
इस अंक की झलकियां
संसद का मानसून सत्र समाप्त
संसद का मानसून सत्र 21 अगस्त, 2025 को समाप्त हुआ। इस सत्र में 21 दिन बैठकें हुईं। इस सत्र के दौरान 13 बिल पेश किए गए, 14 पारित किए गए और पांच बिल्स समितियों को भेजे गए।
रेपो रेट 5.5% पर अपरिवर्तित
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने रेपो रेट को 5.5% पर बरकरार रखने के लिए मतदान किया। स्टैंडर्ड डिपॉजिट फेसिलिटी रेट, मार्जिनल स्टैंडिंग फेसिलिटी रेट और बैंक रेट को भी बहाल रखा गया है।
2025-26 की पहली तिमाही में जीडीपी 7.8% की दर से बढ़ी
सार्वजनिक सेवा क्षेत्र ने 2025-26 की पहली तिमाही में सबसे अधिक वृद्धि (9.8%) दर्ज की, इसके बाद वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाएं (9.5%), और व्यापार, होटल, परिवहन और संचार (8.6%) का स्थान रहा।
आय-कर (संख्या 2) बिल, 2025 संसद में पारित
यह बिल आयकर एक्ट, 1961 का स्थान लेता है। इसमें एक्ट के अधिकांश प्रावधान बरकरार हैं। यह मुख्य रूप से भाषा को सरल बनाता है और अनावश्यक प्रावधानों को हटाता है।
इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी संहिता (संशोधन) बिल, 2025 पेश
बिल कॉरपोरेट देनदारों के लिए लेनदार द्वारा शुरू की गई इनसॉल्वेंसी रेज़ोल्यूशन प्रक्रिया को पेश करता है, जिसमें अदालत के बाहर भी प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इसमें ग्रुप इनसॉल्वेंसी और सीमा-पारीय इनसॉल्वेंसी रेज़ोल्यूशन का भी प्रावधान है।
संविधान (130वां) संशोधन बिल, 2025 पेश
बिल में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या किसी अन्य मंत्री को पद से हटाने का प्रावधान किया गया है, अगर उन्हें पांच वर्ष या उससे अधिक के कारावास से दंडनीय किसी अपराध के लिए लगातार 30 दिनों तक हिरासत में रखा जाता है।
जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) बिल, 2025 पेश
बिल कुछ अपराधों और दंडों को डीक्रिमिनलाइज या सुव्यवस्थित करने के लिए 17 केंद्रीय कानूनों में संशोधन करता है।
संसद द्वारा नौवहन और बंदरगाहों से संबंधित चार बिल पारित
ये बिल मर्चेंट शिपिंग एक्ट, 1958, भारतीय पत्तन एक्ट, 1908 और समुद्री माल परिवहन एक्ट, 1925 का स्थान लेंगे।
खान एवं खनिज (विकास एवं रेगुलेशन) संशोधन बिल पारित
खनन पट्टे में अन्य खनिजों को शामिल करने की अनुमति दी जाएगी। राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट का दायरा बढ़ाकर, अपतटीय क्षेत्रों और भारत के बाहर खदानों और परियोजनाओं के विकास के लिए भी धन मुहैया कराया जाएगा।
राष्ट्रीय स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल, 2025 संसद में पारित
यह बिल राष्ट्रीय खेल बोर्ड की स्थापना करता है जो राष्ट्रीय खेल रेगुलेटरी निकायों को मान्यता देगा।
ऑनलाइन मनी गेमिंग पर प्रतिबंध लगाने वाला बिल संसद में पारित
यह बिल ऑनलाइन मनी गेमिंग और उससे जुड़ी सेवाओं पर प्रतिबंध लगाता है। यह प्रतिबंध उन खेलों पर लागू होता है जिनमें यूजर्स धन या अन्य दांव लगाकर धन या अन्य लाभ प्राप्त करने की उम्मीद करते हैं।
संसद की स्टैंडिंग कमिटीज़ ने रिपोर्ट्स पेश कीं
संसद की स्टैंडिंग कमिटीज़ ने विभिन्न रिपोर्ट्स प्रस्तुत कीं। इनमें साइबर अपराध, नागरिक उड्डयन में सुरक्षा, स्टील स्क्रैप रीसाइकिलिंग, उच्च शिक्षा में आरक्षण और खाद्य प्रसंस्करण से संबंधित मुद्दे शामिल हैं।
संसद
Atri Prasad Rout (atri@prsindia.org)
मानसून सत्र 2025 का समापन
संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई, 2025 से 21 अगस्त, 2025 तक 21 बैठकों के साथ आयोजित किया गया। इस सत्र के दौरान 13 बिल प्रस्तुत किए गए और 14 बिल पारित किए गए।
तीन बिल्स को दोनों सदनों की ज्वाइंट कमिटी को भेजा गया। इन बिल्स में गंभीर आपराधिक मामलों में गिरफ्तारी और नजरबंदी की स्थिति में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों को पद से हटाने का प्रावधान है। दो बिल्स को लोकसभा की सिलेक्ट कमिटीज़ को भेजा गया। ये हैं: इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी संहिता (संशोधन) बिल, 2025 और जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) बिल, 2025।
इस सत्र के दौरान आठ बिल प्रस्तुत और पारित किए गए। इनमें शामिल हैं: (i) आय-कर (संख्या 2) बिल, 2025, (ii) राष्ट्रीय स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल, 2025, (iii) ऑनलाइन गेमिंग प्रमोशन एवं रेगुलेशन बिल, 2025, (iv) खान और खनिज (विकास एवं रेगुलेशन) संशोधन बिल, 2025, और (v) राष्ट्रीय एंटी डोपिंग (संशोधन) बिल, 2025। बजट सत्र के दौरान पेश किया गया आय-कर बिल, 2025 वापस ले लिया गया और उसकी जगह आय-कर (संख्या 2) बिल, 2025 लाया गया।
बंदरगाहों और नौवहन से संबंधित पांच बिल, और गोवा विधानसभा में अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटें आरक्षित करने से संबंधित एक बिल, जो पिछले सत्रों से लंबित थे, भी इस सत्र के दौरान पारित किए गए।
सत्र के दौरान किए गए विधायी कार्यों के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहां देखें।
सत्र के दौरान संसद के कामकाज के विवरण के लिए यहां देखें।
मैक्रोइकोनॉमिक विकास
Shania Ali (shania@prsindia.org)
रेपो रेट 5.5% पर अपरिवर्तित
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने पॉलिसी रेपो रेट (जिस दर पर आरबीआई बैंकों को ऋण देता है) को 5.5% पर बनाए रखने के लिए वोट किया।[1] समिति के अन्य निर्णयों में निम्नलिखित शामिल हैं:
स्टैंडिंग डिपॉजिट फेसिलिटी रेट (जिस दर पर आरबीआई कोलेट्रल दिए बिना बैंकों से उधार लेता है) को 5.25% पर अपरिवर्तित रखा गया।
मार्जिनल स्टैंडिंग फेसिलिटी रेट (जिस दर पर बैंक अतिरिक्त धन उधार ले सकते हैं) और बैंक रेट (जिस दर पर आरबीआई बिल्स ऑफ एक्सचेंज को खरीदता है) को क्रमशः 5.25% और 5.75% पर अपरिवर्तित रखा गया है।
एमपीसी ने अपना तटस्थ रुख जारी रखने का निर्णय लिया।
2025-26 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि का अनुमान 6.5% पर बरकरार रखा गया।
2025-26 की पहली तिमाही में जीडीपी 7.8% की दर से बढ़ी
2025-26 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में सकल घरेलू उत्पाद (स्थिर मूल्यों पर) 2024-25 की इसी अवधि की तुलना में 7.8% की दर से बढ़ा।[2] 2024-25 की पहली तिमाही में जीडीपी में 6.5% की वृद्धि हुई थी। 2024-25 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में जीडीपी में 7.4% की वृद्धि का अनुमान है। इस तिमाही के दौरान नॉमिनल जीडीपी में 8.8% की वृद्धि हुई, जिसका अर्थ है कि मुद्रास्फीति लगभग 1% रही।
आर्थिक क्षेत्रों में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) के संदर्भ में मापा जाता है। 2025-26 की पहली तिमाही में सार्वजनिक सेवा क्षेत्र में सबसे अधिक वृद्धि (9.8%) दर्ज की गई, इसके बाद वित्तीय, रियल एस्टेट और व्यावसायिक सेवाओं अंतरराष्ट्रीय सेवाओं (8.6%) का स्थान रहा।
रेखाचित्र 1: 2011-12 के स्थिर मूल्यों पर सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि (प्रतिशत में, वर्ष-दर-वर्ष)
स्रोत: सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय; पीआरएस।
तालिका 1: 2025-26 की पहली तिमाही में विभिन्न क्षेत्रों में जीवीए में वृद्धि (वर्ष-दर-वर्ष % में)
क्षेत्र |
तिमाही 1 |
||
2023-24 |
2024-25 |
2025-26 |
|
कृषि |
5.7% |
1.5% |
3.7% |
खनन |
4.1% |
6.6% |
-3.1% |
मैन्यूफैक्चरिंग |
7.3% |
7.6% |
7.7% |
बिजली |
4.1% |
10.2% |
0.5% |
निर्माण |
9.2% |
10.1% |
7.6% |
व्यापार |
11.0% |
5.4% |
8.6% |
वित्तीय सेवाएं |
15.0% |
6.6% |
9.5% |
सार्वजनिक सेवाएं |
9.3% |
9.0% |
9.8% |
जीवीए |
9.9% |
6.5% |
7.6% |
जीडीपी |
9.7% |
6.5% |
7.8% |
स्रोत: सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय; पीआरएस।
2025-26 की पहली तिमाही में औद्योगिक उत्पादन में 2% की वृद्धि
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) 2025-26 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 2.0% बढ़ा, जो 2024-25 की इसी अवधि (5.5% की वृद्धि) से कम है।[3][4] उल्लेखनीय है कि आईआईपी की गणना में मैन्यूफैक्चरिंग (78%) का वेटेज सबसे अधिक है, उसके बाद खनन (14%) और बिजली (8%) का स्थान है।
2025-26 की पहली तिमाही में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में 3.3% की वृद्धि हुई। बिजली और खनन दोनों में गिरावट दर्ज की गई। 2025-26 की पहली तिमाही में खनन क्षेत्र में 3.0% की कमी आई। 2024-25 की इसी तिमाही में खनन क्षेत्र में 7.9% की वृद्धि हुई थी। बिजली क्षेत्र में 1.5% की कमी दर्ज की गई।
रेखाचित्र 2: आईआईपी में वृद्धि (%, वर्ष-दर-वर्ष)
स्रोत: सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय; पीआरएस।
वित्त
आय-कर (संख्या 2) बिल, 2025 संसद में पारित
Saket Surya (saket@prsindia.org)
आय-कर (संख्या 2) बिल, 2025 को संसद ने पारित कर दिया।[5] यह आयकर एक्ट, 1961 का स्थान लेता है। यह बिल फरवरी 2025 में प्रस्तुत आय-कर बिल, 2025 के स्थान पर लाया गया था। पिछला बिल लोकसभा की सिलेक्ट कमिटी (चेयर: श्री बैजयंत पांडा) को भेजा गया था, और बाद में उसे वापस ले लिया गया। आय-कर (संख्या 2) बिल, 2025 में सिलेक्ट कमिटी के सुझाव शामिल हैं। बिल में 1961 के एक्ट के अधिकांश प्रावधानों को बरकरार रखा गया है। इसका मुख्य उद्देश्य भाषा को सरल बनाना और अनावश्यक प्रावधानों को हटाना है। व्यक्तियों और निगमों के लिए कर की दरें और व्यवस्थाएं अपरिवर्तित रहेंगी। अधिकांश परिभाषाएं भी बरकरार रखी गई हैं। अपराधों और दंडों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। बिल कर व्यवस्था की संरचना भी बरकरार रखता है। बिल के लागू होने की तारीख 1 अप्रैल, 2026 प्रस्तावित है। मुख्य परिवर्तनों में निम्नलिखित शामिल हैं:
स्कीम बनाने की शक्ति: एक्ट सूचना के फेसलेस कलेक्शन और कर मामलों के निर्धारण का प्रावधान करता है। बिल में इन प्रावधानों को बरकरार रखा गया है। एक्ट में निम्नलिखित क्षेत्रों के लिए फेसलेस तंत्र के विशिष्ट प्रावधान भी हैं: (i) पूछताछ या मूल्यांकन, (ii) आदेशों में संशोधन, और (iii) कर संग्रह और वसूली। बिल इन प्रावधानों के स्थान पर केंद्र सरकार को अधिक दक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए नई स्कीम्स बनाने हेतु सामान्य शक्तियां प्रदान करता है। ऐसा निम्नलिखित द्वारा किया जा सकता है: (i) प्रौद्योगिकी के माध्यम से निर्धारिती (एसेसी) के साथ इंटरफेस को समाप्त करना, या (ii) पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं और कार्यात्मक विशेषज्ञता के माध्यम से संसाधन उपयोग को अनुकूलित करना। इन स्कीम्स को संसद के समक्ष रखा जाना चाहिए।
वर्चुअल डिजिटल स्पेस: एक्ट आयकर अधिकारियों को इमारतों में प्रवेश करने और तलाशी लेने एवं ताले तोड़ने की अनुमति देता है। ऐसा तब किया जा सकता है, जब किसी व्यक्ति ने एक्ट के तहत समन जारी करने के बावजूद कुछ दस्तावेज या बही खाते प्रस्तुत नहीं किए हों। एक्ट अधिकारियों को इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज़ों का निरीक्षण करने का भी अधिकार देता है। बिल इन प्रावधानों को बरकरार रखता है और अधिकारियों को तलाशी और जब्ती की कार्यवाही के दौरान वर्चुअल डिजिटल स्पेस तक पहुंच प्राप्त करने की भी अनुमति देता है। अधिकारियों के पास किसी भी आवश्यक एक्सेस कोड को ओवरराइड करके पहुंच प्राप्त करने की शक्ति होगी। बिल में वर्चुअल डिजिटल स्पेस को एक ऐसे वातावरण, क्षेत्र या परिमंडल के रूप में परिभाषित किया गया है जो कंप्यूटर टेक्नोलॉजी के माध्यम से निर्मित और अनुभव किया जाता है। इसमें ईमेल सर्वर, सोशल मीडिया एकाउंट, ऑनलाइन निवेश और ट्रेडिंग खाते और संपत्ति के स्वामित्व का विवरण स्टोर करने वाली वेबसाइट्स शामिल हैं।
बिल के पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
कराधान कानून (संशोधन) बिल, 2025 संसद में पारित
Ayush Stephen Toppo (ayush@prsindia.org)
कराधान कानून (संशोधन) बिल, 2025 को संसद में पारित कर दिया गया।[6] यह बिल आय-कर एक्ट, 1961 और फाइनांस एक्ट, 2025 में संशोधन करता है।[7]
एकीकृत पेंशन योजना के लिए छूट: 1961 का एक्ट राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली ट्रस्ट द्वारा किए जाने वाले कुछ भुगतानों को आयकर से छूट प्रदान करता है। बिल इस छूट को एकीकृत पेंशन योजना तक भी बढ़ाता है, जिसे केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए एक विकल्प के रूप में पेश किया गया है।
सऊदी अरब के पब्लिक इनवेस्टमेंट फंड के लिए छूट: एक्ट कुछ सोवरिन वेल्थ फंड्स द्वारा भारत में किए गए निवेश से होने वाली आय पर कर छूट का प्रावधान करता है। इसे सऊदी अरब सरकार के कोष तक भी बढ़ा दिया गया है।
बिल के पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
आईबीसी (संशोधन) बिल, 2025 लोकसभा में पेश
Shania Ali (shania@prsindia.org)
इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी संहिता (संशोधन) बिल, 2025 को लोकसभा में पेश किया गया। यह इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी संहिता, 2016 में संशोधन करता है।[8],[9] यह संहिता कंपनियों और व्यक्तियों की इनसॉल्वेंसी के रेज़ोल्यूशन के लिए एक समयबद्ध प्रक्रिया प्रदान करती है। बिल को लोकसभा की सिलेक्ट कमिटी को भेजा गया है। बिल के तहत मुख्य परिवर्तनों में निम्नलिखित शामिल हैं:
