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अप्रैल 2025

पीडीएफ

 

इस अंक की झलकियां

 बजट सत्र 2025 संपन्न  

सत्र 31 जनवरी से 4 अप्रैल, 2025 तक आयोजित किया गया। संसद ने 10 बिल पारित किए, जिनमें वक्फ (संशोधन) बिल, 2024, आव्रजन और विदेशी विषयक बिल, 2024 और बॉयलर्स बिल, 2024 शामिल हैं।

संसद ने वक्फ (संशोधन) बिल, 2024 पारित किया

केवल वही व्यक्ति वक्फ घोषित कर सकता है, जो यह साबित करता हो कि वह कम से कम पांच वर्ष से इस्लाम का पालन कर रहा है। बिल राज्य वक्फ बोर्ड्स और केंद्रीय वक्फ परिषद की संरचना में गैर-मुस्लिमों को भी शामिल करता है।

सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य के बिल्स पर राज्यपाल की मंजूरी के लिए दिशानिर्देश तय किए  
अदालत ने माना कि एक बार मंजूरी रोकने और बिल के दोबारा पारित होने के बाद राज्यपाल बिल को राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित नहीं रख सकते। उसने राज्यपालों के लिए बिल्स को मंजूरी देने के लिए समय-सीमा निर्धारित की।

रेपो दर 6.25% से घटकर 6% 
स्टैंडिंग डिपॉजिट फेसिलिटी रेट को 6% से घटाकर 5.75% कर दिया गया है। एमपीसी ने अपना रुख तटस्थ से बदलकर उदार करने का भी फैसला किया है।

कैबिनेट ने आगामी जनगणना में जाति गणना को मंजूरी दी 

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आगामी जनगणना में जाति गणना कराने को मंजूरी दे दी है।

यूजीसी ने उच्च शिक्षा में बदलाव के लिए नियम अधिसूचित किए 

नए नियम प्रवेश मानदंड, डिग्री आवश्यकताओं को रेखांकित करते हैं, तथा त्वरित एवं विस्तारित स्नातक डिग्री के माध्यम से पाठ्यक्रम की अवधि को लचीला बनाने की अनुमति देते हैं। 

इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट्स मैन्यूफैक्चरिंग योजना अधिसूचित 
इस योजना का उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट्स की मैन्यूफैक्चरिंग के लिए घरेलू इकोसिस्टम विकसित करना है। यह निर्दिष्ट कंपोनेंट्स के लिए घरेलू बिक्री से जुड़े प्रोत्साहन, पूंजीगत व्यय के लिए सहायता या दोनों प्रदान करेगी।

पर्यावरण (निर्माण और विध्वंस) अपशिष्ट प्रबंधन नियम अधिसूचित 

नए नियमों में निर्माण अपशिष्ट को रीसाइकिल और रीयूज़ करने के लिए अपशिष्ट उत्पादकों की जिम्मेदारी निर्धारित की गई है, जिसमें विध्वंस अपशिष्ट का सुरक्षित निपटान और प्रोसेस्ड और रीसाइकिल्ड कचरे का उपयोग शामिल है।
 

संसद

बजट सत्र 2025 संपन्न

Atri Prasad Rout (atri@prsindia.org)

संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से 4 अप्रैल, 2025 तक आयोजित किया गया। सत्र के दौरान पांच बिल पेश किए गए, जिनमें से तीन पारित हो गए। ये हैं: (i) आव्रजन और विदेशी विषयक बिल, 2025, (ii) वायुयान वस्तुओं में हित संरक्षण बिल, 2025, और (iii) त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय बिल, 2025। आयकर बिल, 2025 पेश किया गया और उसे लोकसभा की सिलेक्ट को भेज दिया गया।

पिछले सत्रों से लंबित बिल में से सात पारित किए गए। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) वक्फ (संशोधन) बिल, 2024, (ii) आपदा प्रबंधन (संशोधन) बिल, 2024, और (iii) बॉयलर्स बिल, 2024।

संसद ने 2025-26 के लिए केंद्रीय बजट और मणिपुर बजट पारित कर दिया। मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की घोषणा को भी दोनों सदनों ने मंजूरी दे दी।

सत्र के दौरान विधायी कार्यों के बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया देखें। संसद की कार्यप्रणाली के बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया देखें।

सर्वोच्च न्यायालय ने बिल्स पर राज्यपालों की मंजूरी के लिए समय सीमा निर्धारित की

Niranjana S Menon (niranjana@prsindia.org)

सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित बिल्स पर राज्यपाल की स्वीकृति के लिए दिशानिर्देश निर्धारित किए हैं। अक्टूबर 2023 में तमिलनाडु सरकार ने राज्य विधानसभा द्वारा पारित बिल्स को स्वीकृति देने में तमिलनाडु के राज्यपाल द्वारा निष्क्रियता का हवाला देते हुए सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया था। राज्यपाल ने जनवरी 2020 से अप्रैल 2023 के बीच राज्य विधानसभा द्वारा पारित 12 बिल्स पर कोई कार्रवाई नहीं की थी। राज्य सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के बाद राज्यपाल ने दो बिल्स को राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रखा और शेष बिल्स को विधानसभा को वापस कर दिया। नवंबर 2023 में राज्य विधानसभा ने 10 बिल्स को फिर से पारित कर दिया। राज्यपाल ने दोबारा पारित सभी बिल्स को राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रख दिया।

सर्वोच्च न्यायालय ने निम्नलिखित प्रश्नों की जांच की: (i) क्या राज्यपाल बिल पारित होने के बाद पहली बार अपनी सहमति न देने के बाद उसे राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रख सकते हैं, और (ii) क्या कोई संवैधानिक रूप से निर्धारित समय-सीमा है जिसके भीतर राज्यपाल को बिल्स पर कार्रवाई करनी होती है।

