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जनवरी 2024

पीडीएफ

इस अंक की झलकियां

संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से 9 फरवरी के बीच 

लोकसभा का आखिरी सत्र राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ शुरू हुआ। दो बिल पेश और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किए गए हैं। अंतरिम केंद्रीय बजट 2024-25 पेश किया जाएगा। 

राष्ट्रपति ने संसद के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित किया

इस संबोधन में विभिन्न क्षेत्रों की प्रमुख नीतिगत उपलब्धियों का उल्लेख है। इसमें इंफ्रास्ट्रक्चर, अक्षय ऊर्जा, आर्थिक विकास और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में कार्यों पर प्रकाश डाला गया।   

2023-24 में जीडीपी 7.3% बढ़ने का अनुमान

2023-24 में विकास दर पिछले वर्ष (7.2%) से थोड़ी अधिक रहने का अनुमान है। निर्माण और वित्तीय सेवा क्षेत्रों में सबसे अधिक वृद्धि का अनुमान है।

2023-24 की तीसरी तिमाही में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति 5.4% पर

2023-24 की तीसरी तिमाही के दौरान खाद्य मुद्रास्फीति औसतन 8.3% रही, जो पिछले वर्ष की इसी तिमाही (5.3%) से अधिक है। डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति औसतन 0.2% रही।

कोचिंग सेंटर्स के रेगुलेशन के लिए दिशानिर्देश जारी

कोचिंग सेंटर्स को राज्य द्वारा अधिसूचित अधिकारी के साथ पंजीकरण कराना होगा। वे 10वीं कक्षा ने नीचे की कक्षाओं में पढ़ने वाले विद्यार्थियों का नामांकन नहीं कर सकते। दिशानिर्देश राज्यों को विचारार्थ भेजे गए हैं।

ड्राफ्ट स्टाम्प बिल परामर्श के लिए जारी

राज्य सरकार की ओर से स्टॉक एक्सचेंज जैसी संस्थाओं द्वारा प्रतिभूतियों की बिक्री और हस्तांतरण पर स्टाम्प शुल्क एकत्र करने का प्रस्ताव है। वे सुविधा शुल्क के रूप में स्टाम्प शुल्क का एक प्रतिशत काट लेंगे।

एक्सप्लोरेशन लाइसेंस प्रदान करने के संबंध में खनन नियमों में संशोधन

संशोधन खान और खनिज (विकास और रेगुलेशन) एक्ट, 1957 की सातवीं अनुसूची में लिथियम और सोने सहित निर्दिष्ट खनिजों के लिए अन्वेषण लाइसेंस की नीलामी आयोजित करने की प्रक्रिया प्रदान करता है। 

सौर ऊर्जा योजना के क्रियान्वयन हेतु दिशानिर्देश जारी

विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों के घरों को ऑफ-ग्रिड सौर ऊर्जा प्रदान करके बिजलीकृत किया जाएगा। भविष्य में मुख्य ग्रिडों से जुड़ने की क्षमता वाले मिनी सौर ग्रिड उच्च घनत्व वाले क्षेत्रों में स्थापित किए जा सकते हैं।

शुल्क को लागत प्रतिबिंबित करने के लिए बिजली नियमों में संशोधन

नियम ओपन एक्सेस उपयोगकर्ताओं पर अधिभार की भी सीमा तय करते हैं। उत्पादकों, कैप्टिव पावर प्लांट्स और ऊर्जा भंडारण सिस्टम्स जैसी संस्थाओं को समर्पित ट्रांसमिशन लाइनें स्थापित करने के लिए ट्रांसमिशन लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होगी।

सेबी ने विशेषज्ञ समिति के अंतरिम सुझावों पर टिप्पणियां मांगीं 

एक विशेषज्ञ समूह ने लिस्टेड संस्थाओं के लिए रेगुलेटरी जरूरतों और प्रतिभूतियों की लिस्टिंग की शर्तों के लिए विभिन्न सुझाव दिए हैं।

कैबिनेट ने कोयला/लिग्नाइट गैसीकरण परियोजनाओं को बढ़ावा देने की योजना को मंजूरी दी

इस योजना का परिव्यय 8,500 करोड़ रुपए होगा और यह सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और निजी कंपनियों द्वारा परियोजनाओं की स्थापना को बढ़ावा देगी। 

केंद्र कैबिनेट ने पृथ्वी योजना को मंजूरी दी

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत यह योजना जलवायु अनुसंधान मॉडलिंग, भूकंप विज्ञान और शिक्षा पर चल रही पांच उप-योजनाओं को समाहित करती है। इसे 4,797 करोड़ रुपए की लागत से पांच साल के लिए लागू किया जाएगा।
 

संसद

Arpita Mallick (arpita@prsindia.org)

बजट सत्र 2024 प्रारंभ

संसद का बजट सत्र 31 जनवरी, 2024 को शुरू हुआ और 9 फरवरी, 2024 को समाप्त होगा। इस सत्र में आठ दिन बैठकें होंगी।[1] 

राष्ट्रपति ने 31 जनवरी, 2024 को संसद के दोनों सदनों को संबोधित किया। अंतरिम केंद्रीय बजट 2024-25 को 1 फरवरी, 2024 को पेश किया जाएगा। दो बिल पेश, विचार और पारित किए जाने के लिए सूचीबद्ध किए गए हैं। ये हैं: (i) जल (रोकथाम और प्रदूषण नियंत्रण) संशोधन बिल, 2024, और (ii) सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) बिल, 2024।  

राष्ट्रपति के अभिभाषण में सरकार की उपलब्धियों का उल्लेख 

भारत की राष्ट्रपति सुश्री द्रौपदी मुर्मू ने 31 जनवरी, 2024 को संसद के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित किया। उन्होंने अपने अभिभाषण में सरकार की प्रमुख नीतिगत उपलब्धियों और लक्ष्यों को रेखांकित किया। अभिभाषण के मुख्य अंश निम्नलिखित हैं:

  • अर्थव्यवस्था: गंभीर वैश्विक संकट के बीच भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है और देश ने लगातार दो तिमाहियों में 7.5% से अधिक की विकास दर बरकरार रखी है। 2014 से पहले 10 वर्षों में मुद्रास्फीति 8% से अधिक थी। पिछले दशक में यह 5% पर रही है।

  • उद्योग: स्टार्टअप्स की संख्या कुछ सौ हुआ करती थी। अब ये चार लाख से अधिक हो गए हैं। कारोबारी सुगमता सुनिश्चित करने के लिए 40,000 से अधिक अनुपालनों को हटा दिया गया है या सरल बना दिया गया है।