लेनदार की तरफ से शुरू की गई इनसॉल्वेंसी रेज़ोल्यूशन की प्रक्रिया (सीआईआईआरपी): बिल में सरकार द्वारा अधिसूचित कॉरपोरेट देनदारों की कुछ श्रेणियों के लिए लेनदारों की तरफ से शुरू की गई इनसॉल्वेंसी रेज़ोल्यूशन की प्रक्रिया (सीआईआईआरपी) पेश की गई है। इस प्रक्रिया को शुरू करने के लिए, ऐसे कम से कम 51% लेनदारों की सहमति (ऋण के मूल्य के अनुसार) आवश्यक है। सीआईआईआरपी शुरू करने वाले लेनदार को देनदार को सूचित करना होगा और उसे अपना पक्ष रखने के लिए कम से कम 30 दिन का समय देना होगा। देनदार प्रक्रिया शुरू होने के खिलाफ राष्ट्रीय कंपनी कानून ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के समक्ष आपत्ति भी दर्ज करा सकता है। सीआईआईआरपी के दौरान कंपनी का प्रबंधन देनदार के पास रहेगा, जो आरपी की निगरानी के अधीन होगा।
समूह की इनसॉल्वेंसी: यह बिल केंद्र सरकार को एक समूह का हिस्सा बनने वाले दो या दो से अधिक कॉरपोरेट देनदारों के खिलाफ इनसॉल्वेंसी की प्रक्रिया के लिए नियम निर्धारित करने का अधिकार देता है।
सीमा पारीय इनसॉल्वेंसी: बिल केंद्र सरकार को सीमा पारीय इनसॉल्वेंसी रेज़ोल्यूशन की प्रक्रिया के प्रबंधन और संचालन के तरीके और शर्तें निर्धारित करने का अधिकार देता है।
सीआईआरपी को दाखिल करना: बिल एनसीएलटी के लिए यह अनिवार्य करता है कि अगर डिफॉल्ट साबित हो जाता है, आवेदन पूरा हो जाता है, और प्रस्तावित रेज़ोल्यूशन प्रोफेशनल के विरुद्ध कोई अनुशासनात्मक कार्यवाही लंबित नहीं है, तो वह आवेदन स्वीकार करे। एनसीएलटी को आवेदन प्राप्त होने के 14 दिनों के भीतर आदेश पारित करना होगा। बिल निर्दिष्ट करता है कि: (i) अगर 14 दिनों के भीतर कोई आदेश पारित नहीं होता है, तो एनसीएलटी को लिखित में कारण दर्ज करने होंगे, और (ii) वित्तीय संस्थानों के रिकॉर्ड डिफॉल्ट का पर्याप्त प्रमाण होंगे।
बिल के पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
आरबीआई ने मौद्रिक नीति संरचना पर एक चर्चा पत्र जारी किया
Shania Ali (shania@prsindia.org)
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने मौद्रिक नीति संरचना की समीक्षा पर एक चर्चा पत्र जारी किया है।[10] मई 2016 में आरबीआई एक्ट, 1934 में एक लचीली मुद्रास्फीति-लक्ष्यीकरण व्यवस्था को अनिवार्य बनाने के लिए संशोधन किया गया था, जिसके तहत केंद्र सरकार आरबीआई के परामर्श से हर पांच वर्ष में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति लक्ष्य निर्धारित करती है। अगस्त 2016 में 2016-21 के लिए ±2% सहनशीलता बैंड के साथ 4% मुद्रास्फीति का लक्ष्य अधिसूचित किया गया था। मार्च 2021 में, इसी लक्ष्य को मार्च 2026 में समाप्त होने वाले पांच-वर्षीय कार्यकाल के लिए बरकरार रखा गया। मार्च 2026 के अंत तक इसकी समीक्षा होनी है। इस पत्र में चर्चा किए गए प्रमुख मुद्दे इस प्रकार हैं:
हेडलाइन या मुख्य मुद्रास्फीति को लक्षित करना: आरबीआई ने खाद्य और ईंधन की अस्थिर प्रकृति और मौद्रिक नीति के प्रति कमज़ोर प्रतिक्रिया के कारण मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण से इन्हें बाहर रखने के तर्कों पर गौर किया। हालांकि उसने आगाह किया कि केवल मुख्य मुद्रास्फीति (जिसमें खाद्य और ईंधन की कीमतें शामिल नहीं हैं) को लक्षित करने से विश्वसनीयता कम हो सकती है। उसने इस बात पर ज़ोर दिया कि लगभग सभी मुद्रास्फीति-लक्ष्यीकरण देश मुख्य मुद्रास्फीति पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
4% के लक्ष्य को बरकरार रखना या संशोधित करना: आरबीआई ने कहा कि ऑप्टिमल मैक्रोइकोनॉमिक स्थितियों के लिए 4% की मुद्रास्फीति दर वांछनीय है। उसने कहा कि लक्ष्य बढ़ाने को वैश्विक निवेशक संरचना के कमजोर पड़ने के रूप में देख सकते हैं, जिससे नीतिगत विश्वसनीयता कमज़ोर होगी।
सहनशीलता बैंड की उपयुक्तता: आरबीआई ने अधिकतम सहनशीलता स्तर निर्धारित करने के लिए थ्रेशहोल्ड मुद्रास्फीति का उपयोग करने का सुझाव दिया है। थ्रेशहोल्ड मुद्रास्फीति वह दर है जिसके ऊपर मुद्रास्फीति का विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जिस दर से नीचे मुद्रास्फीति उत्पादन को हतोत्साहित कर सकती है, वह निचले स्तर का निर्धारण कर सकती है। कई विकासशील अर्थव्यवस्थाएं 1-1.5% सहनशीलता बैंड के साथ 3-4% मुद्रास्फीति का लक्ष्य रखती हैं।
निश्चित लक्ष्य बनाम सीमा-आधारित लक्ष्यीकरण: आरबीआई ने कहा कि निश्चित लक्ष्य से सीमा-आधारित लक्ष्यीकरण (4-6% या 3-6%) की ओर बढ़ने से नीति की विश्वसनीयता कम हो सकती है और राजकोषीय नीति अनुशासन कम हो सकता है।
टिप्पणियां 18 सितंबर, 2025 तक आमंत्रित हैं।
चर्चा पत्र पर पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
आरबीआई ने वित्तीय क्षेत्र में एआई के उपयोग के मार्गदर्शन हेतु रूपरेखा पर एक रिपोर्ट जारी की
Shania Ali (shania@prsindia.org)
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने वित्तीय क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उत्तरदायी और नैतिक सक्षमीकरण हेतु एक फ्रेमर्क (FREE-AI) विकसित करने पर गठित समिति (चेयर: डॉ. पुष्पक भट्टाचार्य) की रिपोर्ट जारी की।[11] इसके प्रमुख सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
नवाचार को बढ़ावा देना: समिति ने नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए निम्नलिखित प्रमुख सुझाव दिए: (i) डेटा तक पहुंच को लोकतांत्रिक बनाने के लिए साझा इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थापना, (ii) स्वदेशी वित्तीय क्षेत्र-विशिष्ट एआई मॉडल का विकास, (iii) आवश्यक रेगुलेटरी मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए एआई नीति तैयार करना, (iv) पूरे क्षेत्र में सर्वोत्तम कार्य पद्धतियों और शिक्षा को साझा करना, और (v) कम जोखिम वाले एआई समाधानों के अनुपालन के लिए अधिक सहिष्णु दृष्टिकोण विकसित करना।
एआई के जोखिमों को कम करना: समिति ने जोखिम न्यूनीकरण और एआई परिनियोजन ढांचे के कार्यान्वयन का सुझाव दिया। उसने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) एआई-सक्षम उत्पादों के लिए अनुमोदन प्रक्रियाओं का विस्तार, (ii) उपभोक्ता संरक्षण ढांचे का विकास और ऑडिट में एआई-संबंधित पहलुओं को शामिल करना, (iii) साइबर सुरक्षा की पद्धतियों और मामलों के रिपोर्टिंग ढांचों में सुधार, (iv) एआई लाइफसाइकिल में गवर्नेंस के फ्रेमवर्क्स की स्थापना, और (v) सुरक्षित एआई उपयोग और उपभोक्ता अधिकारों के बारे में उपभोक्ता जागरूकता में सुधार।
सेबी ने विभिन्न विषयों पर परामर्श पत्र जारी किए
Shania Ali (shania@prsindia.org)
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने निम्नलिखित में प्रस्तावित संशोधनों पर परामर्श पत्र जारी किए: (i) प्रतिभूति अनुबंध (रेगुलेशन) नियम 1957 के तहत न्यूनतम सार्वजनिक प्रस्ताव (एमपीओ) और न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता (एमपीएस) आवश्यकताएं, (ii) सेबी (सूचीबद्धता दायित्व और प्रकटीकरण आवश्यकताएं) रेगुलेशन, 2015 और संबंधित परिपत्रों के तहत संबंधित पार्टी लेनदेन (आरपीटी) पर प्रावधान, और (iii) सेबी (स्टॉक ब्रोकर) रेगुलेशन, 1992 के तहत स्टॉक ब्रोकर रेगुलेशंस।[12],[13],[14] निम्नलिखित प्रमुख परिवर्तन प्रस्तावित हैं:
एमपीओ और एमपीएस आवश्यकताएं: एमपीओ शेयरों के उस न्यूनतम हिस्से को कहा जाता है जो किसी कंपनी को सूचीबद्धता के समय जनता को प्रदान करना होता है। एमपीएस सार्वजनिक शेयरधारिता के उस न्यूनतम स्तर को कहा जाता है जिसे सूचीबद्धता के बाद बनाए रखना आवश्यक है। सेबी ने बाजार पूंजीकरण सीमा में संशोधन का प्रस्ताव दिया है। इसने बहुत बड़े जारीकर्ताओं के लिए एमपीओ आवश्यकताओं को कम करने का भी प्रस्ताव दिया है। एमपीएस समय-सीमा को भी आसान बना दिया गया है, जिससे कुछ बड़ी कंपनियों को वर्तमान पांच वर्षों के बजाय 25% सार्वजनिक शेयरधारिता प्राप्त करने के लिए 10 वर्ष तक का समय मिल गया है। आईपीओ में 35% खुदरा कोटा अपरिवर्तित रहेगा।
संबंधित पक्ष लेनदेन: प्रस्तावित संशोधन सूचीबद्ध संस्थाओं और उनकी सहायक कंपनियों द्वारा किए जाने वाले महत्वपूर्ण आरपीटी के निर्धारण हेतु सीमा को संशोधित करने का प्रयास करते हैं। ये संशोधन आरपीटी के अनुमोदन हेतु लेखा परीक्षा समिति और शेयरधारकों को दी जाने वाली जानकारी में भी छूट प्रदान करने का प्रयास करते हैं। संशोधन शेयरधारकों द्वारा सर्वव्यापी अनुमोदनों की वैधता अवधि को संहिताबद्ध करने का प्रावधान करते हैं। आरपीटी के संदर्भ में, सर्वव्यापी अनुमोदन, ऐसे लेनदेन के वर्ग के लिए दिए गए स्थायी अनुमोदन होते हैं जो बार-बार दोहराए जाते हैं या अनुमोदन के समय पूर्वानुमानित नहीं किए जा सकते। इनके माध्यम से, कंपनियां प्रत्येक लेनदेन के लिए अलग-अलग अनुमोदन प्राप्त करने की आवश्यकता से बच सकती हैं। संशोधन कुछ प्रकार के लेनदेन के लिए आरपीटी प्रावधानों की एप्लिकेबिलिटी को भी स्पष्ट करते हैं।
स्टॉक ब्रोकर रेगुलेशंस: प्रस्तावित परिवर्तन स्टॉक एक्सचेंजों, ब्रोकरों, कानूनी विशेषज्ञों, शिक्षाविदों और निवेशक संघों के प्रतिनिधियों वाले एक कार्य समूह का परिणाम हैं। प्रस्तावित प्रमुख परिवर्तन हैं: (i) एल्गोरिथम ट्रेडिंग जैसी नई परिभाषाएं जोड़ना और कुछ मौजूदा परिभाषाओं में संशोधन, (ii) नियंत्रण में बदलाव के लिए सेबी की मंज़ूरी लेने और नियंत्रण में बदलाव के अलावा अन्य महत्वपूर्ण बदलावों की सूचना देने की आवश्यकता, (iii) योग्य स्टॉक ब्रोकरों के लिए दायित्वों में वृद्धि, (iv) स्टॉक ब्रोकरों के दायित्वों और ज़िम्मेदारियों को शामिल करना, (v) स्टॉक ब्रोकरों के लिए प्रतिबंधित गतिविधियों को शामिल करना, और (vi) चूक की स्थिति में कार्रवाई की प्रक्रिया और अन्य प्रावधानों में संशोधन, ताकि विसंगतियों को दूर किया जा सके, अनावश्यक नियमों को हटाया जा सके और उप-नियमों के साथ समानता लाई जा सके। योग्य स्टॉक ब्रोकर बड़े, व्यवस्थित रूप से महत्वपूर्ण स्टॉक ब्रोकर होते हैं जिन्हें सेबी द्वारा उनके ट्रेडिंग वॉल्यूम, ग्राहक संख्या, परिसंपत्तियों, बाजार प्रभाव और शासन मानकों के आधार पर नामित किया जाता है। प्रस्तावित परिवर्तनों का उद्देश्य अनुपालन को सरल बनाना, आधुनिक बाजार प्रथाओं के साथ तालमेल बिठाना, कंपनी एक्ट, 2013 और अन्य नियमों के साथ सामंजस्य स्थापित करना और निवेशक सुरक्षा को बढ़ाना है।
टिप्पणियां 8 सितंबर, 2025 तक आमंत्रित हैं।
स्टैंडिंग कमिटी ने आर्थिक विकास के रोडमैप पर रिपोर्ट प्रस्तुत की
Shania Ali (shania@prsindia.org)
वित्त से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री भर्तृहरि महताब) ने 'वैश्विक आर्थिक और भू-राजनीतिक परिस्थितियों के मद्देनजर भारतीय आर्थिक विकास का रोडमैप' पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।[15] कमिटी ने विकास के लिए 12 कैटेलिस्ट्स की पहचान की। इनमें मैन्यूफैक्चरिंग और व्यापार, एमएसएमई, कृषि, मूल्य स्थिरता, ऋण उपलब्धता, बुनियादी ढांचा और ऊर्जा संक्रमण शामिल हैं। विकास को गति देने हेतु कमिटी के मुख्य सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन योजनाओं के तहत उच्च-प्रौद्योगिकी क्षेत्रों के लिए सहयोग का विस्तार, (ii) निवेशक आधार में विविधता लाना और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आकर्षित करने के लिए रणनीतिक क्षेत्रों को बढ़ावा देना, (iii) वंचित क्षेत्रों में एमएसएमई के लिए ऋण की पहुंच बढ़ाना, (iv) कृषि-तकनीक में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना, और (v) डिजिटल पहलों के माध्यम से जमा राशि जुटाना।
रिपोर्ट पर पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
स्टैंडिंग कमिटी ने सीसीआई की उभरती भूमिका पर रिपोर्ट प्रस्तुत की
Shania Ali (shania@prsindia.org)
वित्त से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री भर्तृहरि महताब) ने 'अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से डिजिटल परिदृश्य में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) की उभरती भूमिका' पर रिपोर्ट प्रस्तुत की।[16] कमिटी ने डिजिटल क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा-विरोधी कार्य पद्धतियों से निपटने में सीसीआई की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए सुझाव दिए। प्रमुख सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) तेजी से बढ़ती घरेलू फर्मों को अनजाने में रेगुलेट करने से बचने के लिए ड्राफ्ट डिजिटल प्रतिस्पर्धा बिल के तहत सीमाओं में संशोधन करना, (ii) राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा नीति को लागू करना, (iii) क्षेत्रीय रेगुलेटर्स के साथ सहयोग के लिए समझौतों को औपचारिक बनाना और सूचना साझा करने और संयुक्त कार्रवाई के लिए प्रोटोकॉल स्थापित करना, (iv) सीसीआई की स्वीकृत संख्या और उभरती प्रौद्योगिकियों में कर्मचारियों की विशेषज्ञता बढ़ाना, और (v) सेवा की गुणवत्ता, गोपनीयता और बाजारों में प्रवेश बाधाओं जैसे गैर-मूल्य मापदंडों पर विचार करना।
रिपोर्ट पर पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