न्यायालय ने तमिलनाडु विधानमंडल द्वारा पारित 10 बिल्स को राष्ट्रपति के लिए सुरक्षित रखने के फैसले को खारिज कर दिया। इन बिल्स को नवंबर 2023 में मंजूरी मिल गई मानी जाएगी। न्यायालय ने यह भी कहा कि अगर राज्यपाल किसी बिल पर मंजूरी नहीं देते हैं और उसे बिना किसी महत्वपूर्ण बदलाव के दोबारा पारित कर दिया जाता है, तो राज्यपाल उस बिल को राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित नहीं रख सकते। न्यायालय ने बिल्स को मंजूरी देते समय राज्यपालों द्वारा पालन की जाने वाली निम्नलिखित समय-सीमा भी निर्धारित की:

  • मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह पर बिल पर सहमति न देने या उसे राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रखने का निर्णय एक माह के भीतर लिया जाना चाहिए।
  • मंत्रिपरिषद की सलाह के विरुद्ध बिल पर अपनी सहमति न देने या उसे राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रखने का निर्णय तीन महीने के भीतर लिया जाना चाहिए, तथा
  • अगर किसी बिल को पहली बार मंजूरी नहीं मिलती, और विधानमंडल उसे दोबारा पारित कर देता है तो उसे एक महीने के भीतर स्वीकृति प्रदान की जानी चाहिए।

इस फैसले में राष्ट्रपति को राज्यपाल द्वारा भेजे गए बिल्स पर निर्णय लेने के लिए तीन महीने की समय सीमा भी निर्धारित की गई थी। न्यायालय ने कहा कि कुछ मामले न्यायिक समीक्षा के अधीन हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) मंत्रिपरिषद की सलाह के विरुद्ध राष्ट्रपति के लिए बिल सुरक्षित करने का राज्यपाल का निर्णय, और (ii) राज्यपाल द्वारा भेजे गए बिल्स पर राष्ट्रपति की सहमति न लेने का निर्णय।

मैक्रोइकोनॉमिक विकास                  

Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)

रेपो रेट 6.25% से घटाकर 6% की गई

भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने पॉलिसी रेपो रेट (जिस दर पर आरबीआई बैंकों को ऋण देता है) को 6.25% से घटाकर 6% कर दिया।[1] एमपीसी के अन्य निर्णयों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • स्टैंडिंग डिपॉजिट फेसिलिटी रेट (वह दर जिस पर आरबीआई बिना कोई जमानत दिए बैंकों से उधार लेता है) को 6% से घटाकर 5.75% कर दिया गया है।
  • मार्जिनल स्टैंडिंग फेसिलिटी रेट (वह दर जिस पर बैंक आरबीआई से अतिरिक्त धन उधार ले सकते हैं) और बैंक रेट (जिस दर पर आरबीआई बिल ऑफ एक्सचेंज खरीदता है) दोनों को 6.5% से घटाकर 6.25% कर दिया गया है।

एमपीसी ने अपने रुख को तटस्थ से बदलकर उदार करने का भी फैसला किया है। समिति के फैसलों से मुद्रास्फीति को 4% के लक्ष्य के अनुरूप रखने और विकास को समर्थन मिलने की उम्मीद है।

2024-25 की चौथी तिमाही में सीपीआई मुद्रास्फीति औसतन 3.7% रही

2024-25 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति 3.7% थी, जो 2023-24 की इसी तिमाही में 5% से कम है।[2] 2024-25 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में सीपीआई मुद्रास्फीति 5.6% थी।

2024-25 की चौथी तिमाही में खाद्य मुद्रास्फीति औसतन 4.1% रही, जो 2023-24 की चौथी तिमाही के 8.5% से काफी कम है। 2024-25 की तीसरी तिमाही में खाद्य मुद्रास्फीति 9.4% थी।

2024-25 की चौथी तिमाही में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) मुद्रास्फीति औसतन 2.3% रही, जो 2023-24 की इसी तिमाही में 0.3% से अधिक है।[3] 2024-25 की तीसरी तिमाही में डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति 2.5% थी।


 

रेखाचित्र 1 : 2024-25 की चौथी तिमाही में मासिक मुद्रास्फीति (% परिवर्तन, वर्ष-दर-वर्ष)
image
स्रोत: सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय; वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय; पीआरएस।

 

फाइनांस

Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)

वित्त मंत्रालय ने 26 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के विलय को अधिसूचित किया

वित्त मंत्रालय ने "एक राज्य, एक आरआरबी" के सिद्धांत पर 26 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) के विलय को अधिसूचित किया है।[4] ये बैंक मुख्य रूप से ग्रामीण/अर्ध-शहरी क्षेत्रों से जमाराशि जुटाते हैं और छोटे और सीमांत किसानों, कृषि मजदूरों, ग्रामीण कारीगरों और अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को ऋण प्रदान करते हैं।[5] यह विलय 10 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में किया गया है। विलय के बाद 26 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में कार्यरत आरआरबी की संख्या 43 से घटकर 28 रह जाएगी। 

गृह मंत्रालय

कैबिनेट ने अगली जनगणना में जाति गणना को मंजूरी दी

Shirin Pajnoo (shirin@prsindia.org)

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आगामी जनगणना में जाति गणना को शामिल करने को मंजूरी दे दी है।[6] पिछली दशकीय जनगणना 2011 में आयोजित की गई थी।[7] 

संसद द्वारा आव्रजन एवं विदेशी विषयक बिल, 2025 पारित किया गया

Shirin Pajnoo (shirin@prsindia.org)

