india-map

अपने सांसद को खोजें

Switch to English
  • सांसद और विधायक
    संसद राज्य 2024 चुनाव
  • विधान मंडल
    संसद
    प्राइमर वाइटल स्टैट्स
    राज्यों
    विधानमंडल ट्रैक वाइटल स्टैट्स
    चर्चा पत्र
  • बिल
    संसद राज्य स्टेट लेजिस्लेटिव ब्रीफ
  • बजट
    संसद राज्य चर्चा पत्र
  • नीति
    चर्चा पत्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति मंथली पॉलिसी रिव्यू कमिटी की रिपोर्ट राष्ट्रपति का अभिभाषण वाइटल स्टैट्स COVID-19
  • करियर

अपने सांसद को खोजें

संसद राज्य 2024 चुनाव
प्राइमर वाइटल स्टैट्स
विधानमंडल ट्रैक वाइटल स्टैट्स
चर्चा पत्र
संसद राज्य स्टेट लेजिस्लेटिव ब्रीफ
संसद राज्य चर्चा पत्र
चर्चा पत्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति मंथली पॉलिसी रिव्यू कमिटी कीरिपोर्ट राष्ट्रपति का अभिभाषण वाइटल स्टैट्स COVID-19
  • नीति
  • मंथली पॉलिसी रिव्यू
  • अप्रैल 2022

नीति

  • चर्चा पत्र
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति
  • कमिटी की रिपोर्ट
  • राष्ट्रपति का अभिभाषण
  • मंथली पॉलिसी रिव्यू
  • वाइटल स्टैट्स

अप्रैल 2022

पीडीएफ

अप्रैल 2022

 

इस अंक की झलकियां

 

संसद का बजट सत्र 2022 समाप्त; पांच बिल पारित (पेज 2)

पारित होने वाले बिल्स में आपराधिक दंड प्रक्रिया (पहचान) बिल, 2022 और दिल्ली नगर निगम (संशोधन) बिल, 2022 शामिल हैं। पिछले सत्र से लंबित चार्टर्ड एकाउंटेंट्स बिल भी पारित किया गया।

 

वयस्कों के लिए बूस्टर डोज़ वैक्सीनेशन शुरू; प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज बढ़ाया गया (पेज 2)

दूसरी डोज़ लेने के नौ महीने बाद सभी वयस्क बूस्टर डोज़ के लिए पात्र होंगे। कोविड-19 ड्यूटी में लगे हेल्थवर्कर्स के लिए बीमा कवर को अक्टूबर 2022 तक के लिए बढ़ा दिया गया है।

 

2021-22 के जनवरी-मार्च की तिमाही में रीटेल मुद्रास्फीति 6.3% (पेज 3)

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति जनवरी 2022 में 6.0% से बढ़कर मार्च 2020 में 7.0% हो गई। थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति जनवरी 2021 में 13.7%  से बढ़कर मार्च 2022 में 14.5% हो गई।

 

रेपो और रिवर्स रेपो रेट्स क्रमशः 4% और 3.35% पर अपरिवर्तनीय (पेज 3)

रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट क्रमशः 4% और 3.35% पर अपरिवर्तनीय रही। मौद्रिक नीति कमिटी ने अर्थव्यवस्था में लिक्विडिटी को अवशोषित करने के लिए कोलेट्रल के बिना 3.75% की ब्याज दर के साथ स्टैंडिंग डिपॉजिट फेसिलिटी को शुरू किया।

 

संसद ने दोषियों और गिरफ्तार लोगों के पहचान योग्य विवरणों को जमा करने के लिए बिल पारित (पेज 4)

आपराधिक दंड प्रक्रिया (पहचान) बिल, 2022 को संसद में 6 अप्रैल, 2022 को पारित किया गया। यह दोषियों और गिरफ्तार लोगों की उंगलियों की छाप, रेटिना स्कैन, और खून के सैंपल्स जैसी व्यक्तिगत सूचना को जमा करने का अधिकार देता है।

 

स्टैंडिंग कमिटी ने वन्य जीव (संरक्षण) संशोधन बिल, 2021 पर अपनी रिपोर्ट सौंपी (पेज 8)

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन संबंधी स्टैंडिंग कमिटी ने वन्य जीव (संरक्षण) संशोधन बिल, 2021 पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। बिल वन्य जीवों के व्यापार को रेगुलेट करने के विभिन्न प्रावधानों को लागू करने का प्रयास करता है।

 

एमएसएमई क्षेत्र के लिए क्रेडिट फ्लो को बढ़ाने पर कमिटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी (पेज 7)

वित्त संबंधी स्टैंडिंग कमिटी ने एमएसएमई क्षेत्र के लिए क्रेडिट फ्लो पर अपनी रिपोर्ट पेश की है। उसने क्रेडिट गैप पर गौर किया गया है और सुझाव दिया गया है कि डिजिटल फ्रेमवर्क अपनाया जाए और कैश फ्लो आधारित लेंडिंग की जाए।

 

सभी राज्यों में खाद्य तेलों और तिलहनों पर स्टॉक सीमा दिसंबर 2022 तक बढ़ाई गई (पेज 16) 

आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधानों के कारण खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों को काबू में करने के लिए स्टॉक सीमा लगाई गई है। जिन राज्य़ों की अपनी स्टॉक सीमा हैं, वे केंद्र के दायरे में लाई जाएंगी।

 

कैबिनेट ने सभी सरकारी योजनाओं में फोर्टिफाइड चावलों के वितरण को मंजूरी दी (पेज 15)

अतिरिक्त माइक्रोन्यूट्रिएंट्स सहित फोर्टिफाइड चावल को सरकारी योजनाओं, जैसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली, मिड-डे मील और एकीकृत बाल विकास योजनाओं के जरिए वितरित किया जाएगा। इससे कुपोषण को काबू करने में मदद मिलने की उम्मीद है।

 

कैबिनेट ने नॉन-ऑपरेशनल कोयला खदानों के सरेंडर के लिए वन-टाइम विंडो को मंजूरी दी (पेज 16)

सरकारी कंपनियों को तीन महीनों की विंडो में नॉन-ऑपरेशनल कोयला खानों को जुर्माने के बिना सरेंडर करने की अनुमति दी गई है। इससे वे कोयला खदानें हासिल हो जाएंगी जिन्हें विकसित करने में सरकारी कंपनियों की रुचि नही है।

 

केंद्रीय मोटर वाहन नियमों में संशोधन अधिसूचित (पेज 13)

मोटर वाहन नियमों में संशोधनों में परिवहन वाहनों के फिटनेस सर्टिफिकेट की वैधता की समीक्षा की गई है। आठ वर्ष से पुराने वाहनों को दो वर्ष की वैधता मिलेगी और आठ वर्ष से पुराने वाहनों को एक वर्ष की।

ट्राई ने मोबाइल सेवाओं के स्पेक्ट्रम की नीलामी के संबंध में सुझाव जारी किए (पेज 14)

टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) ने 5जी नेटवर्क्स सहित स्पेक्ट्रम नीलामी के संबंध में सुझाव जारी किए हैं। उसने ट्राई के आरक्षित मूल्य़ को औसत वैल्यूएशन के 70% पर निर्धारित करने का सुझाव दिया है

 

संसद

Tanvi Vipra (tanvi@prsindia.org)

संसद का बजट सत्र 31 जनवरी, 2022 से 7 अप्रैल, 2022 के दौरान संचालित किया गया और 12 फरवरी से 13 मार्च के बीच अवकाश रहा। संसद की बैठक 27 दिनों तक चली और वह अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई।[1]  सत्र के दौरान संसद में सात बिल पेश और पांच पारित किए गए। पारित होने वाले बिल्स में एक बिल पिछले सत्र से लंबित था (चार्टर्ड एकाउंटेंट्स बिल)। पारित होने वाले बिल्स में आपराधिक दंड प्रक्रिया (पहचान) बिल, 2022 और दिल्ली नगर निगम (संशोधन) बिल, 2022 शामिल हैं। इस सत्र में पेश किया गया कोई भी बिल संसदीय समिति को नहीं भेजा गया।

बजट सत्र 2022 के लेजिसलेटिव बिजनेस पर अधिक विवरण के लिए कृपया देखें। सत्र के दौरान संसद के कामकाज पर अधिक विवरण के लिए कृपया देखें। 

 

कोविड-19

Shashank Srivastava (shashank@prsindia.org)

प्राइवेट वैक्सीनेशन सेंटर्स में सभी वयस्कों के लिए बूस्टर डोज़  

प्राइवेट वैक्सीनेशन सेंटर्स पर 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी वयस्कों के लिए बूस्टर डोज़ शुरू कर दी गई हैं।[2] कोविड-19 वैक्सीन की दूसरी डोज़ लगाने के नौ महीने पूरे होने के बाद सभी वयस्क बूस्टर डोज़ के लिए पात्र होंगे।

सरकारी वैक्सीनेशन सेंटर्स में मार्च 2022 से 60 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों के लिए बूस्टर डोज़ शुरू कर दी गई थीं।[3]  फरवरी 2022 तक ऐहतियाती डोज़ सिर्फ हेल्थकेयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स, तथा 60 वर्ष से अधिक और को-मॉरबिडीज़ वाले लोगों को लगाई जा रही थीं।[4]

हेल्थकेयर वर्कर्स का बीमा कवर 180 दिनों के लिए बढ़ाया गया

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज का बीमा कवर 180 दिनों के लिए बढ़ाया गया है।[5] इस योजना को मार्च 2020 में शुरू किया गया था ताकि कोविड-19 के मरीजों का इलाज करने वाले पब्लिक हेल्थ वर्कर्स (जैसे डॉक्टर्स, नर्स, पैरामेडिक्स और आशा वर्कर्स) को 50 लाख रुपए का बीमा कवर प्रदान किया जा सके।

योजना के दायरे में निम्नलिखित भी आते हैं: (i)  निजी अस्पतालों, स्थानीय शहरी निकायों के सेवारत और सेवानिवृत्त कर्मचारी, (ii) सरकारी (राज्य और केंद्र) तथा स्वायत्त अस्पतालों, एम्स और राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों द्वारा रखे गए दिहाड़ी और कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी, और (iii) केंद्रीय मंत्रालयों के अस्पताल, जिन्हें कोविड-19 के मरीजों की देखभाल के लिए खास तौर से बनाया गया था। यह लाभार्थी द्वारा लिए गए किसी अन्य बीमा कवर के अतिरिक्त है।

मैक्रोइकोनॉमिक विकास

Tanvi Vipra (tanvi@prsindia.org)

2021-22 की चौथी तिमाही में रीटेल मुद्रास्फीति 6.3% पर

2021-22 की चौथी तिमाही (जनवरी-अप्रैल) के दौरान उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 6.3% रही।[6] यह 2020-21 की चौथी तिमाही में 4.9% और 2021-22 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में 5% की सीपीआई मुद्रास्फीति से अधिक रही।

जनवरी 2022 में खाद्य स्फीति 5.4% थी जो मार्च 2022 में बढ़कर 7.7% हो गई। इस प्रकार 2021-22 की चौथी तिमाही में इसका औसत 6.3% रहा। यह 2020-21 की चौथी तिमाही में 3.5% की और 2021-22 की तीसरी तिमाही में 2.2% की खाद्य मुद्रास्फीति से अधिक रही।

2021-22 की चौथी तिमाही में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) मुद्रास्फीति (आधार वर्ष 2011-12) 13.8% रही।[7]  यह 2020-21 की चौथी तिमाही में 5.1% की डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति से काफी अधिक है। 2021-22 की तीसरी तिमाही में डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति 14.3% थी।

रेखाचित्र 1: 2021-22 की चौथी तिमाही में मासिक मुद्रास्फीति (परिवर्तन %, वर्ष दर वर्ष)


स्रोत: एमओएसपीआई; वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय; पीआरएस।

रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट क्रमशः 4% और 3.35% पर अपरिवर्तनीय; 3.75% की दर पर स्टैंडिंग डिपॉजिट फेसिलिटी शुरू

मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी (एमपीसी) ने 2022-23 के लिए अपना पहला द्विमासिक मौद्रिक नीतिगत वक्तव्य जारी कर दिया है।[8] कमिटी के मुख्य फैसले निम्नलिखित हैं:

  • पॉलिसी रेट्स अपरिवर्तनीय: कमिटी ने फैसला किया है कि पॉलिसी रेपो रेट (जिस दर पर आरबीआई बैंकों को ऋण देता है) और रिवर्स रेपो रेट (जिस दर पर आरबीआई बैंकों से उधार लेता है) क्रमशः 4% और 3.35% की दर पर अपरिवर्तनीय रहेगी। मार्जिनल स्टैंडिंग फेसिलिटी रेट (जिस दर पर बैंक अतिरिक्त धन उधार ले सकते हैं) और बैंक रेट (जिस दर पर आरबीआई बिल्स ऑफ एक्सचेंज को खरीदता है) 4.25% पर अपरिवर्तनीय है।
  • स्टैंडिंग डिपॉजिट फेसिलिटी को शुरू करना: कमिटी ने फैसला किया है कि 3.75% की ब्याज दर के साथ स्टैंडर्ड डिपॉजिट फेसिलिटी (एसडीएफ) (स्थायी जमा सुविधा) को शुरू किया जाएगा। यह कोलेट्रल के बिना, अर्थव्यवस्था में लिक्विडिटी को एबजॉर्ब का एक उपाय है। इस सुविधा के अंतर्गत पात्र संस्थाएं ओवरनाइट आधार पर आरबीआई के पास अपनी जमा रख सकती हैं।[9] आरबीआई एसडीएफ के अंतर्गत लंबी अवधि के लिए लिक्विडिटी को एबजॉर्ब करने की फ्लेसिबिलिटी बनाए रखेगा।9  एसडीएफ रिवर्स रेपो रेट को उस फ्लोर रेट में बदलती है जिस पर बैंक आरबीआई को उधार देते हैं।8
  • समायोजन का रुख बरकरार: एमपीसी ने यह भी फैसला लिया है कि मौद्रिक नीति के समायोजन के रुख को बरकरार रखा जाए।8  कमिटी ने यह भी कहा कि वह वृद्धि को समर्थन देते हुए मुद्रास्फीति संबंधी लक्ष्यों को पूरा करने के लिए समायोजन को खत्म करने पर ध्यान केंद्रित करेगी।8