कानून एवं न्याय
Shirin Pajnoo (shirin@prsindia.org)
संविधान (130वां) संशोधन बिल, 2025 लोकसभा में पेश किया गया
संविधान (एक सौ तीसवां संशोधन) बिल, 2025 को लोकसभा में पेश किया गया।[17] यह बिल प्रधानमंत्री, किसी राज्य के मुख्यमंत्री, या केंद्र या राज्य सरकार के किसी अन्य मंत्री को, अगर उन्हें गंभीर क्रिमिनल मामलों में गिरफ्तार किया जाता है और हिरासत में रखा जाता है, तो पद से हटाने का प्रावधान करता है। यह बिल इन प्रावधानों को केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली पर भी लागू करता है। इन प्रावधानों को केंद्र शासित प्रदेश पुद्दूचेरी और जम्मू-कश्मीर पर लागू करने के लिए दो अन्य बिल भी पेश किए गए हैं। ये हैं: (i) केंद्र शासित प्रदेशों की सरकार (संशोधन) बिल, 2025 और (ii) जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) बिल, 2025।[18],[19] इन तीनों बिल्स को एक ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमिटी को भेजा गया है। इन बिल्स की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
पद से हटाने का आधार: प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या किसी मंत्री को पद से हटा दिया जाएगा, अगर: (i) उस पर ऐसे अपराध का आरोप है जिसके लिए पांच वर्ष या उससे अधिक की अवधि के कारावास की सजा हो सकती है, और (ii) उसे गिरफ्तार किया गया है और लगातार 30 दिनों तक हिरासत में रखा गया है।
पुनर्नियुक्ति पर कोई रोक नहीं: इन प्रावधानों के तहत हटाए गए मंत्री को हिरासत से रिहा होने के बाद पुनर्नियुक्त किया जा सकता है।
संविधान संशोधन बिल के पीआरएस सारांश के लिए यहां देखें।
पुद्दूचेरी और जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेशों पर इन प्रावधानों को लागू करने वाले बिल्स के पीआरएस सारांश के लिए यहां और यहां देखें।
गोवा विधानसभा में अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटें आरक्षित करने वाला बिल संसद में पारित
गोवा राज्य विधानसभा के निर्वाचन क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व का समायोजन बिल, 2024 को संसद में पारित कर दिया गया।[20] यह बिल गोवा विधानसभा में अनुसूचित जनजातियों के लिए जनसंख्या के अनुपात में सीटें आरक्षित करता है।
बिल के पीआरएस सारांश के लिए यहां देखें।
गृह मामलों से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी ने साइबर अपराध पर रिपोर्ट प्रस्तुत की
गृह मामलों से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल) ने 'साइबर अपराध: प्रभाव, संरक्षण और रोकथाम' पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।[21] साइबर अपराध एक गैरकानूनी कृत्य है जिसमें किसी अपराध को अंजाम देने या उसे सुविधाजनक बनाने के लिए तकनीक और डिजिटल प्रणालियों का उपयोग किया जाता है। इनमें साइबर स्पेस में होने वाले अपराध जैसे चोरी, धोखाधड़ी, जालसाजी, मानहानि, हैकिंग, मैलवेयर डिस्ट्रिब्यूशन और साइबर आतंकवाद शामिल हैं। कमिटी ने निम्नलिखित प्रमुख मुद्दों पर प्रकाश डाला: (i) एक व्यापक साइबर अपराध कानून का अभाव, (ii) भ्रामक सामग्री तैयार करने के लिए एआई का बढ़ता उपयोग, (iii) म्यूल एकाउंट्स में वृद्धि, और (iv) अपंजीकृत टेलीमार्केटर्स के खिलाफ शिकायतों में वृद्धि।
कमिटी के प्रमुख सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) साइबर अपराध कानून विकसित करना जो साइबर अपराधों को परिभाषित करता है और कड़े दंडात्मक प्रावधान प्रदान करता है, (ii) कुछ मामलों में पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए मध्यस्थों की आवश्यकता, (iii) एक ढांचा स्थापित करना जो सभी एआई-जनरेटेड कंटेंट को वॉटरमार्क करना अनिवार्य करता है, (iv) अपंजीकृत टेलीमार्केटर्स को ब्लॉक करने के लिए रियल टाइम डिटेक्शन मैकेनिज्म विकसित करना, और (v) सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में राज्य साइबर अपराध समन्वय केंद्र स्थापित करना।
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वाणिज्य एवं उद्योग
जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) बिल, 2025 लोकसभा में पेश
Vaishali Dhariwal (vaishali@prsindia.org)
जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) बिल, 2025 को लोकसभा में पेश किया गया।[22] इसका उद्देश्य 17 केंद्रीय कानूनों में संशोधन करके कुछ अपराधों और दंडों को मुख्यतः अपराधमुक्त या सुव्यवस्थित करना है। बिल को लोकसभा की सिलेक्ट कमिटी को भेजा गया है। प्रमुख परिवर्तनों में निम्नलिखित शामिल हैं:
अपराधों को डीक्रिमिनलाइज करना: बिल कई अपराधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करता है यानी डीक्रिमिनलाइज करता है। उदाहरण के लिए, मोटर वाहन एक्ट, 1988 के तहत, मानसिक या शारीरिक रूप से अयोग्य व्यक्ति द्वारा वाहन चलाना जुर्माने के साथ दंडनीय है। इसके बजाय, बिल इस अपराध के लिए आर्थिक दंड का प्रावधान करता है।
कारावास को हटाना: कई मामलों में, बिल कुछ अपराधों के लिए कारावास को हटाता है। लीगल मीट्रोलॉजी एक्ट, 2009 के तहत, अगर सरकार स्वीकृत टेस्ट सेंटर का मालिक जानबूझकर कानून का उल्लंघन करते हुए किसी बाट या माप पर मुहर लगाता है, तो उसे एक वर्ष तक का कारावास, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। बिल इन अपराधों के लिए कारावास को हटाता है और इसके बजाय केवल जुर्माना लगाता है।
जुर्माने और सजा में संशोधन: बिल कई अपराधों के लिए जुर्माने और दंड के मौद्रिक मूल्य में संशोधन करता है। इसमें आगे प्रावधान किया गया है कि इसके द्वारा निर्दिष्ट जुर्माने और दंड में हर तीन वर्ष में संबंधित न्यूनतम राशि में 10% की वृद्धि होगी।
अपराध के पहले मामले में दंड को हटाना: बिल कुछ कानूनों में संशोधन करके अपराध के पहले मामले पर चेतावनी का प्रावधान करता है। उदाहरण के लिए, केंद्रीय रेशम बोर्ड एक्ट, 1948 में गलत जानकारी देने पर कारावास, जुर्माना या दोनों का दंड दिया जाता है। बिल इसमें संशोधन करके पहले अपराध की स्थिति में चेतावनी जारी करने और बाद के अपराधों के लिए आर्थिक दंड लगाने का प्रावधान करता है।
सुधार नोटिस: बिल लीगल मीट्रोलॉजी एक्ट, 2009 के तहत सुधार नोटिस को पेश करता है। इस एक्ट के तहत नॉन स्टैंडर्ड बाट और माप के निर्माण, उपयोग या बिक्री जैसे कई अपराधों के लिए जुर्माने का प्रावधान है। इसके बजाय, बिल में प्रावधान है कि पहली बार अपराध करने पर सुधार नोटिस जारी किया जा सकता है। इन नोटिसों में एक निश्चित समय सीमा के भीतर गैर-अनुपालन को सुधारना होगा। इसके बाद के अपराधों के लिए जुर्माने का प्रावधान होगा।
नई दिल्ली नगर निगम क्षेत्र में संपत्ति कर और विज्ञापन कर: यह बिल नई दिल्ली नगर पालिका परिषद एक्ट, 1994 में संशोधन करता है। यह एक्ट संपत्ति कर लगाने का प्रावधान करता है। बिल में निर्दिष्ट किया गया है कि संपत्ति कर में भवन कर और खाली भूमि कर शामिल होंगे। यह बिल खाली पड़ी ज़मीनों और इमारतों के आधार मूल्य और संपत्ति कर के निर्धारण व संशोधन के तरीके का सुझाव देने के लिए एक नगर मूल्यांकन समिति की स्थापना करता है। बिल विज्ञापन कर लगाने से संबंधित प्रावधानों को भी हटाता है।
बिल के पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
कैबिनेट ने पीएम-स्वनिधि योजना को मार्च 2030 तक बढ़ाने को मंजूरी दी
Shrusti Singh (shrusti@prsindia.org)
कैबिनेट ने प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना की ऋण अवधि के पुनर्गठन और विस्तार को 31 मार्च, 2030 तक मंज़ूरी दे दी है।[23] इस योजना की घोषणा जून 2020 में रेहड़ी-पटरी वालों को रियायती ब्याज दर पर कार्यशील पूंजी ऋण प्रदान करने के लिए की गई थी।[24] वैधानिक कस्बों के अलावा, अब यह योजना जनगणना कस्बों और अर्ध-शहरी क्षेत्रों के रेहड़ी-पटरी वालों को भी कवर करेगी। इस योजना के तहत कुल परिव्यय 7,332 करोड़ रुपए होने की उम्मीद है। इसका लक्ष्य 50 लाख नए लाभार्थियों को लाभान्वित करना है। प्रमुख परिवर्तनों में शामिल हैं:
बढ़ी हुई ऋण राशि: इस योजना के तहत, ऋण तीन किस्तों में प्रदान किए जाते हैं। लाभार्थी पिछले ऋणों का समय पर या जल्दी भुगतान करने पर अगले ऋण के लिए पात्र होते हैं। वर्तमान में, प्रारंभिक कार्यशील पूंजी ऋण की सीमा 10,000 रुपए है। इसे बढ़ाकर 15,000 रुपए कर दिया गया है। दूसरे ऋण की सीमा 20,000 रुपए से बढ़ाकर 25,000 रुपए कर दी गई है। ऋण की तीसरी किस्त की सीमा 50,000 रुपए पर अपरिवर्तित रहेगी।
यूपीआई-लिंक्ड क्रेडिट कार्ड: जिन लाभार्थियों ने ऋण की दूसरी किश्त चुका दी है, वे यूपीआई-लिंक्ड रुपे क्रेडिट कार्ड प्राप्त करने के पात्र होंगे।
प्रशिक्षण: यह योजना वित्तीय साक्षरता, डिजिटल कौशल, मार्केटिंग, उद्यमिता और खाद्य सुरक्षा एवं स्वच्छता पर प्रशिक्षण के माध्यम से रेहड़ी-पटरीवालों की क्षमता निर्माण पर भी ध्यान केंद्रित करेगी।
पीएम ई-ड्राइव योजना मार्च 2028 तक बढ़ाई गई
Jahanvi Choudhary (jahanvi@prsindia.org)
भारी उद्योग मंत्रालय ने प्रधानमंत्री ई-ड्राइव योजना की अवधि को दो वर्ष और बढ़ाने की अधिसूचना जारी की है।[25] इस योजना को 2024 में 10,900 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ अधिसूचित किया गया था और इसे मार्च 2026 तक लागू किया जाना था। अब इसे बिना किसी अतिरिक्त परिव्यय के मार्च 2028 तक लागू किया जाएगा। इस योजना के निम्नलिखित उद्देश्य हैं: (i) इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने में सहायता करना, (ii) चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करना, और (iii) ईवी निर्माण इकोसिस्टम तैयार करना। यह विस्तार मुख्य रूप से ई-बसों, ई-ट्रकों और परीक्षण एजेंसियों के लिए प्रदान किया गया है। ई-दोपहिया, ई-रिक्शा और ई-तिपहिया वाहनों पर प्रोत्साहन की अवधि नहीं बढ़ाई गई है।
कोयला, खान और इस्पात संबंधी स्टैंडिंग कमिटी ने स्टील स्क्रैप रीसाइकिलिंग नीति पर रिपोर्ट प्रस्तुत की
Vaishali Dhariwal (vaishali@prsindia.org)
कोयला, खान और इस्पात संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री अनुराग सिंह ठाकुर) ने 'स्टील स्क्रैप रीसाइकिलिंग नीति' पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। कमिटी ने निवेश आकर्षित करने, रोजगार सृजन करने और ऋण सुलभ बनाने के लिए स्टील स्क्रैप क्षेत्र को उद्योग का दर्जा देने का सुझाव दिया। उसने सीमित स्क्रैप उपलब्धता को भी एक प्रमुख बाधा बताया और स्क्रैप सामग्री की उपलब्धता बढ़ाने के लिए अनौपचारिक बाज़ारों को औपचारिक बनाने और अप्रयुक्त वाहनों को नष्ट करने का सुझाव दिया। उसने राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन के तहत स्क्रैप हैंडलिंग पर प्रमाणन पाठ्यक्रमों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। कमिटी ने इस्पात उद्योग की उच्च उत्सर्जन तीव्रता पर भी प्रकाश डाला और स्क्रैप-आधारित उत्पादन में तेज़ी से बदलाव का सुझाव दिया। उसने खरीद में स्क्रैप-आधारित स्टील को अस्थायी रूप से वरीयता देने और उत्पादन लागत में उत्सर्जन को शामिल करने का सुझाव दिया। उसने इस्पात मंत्रालय को नोडल एजेंसी के रूप में एक केंद्रीकृत स्क्रैप डेटाबेस बनाने का भी सुझाव दिया।
रिपोर्ट पर पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
वाणिज्य संबंधी स्टैंडिंग कमिटी ने भारतीय चमड़ा उद्योग पर रिपोर्ट प्रस्तुत की
Jahanvi Choudhary (jahanvi@prsindia.org)
वाणिज्य से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: सुश्री डोला सेन) ने 'भारतीय चमड़ा उद्योग: वर्तमान विश्लेषण और भविष्य की संभावनाएं' पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। कमिटी ने चमड़ा उद्योग में कुछ चुनौतियों का उल्लेख किया, जैसे गुणवत्तापूर्ण कच्चे माल की कमी, उद्योग का विखंडित स्वरूप और पर्यावरण-अनुकूल चमड़े के विकल्पों का अभाव। प्रमुख सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) चमड़ा संग्रहण और प्रसंस्करण के बुनियादी ढांचे में सुधार, (ii) इस क्षेत्र को व्यवस्थित करने और कौशल विकास प्रशिक्षण पर नज़र रखने के लिए केंद्रीय पोर्टल स्थापित करना, (iii) एमएसएमई को वित्तीय सहायता प्रदान करना, (iv) मौजूदा एफटीए का लाभ उठाना और यूरोपीय संघ और अमेरिका जैसे संभावित बाजारों के साथ नए एफटीए पर बातचीत करना, और (v) अधिक उपचार संयंत्र स्थापित करना और अन्य देशों में प्रतिबंधित प्रक्रियाओं के बारे में जागरूकता फैलाना।
रिपोर्ट पर पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
वाणिज्य से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी ने कमोडिटी बोर्ड्स पर रिपोर्ट प्रस्तुत की
Jahanvi Choudhary (jahanvi@prsindia.org)
वाणिज्य से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: सुश्री डोला सेन) ने 'कुछ कमोडिटी बोर्ड्स के प्रदर्शन मूल्यांकन और समीक्षा' पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। उसने कॉफ़ी, चाय, रबर और मसालों के कमोडिटी बोर्ड्स में कुछ समस्याओं का उल्लेख किया। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) आयातक देशों द्वारा निर्धारित अनुचित मानकों और उच्च माल ढुलाई शुल्क के कारण निर्यात संबंधी चुनौतियां, (ii) रबर जैसे कुछ प्रकार के बागानों से जुड़े जलवायु जोखिम, (iii) बजटीय आवंटन का इन क्षेत्रों की ज़रूरतों को पूरा न करना और स्वीकृत धनराशि का कम उपयोग, और (iv) कम पैदावार।