  • इंफ्रास्ट्रक्चर और परिवहन: 10 साल में पूंजीगत व्यय पांच गुना बढ़कर 10 लाख करोड़ रुपए हो गया है। राष्ट्रीय राजमार्ग की लंबाई 90,000 किमी से बढ़कर 1.46 लाख किमी हो गई है। चार-लेन वाले राजमार्गों की लंबाई 2.5 गुना बढ़ गई है।

  • ऊर्जा: 10 वर्षों में गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा क्षमता 81 गीगावाट से बढ़कर 188 गीगावाट हो गई है। भारत ने 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन से 50% स्थापित क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा है।

  • शिक्षा: सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए 14,000 से अधिक पीएम श्री स्कूलों पर काम कर रही है। इनमें से लगभग 6,000 स्कूलों ने काम करना शुरू कर दिया है।

  • अंतरिक्ष: भारत ने आदित्य मिशन लॉन्च किया। सैटेलाइट धरती से 15 लाख किमी दूर पहुंचा। भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपना झंडा फहराने वाला पहला देश बन गया है।

राष्ट्रपति के अभिभाषण के सारांश के लिए कृपया देखें। पिछले पांच वर्षों में नीतिगत घोषणाओं से संबंधित प्रगति पर हमारा विश्लेषण यहां पढ़ें। 

 

मैक्रोइकोनॉमिक विकास

Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)

2023-24 में जीडीपी में अनुमानित 7.3% की वृद्धि

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार, भारत की जीडीपी 2023-24 में (2011-12 की स्थिर कीमतों पर) 7.3% बढ़ने का अनुमान है।[2]  पिछले वर्ष जीडीपी में 7.2% की वृद्धि होने का अनुमान है।

रेखाचित्र 1: वार्षिक जीडीपी वृद्धि दर (2011-12 की स्थिर कीमतों पर)
 

 स्रोत: एमओएसपीआई; पीआरएस। 

सभी क्षेत्रों में जीडीपी को सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) के संदर्भ में मापा जाता है। 2023-24 में निर्माण क्षेत्र में सबसे अधिक वृद्धि (10.7%) दर्ज करने का अनुमान है, इसके बाद वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाएं (8.9%), और बिजली, गैस, जलापूर्ति और अन्य उपयोगिता सेवाएं (8.3%) का स्थान आता है। 2023-24 में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 1.8% रहने का अनुमान है, जो 2022-23 की 4% वृद्धि दर से कम है।

तालिका 1: वार्षिक क्षेत्रीय वृद्धि (2011-12 की स्थिर कीमतों पर) 

क्षेत्र

2021-22

2022-23

2023-24

कृषि

3.5%

4.0%

1.8%

खनन

7.1%

4.6%

8.1%

मैन्यूफैक्चरिंग

11.1%

1.3%

6.5%

बिजली

9.9%

9.0%

8.3%

निर्माण

14.8%

10.0%

10.7%

व्यापार

13.8%

14.0%

6.3%

वित्तीय सेवाएं

4.7%

7.1%

8.9%

सार्वजनिक सेवाएं

9.7%

7.2%

7.7%

जीवीए

8.8%

7.0%

6.9%

जीडीपी

9.1%

7.2%

7.3%

 स्रोत: एमओएसपीआई; पीआरएस। 

2023-24 की तीसरी तिमाही में खुदरा महंगाई दर 5.4%

2023-24 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति 5.4% थी।[3] यह पिछले वर्ष की इसी तिमाही (6.1%), साथ ही 2023-24 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) (6.4%) की सीपीआई मुद्रास्फीति से कम थी। 2023-24 की तीसरी तिमाही के दौरान खाद्य मुद्रास्फीति औसतन 8.3% रही, जो पिछले वर्ष की इसी तिमाही की 5.3% की दर से अधिक है। 2023-24 की दूसरी तिमाही में खाद्य मुद्रास्फीति भी अधिक (9.4%) थी।

2023-24 की तीसरी तिमाही के दौरान थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) मुद्रास्फीति औसतन 0.2% थी।[4]  यह पिछले वर्ष की समान तिमाही (6.6%) से काफी कम था, लेकिन 2023-24 की दूसरी तिमाही (-0.6%) से थोड़ा अधिक था।

रेखाचित्र 2: 2023-24 की तीसरी तिमाही में मासिक मुद्रास्फीति (% परिवर्तन, वर्ष-दर-वर्ष)
 image

 स्रोत: एमओएसपीआई; वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय; पीआरएस। 

 

वित्त

भारतीय कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंजों पर प्रतिभूतियों की सीधी लिस्टिंग की अनुमति 

Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)

वित्त मंत्रालय ने भारतीय कंपनियों को अनुमति प्राप्त अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंजों पर प्रतिभूतियों की सीधी लिस्टिंग की अनुमति दे दी है।[5],[6]  मंत्रालय ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन (गैर-ऋण उपकरण) संशोधन नियम, 2024 को अधिसूचित किया है जो विदेशी मुद्रा प्रबंधन (गैर-ऋण उपकरण) नियम, 2019 में संशोधन करता है।[7]  संशोधन सार्वजनिक भारतीय कंपनियों को कुछ शर्तों के अधीन अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंजों पर इक्विटी शेयर जारी करने की अनुमति देता है। भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले देशों के नागरिक या संस्थाएं केवल केंद्र सरकार की मंजूरी के साथ ऐसी कंपनियों के शेयर रख सकते हैं। सार्वजनिक भारतीय कंपनियां या मौजूदा शेयरधारक कुछ मानदंडों के आधार पर अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंज पर इक्विटी शेयर जारी कर सकते हैं। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) कंपनी और उसके निदेशक जिन्हें पूंजी बाजार को एक्सेस करने से प्रतिबंधित नहीं किया गया है, (ii) कंपनी, प्रमोटर या निदेशक जो ऐच्छिक डीफॉल्टर नहीं हैं, (iii) प्रमोटर या निदेशक, जो भगोड़े आर्थिक अपराधी नहीं हैं।   

ड्राफ्ट भारतीय स्टाम्प बिल, 2023 पर टिप्पणियां आमंत्रित

Tanvi Vipra (tanvi@prsindia.org) 

वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए भारतीय स्टाम्प बिल, 2023 का ड्राफ्ट जारी किया।[8],[9] यह ड्राफ्ट भारतीय स्टाम्प एक्ट, 1899 की जगह लाया जा रहा है।[10]  1899 का एक्ट एफिडेविट, बिल ऑफ एक्सचेंज और बांड जैसे इंस्ट्रूमेंट्स पर स्टाम्प शुल्क लगाने का प्रावधान करता है। बिल के ड्राफ्ट में एक्ट के कई प्रावधानों को बरकरार रखा गया है। मुख्य परिवर्तनों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • कुछ इंस्ट्रूमेंट्स के लिए शुल्क बाजार मूल्य के अनुसार होना चाहिए: लीज़ समझौते और बांड जैसे उपकरणों के निष्पादन पर एक शुल्क देय है। ड्राफ्ट बिल में कहा गया है कि खनन लीज़ के नवीनीकरण, या किसी संपत्ति में ब्याज के हस्तांतरण जैसे कुछ लेनदेन पर शुल्क इंस्ट्रूमेंट के बाजार मूल्य पर आधारित होगा।

  • छूट: एक्ट उन इंस्ट्रूमेंट्स को स्टाम्प शुल्क से छूट देता है जिनका उपयोग जहाजों को बेचने और स्थानांतरित करने के लिए किया जाता है। ड्राफ्ट बिल इसमें बदलाव करता है। वह विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) से संबंधित डेवलपर्स या इकाइयों द्वारा, उनके लिए या उनकी ओर से निष्पादित इंस्ट्रूमेंट्स को शुल्क से छूट देता है। डेवलपर का मतलब, केंद्र सरकार द्वारा अधिकृत व्यक्ति या राज्य सरकार से है। किसी उद्यमी द्वारा एसईजेड में इकाई स्थापित की जा सकती है।

  • एक्ट के तहत (i) डिपॉजिटर्स की प्रतिभूतियों, और (ii) म्यूचुअल फंड यूनिट्स के लाभकारी स्वामित्व में हस्तांतरण पर स्टाम्प शुल्क से छूट है। ड्राफ्ट बिल इस छूट को हटाता है। इसमें किसी व्यक्ति और डिपॉजिटरी के बीच प्रतिभूतियों के पंजीकृत स्वामित्व के हस्तांतरण पर स्टाम्प शुल्क से छूट जारी रहेगी। इसमें यह भी कहा गया है कि किसी सरकारी संपत्ति की किसी अन्य राज्य/केंद्र सरकार को रणनीतिक बिक्री या विनिवेश पर स्टाम्प शुल्क नहीं लगेगा।

  • निजी संस्थाओं द्वारा शुल्क को जमा करना:  ड्राफ्ट बिल के तहत, राज्य सरकार की ओर से कुछ संस्थाओं द्वारा प्रतिभूतियों की बिक्री और हस्तांतरण पर लगाया गया शुल्क एकत्र किया जाएगा। इनमें स्टॉक एक्सचेंज, डिपॉजिटरी या अधिकृत क्लियरिंग कॉरपोरेशन शामिल हैं। वे राज्य सरकार को हस्तांतरित करने से पहले स्टाम्प शुल्क का एक प्रतिशत 'सुविधा शुल्क' के रूप में काट लेंगे। स्टाम्प ड्यूटी वसूलने का तरीका केंद्र सरकार तय करेगी।

  • इंस्ट्रूमेंट का कम मूल्यांकन: अगर किसी इंस्ट्रूमेंट को पंजीकरण अधिकारी द्वारा कम मूल्य का माना जाता है, तो जिला कलेक्टर इसका उचित मूल्य निर्धारित करेगा। कलेक्टर के आदेश के विरुद्ध अपील मुख्य नियंत्रक राजस्व प्राधिकारी को की जा सकती है।

15 फरवरी, 2024 तक टिप्पणियां आमंत्रित हैं।

आरबीआई ने विदेशी मुद्रा जोखिम प्रबंधन के लिए निर्देश जारी किए

Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने विदेशी मुद्रा जोखिम के प्रबंधन के लिए संशोधित निर्देश जारी किए हैं।[11] प्रमुख विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • हेजिंग उत्पादों की पेशकश के लिए प्लेटफॉर्म: विदेशी मुद्रा कॉन्ट्रैक्ट काउंटर पर और मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज, दोनों के माध्यम से पेश किए जा सकते हैं। काउंटर पर लेन-देन मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों के अलावा अन्य प्लेटफार्मों पर भी किया जाता है। 

  • यूजर्स का वर्गीकरण: काउंटर पर विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स के यूजर्स को रीटेल और नॉन-रीटेल में विभाजित किया जाएगा। एक विदेशी मुद्रा डेरेवेटिव कॉन्ट्रैक्ट का मूल्य दो मुद्राओं की विनिमय दर में परिवर्तन से प्राप्त होता है, जिनमें से कम से कम एक भारतीय रुपया नहीं है। नॉन-रीटेल यूजर्स में बीमा कंपनियां, पेंशन फंड, म्यूचुअल फंड और न्यूनतम 500 करोड़ रुपए की शुद्ध संपत्ति या 1,000 करोड़ रुपए के न्यूनतम कारोबार वाले निवासी शामिल हैं।

  • स्टॉक एक्सचेंज द्वारा पेश किए जाने वाले उत्पाद: मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज कॉन्ट्रैक्टेड एक्सपोजर की हेजिंग के लिए भारतीय रुपए से जुड़े विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट की पेशकश कर सकते हैं। कॉन्ट्रैक्टेड एक्सपोज़र का मतलब चालू या पूंजी खाता लेनदेन से संबंधित मुद्रा जोखिम से है। विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट, जिनमें भारतीय रुपया शामिल नहीं है, उद्देश्य पर किसी प्रतिबंध के बिना पेश किए जा सकते हैं।        

आरबीआई ने राज्य सरकार की गारंटियों पर कार्य समूह की रिपोर्ट जारी की

Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने राज्य सरकार की गारंटी पर कार्य समूह की रिपोर्ट जारी की।[12]  गारंटी एक आकस्मिक देनदारी है जो ऋणदाता को उधारकर्ता के डीफॉल्ट के जोखिम से बचाती है। राज्य सरकारें अक्सर राज्य उद्यमों, शहरी स्थानीय निकायों, सहकारी संस्थानों और अन्य राज्य के स्वामित्व वाली संस्थाओं द्वारा लिए गए ऋण की गारंटी देती हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह की गारंटी के महत्वपूर्ण वित्तीय जोखिम हो सकते हैं और राज्य के वित्त पर बोझ पड़ सकता है। प्रमुख सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं: 