 

गृह मामले

Tanvi Vipra (tanvi@prsindia.org)

संसद ने दोषियों और गिरफ्तार लोगों के पहचान योग्य विवरण जमा करने के लिए बिल पारित किया

आपराधिक दंड प्रक्रिया (पहचान) बिल, 2022 को संसद में 6 अप्रैल, 2022 को पारित किया गया। बिल कैदियों की पहचान एक्ट, 1920 का स्थान लेता है। एक्ट अपराध की जांच के लिए निर्दिष्ट व्यक्तियों, जैसे अपराधियों के बारे में कुछ पहचान योग्य सूचनाओं को जमा करने को अधिकृत करता है। बिल ऐसी सूचनाओं का दायरा बढ़ाता है और ऐसे व्यक्तियों का दायरा भी बढ़ाता है जिनके विवरण लिए जा सकते हैं। बिल राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) को इन विवरणों को जमा, स्टोर और संरक्षित करने के लिए अधिकृत करता है।

  • दोषियों और अन्य व्यक्तियों के विवरण: एक्ट में दोषियों और दूसरे व्यक्तियों के फोटो और कुछ विवरणों को जमा करने की अनुमति दी गई है। इनमें उंगलियों के निशान और पैरों की छाप शामिल है। बिल विवरणों की इस सूची का दायरा बढ़ाता है। इसमें अब निम्नलिखित शामिल होंगे: (i) हथेलियों की छाप, (ii) आइरिस और रेटिना स्कैन, (iii) व्यवहारगत विशेषताएं जैसे दस्तखत और हैंडराइटिंग, और (iv) दूसरे फिजिकल और बायोलॉजिकल सैंपल, जैसे खून, सीमन, बाल के सैंपल, और स्वैब्स और उनका एनालिसिस।
  • किन व्यक्तियों के विवरण लिए जा सकते हैं: एक्ट के अनुसार, निम्नलिखित व्यक्तियों से फोटो और निर्दिष्ट विवरण देने की अपेक्षा की जाती है: (i) कुछ अपराधों के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्ति (जैसे जिन अपराधों के लिए न्यूनतम एक वर्ष के कठोर कारावास की सजा है), (ii) ऐसे व्यक्ति जिन्हें आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (सीआरपीसी) के तहत अच्छा व्यवहार करने या शांति बनाए रखने के लिए सिक्योरिटी जमा कराने का आदेश दिया गया है, और (iii) ऐसे व्यक्ति, जिन्हें कम से कम एक वर्ष के कठोर कारावास के दंडनीय अपराध के संबंध में गिरफ्तार किया गया है। बिल ऐसे लोगों के दायरे को बढ़ाता है और इसमें सभी अपराधियों, गिरफ्तार किए गए लोगों और निवारक निरोधक कानूनों के अंतर्गत हिरासत में लिए गए लोगों को शामिल करता है। गिरफ्तार व्यक्तियों को अपने बायोलॉजिकल सैंपल देने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा, जब तक कि उन्होंने किसी महिला या बच्चे के खिलाफ अपराध नहीं किया हो, या कम से कम सात वर्ष के कारावास वाला दंडनीय अपराध नहीं किया हो।
  • विवरणों को बरकरार रखना: बिल में यह अपेक्षित है कि विवरण को जमा करने की तारीख से 75 वर्षों तक डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में बरकरार रखा जाएगा। इस रिकॉर्ड को निम्नलिखित मामलों में नष्ट किया जा सकता है, (i) अगर व्यक्ति को पहले अपराधी सिद्ध नहीं किया गया है, और (ii) व्यक्ति को बिना मुकदमे के रिहा किया गया है, अदालत द्वारा छोड़ दिया गया है या सभी कानूनी उपाय करने के बाद भी बरी कर दिया गया है। अदालत या मेजिस्ट्रेट लिखित कारण दर्ज करने के बाद ऐसे व्यक्तियों के विवरणों को बरकरार रखने का निर्देश दे सकते हैं।     

बिल के पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।

 

शहरी मामले

Omir Kumar (omir@prsindia.org)

संसद ने दिल्ली में नगर निगमों को एकीकृत करने वाला बिल पारित किया

दिल्ली नगर निगम (संशोधन) बिल, 2022 को संसद में पारित कर दिया गया।[10] बिल संसद द्वारा पारित दिल्ली नगर निगम एक्ट, 1957 में संशोधन का प्रयास करता है।[11]  एक्ट को 2011 में दिल्ली विधानसभा ने संशोधित किया था ताकि दिल्ली नगर निगम को निम्नलिखित तीन हिस्सों में बांटा जा सके: (i) उत्तरी दिल्ली नगर निगम, (ii) दक्षिणी दिल्ली नगर निगम, और (iii) पूर्वी दिल्ली नगर निगम। बिल इन तीनों निगमों को एक करने का प्रयास करता है।

  • दिल्ली में नगर निगमों का एकीकरण: बिल ने एक्ट के अंतर्गत तीन नगर निगमों की जगह एक निगम को दिल्ली नगर निगम नाम दिया है।
  • दिल्ली सरकार की शक्तियां: 2011 में संशोधित एक्ट दिल्ली सरकार को यह अधिकार देता है कि वह एक्ट के अंतर्गत आने वाले विभिन्न मामलों पर फैसला ले सकती है। इन मामलों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) पार्षदों की कुल सीटों की संख्या और अनुसूचित जाति के सदस्यों के लिए आरक्षित सीटों की संख्या, (ii) निगमों के क्षेत्र को जोन्स और वॉर्ड्स में बांटना, (iii) वॉर्ड्स का परिसीमन, (iv) कमीश्नर के वेतन एवं भत्ते और अवकाश जैसे मामले, (v) निगम द्वारा उधारियों को समेकित करने को मंजूरी, (vi) निगम के फंड या संपत्ति के नुकसान या बर्बादी या उसे गलत तरीके से इस्तेमाल करने पर कमीश्नर के खिलाफ क्षतिपूर्ति के मुकदमे को मंजूरी देना। इसी प्रकार एक्ट कहता है कि कमीश्नर दिल्ली सरकार की देखरेख और निर्देशों के अंतर्गत भवन निर्माण संबंधी रेगुलेशंस से जुड़े अपने अधिकारों का उपयोग करेगा। बिल इन मामलों पर केंद्र सरकार को फैसला सुनाने का अधिकार देता है।
  • पार्षदों की संख्या: एक्ट में प्रावधान है कि इन तीनों निगमों में सीटों की कुल संख्या 272 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। एक्ट की 14वीं अनुसूची में तीनों निगमों में 272 वॉर्ड्स निर्दिष्ट किए गए हैं। बिल कहता है कि नए निगम में सीटों की कुल संख्या 250 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।

बिल पर पीआरएस के सारांश के लिए कृपया देखें।

कैबिनेट ने दिसंबर 2024 तक पीएम स्वनिधि को जारी रखने को मंजूरी दी

केंद्रीय कैबिनेट ने मार्च 2022 के बाद दिसंबर 2024 तक पीएम स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि) को जारी रखने को मंजूरी दी।[12]  शुरुआत में 5,000 करोड़ रुपए की कुल धनराशि के ऋण प्रदान करने के लिए योजना की परिकल्पना की गई थी। इस ऋण राशि को बढ़ाकर 8,100 करोड़ रुपए किया गया है।

पीएम स्वनिधि को जून 2020 में शुरू किया गया था ताकि फुटपाथी दुकानदारों को 10,000 रुपए तक का कोलेट्रल मुक्त कार्यशील पूंजी ऋण प्रदान किया जा सके। कोविड-19 के कारण प्रभावित फुटपाथी दुकानदारों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए इस योजना को शुरू किया गया था।12 योजना के तहत ऋण लेने वाले दुकानदार 7% ब्याज सबसिडी के पात्र हैं।[13] चूंकि दुकानदार कोविड-19 के प्रभाव से पूरी तरह मुक्त नहीं हो पाए हैं, इसलिए निम्नलिखित के लिए योजना को विस्तार दिया गया है: (i) ऋण का स्रोत उपलब्ध कराना, (ii) डिजिटल लेनदेन बढ़ाना, और (iii) ऋण संस्थानों पर नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स के असर को कम करना।12 

 

कॉरपोरेट मामले

Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)

सीए, सीडब्ल्यूए और सीएस (संशोधन) बिल, 2021 संसद में पारित

चार्टर्ड एकाउंटेंट्स, कॉस्ट और वर्क्स एकाउंटेंट्स तथा कंपनी सचिव (संशोधन) बिल, 2021 को संसद में पारित कर दिया गया।[14]  बिल चार्टर्ड एकाउंटेंट्स एक्ट, 1949, कॉस्ट और वर्क्स एकाउंटेंट्स एक्ट, 1959 और कंपनी सचिव एक्ट, 1980 में संशोधन करने का प्रयास करता है।[15],[16],[17]  ये तीनों एक्ट्स क्रमशः चार्टर्ड एकाउंटेंट्स, कॉस्ट और वर्क्स एकाउंटेंट्स तथा कंपनी सचिव के पेशों के रेगुलेशन का प्रावधान करते हैं। बिल इन एक्ट्स के अंतर्गत अनुशासनात्मक तंत्र को मजबूत करने का प्रयास करता है, और इन तीनों पेशों के सदस्यों के खिलाफ मामलों के समयबद्ध निपटान का प्रावधान करता है। बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

फर्मों का पंजीकरण: बिल कहता है कि फर्मों को संस्थानों में पंजीकरण कराना होगा, और इसके लिए उन्हें संस्थानों की संबंधित परिषदों में आवेदन करना होगा। परिषदों को फर्मों का रजिस्टर बनाना होगा जिसमें किसी भी कार्रवाई योग्य शिकायत के लंबित होने या फर्मों के खिलाफ जुर्माना लगाने जैसे विवरण होने चाहिए। 

अनुशासन निदेशालय: एक्ट्स के अंतर्गत तीन संस्थानों की संबंधित परिषदों में से प्रत्येक को एक अनुशासन निदेशालय बनाना होगा जिसका प्रमुख निदेशक (अनुशासन) होगा जोकि संस्थान का एक अधिकारी हो। बिल कहता है कि प्रत्येक निदेशालय में कम से कम दो संयुक्त निदेशक होने चाहिए।

एक्ट्स के अंतर्गत शिकायत मिलने पर निदेशक कथित दुर्व्यवहार पर प्रथम दृष्टया राय कायम करता है। दुर्व्यवहार के आधार पर निदेशक उस मामले को अनुशासन बोर्ड या अनुशासन समिति के सामने रखता है। बिल इसमें संशोधन करता है ताकि निदेशक को यह अधिकार दिया जा सके कि वह सदस्यों या फर्मों के खिलाफ स्वतंत्र रूप से जांच शुरू करे। शिकायत मिलने के 30 दिनों के भीतर निदेशक को यह तय करना होगा कि उस शिकायत पर कार्रवाई होनी चाहिए अथवा नहीं। अगर शिकायत कार्रवाई योग्य है तो निदेशक को 30 दिनों के भीतर बोर्ड या समिति (जैसा भी मामला हो) को प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सौंपनी होगी। एक्ट्स के अंतर्गत बोर्ड या समिति की अनुमति मिलने पर शिकायत वापस ली जा सकती है। बिल में प्रावधान है कि निदेशालय में दर्ज की गई शिकायत को किसी भी स्थिति में वापस नहीं लिया जा सकता।

बिल के पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।

 

वित्त

आरबीआई ने क्रेडिट कार्ड्स और डेबिट कार्ड्स को जारी करने और उनके व्यवहार के संबंध में निर्देश अधिसूचित किए

Tanvi Vipra (tanvi@prsindia.org)

भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने भारतीय रिज़र्व बैंक (क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड- प्रचालन और संचालन) निर्देश, 2022 को अधिसूचित किया।[18]  निर्देश यह रेगुलेट करते हैं कि कौन क्रेडिट और डेबिट कार्ड जारी कर सकता है, और कार्ड जारी करने के लिए शर्तें निर्धारित करता है। ये निर्देश 1 जुलाई, 2022 से लागू होंगे। निर्देशों की प्रमुख विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • क्रेडिट कार्ड जारी करने के लिए पात्र संस्थाएं: निम्नलिखित संस्थाएं क्रेडिट कार्ड जारी कर सकती हैं: (i) क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) के अलावा अन्य न्यूनतम 100 करोड़ रुपए की नेटवर्थ वाले अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, (ii) अपने प्रायोजक के सहयोग से आरआरबी बैंक या अन्य बैंक, (iii) केवल आरबीआई से अनुमोदन के बाद गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां, और (iv) कुछ प्रतिबंधों के अधीन वित्तीय रूप से मजबूत शहरी सहकारी बैंक।
  • अवांछित सुविधाएं: निम्नलिखित गतिविधियां सख्त वर्जित हैं: (i) अवांछित क्रेडिट कार्ड जारी करना, (ii) ग्राहकों की स्पष्ट सहमति के बिना कार्ड का अपग्रेडेशन या क्रेडिट सीमा में वृद्धि। उपरोक्त गतिविधियों के मामले में बैंक प्रभावित ग्राहक को दंड के साथ-साथ मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होंगे।
  • डेबिट कार्ड: डेबिट कार्ड जारी करने के लिए बैंकों को आरबीआई से अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होती है। डेबिट कार्ड बचत या चालू खातों वाले ग्राहकों को जारी किए जा सकते हैं, लेकिन नकद क्रेडिट या ऋण खाताधारकों को नहीं। प्लास्टिक डेबिट कार्ड के बजाय, जारीकर्ता अन्य प्रकार की सुविधा प्रदान कर सकता है जैसे वियरेबल।
  • को-ब्रांडेड कार्ड: को-ब्रांडेड क्रेडिट या डेबिट कार्ड जारी करने के लिए आरबीआई के पूर्वानुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी। को-ब्रांडेड कार्ड संयुक्त रूप से एक बैंक (या एनबीएफसी) और एक सह-ब्रांडिंग इकाई द्वारा जारी किए जाते हैं। दोनों संस्थाओं को स्पष्ट रूप से यह बताना होगा कि क्रेडिट या डेबिट कार्ड को-ब्रांडिंग व्यवस्था के तहत जारी किया गया है। इसके अतिरिक्त, कार्ड जारीकर्ता का नाम कार्ड पर प्रमुखता से प्रदर्शित होना चाहिए।