कमिटी के प्रमुख सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) कॉफी प्रसंस्करण के लिए प्रयुक्त मशीनरी का शुल्क मुक्त आयात, (ii) कॉफी और मसालों के लिए परिवहन और मार्केटिंग सहायता प्रदान करना, (iii) मिश्रित रबर और मसालों के लिए न्यूनतम आयात मूल्य निर्धारित करना, (iv) रबर बागान के लिए कार्बन क्रेडिट शुरू करना, (v) उत्पाद लिंक्ड प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत मसाला क्षेत्र को शामिल करना, (vi) सरकार समर्थित पौध प्रत्यारोपण कार्यक्रम, और (vii) सभी बोर्ड्स में पर्याप्त वित्तपोषण सुनिश्चित करना।
खनन
Vaishali Dhariwal (vaishali@prsindia.org)
खान और खनिज (विकास एवं रेगुलेशन) संशोधन बिल, 2025 संसद में पारित
खान और खनिज (विकास एवं रेगुलेशन) संशोधन बिल 2025 को संसद में पारित कर दिया गया।[26] बिल खान और खनिज (विकास एवं रेगुलेशन) एक्ट, 1957 में संशोधन करता है।[27] मुख्य परिवर्तनों में निम्नलिखित शामिल हैं:
खनन पट्टे में अन्य खनिजों को शामिल करना: एक्ट के तहत किसी विशिष्ट खनिज के लिए खनन पट्टा प्रदान किया जाता है। बिल में प्रावधान है कि पट्टाधारक मौजूदा पट्टे में अन्य खनिजों को शामिल करने के लिए राज्य सरकार को आवेदन कर सकते हैं। महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों और अन्य निर्दिष्ट खनिजों को शामिल करने के लिए कोई अतिरिक्त राशि का भुगतान नहीं करना होगा। अन्य खनिजों को शामिल करने के लिए पट्टाधारक को उस खनिज की रॉयल्टी के बराबर राशि का भुगतान करना होगा। नीलाम की गई खदानों के मामले में पट्टाधारक को शामिल खनिज के लिए नीलामी प्रीमियम का अतिरिक्त भुगतान करना होगा।
राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट का दायरा बढ़ाया गया: यह एक्ट देश में खनिज अन्वेषण के वित्तपोषण के लिए राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट की स्थापना करता है। बिल ट्रस्ट के दायरे को बढ़ाता है और इसमें खदानों और खनिजों के विकास के लिए भी धनराशि उपलब्ध कराता है। इसके अतिरिक्त यह ट्रस्ट की धनराशि का उपयोग अपतटीय क्षेत्रों और भारत के बाहर अन्वेषण और विकास के लिए करने की अनुमति देता है। बिल ट्रस्ट का नाम बदलकर राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण और विकास ट्रस्ट करता है। एक्ट के तहत सभी पट्टेदारों को ट्रस्ट में रॉयल्टी का दो प्रतिशत जमा करना अनिवार्य है। बिल इस योगदान को बढ़ाकर रॉयल्टी का तीन प्रतिशत तक करता है।
कैप्टिव खदानों की बिक्री की सीमा हटाई गई: एक्ट के तहत कैप्टिव खदानों को अंतिम उपयोग की आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद एक वर्ष में उत्पादित खनिजों का 50% तक बेचने की अनुमति है। बिल खनिजों की बिक्री की सीमा हटाता है।
बिल के पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
जहाजरानी एवं बंदरगाह
मर्चेंट शिपिंग बिल, 2024 संसद में पारित
Vaishali Dhariwal (vaishali@prsindia.org)
मर्चेंट शिपिंग बिल, 2024 को संसद में पारित कर दिया गया।[28] यह बिल मर्चेंट शिपिंग एक्ट, 1958 का स्थान लेता है।[29] बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
जहाजों का अनिवार्य पंजीकरण: एक्ट के अंतर्गत, सभी समुद्री भारतीय जहाजों को पंजीकृत किया जाना चाहिए, केवल उन जहाजों को छोड़कर: (i) जो यंत्रचालित नहीं हैं, या (ii) जिनका वजन 15 टन से कम है और उनका उपयोग केवल भारतीय तटों पर नौवहन के लिए किया जाता है। एक्ट में वेसेल्स यानी जलयान की परिभाषा में कोई भी जहाज, नाव, पाल वाले जहाज या नैविगेशन के लिए इस्तेमाल होने वाले अन्य जलयान शामिल हैं। इसके बजाय बिल में सभी जहाजों को पंजीकृत कराने का प्रावधान किया गया है, चाहे उसे किसी भी प्रकार चलाया जाता हो या उसका वजन कुछ भी हो।
भारतीय जलयानों का स्वामित्व: एक्ट भारतीय जलयानों के स्वामित्व के मानदंड निर्दिष्ट करता है। एक्ट के तहत भारतीय जलयान का अर्थ ऐसे जलयान हैं, जिनका स्वामित्व पूर्ण रूप निम्नलिखित के पास है: (i) भारत के नागरिक, (ii) भारतीय कानूनों के तहत या उनके द्वारा स्थापित कंपनी या निकाय जिनका मुख्य व्यवसाय स्थान भारत में है, और (iii) पंजीकृत सहकारी समिति। बिल इस मानदंड में राहत देता है और निम्नलिखित को इसमें शामिल करता है: (i) वे जहाज जो आंशिक रूप से उपर्युक्त व्यक्तियों के स्वामित्व में हैं, और (ii) वे जहाज जो पूर्णतः या आंशिक रूप से भारत के विदेशी नागरिकों (ओसीआई) के स्वामित्व में हैं।
कुछ विदेशी जलयानों का पंजीकरण: बिल में यह भी कहा गया है कि किसी भारतीय व्यक्ति द्वारा चार्टर किया गया विदेशी जलयान भारतीय जलयान के रूप में पंजीकृत हो सकता है। यह प्रावधान तब लागू होगा, जब स्वामित्व को एक निर्दिष्ट अवधि के बाद चार्टरर को हस्तांतरित करने का इरादा हो।
नौवहन के रेगुलेशन के लिए अथॉरिटीज़: एक्ट केंद्र सरकार को नौवहन महानिदेशक नियुक्त करने का अधिकार देता है। सरकार एक्ट के तहत अपनी शक्तियों और कार्यों को महानिदेशक को सौंप सकती है। एक्ट केंद्र सरकार को सलाह देने के लिए निम्नलिखित बोर्ड्स का गठन करता है: (i) नौवहन से संबंधित मामलों के लिए राष्ट्रीय नौवहन बोर्ड, और (ii) नाविकों के कल्याण के संबंध में सलाह देने के लिए राष्ट्रीय नाविक कल्याण बोर्ड। बिल में इन प्रावधानों को बरकरार रखा गया है।
बिल के पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
कोस्टल शिपिंग बिल, 2024 संसद में पारित
Vaishali Dhariwal (vaishali@prsindia.org)
कोस्टल शिपिंग बिल, 2024 को संसद में पारित कर दिया गया।[30] यह बिल भारतीय तटीय जल में व्यापार करने वाले जहाजों को रेगुलेट करता है। बिल मर्चेंट शिपिंग एक्ट, 1958 के भाग XIV को निरस्त करता है। इस भाग के प्रावधान तटीय जल के भीतर व्यापार करने वाली पाल नौकाओं को छोड़कर बाकी सभी जहाजों को रेगुलेट करते हैं।29 प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:
तटीय व्यापार के तहत आने वाली सेवाएं: एक्ट के तहत तटीय व्यापार का अर्थ है, भारत में एक स्थान या बंदरगाह से दूसरे स्थान तक माल और यात्रियों की ढुलाई। बिल सेवाओं के प्रावधान को इसमें शामिल करने के लिए इसकी परिभाषा में विस्तार करता है। सेवाओं में मछली पकड़ने को छोड़कर एक्सप्लोरेशन, अनुसंधान और कोई अन्य व्यावसायिक गतिविधि शामिल है।
तटीय व्यापार और अन्य उद्देश्यों के लिए लाइसेंस: एक्ट के तहत तटीय व्यापार करने वाले सभी जहाजों के लिए लाइसेंस की आवश्यकता होती है। बिल में कहा गया है कि पूरी तरह से भारतीय व्यक्तियों के स्वामित्व वाले जहाजों को लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होगी। तटीय व्यापार के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए, बिल के तहत कुछ ऐसे जहाजों को लाइसेंस लेना होगा जो पूरी तरह से भारतीय व्यक्तियों के स्वामित्व में नहीं हैं। ये ऐसे जहाज हैं जो: (i) भारतीय व्यक्तियों, अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) या भारत के विदेशी नागरिकों (ओसीआई) द्वारा किराए पर लिए जाते हैं, और (ii) भारतीय और अंतरराष्ट्रीय बंदरगाहों के बीच, या अंतरराष्ट्रीय बंदरगाहों के बीच संचालित होते हैं।
दंड में बदलाव: एक्ट के तहत लाइसेंस के बिना तटीय व्यापार करने या समुद्र में जहाज ले जाने पर छह महीने तक की कैद, या 1,000 रुपए तक का जुर्माना या दोनों भुगतने पड़ सकते हैं। बिल इसमें बदलाव करता है। इसके तहत अधिकतम 15 लाख रुपए तक या लाइसेंस के बिना यात्रा से प्राप्त होने वाले लाभ का चार गुना, इनमें से जो भी अधिक होगा, जुर्माना भरना होगा।
बिल के पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
भारतीय पत्तन बिल, 2025 संसद में पारित
Ayush Stephen Toppo (ayush@prsindia.org)
भारतीय पत्तन बिल, 2025 को संसद में पारित कर दिया गया।[31] यह भारतीय पत्तन एक्ट, 1908 का स्थान लेता है।[32] एक्ट में केंद्र और राज्य सरकारों की निम्नलिखित शक्तियों का उल्लेख किया गया है: (i) बंदरगाहों (पत्तन) की सीमाओं में बदलाव, (ii) बंदरगाहों की सुरक्षा और संरक्षण, और (iii) बंदरगाह-शुल्क, फीस और दूसरे प्रभार लगाना। मुख्य बदलावों में निम्न शामिल हैं:
समुद्री राज्य विकास परिषद: बिल में केंद्र सरकार से यह अपेक्षित है कि वह समुद्री राज्य विकास परिषद की स्थापना करेगी। परिषद केंद्र और राज्य सरकारों के परामर्श से निम्नलिखित के संबंध में दिशानिर्देश जारी करेगी: (i) बंदरगाहों द्वारा जमा किए जाने वाले डेटा या सूचना के साथ-साथ, उन्हें जमा करने, उनके अपडेशन, स्टोरेज और उन्हें परिषद को प्रस्तुत करने का तरीका, (ii) बंदरगाहों से संबंधित डेटा या सूचना का प्रसार, और (iii) बंदरगाह शुल्क की पारदर्शिता सुनिश्चित करना। यह केंद्र सरकार को राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (नेशनल पर्सपेक्टिव प्लान) तैयार करने पर भी सलाह देगी और विधायी पर्याप्तता, बंदरगाहों की कार्यकुशलता एवं बंदरगाहों से कनेक्टिविटी से संबंधित मामलों पर सुझाव देगी।
राज्य समुद्री बोर्ड्स: बिल की अनुसूची में निर्दिष्ट सभी राज्य समुद्री बोर्ड्स को वैधानिक मान्यता प्रदान की गई है। राज्य समुद्री बोर्ड्स के कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) बंदरगाह के इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए लाइसेंसिंग का कार्य करना, (ii) बंदरगाह के सभी कार्यों को सुपरवाइज करना, (iii) बंदरगाह शुल्क तय करना और (iv) बंदरगाह की सीमाओं के भीतर नेविगेशन का रेगुलेशन करना।
विवाद निवारण समिति: बिल में राज्य सरकारों से यह अपेक्षा की गई है कि वे एक विवाद निवारण समिति का गठन करेंगी। जो राज्य के भीतर गैर-प्रमुख बंदरगाहों, बंदरगाह के कन्सेशनेयर्स, बंदरगाहों का उपयोग करने वालों और बंदरगाहों पर सर्विस देने वालों के आपसी विवादों का निपटारा करेगी। समिति के आदेशों के विरुद्ध अपील 60 दिनों के भीतर उच्च न्यायालय में की जा सकेगी।
शुल्क: बंदरगाहों को प्रमुख या गैर-प्रमुख बंदरगाहों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। बिल के तहत, किसी प्रमुख बंदरगाह के लिए शुल्क निम्नलिखित द्वारा तय किया जाएगा: (i) प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण का बोर्ड, या (ii) कंपनी के रूप में पंजीकृत बंदरगाह का निदेशक मंडल। गैर-प्रमुख बंदरगाहों के लिए, राज्य समुद्री बोर्ड या अधिकृत कन्सेशनेयर शुल्क तय करेगा।
बिल पर पीआरएस के विश्लेषण के लिए कृपया देखें।
समुद्री माल परिवहन बिल, 2024 संसद में पारित
Vaishali Dhariwal (vaishali@prsindia.org)
समुद्री माल परिवहन बिल, 2024 संसद में पारित कर दिया गया।[33] यह बिल भारतीय समुद्री माल परिवहन एक्ट, 1925 का स्थान लेता है।[34] एक्ट भारत के एक बंदरगाह से भारत के दूसरे बंदगाह या दुनिया के किसी भी बंदरगाह तक माल की ढुलाई की जिम्मेदारियों, देनदारियों, अधिकार और छूट से संबंधित प्रावधान करता है। बिल एक्ट के सभी प्रावधानों को बरकरार रखता है।
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विदेशी मामले
Shirin Pajnoo (shirin@prsindia.org)
प्रधानमंत्री द्विपक्षीय वार्ता के लिए जापान दौरे पर
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्विपक्षीय वार्ता के लिए जापान पहुंचे। भारत और जापान ने अगले दशक के लिए एक संयुक्त दृष्टिकोण विकसित किया है।[35],[36] इस यात्रा के दौरान सहयोग के जिन प्रमुख क्षेत्रों पर सहमति बनी, उनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
आर्थिक सहयोग: भारत और जापान ने भारत में 10 ट्रिलियन JPY मूल्य के निजी निवेश का लक्ष्य रखा है। उन्होंने यह भी निर्णय लिया कि: (i) भारत-जापान व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते के कार्यान्वयन की समीक्षा की जाएगी, (ii) स्थानीय मुद्रा लेनदेन सहित भुगतान प्रणालियों पर सहयोग बढ़ाया जाएगा, (iii) सेमीकंडक्टर और महत्वपूर्ण खनिजों जैसे क्षेत्रों में आपूर्ति श्रृंखलाओं को मज़बूत करने के लिए भारत-जापान आर्थिक सुरक्षा पहल शुरू की जाएगी, और (iv) भारतीय और जापानी लघु एवं मध्यम उद्यमों (एसएमई) के बीच सहयोग को मज़बूत किया जाएगा।[37]
सुरक्षा सहयोग: दोनों देश अपने सशस्त्र बलों के बीच इंटरऑपरेबिलिटी और तालमेल बढ़ाएंगे।[38] इसमें द्विपक्षीय और बहुपक्षीय अभ्यास और विशेष अभियान इकाइयों के बीच सहयोग शामिल है। वे रक्षा उपकरणों के सह-उत्पादन को भी मज़बूत करेंगे। इसके अलावा, दोनों देश साइबर लचीलापन विकसित करेंगे और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के उपयोग का विस्तार करेंगे।
मोबिलिटी और स्थिरता: भारत और जापान नेक्स्ट जनरेशन मोबिलिटी पार्टनरशिप (एनजीएमपी) स्थापित करेंगे। इसका उद्देश्य उच्च गति की रेल प्रणालियों, डीकार्बोनाइजेशन, ऑटोमोबाइल और कोल्ड-चेन लॉजिस्टिक्स में सहयोग बढ़ाना है। दोनों देश स्वच्छ ऊर्जा साझेदारी को भी मज़बूत करना चाहते हैं।
तकनीक और इनोवेशन: दोनों देश ओपन-इनोवेशन, उन्नत प्रौद्योगिकी, डेटा उपयोग और वित्त पर स्टार्ट-अप्स सहयोग को बढ़ावा देंगे। वे एक संयुक्त कार्य समूह के माध्यम से सूचना और संचार प्रौद्योगिकी में भी सहयोग को बढ़ावा देंगे।
