग उन ऑनलाइन गेम्स को कहा जाता है, जहां खिलाड़ी पैसे या पैसे के लायक जीत की उम्मीद के साथ पैसे का भुगतान या उसे जमा (वर्चुअल डिजिटल संपत्ति सहित) करते हैं। यह किसी भी खेल, योजना, प्रतियोगिता या अन्य गतिविधि पर लागू होता है, भले ही इसका परिणाम कौशल, अवसर या दोनों पर आधारित हो। इसमें ऑनलाइन मनी गेम शामिल हैं जिन्हें किसी भी कानून के तहत अनुमति दी जा सकती है या प्रतिबंधित किया जा सकता है।
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सेबी ने बड़े कॉरपोरेट्स की उधारियों के फ्रेमवर्क की समीक्षा पर परामर्श पत्र जारी किया
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बड़े कॉरपोरेट्स की उधारियों के फ्रेमवर्क की समीक्षा पर एक परामर्श पत्र जारी किया है।[28] बड़े कॉरपोरेट्स ऐसी संस्थाएं होती हैं जिनके पास: (i) कम से कम 100 करोड़ रुपए का बकाया दीर्घकालिक उधार, (ii) एए और उससे ऊपर की क्रेडिट रेटिंग, और (iii) स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध निर्दिष्ट/ऋण प्रतिभूतियां होती हैं। वर्तमान में बड़े कॉरपोरेट्स को एक वित्तीय वर्ष में अपनी उधारी का कम से कम 25% ऋण प्रतिभूतियां जारी करके जुटाना होता है। हालांकि ऋण प्रतिभूतियां जारी करने की तुलना में बैंकों और वित्तीय संस्थानों से धन जुटाना अधिक लागत प्रभावी माना जाता है। प्रमुख प्रस्तावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
उधारियों की सीमा: सेबी ने बकाया दीर्घकालिक उधारी के आधार पर बड़े कॉरपोरेट्स की पहचान करने की सीमा को 100 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 500 करोड़ रुपए करने का प्रस्ताव दिया है। इससे प्रस्तावित सीमा से नीचे की कंपनियों को फ्रेमवर्क लागू होने के बाद अनुपालन के लिए खुद को तैयार करने का मौका मिलेगा।
बकाया उधारियों की परिभाषा: बकाया दीर्घकालिक उधार और वृद्धिशील उधार (एक वर्ष के दौरान जुटाए गए उधार) में मूल कंपनी और उसकी सहायक कंपनियों के बीच बाहरी वाणिज्यिक उधार और इंटर-कॉरपोरेट उधार शामिल नहीं हैं। सेबी ने कुछ अन्य प्रकार की उधारियों को इससे बाहर करने का प्रस्ताव दिया है जैसे: (i) एक होल्डिंग कंपनी, उसकी सहायक कंपनियों और/या सहयोगी कंपनियों के बीच इंटर-कॉरपोरेट उधार, और (ii) केंद्र सरकार के निर्देशों या दिशानिर्देशों के अनुसार प्राप्त अनुदान, जमा या अन्य फंड।
आरबीआई ने मासिक किस्तों पर फ्लोटिंग ब्याज दर के लिए फ्रेमवर्क जारी किया
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने समान मासिक किश्तों (ईएमआई) में फ्लोटिंग ब्याज दरों को पुनर्गठित करने के लिए एक फ्रेमवर्क जारी किया है।[29] ईएमआई आधारित फ्लोटिंग रेट व्यक्तिगत ऋण स्वीकृत करते समय, रेगुलेटेड संस्थाओं (जैसे बैंकों) को उधारकर्ता की पुनर्भुगतान क्षमता का हिसाब देना होता है। रेगुलेटेड संस्थाओं को यह सुनिश्चित करना होता है कि ऋण अवधि में वृद्धि और/या ईएमआई में वृद्धि के लिए पर्याप्त गुंजाइश मौजूद है। ऐसी बढ़ोतरी बाहरी बेंचमार्क दर (जैसे रेपो रेट) में बढ़ोतरी के कारण हो सकती है। आरबीआई को उपभोक्ताओं से यह शिकायत प्राप्त हुई है कि उधारकर्ता को उचित तरीके से बताए बिना या उनकी सहमति के बिना ऋण अवधि में वृद्धि और/या ईएमआई राशि में वृद्धि की जाती है। नीति की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
उधारकर्ताओं को खुलासा: ऋण स्वीकृत करते समय, रेगुलेटेड संस्थाओं को ऋण अवधि, ईएमआई या दोनों पर बेंचमार्क ब्याज दरों में बदलाव के संभावित प्रभाव के बारे में स्पष्ट रूप से बताना चाहिए। किसी भी वृद्धि की सूचना उधारकर्ता को तुरंत दी जानी चाहिए।
निश्चित ब्याज दर: ब्याज दरों को पुनर्गठित करते समय, उधारकर्ताओं को निश्चित ब्याज दर पर स्विच करने का विकल्प दिया जाना चाहिए। रेगुलेटेड संस्थाओं द्वारा बनाई गई नीति यह निर्दिष्ट कर सकती है कि उधारकर्ता को ऋण की अवधि के दौरान कितनी बार स्विच करने की अनुमति दी जाएगी। ऋण को फ्लोटिंग से निश्चित दर में बदलने के सभी शुल्कों का खुलासा पारदर्शी रूप से ऋण स्वीकृति पत्र में किया जाना चाहिए।
उधारकर्ताओं के लिए विकल्प: उधारकर्ताओं को निम्नलिखित विकल्प चुनने की अनुमति दी जानी चाहिए: (i) ईएमआई में वृद्धि, ऋण अवधि, या दोनों का संयोजन और (ii) अवधि के दौरान किसी भी समय ऋण का पूर्व भुगतान करना।
31 दिसंबर, 2023 से यह फ्रेमवर्क सभी नए और मौजूदा ऋणों पर लागू होगा।
आरबीआई ने ऋण खातों में दंडात्मक शुल्क के लिए निर्देश जारी किए
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने ऋणों पर दंडात्मक ब्याज/शुल्क लगाने के निर्देश जारी किए हैं।[30] ऋण अनुशासन स्थापित करने के लिए दंडात्मक ब्याज/शुल्क लगाया जाता है। इस तरह के शुल्क का उपयोग ब्याज की अनुबंधित दर से अधिक राजस्व को बढ़ाने के लिए नहीं किया जाता है। आरबीआई को सुपरवाइजरी समीक्षाओं से पता चला है कि रेगुलेटेड संस्थाएं (जैसे बैंकों) ऋणों पर दंडात्मक ब्याज/शुल्क के लिए भिन्न पद्धतियों का इस्तेमाल करती हैं। मुख्य निर्देशों में निम्नलिखित शामिल हैं:
दंडात्मक शुल्क की वसूली: ऋण के महत्वपूर्ण नियमों और शर्तों का पालन न करने पर दंड को दंडात्मक शुल्क के रूप में माना जाना चाहिए, न कि दंडात्मक ब्याज के रूप में। दंडात्मक शुल्कों का कोई पूंजीकरण नहीं होना चाहिए, जिसका अर्थ है कि ऐसे शुल्कों पर ब्याज की गणना नहीं की जानी चाहिए। दंडात्मक शुल्क की मात्रा उचित होगी और वह ऋण अनुबंध के महत्वपूर्ण नियमों और शर्तों का गैर अनुपालन के अनुरूप होगी।
व्यक्तिगत उधारकर्ता: गैर-व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए व्यक्तिगत उधारकर्ताओं को दिए गए ऋण पर दंडात्मक शुल्क गैर-व्यक्तिगत उधारकर्ताओं को दिए गए ऋण पर ऐसे शुल्क से अधिक नहीं होना चाहिए।
उधारकर्ताओं को खुलासा: ऋण समझौते में दंडात्मक आरोपों की मात्रा और कारण का स्पष्ट रूप से खुलासा किया जाना चाहिए। रेगुलेटेड संस्थाओं को ब्याज दर में कोई अतिरिक्त घटक शामिल नहीं करना चाहिए।
निर्देश 1 जनवरी, 2024 से लागू होंगे।
सेबी ने शेयरों की स्वैच्छिक डीलिस्टिंग पर परामर्श पत्र जारी किया
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सेबी (इक्विटी शेयरों की डीलिस्टिंग) रेगुलेशन, 2021 के तहत स्वैच्छिक डीलिस्टिंग मानदंडों की समीक्षा पर एक परामर्श पत्र जारी किया है।[31] डीलिस्टिंग रेगुलेशन किसी कंपनी के अधिग्रहणकर्ता/प्रमोटर को सार्वजनिक शेयरधारकों को बाहर निकलने का अवसर प्रदान करने की अनुमति देते हैं, अगर कंपनी को स्टॉक एक्सचेंजों से डीलिस्ट करने की मांग की जाती है। प्रमुख प्रस्तावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
डीलिस्टिंग के लिए काउंटर-ऑफर: अगर अधिग्रहणकर्ता की पोस्ट-ऑफर शेयरधारिता कंपनी के जारी किए गए कुल शेयरों के 90% तक नहीं पहुंचती है, तो डीलिस्टिंग ऑफर विफल माना जाता है। अगर 90% सीमा पूरी हो जाती है, तो एक डिस्कवर्ड कीमत निर्धारित की जाती है। अगर डिस्कवर्ड कीमत अधिग्रहणकर्ता को स्वीकार्य नहीं है, तो वह काउंटर ऑफर दे सकता है। प्राथमिक बाज़ार सलाहकार समिति के एक उप-समूह ने प्रस्ताव दिया है कि अधिग्रहणकर्ता 90% सीमा पूरी न होने पर भी काउंटर-ऑफर दे सकता है। अगर प्राप्त बोलियां निम्नलिखित के बीच अंतर से अधिक हैं, तो अधिग्रहणकर्ता काउंटर ऑफर कर सकता है: (i) अधिग्रहणकर्ता की शेयरधारिता और कंपनी के कुल जारी किए गए शेयरों का 75%, और (ii) सार्वजनिक शेयरधारिता का 50%।
काउंटर-ऑफर मूल्य का निर्धारण: अगर अधिग्रहणकर्ता काउंटर-ऑफर करता है, तो वह मूल्य निम्न में से अधिक होगा: (i) सार्वजनिक शेयरधारकों द्वारा पेश किए गए शेयरों की मात्रा भारित औसत कीमत, और (ii) नियमों के अनुसार निर्धारित प्रारंभिक न्यूनतम मूल्य।
टिप्पणियां 4 सितंबर, 2023 तक आमंत्रित हैं।
सेबी ने ऋण प्रतिभूतियों की डीलिस्टिंग के लिए फ्रेमवर्क को अधिसूचित किया
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सेबी (लिस्टिंग दायित्व और प्रकटीकरण आवश्यकताएं), 2015 में संशोधनों को अधिसूचित किया है।[32],[33] संशोधन गैर-परिवर्तनीय ऋण प्रतिभूतियों और गैर-परिवर्तनीय रीडीमेबल प्रिफरेंस शेयरों की स्वैच्छिक डीलिस्टिंग के लिए फ्रेमवर्क प्रदान करते हैं। ऐसे प्रिफरेंस शेयरों को इक्विटी शेयरों में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है। प्रमुख विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
स्टॉक एक्सचेंज की मंजूरी: एक सूचीबद्ध इकाई को निर्दिष्ट प्रतिभूतियों की सूची से हटाने के लिए संबंधित स्टॉक एक्सचेंज की सैद्धांतिक मंजूरी लेनी होगी। इकाई के बोर्ड द्वारा डीलिस्टिंग प्रस्ताव पारित होने के 15 कार्य दिवसों के भीतर अनुमोदन लेना होता है।
लिस्टेड इकाई के दायित्व: सूचीबद्ध इकाई को ऋण प्रतिभूतियों और प्रिफरेंस शेयरों के धारकों से अनुमोदन प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए। यह स्टॉक एक्सचेंज द्वारा सैद्धांतिक मंजूरी दिए जाने के तीन कार्य दिवसों के भीतर किया जाना है।
डीलिस्टिंग प्रस्तावों की विफलता: डीलिस्टिंग प्रस्ताव निम्नलिखित के न मिलने पर विफल माना जाएगा: (i) स्टॉक एक्सचेंजों से सैद्धांतिक अनुमोदन, (ii) गैर-परिवर्तनीय ऋण प्रतिभूतियों या गैर-परिवर्तनीय रीडीमेबल प्रिफरेंस शेयरों के धारकों से अपेक्षित अनुमोदन, या (ii) ऋण प्रतिभूतियों को सूचीबद्ध करने पर डिबेंचर ट्रस्टी से अनापत्ति पत्र।
प्रदर्शन सत्यापन एजेंसी पर परामर्श पत्र जारी
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने प्रदर्शन सत्यापन एजेंसी पर एक परामर्श पत्र जारी किया है।[34] सेबी पंजीकृत मध्यस्थ/संस्थाएं अधिक ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए अपना प्रदर्शन प्रदर्शित करती हैं। हालांकि इनमें से कुछ संस्थाएं अधिक ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए बढ़े हुए प्रदर्शन के दावे कर सकती हैं। इससे निवेशक गुमराह हो सकते हैं। सेबी ने प्रस्ताव दिया है कि विभिन्न मध्यस्थों और संस्थाओं के प्रदर्शन से संबंधित दावों को मान्य करने के लिए एक स्वतंत्र प्रदर्शन सत्यापन एजेंसी बनाई जाए। प्रदर्शन के दावों को रिटर्न, जोखिम और अस्थिरता जैसे विशिष्ट मापदंडों के आधार पर मान्य किया जाएगा। एजेंसी अपनी मूल्यांकन प्रक्रिया के दौरान प्राप्त जानकारी की गोपनीयता बरकरार रखेगी।
टिप्पणियां 21 सितंबर, 2023 तक आमंत्रित हैं।
खान
Pratinav Damani (pratinav@prsindia.org)
खान और खनिज (विकास एवं रेगुलेशन) बिल, 2023 संसद में पारित
खान और खनिज (विकास एवं रेगुलेशन) संशोधन बिल, 2023 को संसद में पारित कर दिया गया। बिल खान और खनिज (विकास एवं रेगुलेशन) एक्ट, 1957 में संशोधन करता है।[35] एक्ट खनन क्षेत्र को रेगुलेट करता है।[36] मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
पूर्व परीक्षण में उप-सतही गतिविधियां शामिल: एक्ट पूर्व परीक्षण से संबंधित कार्यों को प्रारंभिक पूर्वेक्षण के लिए किए जाने वाले कार्यों के तौर पर परिभाषित करता है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) हवाई सर्वेक्षण, (ii) भूभौतिकीय, और (iii) भू-रासायनिक सर्वेक्षण। इसमें भूवैज्ञानिक मानचित्रण भी शामिल है। एक्ट पूर्व परीक्षण के हिस्से के रूप में गड्ढा खोदने, खाई खोदने, ड्रिलिंग और उप-सतही उत्खनन पर प्रतिबंध लगाता है। बिल इन प्रतिबंधित गतिविधियों की अनुमति देता है।
निर्दिष्ट खनिजों के लिए अन्वेषण (एक्लप्लोरेशन) लाइसेंस: एक्ट में निम्नलिखित प्रकार के कन्सेशन के लिए प्रावधान है: (i) पूर्व परीक्षण के लिए पूर्व परीक्षण परमिट, (ii) पूर्वेक्षण के लिए पूर्वेक्षण लाइसेंस, (iii) खनन करने के लिए खनन पट्टा (लीज़), और (iv) एक मिश्रित लाइसेंस, पूर्वेक्षण और खनन के लिए। बिल एक अन्वेषण लाइसेंस का प्रस्ताव रखता है जोकि निर्दिष्ट खनिजों के लिए पूर्व परीक्षण या पूर्वेक्षण, या दोनों गतिविधियों के लिए अधिकृत करेगा।
सातवीं अनुसूची में निर्दिष्ट 29 खनिजों के लिए अन्वेषण लाइसेंस जारी किया जाएगा। इनमें सोना, चांदी, तांबा, कोबाल्ट, निकल, सीसा, पोटाश और रॉक फॉस्फेट शामिल हैं। एक्ट के तहत परमाणु खनिजों के रूप में वर्गीकृत छह खनिज भी इनमें शामिल हैं: (i) बेरिल और बेरिलियम, (ii) लिथियम, (iii) नाइओबियम, (iv) टाइटेनियम, (v) टैंटलियम, और (vi) ज़िरकोनियम। बिल उन्हें परमाणु खनिजों के रूप में वर्गीकृत करता है। अन्य खनिजों के विपरीत, परमाणु खनिजों का पूर्वेक्षण और खनन एक्ट के तहत सरकारी संस्थाओं के लिए आरक्षित है।
कुछ खनिजों के लिए केंद्र सरकार द्वारा नीलामी: एक्ट के तहत, कुछ निर्दिष्ट मामलों को छोड़कर, कन्सेशन की नीलामी राज्य सरकारों द्वारा की जाती है। बिल में कहा गया है कि निर्दिष्ट महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों के लिए मिश्रित लाइसेंस और खनन पट्टे की नीलामी केंद्र सरकार द्वारा आयोजित की जाएगी। इन खनिजों में लिथियम, कोबाल्ट, निकल, फॉस्फेट, टिन, फॉस्फेट और पोटाश शामिल हैं। हालांकि, राज्य सरकार की ओर से अभी भी कन्सेशंस दिए जाएंगे।
बिल पर पीआरएस के सारांश के लिए कृपया देखें।
अपतटीय क्षेत्र खनिज (विकास और रेगुलेशन) संशोधन बिल, 2023 संसद में पारित
अपतटीय क्षेत्र खनिज (विकास और रेगुलेशन) संशोधन बिल, 2023 को संसद में पारित किया गया। बिल अपतटीय क्षेत्र खनिज (विकास और रेगुलेशन) एक्ट, 2002 में संशोधन करता है।[37] एक्ट भारत के समुद्री क्षेत्रों में खनन को रेगुलेट करता है।[38] मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
कंपोजिट लाइसेंस: बिल अन्वेषण और उत्पादन कार्यों के अधिकार देने के लिए एक कंपोजिट लाइसेंस को शुरू करता है। कंपोजिट लाइसेंस के तहत, लाइसेंसधारी को तीन साल के भीतर अन्वेषण पूरा करना होगा। लाइसेंसधारी द्वारा आवेदन करने पर इसे दो साल तक बढ़ाया जा सकता है। अगर खनिज संसाधन स्थापित किए गए हैं, तो लाइसेंसधारी को अन्वेषण किए गए क्षेत्र के लिए एक या अधिक उत्पादन पट्टे दिए जाएंगे। उत्पादन पट्टा 50 वर्षों के लिए वैध होगा।
कुछ कन्सेशंस के लिए नीलामी अनिवार्य: एक्ट प्रशासनिक आवंटन के माध्यम से कन्सेशंस देने का प्रावधान करता है। बिल निजी संस्थाओं को उत्पादन पट्टा और कंपोजिट लाइसेंस देने के लिए प्रतिस्पर्धी बोली को अनिवार्य करता है। बिल के प्रावधानों के प्रभावी होने की तारीख से पहले उत्पादन पट्टों के लिए आवेदन निरस्त हो जाएंगे। बिल के प्रावधानों के प्रभावी होने की तारीख से पहले दिया गया अन्वेषण लाइसेंस, अन्वेषण किए गए क्षेत्र पर उत्पादन पट्टा प्राप्त करने के लिए अयोग्य होगा।
ऑफशोर एरियाज़ मिनरल ट्रस्ट: बिल ऑफशोर एरियाज़ मिनरल ट्रस्ट की स्थापना करता है। कन्सेशन धारियों को रॉयल्टी के अतिरिक्त ट्रस्ट को एक राशि का भुगतान करना होगा। इस राशि का उपयोग निर्दिष्ट उद्देश्यों के लिए किया जाएगा, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) अपतटीय क्षेत्रों में अन्वेषण, (ii) इकोलॉजी पर अपतटीय खनन के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के बारे में अनुसंधान और अध्ययन, और (iii) आपदा होने पर राहत।
बिल पर पीआरएस के सारांश के लिए कृपया देखें।
शिक्षा
Rutvik Upadhyaya (rutvik@prsindia.org)
संसद ने आईआईएम के प्रशासनिक ढांचे में बदलाव के लिए बिल पारित किया
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (संशोधन) बिल, 2023 को संसद में पारित किया गया।[39] बिल इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एक्ट, 2017 में संशोधन करता है। यह एक्ट इंडियन इंस्टीट्यूट्स ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम) को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान घोषित करता है और उनके कामकाज को रेगुलेट करता है। आईआईएम मैनेजमेंट और संबंधित क्षेत्रों में पोस्टग्रैजुएट शिक्षा प्रदान करते हैं। बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