एमएसएमई के क्रेडिट फ्लो को बढ़ाने पर रिपोर्ट सौंपी गई

Tanvi Vipra (tanvi@prsindia.org)

वित्त संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: जयंत सिन्हा) ने 8 अप्रैल, 2022 ‘एमएसएमई क्षेत्र में क्रेडिट फ्लो को बढ़ाना’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी है।[19]  सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र भारत के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 30%, उसके मैन्यूफैक्चिंग आउटपुट में 45% और निर्यात में 48% का योगदान देता है। इससे करीब 11 करोड़ लोगों को रोजगार मिलता है। कमिटी ने कहा कि एमएसएमई सेक्टर में क्रेडिट गैप करीब 20-25 लाख करोड़ रुपए का है। कमिटी के प्रमुख निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • डिजिटल इको-सिस्टम बनाकर क्रेडिट गैप को भरना: कमिटी ने कहा कि वित्त मंत्रालय, भारतीय रिजर्व बैंक, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) नेटवर्क, और भारतीय यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ने डिजिटल बिल्डिंग ब्लॉक्स को शुरू करके ऋण की लेनदेन की लागत को कम किया है। उसने एमएसएमई मंत्रालय द्वारा उद्यम पंजीकरण पोर्टल के शुभारंभ और भीम यूपीआई और आधार जैसे सार्वजनिक डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स की सफलता पर भी गौर किया। कमिटी ने कहा कि उद्यम पोर्टल समय पर ऋण देने के लिए उधारदाताओं द्वारा केंद्रीय डेटा रिपोजिटरी के रूप में कार्य कर सकता है। उसने एमएसएमईज़ को उधार देने के लिए एक एकीकृत डिजिटल इकोसिस्टम बनाने का सुझाव दिया। इससे फिजिकल कोलेट्रल की जरूरत, सत्यापन की लंबी प्रक्रियाओं और पेपर-आधारित ऋण आवेदनों जैसी समस्याओं को हल करने में मदद मिल सकती है।
  • डिजिटल इकोसिस्टम के लाभ: ऐसे डिजिटल इकोसिस्टम के निम्नलिखित लाभ होंगे: (i) छोटे लोन्स की लेनदेन की लागत में कमी, (ii) डिजिटल हस्ताक्षर और प्रमाणीकरण के जरिए किए गए विश्वास और दावों में वृद्धि, (iii) ऋण प्रस्तावों और निम्न ब्याज दर की दृश्यता बनाकर प्रतिस्पर्धा और वहनीयता में कमी, और (iv) डेटा शेयरिंग के लिए कई साझेदारियों की जरूरत को कम करना।
  • एक एकाउंट एग्रीगेटर फ्रेमवर्क को अपनाना: कमिटी ने कहा कि एक एकाउंट एग्रीगेटर फ्रेमवर्क से क्षेत्र को लाभ होगा। इससे क्रेडिट तक पहुंच बनेगी, धोखाधड़ी रुकेगी और नॉन- परफॉर्मिंग एसेट्स कम होंगे। फ्रेमवर्क से डिजिटल फाइनांशियल डेटा की शेयरिंग सुरक्षित होगी। कमिटी ने सहाय जीएसटी की सफलता पर गौर किया। सहाय वह प्लेटफॉर्म है जोकि एमएसएमई के लिए इंस्टेंट डिजिटल लेंडिंग आसान बनाता है और फिजिकल कोलेट्रेल को जीएसटी इनवॉयस के सुरक्षित एक्सेस से बदलता है।

रिपोर्ट पर पीआरएस सारांश के लिए क़ृपया देखें।

आरबीआई ने कुछ एनबीएफसीज़ के लिए अनुपालन संबंधी फ्रेमवर्क अधिसूचित किया

Tanvi Vipra (tanvi@prsindia.org)

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एक फ्रेमवर्क अधिसूचित किया है जिसमें गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसीज़) से यह अपेक्षित है कि वे 1 अक्टूबर, 2023 तक एक मुख्य अनुपालन अधिकारी की नियुक्ति करेंगी।[20]  यह उन संस्थाओं पर लागू होगा जोकि एनबीएफसीज़ के लिए आरबीआई के ग्रेडेड रेगुलेटरी फ्रेमवर्क की अपर लेयर और मिडिल लेयर में आती हैं।[21]  मिडिल लेयर में डिपॉजिट-टेकिंग एनबीएफसीज़ जैसी संस्थाएं आती हैं, भले ही उनका एसेट साइज कुछ भी हो और 1,000 करोड़ रुपए से अधिक के एसेट साइज वाली नॉन-डिपॉजिट टेकिंग एनबीएफसीज़ आती हैं। अपर लेयर में वे एनबीएफसीज़ आती हैं जिन्हें आरबीआई ने वॉरेंटिंग एनहांस्ड रेगुलेटरी रिक्वायरमेंट्स के तौर पर चिन्हित किया है।

वित्तीय गतिविधियों के लिए बीमाकर्ताओं की एक्सपोज़र लिमिट 25% से 30% की गई

Rajat Asthana (rajat@prsindia.org)

इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (इरडाई) ने वित्तीय गतिविधियों और निवेश के लिए बीमाकर्ताओं की एक्सपोज़र लिमिट 25% बढ़ाकर 30% कर दी है।[22]  ये संशोधन इरडाई (निवेश) रेगुलेशन, 2016 के प्रावधानों के अंतर्गत किए गए हैं।[23] 2016 के रेगुलेशंस में निम्नलिखित से संबंधित निवेश के नियम निर्दिष्ट किए गए हैं: (i) जीवन बीमा, (ii) पेंशन एनुअटी और ग्रुप बिजनेस, (iii) जनरल इंश्योरेंस, (iv) रीइंश्योरेंस, और (v) स्वास्थ्य बीमा प्रदाता।

समूह स्वास्थ्य बीमा उत्पादों के लिए ड्राफ्ट दिशानिर्देशों पर टिप्पणियां आमंत्रित

Rajat Asthana (rajat@prsindia.org)

इरडाई ने समूह स्वास्थ्य बीमा उत्पादों के लिए ड्राफ्ट दिशानिर्देशों पर टिप्पणियां आमंत्रित की हैं।[24]   इरडाई ने गौर किया कि यदि विवेकपूर्ण तरीके से संचालित किया जाता है, तो समूह स्वास्थ्य बीमा कम लागत पर लाभकारी कवरेज प्रदान करता है। ड्राफ्ट दिशानिर्देशों को आईआरडीएआई (स्वास्थ्य बीमा) रेगुलेशन, 2016 के तहत अधिसूचित किया गया था।[25] प्रस्तावित दिशानिर्देश समूह स्वास्थ्य बीमा के संबंध में मौजूदा निर्धारित दिशानिर्देशों (विभिन्न सर्कुलर्स में जारी) का स्थान लेंगे। दिशानिर्देशों की मुख्य विशेषताएं हैं:

  • समूह का निर्माण: प्रत्येक समूह स्वास्थ्य बीमा उत्पाद में समूह स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी की पेशकश के लिए न्यूनतम समूह आकार निर्दिष्ट होना चाहिए। दिशानिर्देश निर्दिष्ट करते हैं कि बीमा हासिल करने के मुख्य उद्देश्य से एक समूह का गठन नहीं किया जाना चाहिए। इसके अलावा समूह बीमा के लिए कीमतों पर बातचीत के बाद समूह नहीं बनाया जा सकता।
  • उत्पादों पर प्रतिबंध: बीमाकर्ताओं को समूह स्वास्थ्य बीमा के लिए किसी भी क्षतिपूर्ति/लाभ आधारित क्रेडिट-लिंक्ड उत्पादों की पेशकश करने से प्रतिबंधित किया गया है। हालांकि, व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा पॉलिसी के तहत आकस्मिक स्वास्थ्य और विकलांगता के कवरेज के लिए ऐसी पॉलिसी जारी की जा सकती हैं। मौजूदा क्रेडिट-लिंक्ड समूह स्वास्थ्य बीमा उत्पादों को एक निर्दिष्ट तिथि से पहले वापस ले लिया जाना चाहिए।
  • मूल्य निर्धारण: मॉरबिडिटी एक्सपीरियंस (लिंग, आयु, व्यवसाय, समूह पक्ष द्वारा), व्यय, समाप्ति और लाभ मार्जिन जैसे पहलुओं पर विचार करते हुए मूल्य निर्धारण उचित बीमांकिक सिद्धांतों पर आधारित होना चाहिए। बीमाकर्ताओं को हर साल समूह बीमा पॉलिसी की समीक्षा करनी चाहिए।

टिप्पणियां 13 मई, 2022 तक आमंत्रित हैं।

 

पर्यावरण

वन्य जीव (संरक्षण) संशोधन बिल, 2021 पर रिपोर्ट सौंपी गई

Rajat Asthana (rajat@prsindia.org)

विज्ञान एवं तकनीक, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: जयराम रमेश) ने 21 अप्रैल, 2022 को वन्य जीव (संरक्षण) संशोधन बिल पर अपनी रिपोर्ट सौंपी।[26] बिल को दिसंबर 2021 में लोकसभा में पेश किया गया था।[27] बिल वन्य जीव (संरक्षण) एक्ट, 1972 में संशोधन करने का प्रयास करता है। एक्ट में वन्य प्राणियों, पक्षियों और पौधों के संरक्षण का प्रावधान है। बिल निम्नलिखित का प्रयास करता है: (i) वन्य जीवों तथा वनस्पतियों की संकटग्रस्त प्रजातियों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर केंद्रित कन्वेंशन (साइट्स) को लागू करना, (ii) भारत की देशी प्रजातियों का संरक्षण, और (iii) कानून के प्रवर्तन में सुधार करना। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • साइट्स को लागू करना: साइट्स सरकारों के बीच एक अंतरराष्ट्रीय संधि है जो यह सुनिश्चित करती है कि वन्य प्राणियों और पौधों के नमूनों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार से उन प्रजातियों के अस्तित्व पर कोई खतरा नहीं होगा। कमिटी ने गौर किया कि साइट्स को लागू करने का सबसे उपयुक्त तरीका यह है कि जैव विविधता एक्ट, 2002 में संशोधन किया जाए, चूंकि साइट्स को लागू करना, जैव विविधता के सतत उपयोग से संबंधित है। यह भी गौर किया गया कि बिल के दृष्टिकोण से मूल एक्ट जटिल होगा और इससे विरोधाभास पैदा हो सकते हैं। इस चिंता को दूर करने के लिए कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) 2021 के बिल में प्रस्तावित वृहद अध्याय को पेश करने की बजाय 1972 के एक्ट के संबंधित सेक्शंस में संशोधन किए जाएं, (ii) 2021 के बिल की अनुसूची IV को खत्म कर दिया जाए और पूरे बिल में साइट्स की अनुसूची IV के संदर्भों को साइट्स के परिशिष्टों से बदला जाए। अनुसूची IV साइट्स परिशिष्टों में दर्ज नमूनों की सूची है। साइट्स के अंतर्गत पौधों और पशुओं के नमूने परिशिष्टों में वर्गीकृत हैं जोकि उनके लुप्तप्राय होने के जोखिम पर आधारित है।
  • भारत के देशी जीन पूल का संरक्षण: बिल केंद्र सरकार को यह अधिकार देता है कि वह इनवेज़िव एलियन प्रजातियों के आयात, व्यापार, उन्हें कब्जे में लेने या उनकी वृद्धि को रेगुलेट कर सकती है। इसमें इनवेज़िव एलियन प्रजातियों की ऐसे पौधे या पशुओं की प्रजातियां के रूप में व्याख्या की गई है जोकि: (i) जो भारत की मूल निवासी नहीं हैं, और (ii) जिनके आने से वन्य जीव या उनके निवास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। कमिटी ने गौर किया कि देश में विशेष इकोसिस्टम में इनवेज़िव एलियन प्रजातियां रह सकती हैं। उसने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) इनवेज़िव एलियन प्रजातियों को सूचीबद्ध और असूचीबद्ध करने के लिए वैज्ञानिक और पारदर्शी प्रक्रिया होनी चाहिए, (ii) प्रबंधन के लिए विशिष्ट उपाय करने से संबंधित प्रावधान किए जाने चाहिए, और (iii) यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि साइट्स के विशिष्ट प्रावधान देशी भारतीय प्रजातियों के प्रजनन और व्यापार को सुविधाजनक नहीं बनाते हैं। 

रिपोर्ट पर पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।

2006 के पर्यावरण प्रभाव आकलन में संशोधन की अधिसूचना

Shubham Dutt (shubham@prsindia.org)

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) अधिसूचना, 2006 में संशोधन किए हैं।[28],[29],[30]  2006 की अधिसूचना के अंतर्गत कई श्रेणी की परियोजनाओं (जैसे खनन, तेल और गैस की खोज, हवाईअड्डे,  बंदरगाह और राजमार्ग) के लिए पूर्व पर्यावरणीय मंजूरियों (ईसी) की जरूरत होती है।[31]  2006 की अधिसूचना के मुख्य संशोधनों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • ईसी की वैधता को बढ़ाया गया: अधिसूचना में ईसी की वैधता की अवधि में संशोधन किए गए हैं।

तालिका 1: ईसी की वैधता की अवधि में परिवर्तन

परियोजना

ईसी की वैधता

2006 अधिसूचना

संशोधन

नदी घाटी परियोजना

10 वर्ष

13 वर्ष

खनन परियोजना

30 वर्ष तक

50 वर्ष तक *

परमाणु ऊर्जा परियोजना

निर्दिष्ट नहीं

15 वर्ष

अन्य

7 वर्ष

10 वर्ष

नोट: *ईसी की वैधता 30 साल से आगे, 20 साल तक बढ़ाई जा सकती है, जोकि समय-समय पर समीक्षा और पर्याप्त पर्यावरणीय सुरक्षा उपायों के अधीन है। ईसी की वैधता की अवधि की गणना खनन पट्टे के निष्पादन की तिथि से की जाएगी।