मानव संसाधन आदान प्रदान: दोनों देशों ने पांच वर्षों में पांच लाख कार्मिकों के आदान-प्रदान का लक्ष्य रखा है, जिसमें भारत से जापान के लिए 50,000 कुशल श्रमिक शामिल हैं।
चीनी राष्ट्रपति के साथ प्रधानमंत्री की द्विपक्षीय बैठक
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक से इतर चीनी राष्ट्रपति श्री शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय बैठक की।[39] दोनों देशों ने स्थिर द्विपक्षीय संबंधों के लिए सीमा के मुद्दे का एक निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान विकसित करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। उन्होंने सीधी उड़ानों और वीज़ा सुविधा के माध्यम से लोगों के बीच संबंधों को मज़बूत करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला। इसके अलावा, उनका उद्देश्य द्विपक्षीय व्यापार और निवेश संबंधों का विस्तार करना और व्यापार घाटे को कम करना है। दोनों देशों ने बहुपक्षीय मंचों पर आतंकवाद और निष्पक्ष व्यापार जैसे वैश्विक मुद्दों पर साझा आधार बढ़ाने पर भी ज़ोर दिया।
भारत और यूरेशियन आर्थिक संघ ने मुक्त व्यापार समझौते के लिए संदर्भ शर्तों पर हस्ताक्षर किए
Jahanvi Choudhary (jahanvi@prsindia.org)
भारत और यूरेशियन आर्थिक संघ (ईएईयू) ने मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर वार्ता शुरू करने के लिए संदर्भ शर्तों पर हस्ताक्षर किए हैं।[40] ईएईयू में आर्मेनिया, बेलारूस, कज़ाकिस्तान, किर्गिज़ गणराज्य और रूसी संघ शामिल हैं। संदर्भ शर्तों में एफटीए वार्ताओं का दायरा और प्रक्रिया निर्धारित की गई है। 2024 में भारत और ईएईयू के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग 69 बिलियन USD का था। प्रस्तावित वार्ता के निम्नलिखित उद्देश्य हैं: (i) भारतीय निर्यातकों के लिए बाजार पहुंच का विस्तार करना, (ii) नए क्षेत्रों और भौगोलिक क्षेत्रों में विविधीकरण को बढ़ावा देना, और (iii) एमएसएमई को लाभ सुनिश्चित करना है।
विदेश मामलों से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी ने भारत की हिंद महासागर रणनीति पर रिपोर्ट प्रस्तुत की
विदेश मामलों से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: डॉ. शशि थरूर) ने 'भारत की हिंद महासागर रणनीति के मूल्यांकन' पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।[41] हिंद महासागर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा महासागरीय खंड है। कमिटी ने हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की रणनीतिक ज़िम्मेदारी पर प्रकाश डाला है। उसने निम्नलिखित मुद्दों पर ध्यान दिया: (i) एकीकृत हिंद महासागर रणनीति का अभाव, (ii) क्षेत्र में सुरक्षा संबंधी कई खतरे, (iii) हिंद महासागर क्षेत्र के तटवर्ती राज्यों के साथ बिखरा हुआ जुड़ाव, और (iv) द्विपक्षीय और बहुपक्षीय कूटनीति के प्रति खंडित दृष्टिकोण। प्रमुख सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) एक व्यापक और एकीकृत हिंद महासागर रणनीति बनाना, (ii) प्रत्येक देश की जरूरतों और प्राथमिकताओं को पूरा करते हुए सभी 35 तटवर्ती राज्यों के साथ जुड़ना, और (iii) बेहतर समन्वय के लिए एक अंतर-मंत्रालयी कार्य बल की स्थापना।
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खेल एवं गेमिंग
राष्ट्रीय स्पोर्ट्स गवर्नेस बिल, 2025 संसद में पारित
Jahanvi Choudhary (jahanvi@prsindia.org)
राष्ट्रीय स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल, 2025 को संसद में पारित कर दिया गया।[42] इस बिल का उद्देश्य राष्ट्रीय खेल निकायों को मान्यता प्रदान करना और उनके कामकाज को रेगुलेट करना है। बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
राष्ट्रीय खेल प्रशासन निकाय: बिल में निम्नलिखित की स्थापना का प्रावधान है: (i) राष्ट्रीय ओलंपिक समिति, (ii) राष्ट्रीय पैरालंपिक समिति, और (iii) प्रत्येक निर्दिष्ट खेल के लिए राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय खेल महासंघ। ये राष्ट्रीय निकाय संबंधित अंतरराष्ट्रीय निकायों से संबद्ध होंगे। इन निकायों की राज्य और जिला स्तर पर संबद्ध इकाइयां भी होंगी। बिल इन निकायों से निम्नलिखित स्थापित करने की अपेक्षा करता है: (i) अपने कामकाज के लिए कुछ समितियां, (ii) सदस्यों, सहयोगियों, एथलीट्स, प्रशिक्षकों और प्रायोजकों जैसे व्यक्तियों के आचरण को नियंत्रित करने के लिए एक आचार संहिता, और (iii) ऐसे व्यक्तियों की शिकायतों के लिए एक शिकायत निवारण तंत्र। बिल में कहा गया है कि इन निकायों को अंतरराष्ट्रीय चार्टर और कानून द्वारा मुख्य रूप से प्रशासित किया जाएगा। बिल के साथ किसी भी विवाद की स्थिति में, केंद्र सरकार स्पष्टीकरण जारी कर सकती है।
राष्ट्रीय खेल बोर्ड: बिल केंद्र सरकार को राष्ट्रीय खेल बोर्ड की स्थापना का अधिकार देता है। यह बिल केंद्र सरकार को एक राष्ट्रीय खेल बोर्ड स्थापित करने का अधिकार देता है। यह बोर्ड राष्ट्रीय खेल निकायों को मान्यता प्रदान करेगा, खिलाड़ियों के कल्याण की जांच करेगा और नैतिकता एवं अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुपालन पर दिशानिर्देश जारी करेगा।
राष्ट्रीय खेल ट्रिब्यूनल: बिल में खेल संबंधी विवादों के निपटारे के लिए एक राष्ट्रीय खेल ट्रिब्यूनल के गठन का प्रावधान है। इसके निर्णयों के विरुद्ध अपील सर्वोच्च न्यायालय में की जा सकेगी, जब तक कि अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार स्विट्जरलैंड स्थित कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट में अपील करना आवश्यक न हो।
खेल निकायों के चुनाव: केंद्र सरकार राष्ट्रीय खेल निकायों के चुनावों की देखरेख के लिए निर्वाचन अधिकारियों का एक राष्ट्रीय पैनल स्थापित करेगी।
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ऑनलाइन गेमिंग का प्रमोशन और रेगुलेशन बिल, 2025 संसद में पारित
Ayush Stephen Toppo (ayush@prsindia.org)
ऑनलाइन गेमिंग का प्रमोशन और रेगुलेशन बिल, 2025 को संसद में पारित कर दिया गया।[43] यह बिल ऑनलाइन मनी गेम्स पर प्रतिबंध लगाता है और कुछ अन्य ऑनलाइन गेम्स को बढ़ावा देता है। बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
ऑनलाइन मनी गेम्स पर प्रतिबंध: बिल ऑनलाइन मनी गेम्स और संबंधित सेवाएं पेश करने या उनमें सहायता करने पर प्रतिबंध लगाता है। ऑनलाइन मनी गेम्स को ऐसे ऑनलाइन गेम्स के रूप में परिभाषित किया गया है जिसमें यूज़र धन या अन्य लाभ प्राप्त करने की उम्मीद में धन या अन्य दांव लगाता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि खेल कौशल, संयोग या दोनों पर आधारित है। अन्य दांवों में क्रेडिट, सिक्के और टोकन शामिल हैं जो धन के बराबर या धन में परिवर्तित किए जा सकते हैं। बिल ऐसे खेलों के लिए विज्ञापन करने और वित्तीय लेनदेन को आसान बनाने पर भी प्रतिबंध लगाता है। यह केंद्र सरकार को अधिकार देता है कि वह ऑनलाइन मनी गेमिंग सेवाओं से संबंधित किसी भी जानकारी को सार्वजनिक पहुंच से रोक सकती है।
ई-स्पोर्ट्स और ऑनलाइन सोशल गेम्स को बढ़ावा: बिल केंद्र सरकार को अधिकार देता है कि वह ई-स्पोर्ट्स और ऑनलाइन सोशल गेम्स को मान्यता देने और विकसित करने के लिए कदम उठाए। ई-स्पोर्ट को ऐसे ऑनलाइन गेम के रूप में परिभाषित किया गया है: (i) जो मल्टी-स्पोर्ट्स ईवेंट के अंग के रूप में खेला जाता है, (ii) जिसे राष्ट्रीय स्पोर्ट्स गवर्नेंस एक्ट, 2025 के तहत मान्यता प्राप्त है, (iii) जिसका परिणाम केवल शारीरिक निपुणता, मानसिक चपलता, रणनीतिक सोच या इसी तरह के कौशल जैसे कारकों द्वारा निर्धारित होता है, और (iv) जिसमें मल्टीप्लेयर फॉरमेट में संगठित प्रतिस्पर्धी ईवेंट्स शामिल होते हैं और जिन्हें पूर्व निर्धारित नियमों के अनुसार प्रशासित किया जाता है। इसमें पंजीकरण शुल्क और पुरस्कार राशि का भुगतान शामिल हो सकता है। हालांकि इसमें कोई शर्त या अन्य दांव लगाना, या ऐसे दांवों से किसी भी प्रकार की जीत की उम्मीद शामिल नहीं होनी चाहिए। ऑनलाइन सोशल गेम का अर्थ है, केवल मनोरंजन या कौशल विकास के लिए पेश किया जाने वाला ऑनलाइन गेम। इसमें सदस्यता शुल्क या एकमुश्त प्रवेश शुल्क का भुगतान शामिल हो सकता है, लेकिन दांव के बदले में कोई दांव या मौद्रिक लाभ शामिल नहीं होना चाहिए।
ऑनलाइन गेमिंग से संबंधित प्राधिकरण: केंद्र सरकार एक प्राधिकरण का गठन कर सकती है जिसके पास निम्नलिखित शक्तियां होंगी: (i) यह निर्धारित करना कि क्या कोई ऑनलाइन गेम ऑनलाइन मनी गेम की श्रेणी में आता है, और (ii) ऑनलाइन गेम्स को मान्यता देना, उनका वर्गीकरण और पंजीकरण। सरकार प्राधिकरण की संरचना और नियुक्तियों के लिए नियम व शर्तें निर्धारित करेगी। वह किसी भी मौजूदा प्राधिकरण को ये शक्तियां प्रदान कर सकती है।
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राष्ट्रीय एंटी डोपिंग (संशोधन) बिल, 2025 संसद में पारित
Ayush Stephen Toppo (ayush@prsindia.org)
राष्ट्रीय एंटी डोपिंग (संशोधन) बिल, 2025 को संसद में पारित कर दिया गया।[44] यह बिल राष्ट्रीय एंटी डोपिंग एक्ट, 2022 में संशोधन करता है।[45] डोपिंग खिलाड़ियों द्वारा अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए कुछ प्रतिबंधित पदार्थों के सेवन को कहा जाता है। एक्ट निम्नलिखित की स्थापना करता है: (i) राष्ट्रीय एंटी डोपिंग एजेंसी (नाडा) जो एंटी डोपिंग नियमों को लागू करेगी और (ii) राष्ट्रीय बोर्ड, जो नाडा की निगरानी करेगा और केंद्र सरकार को एंटी डोपिंग नियमों पर सलाह देगा। बिल की प्रमुख विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
केंद्र सरकार को अपील पैनल गठित करने का अधिकार: एक्ट राष्ट्रीय बोर्ड से निम्नलिखित के गठन की अपेक्षा करता है: (i) नियमों के उल्लंघन के परिणामों के निर्धारण के लिए एक अनुशासनात्मक पैनल, और (ii) अनुशासनात्मक पैनल के निर्णयों के विरुद्ध अपील की सुनवाई के लिए एक अपील पैनल। बिल अपील पैनल के गठन की शक्ति बोर्ड की बजाय केंद्र सरकार को सौंपता है। एक्ट बोर्ड को यह अधिकार देता है कि वह रेगुलेशंस के जरिए अपील दायर करने और उनकी सुनवाई के तरीके को निर्दिष्ट करे। इसके बजाय बिल केंद्र सरकार को इन मामलों को निर्धारित करने का अधिकार देता है।
एंटी डोपिंग निकायों की स्वायत्तता: एक्ट राष्ट्रीय खेल एंटी डोपिंग बोर्ड को यह अधिकार देता है कि वह अनुशासनात्मक पैनल और अपील पैनल से उनके कार्यों से संबंधित कोई भी जानकारी हासिल कर सकता है। बिल इन शक्तियों को समाप्त करता है। बिल में कहा गया है कि महानिदेशक या नाडा का कोई भी अन्य सदस्य निम्नलिखित से स्वतंत्र होगा: (i) कोई राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय खेल महासंघ, (ii) ओलंपिक या पैरालंपिक समिति, (iii) कोई सरकारी विभाग, और (iv) खेल या एंटी-डोपिंग के लिए जिम्मेदार कोई एजेंसी।
केवल निर्दिष्ट निकाय ही सीएएस में अपील दायर कर सकते हैं: एक्ट किसी भी व्यक्ति को अपील पैनल के किसी निर्णय के विरुद्ध स्विट्जरलैंड स्थित कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट (सीएएस) में अपील दायर करने की अनुमति देता है। बिल उन व्यक्तियों को निर्दिष्ट करता है जो सीएएस के समक्ष अपील दायर कर सकते हैं। इनमें विश्व एंटी डोपिंग एजेंसी, अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति, अंतरराष्ट्रीय पैरालंपिक समिति और अंतरराष्ट्रीय खेल महासंघ जैसे निकाय शामिल हैं।
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खेल से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी ने भारतीय खेल प्राधिकरण और खेलो इंडिया पर रिपोर्ट प्रस्तुत की
Jahanvi Choudhary (jahanvi@prsindia.org)
शिक्षा, महिला, बाल, युवा एवं खेल से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री दिग्विजय सिंह) ने 'भारतीय खेल प्राधिकरण (एसएआई) और खेलो इंडिया के कामकाज और प्रदर्शन की समीक्षा' पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।[46] एसएआई देश में खेलों और खेल उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार सर्वोच्च निकाय है। खेलो इंडिया खेलों के विकास के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम है। कमिटी ने एसएआई में कम बजट, रिक्तियों और बुनियादी ढांचे की कमी को प्रमुख चुनौतियों के रूप में रेखांकित किया। कमिटी के प्रमुख सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) एसएआई को एक वैधानिक निकाय के रूप में स्थापित करना, (ii) उन खेलों को लक्षित करना जहां भारत के पदक जीतने की संभावना है, और (iii) स्कूली स्तर से लेकर उच्च शिक्षा तक खेलों को शिक्षा के साथ एकीकृत करना।
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ऊर्जा
Ayush Stephen Toppo (ayush@prsindia.org)
कैबिनेट ने 2025-26 तक उज्ज्वला योजना के तहत सबसिडी जारी रखने को मंजूरी दी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के लाभार्थियों के लिए 2025-26 तक एलपीजी सबसिडी जारी रखने को मंजूरी दे दी है।[47] यह योजना 2016 में गरीब परिवारों की महिलाओं को बिना जमा राशि के एलपीजी कनेक्शन प्रदान करने के लिए शुरू की गई थी। लाभार्थियों को एक सिलेंडर, एक प्रेशर रेगुलेटर और इंस्टॉलेशन मुफ्त में मिलता है। एलपीजी सिलेंडर रिफिल के लिए सबसिडी 2022 में शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य पीएमयूवाई परिवारों को अंतरराष्ट्रीय कीमतों में उतार-चढ़ाव से बचाकर एलपीजी के निरंतर उपयोग का समर्थन करना है। शुरुआत में सबसिडी साल में 12 रिफिल तक 200 रुपए प्रति सिलेंडर निर्धारित की गई थी। इसे 2023 में बढ़ाकर 300 रुपए प्रति सिलेंडर कर दिया गया। 2025-26 के लिए 300 रुपए प्रति सिलेंडर की सबसिडी जारी रहेगी।