विज़िटर: बिल भारत के राष्ट्रपति को एक्ट के तहत आने वाले प्रत्येक इंस्टीट्यूट के विज़िटर के रूप में नामित करता है। विज़िटर की शक्तियों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) आईआईएम के कामकाज की जांच शुरू करना, (ii) अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई करना, और (iii) को-ऑर्डिनेशन फोरम के अध्यक्ष की नियुक्ति करना।
आईआईएम के डायरेक्टर्स की नियुक्ति और उन्हें हटाना: एक्ट के तहत, आईआईएम के डायरेक्टर की नियुक्ति एक सर्च-कम-सिलेक्शन कमिटी के सुझावों के आधार पर, बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा की जाती है। बिल बोर्ड को आदेश देता है कि वह इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर की नियुक्त करने से पहले विज़िटर की मंजूरी ले। डायरेक्टर के चयन की प्रक्रिया केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की जाएगी। एक्ट के तहत, सर्च कमिटी में बोर्ड का एक चेयरपर्सन होता है और तीन सदस्य प्रतिष्ठित एडमिनिस्ट्रेटर्स, उद्योगपतियों, शिक्षाविदों में से चुने जाते हैं। बिल इन सदस्यों की संख्या को घटाकर दो करता है, और विज़िटर द्वारा नामित एक और सदस्य को जोड़ता है।
एक्ट के तहत, बोर्ड निम्नलिखित आधार पर डायरेक्टर को पद से हटा सकता है: (i) इनसॉल्वेंसी, (ii) मानसिक और शारीरिक अक्षमता, (iii) हितों का टकराव। बिल में कहा गया है कि डायरेक्टर को हटाने से पहले बोर्ड को विज़िटर की पूर्व मंजूरी की आवश्यकता होगी। बिल विज़िटर को डायरेक्टर की सेवाओं को समाप्त करने का अधिकार भी देता है, जैसा कि निर्दिष्ट किया जा सकता है।
बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के चेयरपर्सन की नियुक्ति: एक्ट के तहत, हर इंस्टीट्यूट के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के चेयरपर्सन की नियुक्ति बोर्ड द्वारा की जाती है। बिल इसमें संशोधन करता है और प्रावधान करता है कि बोर्ड के चेयरपर्सन को विज़िटर द्वारा नामित किया जाएगा।
एनआईटीआईई, मुंबई: बिल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग (एनआईटीआईई), मुंबई को आईआईएम, मुंबई के रूप में वर्गीकृत करता है।
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शिक्षा के लिए नया नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क जारी किया गया
शिक्षा मंत्रालय ने स्कूल शिक्षा के लिए नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ), 2023 को जारी किया है।[40],[41] इसका उद्देश्य स्कूल पाठ्यक्रम के विकास के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत, लक्ष्य, संरचना और तत्व प्रदान करना है। यह नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क, 2005 का स्थान लेता है।[42] इसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के उद्देश्यों के अनुसार तैयार किया गया है।[43] एनईपी ने स्कूली शिक्षा में बदलाव की कल्पना की गई है, जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) चार चरणों में विभाजित स्कूली शिक्षा प्रणाली, (ii) बहु-विषयक शिक्षा, (iii) बहुभाषावाद, और (iv) विषय चयन में लचीलापन। प्रमुख विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
5+3+3+4 चरणीय डिजाइन: एनईपी ने स्कूली प्रणाली (10+2) के मौजूदा डिजाइन को एक ऐसे डिजाइन से बदलने का सुझाव दिया है जो चार चरणों में बांटा गया है। प्रस्तावित डिजाइन में शामिल निम्नलिखित है- (i) बुनियादी चरण (उम्र 3-8), (ii) प्रारंभिक चरण (आयु 8-11), (iii) मध्य चरण (उम्र 11-14), और (iv) माध्यमिक चरण (उम्र 14-18)। एनईपी ने आगे माध्यमिक चरण को दो चरणों में विभाजित करने का प्रस्ताव दिया- कक्षा 9 और 10, और कक्षा 11 और 12। एनसीएफ, 2023 में इस डिजाइन को शामिल किया गया है। इसमें प्रत्येक चरण को विषयों और विशिष्ट शिक्षण उद्देश्यों के तहत संयोजित किया गया है। उदाहरण के लिए, बुनियादी चरण का लक्ष्य शारीरिक, संज्ञानात्मक और भाषा क्षमताओं को विकसित करना है। इस चरण में, विद्यार्थी दो भाषाएं सीखेंगे, और मूलभूत संख्यात्मकता विकसित करेंगे।
भाषा की शिक्षा: एनईपी का लक्ष्य एक विद्यार्थी को तीन भाषाओं में एक स्वतंत्र वक्ता, लेखक और पाठक के रूप में विकसित करना है। एनसीएफ, 2023 इस उद्देश्य को शामिल करता है और भाषा दक्षता के लिए लक्ष्य निर्धारित करता है। एक विद्यार्थी जो पहली भाषा पढ़ता है, वह उस समुदाय की भाषा होगी जिसमें वह रहता है। अन्य भाषा, पहली भाषा के अलावा कोई भी भाषा हो सकती हैं। एनसीएफ के लिए आवश्यक है कि पढ़ाई जाने वाली तीन भाषाओं में से दो भारतीय होनी चाहिए।
बहुअनुशासनात्मक शिक्षा: एनसीएफ, 2023 में कक्षा 11 और 12 के विद्यार्थियों के लिए छह विषयों के अध्ययन का प्रावधान है। इनमें से दो भाषाएं होंगी, जिनमें से एक भारतीय होनी चाहिए। इनके अलावा विद्यार्थी तीन समूहों में से कोई भी चार विषय चुन सकता है। प्रत्येक समूह में समान डोमेन के विषय शामिल हैं। उदाहरण के लिए, विज्ञान, गणित और कम्प्यूटेशनल थिकिंग को एक साथ समूहीकृत किया गया है।
स्वास्थ्य
संसद ने भारत में डेंटिस्ट्री और डेंटल शिक्षा को रेगुलेट करने के लिए बिल पारित किया
Rutvik Upadhyaya (rutvik@prsindia.org)
राष्ट्रीय डेंटल आयोग बिल, 2023 को संसद में पारित कर दिया गया।[44] बिल डेंटिस्ट्स एक्ट, 1948 को निरस्त करता है और निम्नलिखित का गठन करता है: (i) राष्ट्रीय डेंटल आयोग, (ii) डेंटल सलाहकार परिषद और (iii) डेंटल शिक्षा और डेंटिस्ट्री के मानकों को रेगुलेट करने के लिए तीन स्वायत्त बोर्ड। बिल की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
राष्ट्रीय डेंटल आयोग: केंद्र सरकार को 33 सदस्यों वाला एक राष्ट्रीय डेंटल आयोग बनाना होगा। एक प्रतिष्ठित एवं अनुभवी डेंटिस्ट द्वारा इसकी अध्यक्षता की जाएगी। केंद्र सरकार सर्च-कम-सिलेक्शन कमिटी के सुझावों के आधार पर अध्यक्ष की नियुक्ति करेगी। सर्च कमिटी की अध्यक्षता कैबिनेट सचिव द्वारा की जाएगी। आयोग के पदेन सदस्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) तीन स्वायत्त बोर्डों के अध्यक्ष, (ii) स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक, (iii) डेंटल और शैक्षिक अनुसंधान केंद्र, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के प्रमुख। आयोग के अंशकालिक सदस्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) सरकारी संस्थानों में डेंटिस्ट्री की फैकेल्टी और (ii) राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि।
आयोगों के कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) डेंटल शिक्षा, परीक्षा और प्रशिक्षण के लिए गवर्नेंस के मानकों को रेगुलेट करना, (ii) डेंटल संस्थानों और अनुसंधान को रेगुलेट करना, (iii) डेंटल हेल्थकेयर में इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरतों का आकलन करना, और (iv) राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (नीट) के माध्यम से बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी में दाखिला सुनिश्चित करना।
स्वायत्त बोर्ड: केंद्र सरकार को आयोग की देखरेख में तीन स्वायत्त बोर्डों का गठन करना होगा। ये बोर्ड निम्नलिखित हैं: (i) अंडरग्रैजुएट और पोस्टग्रैजुएट डेंटल शिक्षा बोर्ड- यह बोर्ड शिक्षा मानकों को निर्धारित करने, पाठ्यक्रम विकसित करने और डेंटल क्वालिफिकेशन को मान्यता देने के लिए जिम्मेदार होगा, (ii) डेंटल मूल्यांकन और रेटिंग बोर्ड- डेंटल संस्थानों के लिए अनुपालन की मूल्यांकन प्रक्रिया को निर्धारित करने, नए संस्थान स्थापित करने की अनुमति देने और निरीक्षण एवं रेटिंग के लिए जिम्मेदार होगा, और (iii) एथिक्स और डेंटल रजिस्ट्रेशन बोर्ड- डेंटिस्ट्स/डेंटल सहायकों के ऑनलाइन राष्ट्रीय रजिस्टरों को मेनटेन करने, लाइसेंस निलंबित/रद्द करने और आचरण, नैतिकता के मानक और प्रैक्टिस के दायरे को रेगुलेट करने के लिए जिम्मेदार होगा।
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राष्ट्रीय नर्सिंग और मिडवाइफरी आयोग बिल, 2023 पारित
Priyadarshini Jain (priyadarshini@prsindia.org)
राष्ट्रीय नर्सिंग और मिडवाइफरी आयोग बिल, 2023 को संसद में पारित कर दिया गया।[45] यह बिल भारतीय नर्सिंग काउंसिल एक्ट, 1947 को निरस्त करता है।[46] बिल नर्सिंग और मिडवाइफरी प्रोफेशनल्स के लिए शिक्षा और सेवाओं के मानकों के रेगुलेशन और मेनटेनेंस का प्रावधान करता है। बिल की मुख्य विशेषताएं हैं:
राष्ट्रीय नर्सिंग और मिडवाइफरी आयोग: बिल राष्ट्रीय नर्सिंग और मिडवाइफरी आयोग के गठन का प्रावधान करता है। इसमें 29 सदस्य होंगे। चेयरपर्सन के पास नर्सिंग और मिडवाइफरी में पोस्टग्रैजुएट डिग्री होनी चाहिए और इस क्षेत्र में कम से कम 20 वर्ष का अनुभव होना चाहिए। पदेन सदस्यों में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग, सैन्य नर्सिंग सेवा और स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के प्रतिनिधि शामिल हैं। अन्य सदस्यों में नर्सिंग और मिडवाइफरी प्रोफेशनल्स और धर्मार्थ संस्थानों का एक प्रतिनिधि शामिल हैं।
आयोग के कार्य: आयोग के कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) नर्सिंग और मिडवाइफरी शिक्षा के लिए नीतियां तैयार करना और मानकों को रेगुलेट करना, (ii) नर्सिंग और मिडवाइफरी संस्थानों में प्रवेश के लिए एक समान प्रक्रिया प्रदान करना, (iii) नर्सिंग और मिडवाइफरी संस्थानों को रेगुलेट करना, और (iv) शिक्षण संस्थानों में फैकेल्टी के लिए मानक प्रदान करना।
स्वायत्त बोर्ड: बिल राष्ट्रीय आयोग की देखरेख में तीन स्वायत्त बोर्ड्स के गठन का प्रावधान करता है। ये इस प्रकार हैं: (i) नर्सिंग और मिडवाइफरी अंडरग्रैजुएट और पोस्टग्रैजुएट शिक्षा बोर्ड, जोकि अंडरग्रैजुएट और पोस्टग्रैजुएट स्तर पर शिक्षा और परीक्षाओं को रेगुलेट करेगा, (ii) नर्सिंग और मिडवाइफरी मूल्यांकन और रेटिंग बोर्ड, जोकि नर्सिंग और मिडवाइफरी संस्थानों के मूल्यांकन और रेटिंग के लिए फ्रेमवर्क प्रदान करेगा, और (iii) नर्सिंग और मिडवाइफरी नीति और पंजीकरण बोर्ड, जोकि पेशेवर आचरण को रेगुलेट करेगा और इस पेशे में नैतिकता को बढ़ावा देगा।
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कैग ने आयुष्मान भारत-पीएमजेएवाई पर अपनी ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत की
Rutvik Upadhyaya (rutvik@prsindia.org)
भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) ने 'आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) के प्रदर्शन ऑडिट' पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।[47] इस योजना का लक्ष्य माध्यमिक और तृतीयक स्वास्थ्य केंद्रों में भर्ती के लिए प्रति वर्ष प्रति परिवार पांच लाख रुपए का स्वास्थ्य कवर प्रदान करना है। योजना के तहत लाभार्थियों का चयन सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (एसईसीसी), 2011 के आधार पर किया जाता है। रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्षों में निम्नलिखित शामिल हैं:
लाभार्थियों का समावेश: पंजीकरण के लिए आवेदन करने पर आवेदक के विवरण का मिलान पात्र लाभार्थियों की सूची वाले डेटाबेस से किया जाता है। 0 और 100 के बीच एक स्कोर जनरेट होता है और प्रासंगिक दस्तावेज़ अनुमोदन के लिए भेजे जाते हैं। अनुमोदन या अस्वीकृति के लिए स्कोर की कोई सीमा निर्धारित नहीं की गई है। कैग रिपोर्ट से पता चलता है कि कुल स्वीकृत मामलों (11 करोड़) में से 32% में कोई मिलान स्कोर नहीं था, और 15% में मिलान स्कोर शून्य था। इसका तात्पर्य यह है कि आवेदकों द्वारा दिए गए विवरण डेटाबेस में दिए गए विवरण से मेल नहीं खाते। रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि अपात्र लाभार्थियों, विशेषकर सरकारी कर्मचारियों के परिवारों को भी इसमें शामिल किया गया है।
डेटाबेस में त्रुटियां: रिपोर्ट एसईसीसी, 2011 डेटाबेस को पुराना मानती है और बताती है कि उसमें विसंगतियों हैं। इनमें निम्नलिखित त्रुटियां शामिल हैं जैसे: (i) अमान्य नाम, (ii) नाम और जेंडर वाले कॉलम का खाली होना, (iii) अवास्तविक जन्म तिथियां और पारिवारिक इकाई का आकार। इन्हें मिलाकर लगभग दो करोड़ प्रविष्टियां बनती हैं। रिपोर्ट में लाभार्थियों के पीएमजेएवाई डेटा में विसंगतियों का भी खुलासा किया गया है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) डुप्लीकेट पीएमजेएवाई आईडी, (ii) पारिवारिक इकाइयों का अवास्तविक आकार, (iii) एक जैसे/गलत आधार कार्ड नंबर, और (iv) अमान्य मोबाइल नंबर।
दावों का प्रबंधन: 2022 तक निपटाए गए दावों में से 53% दावे उन राज्यों के थे जिन्होंने अपनी बीमा स्वास्थ्य योजनाएं लागू की हैं, जैसे आंध्र प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र। इन राज्यों में सभी राज्य योजनाओं के दावे उनके अपने आईटी प्रबंधन सिस्टम में फीड किए जाते हैं। जब यह डेटा पीएमजेएवाई की प्रबंधन प्रणाली में स्थानांतरित किया जाता है, तो राज्य विशिष्ट योजनाओं के साथ पीएमजेएवाई के ओवरलैप होने की आशंका होती है।
संसद ने फार्मेसी (संशोधन) बिल, 2023 को पारित किया
Rutvik Upadhyaya (rutvik@prsindia.org)
फार्मेसी (संशोधन) बिल, 2023 को संसद में पारित किया गया।[48] यह फार्मेसी एक्ट, 1948 में संशोधन करता है। एक्ट फार्मेसी की प्रैक्टिस और पेशे को रेगुलेट करता है। भारत में फार्मेसी की प्रैक्टिस करने के लिए फार्मेसी एक्ट, 1948 के तहत पंजीकरण अनिवार्य है। बिल निर्दिष्ट करता है कि अगर कोई व्यक्ति जम्मू और कश्मीर फार्मेसी एक्ट, 2011 के तहत फार्मासिस्ट के रूप में पंजीकृत है या 2011 के एक्ट के तहत निर्धारित योग्यता रखता है, उसे फार्मेसी एक्ट, 1948 के तहत फार्मासिस्ट के रूप में पंजीकृत माना जाएगा। इसके लिए किसी व्यक्ति को संशोधन के लागू होने के एक वर्ष के भीतर पंजीकरण के लिए आवेदन और एक निर्धारित शुल्क जमा करना होगा।
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स्टैंडिंग कमिटी ने मानसिक स्वास्थ्य पर रिपोर्ट सौंपी
Rutvik Upadhyaya (rutvik@prsindia.org)
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री भुवनेश्वर कलिता) ने 'समसामयिक दौर में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल और उसका प्रबंधन' पर अपनी रिपोर्ट पेश की।[49] मानसिक स्वास्थ्य मानसिक कल्याण की स्थिति को संदर्भित करता है जो लोगों को जीवन के तनाव से निपटने के लिए सक्षम बनाता है। कमिटी ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएं बढ़ रही हैं और इस कारण इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थिति, रेगुलेटरी संरचना और उसके प्रसार के कारणों की समीक्षा की जानी चाहिए। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
भारत में मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति: स्वास्थ्य और कल्याण मंत्रालय ने 2015-16 में एक मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण शुरू किया था। सर्वेक्षण ने भारत में मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जहां अधिकांश मानसिक बीमारियों के उपचार में उच्च अंतराल है। उपचार अंतराल उपचार की आवश्यकता और पहुंच के बीच का अंतर होता है।
कमिटी ने गौर किया कि 2015-16 के सर्वेक्षण में उजागर किए गए मुद्दे 2023 में भी बरकरार हैं। उसने कहा कि उपचार अंतराल में सुधार की काफी गुंजाइश है। अंतराल के कारणों में मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों (प्रोफेशनल्स) की कमी, खराब इंफ्रास्ट्रक्चर, मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी शर्मिन्दगी शामिल हैं।