  • गारंटी की परिभाषा: कार्य समूह ने सुझाव दिया की कि विस्तारित गारंटी की कुल राशि की गणना करने के लिए यह अंतर नहीं किया जाना चाहिए कि गारंटी किस प्रकार की है। इनमें सशर्त/बिना शर्त गारंटी और वित्तीय/प्रदर्शन गारंटी शामिल हैं। इसमें वे सभी इंस्ट्रूमेंट शामिल होने चाहिए जो उधारकर्ता की ओर से भुगतान करने के लिए जारीकर्ता पर बाध्यता बनाते हैं, चाहे आकस्मिक हो या अन्यथा।

  • गारंटियों पर सीलिंग: रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि एक वर्ष के दौरान जारी की गई वृद्धिशील गारंटी की अधिकतम सीमा राजस्व प्राप्तियों का 5% या जीएसडीपी का 0.5%, जो भी कम हो, होना चाहिए। 

  • गारंटी नीति के लिए दिशानिर्देश: राज्य सरकारें अपनी गारंटी नीति तैयार करते समय केंद्र सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देशों का पालन कर सकती हैं। इन दिशानिर्देशों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) केवल ऋण के मूलधन और सामान्य ब्याज के लिए गारंटी देना, (ii) बाहरी वाणिज्यिक उधार के लिए गारंटी नहीं देना, (iii) परियोजना ऋण के 80% से अधिक की गारंटी नहीं देना, और (iv) निजी कंपनियों और संस्थानों के ऋण की गारंटी नहीं देना।

  • जोखिम वर्गीकरण: राज्यों को परियोजनाओं को उच्च जोखिम, मध्यम जोखिम और कम जोखिम के रूप में वर्गीकृत करना चाहिए और गारंटी बढ़ाने के लिए जोखिम भार निर्दिष्ट करना चाहिए। जोखिम वर्गीकरण में चूक के पिछले रिकॉर्ड को ध्यान में रखा जाना चाहिए।

आरबीआई ने फिनटेक क्षेत्र में सेल्फ रेगुलेटरी संगठनों के लिए ड्राफ्ट फ्रेमवर्क जारी किया 

Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने फिनटेक क्षेत्र में सेल्फ रेगुलेटरी संगठनों (एसआरओ) के लिए एक ड्राफ्ट फ्रेमवर्क जारी किया है।[13]  फिनटेक वित्तीय सेवाएं प्रदान करते हैं और समय बचाने, पहुंच बढ़ाने और लागत कम करने में मदद करते हैं। आरबीआई ने कहा कि सेल्फ रेगुलेशन फिनटेक को उद्योग संबंधी मानकों और सर्वोत्तम कार्य पद्धतियों को स्थापित करने और उनका पालन करने में सक्षम बना सकता है। प्रमुख प्रस्तावों में निम्नलिखित शामिल हैं: 

  • एसआरओ की विशेषताएं: एसआरओ को आरबीआई की निगरानी में निष्पक्ष रूप से कार्य करना चाहिए। इसका लक्ष्य क्षेत्र का सतत विकास होना चाहिए और अगर आवश्यक हो, तो चरणबद्ध रेगुलेटरी अनुपालन के लिए एक आसान रास्ते की पहचान करनी चाहिए। अन्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) व्यापक सदस्यता समझौतों के माध्यम से क्षेत्र का वास्तविक प्रतिनिधित्व करना, (ii) किसी एक सदस्य या सदस्यों के समूह के प्रभाव से स्वतंत्र होकर, काम करना, (iii) सदस्यों के बीच विवादों के वैध मध्यस्थ के रूप में कार्य करना, और (iv) अपने सदस्यों को रेगुलेटरी प्राथमिकताओं का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करना।

  • सदस्यता का मानदंड: एसआरओ को क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करना चाहिए और उसके सदस्यों में सभी आकार, चरण और गतिविधियों वाली संस्थाएं शामिल होनी चाहिए। सदस्यता स्वैच्छिक होगी लेकिन आरबीआई फिनटेक को किसी मान्यता प्राप्त एसआरओ का सदस्य बनने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

  • कार्य: एसआरओ के पास नियम और मानक बनाने के लिए वस्तुनिष्ठ और परामर्शात्मक प्रक्रियाएं होनी चाहिए। उसे उद्योग मानक और आधारभूत प्रौद्योगिकी मानक भी निर्धारित करने चाहिए। एसआरओ को क्षेत्र की निगरानी करने तथा अपवादों का पता लगाने और उन्हें उजागर करने के लिए सर्विलांस उपायों का इस्तेमाल करना चाहिए। उन्हें अपने सदस्यों के लिए शिकायत निवारण और विवाद समाधान का फ्रेमवर्क तैयार करना चाहिए। 

फरवरी 2024 के अंत तक टिप्पणियां आमंत्रित हैं।[14]

आरबीआई ने हाउसिंग फाइनांस कंपनियों के रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के लिए ड्राफ्ट सर्कुलर जारी किया 

Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हाउसिंग फाइनांस कंपनियों (एचएफसी) के लिए रेगुलेटरी फ्रेमवर्क को संशोधित करने वाला एक ड्राफ्ट सर्कुलर जारी किया है।[15]  एचएफसी एक प्रकार की गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी होती है जो मुख्य रूप से आवास ऋण प्रदान करती है। मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • लिक्विड एसेट्स रखना: वर्तमान में जमा स्वीकार करने वाली एचएफसी को सार्वजनिक जमा के मुकाबले 13% लिक्विड एसेट रखने की जरूरत होती है। लिक्विड एसेट्स में नकदी, आरबीआई के पास जमा और बैंक चालू खातों में जमा शामिल हैं। आरबीआई ने लिक्विड एसेट्स को बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है और कहा है कि एचएफसी को सार्वजनिक जमा का 15% रखना होगा। इसे 31 मार्च, 2025 तक चरणों में लागू किया जाएगा।

  • एचएफसी की क्रेडिट रेटिंग: सार्वजनिक जमा स्वीकार करने के लिए, एचएफसी को वर्ष में कम से कम एक बार इनवेस्टमेंट ग्रेड क्रेडिट रेटिंग प्राप्त करनी होगी। अगर उनकी क्रेडिट रेटिंग न्यूनतम इनवेस्टमेंट ग्रेड से नीचे आती है, तो एचएफसी इनवेस्टमेंट ग्रेड रेटिंग प्राप्त होने तक मौजूदा जमा को रीन्यू नहीं करेगी या नई जमा स्वीकार नहीं करेगी।

  • एकाउंट्स को अंतिम रूप देना: एचएफसी को वित्तीय वर्ष के लिए अपना वित्तीय विवरण 31 मार्च को तैयार करना होगा। आरबीआई ने प्रस्ताव दिया है कि एचएफसी को संबंधित तारीख से तीन महीने के भीतर अपनी बैलेंस शीट को अंतिम रूप देना होगा। इस अवधि को बढ़ाने के लिए, कंपनी रजिस्ट्रार से संपर्क करने से पहले राष्ट्रीय आवास बैंक से पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता होगी।