बिजली मंत्रालय ने एक समान अक्षय ऊर्जा शुल्क व्यवस्था वापस ली
बिजली मंत्रालय ने यूनिफ़ॉर्म रिन्यूएबल एनर्जी टैरिफ मैकेनिज़्म (यूआरईटी) को वापस ले लिया है।[48] यूआरईटी को 2024 में तीन वर्ष की अवधि के लिए लागू किया गया था। यह मैकेनिज़्म खरीदार (जैसे वितरण कंपनी) द्वारा डेवलपर को भुगतान की गई कीमत से संबंधित है। ये टैरिफ आमतौर पर प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से तय किए जाते हैं। मंत्रालय ने बताया कि रिन्यूएबल एनर्जी कार्यान्वयन एजेंसियों (जैसे एनटीपीसी) और डेवलपर्स ने यूआरईटी के तहत बिजली खरीद समझौतों पर हस्ताक्षर करने में खरीदारों की अनिच्छा पर चिंता व्यक्त की है। ऐसा कार्यान्वयन अवधि के दौरान टैरिफ को लेकर अनिश्चितता के कारण हुआ।
यूआरईटी व्यवस्था के तहत अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं को एक साथ पूल किया जाता था, और खरीदार परियोजना-विशिष्ट शुल्क के बजाय एक समान शुल्क का भुगतान करते थे।[49] विभिन्न पूलों में सौर ऊर्जा पूल और सौर-पवन हाइब्रिड पूल शामिल थे। इस व्यवस्था का उद्देश्य बोली-आधारित कीमतों में गिरावट के संदर्भ में खरीदारों पर पड़ने वाले संभावित प्रभाव को कम करना था।
जिन परियोजनाओं के लिए पहले ही बोली लग चुकी है और उन्हें आवंटित किया जा चुका है, वे जारी रहेंगी, लेकिन अब प्रत्येक परियोजना को अलग-अलग उसकी अपनी दरों पर माना जाएगा। कार्यान्वयन एजेंसियां इन परियोजनाओं के लिए बिजली खरीद समझौतों पर हस्ताक्षर करने की प्रक्रिया आगे बढ़ा सकती हैं।
पूर्वोत्तर क्षेत्र
Shirin Pajnoo (shirin@prsindia.org)
कैबिनेट ने असम और त्रिपुरा के लिए विशेष विकास योजनाओं को मंजूरी दी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने असम और त्रिपुरा के लिए विशेष विकास पैकेज (एसडीपी) की मौजूदा केंद्रीय क्षेत्र योजना के तहत चार नए घटकों को मंजूरी दी है।[50] इन घटकों पर कुल अनुमानित परिव्यय 4,250 करोड़ रुपए है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) असम में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 3,000 करोड़ रुपए, (ii) असम में आदिवासियों के निवास वाले गांवों में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 500 करोड़ रुपए, (iii) असम के उत्तरी कैचर हिल्स स्वायत्त परिषद क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 500 करोड़ रुपए, और (iv) त्रिपुरा के आदिवासियों के विकास के लिए 250 करोड़ रुपए। इन घटकों की घोषणा केंद्र सरकार, राज्य सरकार और संबंधित जातीय समूहों के बीच समझौता ज्ञापन के अनुसार की गई है। इन घटकों के निम्नलिखित उद्देश्य हैं: (i) कमजोर और हाशिए पर मौजूद समूहों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार करना, (ii) रोज़गार के अवसरों को बढ़ावा देना, (iii) शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना, और (iv) पर्यटन को बढ़ावा देना। इन्हें 2025-26 और 2029-30 के बीच लागू किया जाएगा।
शिक्षा
Jahanvi Choudhary (jahanvi@prsindia.org)
आईआईएम गुवाहाटी की स्थापना का बिल संसद में पारित
भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) (संशोधन) बिल, 2025 को संसद ने पारित कर दिया है।[51] यह बिल गुवाहाटी, असम में एक आईआईएम की स्थापना हेतु आईआईएम एक्ट, 2017 में संशोधन का प्रावधान करता है।
बिल के पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
कैबिनेट ने एमईआरआईटीई योजना को मंजूरी दी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तकनीकी शिक्षा में बहु-विषयक शिक्षा एवं अनुसंधान सुधार (एमईआरआईटीई) योजना को मंज़ूरी दे दी है।[52] यह योजना लगभग 275 सरकारी या सरकारी सहायता प्राप्त इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक संस्थानों को रोज़गार क्षमता बढ़ाने के लिए सहायता प्रदान करेगी। इस योजना के अंतर्गत प्रमुख पहल में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) इंटर्नशिप के अवसर प्रदान करना, (ii) उद्योग की आवश्यकताओं के अनुरूप पाठ्यक्रम को अपडेट करना, (iii) फैकेल्टी के विकास कार्यक्रमों का आयोजन, और (iv) अनुसंधान केंद्रों की स्थापना। इस योजना को 2025-30 की अवधि के लिए 4,200 करोड़ रुपए के अनुमानित परिव्यय के साथ मंज़ूरी दी गई है। इसे एक केंद्रीय क्षेत्र योजना के रूप में लागू किया जाएगा।
स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए शिक्षण परिणाम-आधारित करिकुलम फ्रेमवर्क के ड्राफ्ट पर टिप्पणियां आमंत्रित
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए शिक्षण परिणाम-आधारित करिकुलम फ्रेमवर्क का ड्राफ्ट जारी किया है।[53] इसका उद्देश्य एक मॉडल करिकुलम तैयार करना है जो प्रोग्राम डिजाइन और सिलेबस विकास में लचीलेपन और नवाचार को प्रोत्साहित करे है। यह फ्रेमवर्क नौ विषयों के लिए तैयार किया गया है। ये विषय हैं: (i) मानव विज्ञान, (ii) रसायन विज्ञान, (iii) वाणिज्य, (iv) भूगोल, (v) अर्थशास्त्र, (vi) गृह विज्ञान, (vii) गणित, (viii) शारीरिक शिक्षा, और (ix) राजनीति विज्ञान। इसका उद्देश्य पाठ्यक्रम को राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के अनुरूप बनाना है। इसका उद्देश्य पाठ्यक्रम में भारतीय सांस्कृतिक और वैज्ञानिक योगदान और ज्ञान की स्वदेशी प्रणालियों को भी एकीकृत करना है।
20 सितंबर, 2025 तक टिप्पणियां आमंत्रित हैं।
शिक्षा से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी ने उच्च शिक्षा में आरक्षण पर रिपोर्ट प्रस्तुत की
शिक्षा, महिला, बाल, युवा और खेल से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री दिग्विजय सिंह) ने 'निजी शिक्षण संस्थानों सहित शिक्षण संस्थानों में अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण के विशेष प्रावधान से संबंधित भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15(5) के कार्यान्वयन' पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।[54] कमिटी ने कहा कि निजी उच्च शिक्षण संस्थानों (एचईआई) में अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के विद्यार्थियों की संख्या काफी कम है। कमिटी के प्रमुख सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) निजी उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षण की नीतियों के कार्यान्वयन हेतु कानून बनाना, (ii) आरक्षण के कार्यान्वयन हेतु निजी उच्च शिक्षण संस्थानों को प्रतिपूर्ति प्रदान करना, (iii) सीटें बढ़ाने के लिए निजी उच्च शिक्षण संस्थानों को सहायता प्रदान करना, और (iv) भेदभाव-विरोधी उपायों का सख्ती से प्रवर्तन और शिकायत निवारण तंत्र का गठन।
रिपोर्ट के पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
शिक्षा से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी ने शिक्षक शिक्षा और प्रशिक्षण पर रिपोर्ट प्रस्तुत की
शिक्षा से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री दिग्विजय सिंह) ने 'राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के कामकाज की समीक्षा और शिक्षक शिक्षा एवं शिक्षकों की क्षमता निर्माण के सहयोग हेतु पहल' पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। कमिटी ने निम्नलिखित मुद्दों पर गौर किया: (i) प्रशिक्षण संस्थानों और स्कूलों में अधिकारियों और फैकेल्टी के पदों का रिक्त होना, (ii) एकीकृत शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत निकास के खंडित विकल्प, (iii) पाठ्यक्रमों की स्व-वित्तपोषित संरचना जिसके कारण किफायत संबंधी चुनौतियां उत्पन्न होती हैं, और (iv) जिला प्रशिक्षण संस्थानों में बुनियादी ढांचे की कमी। प्रमुख सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) मार्च 2026 तक स्थायी भर्ती के माध्यम से रिक्तियों को भरना, (ii) प्रत्येक जिले में कम से कम एक जिला प्रशिक्षण संस्थान और एक सार्वजनिक शिक्षक शिक्षा संस्थान की स्थापना करना, और (iii) यह स्थापित करना कि प्री-प्राइमरी में बच्चों को पढ़ाने के लिए न्यूनतम योग्यता 12वीं कक्षा के साथ दो वर्षीय डिप्लोमा डिग्री होनी चाहिए।
रिपोर्ट के पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
श्रम एवं रोजगार
Shirin Pajnoo (shirin@prsindia.org)
निजी प्लेसमेंट एजेंसियों को रेगुलेट करने के लिए ड्राफ्ट बिल पर टिप्पणियां आमंत्रित
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने निजी प्लेसमेंट एजेंसी (रेगुलेशन) बिल, 2025 के ड्राफ्ट पर टिप्पणियां आमंत्रित की हैं।[55] इसका उद्देश्य भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए भारत और विदेशों में निजी प्लेसमेंट एजेंसियों की गतिविधियों को रेगुलेट करना है। प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:
पंजीकरण: सभी निजी प्लेसमेंट एजेंसियों को सरकार के साथ पंजीकरण कराना होगा। मौजूदा एजेंसियों को कानून लागू होने के 180 दिनों के भीतर पंजीकरण कराना होगा। भारत के बाहर प्लेसमेंट सेवाएं प्रदान करने के लिए, ऐसी एजेंसियों को विदेश मंत्रालय से आवश्यक मंजूरी भी प्राप्त करनी होगी।
प्लेसमेंट एजेंसियों के दायित्व: पंजीकृत निजी प्लेसमेंट एजेंसियों के प्रमुख दायित्वों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) यह सुनिश्चित करना कि नौकरी के इच्छुक और नियोक्ता एक निर्दिष्ट पोर्टल पर पंजीकृत हों, (ii) नौकरी के इच्छुक और नियोक्ताओं की एक रजिस्ट्री बहाल रखना, और (iii) कौशल विकास, कैरियर परामर्श और प्लेसमेंट की सुविधा के लिए अन्य एजेंसियों के साथ समन्वय करना।
प्लेसमेंट सहायता प्राधिकरण: केंद्र सरकार एक केंद्रीय प्लेसमेंट सहायता प्राधिकरण का गठन करेगी। अतिरिक्त सचिव या उससे ऊपर के पद का एक अधिकारी, या मंत्रालय के अंतर्गत रोजगार महानिदेशक, प्राधिकरण के प्रमुख के रूप में कार्य करेगा। प्राधिकरण के प्रमुख कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) एक से अधिक राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में कार्यरत निजी प्लेसमेंट एजेंसियों का पंजीकरण, और (ii) नौकरी के इच्छुक और नियोक्ताओं का एक केंद्रीकृत डेटाबेस बहाल रखना। यह प्राधिकरण बिल के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर किसी एजेंसी का पंजीकरण निलंबित या रद्द कर सकता है।
राज्य सरकार श्रम एवं रोजगार विभाग के अंतर्गत एक प्राधिकरण को राज्य प्लेसमेंट सहायता प्राधिकरण के रूप में कार्य करने के लिए नामित कर सकती है। इसका नेतृत्व सचिव या उससे ऊपर के पद का एक अधिकारी करेगा। राज्य प्राधिकरण के मुख्य कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) निजी प्लेसमेंट एजेंसियों का पंजीकरण, (ii) धोखाधड़ी की रोकथाम, (iii) पोर्टल का उपयोग करके डेटा संग्रह और विश्लेषण को सुविधाजनक बनाना, और (iv) शिकायत निवारण।
अपराध और दंड: बिना पंजीकरण के प्लेसमेंट सेवाएं प्रदान करना और धोखाधड़ी की गतिविधियों में शामिल होना तीन महीने तक के कारावास और जुर्माने से दंडनीय होगा। नौकरी के प्लेसमेंट के संबंध में आवश्यक जानकारी न देने और पंजीकरण की शर्तों का पालन न करने पर जुर्माना और छह महीने तक के लिए पंजीकरण का अस्थायी निलंबन किया जाएगा।
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कृषि
Shrusti Singh (shrusti@prsindia.org)
कृषि से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी ने कई विषयों पर रिपोर्ट प्रस्तुत की
कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री चरणजीत सिंह चन्नी) ने निम्नलिखित विषयों पर रिपोर्ट प्रस्तुत की: (i) “फिशिंग बंदरगाहों का विकास और आधुनिकीकरण”, (ii) “स्वदेशी मवेशी नस्लों के संरक्षण और विकास के लिए एनडीडीबी की भूमिका”, और (iii) “मेक इन इंडिया” कार्यक्रम के तहत खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की पहल”।[56],[57],[58] प्रमुख निष्कर्ष और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
फिशिंग बंदरगाह: कमिटी ने कहा कि भारत में फिशिंग क्षेत्र समग्र कृषि और संबद्ध क्षेत्र की तुलना में अधिक वार्षिक औसत दर से बढ़ रहा है। इस क्षेत्र में वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए कमिटी ने निम्नलिखित प्रमुख सुझाव दिए: (i) फिशिंग बंदरगाहों और फिश लैंडिंग सेंटर्स के विकास और आधुनिकीकरण में तेजी लाना, (ii) लीन और फिशिंग बैन वाली अवधि में मछुआरों को वित्तीय सहायता में वृद्धि करना, (iii) गहरे समुद्र में चलने वाले जहाजों के बेड़े का आकार बढ़ाना, और (iv) मछुआरों और मत्स्य पालकों को पीएम-किसान और मुफ्त बिजली जैसे लाभ प्रदान करना।
स्वदेशी मवेशी नस्लें: कमिटी के प्रमुख सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) राष्ट्रीय गोकुल मिशन (स्वदेशी गोजातीय नस्लों के विकास और संरक्षण के लिए एक योजना) के तहत लक्ष्य प्राप्ति में कमियों को दूर करना, (ii) स्वदेशी गाय की नस्लों के जीनोमिक चयन को अधिक समावेशी बनाना, (iii) 50,000 से कम आबादी वाली स्वदेशी गाय की नस्लों की आबादी बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना, और (iv) सीमन स्टेशनों का आउटपुट और वितरण बढ़ाना।