विदेशियों के आव्रजन, प्रवेश और प्रवास को रेगुलेट करने वाले कानूनों को समेकित करने के लिए पेश किया गया बिल संसद द्वारा पारित किया गया।[8] यह बिल निम्नलिखित कानूनों को समेकित करता है: (i) पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) एक्ट, 1920, (ii) विदेशियों का पंजीकरण एक्ट, 1939, (iii) विदेशी विषयक एक्ट, 1946 और (iv) आप्रवास (वाहक दायित्व) एक्ट, 2000। बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • आप्रवास: 1920 का एक्ट केंद्र सरकार को यह अधिकार देता है कि वह भारत में प्रवेश करने वाले व्यक्तियों के लिए पासपोर्ट रखने के नियम बना सकती है। बिल में प्रावधान है कि भारत में प्रवेश करने या यहां से जाने वाले व्यक्तियों के पास वैध पासपोर्ट या अन्य वैध यात्रा दस्तावेजों के साथ वैध वीज़ा (विदेशियों के लिए) भी होना चाहिए। बिल में आप्रवास ब्यूरो की स्थापना का प्रावधान है जोकि आप्रवास संबंधी और अन्य निर्धारित कार्य करेगा। आप्रवास संबंधी कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) वीज़ा जारी करना और भारत में प्रवेश का रेगुलेशन, या (ii) भारत से गुजरना, यहां ठहरना और आवागमन तथा भारत से बाहर निकलना। 
  • विदेशियों का पंजीकरण: 1939 का एक्ट केंद्र सरकार को विदेशियों के लिए ऐसे नियम बनाने का अधिकार देता है ताकि वे अपनी उपस्थिति की सूचना निर्धारित अथॉरिटी को दे सकें। बिल में प्रावधान है कि भारत आने पर विदेशियों को पंजीकरण अधिकारी के पास पंजीकरण कराना होगा।
  • निर्धारित जानकारी प्रदान करने के लिए व्यक्तियों/संस्थाओं का दायित्व: 1946 के एक्ट के अनुसार यात्रियों/चालक दल को ले जाने वाले जहाजों के मालिकों/विमानों के पायलटों को जहाज पर मौजूद विदेशियों के बारे में निर्धारित जानकारी देनी होती है। बिल में यह भी कहा गया है कि शैक्षणिक संस्थानों को विदेशियों को प्रवेश देने के बारे में पंजीकरण अधिकारी को निर्धारित जानकारी देनी होगी। इसके अलावा चिकित्सा संस्थानों को इनडोर उपचार प्राप्त करने वाले विदेशी रोगियों या आवास सुविधाओं का लाभ उठाने वाले उनके अटेंडेंट्स के बारे में पंजीकरण अधिकारी को जानकारी देनी होगी।
  • वाहक: बिल 2000 के एक्ट में संशोधन करता है, ताकि आव्रजन अधिकारी से मंजूरी प्राप्त होने तक किसी भी ट्रांसपोर्टर को भारत से प्रस्थान करने से रोका जा सके।

बिल के पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।

कैबिनेट ने वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के दूसरे चरण को मंजूरी दी

Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2024-25 और 2028-29 के बीच कार्यान्वयन के लिए वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम-II को मंजूरी दे दी है।[9] इस कार्यक्रम को 6,839 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना के रूप में लागू किया जाएगा। इसे अरुणाचल प्रदेश, बिहार, गुजरात, जम्मू एवं कश्मीर, मणिपुर और पंजाब सहित राज्यों में अंतरराष्ट्रीय भूमि सीमाओं से सटे चुनिंदा रणनीतिक गांवों में लागू किया जाएगा। इसका उद्देश्य बेहतर जीवन स्तर और आजीविका के अवसर पैदा करना, सीमा पार अपराध को नियंत्रित करना और सीमावर्ती आबादी को राष्ट्र के साथ आत्मसात करना है। बुनियादी ढांचे, मूल्य श्रृंखला विकास, शिक्षा और पर्यटन सर्किट के विकास के लिए धन उपलब्ध कराया जाएगा।

 

अल्पसंख्यक मामले

Shirin Pajnoo (shirin@prsindia.org)

वक्फ संपत्ति के रेगुलेशन से संबंधित कानून में संशोधन करने वाला बिल संसद में पारित

वक्फ (संशोधन) बिल, 2024 पारित हो गया है।[10] यह वक्फ एक्ट, 1995 में संशोधन करता है।[11] यह एक्ट भारत में वक्फ संपत्ति को रेगुलेट करता है। एक्ट में वक्फ को मुस्लिम कानून के तहत पवित्र, धार्मिक या धर्मार्थ माने जाने वाले उद्देश्यों के लिए चल या अचल संपत्ति के दान के रूप में परिभाषित किया गया है। वक्फ का प्रबंधन करने के लिए हर राज्य को वक्फ बोर्ड का गठन करना आवश्यक है। पारित बिल की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  • वक्फ का गठन: एक्ट में निम्नलिखित के जरिए वक्फ के गठन की अनुमति है: (i) घोषणा, (ii) दीर्घकालिक उपयोग (उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ) के आधार पर मान्यता, या (iii) उत्तराधिकारी न रहने पर बंदोबस्ती (वक्फ-अलल-औलाद)। एक्ट में किसी भी व्यक्ति द्वारा वक्फ के निर्माण की अनुमति दी गई है। बिल में कहा गया है कि कम से कम पांच वर्ष तक इस्लाम का पालन करने वाला व्यक्ति ही वक्फ की घोषणा कर सकता है। बिल उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ को हटाता है, जो भावी समय से लागू होगा।
  • सरकारी संपत्ति को वक्फ माना जाएगा: बिल में कहा गया है कि वक्फ के रूप में चिन्हित कोई भी सरकारी संपत्ति वक्फ नहीं रह जाएगी। कलेक्टर के पद से ऊपर का कोई भी अधिकारी और राज्य द्वारा चुना गया अधिकारी अनिश्चितता की स्थिति में स्वामित्व का निर्धारण करेगा और राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपेगा।
  • केंद्रीय वक्फ परिषद की संरचना: एक्ट के तहत, वक्फ के प्रभारी केंद्रीय मंत्री परिषद के पदेन अध्यक्ष होते हैं। परिषद के सदस्यों में संसद सदस्य, राष्ट्रीय स्तर के व्यक्ति, सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय के न्यायाधीश और मुस्लिम कानून के प्रख्यात विद्वान शामिल होते हैं। एक्ट के अनुसार, मंत्री को छोड़कर परिषद के सभी सदस्य मुसलमान होने चाहिए और कम से कम दो महिलाएं होनी चाहिए। बिल में परिषद में नियुक्त सांसदों, पूर्व न्यायाधीशों और प्रख्यात व्यक्तियों के मुसलमान होने की आवश्यकता को हटा दिया गया है। इसमें आगे कहा गया है कि दो सदस्य गैर-मुसलमान होने चाहिए।
  • वक्फ बोर्ड की संरचना: एक्ट बोर्ड के लिए राज्य के मुस्लिम इलेक्टोरल कॉलेज से दो सदस्यों के चुनाव का प्रावधान करता है: (i) सांसद, (ii) एमएलए और एमएलसी, और (iii) बार काउंसिल के सदस्य।  इसके बजाय बिल राज्य सरकार को यह अधिकार देता है कि वह उपरोक्त प्रत्येक पृष्ठभूमि के एक व्यक्ति को बोर्ड में नामित कर सकती है, और उन व्यक्तियों का मुसलमान होना ज़रूरी नहीं है। इसमें कहा गया है कि बोर्ड में निम्नलिखित होने चाहिए: (i) दो गैर-मुसलमान सदस्य, तथा (ii) शिया, सुन्नी और पिछड़े मुस्लिम वर्गों से कम से कम एक सदस्य। एक्ट में प्रावधान है कि कम से कम दो सदस्य महिलाएं होनी चाहिए। बिल में यह अनिवार्य किया गया है कि दो मुसलमान सदस्य महिलाएं हों।