कमिटी ने यह भी गौर किया कि हालांकि सर्वेक्षण उपयोगी था, लेकिन इसमें कई ऐसे मुद्दे थे जिन पर बाद में काम किया जा सकता है। इनमें निम्नलिखित मुद्दे शामिल हैं: (i) एक छोटा सैंपल लेना, (ii) क्लिनिकल ट्रायल्स की बजाय सेल्फ रिपोर्टिंग पर भरोसा करना और (iii) विशिष्ट संवेदनशील जनसंख्या जैसे कैदियों को इससे बाहर रखना शामिल है।
मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों की उपलब्धता: भारत में वर्तमान में प्रति लाख लोगों पर 0.75 मनोचिकित्सक हैं जो काफी कम है। कमिटी ने कहा कि अगर भारत प्रति लाख लोगों पर तीन मनोचिकित्सकों का लक्ष्य रखता है तो उसे 27,000 और मनोचिकित्सकों की आवश्यकता होगी। यही स्थिति अन्य पेशेवरों जैसे मनोवैज्ञानिकों, मनोरोग सामाजिक कार्यकर्ताओं और नर्सों की भी है। कमिटी ने एमडी मनोचिकित्सा पाठ्यक्रमों के लिए सीटें बढ़ाने का भी सुझाव दिया।
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कानून एवं न्याय
Alaya Purewal (alaya@prsindia.org)
मध्यस्थता बिल 2021 संसद में पारित
मध्यस्थता के लिए अनुपयुक्त विवाद: बिल भारत में संचालित कुछ मध्यस्थता कार्यवाहियों पर लागू होगा (उदाहरण के लिए, अगर मध्यस्थता समझौते में कहा गया है कि मध्यस्थता इस बिल के अनुसार होगी, या किसी वाणिज्यिक विवाद से संबंधित अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता पर)। बिल कुछ विवादों को मध्यस्थता के लिए उपयुक्त नहीं मानता है। इनमें निम्नलिखित विवाद शामिल हैं: (i) नाबालिगों या मानसिक रूप से अस्वस्थ लोगों के खिलाफ दावों से संबंधित, (ii) क्रिमिल अपराध के अभियोजन से जुड़े हुए, (iii) तीसरे पक्ष के अधिकारों को प्रभावित करने वाले, और (iv) करों की वसूली या कलेक्शन से संबंधित। केंद्र सरकार विवादों की इस सूची में संशोधन कर सकती है।
मध्यस्थता की प्रक्रिया: सिविल या कमर्शियल विवाद के मामले में व्यक्ति को अदालत या किन्हीं ट्रिब्यूनल्स (जिन्हें अधिसूचित किया जाएगा) से संपर्क करने से पहले मध्यस्थता के जरिए विवाद को सुलझाने का प्रयास करना चाहिए। मध्यस्थता की प्रक्रिया गोपनीय होगी। पहले दो सत्रों के बाद कोई पक्ष मध्यस्थता से हट सकता है। मध्यस्थता की प्रक्रिया 120 दिनों में खत्म होनी चाहिए जिसे विभिन्न पक्षों द्वारा 60 दिनों तक और बढ़ाया जा सकता है।
मध्यस्थ: मध्यस्थ विभिन्न पक्षों के विवाद सुलझाने में मदद करते हैं। मध्यस्थों को निम्नलिखित द्वारा नियुक्त किया जा सकता है: (i) आपसी रजामंदी से पक्षों द्वारा, या (ii) मध्यस्थता सेवा प्रदाता (मध्यस्थता का संचालन करने वाली संस्था) द्वारा। मध्यस्थों को हितों के किसी टकराव का खुलासा करना चाहिए जोकि उनकी स्वतंत्रता पर संदेह पैदा करता हो। तब पक्ष उसे बदलने का विकल्प चुन सकते हैं। इसके अतिरिक्त भारतीय मध्यस्थता परिषद मध्यस्थों का पंजीकरण करेगी और मध्यस्थता सेवा प्रदाताओं को मान्यता देगी।
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एडवोकेट्स एक्ट, 1961 में संशोधन करने वाला बिल राज्यसभा में पारित
एडवोकेट्स (संशोधन) बिल, 2023 को राज्यसभा में पारित कर दिया गया।[52] बिल लीगल प्रैक्टीशनर्स एक्ट, 1879 के तहत दलालों (टाउट्स) से संबंधित कुछ धाराओं को निरस्त करता है और उन्हें एडवोकेट्स एक्ट, 1961 में शामिल करता है।[53],[54] 1961 का कानून लीगल प्रैक्टिशनर्स से संबंधित कानून को एक करता है और बार काउंसिल और ऑल-इंडिया बार का गठन करता है। बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
दलाल: बिल में प्रावधान है कि प्रत्येक उच्च न्यायालय, जिला न्यायाधीश, सत्र न्यायाधीश, जिला मजिस्ट्रेट और राजस्व अधिकारी (जिला कलेक्टर के पद से नीचे नहीं) दलालों की सूची तैयार और प्रकाशित कर सकते हैं। दलाल एक ऐसे व्यक्ति को कहा जाता है जो: (i) या तो किसी भुगतान के बदले में लीगल बिजनेस में एक लीगल प्रैक्टीशनर को रोजगार दिलाने की पेशकश करता है या रोजगार दिलाता है, या (iii) ऐसे रोजगार दिलाने के लिए दीवानी या फौजदारी अदालतों के परिसर, राजस्व-कार्यालयों या रेलवे स्टेशनों जैसी जगहों पर बार-बार जाता है। न्यायालय या न्यायाधीश किसी भी ऐसे व्यक्ति को न्यायालय परिसर से बाहर कर सकता है जिसका नाम दलालों की सूची में शामिल है।
सूची तैयार करना: दलालों की सूची तैयार और प्रकाशित करने के लिए अधिकृत अथॉरिटीज़ अधीनस्थ अदालतों को आदेश दे सकती हैं कि वे दलाल के तौर पर आरोपित या संदिग्ध व्यक्तियों के आचरण की जांच करें। एक बार किसी व्यक्ति के दलाल साबित होने पर अथॉरिटी उसका नाम दलालों की सूची में शामिल कर सकती है। इन सूचियों में नाम शामिल करने से पहले किसी भी व्यक्ति को यह बताने का मौका दिया जाना चाहिए कि उसका नाम उस सूची में क्यों न शामिल किया जाए।
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स्टैंडिंग कमिटी ने न्यायिक प्रक्रिया और सुधारों पर अपनी रिपोर्ट सौंपी
कार्मिक, लोक शिकायत और कानून एवं न्याय संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री सुशील कुमार मोदी) ने "न्यायिक प्रक्रियाएं और उनमें सुधार" पर अपनी रिपोर्ट सौंपी।[55] कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
सर्वोच्च न्यायालय की क्षेत्रीय पीठ: कमिटी ने गौर किया कि सर्वोच्च न्यायालय के दिल्ली में केंद्रित होने की वजह से देश के दूर-दराज इलाकों से आने वाले वादियों के लिए कठिनाइयां पैदा होती है। कमिटी ने सर्वोच्च न्यायालय की चार या पांच क्षेत्रीय पीठों की स्थापना का सुझाव दिया। उसने सुझाव दिया कि क्षेत्रीय पीठ अपीलीय मामलों पर निर्णय ले सकती हैं, जबकि संवैधानिक मामलों को दिल्ली में निपटाया जा सकता है।
न्यायाधीशों की नियुक्ति में सामाजिक विविधता: कमिटी ने गौर किया कि उच्च न्यायपालिका (सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय) में विविधता की कमी है। उसने कहा कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, महिलाओं और अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व वांछित स्तर से काफी कम है और यह भारत की सामाजिक विविधता को प्रतिबिंबित नहीं करता। उदाहरण के लिए, 2018 के बाद से उच्च न्यायालय में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के न्यायाधीशों की नियुक्ति का प्रतिशत क्रमशः 3% और 1.5% था। इसके अलावा कमिटी ने कहा कि उच्च न्यायपालिका की न्यायिक नियुक्तियों में आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है। उसने सुझाव दिया कि सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के कॉलेजियम को अल्पसंख्यकों सहित हाशिए पर धकेले गए समुदायों से पर्याप्त संख्या में महिला और पुरुष उम्मीदवारों की सिफारिश करनी चाहिए। उसने सुझाव दिया कि न्याय विभाग वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों में सेवारत न्यायाधीशों की सामाजिक स्थिति के आंकड़े एकत्र करे।
न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु: कमिटी ने कहा कि चिकित्सा विज्ञान में प्रगति और दीर्घ जीवन के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाए जाने की आवश्यकता है। वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए सेवानिवृत्ति की आयु क्रमशः 65 और 62 वर्ष है। उसने सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने और संविधान के प्रासंगिक अनुच्छेदों में संशोधन करने का सुझाव दिया।
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समन्वय
Alaya Purewal (alaya@prsindia.org)
बहु-राज्यीय सहकारी समिति (संशोधन) बिल, 2022 को संसद ने पारित किया
बहु-राज्यीय सहकारी समिति (संशोधन) बिल, 2022 को संसद में पारित कर दिया गया।[56] यह बिल बहु-राज्यीय सहकारी समिति एक्ट, 2002 में संशोधन करता है।[57] बहु-राज्यीय सहकारी समितियां एक से अधिक राज्यों में काम करती हैं। बिल को 22 दिसंबर, 2022 को ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमिटी को भेजा गया था। कमिटी ने बिल के प्रावधानों को मंजूर कर लिया। मबिल के मुख्य प्रावधानों में निम्नलिखित शामिल हैं:
बोर्ड के सदस्यों का निर्वाचन: एक्ट के तहत बहु-राज्यीय सहकारी समिति के बोर्ड का निर्वाचन उसके मौजूदा बोर्ड द्वारा किया जाता है। बिल इसमें संशोधन करता है और निर्दिष्ट करता है कि केंद्र सरकार इन चुनावों को कराने के लिए सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण बनाएगी। प्राधिकरण में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और तीन सदस्य होंगे। केंद्र सरकार चयन समिति के सुझावों के आधार पर इन सदस्यों की नियुक्ति करेगी।
शिकायतों का निवारण: बिल के अनुसार, केंद्र सरकार प्रादेशिक क्षेत्राधिकार के साथ एक या एक से अधिक सहकारी ऑम्बुड्ज़्मैन की नियुक्ति करेगी। ऑम्बुड्ज़्मैन निम्नलिखित के संबंध में सहकारी समितियों के सदस्यों की शिकायतों की जांच करेगा: (i) उनकी जमा, (ii) समिति के कामकाज के उचित लाभ, या (iii) सदस्यों के व्यक्तिगत अधिकारों को प्रभावित करने वाले मुद्दे। ऑम्बुड्ज़्मैन शिकायत प्राप्त होने के तीन महीनों के भीतर जांच और अधिनिर्णय की प्रक्रिया को पूरी करेगा। ऑम्बुड्ज़्मैन के निर्देशों के खिलाफ एक महीने के भीतर केंद्रीय रजिस्ट्रार (जिसकी नियुक्ति केंद्र सरकार करती है) में अपील दायर की जा सकती है।
सहकारी समितियों का एकीकरण: एक्ट में बहु-राज्यीय सहकारी समितियों के एकीकरण और विभाजन का प्रावधान है। आम बैठक में एक प्रस्ताव पारित करके, ऐसा किया जा सकता है। इसके लिए मौजूद और वोट करने वाले कम से कम दो तिहाई सदस्यों की जरूरत होती है। बिल सहकारी समितियों (राज्य कानूनों के तहत पंजीकृत) को मौजूदा बहु-राज्यीय सहकारी समिति में विलय होने की अनुमति देता है। इस विलय के लिए आम बैठक में सहकारी समिति के मौजूदा और वोट देने वाले दो तिहाई सदस्यों को प्रस्ताव पारित करना होगा।
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रक्षा
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
संसद ने अंतर सेवा संगठन बिल, 2023 को पारित किया
संसद ने अंतर-सेवा संगठन (कमान, नियंत्रण और अनुशासन) बिल, 2023 को पारित कर दिया।[58] यह अंतर-सेवा संगठनों के कमांडर-इन-चीफ या ऑफिसर-इन-कमांड को यह अधिकार देता है कि वे अपनी कमान के तहत आने वाले सेवाकर्मियों पर अनुशासनात्मक या प्रशासनिक नियंत्रण रख सकते हैं, भले ही वे किसी भी सेवा के हों। बिल को ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमिटी को भेजा गया था, जिसने उसे मंजूर कर दिया। बिल की प्रमुख विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
अंतर-सेवा संगठन: मौजूदा अंतर-सेवा संगठनों को बिल के तहत गठित माना जाएगा। इनमें अंडमान एवं निकोबार कमान, रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी शामिल हैं। केंद्र सरकार एक अंतर-सेवा संगठन का गठन कर सकती है जिसमें तीन सेवाओं में से कम से कम दो से संबंधित कर्मचारी हों: थलसेना, नौसेना और वायुसेना। इन्हें ऑफिसर-इन-कमांड के अधीन रखा जा सकता है। इन संगठनों में एक संयुक्त सेवा कमान भी शामिल हो सकती है, जिसे कमांडर-इन-चीफ के कमान के तहत रखा जा सकता है।
अंतर-सेवा संगठन का नियंत्रण: वर्तमान में अंतर-सेवा संगठनों के कमांडर-इन-चीफ या ऑफिसर-इन-कमांड को अन्य सेवाओं से संबंधित कर्मियों पर अनुशासनात्मक या प्रशासनिक शक्तियों का प्रयोग करने का अधिकार नहीं है। बिल किसी अंतर-सेवा संगठन के कमांडर-इन-चीफ या ऑफिसर-इन-कमांड को इसमें सेवारत या इससे जुड़े कर्मियों पर कमान और नियंत्रण करने का अधिकार देता है। वह अनुशासन बनाए रखने और सेवा कर्मियों द्वारा कर्तव्यों का उचित निर्वहन सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होगा।
अंतर-सेवा संगठन का अधीक्षण केंद्र सरकार में निहित होगा। सरकार ऐसे संगठनों को राष्ट्रीय सुरक्षा, सामान्य प्रशासन या जनहित के आधार पर निर्देश भी जारी कर सकती है।
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सूचना एवं प्रसारण
Pratinav Damani (pratinav@prsindia.org)
प्रेस और पीरिऑडिकल्स पंजीकरण बिल, 2023 राज्यसभा में पारित
प्रेस और पीरिऑडिकल्स पंजीकरण बिल, 2023 को राज्यसभा में पारित कर दिया गया और यह लोकसभा में लंबित है। यह प्रेस और पीरिऑडिकल्स पंजीकरण एक्ट, 1867 को निरस्त करता है।[59] एक्ट समाचार पत्रों, पीरिऑडिकल्स और पुस्तकों के पंजीकरण का प्रावधान करता है।[60] बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
पीरिऑडिकल्स का पंजीकरण: बिल पीरिऑडिकल्स के पंजीकरण का प्रावधान करता है, जिसमें सार्वजनिक समाचार या सार्वजनिक समाचार पर टिप्पणियों वाला कोई भी पब्लिकेशन शामिल है। पीरिऑडिकल्स में किताबें या वैज्ञानिक और अकादमिक पत्रिकाएं शामिल नहीं हैं।
विदेशी पीरिऑडिकल्स: किसी विदेशी पीरिऑडिकल के हूबहू रीप्रोडक्शन को भारत में सिर्फ तभी प्रिंट किया जा सकता है, जब केंद्र सरकार की पूर्व मंजूरी ली जाए। इन पीरिऑडिकल्स के पंजीकरण के तरीके को निर्दिष्ट किया जाएगा।
भारतीय प्रेस रजिस्ट्रार जनरल: बिल में भारत के प्रेस रजिस्ट्रार जनरल का प्रावधान है जो सभी पीरिऑडिकल्स के लिए पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी करेगा। प्रेस रजिस्ट्रार जनरल के अन्य कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) पीरिऑडिकल्स का एक रजिस्टर मेनटेन करना, (ii) पीरिऑडिकल्स के टाइटिल की मान्यता के लिए दिशानिर्देश बनाना, (iii) निर्दिष्ट पीरिऑडिकल्स के सर्कुलेशन के आंकड़ों की पुष्टि करना, और (iv) पंजीकरण को संशोधित, निलंबित या रद्द करना।
पंजीकरण को निरस्त और रद्द करना: बिल प्रेस रजिस्ट्रार जनरल को किसी पीरिऑडिकल के पंजीकरण को न्यूनतम 30 दिनों की अवधि के लिए निलंबित करने की अनुमति देता है जिसे 180 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है। पंजीकरण निम्नलिखित के कारण निलंबित किया जा सकता है: (i) गलत जानकारी देकर पंजीकरण प्राप्त करना, (ii) पीरिऑडिकल्स को लगातार छाप न पाना, और (iii) वार्षिक विवरण में गलत विवरण देना। अगर पब्लिशर इन दोषों को ठीक नहीं करता है तो प्रेस रजिस्ट्रार जनरल पंजीकरण रद्द कर सकता है। पंजीकरण निम्नलिखित स्थितियों में भी रद्द किया जा सकता है: (i) अगर किसी पीरिऑडिकल का टाइटिल किसी दूसरे पीरिऑडिकल के जैसा या उससे मिलता-जुलता है, (ii) मालिक/पब्लिशर को आतंकवादी कृत्य या गैरकानूनी गतिविधि, या राज्य की सुरक्षा के खिलाफ काम करने का दोषी ठहराया गया हो।
बिल पर पीआरएस के सारांश के लिए कृपया देखें।
स्टैंडिंग कमिटी ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के कामकाज पर रिपोर्ट सौंपी
संचार और सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री प्रतापराव जाधव) ने 1 अगस्त, 2023 को 'केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के कामकाज की समीक्षा' पर अपनी रिपोर्ट जारी की।[61] कमिटी के मुख्य निष्कर्ष और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
सीबीएफसी की बदलाव करने की शक्ति: कमिटी ने चर्चा की कि क्या बोर्ड को: (i) केवल फिल्मों को प्रमाणित करना चाहिए, (ii) फिल्मों को प्रमाणित करने से पहले कटौती/कांट-छांट करने की अनुमति दी जानी चाहिए या (iii) फिल्मों को बिल्कुल भी रेगुलेट नहीं करना चाहिए। इसमें कहा गया है कि एक सरल प्रमाणन मॉडल दर्शकों को कंटेंट का विकल्प प्रदान करता है। सीबीएफसी ने कहा कि फिल्म निर्माता अक्सर स्वेच्छा से कटौती करते हैं क्योंकि वे इस बात से अनजान होते हैं कि क्या विशेष दृश्य नियमों का उल्लंघन करते हैं।