स्रोत: पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय; पीआरएस।

  • ईसी देना: 2006 की अधिसूचना में संभावित असर के आधार पर परियोजनाओं की दो श्रेणियां (क और खा) बनाई गई हैं। ईसी निम्नलिखित द्वारा प्रदान की जाएंगी: (i) श्रेणी क की परियोजनाओं के लिए केंद्र सरकार, और (ii) श्रेणी ख के लिए राज्य ईआईए अथॉरिटीज़। ईसी प्रक्रिया को विकेंद्रित करने और राज्य स्तर पर मंजूरियों को आसान बनाने के लिए संशोधन परियोजनाओं के वर्गीकरण की सीमाओं में बदलाव करते हैं। उदाहरण के लिए 50 मेगावॉट (MW) हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर से अधिक उत्पादित करने वाली नदी घाटी परियोजनाएं पहले श्रेणी क में आती थीं। संशोधनों में इस सीमा को बढ़ाकर 100 मेगावॉट किया गया है।
  • रणनीतिक परियोजनाएं: वर्तमान में श्रेणी ख में राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक महत्व वाली परियोजनाओं का मूल्यांकन राज्य स्तर पर होता है। संशोधनों में प्रावधान है कि इन परियोजनाओं का मूल्यांकन केंद्रीय स्तर पर होगा। उल्लेखनीय है कि मंत्रालय ने भी 2006 की अधिसूचना में संशोधन करने का प्रस्ताव रखा था ताकि नियंत्रण रेखा/सीमा से 100 किलोमीटर तक के सभी राजमार्ग परियोजनाओं को पहले पर्यावरणीय मंजूरी लेने से छूट दी जाए जोकि अधिसूचित मानक संचालन प्रक्रिया के अनुपालन के अधीन होगा।[32]
  • रोपवेज़ के लिए पहले पर्यावरणीय मंजूरी लेना जरूरी नहीं: सभी एरियल रोपवेज़ 2006 की अधिसूचना के अंतर्गत श्रेणी ख में आते हैं। संशोधनों में रोपवेज़ को पूर्व पर्यावरणीय मंजूरी लेने वाली परियोजनाओं की सूची से हटा दिया गया है।

 

 

नागरिक उड्डयन

Rajat Asthana (rajat@prsindia.org)

सेफ्टी रिपोर्टिंग सिस्टम को अनिवार्य करने वाले एयरक्राफ्ट नियमों में संशोधन अधिसूचित

नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने एयक्राफ्ट नियम, 1937 में संशोधनों को अधिसूचित किया है।[33]  संशोधनों को एयरक्राफ्ट एक्ट, 1934 के प्रावधानों के अंतर्गत अधिसूचित किया गया है।[34]  1934 का एक्ट एयरक्राफ्ट यानी विमानों के निर्माण, उन्हें रखने, प्रयोग, संचालन, बिक्री, आयात और निर्यात को रेगुलेट करता है।34 1937 के नियम विमानों के संचालन की सामान्य सुरक्षा शर्तों को निर्धारित करते हैं।[35] संशोधनों की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • अनिवार्य सेफ्टी रिपोर्टिंग सिस्टम: नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) को विमान सेवाओं और संचालन में लगी सभी संस्थाओं के लिए एक अनिवार्य सेफ्टी रिपोर्टिंग सिस्टम बनाना चाहिए। इस प्रणाली का उपयोग खतरे की पहचान और जोखिम प्रबंधन के लिए सुरक्षा संबंधी कमी पर जानकारी एकत्र करने हेतु किया जाएगा। 1934 के एक्ट के अनुसार, डीजीसीए नागरिक उड्डयन में सुरक्षा से संबंधित सभी पहलुओं की देखरेख करता है।34
  • स्वैच्छिक सेफ्टी रिपोर्टिंग सिस्टम: डीजीसीए को एक स्वैच्छिक सेफ्टी रिपोर्टिंग सिस्टम भी बनाना चाहिए। केंद्र सरकार द्वारा आवश्यक समझे जाने पर, डीजीसीए के अलावा अन्य एजेंसियों के माध्यम से सुरक्षा संबंधी कमी पर जानकारी एकत्र करने के लिए स्वैच्छिक प्रणाली का उपयोग किया जाएगा। इस प्रणाली का गैर-अनुपालन प्रकृति में गैर-दंडात्मक होगा।

आरसीएस-उड़ान के अंतर्गत छोटे एयरक्राफ्ट्स की उप-योजना अधिसूचित की गई

नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने लघु विमान उप-योजना, 2022 को अधिसूचित किया है।[36] इस योजना का उद्देश्य छोटे विमानों (सीप्लेन्स सहित) के जरिए संचालन पर विशेष ध्यान देने के साथ क्षेत्रीय हवाई संपर्क को सुविधाजनक बनाना है। इसका उद्देश्य निम्नलिखित के जरिए क्षेत्रीय हवाई संपर्क की वहनीयता को बढ़ावा देना भी है: (i) केंद्र सरकार, राज्य सरकार और हवाईअड्डा ऑपरेटरों द्वारा रियायतें प्रदान करना, और (ii) इन मार्गों के संचालन की लागत और राजस्व के बीच के अंतर को वित्तपोषित करना। यह योजना क्षेत्रीय हवाई परिवहन को समर्थन देने वाले राज्यों और हवाई अड्डों/वॉटर एयरोड्रोम/हेलीपैडों में लागू की जाएगी और उन्हें योजना के तहत रियायतें और 100% वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। यह योजना दस साल की अवधि के लिए लागू होगी। योजना की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

  • केंद्र सरकार से सहयोग: केंद्र सरकार की रियायतों में निम्नलिखित शामिल होंगे: (i) जीएसटी में संक्रमण होने तक एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) पर 2% की दर से उत्पाद शुल्क, और (ii) कोड शेयरिंग व्यवस्था। कोड शेयरिंग एक मार्केटिंग व्यवस्था होती है जिसमें एक एयरलाइन किसी अन्य एयरलाइन की उड़ान पर अपना फ्लाइट कोड डालती है, और उस उड़ान के लिए टिकट बेचती है।[37]  इससे बाजार में मौजूदगी बढ़ाने में मदद मिलती है।
  • राज्य सरकार से सहयोग: प्रस्तावित राज्य सरकारों के सहयोग में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) दस वर्षों की अवधि के लिए एटीएफ पर वैट को 1% या उससे कम करना, (ii) फ्यूलिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रावधान के लिए तेल विपणन कंपनियों के साथ समन्वय, और (iii) कनेक्टिविटी, यूटिलिटी सेवाओं और अग्नि एवं सुरक्षा सेवाओं का प्रावधान।
  • एयरोड्रोम ऑपरेटरों का सहयोग: हवाई अड्डों/वॉटर एयरोड्रोम/हेलीपैडों के सहयोग में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) इस उप-योजना के अंतर्गत उड़ानों से लैंडिंग, नैविगेशन और पार्किंग चार्ज नहीं वसूला जाएगा, और (ii) चुनिंदा एयरलाइन ऑपरेटरों को उनकी उड़ानों के लिए ग्राउंड हैंडलिंग के अधिकार की अनुमति देना।

भारतीय ऑपरेटरों द्वारा अधिसूचित अंतरराष्ट्रीय सेवाएं संचालित करने हेतु दिशानिर्देश अधिसूचित

नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने अनुसूचित अंतरराष्ट्रीय हवाई परिवहन सेवाओं (यात्रियों और कार्गो दोनों) के संचालन के लिए भारतीय हवाई वाहकों के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं।[38]  ये दिशानिर्देश एयरक्राफ्ट नियम, 1937 के अंतर्गत तैयार किए गए हैं।35  1937 के नियम निर्दिष्ट करते हैं कि एक व्यक्ति को भारतीय हवाई क्षेत्र से जुड़ी किसी भी अनुसूचित हवाई परिवहन सेवा के संचालन के लिए केंद्र सरकार से अनुमति लेनी होगी।35  दिशानिर्देशों की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • पात्रता: कोई भी भारतीय हवाई परिवहन उपक्रम अंतरराष्ट्रीय अनुसूचित हवाई परिवहन सेवाओं के संचालन के लिए पात्र होगा: (i) अगर उसके पास अनुसूचित हवाई परिवहन सेवाओं के संचालन के लिए वैध एयर ऑपरेटर का प्रमाणपत्र है; और (ii) वह घरेलू परिचालन के लिए 20 विमान या कुल क्षमता का 20% (सभी प्रस्थानों को मिलाकर, सीटों की औसत संख्या के लिहाज से), जो भी अधिक हो, तैनात करता है। घरेलू परिचालन की शर्त ऑल-कार्गो सेवाओं के लिए लागू नहीं है।
  • क्षमता और यातायात के अधिकार: सभी पात्र हवाई वाहकों को अपनी अंतरराष्ट्रीय हवाई परिवहन सेवाओं को शुरू करने या बढ़ाने के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय में आवेदन करना होगा। योग्यता और तैयारियों के संबंध में आवेदनों की जांच की जाएगी। आवेदन (वाहक द्वारा) में प्रस्तावित यातायात अधिकार आबंटित करने के लिए, सभी पात्र एयरलाइनों से परामर्श किया जाएगा। आवेदन पर निर्णय लेते समय द्विपक्षीय सेवा समझौतों के तहत यातायात अधिकारों की उपलब्धता पर भी विचार किया जाएगा।

ई-बोर्डिंग (डिजी-यात्रा) को लागू करने से संबंधित दिशानिर्देश अधिसूचित

डीजीसीए ने ई-बोर्डिंग प्रक्रिया (डिजी-यात्रा) के कार्यान्वयन के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं।[39] डिजी-यात्रा हवाई अड्डों पर विभिन्न चेकप्वाइंट्स (जैसे प्रवेश जांच, सुरक्षा जांच और बोर्डिंग) पर यात्रियों की पेपरलेस प्रोसेसिंग के लिए एक डिजिटल इकोसिस्टम है।[40] दिशानिर्देशों की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

  • क्रेडेंशियल्स: यात्री (भारतीय नागरिक होने की आवश्यकता नहीं है) पहचान डेटा, यात्रा डेटा और स्वास्थ्य डेटा के साथ डिजी यात्रा क्रेडेंशियल बना सकता है। इन सभी डेटा प्वाइंट्स को यात्री के यूनीक बायोमेट्रिक हस्ताक्षर के साथ टैग किया जाएगा। क्रेडेंशियल स्मार्टफोन पर एक सुरक्षित वॉलेट में स्टोर किए जाएंगे। यात्री के डेटा का कोई केंद्रीकृत स्टोरेज नहीं होगा और यात्रा के समय हवाई अड्डों, एयरलाइंस और रेगुलेटरी एजेंसियों (यदि आवश्यक हो) के साथ क्रेडेंशियल साझा किए जाएंगे।
  • आवश्यकताएं: घरेलू यात्रा के लिए यात्रियों के क्रेडेंशियल बनाने और प्राप्त करने के लिए एयरलाइन को डिजी यात्रा सेंट्रल इकोसिस्टम के साथ काम करना होगा। इसे बाद में अंतरराष्ट्रीय यात्रा तक बढ़ाया जाएगा। यात्री के पास डिजी यात्रा में हेल्थ सर्टिफिकेट जमा करने का विकल्प भी होना चाहिए।

केप टाउन कन्वेंशन को लागू करने के लिए ड्राफ्ट बिल पर टिप्पणियां आमंत्रित

नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने ड्राफ्ट एयरक्राफ्ट ऑब्जेक्ट्स में हितों का संरक्षण और प्रवर्तन बिल, 2022 पर सार्वजनिक टिप्पणियां आमंत्रित की हैं।[41]  ड्राफ्ट बिल मोबाइल उपकरणों में अंतरराष्ट्रीय हितों पर समझौता (केप टाउन कन्वेंशन) और विमान उपकरण पर विशिष्ट मामलों के प्रोटोकॉल (केप टाउन प्रोटोकॉल) के प्रावधानों को लागू करने का प्रयास करता है।41 कन्वेंशन/प्रोटोकॉल का उद्देश्य एयरक्राफ्ट ऑब्जेक्ट्स (जैसे एयरफ्रेम, हेलीकॉप्टर और इंजन) के संचालन की वहनीयता में सुधार करने के लिए उनका कुशल वित्तपोषण हासिल करना है। भारत जुलाई 2008 में कन्वेंशन/प्रोटोकॉल का एक पक्ष बना है।41

मंत्रालय के अनुसार, भारत में कन्वेंशन/प्रोटोकॉल के पूर्ण कार्यान्वयन करने के लिए एक अलग कानून की जरूरत है। इससे कन्वेंशन/प्रोटोकॉल के प्रावधानों और कुछ अन्य कानूनों (जैसे कंपनी एक्ट, 2013 और इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी संहिता, 2016) के प्रावधानों में सामंजस्य स्थापित होगा।41 ड्राफ्ट बिल निम्नलिखित का प्रयास करता है: (i) एसेट-आधारित वित्तपोषण और लीज़िंग लेनदेन में जोखिम को कम करना, (ii) एविएशन ऋण की लागत को कम करना, और (iii) विमानों के लीज़ के किराये को कम करना।41 