29 फरवरी, 2024 तक टिप्पणियां आमंत्रित हैं।[16]

सेबी ने अनुपालन को सरल बनाने के सुझावों पर टिप्पणियां मांगी

Pratinav Damani (pratinav@prsindia.org)

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सेबी रेगुलेशंस के अनुपालन की जांच और सरलीकरण संबंधी सुझावों पर टिप्पणियां आमंत्रित की हैं। ये अंतरिम सुझाव एक विशेषज्ञ समूह ने दिए हैं।[17]  विशेषज्ञ समूह ने सेबी के लिस्टिंग दायित्व और प्रकटीकरण आवश्यकता रेगुलेशन, 2015, और पूंजी जारी करना और प्रकटीकरण आवश्यकता रेगुलेशन, 2018 के संबंध में कारोबारी सुगमता पर अपने अंतरिम सुझाव पेश किए हैं।[18],[19],[20]  प्रमुख सुझावों में निम्न शामिल हैं:  

  • बाजार पूंजीकरण की गणना: अगर लिस्टेड संस्थाओं का बाजार पूंजीकरण एक निश्चित सीमा से अधिक है तो सेबी को अतिरिक्त शर्तों का पालन करना होता है। उदाहरण के लिए, बाजार पूंजीकरण के हिसाब से शीर्ष 1,000 कंपनियों के लिए निम्नलिखित आवश्यक है: (i) कम से कम एक महिला स्वतंत्र निदेशक, (ii) एक जोखिम प्रबंधन समिति, और (iii) एक लाभांश वितरण नीति। वर्तमान में सेबी अनुपालन के लिए हर वर्ष 31 मार्च को बाजार पूंजीकरण का उपयोग करता है। समिति ने सुझाव दिया है कि सेबी छह महीने (जुलाई-दिसंबर) के औसत बाजार पूंजीकरण का उपयोग करे। जिन कंपनियों को पहली बार अनुपालन करने की आवश्यकता होगी, उन्हें संबंधित प्रावधानों का अनुपालन करने के लिए तीन महीने का समय भी मिलेगा।

  • निदेशकों द्वारा समिति की सदस्यता: एक निदेशक 10 से अधिक समितियों का सदस्य नहीं हो सकता है या सभी लिस्टेड संस्थाओं में पांच से अधिक समितियों के अध्यक्ष के रूप में कार्य नहीं कर सकता है। इसमें नॉन-लिस्टेड सार्वजनिक कंपनियों के पद शामिल हैं। समिति ने सुझाव दिया है कि इन सीमाओं की गणना के लिए केवल लिस्टेड संस्थाओं पर ही विचार किया जाना चाहिए।

  • प्रमोटर्स का न्यूनतम योगदान: किसी कंपनी के प्रमोटरों को लिस्टिंग के बाद कंपनी में कम से कम 20% शेयर रखना होता है। हालांकि इसमें वे शेयर शामिल नहीं हैं जो लिस्टिंग के लिए प्रॉस्पेक्टस दाखिल करने से पहले वर्ष में परिवर्तनीय प्रतिभूतियों के माध्यम से हासिल किए गए हैं। परिवर्तनीय प्रतिभूतियां वह होती हैं (जैसे कि बांड) जिन्हें किसी अन्य प्रकार की प्रतिभूति (जैसे इक्विटी) में परिवर्तित किया जा सकता है। समिति ने सुझाव दिया है कि अनिवार्य रूप से परिवर्तनीय प्रतिभूतियों के माध्यम से प्राप्त शेयरों को न्यूनतम प्रमोटर होल्डिंग के लिए माना जाना चाहिए। हालांकि ऐसी प्रतिभूतियों को प्रॉस्पेक्टस दाखिल करने से पहले कम से कम एक वर्ष के लिए रखा जाना चाहिए।

1 फरवरी, 2024 तक टिप्पणियां आमंत्रित हैं।17

कुछ फंड्स में निवेश को लिक्विडेट करने के लिए फ्लेक्सिबिलिटी पर टिप्पणियां आमंत्रित

Pratinav Damani (pratinav@prsindia.org)

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने ऑल्टनेटिव इनवेस्टमेंट फंड्स (एआईएफ) और वेंचर कैपिटल फंड्स (वीसीएफ) को लचीलापन प्रदान करने के लिए परामर्श पत्र जारी किया है ताकि अनलिक्विडेटेड निवेश से निपटा जा सके।[21]  एआईएफ एक परिभाषित निवेश नीति के साथ निजी तौर पर एकत्रित निवेश माध्यम है।[22]  एआईएफ और वीसीएफ को सेबी (ऑल्टनेटिव इनवेस्टमेंट फंड) रेगुलेशन, 2012 द्वारा रेगुलेट किया जाता है।[23]  अपनी समयावधि पूरी होने के बाद एआईएफ और वीसीएफ को अपने निवेश को लिक्विडेट करना होता है। विचारणीय मुद्दों में निम्नलिखित शामिल हैं: 

  • लिक्विडेशन स्कीम की जरूरत: एआईएफ की समयावधि समाप्त होने के बाद एक वर्ष की लिक्विडेशन अवधि होती है। वे इस अवधि के भीतर एक लिक्विडेशन योजना शुरू कर सकते हैं। परामर्श पत्र में प्रस्ताव दिया गया है कि एआईएफ को लिक्विडेशन योजना शुरू करने के बजाय अपने निवेश को लिक्विडेट करने के लिए डिसॉल्यूशन अवधि/प्रक्रिया का इस्तेमाल करने की अनुमति दी जानी चाहिए। यह प्रस्तावित किया गया है क्योंकि लिक्विडेशन योजना स्थापित करना और मूल योजना को बंद करने में समय और लागत काफी लगती है। लिक्विडेशन अवधि के दौरान डिसॉल्यूशन प्रक्रिया शुरू करने के लिए एआईएफ को योजना में मूल्य के हिसाब से 75% निवेशकों की सहमति प्राप्त करनी होगी।

  • वीसीएफ के लिए डिसॉल्यूशन प्रक्रिया: वीसीएफ को पहले सेबी (वेंचर कैपिटल फंड) रेगुलेशन, 1996 के जरिए रेगुलेट किया गया था।[24]  बाद में रेगुलेशंस को निरस्त कर दिया गया और वीसीएफ को एआईएफ रेगुलेशन के दायरे में लाया गया। हालांकि पहले के रेगुलेशंस के तहत पंजीकृत वीसीएफ (जिन्होंने अपनी समावधि पूरा नहीं की है) को वीसीएफ रेगुलेशंस के जरिए रेगुलेट किया जाना जारी रहेगा। इस प्रकार यह प्रस्तावित है कि नए प्रस्ताव के अधिसूचित होने के छह महीने के भीतर सभी वीसीएफ को एआईएफ रेगुलेशंस में स्थानांतरित कर दिया जाए।