बिल के पीआरएस विश्लेषण के लिए कृपया यहां देखें।

 

नागरिक उड्डयन

Shrusti Singh (shrusti@prsindia.org)

वायुयान वस्तुओं में हितों का संरक्षण बिल, 2025 संसद में पारित

संसद ने विमान वस्तुओं में हितों का संरक्षण बिल, 2025 पारित कर दिया है।[12] यह बिल भारत में लागू होने वाले निम्नलिखित अंतरराष्ट्रीय समझौतों को कानूनी प्रभाव देने का प्रयास करता है: (i) मोबाइल उपकरणों में अंतरराष्ट्रीय हितों से संबंधित कन्वेंशन (2001 के केपटाउन कन्वेंशन के रूप में भी जाना जाता है), और (ii) विमान उपकरणों के विशिष्ट मामलों में मोबाइल उपकरणों में अंतरराष्ट्रीय हितों से संबंधित कन्वेंशन का प्रोटोकॉल।[13],[14] भारत ने 2008 में इन्हें स्वीकार किया था। कन्वेंशन और प्रोटोकॉल का उद्देश्य विमान, हेलीकॉप्टर और इंजन जैसे हाई-वैल्यू एसेट्स के अधिकार सुरक्षित करने में एकरूपता लाना है। बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • देनदारों के दायित्व: देनदारों को बकाये का रिकॉर्ड डीजीसीए को जमा करना होगा। देनदार वह व्यक्ति होता है जिसने किसी एविएशन एसेट को लीज़ या सशर्त खरीद समझौते के तहत लिया है, या सुरक्षा समझौते के तहत एसेट को गिरवी रखा है।
  • चूक की स्थिति में उपाय: देनदार की चूक की स्थिति में कन्वेंशन लेनदार को कुछ उपाय सुझाता है। लेनदार वह व्यक्ति होता है जिसने लीज़ या सशर्त खरीद समझौते के तहत एविएशन एसेट दिया है या सुरक्षा समझौते के तहत एसेट को उधार दिया है। एक उपाय यह है कि दो कैलेंडर महीनों के भीतर या पारस्परिक रूप से सहमत अवधि, जो भी पहले हो, के भीतर एसेट का कब्ज़ा वापस ले लिया जाए। बिल में कहा गया है कि कोई भी उपाय करने से पहले लेनदार को चूक की जानकारी डीजीसीए को देनी होगी।
  • सरकारी एजेंसियों द्वारा एसेट्स को डिटेन करना: अगर किसी एसेट से संबंधित सेवाओं का बकाया भुगतान नहीं किया जाता है तो निम्नलिखित को एसेट को डिटेन करने का अधिकार होगा: (i) केंद्र सरकार, (ii) भारत में सार्वजनिक सेवाएं प्रदान करने वाली कोई अन्य इकाई, या (iii) एक अंतर-सरकारी संगठन, जिसका भारत एक सदस्य है।

बिल के पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।

 

शिक्षा

त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय बिल, 2025 पारित

Shrusti Singh (shrusti@prsindia.org)

त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय बिल, 2025 संसद द्वारा पारित किया गया।[15] बिल ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आणंद, गुजरात (आईआरएमए) को त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित करता है। वर्तमान में आईआरएमए एक सोसायटी के रूप में पंजीकृत है। बिल को आईआरएमए विश्वविद्यालय का एक स्कूल बनाता है। इसमें यह भी कहा गया है कि विश्वविद्यालय के संस्थागत ढांचे के भीतर इसकी स्वायत्त पहचान को संरक्षित किया जाएगा।

बिल के पीआरएस सारांश के लिए कृपया यहां देखें।

यूजीसी ने उच्च शिक्षा में बदलाव के लिए नियम अधिसूचित किए

Vaishali Dhariwal (vaishali@prsindia.org)