ड्राफ्ट बिल निम्नलिखित पर लागू होगा: (i) भारत में स्थित देनदार, (ii) भारत में स्थित विक्रेता, और  (iii) भारत में स्थित एयरक्राफ्ट ऑब्जेक्ट, या भारत में पंजीकृत विमान। बिल तब भी लागू होगा, अगर लेनदार किसी ऐसे देश में स्थित है जोकि कन्वेंशन/प्रोटोकॉल का पक्ष नहीं है। बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • लेनदारों के लिए उपाय: जब कोई देनदार किसी अनुबंध के संबंध में चूक करता है, तो लेनदार को नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) को इस चूक के बारे में बताना चाहिए। लेनदार के लिए उपलब्ध उपाय निम्नलिखित हैं: (i) विमान पर कब्जा या उसे नियंत्रण में लेना, (ii) ऐसे विमान को बेचना या पट्टे पर देना, और (iii) ऐसे एयरक्राफ्ट ऑब्जेक्ट के प्रबंधन से मिलने वाली आय/लाभ को जमा करना। इसके अतिरिक्त यदि लेनदार और देनदार सहमत हैं, तो क्रेडिट: (i) विमान को डी-रजिस्टर कर सकता है, और (ii) विमान को जहां से स्थित है वहां से स्थानांतरित किया जा सकता है। किसी भी उपाय का प्रयोग व्यावसायिक रूप से उचित तरीके से किया जाना चाहिए।
  • अंतिम निर्धारण से पहले राहत: किसी दावे के संबंध में अंतिम निर्णय लेने से पहले, एक लेनदार कुछ उपायों के लिए अदालत (देनदार के समझौते के संबंध में) जा सकता है। इनमें से कुछ उपाय निम्नलिखित हैं: (i) एयरक्राफ्ट ऑब्जेक्ट और उसके मूल्य को सुरक्षित करना, (ii) एयरक्राफ्ट ऑब्जेक्ट का कब्जा, नियंत्रण या कस्टडी, और (iii) एयरक्राफ्ट ऑब्जेक्ट का लीज प्रबंधन और उससे होने वाली आय।

ड्राफ्ट पर टिप्पणियां 13 मई, 2022 तक आमंत्रित हैं।

 

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग

Rajat Asthana (rajat@prsindia.org)

परिवहन वाहनों के लिए रीन्यू किए गए फिटनेस सर्टिफिकेट्स की वैधता में संशोधन करने वाले नियम अधिसूचित

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने मोटर वाहन नियम, 1989 में संशोधनों को अधिसूचित किया है।[42],[43]  2022 के नियमों को मोटर वाहन एक्ट, 1988 के प्रावधानों के अंतर्गत तैयार किया गया है।[44]  1988 का एक्ट परिवहन वाहनों के लिए यह अनिवार्य करता है कि वे अपने साथ फिटनेस सर्टिफिकेट लेकर चलें।44 1989 के नियमों के अनुसार, सभी परिवहन वाहनों के लिए रीन्यू फिटनेस सर्टिफिकेट एक वर्ष तक वैध हैं।[45] 2022 के नियम परिवहन वाहन की आयु के आधार पर वैधता को निर्धारित करने के लिए इसमें संशोधन करते हैं।

रीन्यू फिटनेस सर्टिफिकेट निम्नलिखित के लिए वैध होगा: (i) अधिकतम आठ वर्ष पुराने परिवहन वाहनों के लिए दो वर्ष, और (ii) आठ वर्ष से अधिक पुराने परिवहन वाहनों के लिए एक वर्ष। इसके अतिरिक्त 2022 के नियम निर्दिष्ट करते हैं कि 1 जून, 2024 से कुछ वाहनों (जैसे भारी माल वाहन या भारी यात्री वाहन) के लिए फिटनेस टेस्ट ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन के जरिए किया जाना चाहिए।

राज्य की सड़कों के विकास के लिए धनराशि आबंटित करने के मानदंडों में संशोधन

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने केंद्रीय सड़क एवं इंफ्रास्ट्रक्चर फंड एक्ट, 2000 के अंतर्गत राज्य सड़कों के विकास के लिए धनराशि के आबंटन के मानदंड में संशोधन किए हैं।[46]  2000 का एक्ट केंद्रीय सड़क एवं इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की स्थापना करता है जिसे राष्ट्रीय राजमार्गों, राज्य सड़कों, ग्रामीण सड़कों और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास और रखरखाव के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।[47] एक्ट के अंतर्गत वित्त मंत्री की अध्यक्षता में एक समिति राज्य सड़क परियोजनाओं के विकास और रखरखाव के लिए धनराशि आबंटन के मानदंड बनाएगी।47 

धनराशि आबंटन के मानदंड में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) सड़कें जिन्हें नए राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित किया जा सकता है, (ii) अंतरराज्यीय सड़कें एवं आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण सड़कें, और (iii) सुरक्षा और यातायात की भीड़भाड़ पर विशेष ध्यान देते हुए राष्ट्रीय राजमार्गों को जोड़ने वाली सड़कें। संशोधन राज्यों को धनराशि आबंटन के लिए अतिरिक्त मानदंडों को पेश करते हैं जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) हवाईअड्डों, तीर्थाटन और पर्यटन केंद्रों, स्मारकों और हेरिटेज प्लेस से कनेक्टिविटी, (ii) रास्ते में सुविधाएं (रेस्ट एरिया, फूड कोर्ट्स) और राष्ट्रीय राजमार्गों के साथ रोड साइड यूटिलिटी डक्ट्स (ऑप्टिकल फाइबर केबल के लिए), और (iii) परियोजनाओं की पहचान, मंजूरी और कार्यान्वयन के लिए पीएम गतिशक्ति फ्रेमवर्क।

 

संचार

Saket Surya (saket@prsindia.org)

वामपंथ चरमपंथी क्षेत्रों में सिक्योरिटी साइट्स पर 4जी मोबाइल सेवा संबंधी परियोजना को मंजूरी

केंद्रीय कैबिनेट ने वामपंथ चरमपंथी क्षेत्रों में कुछ सिक्योरिटी साइट्स पर 2जी मोबाइल सेवाओं को 4जी सेवाओं में बदलने वाली परियोजना को मंजूरी दे दी है।[48]  इस परियोजना के अंतर्गत इन क्षेत्रों में 2,343 साइट्स को अपग्रेड किया जाएगा। इस परियोजना की कुल अनुमानित लागत 1,885 करोड़ रुपए है। इसमें पांच वर्ष के लिए परिचालन और रखरखाव की लागत शामिल है। बीएसएनएल इस परियोजना को लागू करेगा और अपने खर्चे पर अगले पांच वर्षों के लिए इन साइट्स का रखरखाव करेगा। 

परियोजना को यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (यूएसओएफ) के जरिए वित्त पोषित किया जाएगा। यूएसओएफ को भारतीय टेलीग्राफ एक्ट, 1885 के अंतर्गत गठित किया गया है और यह ग्रामीण और सुदूर क्षेत्रों में लोगों को व्यापक, गैर भेदभावपूर्ण तथा सस्ती दरों पर क्वालिटी इनफॉरमेशन और कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी सेवाएं उपलब्ध कराता है।[49],[50]  यूएसओएफ के लिए संसाधन विभिन्न लाइसेंसों के तहत सभी दूरसंचार ऑपरेटरों के राजस्व पर वसूली के माध्यम से जुटाए जाते हैं।

ट्राई ने मोबाइल सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम की नीलामी पर सुझाव जारी किए

टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) ने 5जी नेटवर्क सहित मोबाइल ब्रॉडबैंड सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम की नीलामी पर अपने सुझाव जारी किए।[51]  सितंबर 2021 में दूरसंचार विभाग (डॉट) ने ट्राई से निम्नलिखित मुद्दों पर सुझाव मांगे थे: (i) लागू रिज़र्व मूल्य, बैंड योजना, ब्लॉक आकार, नीलामी किए जाने वाले स्पेक्ट्रम की मात्रा, और नीलामी की शर्तें, और (ii) निजी कैप्टिव नेटवर्क का निर्धारण, आबंटन का तरीका और मूल्य निर्धारण। ट्राई के प्रमुख सुझाव निम्नलिखित हैं:

नीलामी के लिए फ्रीक्वेंसी बैंड: आगामी नीलामी में निम्नलिखित फ्रीक्वेंसी बैंड्स में उपलब्ध स्पेक्ट्रम को नीलामी के लिए रखा जाना चाहिए: (i) 600 मेगाहर्ड्स (MHz), (ii) 700 MHz, (iii) 800 MHz, (iv) 900 MHz, (v) 1800 MHz, (vi) 2100 MHz, (vii) 2300 MHz, (viii) 2500 MHz, (ix) 3300-3670 MHz, और (x) 24.25-28.5 गिगाहर्ट्स (GHz)।  स्पेक्ट्रम 20 वर्ष और 30 वर्ष की अवधि के लिए आबंटित किया जा सकता है। अधिग्रहण की तारीख से कम से कम 10 वर्ष की अवधि के बाद स्पेक्ट्रम छोड़ने का विकल्प होना चाहिए।

रिज़र्व मूल्य: रिज़र्व मूल्य इंगित करता है कि किसी वस्तु को हासिल करने के लिए बोली लगाने वाले को न्यूनतम राशि का भुगतान करना होगा। रिज़र्व मूल्य निम्नलिखित होना चाहिए: (i) ट्राई द्वारा औसत मूल्यांकन का 70%, (ii) सेवा क्षेत्रों में, जहां मार्च 2021 की नीलामी में स्पेक्ट्रम पूरी तरह से बेचा गया था, रिज़र्व मूल्य औसत मूल्यांकन का 70%, या कुछ समायोजनों के बाद मार्च 2021 का नीलामी निर्धारित मूल्य, जो भी अधिक हो, होना चाहिए। 30 वर्ष की अवधि के लिए आबंटन का रिज़र्व मूल्य 20 वर्ष की अवधि के रिज़र्व मूल्य का 1.5 गुना होना चाहिए। 3300-3670 MHz बैंड के लिए, जिसका उपयोग 5जी सेवाओं के लिए किया जाएगा, दिल्ली और मुंबई सेवा क्षेत्र में अनुशंसित रिज़र्व मूल्य 20 वर्ष की अवधि के लिए क्रमशः 40 करोड़ रुपए प्रति MHz और 35 करोड़ रुपए प्रति MHz है।

भुगतान विकल्प: निम्नलिखित भुगतान विकल्प उपलब्ध होने चाहिए: (ii) 10 दिनों के भीतर आंशिक अग्रिम भुगतान, उन वर्षों की आनुपातिक संख्या के लिए मोराटोरियम प्राप्त करने के विकल्प के साथ जिसके लिए अग्रिम भुगतान किया गया है; शेष राशि समान वार्षिक किश्तों में देय होनी चाहिए, (ii) समान वार्षिक किश्तों में भुगतान, (iii) पूरा अग्रिम भुगतान।

कैप्टिव नेटवर्क: एक इनडोर या परिसर के भीतर निजी वायरलेस कैप्टिव नेटवर्क स्थापित करने के लिए अनुमति या लाइसेंस की आवश्यकता होनी चाहिए। ऐसी अनुमति या लाइसेंस 10 वर्ष की अवधि के लिए दिया जा सकता है। कैप्टिव नेटवर्क स्थापित करने वाली संस्था दूरसंचार सेवा प्रदाताओं से या सीधे दूरसंचार विभाग से पट्टे पर स्पेक्ट्रम प्राप्त कर सकती है।

 

 

मीडिया और ब्रॉडकास्टिंग

Saket Surya (saket@prsindia.org)

मीडिया स्वामित्व से संबंधित मुद्दों पर ट्राई ने विचार मांगे

टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) ने ‘मीडिया स्वामित्व से संबंधित मुद्दे’ पर एक परामर्श पत्र जारी किया है।[52]  ट्राई ने कहा है कि एक लोकतंत्र में सक्रिय नागरिकता के मूल विचार में सार्वजनिक बहस में विविध आवाजों और दृष्टिकोणों की मौजूदगी जरूरी होती है। अगर मीडिया स्वामित्व का संकेद्रण होगा, तो इसका इस पर प्रतिकूल असर हो सकता है। ट्राई को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से प्रसारण क्षेत्र में क्रॉस-मीडिया स्वामित्व और वर्टिकल इंटिग्रेशन जैसे मुद्दों पर सुझाव देने के लिए एक संदर्भ प्राप्त हुआ। वर्टिकल इंटिग्रेशन का मतलब होता है, जब एक ही संस्था कंटेट विकास और उपभोक्ताओं में वितरण के दो व्यवसायों को नियंत्रित करती हो।

ट्राई ने गौर किया कि मीडिया उद्योग का अभूतपूर्व तरीके से विस्तार हुआ है। पारंपरिक टेलीविजन और प्रिंट मीडिया के अलावा, उद्योग में अब समाचार और मनोरंजन के लिए डिजिटल मीडिया पोर्टल शामिल हैं। डिजिटल मीडिया का प्रसार लोगों के लिए विविध स्रोतों का उपयोग करने और विभिन्न दृष्टिकोणों से रूबरू होने के अवसरों को बढ़ाता है। साथ ही, डिजिटल मीडिया पर सीमित संख्या में बहुत बड़ी कंपनियों का प्रभुत्व है जिनके पास छोटी कंपनियों का अधिग्रहण करके उन्हें समेकित करने का जरिया भी होता है। इससे बाजार संकेंद्रण का जोखिम पैदा हो सकता है।

ट्राई ने निम्नलिखित प्रमुख मुद्दों पर विचार मांगे: (i) क्रॉस-मीडिया स्वामित्व और नियंत्रण की निगरानी की जरूरत, और ऐसी निगरानी के लिए प्रशासनिक संरचना, (ii) मीडिया में प्रतिस्पर्धा के मामलों में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग और सेबी जैसी एजेंसियों के अंतर्गत आने वाले तंत्रों के अलावा अतिरिक्त रेगुलेटरी तंत्र, (iii) क्षेत्र में बाजार संकेंद्रण को मापने के तरीके, (iv) मीडिया खंड जहां विविध दृष्टिकोणों को आवश्यक माना जाना चाहिए, और (v) क्या रेगुलेटर्स को जनहित में किसी भी इकाई को प्रवेश करने से रोकने का और संस्थाओं को क्रॉस-मीडिया स्वामित्व रखने से प्रतिबंधित करने का अधिकार होना चाहिए।

टिप्पणियां 10 मई, 2022 तक आमंत्रित हैं।

 

उपभोक्ता मामले

Tanvi Vipra (tanvi@prsindia.org)