हालांकि कमिटी ने कहा कि बिना काट-छांट के प्रमाणित होने वाली फिल्मों की संख्या में तेजी से कमी आई है। कमिटी ने कहा कि भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में विचार-विमर्श और प्रमाणन की आवश्यकता है, जहां लोगों की संवेदनाओं का ध्यान रखा जाना चाहिए। साथ ही बोलने और कलात्मक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करने की भी आवश्यकता है। कमिटी ने सुझाव दिया कि सीबीएफसी इन दोनों के बीच संतुलन बनाए। उसने यह भी सुझाव दिया कि कंटेंट बनाने और उपभोग करने के बदलते तरीकों के साथ अधिक वस्तुनिष्ठ मापदंडों वाला एक नया प्रमाणन मॉडल निर्धारित किया जाना चाहिए।
बोर्ड की संरचना: सीबीएफसी में 12-25 सदस्य हैं जो शिक्षा, कला, फिल्म और सामाजिक विज्ञान जैसे क्षेत्रों के प्रतिष्ठित व्यक्तित्व हैं। कमिटी ने कहा कि सीबीएफसी के पास पर्याप्त संख्या में कर्मचारी हैं और महिलाओं का पर्याप्त प्रतिनिधित्व है। हालांकि उसने यह अनिवार्य करने का सुझाव दिया कि बोर्ड में एक तिहाई महिला सदस्य हों। उसने यह सुझाव भी दिया कि समावेश सुनिश्चित करने के लिए सीबीएफसी में आम जनता का कुछ प्रतिनिधित्व होना चाहिए।
विशेष जरूरतों वाले व्यक्तियों के लिए पहल: अक्टूबर 2019 में मंत्रालय ने ऑडियो विवरण और क्लोस्ड कैप्शनिंग का उपयोग करके फिल्मों को अधिक सुगम्य (एसेसिबल) बनाने के लिए एक एडवाइडरी जारी की थी। तब से केवल एक फिल्म को सुगम्य के रूप में प्रमाणित किया गया है। कमिटी ने मंत्रालय से ऐसी पहल के ठोस परिणाम सुनिश्चित करने का आग्रह किया।
संचार
Pratinav Damani (pratinav@prsindia.org)
डाकघर बिल, 2023 को राज्यसभा में पेश किया गया
डाकघर बिल, 2023 को राज्यसभा में पेश किया गया। यह भारतीय डाकघर एक्ट, 1898 को निरस्त करता है. और उसका स्थान लेता है।[62] एक्ट डाकघर के कामकाज से संबंधित मामलों को रेगुलेट करता है।[63] बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
केंद्र सरकार के विशेष विशेषाधिकारों को हटाना: एक्ट में प्रावधान है कि जहां भी केंद्र सरकार डाकघर स्थापित करती है, उसे डाक द्वारा पत्र भेजने के साथ-साथ पत्र प्राप्त करने, एकत्र करने, भेजने और वितरित करने जैसी आकस्मिक सेवाओं का विशेष विशेषाधिकार होगा। बिल में ऐसे विशेषाधिकार शामिल नहीं हैं। हालांकि केंद्र सरकार को डाक टिकट जारी करने का विशेष विशेषाधिकार होगा।
शिपमेंट्स को इंटरसेप्ट करने की शक्तियां: एक्ट कुछ आधार पर पोस्ट के माध्यम से भेजे जाने वाले शिपमेंट के इंटरसेप्शन की अनुमति देता है। किसी भी सार्वजनिक आपातकाल की स्थिति में, या सार्वजनिक सुरक्षा या शांति के हित में इंटरसेप्शन किया जा सकता है। केंद्र सरकार, राज्य सरकारों या उनके द्वारा विशेष रूप से अधिकृत कोई अधिकारी यह इंटरसेप्शन कर सकते हैं।
बिल में प्रावधान है कि डाक के माध्यम से भेजे जाने वाले शिपमेंट को निम्नलिखित आधार पर इंटरसेप्ट किया जा सकता है: (i) राज्य की सुरक्षा, (ii) विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध, (iii) सार्वजनिक व्यवस्था, आपातकाल, या सार्वजनिक सुरक्षा, और (iv) बिल या किसी अन्य कानून के प्रावधानों का उल्लंघन। एक अधिसूचना के माध्यम से केंद्र सरकार द्वारा अधिकार प्राप्त अधिकारी इंटरसेप्शन को अंजाम दे सकता है।
अपराध और सजा को हटाना: एक्ट विभिन्न अपराधों और दंडों को निर्दिष्ट करता है, जैसे डाकघर के किसी अधिकारी द्वारा डाक वस्तुओं की चोरी, हेराफेरी या नष्ट करना। जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) एक्ट, 2023, सभी अपराधों और दंडों को हटाने के लिए भारतीय डाकघर एक्ट, 1898 में संशोधन करता है।[64] बिल एक को छोड़कर किसी भी अपराध या परिणाम का प्रावधान नहीं करता है। अगर उपयोगकर्ता किसी राशि का भुगतान नहीं करता या उसे नजरंदाज करता है, तो वह राशि भू-राजस्व के बकाये के रूप में वसूली योग्य होगी।
बिल पर पीआरएस के सारांश के लिए कृपया देखें।
टेलीग्राफ राइट ऑफ वे (संशोधन) नियम, 2023 अधिसूचित
भारतीय टेलीग्राफ राइट ऑफ वे (संशोधन) नियम, 2023 को अधिसूचित किया गया है और वे भारतीय भारतीय टेलीग्राफ राइट ऑफ वे नियम, 2016 में संशोधन करते हैं।[65] 2016 के नियम टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर, जैसे केबल, एंटिना और सेल्स बिछाने के लिए फ्रेमवर्क का प्रावधान करते हैं।[66] मुख्य संशोधनों में निम्नलिखित शामिल हैं:
अस्थायी इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करना: संशोधित नियम एक लाइसेंसधारी को भूमिगत इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षतिग्रस्त होने पर अस्थायी ओवरग्राउंड इंफ्रास्ट्रक्चर को स्थापित करने की अनुमति देते हैं। क्षति की सूचना मिलने के दिन से 60 दिनों की अवधि के लिए अस्थायी इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित किया जा सकता है। इस नियम के तहत बनाए गए अस्थायी इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए उपयुक्त प्राधिकारी द्वारा कोई मुआवजा या शुल्क नहीं लिया जाएगा।
छोटे सेल्स को इंस्टॉल करना: संशोधित नियमों के तहत, एक लाइसेंसधारी उपयुक्त प्राधिकारी के साथ कई साइटों पर छोटे सेल स्थापित करने के लिए एक ही आवेदन जमा कर सकता है। एक छोटा सेल एक कम शक्ति वाले रेडियो एक्सेस नोड को कहा जाता है जो दो किलोमीटर तक सेलुलर सेवाएं प्रदान कर सकता है। पहले, आवेदकों को प्रत्येक सेल के लिए अलग-अलग आवेदन करना पड़ता था।
छोटे सेल्स स्ट्रीट फर्नीचर पर इंस्टॉल किए जा सकते हैं। संशोधित नियमों में स्ट्रीट फर्नीचर में अब निम्नलिखित शामिल हैं: (i) बिजली के खंभे/पोस्ट, (ii) स्ट्रीट लाइट्स, (iii) ट्रैफिक सिग्नल, (iv) टैक्सी स्टैंड, (v) बस स्टैंड, (vi) स्मारिकाएं, और (vii) युटिलिटी पोल्स।
संशोधित नियमों में कहा गया है कि केंद्रीय अधिकारी अपने नियंत्रण वाली संरचनाओं पर लगाए गए छोटे सेल्स के लिए प्रशासनिक शुल्क या मुआवजा नहीं ले सकते हैं। हालांकि बिजली शुल्क और बिल्डिंग ओनर्स की तरफ से दिए गए दूसरे फिक्स्चर वसूले जा सकते हैं।
ट्राई ने सेवा के गुणवत्ता मानकों की समीक्षा पर परामर्श पत्र जारी किया
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने "एक्सेस सेवाओं (वायरलेस और वायरलाइन) और ब्रॉडबैंड सेवाओं (वायरलेस और वायरलाइन) में सेवा की गुणवत्ता की समीक्षा" पर एक परामर्श पत्र जारी किया है।[67] वर्तमान में, सेवा की गुणवत्ता पर तीन अलग-अलग नियम लागू हैं, जो इन पर लागू होते हैं: (i) ब्रॉडबैंड सेवाएं, (ii) कॉलिंग सेवाएं, और (iii) वायरलेस डेटा।67 ये नियम सेवा की गुणवत्ता पर कुछ प्रदर्शन मैट्रिक्स की रिपोर्ट करना अनिवार्य करते हैं। इसमें नेटवर्क उपलब्धता और कॉल गुणवत्ता जैसे मुद्दे शामिल हैं। अगर प्रदर्शन एक निश्चित स्तर से कम है तो नियम दंड का भी उल्लेख करते हैं।
परामर्श पत्र में ट्राई ने तीन मौजूदा नियमों को बदलने के लिए ड्राफ्ट नियमों का प्रस्ताव दिया है। यह कहा गया कि एक रेगुलेशन अनुपालन आवश्यकताओं को कम करेगा और सभी नियमों में दोहराव को समाप्त करेगा।
ड्राफ्ट नियमों के अलावा, ट्राई ने निम्नलिखित के लिए विशेष रूप से सेवा की गुणवत्ता के मापदंडों और माप पद्धति पर विचार मांगे हैं: (i) 4जी और 5जी नेटवर्क, (ii) कम विलंबता और मशीन कम्यूनिकेशन, और (iii) लंबी दूरी के नेटवर्क।
टिप्पणियां 20 सितंबर, 2023 तक आमंत्रित हैं।
ट्राई ने डिजिटल कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर्स के ऑथराइजेशन पर सुझाव जारी किए
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने डिजिटल कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर्स (डीसीआईपी) के लिए एकीकृत लाइसेंस के तहत एक नया ऑथराइजेशन शुरू करने का सुझाव दिया है।[68] एकीकृत लाइसेंस 2013 में पेश किया गया था और यह दूरसंचार कंपनियों को एक लाइसेंस के तहत कई सेवाएं प्रदान करने की अनुमति देता है। डीसीआईपी को सक्रिय और निष्क्रिय डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने की अनुमति दी जाएगी। निष्क्रिय डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर से तात्पर्य डक्ट्स, टावरों, खंभों और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर से है जिसमें सूचना का प्रसारण शामिल नहीं है। सक्रिय इंफ्रास्ट्रक्चर में इलेक्ट्रॉनिक्स, रेडियो, एंटिना और अन्य कम्यूनिकेशिन इंफ्रास्ट्रक्चर शामिल हैं। वर्तमान में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर्स श्रेणी 1 लाइसेंस के तहत, कंपनियां केवल निष्क्रिय इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण कर सकती हैं। सक्रिय इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए, कंपनियों को सेवा प्रावधान के लिए एकीकृत लाइसेंस प्राप्त करना होता है।
इस प्रकार ट्राई ने सुझाव दिया कि डीसीआईपी प्राधिकरण को स्पेक्ट्रम की आवश्यकता के बिना रेडियो उपकरण की खरीद की अनुमति देनी चाहिए। इस ऑथराइजेशन के लिए कोई लाइसेंस शुल्क या प्रदर्शन बैंक गारंटी लागू नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा, प्रवेश शुल्क दो लाख रुपए और आवेदन का प्रोसेसिंग शुल्क 15,000 रुपए रखा जाना चाहिए।
मीडिया एवं प्रसारण
Pratinav Damani (pratinav@prsindia.org)
ट्राई ने डीटीएच सेवाओं की लाइसेंस फीस और नीतिगत मामलों पर सुझाव जारी किए
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने 'डीटीएच सेवाओं के लाइसेंस शुल्क और नीति मामलों' पर अपने सुझाव जारी किए।[69] प्रमुख सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
प्रायोज्य सकल राजस्व की पेशकश: वर्तमान में, डीटीएच ऑपरेटर अपने समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) के प्रतिशत के रूप में लाइसेंस शुल्क का भुगतान करते हैं। एजीआर की गणना सकल राजस्व से जीएसटी को हटाकर की जाती है। सकल राजस्व व्यवसाय की सामान्य गतिविधियों के दौरान प्राप्त होने वाली नकदी, प्राप्य या अन्य प्रतिफल का सकल प्रवाह है।
दूरसंचार क्षेत्र में सकल राजस्व की परिभाषा को इस क्षेत्र में लागू करते हुए ट्राई ने सुझाव दिया कि प्रयोज्य सकल राजस्व (एपीजीआर) (एप्लिकेबल ग्रॉस रेवेन्यू) की अवधारणा को पेश किया जाना चाहिए। एपीजीआर को सकल राजस्व से कुछ प्रकार की आय में कटौती के बाद निकाला जाना चाहिए जैसे: (i) दूरसंचार विभाग द्वारा लाइसेंस के तहत गतिविधियों से राजस्व, (ii) सरकार से प्रतिपूर्ति और (iii) लाभांश, ब्याज और किराया जैसे स्रोतों से अन्य आय। एपीजीआर से जीएसटी घटाकर एजीआर निकाला जाना चाहिए।
लाइसेंस शुल्क में कटौती: वर्तमान में डीटीएच ऑपरेटर अपने एजीआर के 8% की दर से वार्षिक लाइसेंस शुल्क का भुगतान करते हैं। डीटीएच ऑपरेटर से लाइसेंस शुल्क को मल्टी सिस्टम ऑपरेटर्स, ओटीटी प्लेटफॉर्म और इंटरनेट प्रोटोकॉल टीवी जैसे अन्य ऑपरेटर के लाइसेंस शुल्क के अनुरूप करने के लिए यह सुझाव दिया गया है कि लाइसेंस शुल्क को एजीआर के 3% तक कम किया जाना चाहिए। इसके अलावा अगले तीन वर्षों में लाइसेंस शुल्क को शून्य पर लाया जाना चाहिए।
बैंक गारंटी में कमी: मौजूदा नियमों के अनुसार, डीटीएच प्रोवाइडर्स को पहली दो तिमाहियों के लिए पांच करोड़ रुपए की बैंक गारंटी जमा करनी होगी। इसके बाद बैंक गारंटी लाइसेंस शुल्क और अन्य गैर-प्रतिभूतीकृत देय राशि के दो चौथाई के बराबर होनी चाहिए। इसे अनुमानित देय राशि कहा जाता है। ट्राई ने बैंक गारंटी में कटौती का सुझाव दिया है। उसने सुझाव दिया कि पहली दो तिमाही के बाद की अवधि के लिए बैंक गारंटी पांच करोड़ रुपए या अनुमानित देय राशि का 20%, जो भी अधिक हो, होनी चाहिए। जब लाइसेंस शुल्क शून्य हो जाए तो पांच करोड़ रुपए की बैंक गारंटी जमा कर सालाना नवीनीकरण कराना होगा।
सामाजिक न्याय
Alaya Purewal (alaya@prsindia.org)
संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश (संशोधन) बिल, 2023 पारित
संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश (संशोधन) बिल, 2023 को संसद में पारित कर दिया गया।[70] बिल संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950 में छत्तीसगढ़ से संबंधित प्रावधानों में संशोधन करता है।[71] बिल में छत्तीसगढ़ में मेहरा, महरा और मेहर समुदायों के पर्यायवाची के रूप में महारा और महरा समुदायों को शामिल किया गया है।
बिल पर पीआरएस के सारांश के लिए कृपया देखें।
स्टैंडिंग कमिटी ने युवाओं में नशीले पदार्थों के सेवन पर रिपोर्ट पेश की
सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: सुश्री रमा देवी) ने 'युवाओं में नशीले पदार्थों का सेवन- समस्याएं और समाधान' पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।[72] कमिटी के मुख्य सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
बजटीय आवंटन में कमी: कमिटी ने कहा कि नेशनल एक्शन प्लान फॉर ड्रग डिमांड रिडक्शन (एनएपीडीडीआर) में 2020-21 और 2021-22 दोनों के लिए 260 करोड़ रुपए का बजटीय आवंटन था। संशोधित चरण के दौरान इसे घटाकर 2020-21 के लिए 150 करोड़ रुपए और 2021-22 के लिए 200 करोड़ रुपए कर दिया गया। यह भी गौर किया गया कि एनएपीडीडीआर ने 2021-22 में लगभग 91 करोड़ रुपए और 2021-22 में 98 करोड़ रुपए खर्च किए थे। कमिटी ने सुझाव दिया कि सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण विभाग यह सुनिश्चित करे कि 20223-24 में एनएपीडीडीआर के तहत लाभार्थियों की संख्या में वृद्धि हो। कमिटी ने संशोधित चरण में कटौती के बजाय 2023-24 के लिए बजट आवंटन को पूरा खर्च करने का सुझाव दिया।
युवाओं में नशीले पदार्थों का सेवन: कमिटी ने पाया कि 10-17 वर्ष के बच्चों द्वारा ओपिओइड, सेडेटिव्स और इनहेलेंट का व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है और इस आयु वर्ग में एक करोड़ से अधिक उपयोगकर्ता हैं। सबसे अधिक प्रभावित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, दिल्ली और पंजाब शामिल हैं। कमिटी ने यह भी गौर किया कि कुछ राज्यों में शराब की खपत पर प्रतिबंध के बावजूद भारत की लगभग 19% आबादी शराब का सेवन करती है। कमिटी ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में शराब की अवैध बिक्री को नियंत्रित करने के लिए कड़ी निगरानी का सुझाव दिया।
पुनर्वास में एनजीओज़ की भूमिका: कमिटी ने कहा कि पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, ओड़िशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में नशीले पदार्थों का उपयोग व्यापक रूप से प्रचलित है। हालांकि इन राज्यों में पुनर्वास कार्यक्रम संचालित करने वाले गैर सरकारी संगठनों को दी जाने वाली धनराशि पिछले वर्षों की तुलना में 2022-23 में कम हो गई है। कमिटी ने गौर किया कि बजट में कटौती आंशिक रूप से कुछ गैर सरकारी संगठनों के काम न करने के कारण हुई। कमिटी ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि संकटग्रस्त राज्यों में पुनर्वास कार्यक्रम प्रभावित न हों, एक फास्ट-ट्रैक वैकल्पिक तंत्र का सुझाव दिया।
रसायन एवं उर्वरक
Rutvik Upadhyaya (rutvik@prsindia.org)
फार्मा मेडटेक क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए योजना शुरू की गई
फार्मास्युटिकल्स विभाग ने फार्मा मेडटेक क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए योजना को अधिसूचित किया है।[73] विभाग के अनुसार, भारत फार्मा अनुसंधान और विकास पर खर्च करने के मामले में अमेरिका और चीन से काफी पीछे है।73 विभाग ने यह भी कहा कि भारत का फार्मा क्षेत्र मुख्य रूप से जेनेरिक दवाओं तक ही सीमित है।73
यह योजना प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास के लिए उद्योग और शिक्षा जगत के बीच संबंधों को बढ़ावा देने का प्रयास करती है। इसके दो घटक होंगे: (i) अनुसंधान संबंधी इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना, और (ii) फार्मा मेडटेक क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देना।