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने यूजीसी (स्नातक डिग्री और स्नातकोत्तर डिग्री प्रदान करने के लिए निर्देश के न्यूनतम मानक) रेगुलेशन, 2025 को अधिसूचित किया है। ये रेगुलेशन उच्च शिक्षा पाठ्यक्रमों में सुधार की पेशकश करते हैं और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 के अनुसार हैं।[16] रेगुलेशन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग एक्ट, 1956 के तहत जारी किए गए हैं। प्रमुख परिवर्तनों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • प्रवेश और पाठ्यक्रम की अवधि: उच्च शिक्षा संस्थान (एचईआई) वर्ष में दो बार, जुलाई/अगस्त और जनवरी/फरवरी में विद्यार्थियों को प्रवेश दे सकते हैं। स्नातक (यूजी) पाठ्यक्रम तीन या चार वर्ष तक चल सकते हैं, जबकि स्नातकोत्तर (पीजी) पाठ्यक्रम अलग-अलग अवधि के हो सकते हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) पहले वर्ष के अंत में एक्जिट ऑप्शन के साथ दो वर्ष का पाठ्यक्रम, (ii) एक वर्ष का पाठ्यक्रम और (iii) एकीकृत पांच वर्ष का यूजी/पीजी पाठ्यक्रम। विद्यार्थियों को शैक्षणिक सत्र के दौरान कई एडमिशन और एक्जिट ऑप्शन दिए जाएंगे। विद्यार्थी एक साथ दो स्नातक या स्नातकोत्तर डिग्री भी प्राप्त कर सकते हैं।
  • प्रवेश मानदंड: कक्षा 12 में किसी भी स्ट्रीम से उत्तीर्ण होने वाले विद्यार्थी राष्ट्रीय या विश्वविद्यालय स्तर की प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद किसी भी यूजी विषय में आवेदन कर सकते हैं। पीजी पाठ्यक्रमों में शामिल होने का पात्र होने के लिए विद्यार्थियों को: (i) तीन या चार वर्ष की यूजी डिग्री उत्तीर्ण करनी होगी, और (ii) राष्ट्रीय या विश्वविद्यालय स्तर की परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी, चाहे वह किसी भी विषय की हो।
  • डिग्री की शर्तें: यूजी स्तर पर किसी विशिष्ट विषय में मेजर बनने के लिए विद्यार्थियों को उस विषय में अपने कुल क्रेडिट का कम से कम 50% पूरा करना होगा। शेष क्रेडिट कौशल-आधारित पाठ्यक्रमों या एप्लाइड लर्निंग कंपोनेंट्स के जरिए अर्जित किए जा सकते हैं। एक निश्चित स्तर पूरा करने और आवश्यक क्रेडिट प्राप्त करने के बाद डिग्री से एग्जिट करने वाले विद्यार्थी यूजी सर्टिफिकेट/डिप्लोमा प्राप्त करने के पात्र हैं।
  • पूर्व शिक्षा की मान्यता: यह प्रक्रिया विद्यार्थियों द्वारा गैर-औपचारिक स्रोतों से अर्जित पूर्व कौशल का मूल्यांकन और सत्यापन करती है। ऐसे विद्यार्थी का मूल्यांकन मान्यता प्राप्त उच्च शिक्षा संस्थानों द्वारा किया जाएगा।
  • त्वरित और विस्तारित डिग्री: उच्च शिक्षा संस्थान अब क्रेडिट को जल्दी पूरा करने के लिए त्वरित डिग्री पाठ्यक्रम (एडीपी) और अतिरिक्त समय की मांग करने वाले विद्यार्थियों के लिए विस्तारित डिग्री पाठ्यक्रम (ईडीपी) की पेशकश कर सकते हैं। ये स्नातक डिग्री के लिए लागू हैं।

 

कृषि

Shrusti Singh (shrusti@prsindia.org)

कैबिनेट ने चीनी सीजन 2025-26 के लिए गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य को मंजूरी दी

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने चीनी सीजन 2025-26 (अक्टूबर-सितंबर) में गन्ने के लिए उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) को 10.25% की मूल रिकवरी दर के साथ 355 रुपए प्रति क्विंटल की दर से मंजूरी दी है।[17] यह 2024-25 चीनी सीजन (340 रुपए प्रति क्विंटल) के एफआरपी से 4% अधिक है। एफआरपी वह न्यूनतम मूल्य है जिस पर चीनी मिलें किसानों से गन्ना खरीद सकती हैं।

 सिंचाई

Shrusti Singh (shrusti@prsindia.org)

कैबिनेट ने पीएम कृषि सिंचाई योजना के तहत उप-योजना को मंजूरी दी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के तहत कमांड एरिया डेवलपमेंट और जल प्रबंधन (एम-सीएडीडब्ल्यूएम) के आधुनिकीकरण को मंजूरी दे दी है।[18] इस उप-योजना को 2025-26 के लिए 1,600 करोड़ रुपए के शुरुआती परिव्यय के साथ लॉन्च किया गया है। इस योजना का लक्ष्य सिंचाई जल आपूर्ति और सूक्ष्म सिंचाई नेटवर्क का आधुनिकीकरण करना है।
 

इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी

saket@prsindia.org

इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्यूफैक्चरिंग योजना अधिसूचित 

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्यूफैक्चरिंग योजना को अधिसूचित किया है।[19] यह योजना कंपोनेंट्स की घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग के लिए प्रोत्साहन प्रदान करती है। इस योजना के तहत छह वर्षों की अवधि में कुल अपेक्षित व्यय 22,919 करोड़ रुपए है। योजना की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  • प्रोत्साहन वाले कंपोनेंट्स: तालिका 1 में उन कंपोनेंट्स की सूची है जिन्हें योजना के अंतर्गत प्रोत्साहन दिया जाएगा। चयनित परियोजनाओं को प्रोत्साहन वृद्धिशील घरेलू बिक्री, पूंजीगत व्यय या दोनों के प्रतिशत के रूप में प्रदान किया जाएगा, जो उनकी श्रेणी पर निर्भर करेगा। बिक्री से जुड़ा प्रोत्साहन छह वर्ष की अवधि के लिए उपलब्ध होगा।

तालिका 1: योजना के अंतर्गत लक्षित खंड

खंड

प्रोत्साहन

कैमरा और डिस्प्ले मॉड्यूल, तथा सेंसर, लिथियम-आयन सेल, माइक्रोफोन, स्पीकर और उपकरणों के लिए एनक्लोजर्स जैसे बेयर कंपोनेंट्स

पहले वर्ष में शुद्ध वृद्धिशील घरेलू बिक्री का 4%-10%; छठे वर्ष में धीरे-धीरे घटकर 1%-5% हो जाएगा