खाद्य प्रसंस्करण: कमिटी ने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग 2013-14 और 2023-24 के बीच मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की तुलना में अधिक वार्षिक औसत वृद्धि दर से बढ़ा है। उसने इस क्षेत्र में मुख्य मुद्दों में से एक के रूप में पर्याप्त कोल्ड चेन और भंडारण सुविधाओं की कमी को चिन्हित किया। कमिटी के प्रमुख सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) विदेशी कंपनियों द्वारा निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए एफडीआई अनुमोदन प्रक्रिया में तेजी लाना, (ii) खाद्य सुरक्षा अनुपालन को बढ़ाने के लिए एफएसएसएआई के प्रयासों को बढ़ाना, (iii) खाद्य सुरक्षा और मानक एक्ट, 2006 के तहत मिलावट और गैर-अनुपालन के मामले में इकाइयों और कारखानों के स्थान पर व्यक्तियों को ब्लैक लिस्ट में डालना, (iv) ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में ई-कॉमर्स प्लेटफार्म्स पर एमएसएमई की भागीदारी को बढ़ावा देना, और (v) भारत में फसल के बाद के नुकसान का आकलन करने के लिए एक अपडेटेड अध्ययन करना।
रिपोर्ट के पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
रसायन एवं उर्वरक
Ayush Stephen Toppo (ayush@prsindia.org)
रसायन एवं उर्वरक से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी ने उर्वरक क्षेत्र के पीएसयूज़ पर रिपोर्ट प्रस्तुत की
रसायन एवं उर्वरक से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री आज़ाद कीर्ति झा) ने 'उर्वरक क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश से संबंधित मामले- एक समीक्षा' पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।[59], कमिटी ने कुछ सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश में कई वर्षों की देरी का उल्लेख किया। कमिटी ने यह भी कहा कि उर्वरक क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों का बुनियादी ढांचा पुराना है। कमिटी के प्रमुख सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश के लिए एक समयबद्ध प्रक्रिया सुनिश्चित करना, (ii) सार्वजनिक उपक्रमों को वित्तीय सहायता प्रदान करना, जैसे सरकारी ऋणों पर कम ब्याज दरें, (iii) केंद्र सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त करके उनके बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण करना, और (iv) उनकी अप्रयुक्त संपत्तियों को पट्टे पर देकर उनका मुद्रीकरण करना।
रिपोर्ट के पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
रसायन एवं उर्वरक से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी ने फूड-ग्रेड प्लास्टिक पर रिपोर्ट प्रस्तुत की
रसायन एवं उर्वरक से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री आज़ाद कीर्ति झा) ने 'खराब गुणवत्ता वाले या घटिया फूड-ग्रेड प्लास्टिक के उपयोग और उनके भारत की चरम जलवायु स्थितियों के संपर्क में आने से होने वाले स्वास्थ्य संबंधी खतरों' पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।[60] कमिटी के प्रमुख सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) पैकेजिंग और परिवहन के दौरान खाद्य पदार्थों में प्लास्टिक संदूषण की जांच के लिए एक प्राधिकरण निर्दिष्ट करना, (ii) खाद्य पदार्थों पर प्लास्टिक संदूषण के प्रभाव पर अध्ययन करना, और (iii) खाद्य पैकेजिंग के लिए निरीक्षण ढांचे को बेहतर बनाना।
रिपोर्ट के पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
परिवहन
Atri Prasad Raut (atri@prsindia.org)
परिवहन से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी ने नागरिक उड्डयन में सुरक्षा पर रिपोर्ट प्रस्तुत की
परिवहन, पर्यटन एवं संस्कृति से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री संजय कुमार झा) ने 'नागरिक उड्डयन क्षेत्र में सुरक्षा की समग्र समीक्षा' पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।[61] कमिटी ने नागरिक उड्डयन महानिदेशक (डीजीसीए) जैसी रेगुलेटरी संस्थाओं में क्षमता संबंधी मुद्दों और हवाई यातायात प्रबंधन, संचालन और सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियों की समीक्षा की। कमिटी ने सुझाव दिया कि डीजीसीए को भर्ती सहित वैधानिक और प्रशासनिक स्वायत्तता दी जानी चाहिए। कमिटी ने कहा कि डीजीसीए सुरक्षा संबंधी मुद्दों का पता लगाने में तो प्रभावी रहा है, लेकिन उन्हें दूर करने में उतना प्रभावी नहीं रहा है। इसके कारण विमान की फिटनेस से जुड़े मुद्दों सहित कई मुद्दे अनसुलझे हैं। हेलीकॉप्टरों के मामले में कमिटी ने संचालन के लिए एक समान राष्ट्रीय ढांचा बनाने और पायलट्स के लिए क्षेत्र-विशिष्ट प्रशिक्षण और प्रमाणन अनिवार्य करने का सुझाव दिया।
कमिटी ने हवाई यातायात नियंत्रकों की कमी और उनके बढ़ते कार्यभार पर प्रकाश डाला। कमिटी ने थकान जोखिम प्रबंधन प्रणाली लागू करने और प्रशिक्षण क्षमता बढ़ाने का सुझाव दिया। कमिटी ने कहा कि देश में विमानों की संख्या हवाईअड्डों के विकास की गति से आगे निकल रही है, जिससे प्रमुख केंद्रों में क्षमता का असंतुलन पैदा हो रहा है। कमिटी ने विमान बेड़े के विस्तार के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर विकास को समन्वित करने के लिए एक नेशनल कैपिसिटी एलाइममेंट प्लान विकसित करने का सुझाव दिया।
रिपोर्ट के पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
रेलवे से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी ने रेल सुरंगों और पुलों पर रिपोर्ट प्रस्तुत की
रेलवे से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री सी. एम. रमेश) ने 'रोड ओवर ब्रिज/रोड अंडर ब्रिज सहित रेल सुरंगों और पुलों का निर्माण और रखरखाव' पर अपनी चौथी रिपोर्ट प्रस्तुत की।[62] कमिटी ने पुल निगरानी प्रणालियों की मौजूदगी, अंतर्जलीय निरीक्षण क्षमताओं और पर्यावरणीय स्थिरता के उपायों की जांच की। कमिटी ने मंत्रालय को आपदा-संवेदी क्षेत्रों में पुलों का एक डेटाबेस विकसित करने और समय पर चेतावनी और निवारक कार्रवाई के लिए रियल टाइम मॉनिटरिंग सुनिश्चित करने का सुझाव दिया। उसने अंतर्जलीय पुल उप-संरचनाओं के निरीक्षण के लिए रिमोटली ऑपरेटेड रोबोटिक वाहनों के उपयोग का विस्तार करने का सुझाव दिया।
सुरंगों में सुरक्षा के लिए कमिटी ने तीन किलोमीटर से अधिक लंबी सुरंगों के लिए निकासी व्यवस्था या एस्केप टनल उपलब्ध कराने की संभावना की जांच करने का सुझाव दिया। पुलों के निर्माण में देरी को देखते हुए कमिटी ने सुझाव दिया कि राज्य और स्थानीय प्राधिकरणों के सहयोग से शहर-विशिष्ट कार्य योजनाएं तैयार की जानी चाहिए। कमिटी ने कहा कि मंत्रालय को भूमि अधिग्रहण के लिए समय पर सहमति और समर्थन हेतु राज्य सरकारों के साथ समन्वय मजबूत करना चाहिए। कमिटी ने इन बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी जैसे वैकल्पिक वित्तपोषण मॉडल पर विचार करने का भी सुझाव दिया।
ग्रामीण विकास
Vaishali Dhariwal (vaishali@prsindia.org)
ग्रामीण विकास और पंचायती राज से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी ने चार रिपोर्ट प्रस्तुत कीं
ग्रामीण विकास और पंचायती राज से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री सप्तगिरी शंकर उलाका) ने निम्नलिखित विषयों पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की: (i) प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, (ii) स्वच्छ और हरित गांव, (iii) दिशा समितियों का प्रभावी कामकाज, और (iv) ग्राम ऊर्जा स्वराज। कमिटी के मुख्य निष्कर्ष और सुझाव निम्नलिखित हैं:
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना: कमिटी ने पीएमजीएसवाई के कार्यान्वयन की समीक्षा की, जिसका उद्देश्य बारामासी ग्रामीण संपर्क प्रदान करना है। कमिटी ने कहा कि ठेकेदार अक्सर न्यूनतम बोली राशि से 25-30% कम बोली लगाते हैं और उसने सड़कों की गुणवत्ता बरकरार रखने के लिए सुरक्षा जमा राशि का सुझाव दिया। कमिटी ने घटिया निर्माण मानकों और घटिया सामग्री के उपयोग पर भी गौर किया। कमिटी के अनुसार, ठेकेदारों की जिम्मेदारी होती है कि वे सड़क निर्माण के पांच वर्ष बाद तक सड़कों का रखरखाव करें, लेकिन कई बार वे ऐसा नहीं करते। सड़कों का रखरखाव ठीक से नहीं किया जाता। कमिटी ने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने और उन्हें ब्लैक लिस्ट में डालने का सुझाव दिया। कमिटी ने बेहतर निगरानी के लिए अनिवार्य भौतिक निरीक्षण और नियमित वीडियो सत्यापन के लिए टीमें बनाने का भी सुझाव दिया। कमिटी ने यह भी सुनिश्चित करने का सुझाव दिया कि सड़कें केवल गांवों के बाहरी इलाकों तक ही नहीं, बल्कि संपर्करहित बस्तियों तक भी पहुंचें। कमिटी ने भारी भार सहने के लिए सड़कों की मोटाई बढ़ाने का भी सुझाव दिया।
रिपोर्ट के पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
स्वच्छ एवं हरित गांव: ग्राम पंचायत विकास योजनाओं में स्वच्छता को शामिल करते हुए "स्वच्छ और हरित ग्राम" थीम शामिल है। कमिटी ने पाया कि पंचायती राज मंत्रालय के अंतर्गत इस थीम के लिए कोई समर्पित योजना मौजूद नहीं है। उसने पंचायतों के लिए पर्याप्त वित्तीय सहायता के साथ स्वच्छता पर केंद्रित एक योजना शुरू करने का सुझाव दिया। उसने आगे सुझाव दिया कि पंचायतों को सीधे धन हस्तांतरण के लिए एक 'स्वच्छ ग्राम कोष' बनाया जाना चाहिए। कमिटी ने कहा कि निर्माण लागत बढ़ने के बावजूद घरेलू शौचालयों के लिए वित्तीय सहायता 12,000 रुपए पर स्थिर है। उसने इस राशि को बढ़ाने और पंचायतों को अपने संसाधनों से इसे पूरा करने की अनुमति देने का सुझाव दिया। उसने सामुदायिक शौचालयों के लिए नियमित सफाई और जल आपूर्ति के साथ दीर्घकालिक रखरखाव अनुबंधों का भी सुझाव दिया।
दिशा समितियों का प्रभावी कामकाज: कमिटी ने जिला और राज्य स्तरीय जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समितियों (दिशा समितियों) के कामकाज की समीक्षा की, जो 35 मंत्रालयों की 96 केंद्रीय योजनाओं के कार्यान्वयन की देखरेख करती हैं। उसने बैठकों की नियमितता में कमियां पाईं और सुझाव दिया कि जिला समितियों की बैठक हर तिमाही और राज्य समितियों की बैठक साल में दो बार हो, ताकि एजेंडा और कार्रवाई रिपोर्ट समय पर प्रसारित की जा सकें। उसने रियल टाइम मॉनिटरिंग और समन्वय के लिए दिशा डैशबोर्ड के बेहतर उपयोग का भी सुझाव दिया। कमिटी ने बैठक के खर्चों की समय पर प्रतिपूर्ति और महिलाओं सहित स्थानीय प्रतिनिधियों की अधिक भागीदारी का भी सुझाव दिया।
ग्रामीण ऊर्जा स्वराज: कमिटी ने ग्रामीण क्षेत्रों में अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए एक नई योजना "ग्राम ऊर्जा स्वराज" शुरू करने का सुझाव दिया। उसने यह सुझाव भी दिया कि ऐसी पहलों को वित्तपोषित करने के लिए एक डेडिकेटेड ग्रामीण अक्षय ऊर्जा कोष की स्थापना की जाए। विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए कमिटी ने इंस्टॉलेशंस में इस्तेमाल होने वाली सोलर फिल्मों की गुणवत्ता और टिकाऊपन बढ़ाने का सुझाव दिया। कमिटी ने अक्षय ऊर्जा प्रणालियों के स्टोरेज और दक्षता में सुधार के लिए बैटरी तकनीक को उन्नत करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला। कमिटी ने सुझाव दिया कि पंचायतों को अक्षय ऊर्जा के उत्पादक के रूप में कार्य करना चाहिए और राजस्व उत्पन्न करने के लिए अतिरिक्त बिजली बेचनी चाहिए। इसके अलावा कमिटी ने स्थानीय युवाओं को सोलर पैनलों के इंस्टॉलेशन और रखरखाव का प्रशिक्षण देने का भी सुझाव दिया।
संचार
Ayush Stephen Toppo (ayush@prsindia.org)
संचार से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी ने डाक विभाग में रियल एस्टेट प्रबंधन पर रिपोर्ट प्रस्तुत की
संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: डॉ. निशिकांत दुबे) ने 'डाक विभाग में रियल एस्टेट प्रबंधन' पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।[63] कमिटी ने कहा कि 83% डाकघर किराए के भवनों में स्थित हैं। उसने नए भवनों की संख्या में असमान क्षेत्रीय वितरण का उल्लेख किया। विभाग के पास 1,460 खाली भूखंड हैं, जिनमें से 276 भूखंडों पर अतिक्रमण है। कमिटी ने आगे कहा कि विभाग ने अपनी भूमि परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण की क्षमता का निर्धारण करने के लिए कोई कार्य नहीं किया है।
कमिटी के प्रमुख सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) किराये की संपत्तियों पर निर्भरता कम करने के लिए कम लागत वाली डाक अवसंरचना का निर्माण, (ii) खाली भूखंडों में अवैध अतिक्रमण को रोकने के लिए स्थानीय प्रशासन और पुलिस को शामिल करना, (iii) डाक परिसंपत्तियों के लिए मुद्रीकरण रणनीति विकसित करना, और (iv) स्टाफ क्वार्टरों का नवीनीकरण और पुनर्निर्माण करना।
रिपोर्ट के पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
[1] Resolution of the Monetary Policy Committee, August 4 to 6, 2025, Monetary Policy Statement 2025-26, Reserve Bank of India, August 6, 2025, https://www.rbi.org.in/Scripts/BS_PressReleaseDisplay.aspx?prid=60957.