कैबिनेट ने सरकारी योजनाओं में फोर्टिफाइड चावल के वितरण को मंजूरी दी

केंद्रीय कैबिनेट ने 2024 तक देश की सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति को मंजूरी दी है।[53]  चावल का फोर्टिफिकेशन वह प्रक्रिया होती है जिसमें कुपोषण की समस्या को दूर करने के लिए चावल में आयरन, फॉलिक एसिड और विटामिन बी12 जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व मिलाए जाते हैं।[54]  इस योजना को तीन चरणों में लागू किया जाएगा जैसा तालिका 2 में दर्शाया गया है।

तालिका 2: फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति योजना के चरण

चरण योजनाएं समय सीमा
I एकीकृत बाल विकास सेवाएं (आईसीडीएस) और प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण (पीएम पोषण, पूर्व में मिड-डे मील योजना) योजनाएं, सभी जिलों में मार्च 2022 (चालू)
II सभी आकांक्षी और स्टंटिंग से अधिक प्रभावित जिलों में लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) और अन्य कल्याणकारी योजनाएं मार्च 2023
III शेष जिलों में टीपीडीएस और अन्य कल्याणकारी योजनाएं मार्च 2024

स्रोत: प्रेस सूचना ब्यूरो; पीआरएस।

केंद्र सरकार जून 2024 तक खाद्य सबसिडी के अंग के रूप में फोर्टिफिकेशन की लागत का वहन करेगी (2,700 करोड़ रुपए की अनुमानित वार्षिक लागत)।

दिसंबर 2022 तक सभी राज्यों में खाद्य तेलों और तिलहनों पर स्टॉक की सीमा बढ़ाई गई

उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने सभी राज्यों में खाद्य तेलों और तिलहनों पर स्टॉक की सीमा को 3 फरवरी, 2022 से बढ़ाकर 31 दिसंबर, 2022 कर दिया है।[55]  यह आदेश अनिवार्य वस्तु एक्ट, 1955 के अंतर्गत जारी किया गया था। यह कानून केंद्र सरकार को अनिवार्य वस्तुओं के उत्पादन, सप्लाई, वितरण, स्टोरेज और व्यापार को नियंत्रित करने की शक्ति देता है। स्टॉक की सीमा अनिवार्य वस्तुओं की कीमत को नियंत्रित करने के लिए लगाई जाती है। स्टॉक की सीमा निम्नलिखित है (देखें तालिका 3):

तालिका 3: खाद्य तेलों और तिलहनों की स्टॉक सीमा

वस्तु

स्टॉक की सीमा (क्विंटल में)

प्रसंस्करण

रीटेल

थोक

खाद्य तेल*

30

500

90 दिन की स्टोरेज सुविधा

खाद्य तिलहन

100

2,000

90 दिन खाद्य तेल का उत्पादन

नोट:*रीटेल उपभोक्ताओं (रीटेल आउटलेट के लिए 30 क्विंटल और डिपो के लिए 1,000 क्विंटल) पर भी स्टॉक सीमा लगाई गई है।

स्रोत: उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय; पीआरएस।

छह राज्य, जैसे उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान और बिहार ने अपने नियंत्रण आदेश जारी किए हैं, जिन्हें संशोधित आदेश के दायरे में लाया गया है। केंद्र सरकार ने अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए आठ टीमें नियुक्त की हैं।[56] देश में खाद्य तेलों की 56% खपत को आयात के जरिए पूरा किया जाता है। आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधानों के चलते खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों को काबू में करने के लिए स्टॉक सीमा तय की गई है।

 

खनन

Saket Surya (saket@prsindia.org)

नॉन-ऑपरेशनल सरकारी कोयला खानों को सरेंडर करने वाली विंडो को मंजूरी

केंद्रीय कैबिनेट ने नॉन ऑपरेशनल कोयला खानों को सरेंडर करने के लिए सरकारी कंपनियों की वन-टाइम विंडो को मंजूरी दे दी है।[57]  इसके लिए जुर्माना भरने और कोई जरूरी कारण बताने की जरूरत नहीं होगी। इसकी वजह उन कोयला खानों को प्राप्त करना है जिन्हें सरकारी कंपनियों के लिए विकसित करना संभव नहीं है या वे उन्हें विकसित करने में रुचि नहीं रखतीं। यह विकल्प तीन महीने के लिए उपलब्ध होगा। सरेंडर की जाने वाली खानों को नीलामी के जरिए दूसरी कंपनियों को उपलब्ध कराया जाएगा।

प्रेस नोट के अनुसार, दिसंबर 2021 तक सरकारी कंपनियों को आबंटित 73 में से 45 कोयला खानें नॉन-ऑपरेशनल बनी रहीं।57 19 कोयला खदानों के मामलें में खनन का काम शुरू करने की नियत तारीख भी निकल चुकी है।57 विलंब के कारणों में भूमि अधिग्रहण, कोयला संसाधनों की आकलित और वास्तविक उपलब्धता में मेल न होना और कानून एवं व्यवस्था की स्थिति जैसी समस्याएं शामिल हैं।

कोयला धारक क्षेत्र एक्ट के अंतर्गत अधिग्रहित गैर खनन योग्य भूमि के उपयोग की नीति मंजूर

केंद्र सरकार ने कोयला धारक क्षेत्र (अधिग्रहण एवं विकास) एक्ट, 1957 के अंतर्गत अधिग्रहित गैर खनन योग्य भूमि के उपयोग की नीति को मंजूरी दे दी है।[58] एक्ट कोयला धारक क्षेत्रों के अधिग्रहण तथा उसे सरकारी कंपनी में निहित करने का प्रावधान करता है। नीति के अनुसार, एक्ट के अंतर्गत अधिग्रहित निम्नलिखित प्रकार की भूमि को अन्य उपयोग के लिए उपलब्ध कराया जाता है: (i) जो भूमि अब कोयला खनन गतिविधियों के लिए उपयुक्त या किफायती नहीं है, (ii) भूमि जिसमें से कोयला निकाल लिया गया है, और ऐसी भूमि को पुनः प्राप्त किया गया है। जमीन का मालिकाना हक रखने वाली सरकारी कंपनी ऐसी भूमि को विशिष्ट गतिविधियों के लिए पट्टे पर देगी, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) कोयला या ऊर्जा से संबंधित इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे कि कोल वॉशरी, कोल हैंडलिंग प्लांट, रेलवे साइडिंग, बिजली परियोजनाएं, और कोयला गैसीकरण संयंत्र, और (ii) इस एक्ट या किसी अन्य कानून के तहत भूमि अधिग्रहण के कारण प्रभावित परिवारों का पुनर्वास और पुनर्स्थापन। पट्टा प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से दिया जाएगा।

 

बिजली

Saket Surya (saket@prsindia.org)

ड्राफ्ट बैटरी स्वैपिंग नीति सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए जारी

नीति आयोग ने ड्राफ्ट बैटरी स्वैपिंग नीति को सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए जारी किया है।[59]  यह कहा गया कि इलेक्ट्रिक वाहन पारंपरिक रूप से फिक्स्ड बैटरी के साथ खरीदे जाते हैं। बैटरी स्वैपिंग एक विकल्प है जिसमें डिस्चार्ज की गई बैटरी की जगह चार्ज की गई बैटरी ले लेती है और फिर डिस्चार्ज बैटरी को अलग से चार्ज करने की फ्लेक्सिबिलिटी मिलती है। यह चार्जिंग और बैटरी उपयोग को डी-लिंक करता है, और वाहन को ऑपरेशनल मोड में आने में बिल्कुल समय नहीं लगता। नीति आयोग ने कहा कि बैटरी स्वैपिंग के निम्नलिखित फायदे हैं: (i) वाहन का डाउनटाइम कम होगा, और (ii) चार्जिंग स्टेशन बनाने की बहुत ज्यादा जरूरत नहीं होगी। यह देखा गया कि बैटरी की अदला-बदली का उपयोग आमतौर पर छोटे वाहनों जैसे दोपहिया और तिपहिया वाहनों के लिए किया जाता है। हालांकि चार पहिया और इलेक्ट्रिक बसों के लिए भी सॉल्यूशंस मिल रहे हैं। ड्राफ्ट नीति का उद्देश्य बैटरी स्वैपिंग तकनीक को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देना है। ड्राफ्ट नीति की मुख्य विशेषताएं हैं:

  • इंटरऑपरेबिलिटी: नीति इस बात पर जोर देती है कि बैटरी स्वैपिंग को सफलतापूर्वक अपनाने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों और बैटरी के बीच इंटरऑपरेबिलिटी जरूरी है। नीति उन्नत केमिस्ट्री सेल्स का इस्तेमाल करने वाली बैटरियों के लिए सहायता प्रदान करेगी। नीति के तहत पात्र बैटरियों के लिए अतिरिक्त विनिर्देश या मानक लागू होंगे। बैटरी प्रदाताओं को बैटरी और स्वैपिंग इकोसिस्टम के अन्य घटकों के बीच एंड-टू-एंड कैंपैटिबिलिटी दर्शाना होगा। नीति बाजार से उत्पन्न होने वाले कई अलग-अलग इंटरऑपरेबल सॉल्यूशंस की अनुमति देगी। विद्युत मंत्रालय बैटरी चार्जिंग स्टेशनों और बैटरी स्वैपिंग स्टेशनों के लिए बैटरी की चार्जिंग और स्वैपिंग के लिए मानक निर्दिष्ट करेगा।
  • इंसेंटिव्स: इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए उपलब्ध इंसेंटिव्स को स्वैपेबल बैटरी वाले इलेक्ट्रिक वाहनों को भी दिया जाएगा। स्वैपेबल बैटरी सेवा प्रदाताओं को सब्सिडी देने की योजना तैयार की जाएगी। बैटरी स्वैपिंग को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकारें अतिरिक्त पूंजी सबसिडी दे सकती हैं। सार्वजनिक बैटरी चार्जिंग स्टेशनों के लिए प्रमोशनल रेट्स पर भूमि उपलब्ध कराई जाएगी। नीति बैटरी चार्जिंग स्टेशनों को समय-समय पर बिजली टैरिफ व्यवस्था के तहत लाने की वकालत करती है ताकि नॉन-पीक अवधि के दौरान स्वैप करने योग्य बैटरी की चार्जिंग को प्रोत्साहित किया जा सके। समय-समय पर टैरिफ के तहत, दिन के अलग-अलग समय पर अलग-अलग दरें लागू होती हैं।

टिप्पणियां 5 जून, 2022 तक आमंत्रित हैं।

बिजली (उपभोक्ताओं का अधिकार) संशोधन नियम, 2022 अधिसूचित

ऊर्जा मंत्रालय ने बिजली (उपभोक्ताओं का अधिकार) संशोधन नियम, 2022 को अधिसूचित किया है।[60] ये नियम बिजली एक्ट, 2003 के अंतर्गत जारी बिजली (उपभोक्ताओं का अधिकार) नियम, 2020 में संशोधन करते हैं।[61] 2022 के नियम उपभोक्ताओं के अधिकार तथा बिजली वितरण (जैसे कनेक्शन देना, मीटरिंग और बिलिंग) के विभिन्न पहलुओं पर बिजली वितरण लाइसेंसी की बाध्यताओं को निर्दिष्ट करते हैं। मुख्य संशोधनों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • विश्वसनीयता (रिलायबिलिटी) शुल्क: 2020 के नियमों में राज्य बिजली रेगुलेटरी आयोगों को बिजली आपूर्ति की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के लिए कुछ मानकों को निर्दिष्ट करने की आवश्यकता है। इन मानकों में एक वर्ष में प्रति उपभोक्ता बिजली कटौती की कुल अवधि और आवृत्ति शामिल है। 2022 के नियम कहते हैं कि राज्य आयोग एक वितरण कंपनी के लिए एक अलग विश्वसनीयता शुल्क पर विचार कर सकते हैं। यह शुल्क लगाया जा सकता है, अगर कंपनी को आपूर्ति की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए बुनियादी ढांचे में निवेश हेतु धन की आवश्यकता है।
  • डीजल जनरेटिंग सेट्स के इस्तेमाल को काबू में करना: 2022 के नियम कहते हैं कि जो उपभोक्ता डीजल जेनरेटिंग सेट को आवश्यक बैकअप पावर के रूप में उपयोग करते हैं, उन्हें नियमों की अधिसूचना की तारीख से पांच वर्ष के भीतर स्वच्छ टेक्नोलॉजी (जैसे बैटरी स्टोरेज के साथ अक्षय ऊर्जा) में स्थानांतरित करने का प्रयास करना चाहिए। राज्य आयोग क्षेत्र में आपूर्ति की विश्वसनीयता के आधार पर स्वच्छ ऊर्जा में बदलाव के लिए एक अलग समयरेखा निर्दिष्ट कर सकते हैं।
  • अस्थायी कनेक्शन: 2022 के नियम कहते हैं कि डिस्कॉम को निर्माण गतिविधियों या अन्य अस्थायी उपयोगों के लिए अस्थायी कनेक्शन के अनुरोधों पर तत्काल विचार करना चाहिए। जहां वितरण प्रणाली को बढ़ाने की जरूरत है, वहां ऐसे कनेक्शन 48 घंटे के भीतर या सात दिनों के भीतर प्री-पेमेंट मीटर का उपयोग दिए जाने चाहिए। इससे अस्थायी गतिविधियों के लिए डीजल सेट के उपयोग से बचा जा सकेगा।

स्वास्थ्य

Rajat Asthana (rajat@prsindia.org)

पीएम-जय के अंतर्गत प्रोवाइडर पेमेंट और मूल्य निर्धारण पर परामर्श पत्र जारी

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण ने आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आयोग्य योजना (पीएम-जय) के अंतर्गत प्रोवाइडर पेमेंट और मूल्य निर्धारण पर सार्वजनिक टिप्पणियां मांगी हैं।[62]  पीएम-जय पैनल में शामिल स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के माध्यम से माध्यमिक और तृतीयक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंचने के लिए गरीब और कमजोर परिवारों को स्वास्थ्य बीमा (प्रति परिवार प्रति वर्ष पांच लाख रुपए तक) प्रदान करता है।[63]  पीएम-जय स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को सेवाओं के एक बंडल (जैसे वेंटिलेटर, रेडियो ऑन्कोलॉजी, एपेंडेक्टोमी के साथ आईसीयू) के लिए एक निश्चित दर (जैसा कि स्वास्थ्य पैकेज में परिभाषित किया गया है) का भुगतान करता है।[64]  स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को भुगतान से संबंधित प्रमुख पहलुओं में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) भुगतान का तरीका, और (ii) भुगतान की राशि। प्रोवाइडर पेमेंट चार तरह से किए जाते हैं: कैपिटेशन, सेवा के लिए शुल्क, केस-आधारित और ग्लोबल बजट (तालिका 4)।