कुछ सर्किट बोर्ड और संबंधित सब-कंपोनेंट्स

पहले वर्ष में शुद्ध वृद्धिशील घरेलू बिक्री का 5%-8%; छठे वर्ष में धीरे-धीरे घटकर 3%-4% हो जाएगा; पूंजीगत व्यय के 25% के बराबर प्रोत्साहन के लिए भी पात्र

उपरोक्त खंडों की मैन्यूफैक्चरिंग के लिए पुर्जे और सब-कंपोनेंट्स; मैन्यूफैक्चरिंग के लिए कैपिटल उपकरण

पूंजीगत व्यय का 25%

स्रोत: एफ. सं. डब्ल्यू/49/2024-आईपीएचडब्ल्यू, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, 8 अप्रैल, 2025; पीआरएस।

  • पात्रता मानदंड: मौजूदा और नई मैन्यूफैक्चरिंग इकाइयां इस योजना के अंतर्गत पात्र होंगी। प्रोत्साहन प्राप्त करने के लिए कंपनियों को निवेश, वृद्धिशील बिक्री और रोजगार के लिए न्यूनतम वार्षिक सीमा को पूरा करना होगा।
  • चयन प्रक्रिया: आवेदनों की जांच करने और मूल्यांकन रिपोर्ट तैयार करने के लिए एक परियोजना प्रबंधन एजेंसी का गठन किया जाएगा। आवेदनों की समीक्षा करने और उनकी मंजूरी की सिफारिश करने के लिए एक अंतर-मंत्रालयी गवर्निंग काउंसिल की स्थापना की जाएगी। मंत्रालय के सचिव काउंसिल की अध्यक्षता करेंगे। इसमें नीति आयोग और व्यय, आर्थिक मामले, भारी उद्योग और दूरसंचार जैसे निर्दिष्ट विभागों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।

 

विदेशी मामले

Shirin Pajnoo (shirin@prsindia.org)

भारतीय डायस्पोरा के कल्याण और आप्रवास बिल की स्थिति पर स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट

विदेश मामलों से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: डॉ. शशि थरूर) ने ‘विदेशों में रहने वाले भारतीय डायस्पोरा: उनकी स्थिति और कल्याण के सभी पहलू, जिसमें आप्रवास बिल की स्थिति भी शामिल’ पर अपनी रिपोर्ट पेश की।[20] भारतीय डायस्पोरा उन लोगों को कहा जाता है जिनकी जड़े भारतीय हैं या जो भारतीय नागरिक हैं और विदेश में बस गए हैं। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • डायस्पोरा के लिए नीति: कमिटी ने कहा कि डायस्पोरा के लिए कोई स्पष्ट नीति दस्तावेज नहीं है। उसने यह भी कहा कि स्पष्ट नीति के अभाव में डायस्पोरा की समस्याओं को पर्याप्त रूप से हल करने की देश की क्षमता प्रभावित होती है। कमिटी ने सुझाव दिया कि मंत्रालय एक नीति दस्तावेज का मसौदा तैयार करे जो इस समुदाय के साथ गहराई से जुड़ने के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में काम करेगा।
  • एनआरआई से रेमिटेंस: कमिटी ने कहा कि अनिवासी भारतीयों से प्राप्त धनराशि, सेवा निर्यात के बाद बाह्य वित्तपोषण का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है। 2023-24 में अनिवासी भारतीयों द्वारा भेजी गई धनराशि लगभग 119 बिलियन USD थी। कमिटी ने सुझाव दिया कि: (i) ऑनलाइन ट्रांसफर प्लेटफॉर्म को सुव्यवस्थित किया जाए, (ii) ट्रांजैक्शन फीस कम की जाए, (iii) कराधान संबंधी चिंताओं को दूर किया जाए और (iv) भारत में अनिवासी भारतीयों के लिए उपलब्ध अन्य निवेश विकल्पों को बढ़ावा दिया जाए, जैसे म्यूचुअल फंड, स्टॉक और रियल एस्टेट।
  • निर्वासितों और वापस लौटने वाले प्रवासियों का पुनः एकीकरण: कमिटी ने पाया कि वापस लौटने वाले भारतीय निर्वासितों के पुनः एकीकरण के लिए राज्य सरकारें जिम्मेदार हैं। उसने कहा कि वापस लौटने वाले प्रवासियों के पुनः एकीकरण के लिए कोई राष्ट्रीय नीति नहीं है। कमिटी ने कहा कि केंद्र को वापस लौटने वाले निर्वासितों के लिए पुनः एकीकरण कार्यक्रम लागू करना चाहिए। इस संबंध में एक नीति बनाई जाए, जिसमें केंद्र और राज्यों की जिम्मेदारियां साझा हों।
  • आप्रवास बिल: कमिटी ने कहा कि आप्रवास [ओवरसीज़ मोबिलिटी (सुविधा और कल्याण) बिल, 2024] को अंतिम रूप देने में देरी हो रही है। प्रस्तावित बिल में व्यापक आप्रवास प्रबंधन संरचना स्थापित करने का प्रयास किया गया है। कमिटी ने बिल को प्राथमिकता देने और इसे संसद में पेश करने के लिए समयसीमा निर्धारित करने का सुझाव दिया।

रिपोर्ट के पीआरएस सारांश के लिए यहां देखें। 

पर्यावरण

Vaishali Dhariwal (vaishali@prsindia.org)

पर्यावरण (निर्माण और विध्वंस) अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2025 अधिसूचित

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने पर्यावरण (संरक्षण) एक्ट, 1986 के तहत पर्यावरण (निर्माण और विध्वंस) अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2025 को अधिसूचित किया।[21] ये नियम निर्माण और विध्वंस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 का स्थान लेते हैं और इनका उद्देश्य भवन निर्माण गतिविधियों से उत्पन्न निर्माण और विध्वंस (सीएंडडी) अपशिष्ट का जिम्मेदार प्रबंधन, रीसाइकिलिंग और रीयूज़ सुनिश्चित करना है।