  • वन टाइम फ्लेक्सिबिलिटी योजना: एआईएफ जिनकी लिक्विडेशन अवधि 15 जून, 2023 से पहले समाप्त हो गई है, लिक्विडेशन योजना शुरू नहीं कर सकते हैं। इस प्रकार यह प्रस्तावित किया गया है कि जिन एआईएफ की लिक्विडेशन अवधि समाप्त हो गई है, उन्हें अपने निवेश को पूरी तरह से समाप्त करने, विघटन प्रक्रिया में प्रवेश करने या अपने निवेश को विशिष्ट रूप से वितरित करने (परिसंपत्तियों को वितरित करने) के लिए एक बार फ्लेक्सिबिलिटी योजना प्रदान की जानी चाहिए।

2 फरवरी, 2024 तक टिप्पणियां आमंत्रित हैं। 

 

शिक्षा

Rutvik Upadhyaya (rutvik@prsindia.org) 

कोचिंग सेंटर्स के रेगुलेशन पर दिशानिर्देश जारी

शिक्षा मंत्रालय ने 'कोचिंग सेंटर्स के रेगुलेशन के लिए दिशानिर्देश' जारी किए हैं।[25]  एक कोचिंग सेंटर को एक ऐसे संस्थान के रूप में परिभाषित किया जाता है जो प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं या शैक्षणिक पाठ्यक्रम के लिए 50 से अधिक विद्यार्थियों को शैक्षणिक मार्गदर्शन प्रदान करता है। दिशानिर्देश में कोचिंग सेंटर्स के शिक्षण और इंफ्रास्ट्रक्चर मानकों को रेखांकित किया गया है और पंजीकरण और आचरण की शर्तें प्रदान की गई हैं। इन दिशानिर्देशों को विचारार्थ राज्यों को भेजा गया है। दिशानिर्देशों की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • पंजीकरण: कोचिंग सेंटरों को संबंधित अथॉरिटी में पंजीकृत होना आवश्यक है। संबंधित अथॉरिटी राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित अधिकारी होगा। कोचिंग सेंटर की प्रत्येक शाखा को एक अलग प्रतिष्ठान माना जाएगा जिसके पंजीकरण के लिए एक अलग आवेदन की आवश्यकता होगी। पंजीकरण प्रमाणपत्र की वैधता की अवधि अथॉरिटी द्वारा तय की जाएगी। इसकी समाप्ति से कम से कम दो महीने पहले पंजीकरण का नवीनीकरण किया जाना चाहिए।

  • पंजीकरण की शर्तें: पंजीकरण की पात्रता के लिए एक कोचिंग सेंटर को कुछ शर्तों को पूरा करना होगा। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) ऐसे ट्यूटरों को नियुक्त करना जो कम से कम स्नातक हैं और किसी अपराध के लिए दोषी नहीं हैं, (ii)  उन विद्यार्थियों का नामांकन नहीं करना जिन्होंने अभी तक माध्यमिक परीक्षा (कक्षा 10) उत्तीर्ण नहीं की है और (iii) अच्छे अंकों को लेकर भ्रामक वादे न करना। पंजीकरण के दौरान इन नियमों के अनुपालन का विवरण देने वाला एक वचन पत्र दिया जाना चाहिए।

  • शुल्क: प्रत्येक पाठ्यक्रम की फीस उचित होनी चाहिए और उसकी अवधि के दौरान बढ़ाई नहीं जानी चाहिए। अगर विद्यार्थी बीच में पाठ्यक्रम छोड़ देता है तो भुगतान की गई पूरी फीस आनुपातिक आधार पर वापस करनी होगी। भावी विद्यार्थियों/अभिभावकों को फीस, सुविधाओं और लेक्चर संबंधित सभी जानकारी निःशुल्क दी जानी चाहिए। इसे केंद्र के परिसर में भी प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाना चाहिए।

  • कक्षाएं: कोचिंग सेंटर्स को क्षेत्र में लोकप्रिय त्योहारों के दौरान छुट्टियों के साथ-साथ विद्यार्थियों को साप्ताहिक अवकाश भी प्रदान करना चाहिए। कक्षाएं एक दिन में पांच घंटे से अधिक संचालित नहीं की जानी चाहिए और संबंधित विद्यार्थियों के स्कूल/कॉलेज के घंटों के दौरान संचालित नहीं की जानी चाहिए।

  • इंफ्रास्ट्रक्चर: कोचिंग कक्षाओं में हर बैच में हर विद्यार्थी के बीच न्यूनतम एक वर्ग मीटर की जगह होनी चाहिए। परिसर पूरी तरह से बिजलीकृत और अच्छी तरह हवादार होना चाहिए। पीने का पानी और फर्स्ट एड किट जैसी सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए।

प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में साक्षरता केंद्रों के गठन के लिए दिशानिर्देश जारी

शिक्षा मंत्रालय ने 'राज्य शिक्षा साक्षरता और प्रशिक्षण परिषद में राज्य साक्षरता केंद्र पर दिशानिर्देश' जारी किए हैं।[26] दिशानिर्देश प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में साक्षरता केंद्र का गठन करते हैं। यह राज्य/केंद्र शासित प्रदेश स्तर पर प्रौढ़ शिक्षा के लिए मापने योग्य शिक्षण परिणामों की रूपरेखा प्रस्तुत करेगा। यह राष्ट्रीय साक्षरता केंद्र के समकक्ष के रूप में काम करेगा, जो प्रौढ़ शिक्षा के लिए एक राष्ट्रीय करिकुलम फ्रेमवर्क विकसित करेगा। दिशानिर्देशों की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं: 

  • संयोजन: प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में राज्य शिक्षा अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) द्वारा राज्य साक्षरता केंद्र (एससीएल) की स्थापना की जाएगी। एससीएल के पदेन सदस्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) एससीईआरटी के निदेशक (अध्यक्ष), (ii) एससीईआरटी के एक प्रोफेसर/फैकेल्टी (प्रभारी), और (iii) एससीईआरटी के दो फैकेल्टी। अन्य सदस्यों में उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रतिनिधि और स्थानीय गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हैं।