[2] Quarterly Estimates of Gross Domestic Product for the First Quarter (April-June) of 2025-26, Ministry of Statistics and Programme Implementation, August 29, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2161834.
[3] “India's Index of industrial production records growth of 3.5% in July 2025”, Press Information Bureau, Ministry of Statistics and Programme Implementation, August 28, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2161516.
[4] “India's IIP records a growth of 4.2% in the June 2024”, Press Information Bureau, Ministry of Statistics and Programme Implementation, August 12, 2024, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2044601.
[5] The Income-Tax (No.2) Bill, 2025, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2025/Bill_as_passed_by_LS_Income_Tax_(No.2)_Bill.pdf.
[6] The Taxation Laws (Amendment) Bill, 2025, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2025/Bill_Text-Taxation_Laws_Bill_2025.pdf.
[7] The Income Tax Act, 1961, https://incometaxindia.gov.in/Documents/income-tax-act-1961-as-amended-by-finance-act-2025.pdf.
[8] The Insolvency and Bankruptcy Code (Amendment) Bill, 2025, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2025/The_Insolvency_and_Bankruptcy_Code_(Amendment)_Bill,2025.pdf.
[9] The Insolvency and Bankruptcy Code, 2016, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/15479/1/the_insolvency_and_bankruptcy_code%2C_2016.pdf.
[10] Discussion Paper on Review of Monetary Policy Framework, Reserve Bank of India, August 21, 2025, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/PressRelease/PDFs/PR951E320767DE8D04E28B8A5C94615F388C9.PDF.
[11] “Framework for Responsible and Ethical Enablement of Artificial Intelligence (FREE-AI)”, Reserve Bank of India, August 13, 2025 , https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs//PublicationReport/Pdfs/FREEAIR130820250A24FF2D4578453F824C72ED9F5D5851.PDF.
[12] Consultation Paper on review of requirement of Minimum Public Offer and timelines to comply with Minimum Public Shareholding for issuers in terms of Securities Contracts (Regulation) Rules, 1957, https://www.sebi.gov.in/reports-and-statistics/reports/aug-2025/consultation-paper-on-review-of-requirement-of-minimum-public-offer-and-timelines-to-comply-with-minimum-public-shareholding-for-issuers-in-terms-of-securities-contracts-regulation-rules-1957_96128.html.
[13] Consultation paper on amendments to provisions relating to related party transactions under SEBI (LODR) Regulations, 2015 and circulars thereunder, https://www.sebi.gov.in/reports-and-statistics/reports/aug-2025/consultation-paper-on-amendments-to-provisions-relating-to-related-party-transactions-under-sebi-lodr-regulations-2015-and-circulars-thereunder_95824.html.
[14] Consultation paper on review of SEBI (Stock Brokers) Regulations, 1992, https://www.sebi.gov.in/reports-and-statistics/reports/aug-2025/consultation-paper-on-review-of-sebi-stock-brokers-regulations-1992_96050.html.
[15] Report No. 26, ‘Roadmap for Indian Economic Growth in Light of Global Economic and Geopolitical Circumstances’, Standing Committee on Finance, Lok Sabha, August 19, 2025, https://sansad.in/getFile/lsscommittee/Finance/18_Finance_26.pdf?source=loksabhadocs.
[16] Report No. 25, ‘Evolving Role of Competition Commission of India in the Economy, Particularly the Digital Landscape’, Standing Committee on Finance, Lok Sabha, August 11, 2025, https://sansad.in/getFile/lsscommittee/Finance/18_Finance_25.pdf?source=loksabhadocs.
[17] The Constitution (One Hundred and Thirtieth Amendment) Bill, 2025, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2025/Constitution_(130th_Amendment)_Bill,2025.pdf.
[18] Government of Union Territories (Amendment) Bill, 2025, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2025/Government_of_UT_(A)%20Bill,2025.pdf.
[19] The Jammu and Kashmir Reorganisation (Amendment) Bill, 2025, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2025/J&K_Reorganisation_(A)_Bill,2025.pdf.
[20] The Readjustment of Representation of Scheduled Tribes in Assembly Constituencies of the State of Goa Bill, 2024, https://sansad.in/getFile/BillsTexts/LSBillTexts/Asintroduced/goa852024124017PM.pdf?source=legislation.
[21] Report no. 254, “Cyber Crime – Ramifications, Protection and Prevention”, Parliamentary Standing Committee on Home Affairs, August 2, 2025, https://sansad.in/getFile/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/15/197/254_2025_8_12.pdf?source=rajyasabha.
[22] The Jan Vishwas (Amendment of Provisions) Bill, 2025, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2025/Bill_Text-Jan_Vishwas_(Amendment_of_Provisions)_Bill_2025.pdf.
[23] “Cabinet approves restructuring & extension of lending period beyond 31.12.2024 of PM Street Vendors Aatmanirbhar Nidhi (PM SVANidhi) Scheme”, Press Information Bureau, Cabinet, August 27, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2161157.
[24] Scheme Guidelines for PM Street Vendor’s Aatmanirbhar Nidhi (PM SVANidhi), Ministry of Housing and Urban Affairs, June 1, 2020, https://mohua.gov.in/upload/uploadfiles/files/Scheme_guidelines_%20PMSAVnidhi%20_%20English.pdf.
[25] “The Ministry of Heavy Industries extends the tenure of the PM E-DRIVE Scheme by 2 years from 31 March 2026 to 31 March 2028”, Press Release, Ministry of Heavy Industries, Press Information Bureau, August 08, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2154408.
[26] The Mines and Minerals (Development and Regulation) Amendment Bill, 2025, Ministry of Mines, https://prsindia.org/billtrack/the-mines-and-minerals-development-and-regulation-amendment-bill-2025.
[27] Mines and Minerals (Development and Regulation) Act, 1957, https://prsindia.org/billtrack/the-mines-and-minerals-development-and-regulation-amendment-bill-2023.
[28] The Merchant Shipping Bill, 2024, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2024/Merchant_Shipping_Bill,_2024.pdf.
[29] The Merchant Shipping Act, 1958, https://dgshipping.gov.in/WriteReadData/userfiles/file/MS%20Act,%201958%20-%20With%20Hyperlinks.pdf.
[30] The Coastal Shipping Bill, 2024, https://prsindia.org/billtrack/the-coastal-shipping-bill-2024.
[31] The Indian Ports Bill, 2025, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2025/Text_Indian_Ports_Bill_2025.pdf.
[32] The Indian Ports Act, 1908, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/2344/1/A1908-15.pdf.
[33] The Carriage of Goods by Sea Bill, 2024, https://prsindia.org/billtrack/the-carriage-of-goods-by-sea-bill-2024.
[34] The Indian Carriage of Goods by Sea Act, 1925, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/2384/1/AAA1925____26.pdf.
[35] “India - Japan Joint Vision for the Next Decade: Eight Directions to Steer the Special Strategic and Global Partnership”, Press Information Bureau, Prime Minister’s Office, August 29, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2161986.
[36] “List of Outcomes: Prime Minister’s Visit to Japan”, Press Information Bureau, Prime Minister’s Office, August 29, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2161945.
[37] “Fact Sheet : India-Japan Economic Security Cooperation”, Press Information Bureau, Prime Minister’s Office, August 29, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2162043.
[38] Joint Declaration on Security Cooperation between India and Japan, Press Information Bureau, Prime Minister’s Office, August 29, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2162017.
[39] “Prime Minister's bilateral meeting with Chinese President Xi Jinping”, Press Information Bureau, Prime Minister’s Office, August 31, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2162428.
[40] “India and Eurasian Economic Union sign Terms of Reference to launch FTA negotiations”, Press Release, Ministry of Commerce and Industry, Press Information Bureau, August 20, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2158480
[41] Report No. 8, Evaluation of India’s Indian Ocean Strategy, Standing Committee on External Affairs, August 2025, https://sansad.in/getFile/lsscommittee/External%20Affairs/18_External_Affairs_8.pdf?source=loksabhadocs.
[42] The National Sports Governance Bill, 2025, Ministry of Youth and Sports Affairs, July 23, 2025, https://sansad.in/getFile/BillsTexts/LSBillTexts/Asintroduced/sports7232025123349PM.pdf?source=legislation.
[43] The Promotion and Regulation of Online Gaming Bill, 2025, https://sansad.in/getFile/BillsTexts/LSBillTexts/PassedLoksabha/gaming%20eng8212025103018AM.pdf?source=legislation.
[44] The National Anti-Doping (Amendment) Bill, 2025 https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2025/National_Anti-Doping(A)_Bill_2025.pdf.
[45] The National Anti-Doping Act, 2022, https://prsindia.org/files/bills_acts/acts_parliament/2022/The%20National%20Anti%20Doping%20Act%202022.pdf.
[46] Report No. 369, ‘Review of functioning and performance of Sports Authority of India (SAI) and Khelo India’, Standing Committee on Education, Women, Children, Youth and Sports, Rajya Sabha, August 20, 2025, https://sansad.in/getFile/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/16/198/369_2025_8_12.pdf?source=rajyasabha.
[47] “Cabinet approves continuation of Targeted Subsidy for Pradhan Mantri Ujjwala Yojana Consumers for 2025-26 at Rs 12,000 crore”, Press Information Bureau, Union Cabinet, August 8, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2154117.
[48] “Uniform Renewable Energy Tariff (URET) Mechanism - dissolution of Solar power central Pool and solar-wind Hybrid central Pool”, Ministry of Power, August 1, 2025, https://powermin.gov.in/sites/default/files/Uniform_Renewable_Energy_Tariff_Mechanism_dissolution_of_Solar_power_central_Pool_and_sola_wind_Hybrid_central_Pool.pdf.
[49] “Approval of Procedure for Implementation of Uniform Renewable Energy Tariff”, Ministry of Power, October 25, 2023, https://powermin.gov.in/sites/default/files/Approval_of_Procedure_for_Implementation_of_Uniform_Renewable_Energy.pdf.
[50] “Cabinet approves Four New Components under the existing Central Sector Scheme of Special Development Packages (SDPs) for Assam and Tripura with a total outlay of Rs.4,250 crore”, Press Release, Cabinet, Press Information Bureau, August 8, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2154123.
[51] The Indian Institutes of Management (Amendment) Bill, 2025, https://sansad.in/getFile/BillsTexts/LSBillTexts/Asintroduced/iim eng8182025122705PM.pdf?source=legislation.
[52] “Cabinet approves Budgetary Support for Multidisciplinary Education and Research improvement in Technical Education (MERITE) Scheme with an outlay of Rs. 4200 crores”, Press Release, Ministry of Education, Press Information Bureau, August 08, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2154138.
[53] Learning Outcomes based Curriculum Framework (LOCF), University Grants Commission, August 20, 2025, https://www.ugc.gov.in/pdfnews/5756506_Public-Notice-LOCF.pdf.
[54] Report No. 369, ‘Review of functioning and performance of Sports Authority of India (SAI) and Khelo India’, Standing Committee on Education, Women, Children, Youth and Sports, Rajya Sabha, August 20, 2025, https://sansad.in/getFile/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/16/198/369_2025_8_12.pdf?source=rajyasabha.
[55] The Draft Private Placement Agency (Regulation) Bill, 2025, https://prsindia.org/files/parliamentry-announcement/2025-09-12/draft_private_placement_Agency_(Regulation)_bill.pdf.
[56] Report No. 20, “Development and Modernisation of Fishing Harbours”, Standing Committee on Agriculture, Animal Husbandry, and Food Processing, Lok Sabha, August 20, 2025, https://sansad.in/getFile/lsscommittee/Agriculture,%20Animal%20Husbandry%20and%20Food%20Processing/18_Agriculture_Animal_Husbandry_and_Food_Processing_20.pdf?source=loksabhadocs.
[57] Report No. 14, “Role of National Dairy Development Board (NDDB) for Protection and Development of Indigenous Cattle Breeds”, Standing Committee on Agriculture, Animal Husbandry, and Food Processing, Lok Sabha, August 20, 2025, https://sansad.in/getFile/lsscommittee/Agriculture,%20Animal%20Husbandry%20and%20Food%20Processing/18_Agriculture_Animal_Husbandry_and_Food_Processing_14.pdf?source=loksabhadocs.
[58] Report No. 21, “Initiatives taken in Food Processing Sector under 'Make In India' Program”, Standing Committee on Agriculture, Animal Husbandry, and Food Processing, Lok Sabha, August 20, 2025, https://sansad.in/getFile/lsscommittee/Agriculture,%20Animal%20Husbandry%20and%20Food%20Processing/18_Agriculture_Animal_Husbandry_and_Food_Processing_21.pdf?source=loksabhadocs.
[59] Report No. 12, Standing Committee on Chemicals and Fertilisers: ‘Matters pertaining to Disinvestment of Fertiliser PSUs- a review’, Lok Sabha, August 20, 2025, https://sansad.in/getFile/lsscommittee/Chemicals%20&%20Fertilizers/18_Chemicals_And_Fertilizers_12.pdf?source=loksabhadocs.
[60] Report No. 13, Standing Committee on Chemicals and Fertilisers: ‘Health Hazards due to use of compromised or substandard quality of food-grade plastics and their exposure to extreme Indian climatic conditions’, Lok Sabha, August 20, 2025, https://sansad.in/getFile/lsscommittee/Chemicals%20&%20Fertilizers/18_Chemicals_And_Fertilizers_13.pdf?source=loksabhadocs.
[61] Three hundred eightieth report of the Standing Committee on Transport, Tourism and Culture, Rajya Sabha, August 20, 2025, https://sansad.in/getFile/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/20/202/380_2025_8_12.pdf?source=rajyasabha
[62] Fourth Report of the Standing Committee on Railways, Lok Sabha, August 11, 2024, https://sansad.in/8f1e6e20-a34e-412b-8e09-a0ed47b48cb7.
[63] Report No. 20, Standing Committee on Communications and Information Technology, Lok Sabha, August 19, 2025 https://sansad.in/getFile/lsscommittee/Communications%20and%20Information%20Technology/18_Communications_and_Information_Technology_20.pdf?source=loksabhadocs.
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