प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  • विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर): प्रत्येक उत्पादक निर्माण और विध्वंस (सीएंडडी) से उत्पन्न अपशिष्ट के सुरक्षित निपटान और प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होगा। इसमें भविष्य की परियोजनाओं में अपशिष्ट को रीसाइकिल और रीयूज़ शामिल होगा, जिसमें ईपीआर लक्ष्य सालाना लागू किए जाएंगे। एक उत्पादक को एक पंजीकृत अपशिष्ट उत्पादक के रूप में परिभाषित किया जाता है जो 20,000 वर्ग मीटर या उससे अधिक के निर्मित क्षेत्र के साथ बड़े पैमाने पर निर्माण परियोजनाएं चलाता है।
  • ईपीआर प्रमाणपत्र: उत्पादक पंजीकृत रीसाइकिलर्स द्वारा जारी किए गए ईपीआर प्रमाणपत्र खरीदकर अपने ईपीआर दायित्वों को पूरा कर सकते हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) इन प्रमाणपत्रों को तैयार करेगा और उन्हें रेगुलेट करेगा। इन-सीटू (साइट पर) निपटाए गए और रीसाइकिल किए गए सीएंडडी कचरे को एक्स-सीटू (साइट से बाहर) प्रबंधित कचरे की तुलना में अधिक क्रेडिट वेटेज मिलेगा।
  • रीसाइकिलिंग का लक्ष्य: 2026-27 से निर्माण और पुनर्निर्माण गतिविधियों में इस्तेमाल होने वाली कम से कम 5% सामग्री रीसाइकिल सीएंडडी कचरे से प्राप्त की जानी चाहिए। यह लक्ष्य 2030-31 में धीरे-धीरे बढ़कर 25% हो जाएगा। इन लक्ष्यों को पूरा न करने पर पर्यावरण क्षतिपूर्ति का भुगतान करना होगा। अधूरे लक्ष्य तीन वर्ष तक जारी रहेंगे, लेकिन क्षतिपूर्ति के भुगतान से उन्हें माफ नहीं किया जाएगा।
  • प्रोसेस्ड कचरे का उपयोग: 20,000 वर्ग मीटर या उससे अधिक निर्मित क्षेत्र वाली सभी निर्माण परियोजनाओं, साथ ही सड़क निर्माण परियोजनाओं को प्रोसेस्ड/रीसाइकिल सीएंडडी अपशिष्ट सामग्री का उपयोग करना आवश्यक है। उपयोग किए जाने वाले अपशिष्ट का मूल्यांकन निर्माण गतिविधि से निकलने वाले मलबे के प्रतिशत के रूप में निर्धारित किया जाएगा, जो आवश्यक कुल निर्माण सामग्री का 5% से 25% के बीच होगा।

मंत्रालय ने ग्रीनहाउस गैसों उत्सर्जन तीव्रता लक्ष्य नियम, 2025 का ड्राफ्ट जारी किया

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन तीव्रता लक्ष्य (जीईआई) नियम, 2025 का ड्राफ्ट जारी किया है, जिसमें बाध्य संस्थाओं के लिए ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन तीव्रता लक्ष्य निर्दिष्ट किए गए हैं।[22] ये नियम कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना, 2023 के तहत जारी किए गए हैं।[23] नियम उन कंपनियों को निर्दिष्ट करते हैं जिन्हें इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए बाध्य किया जाएगा और इसमें सीमेंट, रसायन, धातु और कागज जैसे क्षेत्र शामिल हैं।

जीईआई लक्ष्यों की गणना ऊर्जा दक्षता ब्यूरो द्वारा प्रकाशित एक निर्धारित पद्धति के अनुसार की जाएगी। नियमों की अनुसूची के अनुसार संबंधित अनुपालन वर्षों तक जीईआई लक्ष्यों को पूरा करने के लिए संस्थाओं को बाध्य किया जाएगा। अगर संस्था अपने अनिवार्य जीईआई लक्ष्य को प्राप्त करने में विफल रहती है, तो उसे पर्यावरण क्षतिपूर्ति का भुगतान करना होगा। यह क्षतिपूर्ति संबंधित अनुपालन वर्ष में कारोबार किए गए कार्बन क्रेडिट प्रमाणपत्र की औसत कीमत के बराबर या उससे दोगुनी होगी। यह क्षतिपूर्ति इसके लागू होने के 90 दिनों के भीतर दी जाएगी। इसके अलावा एकत्रित धनराशि का उपयोग कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना के लिए किया जाएगा। 

संचार

saket@prsindia.org

ट्राई ने मशीन-टू-मशीन संचार में महत्वपूर्ण सेवाओं को नामित करने पर सुझाव जारी किए 

ट्राई ने मशीन-टू-मशीन संचार क्षेत्र (एम2एम) में महत्वपूर्ण सेवाओं और एम2एम सिम के स्वामित्व के हस्तांतरण से संबंधित मुद्दों पर सुझाव जारी किए हैं।[24] एम2एम का तात्पर्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के बीच सीधे संचार को सक्षम करने के लिए दूरसंचार सेवाओं के उपयोग से है, आमतौर पर उपकरणों में ही स्थापित सिम कार्ड के माध्यम से। ट्राई ने कहा कि स्वास्थ्य और परिवहन जैसी महत्वपूर्ण यानी क्रिटिकल सेवाएं प्रदान करने के लिए एम2एम संचार का उपयोग तेजी से किया जाएगा। ऐसी महत्वपूर्ण सेवाओं के लिए, संचार की उच्च विश्वसनीयता आवश्यक होगी।

ट्राई ने सुझाव दिया कि किसी सेवा को महत्वपूर्ण के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए, अगर वह निम्नलिखित शर्तों को पूरा करती है: (i) क्या सेवा बहुत अधिक उपलब्धता के साथ अल्ट्रा-रिलायबल और लो-डिले कनेक्टिविटी की मांग करती है, और (ii) क्या कनेक्टिविटी में किसी भी व्यवधान का राष्ट्रीय सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, सार्वजनिक स्वास्थ्य या सार्वजनिक सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। उसने आगे सुझाव दिया कि पूरे डोमेन या सेक्टर को महत्वपूर्ण के रूप में वर्गीकृत करने के बजाय, विशिष्ट एप्लिकेशंस को महत्वपूर्ण के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए। यह वर्गीकरण दूरसंचार विभाग के परामर्श से संबंधित मंत्रालय या रेगुलेटरी निकाय द्वारा किया जाना चाहिए। ऐसा वर्गीकरण टेक्नोलॉजी-एग्नॉस्टिक होना चाहिए।