अनुसंधान के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए, सात मौजूदा राष्ट्रीय फार्मास्युटिकल शिक्षा और अनुसंधान संस्थानों में उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए जाएंगे। इन केंद्रों की स्थापना पर पांच साल में 700 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।
योजना के अनुसंधान संवर्धन घटक में तीन और श्रेणियां होंगी। पहले के तहत, नौ स्थापित फार्मा कंपनियों का चयन किया जा सकता है जो छह प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में अनुसंधान करने की इच्छुक हैं। इस तरह के शोध सरकारी संस्थानों के सहयोग से किए जाएंगे। कंपनियों को संस्थानों में चुनिंदा विद्यार्थियों/वैज्ञानिकों को प्रशिक्षित करना होगा।
दूसरी श्रेणी के तहत, छह प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में 30 अनुसंधान परियोजनाओं को वित्त पोषण प्रदान किया जाएगा जो एक निर्दिष्ट स्तर पर हैं। तीसरी श्रेणी के तहत, भारतीय स्टार्टअप और एमएसएमई को प्रतिस्पर्धी बनने में मदद करने के लिए छह प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में अनुसंधान परियोजनाओं के लिए वित्त पोषण प्रदान किया जाएगा।
श्रम
Tanvi Vipra (tanvi@prsindia.org)
कैबिनेट ने कारीगरों और शिल्पकारों के लिए केंद्रीय क्षेत्र की योजना को मंजूरी दी
आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने कारीगरों और शिल्पकारों के लिए केंद्रीय क्षेत्र की योजना पीएम-विश्वकर्मा को मंजूरी दे दी है।[74] यह योजना 5% की रियायती ब्याज दर पर ऋण प्रदान करती है, पहली किश्त में एक लाख रुपए तक और दूसरी किश्त में दो लाख रुपए तक। अतिरिक्त सहायता जैसे कौशल उन्नयन, डिजिटल लेनदेन के लिए प्रोत्साहन और मार्केटिंग सहायता भी प्रदान की जाएगी।
2023-24 से 2027-28 तक इस योजना का वित्तीय परिव्यय 13,000 करोड़ रुपए है। इसमें बढ़ई, शस्त्रागार, लोहार, कुम्हार, राजमिस्त्री, नाई, गुड़िया/खिलौना निर्माता, माला निर्माता, दर्जी और मूर्तिकार जैसे 18 पारंपरिक व्यवसायों को शामिल किया जाएगा।
स्टैंडिंग कमिटी ने कपड़ा श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा उपायों पर रिपोर्ट सौंपी
श्रम, कपड़ा और कौशल विकास संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री भर्तृहरि महताब) ने ‘संगठित और असंगठित क्षेत्रों के कपड़ा श्रमिकों के लिए कल्याण और सामाजिक सुरक्षा उपाय’ पर अपनी रिपोर्ट पेश की।[75] कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
बीमा योजनाओं के लिए नामांकन में गिरावट: कपड़ा श्रमिकों को तीन योजनाओं के तहत बीमा प्रदान किया जाता है। ये हैं: (i) पीएम जीवन ज्योति बीमा योजना, (ii) पीएम सुरक्षा बीमा योजना, और (iii) सम्मिलित (कन्वर्ज्ड) महात्मा गांधी बुनकर बीमा योजना। कमिटी ने कहा कि इनमें से कुछ योजनाओं के तहत नामांकन में 2022-23 (मई 2023 तक) में गिरावट आई है। कमिटी ने कहा कि ऐसा भुगतान प्रणाली में बदलाव के कारण हुआ, चूंकि अप्रैल 2020 से लाभार्थी या राज्य सरकार को प्रीमियम का भुगतान करना होता है। पहले इसका भुगतान केंद्र और/या राज्य सरकार द्वारा सामाजिक सुरक्षा कोष से किया जाता था। वर्तमान में, केवल कर्नाटक, केरल और सिक्किम ही जीवन ज्योति योजना के तहत प्रीमियम में योगदान करते हैं।
कमिटी ने सुझाव दिया कि कपड़ा मंत्रालय प्रीमियम के भुगतान के लिए राज्य सरकारों के साथ निगरानी और समन्वय को मजबूत करे।
पेंशन: मंत्रालय 60 वर्ष से अधिक आयु के बुनकरों और कारीगरों को 8,000 रुपए की मासिक पेंशन प्रदान करता है। पात्र होने के लिए इन श्रमिकों की वार्षिक आय एक लाख रुपए से कम होनी चाहिए। कमिटी ने कहा कि पात्रता के लिए आय सीमा कम है, और इसका तात्पर्य उन लोगों से है जो दैनिक न्यूनतम वेतन से कम कमाते हैं। उसने सुझाव दिया कि पात्रता बढ़ाने के लिए आय सीमा की समीक्षा की जाए और उसे उचित स्तर तक बढ़ाया जाए। 2022-23 में 80 हथकरघा बुनकरों और 339 हस्तशिल्पियों को पेंशन दी गई। मंत्रालय ने कहा कि अपर्याप्त जागरूकता के कारण लोग इसका पर्याप्त लाभ नहीं उठा पाते।
रिपोर्ट पर पीआरएस के सारांश के लिए कृपया देखें।
स्टैंडिंग कमिटी ने प्रशिक्षण महानिदेशालय के कामकाज पर रिपोर्ट सौंपी
श्रम, कपड़ा और कौशल विकास संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री भर्तृहरि महताब) ने 'प्रशिक्षण महानिदेशालय (डीजीटी) के कामकाज' पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।[76] डीजीटी कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के तहत कार्य करता है, और व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों के विकास के लिए जिम्मेदार है। यह भारत में व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए समग्र नीतियों, मानदंडों और मानकों को तैयार करता है। इसमें पाठ्यक्रम, प्रशिक्षण मॉड्यूल और मूल्यांकन मानदंड निर्धारित करना शामिल है। यह वर्तमान में पांच केंद्र प्रायोजित योजनाएं लागू करता है। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता: नीति आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) का कम उपयोग किया जाता है, उनकी प्रशिक्षण गुणवत्ता और बुनियादी ढांचा निम्न स्तर का है। हालांकि डीजीटी ने पाया कि रिपोर्ट में तथ्यात्मक अशुद्धियां थीं। कमिटी ने मंत्रालय को अशुद्धियों को सुधारने और रिपोर्ट में उजागर किए गए अन्य मुद्दों पर गंभीरता से विचार करने का सुझाव दिया। इनमें प्लेसमेंट और उद्यमिता सेल की स्थापना और एमएसएमई के साथ गठजोड़ की सुविधा शामिल है। कमिटी ने यह भी कहा कि डीजीटी के पास आईटीआई से पासआउट्स विद्यार्थियों की नियुक्ति का डेटा नहीं है।
नामांकन: कमिटी ने पाया कि जागरूकता की कमी, खराब प्रशिक्षण गुणवत्ता और नौकरी के अवसरों की कमी के कारण आईटीआई में नामांकन काफी कम है। सरकारी आईटीआई में नामांकन 59% और निजी आईटीआई में 40% है। कमिटी ने सुझाव दिया कि मंत्रालय इस मुद्दे को दुरुस्त करे, और समाधान के रूप में स्नातक रोजगार क्षमता में सुधार पर विचार करे। उसने पूर्वोत्तर राज्यों में कम नामांकन का भी उल्लेख किया।
शहरी मामले
Priyadarshini Jain (priyadarshini@prsindia.org)
कैबिनेट ने शहरी बस संचालन को बढ़ाने के लिए पीएम-ईबस सेवा को मंजूरी दी
योजना के लिए कुल बजट परिव्यय 57,613 करोड़ रुपए है, जिसमें से 20,000 करोड़ रुपए केंद्र सरकार द्वारा प्रदान किए जाएंगे। यह योजना 10 वर्षों तक चलेगी और तीन लाख से अधिक आबादी वाले शहरों को लक्षित करेगी। संगठित बस सेवाओं की कमी वाले शहरों को प्राथमिकता दी जाएगी।
नागरिक उड्डयन
Priyadarshini Jain (priyadarshini@prsindia.org)
विमान सुरक्षा नियम, 2023 अधिसूचित
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने विमान एक्ट, 1934 के तहत विमान सुरक्षा नियम, 2023 को अधिसूचित किया है।[78] 2023 के नियम विमान सुरक्षा नियम, 2011 का स्थान लेते हैं।[79] सार्वजनिक प्रतिक्रियाओं के लिए नवंबर 2022 में ड्राफ्ट नियमों के जारी होने के बाद, 2023 के नियम हवाईअड्डा सुरक्षा उपायों के कार्यान्वयन की रूपरेखा तैयार करने के लिए बनाए गए हैं।[80] नियमों की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
आयुक्त की शक्तियां डीजी को हस्तांतरित: 2023 नियमों के तहत, नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) के महानिदेशक (i) राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन सुरक्षा कार्यक्रम को विकसित करने और बरकरार रखने, (ii) विभागों के बीच गतिविधियों का समन्वय करने, और (iii) हवाईअड्डों पर सुरक्षा नियंत्रण और प्रक्रियाएं लागू करने के लिए अधिकारियों को नामित करने हेतु जिम्मेदार होंगे।। 2011 के नियमों के तहत, बीसीएएस के आयुक्त इन कार्यों के लिए जिम्मेदार थे।
विमान एक्ट, 1934 को 2020 में संशोधित किया गया जिसने बीसीएएस को एक वैधानिक निकाय बनाया और निर्दिष्ट किया कि महानिदेशक इसका नेतृत्व करेंगे। 2023 नियम डीजी के लिए अतिरिक्त कार्य निर्दिष्ट करते हैं, जैसे सुरक्षा ऑडिट की व्यवस्था करना।
निजी सुरक्षा एजेंसियों का उपयोग: सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महानिदेशक द्वारा अधिकृत निजी सुरक्षा कर्मियों को लगाया जाएगा। निजी सुरक्षा कर्मियों की संख्या और प्रशिक्षण मानक केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित किए जाएंगे।
कुछ उल्लंघनों पर दंड: नियमों के तहत, विमान ऑपरेटरों को कुछ कार्य करने होते हैं। उनका पालन न करना अपराध माना जाएगा। ऐसे कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) एक सुरक्षा कार्यक्रम विकसित करना और (ii) महानिदेशक से अनुमोदन के साथ विमान संचालन शुरू करना। इसके अतिरिक्त, किसी हवाईअड्डे या विमान में हथियार, बंदूक (फायरआर्म्स), गोला-बारूद (एम्युनिशन) या विस्फोटक ले जाना भी एक अपराध है। अपराध के लिए दो साल तक की कैद या एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है। नियम कुछ अपराधों के शमन के लिए रकम भी निर्दिष्ट करते हैं।
साइबर खतरों के खिलाफ उपाय: हवाईअड्डा और विमान ऑपरेटरों, या ग्राउंड हैंडलिंग एजेंसी जैसी संस्थाओं को महत्वपूर्ण जानकारी की पहचान करनी होगी और ऐसी जानकारी के अनाधिकृत एक्सेस की पहचान करने, संशोधन और उपयोग का पता लगाने तथा एक्सेस से बचाने के लिए सुरक्षा उपाय विकसित करने होंगे।
स्टैंडिंग कमिटी ने हवाई किराये को निर्धारित करने के मुद्दे पर रिपोर्ट सौंपी
परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री वी. विजयसाई रेड्डी) ने 10 अगस्त, 2023 को 'हवाई किराये के निर्धारण का मुद्दा' पर अपनी रिपोर्ट पेश की।[81] 1994 से पहले केंद्र सरकार वायु निगम एक्ट, 1953 के तहत हवाई किराए का पूरी तरह से रेगुलेशन करती थी। इसे 1994 में डीरेगुलेट किया गया और वर्तमान में एयरक्राफ्ट एक्ट, 1934 के तहत निर्धारित नियमों के जरिए हवाई किराए का प्रबंधन किया जाता है। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
हवाई किराये को निर्धारित करने के लिए मौजूदा संरचना: विमान नियम, 1937 के तहत एयरलाइंस को उचित लाभ और आम तौर पर प्रचलित शुल्क को ध्यान में रखते हुए शुल्क तय करना होता है। किराये की निगरानी के लिए नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) जिम्मेदार है। यह उन एयरलाइंस को निर्देश जारी कर सकता है जो अत्यधिक कीमतें वसूलती हैं, या अल्पाधिकारवादी कार्य पद्धतियों में संलग्न हैं। एयरलाइंस को इन निर्देशों का पालन करना चाहिए।
कमिटी ने कहा कि डीजीसीए की निगरानी के बावजूद एयरलाइंस अधिक शुल्क वसूलती हैं जिससे हवाई किराए में वृद्धि होती है। कमिटी ने सुझाव दिया कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय हवाई शुल्कों को रेगुलेट करने के लिए डीजीसीए को अधिकार दे। उसने सेबी की तर्ज पर एक निगरानी निकाय के गठन का भी सुझाव दिया जिसके पास उचित शुल्क को प्रभावी बनाने के लिए अर्ध-न्यायिक शक्तियां हों।
उचित लाभ की परिभाषा: कमिटी ने गौर किया कि उचित लाभ को कहीं भी परिभाषित नहीं किया गया है जिससे मनमाने तरीके से कार्य किया जाता है। इसके अलावा एयरलाइंस लागत-वसूली मॉडल पर कीमतें तय करती हैं और उचित मुनाफे पर विचार नहीं करतीं। कमिटी ने कहा कि उचित लाभ को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाना चाहिए और एयरलाइंस को इस आधार पर टैरिफ तय करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
रिपोर्ट पर पीआरएस के सारांश के लिए कृपया देखें।
रेलवे
Priyadarshini Jain (priyadarshini@prsindia.org)
स्टैंडिंग कमिटी ने रेल भूमि विकास प्राधिकरण पर रिपोर्ट सौंपी
रेलवे से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री राधा मोहन सिंह) ने 8 अगस्त, 2023 को 'रेल भूमि विकास प्राधिकरण का प्रदर्शन' पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।[82] 2006 में रेल भूमि विकास प्राधिकरण (आरएलडीए) की स्थापना की गई थी। यह प्राधिकरण रेलवे की खाली या कम उपयोग की जाने वाली भूमि को विकसित और उसका व्यावसायीकरण करता है।
रेलवे के पास लगभग 62,068 हेक्टेयर खाली भूमि है। 60%-70% खाली भूमि में पटरियों के किनारे पतली पट्टियां होती हैं जिनका उपयोग विभिन्न परिचालन आवश्यकताओं के लिए किया जाता है। कमिटी ने गौर किया कि 1,216 हेक्टेयर खाली भूमि पुनर्विकास के लिए आरएलडीए को सौंप दी गई है। हालांकि आरएलडीए ने अब तक केवल 67 हेक्टेयर भूमि ही व्यावसायिक विकास के लिए दी है। कमिटी ने मंत्रालय को यह सुनिश्चित करने का सुझाव दिया कि व्यावसायिक विकास के लिए अधिक भूमि का उपयोग किया जाए। इससे रेलवे के गैर-टैरिफ राजस्व को बढ़ाने में मदद मिलेगी। कमिटी ने यह सुझाव भी दिया कि पटरियों के किनारे भूमि की पतली पट्टियों का उपयोग 'अधिक भोजन उगाओ' योजना के तहत किया जा सकता है। इस योजना के तहत रेलवे की खाली जमीन पर रेल कर्मचारियों को खेती के लिए लाइसेंस दिया जाता है।
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सड़क एवं परिवहन
Priyadarshini Jain (priyadarshini@prsindia.org)
भारतमाला परियोजना के चरण I के कार्यान्वयन पर कैग ने रिपोर्ट जारी की
भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने 'भारतमाला परियोजना के चरण-I के कार्यान्वयन' पर अपनी ऑडिट रिपोर्ट जारी की।[83] आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने अक्टूबर 2017 में राष्ट्रीय राजमार्गों (एनएच) के विकास के लिए भारतमाला परियोजना को मंजूरी दी थी। कार्यक्रम के चरण I का उद्देश्य आर्थिक गलियारों, फीडर सड़कों और एक्सप्रेसवे को विकसित करना है।
कार्यक्रम की कार्यान्वयन एजेंसियों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई), (ii) राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) और (iii) राज्य लोक निर्माण विभाग। ऑडिट के दायरे में भारतमाला की योजना, वित्तीय प्रबंधन, कार्यान्वयन और निगरानी की समीक्षा शामिल थी। कैग के प्रमुख निष्कर्ष और सुझाव इस प्रकार हैं:
भारतमाला के तहत शामिल मौजूदा राजमार्ग: भारतमाला चरण I के तहत एनएचएआई को 70,050 किमी के राष्ट्रीय राजमार्ग विकसित करने हैं। हालांकि कैग ने पाया कि इसमें से 49%, यानी 34,972 किलोमीटर को भारतमाला को मंजूरी मिलने से पहले ही विभिन्न राजमार्ग योजनाओं के तहत विकसित या आवंटित कर दिया गया था। इन योजनाओं को आगे विकसित करने का कोई प्रस्ताव नहीं था। कैग ने सुझाव दिया कि ऐसे राष्ट्रीय राजमार्गों को भारतमाला के लक्ष्य से हटा दिया जाए।
पिछली समस्याओं को दुरुस्त किए बिना ली गईं परियोजनाएं: कैग ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना (एनएचडीपी) की मौजूदा अधूरी परियोजनाओं को भारतमाला के तहत शामिल किया गया लेकिन उनकी मौजूदा समस्याओं को दूर नहीं किया गया। उदाहरण के लिए, बिहार और झारखंड सीमा पर राजमार्ग नवंबर 2021 तक पूरा होना था, लेकिन मार्च 2023 तक केवल 62% परियोजना ही पूरी हुई थी। देरी के कारणों में राइट ऑफ वे न मिलना और वन भूमि पर लंबित विवाद शामिल हैं। कैग ने सुझाव दिया कि भारतमाला एनएचडीपी घटक के तहत किसी भी शेष परियोजना को आवंटित करने से पहले मौजूदा समस्याओं को हल किया जाना चाहिए।
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स्टैंडिंग कमिटी ने रोड ओवर ब्रिज और रोड अंडर ब्रिज पर अपनी रिपोर्ट सौंपी
परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री वी. विजयसाई रेड्डी) ने 'रोड ओवर ब्रिज, रोड अंडर ब्रिज, सर्विस रोड का निर्माण और सड़क सर्वेक्षण दिशानिर्देशों की समीक्षा' पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।[84] रोड ओवर ब्रिज (आरओबी) और रोड अंडर ब्रिज (आरयूबी) ऐसी संरचनाएं होती हैं जो सड़क और रेल यातायात को अलग करती हैं। आरओबी में रेलवे ट्रैक के ऊपर ऊंचाई पर सड़क बनी होती है, जबकि आरयूबी में सड़क ट्रैक के नीचे से होकर गुजरती है। कमिटी के प्रमुख निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