  • करिकुलम: राज्य साक्षरता केंद्र राज्य/केंद्र शासित प्रदेश स्तर पर प्रौढ़ शिक्षा के राष्ट्रीय करिकुलम फ्रेमवर्क को अपनाने के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार होगा। यह फ्रेमवर्क नया भारत साक्षरता कार्यक्रम (प्रौढ़ शिक्षा के लिए) के तहत शिक्षण के पांच क्षेत्रों के परिणामों की रूपरेखा तैयार करेगा। ये हैं: (i) मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता, (ii) महत्वपूर्ण जीवन कौशल, (iii) व्यावसायिक कौशल (iv) बुनियादी शिक्षा, और (v) सतत शिक्षा।

  • राज्य साक्षरता केंद्र पाठ्यक्रम के अनुसार शिक्षकों और वॉलेंटियर्स के लिए प्रशिक्षण मैनुअल भी विकसित करेगा, और शिक्षण सामग्री और एक्टिविटी मॉड्यूल डिजाइन करेगा।

  • बजटीय सहायता: एससीएल की स्थापना और कार्यान्वयन के लिए बजट मुख्य रूप से राज्य/केंद्रशासित प्रदेश के प्रशासन द्वारा वहन किया जाएगा। यह एससीएल की गतिविधियों पर भी नजर रखेगा।

 

कोयला

Pratinav Damani (pratinav@prsindia.org)

कैबिनेट ने कोयला/लिग्नाइट गैसीकरण परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए योजना को मंजूरी दी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कोयला/लिग्नाइट गैसीकरण परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए एक योजना को मंजूरी दी।[27]  कोयले को गैस में परिवर्तित करने की प्रक्रिया को कोयला गैसीकरण कहा जाता है जिसका उपयोग बिजली पैदा करने जैसे विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। यह योजना तीन श्रेणियों के तहत गैसीकरण परियोजनाओं की स्थापना के लिए अनुदान प्रदान करेगी (तालिका 2)। योजना के तहत 8,500 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय का अनुमान है।

तालिका 2: कोयला/लिग्नाइट गैसीकरण को बढ़ावा देने की योजना के तहत मानदंड और लाभ

पात्र संस्थाएं/परियोजनाएं

मानदंड/लाभ

परिव्यय (करोड़ रुपए)

पीएसयू

  • 1,350 करोड़ रुपए या पूंजीगत व्यय का 15%, जो भी कम हो, का अनुदान
  • तीन परियोजनाओं को समर्थन दिया जाएगा

4,050

निजी कंपनियां और पीएसयू

  • 1,000 करोड़ रुपए का अनुदान या पूंजीगत व्यय का 15%, जो भी कम हो
  • प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से कम से कम एक परियोजना का चयन किया जाएगा 

3,850

प्रदर्शन परियोजनाएं या छोटे पैमाने के उत्पाद-आधारित गैसीकरण संयंत्र

  • 100 करोड़ रुपए या पूंजीगत व्यय का 15%, जो भी कम हो, का अनुदान
  • न्यूनतम 100 करोड़ रुपए का पूंजीगत व्यय आवश्यक है
  • सभी परियोजनाओं का चयन प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से किया जाएगा

600

स्रोत: "कोयला/लिग्नाइट गैसीकरण परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए कैबिनेट ने योजना को मंजूरी दी", प्रेस सूचना ब्यूरो, कोयला मंत्रालय 24 जनवरी, 2024; पीआरएस।

 

खनन

Tanvi Vipra (tanvi@prsindia.org)

एक्सप्लोरेशन लाइसेंस से संबंधित खनन नियमों में संशोधन अधिसूचित

खान मंत्रालय ने खनिज (नीलामी) नियम, 2015 में संशोधन अधिसूचित किए हैं।[28],[29]  नियम खान और खनिज (विकास और विनियमन) एक्ट, 1957 के तहत तैयार किए गए हैं।[30]  एक्ट भारत में खनन क्षेत्र को रेगुलेट करता है। 2015 के नियम खदानों की नीलामी की प्रक्रिया निर्धारित करते हैं। संशोधित नियमों की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं: 

  • अन्वेषण (एक्सप्लोरेशन) लाइसेंस की नीलामी: एक्ट की सातवीं अनुसूची में निर्दिष्ट खनिजों के लिए अन्वेषण लाइसेंस शुरू करने हेतु 1957 के एक्ट को 2023 में संशोधित किया गया था।[31]   इनमें लिथियम, कोबाल्ट, चांदी और सोना शामिल हैं। अन्वेषण लाइसेंस या तो टोही (रीकानसन्स) या पूर्वेक्षण (प्रॉस्पेक्टिंग), या दोनों गतिविधियों की अनुमति देता है। टोही से तात्पर्य खनिज संसाधनों को निर्धारित करने के लिए प्रारंभिक सर्वेक्षण से है। पूर्वेक्षण में खनिज भंडार की खोज, पता लगाना या साबित करना शामिल है।

  • अन्वेषण लाइसेंसी को उस नीलामी प्रीमियम का एक हिस्सा मिलेगा, जो खनन लीज़ के भावी लीज़ी ने उस क्षेत्र के लिए चुकाया हो, जिसका अन्वेषण उसने किया है। यह हिस्सा पूरे पचास वर्ष की अवधि के लिए या संसाधनों के समाप्त होने तक, जो भी पहले हो, देय होगा।

  • संशोधित नियमों में प्रावधान है कि राज्य सरकार अन्वेषण लाइसेंस के लिए नीलामी प्रक्रिया शुरू कर सकती है। अन्वेषण लाइसेंस प्राप्त करने का इच्छुक कोई भी व्यक्ति नीलामी के लिए किसी क्षेत्र को अधिसूचित करने हेतु राज्य सरकार को एक प्रस्ताव प्रस्तुत कर सकता है। उन्हें इस उद्देश्य के लिए उपलब्ध जियोसाइंस डेटा देना होगा।

  • नीलामी के मानदंड: अन्वेषण लाइसेंस की नीलामी के लिए राज्य सरकार एक अधिकतम कीमत निर्दिष्ट करेगी। अधिकतम कीमत को खनन पट्टे के भावी लीज़ी द्वारा देय नीलामी प्रीमियम में अधिकतम प्रतिशत हिस्सेदारी के रूप में व्यक्त किया जाएगा। बोलीदाता ऐसी कीमत उद्धृत करेंगे जो अधिकतम कीमत के बराबर या उससे कम होगी। न्यूनतम उद्धृत मूल्य वाली बोली को लाइसेंस प्रदान किया जाएगा।