अन्य प्रमुख सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) महत्वपूर्ण सेवाएं प्रदान करने वाली संस्थाओं को दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के साथ सेवा-स्तरीय समझौता करने की अनुमति दी जानी चाहिए, और इन समझौतों के माध्यम से सेवा प्रदर्शन मापदंडों को लागू किया जाना चाहिए, (ii) महत्वपूर्ण सेवाओं में तैनात उपकरणों को चरणबद्ध तरीके से अनिवार्य परीक्षण और प्रमाणन के अधीन होना चाहिए, और (iii) दूरसंचार विभाग को एम2एम सेवा प्राधिकरण, साथ ही एम2एम सिम के हस्तांतरण के लिए एक फ्रेमवर्क स्थापित करना चाहिए।

  

 

[1] Resolution of the Monetary Policy Committee April 7 to 9, 2025, Monetary Policy Statement 2025-26, Reserve Bank of India, April 9, 2025,  https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/PressRelease/PDFs/PR61C1724B25DB7646DFB49022F184DF3766.PDF 

[2] “Consumer Price Index Numbers on Base 2012=100 for Rural, Urban and Combined for the Month of March, 2025”, Press Information Bureau, Ministry of Statistics and Programme Implementation, April 15, 2025,https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2121843 ।

[3] “Index Numbers of Wholesale Price in India for the Month of March, 2025 (Base Year: 2011-12)”, Press Information Bureau, Ministry of Commerce and Industry, April 15, 2025, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2121751 

[4] “Department of Financial Services notifies amalgamation of 26 RRBs in fourth phase of amalgamation”, Press Information Bureau, Ministry of Finance, April 8, 2025, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2120016 

[5] Overview, Regional Rural Banks, https://www.nabard.org/auth/writereaddata/File/RRBs.pdf .

[6] “Cabinet approves Caste enumeration in the upcoming Census”, Press Release, Press Information Bureau, Cabinet, April 30, 2025, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2125526 

[7] Census Division, Census India, Ministry of Home Affairs, as accessed on May 1, 2025, https://censusindia.gov.in/census.website/node/378 .

[8] The Immigration and Foreigners Bill, 2025, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2025/Immigration_and_Foreigners_Bill_2025.pdf .

[9] “Cabinet approves “Vibrant Villages Programme-II (VVP-II) for financial years 2024-25 to 2028-29”, Press Information Bureau, Ministry of Home Affairs, April 4, 2025, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2118731 .

[10] Waqf Amendment Bill, 2024, https://sansad.in/getFile/BillsTexts/LSBillTexts/PassedBothHouses/THE%20WAQF%20(AMENDMENT)%20BILL,%202025411202521212PM.pdf?source=legislation .

[11] Waqf Act, 1995, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2024/Mussalman_Wakf_(Repeal)_Bill_2024.pdf .

[12] The Protection of Interests in Aircraft Objects Bill, 2025, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2025/Protection_of_Interests_in_Aircraft_Objects_Bill_2025.pdf .

[13] Convention on International Interests in Mobile Equipment, 2001, https://www.icao.int/sustainability/Documents/CPTConvention_AnnexA.pdf .

[14] Protocol to the Convention on International Interests in Mobile Equipment on Matters specific to Aircraft Equipment, 2001, https://www.icao.int/sustainability/Documents/CPTConvention_Protocol_AnnexB.pdf .

[15] The Tribhuvan Sahkari University Bill, 2025, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2025/Tri भुवन_सहकारी_विश्वविद्यालय_बिल, _2025.pdf।

[16] UGC (Minimum Standards of Instruction for the Grant of Undergraduate Degree and Postgraduate Degree) Regulations, 2025, University Grants Council, April 2024 https://www.ugc.gov.in/pdfnews/0920543_Public-Notice-UG-and-PG-Regulations-2025.pdf .

[17] “Cabinet approves Fair and Remunerative Price of sugarcane payable by sugar mills to sugarcane farmers for sugar season 2025-26”, Press Information Bureau, Cabinet Committee on Economic Affairs, April 30, 2025, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2125471 .

[18] “Cabinet approves Modernisation of Command Area Development and Water Management as a sub-scheme of Pradhan Mantri Krishi Sinchayee Yojana for the period 2025-26”, Press Information Bureau, Cabinet, April 9, 2025, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2120360 

[19] F. No. W/49/2024-IPHW, Ministry of Electronics and Information Technology, April 8, 2025, https://www.meity.gov.in/static/uploads/2025/04/e31d6fbd4044f8794f58157ba685e1ad.pdf 

[20] Report No. 6: Indian Diaspora Overseas including NRIs, PIOs, OCIs and Migrant Workers: All Aspects of their Conditions and Welfare, including the Status of the Emigration Bill, Standing Committee on External Affairs, April 1, 2025, https://sansad.in/getFile/lsscommittee/External%20Affairs/18_External_Affairs_6.pdf?source=loksabhadocs .

[21] Environment (Construction and Demolition) Waste Management Rules, 2025 https://egazette.gov.in/WriteReadData/2025/262313.pdf 

[22]  Notification of the Ministry of Environment, Forest and Climate Change, April 16, 2025, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2025/262568.pdf .

[23] Carbon Credit Trading Scheme, 2023, Ministry of Power, June 28, 2023 https://egazette.gov.in/WriteReadData/2023/246859.pdf .

[24] “TRAI releases recommendations on the issues Related to Critical Services in the M2M Sector, and Transfer of Ownership of M2M SIMs”, Telecom Regulatory Authority of India, April 22, 2025, https://trai.gov.in/sites/default/files/2025-04/Final_Reco_on_critical_M2M_services_22.04.2025_1250_0.pdf 

  

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