आरओबी और आरयूपी का निर्माण: लेवल क्रॉसिंग (एलसी) रेलवे ट्रैक और सड़कों के बीच का इंटरसेक्शन होता है जिससे वाहनों और ट्रेनों के बीच टकराव का खतरा होता है। 2016 में लॉन्च होने के बाद से सेतु भारतम कार्यक्रम, जिसका उद्देश्य आरओबी/आरयूबी का निर्माण है, ने सिर्फ 25% काम पूरा किया है। कमिटी ने कहा कि 2023-24 में 1,100 एलसी का रिप्लेसमेंट, पिछले दशक के वार्षिक औसत से कम है। उसने सुझाव दिया कि आरओबी/आरयूबी के साथ एलसी के रिप्लेसमेंट के लक्ष्य और गति को बढ़ाया जाना चाहिए। उसने मंत्रालय को अधिक धन आवंटित करने और आरओबी/आरयूबी के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल की व्यावहारिकता का आकलन करने का भी सुझाव दिया।
निर्माण में विलंब: रेल मंत्रालय ने निम्नलिखित कारणों से आरओबी/आरयूबी के निर्माण में देरी का हवाला दिया: (i) पर्यावरणीय मंजूरी, (ii) भूमि अधिग्रहण, और (iii) प्रपोज़ल ड्राइंग्स पेश करने में देरी। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने ड्राइंग्स को ऑनलाइन पेश करने और हर 15 दिन में क्षेत्रीय समन्वय बैठक आयोजित करने की अनुमति देकर वन मंजूरी की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया है। कमिटी ने सुझाव दिया कि रेल मंत्रालय और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए पर्यावरण मंत्रालय के साथ नियमित रूप से समन्वय करना चाहिए।
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ऊर्जा
Pratinav Damani (pratinav@prsindia.org)
प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से पवन-सौर हाइब्रिड परियोजनाओं से बिजली खरीद पर दिशानिर्देश जारी
ऊर्जा मंत्रालय ने प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से पवन-सौर हाइब्रिड परियोजनाओं से बिजली खरीद पर दिशानिर्देश जारी किए हैं।[85] इन्हें बिजली एक्ट, 2003 के तहत जारी किया गया है।[86] हाइब्रिड बिजली परियोजनाएं उत्पादन में परिवर्तनशीलता को कम करने के लिए विभिन्न अक्षय ऊर्जा स्रोतों को जोड़ती हैं। प्रमुख विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
पात्रता: प्रतिस्पर्धी बोली के पात्र होने के लिए, एक संसाधन (पवन या सौर) की रेटेड बिजली क्षमता हाइब्रिड पावर परियोजना की कुल क्षमता का कम से कम 33% होनी चाहिए। बोली का न्यूनतम आकार इस प्रकार होना चाहिए: (i) इंट्रा-स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम से जुड़ी परियोजनाओं के लिए 10 MW, और (ii) अंतर-राज्य ट्रांसमिशन सिस्टम से जुड़ी परियोजनाओं के लिए 50 MW। परियोजना के सौर और पवन घटक अलग-अलग स्थानों पर हो सकते हैं। परियोजना में स्टोरेज क्षमता हो सकती है। इन परियोजनाओं से बिजली खरीदने के लिए पात्र संस्थाओं में बिजली वितरण कंपनियां शामिल हैं। इस प्रक्रिया के माध्यम से खरीदी गई बिजली का उपयोग अक्षय खरीद दायित्व को पूरा करने के लिए किया जा सकता है।
बोली की शर्तें: नीलामी दस्तावेज़ में निर्दिष्ट कुल क्षमता का अधिकतम 50% एकल बोलीदाता को आवंटित किया जा सकता है। क्षमता को टैरिफ बोली के बढ़ते क्रम में दो या उससे अधिक बोलीदाताओं से भरा जाएगा।
पावर पर्जेस एग्रीमेंट (पीपीए): खरीदार को मानक बोली दस्तावेजों में एक ड्राफ्ट पीपीए जारी करना होगा। पीपीए की अवधि आम तौर पर 20-25 वर्षों के लिए होगी। पीपीए के ड्राफ्ट में निम्नलिखित शामिल होना चाहिए: (i) पर्याप्त भुगतान सुरक्षा और (ii) उत्पादन कंपनी द्वारा निर्धारित बिजली लेने में विफल होने पर खरीदार पर जुर्माना।
पीपीए में सहमति की तुलना में आपूर्ति में कमी होने पर उत्पादकों को खरीदारों को मुआवजा देना होगा। अतिरिक्त उत्पादन के मामले में, हाइब्रिड उत्पादक कंपनी अधिशेष ऊर्जा को किसी भी इकाई को बेच सकती है। हालांकि खरीदार के पास पहले इनकार का अधिकार है।
उत्तर-पूर्वी क्षेत्र
Priyadarshini Jain (priyadarshini@prsindia.org)
कैबिनेट ने उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के लिए विकास योजनाओं के विस्तार को मंजूरी दी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दो योजनाओं के विस्तार को मंजूरी दी: (i) उत्तर पूर्व विशेष इंफ्रास्ट्रक्चर विकास योजना (एनईएसआईडीएस), और (ii) उत्तर पूर्वी परिषद योजना (एनईसीएस)।[87] इन दोनों योजनाओं के दिशानिर्देशों को भी संशोधित किया गया है।
एनईएसआईडीएस: इस योजना का लक्ष्य सभी पूर्वोत्तर राज्यों में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास और कनेक्टिविटी को सुविधाजनक बनाना है। इसे 8,140 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय के साथ 2025-26 तक बढ़ा दिया गया है।90 विस्तारित योजना को दो घटकों में पुनर्गठित किया जाएगा: (i) एनईएसआईडीएस-सड़कें, पर्यटन और आर्थिक केंद्रों के लिए सड़क, रेल और जल कनेक्टिविटी पर ध्यान केंद्रित करना, और (ii) एनईएसआईडीएस- सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर के अलावा जलाशयों, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और बिजली से संबंधित परियोजनाओं को कवर करना।[88],[89]
एनईसीएस: एनईसीएस का लक्ष्य उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के समग्र विकास में अंतराल को भरना है। इस योजना में उच्च शिक्षा, जैविक खेती, स्वास्थ्य और क्षेत्रीय पर्यटन जैसे फोकस क्षेत्र शामिल हैं। इसे 3,200 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय के साथ 2026 तक बढ़ा दिया गया है।90,[90]
योजनाओं की निगरानी: केंद्रीय स्तर पर अधिकार प्राप्त अंतर-मंत्रालयी समिति दोनों योजनाओं के तहत परियोजनाओं की निगरानी और मूल्यांकन करना जारी रखेगी। राज्य स्तरीय अधिकार प्राप्त समिति राज्य स्तर पर एनईएसआईडीएस- सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर और एनईसी के अलावा अन्य परियोजनाओं की निगरानी करेगी।91,92,93
वाणिज्य
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
स्टैंडिंग कमिटी ने स्टार्टअप्स के इकोसिस्टम पर अपनी रिपोर्ट सौंपी
वाणिज्य संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी) ने ‘भारत के लाभ के लिए स्टार्टअप्स का इकोसिस्टम’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी।[91] कमिटी के प्रमुख निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
वित्त पोषण तक पहुंच: स्टार्टअप्स में निवेश की प्रकृति चक्रीय, यानी साइक्लिकल है। उसमें कई वजहों से मार्केट करेक्शंस होते हैं जैसे माइक्रोइकोनॉमिक स्थितियां, निवेशक की भावनाएं और मौद्रिक नीतियां। कमिटी ने गौर किया कि ऐसे समय में अच्छे स्टार्टअप की मदद के लिए अतिरिक्त धनराशि का एक पूल बनाया जाना चाहिए। उसने सुझाव दिया कि उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) को उन क्षेत्रों की पहचान करने के लिए एक मूल्यांकन करना चाहिए जिन्हें अतिरिक्त धन की आवश्यकता है। कमिटी ने निजी निवेशकों से स्टार्टअप्स को मिलने वाली धनराशि की निगरानी के लिए सरकार समर्थित तंत्र की कमी पर भी चिंता व्यक्त की। स्टार्टअप्स को एकाउंटिंग की बेहतर पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।
एक कार्यान्वयन एजेंसी: 42 मंत्रालय/विभाग/निकाय स्टार्टअप से संबंधित विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन की निगरानी कर रहे हैं। कमिटी ने कहा कि इससे समन्वय में कमी और योजना कार्यान्वयन में देरी होती है। कमिटी ने पूरे स्टार्टअप इकोसिस्टम की देखरेख और प्रबंधन के लिए एक कार्यान्वयन निकाय के निर्माण का सुझाव दिया। उसने रियल-टाइम से संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए एक शिकायत निवारण तंत्र बनाने का भी सुझाव दिया।
रेगुलेटरी मदद: कमिटी ने कहा कि गैर-सूचीबद्ध भारतीय स्टार्टअप्स की प्रत्यक्ष विदेशी लिस्टिंग से संबंधित रेगुलेटरी/कानूनी फ्रेमवर्क को आसान बनाने से इकोसिस्टम को बढ़ावा मिल सकता है। कमिटी ने स्टार्टअप्स के लिए पंजीकरण प्रक्रिया को सरल बनाने का सुझाव भी दिया, साथ ही डीपीआईआईटी के साथ पंजीकरण के लिए पात्रता मानदंडों की व्यापक सूची को खत्म करने की बात कही।
रिपोर्ट पर पीआरएस के सारांश के लिए कृपया देखें।
स्टैंडिंग कमिटी ने उत्तर पूर्वी क्षेत्र में व्यापार के विकास पर अपनी रिपोर्ट सौंपी
वाणिज्य संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी) ने ‘उत्तर पूर्वी क्षेत्र में व्यापार और उद्योगों का विकास’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी।[92] कमिटी के प्रमुख निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
कनेक्टिविटी: उत्तर पूर्वी क्षेत्र में राज्यों के भीतर, और परस्पर परिवहन की खराब व्यवस्था है। उनके बीच कनेक्टिविटी की समस्याएं हैं। इससे इस क्षेत्र में रोजमर्रा का जीवन और औद्योगिक विकास बाधित हुआ है। कनेक्टिविटी में सुधार के लिए कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) नए राज्य राजमार्गों और छोटी/जिला सड़कों का निर्माण, (ii) सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क नेटवर्क को चौड़ा करना, (iii) मालगाड़ियों की फ्रीक्वेंसी बढ़ाना, (iv) हवाई अड्डों पर एयर कार्गो हैंडलिंग और कोल्ड स्टोरेज केंद्र बनाना, और (v) राष्ट्रीय जलमार्गों की व्यावहारिकता से संबंधित अध्ययनों को पूरा करना।
औद्योगिक उपयोग के लिए जमीन: अधिकांश उत्तर पूर्वी राज्यों में गैर-आदिवासियों को भूमि हस्तांतरित नहीं की जा सकती। औद्योगिक उपयोग के लिए भूमि का कोई डेटाबेस भी नहीं है। कमिटी ने जीआईएस-लिंक्ड औद्योगिक भूमि बैंक के निर्माण का सुझाव दिया। इसमें उपलब्ध औद्योगिक भूमि की प्लॉट-स्तरीय जानकारी और भूमि पुनर्वर्गीकरण जैसे प्रावधान हो सकते हैं। कमिटी ने पट्टे के अधिकारों को हस्तांतरणीय और गिरवी रखने योग्य बनाने के प्रावधानों का भी सुझाव दिया।
आसियान के साथ व्यापार: दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के साथ भारत के व्यापार को बढ़ाने में उत्तर पूर्वी क्षेत्र के राज्यों की भौगोलिक स्थिति का लाभ उठाया जा सकता है। आसियान के साथ निर्यात संबंधों को मजबूत करने के लिए कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) उड़ान (अंतरराष्ट्रीय) योजना के तहत आसियान देशों के लिए सीधी उड़ानें शुरू करना, (ii) अधिक संख्या में लैंड कस्टम स्टेशन स्थापित करना, और (iii) उत्तर पूर्वी क्षेत्र में आसियान देशों के वाणिज्य दूतावास कार्यालय खोलना। सरकार को उत्तर पूर्वी क्षेत्र में ऐसे उद्योगों की पहचान करनी चाहिए और उन्हें बढ़ावा देना चाहिए जो आसियान और अन्य पड़ोसी देशों के बाजारों की जरूरतों को पूरा कर सकें।
रिपोर्ट पर पीआरएस के सारांश के लिए कृपया देखें।
उपभोक्ता मामले
Tanvi Vipra (tanvi@prsindia.org)
स्टैंडिंग कमिटी ने चीनी उद्योग पर अपनी रिपोर्ट सौंपी
उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: सुश्री लॉकेट चटर्जी) ने 'भारत में चीनी उद्योग- एक समीक्षा' पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।[93] चीनी सीजन (अक्टूबर-सितंबर) 2021-22 में भारत चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता था और कमोडिटी का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
चक्रीयता में गिरावट: गन्ने की खेती के लिए सरकार द्वारा दिए गए मूल्य प्रोत्साहन के कारण चीनी उद्योग को चक्रीयता का सामना करना पड़ता है। इसका असर चीनी की बाजार कीमतों पर पड़ता है। कमिटी ने कहा कि 2010-11 के बाद से उद्योग में चक्रीयता में गिरावट आई है और पिछले पांच वर्षों के दौरान यह लगभग समाप्त हो गई है। उसने कहा कि ऐसा उत्पादन के तहत क्षेत्र में निरंतर वृद्धि और परिणामस्वरूप चीनी उत्पादन में वृद्धि के कारण हुआ।
कमिटी के अनुसार इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल, राज्य द्वारा समर्थित मूल्य और गन्ने की उचित और लाभकारी कीमत, और बिजली के सह-उत्पादन जैसी नीतिगत पहलों से क्षेत्र की स्थिति में सुधार हुआ है।
किसानों को बकाया भुगतान: चीनी सीजन 2022-23 के दौरान मिलों ने 1.13 लाख करोड़ रुपए की खरीदारी की है और 92% भुगतान (30 जून, 2023 तक) जारी किया है। चीनी सीजन 2021-22 के लिए किसानों का उत्पाद पैकेज 115 करोड़ रुपए कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त घरेलू बाजार में चीनी की उच्च एक्स-मिल कीमतें दर्शाती हैं कि मिलें बिक्री करने में सक्षम हैं। 2021-22 में इथेनॉल आपूर्ति वर्ष (दिसंबर-नवंबर) के दौरान, चीनी मिलों ने तेल मार्केटिंग कंपनी को इथेनॉल की बिक्री से 20,000 करोड़ रुपए कमाए। इससे किसानों का बकाया चुकाने में भी मदद मिली।
इथेनॉल ब्लेंडिंग कार्यक्रम: राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति, 2018 के तहत गन्ने के रस से इथेनॉल का उत्पादन करने और इसे पेट्रोल में मिश्रित करने की अनुमति है। 2022-23 इथेनॉल आपूर्ति वर्ष (दिसंबर-नवंबर) में 12% सम्मिश्रण लक्ष्य को पूरा करने के लिए 550-600 करोड़ लीटर इथेनॉल की आवश्यकता है। वर्तमान उत्पादन क्षमता 1,070 करोड़ लीटर है जिसमें से 723 करोड़ लीटर गुड़ से आता है। कमिटी ने कहा कि 2025 तक 20% सम्मिश्रण लक्ष्य हासिल करने के लिए 1,350 करोड़ लीटर इथेनॉल की आवश्यकता होगी।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना पर स्टैंडिंग कमिटी ने रिपोर्ट सौंपी
उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण संबंधी स्टैडिंग कमिटी (चेयर: सुश्री लॉकेट चटर्जी) ने 'प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई)' पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।[94] योजना के तहत पात्र लाभार्थियों को प्रति व्यक्ति प्रति माह पांच किलोग्राम खाद्यान्न निःशुल्क उपलब्ध कराया गया। यह राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एक्ट (एनएफएसए), 2013 के तहत उनकी पात्रता के अतिरिक्त था। पीएमजीकेएवाई शुरू में दिसंबर 2022 तक चालू थी। उसके बाद एनएफएसए के तहत वितरण का नाम बदलकर पीएमजीकेएवाई कर दिया गया और दिसंबर 2024 तक खाद्यान्न मुफ्त दिया जाएगा। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों में निम्नलिखित शामिल हैं:
वित्तीय और भौतिक प्रदर्शन: यह योजना अप्रैल 2020 से दिसंबर 2022 तक चालू थी। इसका वित्तीय परिव्यय लगभग चार लाख करोड़ रुपए था, जिसमें से 87% वास्तव में खर्च किया गया था (3.4 लाख करोड़ रुपए)। योजना अवधि के दौरान, 1,015 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न वितरित किया गया, जो कुल आवंटित अनाज का 91% है। कमिटी ने कहा कि पीएमजीकेएवाई का प्रदर्शन उत्कृष्ट था।
निगरानी और मूल्यांकन: कमिटी ने कहा कि खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने 2020-2023 के बीच एनएफएसए के कार्यान्वयन का मूल्यांकन करने के लिए 13 निगरानी संस्थानों को लगाया है। पहले दो वर्षों की रिपोर्ट्स के अनुसार, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अधिकांश सर्वेक्षण किए गए परिवारों को पीएमजीकेएवाई के तहत अपनी पूरी हकदारी प्राप्त हुई।
मोटे अनाजों का समावेश: कमिटी ने कहा कि मोटे अनाजों में उच्च पोषण और नॉन-एसिडिक गुण होते हैं। पीएमजीकेएवाई के तहत छह राज्यों में लाभार्थियों को रागी और बाजरा जैसे लगभग 5.8 लाख मीट्रिक टन मोटे अनाज वितरित किए गए।
स्टैंडिंग कमिटी ने मोटे अनाज के उत्पादन और वितरण पर रिपोर्ट सौंपी
उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: सुश्री लॉकेट चटर्जी) ने 'मोटे अनाज उत्पादन और वितरण' पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।[95] मोटे अनाजों में जौ, बाजरा और मक्का शामिल हैं। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
उत्पादन: 2018-19 से 2022-23 के बीच मोटे अनाज का उत्पादन 96.7 लाख मीट्रिक टन बढ़ा। 2017-18 से 2021-22 के बीच छह मोटे अनाजों का औसत उत्पादन 480 लाख मीट्रिक टन था। इस उत्पादन में मक्के की हिस्सेदारी 63% थी। कमिटी ने कहा कि सरकार ने: (i) मोटे अनाज के स्वास्थ्य लाभों पर जागरूकता अभियान चलाया है, (ii) छह टास्क फोर्स का गठन किया है, और (iii) बाजरा को बढ़ावा देने के लिए किसान उत्पादक संगठनों के साथ काम किया है।
कल्याणकारी योजनाओं के लिए खरीद: कमिटी ने 2017-18 के बाद से कल्याणकारी योजनाओं के लिए मोटे अनाज की खरीद में पर्याप्त वृद्धि का उल्लेख किया। राज्यों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किसानों से विकेंद्रीकृत खरीद मोड के तहत मोटे अनाज खरीदने की अनुमति है। उन्हें लक्षित सार्वजनिक वितरण योजना (टीडीपीएस) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं जैसे एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस) और पीएम-पोषण (पहले मध्याह्न भोजन) के तहत वितरित किया जाना है।
मोटे अनाज का उठाव हरियाणा और महाराष्ट्र तक सीमित था, लेकिन अब यह सात अतिरिक्त राज्यों में भी हो रहा है। कमिटी ने कहा कि शेष राज्यों को भी इन योजनाओं के तहत वितरण के लिए मोटा अनाज खरीदना चाहिए। कमिटी ने कहा कि 2021-22 में दिशानिर्देशों में निम्नलिखित संशोधन किए गए: (i) वितरण अवधि को तीन महीने से बढ़ाकर 6-10 महीने करना, और (ii) एफसीआई के माध्यम से अधिशेष बाजरा के अंतर-राज्य परिवहन का प्रावधान। इससे बाजरा खरीद का निर्णय लेने वाले राज्यों की संख्या में वृद्धि हुई।
उत्पादन के लिए प्रोत्साहन: मोटे अनाज की एमएसपी 2018-19 में 2,879 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़कर 2022-23 में 3,578 रुपए प्रति क्विंटल हो गई। कमिटी ने कहा कि इसने किसानों को इन अनाजों की खेती के लिए आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कमिटी ने यह भी कहा कि कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ग्रामीण किसानों को प्राथमिक प्रसंस्करण उपकरण खरीदने में सहायता कर रहा है।
कृषि
Tanvi Vipra (tanvi@prsindia.org)
स्टैंडिंग कमिटी ने बागवानी के विकास पर अपनी रिपोर्ट पेश की
कृषि और किसान कल्याण संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री पी.सी. गद्दीगौदर) ने 'एकीकृत बागवानी विकास मिशन- एक मूल्यांकन' पर अपनी रिपोर्ट पेश की। बागवानी कृषि की एक शाखा है जो फलों और सब्जियों से संबंधित है। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच): एमआईडीएच की पांच उप-योजनाएं हैं जो पहले अलग-अलग योजनाएं थीं। ये इस प्रकार हैं: (i) राष्ट्रीय बागवानी मिशन, (ii) उत्तर पूर्व और हिमालयी राज्यों के लिए बागवानी मिशन, (iii) राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, (iv) नारियल विकास बोर्ड, और (v) केंद्रीय बागवानी संस्थान। पहली दो उप-योजनाएं केंद्र प्रायोजित योजनाओं के रूप में कार्यान्वित की जाती हैं, जबकि अन्य तीन केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं के रूप में कार्यान्वित की जाती हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि एमआईडीएच के तहत सभी उप-योजनाओं को केंद्र प्रायोजित योजनाओं के रूप में लागू किया जाए।
राष्ट्रीय बागवानी नीति: चीन के बाद भारत फलों और सब्जियों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। कमिटी ने कहा कि आलू जैसे खाद्य विकल्पों के साथ बागवानी खाद्य सुरक्षा बढ़ा सकती है। हालांकि यह गौर किया गया कि बागवानी के लिए कोई स्वतंत्र राष्ट्रीय नीति नहीं है। उसने सुझाव दिया कि बागवानी के समग्र प्रचार और विकास के लिए एक राष्ट्रीय नीति विकसित की जाए। उसने यह सुझाव भी दिया कि उत्पादकता बढ़ाने के लिए बागवानी क्लस्टर विकास कार्यक्रमों और उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना में तेजी लाई जाए। कमिटी ने यह भी कहा कि लगभग 12,000 हेक्टेयर खेती योग्य बंजर भूमि उपलब्ध है जिसका उपयोग बागवानी के लिए किया जा सकता है। उसने सुझाव दिया कि एमआईडीएच के तहत बागवानी फसलों को बढ़ावा देने के लिए ऐसी भूमि को खेती योग्य बनाया जाए।
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महिला एवं बाल विकास
Alaya Purewal (alaya@prsindia.org)
स्टैंडिंग कमिटी ने राष्ट्रीय महिला आयोग के कामकाज पर अपनी रिपोर्ट सौंपी
महिला सशक्तिकरण से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: डॉ. हिना विजयकुमार गावित) ने "राष्ट्रीय महिला आयोग और राज्य महिला आयोग का कामकाज" पर अपनी रिपोर्ट सौंपी।[96] राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) का काम महिलाओं की शिकायतों को दूर करना और महिलाओं के लिए विशिष्ट विधायी और नीतिगत उपायों पर सुझाव देना है। कमिटी के प्रमुख निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
राष्ट्रीय महिला आयोग एक्ट, 1990: कमिटी ने कहा कि एनसीडब्ल्यू को अधिक स्वतंत्र और प्रभावी बनाने के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग एक्ट, 1990 की समीक्षा करने की तत्काल आवश्यकता है। कमिटी ने एनसीडब्ल्यू को ऐसे अधिकार देने का सुझाव दिया जिससे वह कुछ हद तक पुलिस को जवाबदेह बना सके, यानी पुलिस एनसीडब्ल्यू के निर्देशों को लागू करे और गैर अनुपालन पर सजा का प्रावधान हो। कमिटी ने एनसीडब्ल्यू को 1990 के एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव देने और उन्हें महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (एमडब्ल्यूसीडी) को सौंपने का भी सुझाव दिया।
राज्य महिला आयोग: कमिटी ने कहा कि कई राज्य महिला आयोग अध्यक्षों की नियुक्ति न होने या धन के आवंटन की कमी के कारण पूरी तरह चालू नहीं हैं। उसने कहा कि बिहार और मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में राज्य महिला आयोग नहीं हैं। कमिटी ने कहा कि अगर राज्य महिला आयोग काम करेंगे तो एनसीडब्ल्यू को संबंधित राज्यों से मिलने वाली शिकायतों के निपटान में मदद मिलेगी। कमिटी ने सहज समन्वय सुनिश्चित करने के लिए राज्य महिला आयोगों के साथ वैधानिक संबंध स्थापित करने का सुझाव दिया। कमिटी के अनुसार, एमडब्ल्यूसीडी को राज्यों से अनुरोध करना चाहिए कि वे रिक्तियों को भरें और आयोगों को पर्याप्त धन आवंटित करें।
सुझावों को लागू करना: कमिटी ने कहा कि एनसीडब्ल्यू ने लगभग 161 कानूनों की समीक्षा की है और उनमें संशोधनों का सुझाव दिया है। इन संशोधनों में निम्नलिखित से संबंधित कानून शामिल हैं: (i) बाल विवाह, (ii) घरेलू हिंसा, (iii) महिलाओं की सुरक्षा, और (iv) गर्भावस्था का मेडिकल टर्मिनेशन। हालांकि कमिटी ने कहा कि एनसीडब्ल्यू के सुझावों को लागू करने के लिए कोई समय सीमा नहीं तय की गई है। उसने एमडब्ल्यूसीडी, कानून एवं न्याय मंत्रालय और अन्य संबंधित मंत्रालयों के भीतर एक तंत्र की स्थापना का सुझाव दिया ताकि एक निश्चित समय सीमा का पालन किया जा सके और एनसीडब्ल्यू के सुझावों का कार्यान्वयन सुनिश्चित हो।
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पर्यटन
Arpita Mallick (arpita@prsindia.org)
स्वदेश दर्शन योजना पर कैग रिपोर्ट सौपी गई
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने 9 अगस्त, 2023 को 'स्वदेश दर्शन योजना' पर अपनी प्रदर्शन ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत की।[97] पर्यटन मंत्रालय ने जनवरी 2015 में स्वदेश दर्शन योजना को शुरू किया था। इसका उद्देश्य देश में पर्यटन के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करना था। मंत्रालय ने 15 पर्यटक सर्किटों में 5,456 करोड़ रुपए की 76 परियोजनाओं को मंजूरी दी। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) हिमालय सर्किट, (ii) उत्तर पूर्व सर्किट और (iii) तटीय सर्किट।
रिपोर्ट में 2015 से 2022 तक योजना के प्रदर्शन की समीक्षा की गई है। समीक्षा के लिए 10 पर्यटक सर्किटों को कवर करने वाले 13 राज्यों की 14 परियोजनाओं को चुना गया था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह योजना कोई व्यवहार्यता अध्ययन किए बिना तैयार की गई थी। इसके परिणामस्वरूप साइटों की पहचान सही तरीके से नहीं हुई और निष्पादन में कमियां आईं, जैसे विलंब और धन का उपयोग न होना। इसके अलावा मंत्रालय ने योजना शुरू करने से पहले कोई राष्ट्रीय या राज्य स्तरीय योजना तैयार नहीं की। विस्तृत परिप्रेक्ष्य योजनाएं (डीपीपी) उन परियोजनाओं के चयन का आधार बनती हैं जिनके लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) बनाई जाती हैं। लॉन्च के बाद, 15 में से 14 सर्किट के लिए डीपीपी तैयार नहीं किए गए। यह योजना अपने दायरे की दूसरी कई योजनाओं के साथ ओवरलैप हुई। स्थायी वित्त समिति ने सुझाव दिया था कि मंत्रालय एक जैसे लक्ष्यों वाली योजनाओं का विलय करके, एक अंब्रैला योजना तैयार करे। यह सुझाव दिया गया था कि मंत्रालय: (i) यह सुनिश्चित करने के लिए वर्तमान योजनाओं की समीक्षा करें कि लक्ष्य एक दूसरे से ओवरलैप न हों, (ii) डीपीपी के अनुरूप दीर्घकालिक विकास योजनाएं तैयार करें, और (iii) प्रस्तावों पर प्रतिक्रिया के लिए एक समयसीमा निर्धारित करें ताकि समय पर अनुमोदन सुनिश्चित हों।
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कार्मिक
Alaya Purewal (alaya@prsindia.org)
स्टैंडिंग कमिटी ने भर्ती संगठनों के कामकाज पर अपनी रिपोर्ट सौंपी
कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री सुशील कुमार मोदी) ने 3 अगस्त, 2023 को 'भारत सरकार के भर्ती संगठनों के कामकाज की समीक्षा' पर अपनी रिपोर्ट पेश की।[98] कमिटी ने विभिन्न भर्ती संगठनों की मौजूदा कार्य प्रक्रिया की समीक्षा की जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी), (ii) कर्मचारी चयन समिति (एसएससी), (iii) राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी (एनआरए), (iv) केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफज़) और (v) बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान (आईबीपीएस)। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
भर्ती परीक्षा की समय सीमा: कमिटी ने कहा कि यूपीएससी द्वारा आयोजित प्रत्येक भर्ती परीक्षा को पूरा होने में छह महीने से एक वर्ष तक का समय लगता है। उसने कहा कि पूरी प्रक्रिया छह महीने से अधिक की नहीं होनी चाहिए। कमिटी ने यह जानकारी मांगी कि क्या यूपीएससी ने परीक्षा चक्र की अवधि कम करने के लिए किसी बदलाव पर विचार किया है। कमिटी ने सुझाव दिया कि एसएससी को परीक्षा चक्र की समय सीमा को कम करने के लिए, जहां भी संभव हो, कंप्यूटर आधारित परीक्षा करानी चाहिए।
एनआरए का कामकाज: कमिटी ने कहा कि एनआरए, जिसे 'ग्रुप बी' और 'ग्रुप सी' कर्मचारियों के लिए परीक्षा आयोजित करने का काम सौंपा गया है, ने अभी तक काम करना चालू नहीं किया है। कमिटी ने भर्ती प्रस्ताव तैयार करने के संबंध में एनआरए को एसएससी और रेलवे भर्ती बोर्ड से परामर्श करने का सुझाव दिया। इसके अतिरिक्त उसने सुझाव दिया कि एनआरए स्नातक (ग्रैजुएट) स्तर की परीक्षाओं से शुरुआत करे, ताकि पात्र उम्मीदवारों की संख्या कम हो पाए।
रिपोर्ट पर पीआरएस के सारांश के लिए कृपया देखें।
[1] Special Session of Parliament, @JoshiPralhad, Minister of Parliamentary Affairs, X, August 31, 2023, https://twitter.com/JoshiPralhad/status/1697184544489910439.
[2] Press Note on Estimates of Gross Domestic Product for the First Quarter (April-June) 2023-24, Ministry of Statistics and Programme Implementation, August 31, 2023, https://www.mospi.gov.in/sites/default/files/press_release/PressNoteQ1_FY24.pdf.
[3] “Quick Estimates of Index of Industrial Production and Use-Based Index for the Month of June 2023”, Press Information Bureau, Ministry of Statistics and Programme Implementation, August 11, 2023, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1947790.
[4] Resolution of the Monetary Policy Committee (MPC), Monetary Policy Statement, 2023-24, August 10, 2023, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/PressRelease/PDFs/PR723MPCBDE77DBC84204BAC85422FA0E28988A1.PDF.
[5] The Government of National Capital Territory of Delhi (Amendment) Bill, 2023, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2023/248046.pdf.
[6] The Government of National Capital Territory of Delhi Act, 1991, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/1923/1/A1992-01.pdf.
[7] The Government of National Capital Territory of Delhi (Amendment) Ordinance, 2023, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2023/245962.pdf.
[8] The Registration of Births and Deaths Bill, 2023, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2023/248046.pdf.
[9] The Registration of Births and Deaths Act, 1960, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/11674/1/the_registration_of_births_and_deaths_act%2C_1969.pdf.
[10] The Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2023/Bharatiya_Nyaya_Sanhita,_2023.pdf.
[11] Lok Sabha Synopsis of Debates, August 11, 2023, https://sansad.in/getFile/Synop/17/XII/SYN_11082023_ENG.pdf?source=loksabhadocs.
[12] The Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023, Lok Sabha, August 11, 2023, https://sansad.in/getFile/BillsTexts/LSBillTexts/Asintroduced/122_2023_LS_ENG811202312939PM.pdf?source=legislation.
[13] The Code of Criminal Procedure, 1973, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/16225/1/a1974-02.pdf.
[14] Synopsis of Debates, Lok Sabha, August 11, 2023, https://sansad.in/getFile/Synop/17/XII/SYN_11082023_ENG.pdf?source=loksabhadocs.
[15] Bhartiya Sakshya Bill, 2023, Ministry of Home Affairs, August 11, 2023, https://sansad.in/getFile/BillsTexts/LSBillTexts/Asintroduced/123_2023_LS_ENG811202320706PM.pdf?source=legislation.
[16] Digital Personal Data Protection Bill, 2023, Ministry of Electronics and Information Technology, August 11, 2023, https://sansad.in/getFile/BillsTexts/LSBillTexts/PassedBothHouses/data%20protection818202332045PM.pdf?source=legislation.
[17] Report No. 48, Standing Committee on Communications and Information Technology: ‘Citizens’ Data Security and Privacy, August 1, 2023, https://sansad.in/getFile/lsscommittee/Communications%20and%20Information%20Technology/17_Communications_and_Information_Technology_48.pdf?source=loksabhadocs.
[18] The Chief Election Commissioner and Other Election Commissioners (Appointment, Conditions of Service, and Terms of Office) Bill, 2023, https://sansad.in/getFile/BillsTexts/RSBillTexts/Asintroduced/chief%20election-E810202351548PM.pdf?source=legislation
[19] The Election Commission (Conditions of Service of Election Commissioners and Transaction of Business) Act, 1991,
[20] S.O 3661(E), The Gazette, August 16, 2023, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2023/248113.pdf.