तालिका 4: प्रोवाइडर पेमेंट के तरीके

कैपिटेशन

प्रदाताओं को एक निश्चित आबादी को, एक निश्चित समयावधि में निश्चित सेवाएं प्रदान करने के लिए एक निश्चित भुगतान किया जाता है। भुगतान प्रदाता के तहत कुल नामांकनों से सीधे संबंधित है।

 सेवा के लिए शुल्क

प्रदाताओं को व्यक्तिगत सेवाओं, प्रक्रियाओं, परीक्षणों, वितरित या निर्धारित दवाओं की प्रत्येक इकाई के लिए पूर्वव्यापी रूप से एक निश्चित भुगतान किया जाता है।

केस-आधारित

मरीजों को निदान और उपचार प्रक्रियाओं आदि के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। प्रदाताओं को प्रति श्रेणी में हरेक प्रवेश के लिए निश्चित दर से भुगतान किया जाता है।

ग्लोबल बजट

प्रदाताओं को एक निर्धारित अवधि के लिए एक निश्चित राशि और सेवाओं के एक परिभाषित समूह के लिए भुगतान किया जाता है। भुगतान इलाज किए गए रोगियों की वास्तविक संख्या या प्रदान की गई सेवाओं से जुड़ा नहीं है।

स्रोत: प्रोवाइडर पेमेंट पर परामर्श पत्र, एनएचए; पीआरएस।

जिन प्रमुख मुद्दों पर विचार आमंत्रित किए गए हैं उनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) विभिन्न आयु, लिंग और को-मॉरबिडिटी वाले मरीजों के लिए निदान संबंधी समूहों की उपयुक्तता, (ii) मेडिकल और सर्जिकल पैकेज के लिए चयनित विधियों की उपयुक्तता, और (iii) हाई एंड ड्रग्स, उपभोग्य वस्तुओं, और प्रत्यारोपण का मूल्य।

निदान संबंधी समूह केस-आधारित भुगतान प्रणाली का एक रूप है, जिसमें इलाज की स्थिति और उपचार के लिए उपयोग किए जाने वाले संसाधनों के अनुसार मामलों को वर्गीकृत किया जाता है। यह समूह विश्व स्वास्थ्य संगठन के रोगों के अंतरराष्ट्रीय वर्गीकरण पर आधारित है।

ड्राफ्ट हेल्थ डेटा मैनेजमेंट नीति पर टिप्पणियां आमंत्रित

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण ने आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आयोग्य योजना (पीएम-जय) के अंतर्गत ड्राफ्ट हेल्थ डेटा मैनेजमेंट नीति पर सार्वजनिक टिप्पणियां मांगी हैं।[65] इस मिशन को सितंबर 2021 में केंद्र सरकार ने शुरू किया है।[66]  मिशन के अनुसार, नागरिक अपना आयुष्मान भारत हेल्थ एकाउंट नंबर (आधार या किसी अन्य डिजिटल प्रणाली का उपयोग करके केवाईसी के साथ निर्मित) बना सकेंगे जिसे स्वैच्छिक आधार पर उनके डिजिटल स्वास्थ्य रिकॉर्ड से जोड़ा जा सकता है। इसके अतिरिक्त डिजिटल स्वास्थ्य सेवा प्रदाता एकल डिजिटल प्लेटफॉर्म पर विविध सेवा विकल्पों की पेशकश कर सकेगा। नीति प्रासंगिक कानूनों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए डेटा प्राइवेसी सिक्योरिटी के लिए न्यूनतम मानक निर्धारित करती है। यह डिजिटल स्वास्थ्य इकोसिस्टम के सभी हिस्सों के बीच इंटरऑपरेबिलिटी हासिल करने का भी प्रयास करती है। नीति की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

  • एप्लिकेबिलिटी: नीति उन सभी संस्थाओं और व्यक्तियों पर लागू होगी जो मिशन का हिस्सा हैं। इनमें शामिल हैं: (i) सभी व्यक्ति जिनके पास आयुष्मान भारत हेल्थ एकाउंट है, (ii) सभी हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स, और (iii) कोई भी स्वास्थ्य सुविधा जो व्यक्तिगत डेटा एकत्र, संग्रहीत और ट्रांसमिट करती है।
  • गवर्नेंस की संरचना: एक सरकारी अधिकारी को राष्ट्रीय डिजिटल हेल्थ इकोसिस्टम (एनडीएचई) के लिए डेटा सिक्योरिटी ऑफिसर के रूप में नामित किया जाना चाहिए। एनडीएचई का मतलब, एक ऐसा इकोसिस्टम होता है जिसका उद्देश्य डेटा सिस्टम और हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल करके सार्वभौमिक हेल्थ कवरेज प्रदान करना है। उसके निम्नलिखित कर्तव्य हैं: (i) डेटा गोपनीयता के मामलों पर रेगुलेटर्स और बाहरी हितधारकों के साथ संवाद करना, और (ii) डेटा गवर्नेंस पर निर्णय लेने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करना। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय एनडीएचई के प्रासंगिक पहलुओं पर समग्र मार्गदर्शन प्रदान करेंगे। एक शिकायत निवारण अधिकारी भी होना चाहिए।
  • कंसेंट फ्रेमवर्क: नीति डेटा फिड्यूशरीज़ द्वारा व्यक्तिगत डेटा की प्रोसेसिंग के संबंध में कुछ सिद्धांतों को निर्धारित करती है। नीति के अनुसार, व्यक्तियों के पास अपने व्यक्तिगत डेटा को जमा और प्रोसेस करने के तरीके पर नियंत्रण और निर्णय लेने की शक्ति होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त सभी संस्थाओं (जैसे स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, कंपनियों और सरकारों) को सिक्योरिटी संबंधी उल्लंघनों को रोकने के लिए उपयुक्त तकनीक का उपयोग करना चाहिए। टेक्नोलॉजी को प्रासंगिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करना चाहिए।

टिप्पणियां 21 मई, 2022 तक आमंत्रित हैं।

 

 

 

रक्षा

रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020 में संशोधन

Omir Kumar (omir@prsindia.org)

रक्षा उपकरणों के स्वदेशी निर्माण को बढ़ावा देने के लिए रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया, 2020 में संशोधन किए गए हैं।[67]  रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया, 2020 (पूर्व रक्षा खरीद प्रक्रिया) सशस्त्र बलों के लिए आवश्यक सैन्य उपकरणों का समय पर अधिग्रहण सुनिश्चित करती है।[68]  इसके अतिरिक्त यह रक्षा उपकरणों की खरीद में ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने का प्रयास करती है। संशोधनों की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • रक्षा सेवाओं और भारतीय तटरक्षकों के लिए उपकरणों की खरीद: रक्षा सेवाओं और भारतीय तटरक्षक बल की सभी आधुनिकीकरण जरूरतों को स्वदेशी स्रोत से पूरा किया जाएगा, भले ही खरीद की प्रकृति कैसी भी हो। रक्षा उपकरणों के आयात/पूंजीगत अधिग्रहण के लिए विदेशी कंपनी से सोर्सिंग की अनुमति अपवाद की स्थिति में होगी और इसके लिए रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी)/रक्षा मंत्री का पूर्वानुमोदन लेना होगा। डीएसी (अध्यक्ष: रक्षा मंत्री) सशस्त्र सेवाओं के लिए पूंजी अधिग्रहण परियोजनाओं को मंजूरी देता है।
  • मैन्यूफैक्चिंग क्षेत्र की व्यापक भागीदारी: स्वदेशी रक्षा मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की व्यापक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए अधिग्रहण के मामलों में ऑर्डर की कुल मात्रा शॉर्टलिस्ट किए गए वेंडर्स के बीच बांटी जाएगी, जो भी आर्थिक रूप से व्यवहार्य होगा। इसके अतिरिक्त जिन तकनीकी रूप से कुशल बोलीदाताओं को कॉन्ट्रैक्ट नहीं मिला हो, उन्हें सशस्त्र बलों द्वारा एक सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा जिसमें उत्पाद के ट्रायल इवैल्यूएशन का जिक्र होगा। इससे वह वेंडर दूसरे बाजार को भी एक्सप्लोर कर सकेगा।
  • स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करना: स्टार्टअप्स और एमएसएमईज़ के प्रॉजेक्ट्स को इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सिलेंस (आईडेक्स) इनीशिएटिव के अंतर्गत खरीदा जाता है। आइडेक्स रक्षा मंत्रालय का एक इनीशिएटिव है जिसके जरिए मंत्रालय स्टार्टअप्स और एमएसएमईज़ की ऐसी परियोजनाओं की खरीद करता है जो कम पूंजी और ज्यादा इनोवेशन वाले हैं। वर्तमान में आइडेक्स के तहत खरीद प्रक्रिया में ऑर्डर देने से पहले लगभग दो वर्ष लगते हैं। रक्षा क्षेत्र के मैन्यूफैक्चरिंग स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए आइडेक्स के अंतर्गत खरीद की प्रक्रिया, जरूरत को मंजूरी देने से लेकर कॉन्ट्रैक्ट साइन होने तक, में 22 हफ्ते लगेंगे।    

 

ग्रामीण विकास

राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान को जारी रखने को मंजूरी दी गई

Shashank Srivastava (shashank@prsindia.org)

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने 2022-26 के दौरान राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (आरजीएसए) की संशोधित केंद्र प्रायोजित योजना को जारी रखने को मंजूरी दी है।[69] आरजीएसए का उद्देश्य सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने के लिए पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) को मजबूत करना है।[70] यह योजना सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों पर लागू होगी।

संशोधित योजना का उद्देश्य पंचायती राज संस्थानों के निर्वाचित प्रतिनिधियों की क्षमता को बढ़ाना है ताकि वे स्थानीय स्तर पर (जैसे गरीबी मुक्त गांव, स्वस्थ गांव, बच्चों के अनुकूल गांव) एसडीजी के लिए काम कर सकें। इनका निम्नलिखित उद्देश्य है: (i) अन्य मंत्रालयों की क्षमता निर्माण पहलों को एक साथ लाना, (ii) पीआरआई को साक्ष्य-आधारित अध्ययन प्रदान करना, और (iii) सरकारी नीतियों के बारे में जागरूकता पैदा करना और उनका प्रसार करना। योजना के तहत कोई भी स्थायी पद सृजित नहीं किया जाएगा। लेकिन योजना के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए जरूरत पड़ने पर कॉट्रैक्ट पर कर्मचारियों को रखा जा सकता है।

संशोधित योजना में केंद्रीय और राज्य घटक शामिल होंगे (फंडिंग का पैटर्न केंद्र और राज्य के बीच क्रमशः 60:40 के अनुपात में होगा)। 2022-26 के लिए योजना की अनुमानित लागत 5,911 करोड़ रुपए है। केंद्र का हिस्सा 3,700 करोड़ रुपए और राज्य का 2,211 करोड़ रुपए होगा।

आदिवासी मामले

Shubham Dutt (shubham@prsindia.org)

झारखंड और त्रिपुरा में एसी और एसटी सूची में संशोधन हेतु बिल पारित

संविधान (अनुसूचित जातियां और अनुसूचित जनजातियां) आदेश (संशोधन) बिल, 2022 को संसद में पारित कर दिया गया।[71] बिल झारखंड में एसटी सूची में कुछ समुदायों को शामिल करता है। ये समुदाय हैं, देशवारी, गंझू, दौतलबंदी (द्वालबंदी), पटबंदी, राउत, माझिया, खौरी (खेरी), तमरिया (तमड़िया) और पुरान समुदाय। इसके अतिरिक्त बिल भोगता समुदाय को एससी सूची से हटाता है। इसके स्थान पर इस समुदाय को राज्य की एसटी सूची में शामिल किया गया है।

संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश (संशोधन) बिल, 2022 को भी पारित कर दिया गया है।[72]  बिल त्रिपुरा की एसटी सूची में कुकी जनजाति की उपजातियों में दरलोंग समुदाय को शामिल करता है।

बिल्स के पीआरएस सारांश के लिए कृपया क्रमशः यहां और यहां देखें।

उत्तर प्रदेश में गोंड समुदाय को अनुसूचित जनजाति के रूप में मान्यता देने वाला बिल पारित

संविधान (अनुसूचित जातियां और अनुसूचित जनजातियां) आदेश (दूसरा संशोधन) बिल, 2022 को लोकसभा में पारित कर दिया गया।[73]  बिल संविधान (अनुसूचित जनजातियां) (उत्तर प्रदेश) आदेश, 1967 (एसटी आदेश) और संविधान (अनुसूचित जातियां) आदेश, 1950 (एससी आदेश) में उत्तर प्रदेश से संबंधित प्रावधानों में संशोधन करने का प्रयास करता है। बिल एससी आदेश में संशोधन करता है ताकि उत्तर प्रदेश के चार जिलों (i) चंदौली, (ii) कुशीनगर, (iii) संत कबीर नगर, और (iv) संत रविदास नगर में गोंड समुदाय को अनुसूचित जाति की सूची से हटाया जा सके। इन चार जिलों में गोंड समुदाय को अनुसूचित जनजाति के तौर पर मान्यता देने के लिए बिल एसटी आदेश में संशोधन करता है।

बिल के पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।

 

 

[1] Vital Stats, Parliament functioning in Budget Session, 2022, April 7, 2022, https://prsindia.org/files/parliament/session_track/2022/vital_stats/Vital%20Stats-Budget%20Session%202022.pdf.

[2] Precaution Dose to be now available to 18+ population group from 10th April, 2022, at Private Vaccination Centres, Ministry of Health and Family Welfare, Press Information Bureau, April 8, 2022, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1814804.