[21] Delimitation of Parliamentary and Assembly Constituencies in Assam, The Election Commission of India, August 11, 2023, https://eci.gov.in/files/file/15221-delimitation-of-parliamentary-and-assembly-constituencies-in-state-of-assam-%E2%80%93-final-notification-%E2%80%93-regarding/.
[22] “ECI publishes final delimitation order for Assembly and Parliamentary Constituencies of State of Assam after extensive consultations with stakeholders”, Press Information Bureau, Election Commission, August 11, 2023, https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1947865#:~:text=Delimitation%20of%20the%20Assembly%20and,8%20A%20of%20the%20R.%20P.
[23] Report No. 132, Specific Aspects of Election Process and their Reforms, Standing Committee on Personnel, Public Grievances, and Law and Justice, August 04, 2023, https://sansad.in/getFile/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/18/171/132_2023_8_12.pdf?source=rajyasabha.
[24] The Central Goods and Services Tax (Amendment) Bill, 2023, Lok Sabha, August 11, 2023, https://sansad.in/getFile/BillsTexts/LSBillTexts/PassedLoksabha/CGST_2023816202313120PM.pdf?source=legislation.
[25] The Integrated Goods and Services Tax (Amendment) Bill, 2023, Lok Sabha, August 11, 2023, https://sansad.in/getFile/BillsTexts/LSBillTexts/PassedLoksabha/IGST_2023816202313153PM.pdf?source=legislation.
[26] The Central Goods and Services Tax Act, 2017, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/15689/1/A2017-12.pdf.
[27] The Integrated Goods and Services Tax Act, 2017, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/2251/1/A2017-13.pdf.
[28] Consultation paper on review of framework for borrowings by Large Corporates, Securities and Exchange Board of India, August 10, 2023, https://www.sebi.gov.in/reports-and-statistics/reports/aug-2023/consultation-paper-on-review-of-framework-for-borrowings-by-large-corporates_75179.html.
[29] Reset of Floating Interest Rate on Equated Monthly Instalments (EMI) based Personal Loans, Reserve Bank of India, August 18, 2023, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/notification/PDFs/EMILOANCIRCULARBC3C67A8D4554B35BEDF51A6C10DF92C.PDF.
[30] Fair Lending Practices – Penal Charges in Loan Accounts, Reserve Bank of India, August 18, 2023, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/notification/PDFs/FAIRLENDINGPRACTICE1B9DBE75410B4DA881E6EF953304B6F7.PDF.
[31] Consultation Paper on Review of Voluntary Delisting norms under SEBI (Delisting of Equity Shares) Regulations, 2021, Securities and Exchange Board of India, August 14, 2023, https://www.sebi.gov.in/reports-and-statistics/reports/aug-2023/consultation-paper-on-review-of-voluntary-delisting-norms-under-sebi-delisting-of-equity-shares-regulations-2021_75335.html.
[32] Securities and Exchange Board of India (Listing Obligations and Disclosure Requirements) (Third Amendment) Regulations, 2023, Securities and Exchange Board of India, August 23, 2023, https://www.sebi.gov.in/legal/regulations/aug-2023/securities-and-exchange-board-of-india-listing-obligations-and-disclosure-requirements-third-amendment-regulations-2023_75861.html.
[33] Securities and Exchange Board of India (Listing Obligations and Disclosure Requirements) Regulations, 2015, Securities and Exchange Board of India, https://www.sebi.gov.in/legal/regulations/jul-2023/securities-and-exchange-board-of-india-listing-obligations-and-disclosure-requirements-regulations-2015-last-amended-on-july-4-2023-_74143.html.
[34] Consultation Paper on Performance Validation Agency, Securities and Exchange Board of India, August 31, 2023, https://www.sebi.gov.in/reports-and-statistics/reports/aug-2023/consultation-paper-on-performance-validation-agency_76220.html.
[35] The Mines and Minerals (Development and Regulation) Amendment Bill, 2023, Ministry of Coal and Mines, August 9, 2023, https://sansad.in/getFile/BillsTexts/LSBillTexts/PassedBothHouses/mines&mineral8162023122316PM.pdf?source=legislation.
[36] The Mines and Minerals (Development and Regulation) Act, 1957, December 28, 1957, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/1421/1/a1957-67.pdf.
[37] The Offshore Areas Mineral (Development and Regulation) Amendment Bill, 2023, Ministry of Coal and Mines, August 10, 2023, https://sansad.in/getFile/BillsTexts/LSBillTexts/PassedBothHouses/Offshore818202330726PM.pdf?source=legislation.
[38] The Offshore Areas Mineral (Development and Regulation) Act, 2002, January 30, 2002, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/2040/1/200317.pdf.
[39] Indian Institutes of Management (Amendment) Bill, 2023, Ministry of Education, July 28, 2023, https://sansad.in/getFile/BillsTexts/LSBillTexts/PassedBothHouses/IIM818202332526PM.pdf?source=legislation
[40] ‘Shri Dharmendra Pradhan releases National Curriculum Framework for School Education in New Delhi’, Ministry of Education, August 23, 2023, https://dsel.education.gov.in/sites/default/files/update/PIB1951485.pdf.
[41] ‘National Curriculum Framework for School Education (NCF-SE)’, Ministry of Education, https://dsel.education.gov.in/sites/default/files/NCF2023.pdf.
[42] National Curriculum Framework (2005), National Council of Education Research and Training, https://ncert.nic.in/pdf/nc-framework/nf2005-english.pdf.
[43] National Education Policy, 2020, Ministry of Education, https://www.education.gov.in/sites/upload_files/mhrd/files/NEP_Final_English_0.pdf.
[44] The National Dental Commission Bill, 2023, Ministry of Health and Family Welfare (MoHFW), August 11, 2023, https://sansad.in/getFile/BillsTexts/LSBillTexts/PassedBothHouses/dental%20commission818202331751PM.pdf?source=legislation.
[45] The National Nursing and Midwifery Commission Bill, 2023, Ministry of Health and Family Welfare, August 8, 2023
[46] The Indian Nursing Council Act, 1947, December 31, 1947, https://www.indiannursingcouncil.org/uploads/files/16141575032256.pdf
[47] ‘Performance Audit of Ayushman Bharat – Pradhan Mantri Jan Aarogya Yojana’, Comptroller Auditor General of India (CAG), August 08, 2023, https://cag.gov.in/uploads/download_audit_report/2023/Report-No.-11-of-2023_PA-on-PMJAY_English-PDF-A-064d22bab2b83b5.38721048.pdf.
[48] Pharmacy (Amendment) Act, 2023, Ministry of Health and Family Welfare, August 15, 2023, https://sansad.in/getFile/BillsTexts/LSBillTexts/PassedBothHouses/Pharmacy823202325258PM.pdf?source=legislation.
[49] Mental Health Care and its Management in Contemporary Times, August 4, 2023, Standing Committee on Health and Family Welfare, https://sansad.in/getFile/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/14/168/148_2023_8_16.pdf?source=rajyasabha/
[50] The Mediation Bill, 2021
[51] Report No. 117, Mediation Bill 2021 (Volume I- Report), Standing Committee on Personnel, Public Grievances, and Law and Justice, July 13, 2022.
[52] The Advocates (Amendment) Bill, 2023, https://sansad.in/getFile/BillsTexts/RSBillTexts/PassedRajyaSabha/advocate%20amend-E842023112014AM.pdf?source=legislation.
[53] The Advocates Act, 1961, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/1631/1/A1961_25.pdf.
[54] The Legal Practitioners Act, 1879, https://lddashboard.legislative.gov.in/sites/default/files/A1879-18.pdf.
[55] Report No. 133, Judicial Process and their Reforms, Standing Committee on Personnel, Public Grievances, and Law and Justice, August 7, 2023, https://www.google.com/url?q=https://sansad.in/getFile/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/18/171/133_2023_8_10.pdf?source%3Drajyasabha&source=gmail&ust=1693330823043000&usg=AOvVaw3ULP5pnbbo8iSseMSYFImJ.
[56] The Multi-State Co-operative Societies (Amendment) Bill, 2022, https://sansad.in/getFile/BillsTexts/LSBillTexts/PassedLoksabha/215-C_2022_LS_Eng7262023110825AM.pdf?source=legislation.
[57] The Multi-State Co-operative Societies Act, 2002, https://mscs.dac.gov.in/Guidelines/GuidelineAct2002.pdf.
[58] The Inter-Services Organisations (Command, Control and Discipline Bill), 2023, Rajya Sabha, https://sansad.in/getFile/BillsTexts/LSBillTexts/PassedBothHouses/Inter-Services823202325458PM.pdf?source=legislation.
[59] The Press and Registration of Periodicals Bill, 2023, Ministry of Information and Broadcasting, August 3, 2023, https://sansad.in/getFile/BillsTexts/RSBillTexts/PassedRajyaSabha/Press%20&%20registration-E842023111925AM.pdf?source=legislation.
[60] The Press and Registration of Books Act, 1867, March 22, 1867, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/2272/1/A1867__25.pdf.
[61]Report No. 47, Standing Committee on Communications and Information Technology: ‘Review of Functioning of Central Board of Film Certification’, August 1, 2023, https://sansad.in/getFile/lsscommittee/Communications%20and%20Information%20Technology/17_Communications_and_Information_Technology_47.pdf?source=loksabhadocs.
[62] The Post Office Bill, 2023, Ministry of Communications and Information Technology, August 10, 2023, https://sansad.in/getFile/BillsTexts/RSBillTexts/Asintroduced/post%20office-E810202331641PM.pdf?source=legislation.
[63] The Indian Post Office Act, 1898, March 22, 1898, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/2329/1/A1898-06.pdf.
[64] The Jan Vishwas (Amendment of Provisions) Act, 2023, Ministry of Commerce and Industry, August 11, 2023, https://sansad.in/getFile/BillsTexts/LSBillTexts/PassedBothHouses/Jan%20vishwas818202331041PM.pdf?source=legislation.
[65] The Indian Telegraph Right of Way (Amendment) Rules, 2023, Ministry of Communications, August 7, 2023, https://dot.gov.in/sites/default/files/Gazette%20Notification%20IT%20RoW%20Amendment%20Rules%20-%2008082023.pdf?download=1.
[66] The Indian Telegraph Right of Way Rules, 2016, Ministry of Communications, November 15, 2016, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2016/172637.pdf
[67] Consultation Paper on Review of Quality-of-Service Standards for Access Services (Wireless and Wireline) and
Broadband Services (Wireless and Wireline), Telecom Regulatory Authority of India, August 18, 2023, https://www.trai.gov.in/sites/default/files/CP_18082023.pdf.
[68] Recommendations on ‘Introduction of Digital Connectivity Infrastructure Provider (DCIP) Authorization Under Unified License (UL)’, Telecom Reguatory Authority of India, August 8, 2023, https://www.trai.gov.in/sites/default/files/Recommendations_08082023_0.pdf.
[69] Recommendations on License Fee and Policy Matters of DTH Services, Telecom Regulatory Authority of India, August 21, 2023, https://www.trai.gov.in/sites/default/files/Recommendation_21082023_0.pdf.
[70] The Constitution (Scheduled Castes) Order (Amendment) Bill, 2023, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2023/248090.pdf.
[71] The Constitution (Scheduled Castes) Order, 1950, https://lddashboard.legislative.gov.in/sites/default/files/13_The%20Constitution%20%28SC%29%20Order%201950.pdf.
[72] Report No. 51, Drug abuse among young persons- problems and solutions, Department of Social Justice and Empowerment, August 3, 2023, https://sansad.in/getFile/lsscommittee/Social%20Justice%20&%20Empowerment/17_Social_Justice_And_Empowerment_51.pdf?source=loksabhadocs.
[73] ‘Scheme for Promotion of Research and Innovation in Pharma MedTech Sector (PRIP)’, Department of Pharmaceuticals, Ministry of Chemicals and Fertilizers, August 16, 2023, https://pharmaceuticals.gov.in/sites/default/files/Gazette%20Notification%20PRIP%20-%20Dated%2017%20Aug%2023.pdf.
[74] “Union Cabinet approves new Central Sector Scheme ‘PM Vishwakarma’ to support traditional artisans and craftspeople of rural and urban India”, Press Information Bureau, Cabinet Committee on Economic Affairs, August 16, 2023, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1949410.
[75] Report No. 50, ‘Welfare Schemes and Social Security Measures for Textile Workers in Organised and Unorganised Sectors’, Standing Committee on Labour Textiles and Skill Development, Lok Sabha, August 4, 2023, https://sansad.in/getFile/lsscommittee/Labour,%20Textiles%20and%20Skill%20Development/17_Labour_Textiles_and_Skill_Development_50.pdf?source=loksabhadocs.
[76] Report No. 50, ‘Functioning of the Directorate General of Training’, Standing Committee on Labour Textiles and Skill Development, Lok Sabha, August 4, 2023, https://sansad.in/getFile/lsscommittee/Labour,%20Textiles%20and%20Skill%20Development/17_Labour_Textiles_and_Skill_Development_49.pdf?source=loksabhadocs.
[77] “Cabinet approves PM-eBus Sewa for augmenting city bus operations,” Press Information Bureau, Ministry of Housing & Urban Affairs, August 16, 2023, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1949430
[78] Aircraft (Security) Rules, 2023, Ministry of Civil Aviation, August 9, 2023, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2023/247994.pdf
[79] Aircraft (Security) Rules, 2011, Ministry of Civil Aviation, January 19, 2012, http://164.100.60.133/security/Aircraft(Security)%20Rules,%202011.pdf.
[80] Draft Aircraft (Security) Rules, 2022, Ministry of Civil Aviation, November 11, 2022, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2022/240208.pdf
[81] Report No. 353,‘ Issues of Fixing of Airfares’, Standing Committee on Transport, Tourism and Culture, Rajya Sabha, August 10, 2023, https://sansad.in/getFile/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/20/173/353_2023_8_12.pdf?source=rajyasabha
[82] Report No. 16,‘ Performance of Rail Land Development Authority’, Standing Committee on Railways, Lok Sabha, August 8, 2023, https://sansad.in/getFile/lsscommittee/Railways/17_Railways_16.pdf?source=loksabhadocs
[83] Report No. 19 of 2023 – Implementation of Phase I of Bharatmala Pariyojana, Union Government (Ministry of Road Transport and Highway), Comptroller and Auditor General of
India, August 10, 2023, https://cag.gov.in/en/audit-report/details/119177
[84] Report No. 354,‘ Construction of Road over Bridges, Road under Bridges, Service Roads and Review of Road Survey Guidelines, Standing Committee on Transport, Tourism and Culture, Rajya Sabha, August 10, 2023, https://sansad.in/rs/committees/20?departmentally-related-standing-committees
[85] Guidelines for Tariff Based Competitive Bidding Process for Procurement of Power from Grid Connected Wind Solar Hybrid Projects, Ministry of Power, August 21, 2023, https://powermin.gov.in/sites/default/files/webform/notices/Guidelines_for_TBCB_Process_for_Procurement_of_Power_from_Grid_Connected_Wind_Solar_Hybrid_Projects.pdf.
[86] The Electricity Act, 2003, Ministry of Power, May 26, 2003, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/2058/1/A2003-36.pdf.
[87] Ministry of Development of North Eastern Region releases new Scheme Guidelines for implementing Cabinet-approved Schemes during 15th Finance Commission's balance period,” Press Information Bureau, Ministry of Development of North Eastern Region, August 21, 2023, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1950889
[88] ‘Guidelines for North East Special Infrastructure Development Scheme (NESIDS) Road component, Ministry of Development of North Eastern Region, August 21, 2023, https://mdoner.gov.in/contentimages/files/Guidelines-of-NESIDS-(Roads)-23-8-23.pdf
[89] Guidelines for North East Special Infrastructure Development Scheme (NESIDS) Other than Road Infrastructure component, Ministry of Development of North Eastern Region, August 21, 2023, https://mdoner.gov.in/contentimages/files/GUIDELINES-FOR-NESIDS-(OTRI)-1.pdf
[90] Guidelines for Administration of Scheme of North eastern Council, Ministry of Development of North Eastern Region, August 21, 2023, https://mdoner.gov.in/contentimages/files/Guidelines-of-Schemes-of-NEC-dated-21.08.2023-1.pdf
[91] Report No. 182, ‘Ecosystem of Startups to Benefit India’, Standing Committee on Commerce, Rajya Sabha, August 10, 2023, https://sansad.in/getFile/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/13/174/182_2023_8_12.pdf?source=rajyasabha.
[92] Report No. 181, ‘Development of Trade and Industries in North Eastern Region’, India’, Standing Committee on Commerce, Rajya Sabha, August 10, 2023, https://sansad.in/getFile/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/13/174/181_2023_8_12.pdf?source=rajyasabha.
[93] Report No. 37, ‘Sugar Industry in India – A Review’, Standing Committee on Food, Consumer Affairs and Public Distribution, Lok Sabha, August 9, 2023, https://sansad.in/getFile/lsscommittee/Consumer%20Affairs,%20Food%20and%20Public%20Distribution/17_Consumer_Affairs_Food_and_Public_Distribution_32.pdf?source=loksabhadocs.
[94] Report No. 28, ‘Pradhan Mantri Garib Kalyan Anna Yojana (PMGKAY)’, Standing Committee on Food, Consumer Affairs and Public Distribution, Lok Sabha, August 3, 2023, https://sansad.in/getFile/lsscommittee/Consumer%20Affairs,%20Food%20and%20Public%20Distribution/17_Consumer_Affairs_Food_and_Public_Distribution_28.pdf?source=loksabhadocs.
[95] Report No. 31, ‘Coarse Grains: Production and Distribution’, Standing Committee on Food, Consumer Affairs and Public Distribution, Lok Sabha, August 7, 2023, https://sansad.in/getFile/lsscommittee/Consumer%20Affairs,%20Food%20and%20Public%20Distribution/17_Consumer_Affairs_Food_and_Public_Distribution_31.pdf?source=loksabhadocs.
[96] Report No.8, Working of National Commission for Women and State Commissions for Women, Standing Committee on Empowerment of Women, August 10, 2023, https://sansad.in/getFile/lsscommittee/Empowerment%20of%20Women/17_Empowerment_of_Women_8.pdf?source=loksabhadocs.
[97] CAG Report on Swadesh Darshan Scheme, https://cag.gov.in/uploads/download_audit_report/2023/Report-No.-17-Complete-Page-21.07.2023-064d3a794cf1905.74176946.pdf.
[98] Report No. 131, Review of functioning of recruitment organisations of Government of India, Standing Committee on Personnel, Public Grievances, and Law and Justice, August 3, 2023, https://sansad.in/getFile/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/18/171/131_2023_8_18.pdf?source=rajyasabha.
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