[3] “Free-of-Cost vaccination for 12-14 yrs age Group to begin in Govt COVID Vaccination Centers”, Ministry of Health and Family Welfare, Press Information Bureau, March 15, 2022, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1806104.

[4] Guidelines for COVID-19 vaccination of children between 15-18 years and precaution dose to HCWs, FLWs & 60+ population with comorbidities, Ministry of Health and Family Welfare, December 27, 2021, https://www.mohfw.gov.in/pdf/GuidelinesforCOVID19VaccinationofChildrenbetween15to18yearsandPrecautionDosetoHCWsFLWs&60populationwithcomorbidities.pdf.

[5] “Pradhan Mantri Garib Kalyan Package: Insurance Scheme for Health Workers fighting COVID-19” extended for a further period of 180 days, Ministry of Health and Family Welfare, Press Information Bureau, April 19, 2022, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1817977.

[6] “Consumer Price Index Numbers on Base 2012=100 for Rural, Urban and Combined for the Month of March 2022”, Press Information Bureau, Ministry of Statistics and Programme Implementation, April 12, 2022, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1816066.  

[7] Index Numbers of Wholesale Price in India for the month of March, 2022 (Base Year: 2011-12), Ministry of Commerce and Industry, April 18, 2022, https://eaindustry.nic.in/archive_data/wpi_press_release/summary_feb_2022.doc.

[8] Monetary Policy Statement, 2022-23 Resolution of the Monetary Policy Committee (MPC) April 6-8, 2022, Reserve Bank of India, April 8, 2022, https://www.rbi.org.in/Scripts/BS_PressReleaseDisplay.aspx?prid=53537.   

[9] “RBI to operationalise Standing Deposit Facility (SDF)”, Reserve Bank of India, April 8, 2022, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/PressRelease/PDFs/PR41EEDB742DE65E4773899D156D2FEAF9DD.PDF.

[10] The Delhi Municipal Corporation (Amendment) Bill, 2022, http://164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/PassedLoksabha/92C_2022_LS_ENG.pdf.

[11] The Delhi Municipal Corporation Act, 1957, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/1410/1/a1957-66.pdf.

[12] “Cabinet approves continuation of Prime Minister Street Vendor’s AtmaNirbhar Nidhi (PM SVANidhi) beyond March 2022 till December 2024”, Press Information Bureau, April 27, 2022, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1820509.

[13] “PM SVANidhi” Scheme Guidelines, Ministry of Housing and Urban Affairs, as accessed on April 29, 2022,  https://pmsvanidhi.mohua.gov.in/Home/Schemes.

[14] The Chartered Accountants, the Cost and Works Accountants and the Company Secretaries (Amendment) Bill, 2021   http://164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Asintroduced/161_2021_ls_Eng.pdf.

[15] The Chartered Accountants Act, 1949, India Code, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/1552/1/AAA1949___38.pdf.

[16] The Cost and Works Accountants Act, 1959, India Code, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/1385/1/195923.pdf.

[17] The Company Secretaries Act, 1980, India Code, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/1754/1/198056.pdf.

[18] Master Direction – Credit Card and Debit Card – Issuance and Conduct Directions, 2022, Reserve Bank of India, April 21, 2022, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/notification/PDFs/92MDCREDITDEBITCARDC423AFFB5E7945149C95CDD2F71E9158.PDF.

[19] “46th Report: Strengthening Credit Flows to the MSME Sector, Ministry of Finance and Ministry of Micro, Small and Medium Enterprises, April 8, 2022, http://164.100.47.193/lsscommittee/Finance/17_Finance_46.pdf.

[20] Compliance Function and Role of Chief Compliance Officer (CCO) – NBFCs, Reserve Bank of India, April 13, 2022, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/notification/PDFs/NT244C25EB0BBB1E4F91AEB101D425EA639A.PDF. 

[21] Scale Based Regulation (SBR): A Revised Regulatory Framework for NBFCs,  Reserve Bank of India, October 22, 2021, https://www.rbi.org.in/Scripts/NotificationUser.aspx?Id=12179&Mode=0.

[22] IRDAI/F&I/CIR/INV/81/04/2022, Insurance Regulatory and Development Authority of India, April 29, 2022, https://www.irdai.gov.in/ADMINCMS/cms/whatsNew_Layout.aspx?page=PageNo4692&flag=1.

[23] Insurance Regulatory and Development Authority of India (Investment) Regulations, 2016, Insurance Regulatory and Development Authority of India, August 1, 2016, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2016/171352.pdf.

[24] IRDAI/F&I/CIR/INV/81/04/2022, Insurance Regulatory and Development Authority of India, April 29, 2022, https://www.irdai.gov.in/ADMINCMS/cms/whatsNew_Layout.aspx?page=PageNo4690&flag=1.

[25] Insurance Regulatory and Development Authority of India (Health Insurance) Regulations, 2016, Insurance Regulatory and Development Authority of India, July 12, 2016, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2016/170836.pdf.

[26] “365th Report: “The Wild Life (Protection) Amendment Bill, 2021 Volume-I: Recommendations of the Committee”, Standing Committee on Science and Technology, Environment, Forests and Climate Change, April 21, 2022, https://rajyasabha.nic.in/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/19/165/365_2022_4_12.pdf.

[27] The Wild Life (Protection) Amendment Bill, 2021, http://164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Asintroduced/159_2021_ls_Eng.pdf.

[28] S.O. 1807(E), Ministry of Environment, Forest and Climate Change, April 12, 2022, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2022/235092.pdf.

[29] S.O. 1886(E), Ministry of Environment, Forest and Climate Change, April 20, 2022, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2022/235241.pdf.

[30] S.O. 1953(E), Ministry of Environment, Forest and Climate Change, April 27, 2022, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2022/235392.pdf.

[31] The Environment Impact Assessment Notification, 2006, September 14, 2006, https://parivesh.nic.in/writereaddata/ENV/EnvironmentalClearance-General/18.pdf.

[32] S.O. 1774(E), Ministry of Environment, Forest and Climate Change, April 11, 2022, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2022/235061.pdf.

[33] G.S.R. 289 (E), Gazette of India, Ministry of Civil Aviation, April 8, 2022, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2022/235021.pdf.

[34] The Aircraft Act, 1934,  https://www.civilaviation.gov.in/sites/default/files/moca_000945_0_0_0.pdf#:~:text=THE%20AIRCRAFT%20ACT%2C%201934%20%28XXII%20OF%201934%29%20%28Received,use%2C%20operation%2C%20sale%2C%20import%20and%20export%20of%20aircraft.

[35]Aircraft Rules, 1937, https://www.civilaviation.gov.in/sites/default/files/moca_000947.pdf.

[36] Draft Motor Vehicles (Registration and Functions of Vehicles Scrapping Facility Amendment) Rules, 2022, Ministry of Road Transport and Highways, March 10, 2022, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2022/234089.pdf.

[37] Code Sharing, US Department of Transportation,  https://www.transportation.gov/policy/aviation-policy/licensing/code-sharing#:~:text=Code%20sharing%20is%20a%20marketing%20arrangement%20in%20which,or%20expand%20their%20market%20presence%20and%20competitive%20ability.

[38] AIC No 10/2022, Directorate general of Civil Aviation, April 19, 2022, https://www.dgca.gov.in/digigov-portal/Upload?flag=iframeAttachView&attachId=151147363.

[39] AIC No 09/2022, Directorate general of Civil Aviation, April 18, 2022, https://www.dgca.gov.in/digigov-portal/Upload?flag=iframeAttachView&attachId=151146241.

[40] “Digi Yatra – A New Digital Experience for Air Travellers”, https://www.india.gov.in/spotlight/digi-yatra-new-digital-experience-air-travellers.

[41] G.S.R. 296 (E), Gazette of India, Ministry of Civil Aviation, Aril 13, 2022, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2022/235166.pdf.

[42] Central Motor Vehicles (Eighth Amendment) Rules, 2022, Ministry of Road Transport and Highways, April 5, 2022, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2022/234891.pdf.

[43] “Notification issued regarding mandatory fitness of motor vehicles through automated testing station”, Press Information Bureau, Ministry of Road Transport and Highways, April 7, 2022, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1814339.

[44] Motor Vehicles Act, 1988, Ministry of Road Transport and Highways, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/9460/1/a1988-59.pdf.

[45] Central Motor Vehicles, 1989, https://www.roadsafetynetwork.in/wp-content/uploads/2019/01/cmvr-1989-annotated.pdf.

[46] NH-15017/46/2018-P&M(Pt.-II), Ministry of Road Transport and Highways, April 8, 2022, https://morth.nic.in/sites/default/files/circulars_document/Amendments%20to%20CRIF%20criteria%20dated%2008_04_2022%281%29.pdf.

[47] Central Road and Infrastructure Fund Act, 2000, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/1931/1/A2000-54.pdf.

[48] “Cabinet approves upgradation of 2G mobile sites to 4G at security sites in Left Wing Extremism (LWE) areas”, Press Information Bureau, Union Cabinet, April 27, 2022, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1820516.

[49] Website of Universal Service Obligation Fund as accessed on April 28, 2022, http://usof.gov.in/usof-cms/home.jsp.

[50] Section 9A, Indian Telegraph Act, 1885, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/2307/1/a1885___13.pdf.

[51] recommendations on 'Auction of spectrum in frequency bands identified for IMT|5G', Telecom Regulatory Authority of India, April 11, 2022, https://trai.gov.in/sites/default/files/Recommendations_11042022_0.pdf.

[52] Consultation Paper on ''Issues Relating to Media Ownership'', Telecom Regulatory Authority of India, April 12, 2022, https://www.trai.gov.in/sites/default/files/CP_IRMO_12042022_0.pdf.

[53] “Cabinet approves distribution of fortified rice across Government Schemes”, Press Information Bureau, Cabinet Committee on Economic Affairs, April 8 2022, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1814827. 

[54] Fortified Rice, Food Fortification Resource Centre, https://ffrc.fssai.gov.in/commodity?commodity=fortified-rice.

[55] “CG-DL-E-30032022-234688”, Gazette of India, Ministry of Consumer Affairs, Food and Public Distribution, March 30, 2022, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2022/234688.pdf.

[56] “All States/UTs brought under Single Central Order dated 30th March, 2022 which extends stock limits for Edible Oils and Oilseeds upto 31st December, 2022”, Press Information Bureau, April 4 2022, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1813349.

[57] “Cabinet approves granting one-time window to Government Companies to surrender non-operational coal mines without penalty”, Press Information Bureau, Cabinet Committee on Economic Affairs, April 8, 2022, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1814829.

[58] “Cabinet approves policy for use of land acquired under the Coal Bearing Areas (Acquisition & Development) Act, 1957” Press Information Bureau, Ministry of Coal, April 13, 2022, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1816363.

[59] Battery Swapping Policy, NITI Aayog, April 20, 2022, https://www.niti.gov.in/sites/default/files/2022-04/20220420_Battery_Swapping_Policy_Draft.pdf. 

[60] G.S.R 306 (E), The Ministry of Power, April 20, 2022, https://powermin.gov.in/sites/default/files/webform/notices/Electricity_Rights_of_Consumers_Amendment_Rules_2022.pdf.

[61] G.S.R. 818 (E), Ministry of Power, December 31, 2020, https://powermin.gov.in/sites/default/files/uploads/Consumers_Rules_2020.pdf.

[62] ”Provider Payments and Price Setting Under Ayushman Bharat Pradhan Mantri Jan Arogya Yojana Scheme (PM-JAY). Improving Efficiency, Acceptability, Quality & Sustainability”, National Health Authority, https://pmjay.gov.in/sites/default/files/2022-03/AB%20PM-JAY%20Price%20Consultation%20Paper_25.03.2022.pdf.

[63] “Ayushman Bharat Pradhan Mantri Jan Arogya Yojana (AB-PMJAY)”, Ministry of Health and Family Welfare, Press Information Bureau, July 23, 2021,  https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1738169.

[64] “National Health Authority Revises Health Benefit Package of Ayushman Bharat PM-JAY)”, Ministry of Health and Family Welfare, Press Information Bureau, October 5, 2021, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1761175.

[65] ”Ayushman Bharat Digital Mission: Draft Health Data Management Policy”, National Health Authority, April 2022, https://abdm.gov.in/assets/uploads/consultation_papersDocs/Draft_HDM_Policy_April2022.pdf.

[66] “Prime Minister of India launches countrywide Ayushman Bharat Digital Mission”, Press Information Bureau, Ministry of Health and Family Welfare, September 27, 2021.

[67] “Defence Acquisition Procedure 2020 amended to promote ‘Make in India’ & ‘Aatmanirbharta’ in defence”, Press Information Bureau, Ministry of Defence, April 25, 2022, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1819937.

[68] Defence Acquisition Procedure, 2020, Ministry of Defence, https://www.mod.gov.in/dod/sites/default/files/DAP202013Apr22.pdf.

[69] “Cabinet approves continuation of revamped Centrally Sponsored Scheme of Rashtriya Gram Swaraj Abhiyan (RGSA) from 01.04.2022 to 31.03.2026” Ministry of Rural Development, Press Information Bureau, April 13, 2022, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1816360.

[70] “Progress of Rashtriya Gram Swaraj Abhiyan (RGSA) in the country” Ministry of Panchayati Raj, Press Information Bureau, March 16, 2022, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1806652.

[71] The Constitution (Scheduled Castes and Scheduled Tribes) Orders (Amendment) Bill, 2022, Rajya Sabha, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2022/Constitution%20(Scheduled%20Castes%20and%20Scheduled%20Tribes)%20Orders%20(Amendment)%20Bill,%202022.pdf.

[72] The Constitution (Scheduled Tribes) Order (Amendment) Bill, 2022, Lok Sabha, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2022/Constitution%20(Scheduled%20Tribes)%20Orders%20(Amendment)%20Bill,%202022.pdf.

[73] The Constitution (Scheduled Tribe and Scheduled Caste) Orders (Second Amendment) Bill, 2022, Lok Sabha, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2022/Constitution%20(Scheduled%20Castes%20and%20Scheduled%20Tribes)%20Orders%20(Second%20Amendment)%20Bill,%202022%20(Bill%20Text).pdf.

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

 

हमें फॉलो करें

Copyright © 2025    prsindia.org    All Rights Reserved.