  • प्रदर्शन सुरक्षा: लाइसेंसधारी को प्रदर्शन सुरक्षा प्रदान करना होगा। यह सुरक्षा निर्दिष्ट मामलों में विनियोजित की जा सकती है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) टोही या पूर्वेक्षण योजना का पालन न करना, (ii) संपूर्ण अन्वेषण डेटा का खुलासा न करना, (iii) अन्वेषण डेटा में विसंगति, और (iv) नियमों या लाइसेंस शर्तों का उल्लंघन।

 

ऊर्जा

Pratinav Damani (pratinav@prsindia.org)

कॉस्ट इफेक्टिव टैरिफ और ओपन एक्सेस शुल्क की सीमा तय करने के लिए नियमों में संशोधन 

ऊर्जा मंत्रालय ने बिजली नियम, 2005 में संशोधन अधिसूचित किए हैं।[32],[33]  नियम बिजली एक्ट, 2003 के तहत तैयार किए गए हैं। एक्ट बिजली क्षेत्र को रेगुलेट करता है।[34]  संशोधनों की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं: 

  • लागत पर विचार करके शुल्क निर्धारित किया जाए: संशोधित नियमों के अनुसार डिस्कॉम का शुल्क लागत प्रतिबंबित यानी कॉस्ट इफेक्टिव होना चाहिए। इसका मतलब यह है कि शुल्क को इस तरह निर्धारित किया जाना चाहिए कि वह दी गई अवधि में सभी लागतों की वसूली कर सके। संशोधित नियमों में यह भी प्रावधान है कि केवल प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में ही कम शुल्क को मंजूरी दी जा सकती है। यह अंतर अनुमानित वार्षिक राजस्व आवश्यकता के 3% से अधिक नहीं हो सकता है, जिसे तीन वर्षों के भीतर वसूल किया जाना चाहिए। किसी भी मौजूदा अंतर को समान वार्षिक किस्तों में सात वर्षों के भीतर वसूल किया जाना चाहिए।

  • ओपन एक्सेस के लिए अतिरिक्त अधिभार: 2005 के नियमों के तहत, ओपन एक्सेस उपयोगकर्ताओं पर अतिरिक्त अधिभार लगाया जा सकता है। ओपन एक्सेस वाले उपभोक्ता सीधे उत्पादक से बिजली खरीदते हैं और आपूर्ति प्राप्त करने के लिए ट्रांसमिशन और वितरण इकाइयों के नेटवर्क का उपयोग करते हैं। संशोधित नियम इस अधिभार को डिस्कॉम द्वारा भुगतान की गई बिजली की प्रति यूनिट निर्धारित लागत से कम रखते हैं। अधिभार को इस प्रकार कम किया जाना चाहिए कि यह एक्सेस देने के चार वर्षों के भीतर समाप्त हो जाए। अधिभार केवल तभी लगाया जाएगा, अगर ओपन एक्सेस उपभोक्ता डिस्कॉम के उपभोक्ता हैं या पहले उपभोक्ता रहे हैं।

  • राज्य नेटवर्क के इस्तेमाल पर शुल्क की सीमा: कुछ सामान्य नेटवर्क एक्सेस उपभोक्ता राज्य ट्रांसमिशन इकाई के नेटवर्क का उपयोग कर सकते हैं। संशोधित नियमों में कहा गया है कि अल्पकालिक या अस्थायी ओपन एक्सेस के लिए लगाया जाने वाला शुल्क दीर्घकालिक उपयोगकर्ताओं पर लगाए गए शुल्क के 110% से अधिक नहीं होना चाहिए। अस्थायी उपयोगकर्ता वे हैं जिनके पास 11 महीने से कम अवधि के लिए सामान्य नेटवर्क पहुंच है।

  • समर्पित ट्रांसमिशन लाइनों के लिए लाइसेंस हटाया गया: संशोधित नियमों में कहा गया है कि कुछ संस्थाओं को समर्पित ट्रांसमिशन लाइनें स्थापित करने और संचालित करने के लिए लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होगी। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) उत्पादन कंपनियां, (ii) कैप्टिव उत्पादन संयंत्र, और (iii) ऊर्जा भंडारण प्रणाली। समर्पित ट्रांसमिशन लाइनें उन बिजली आपूर्ति लाइनों को कहा जाता है जो कैप्टिव उत्पादन संयंत्रों या उत्पादन स्टेशनों को ट्रांसमिशन लाइनों, उप-स्टेशनों या उत्पादन स्टेशनों से जोड़ती हैं। अंतरराज्यीय ट्रांसमिशन के मामले में न्यूनतम 25 मेगावाट (MW) और इंट्रा-स्टेट ट्रांसमिशन के मामले में 10 MW वाले उपभोक्ताओं को भी इस लाइसेंस से छूट दी जाएगी।

 

नवीन एवं अक्षय ऊर्जा

Tanvi Vipra (tanvi@prsindia.org)

जनजातीय क्षेत्रों में गैर-बिजलीकृत घरों के लिए सौर ऊर्जा संबंधी दिशानिर्देश जारी 

नवीन और अक्षय ऊर्जा मंत्रालय ने प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम-जनमन) के तहत सौर ऊर्जा योजना को लागू करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं।[35],[36]  पीएम-जनमन को नवंबर 2023 में शुरू किया गया था और इसमें 18 राज्यों में विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूहों के लिए ऑफ-ग्रिड सौर ऊर्जा और सोलर स्ट्रीट लाइटिंग जैसी पहल शामिल हैं।[37]  ऑफ ग्रिड बिजली केवल तभी प्रदान की जा सकती है जब इसे मुख्य ग्रिड के माध्यम से प्रदान करना संभव न हो। योजना के इन घटकों का तीन वर्षों में 515 करोड़ रुपए का वित्तीय परिव्यय है। संबंधित क्षेत्रों में वितरण लाइसेंसधारी (डिस्कॉम) कार्यान्वयन एजेंसियां होंगी। दिशानिर्देशों की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  • व्यक्तिगत घरों का बिजलीकरण: निर्दिष्ट जनजातीय क्षेत्रों में जगह-जगह स्थित व्यक्तिगत घरों को ऑफ-ग्रिड सौर ऊर्जा सिस्टम प्रदान किया जाएगा। इसमें सौर पैनल और स्टोरेज के लिए बैटरी प्रणाली शामिल होगी। घरों को एलईडी बल्ब और पंखे जैसे उपकरण भी उपलब्ध कराए जाएंगे। केंद्र सरकार योजना के इस घटक को पूरी तरह से वित्तपोषित करेगी। डिस्कॉम को टेंडर देने के तीन महीने के भीतर सिस्टम को चालू करना होगा।

  • घरों के समूह के लिए मिनी-ग्रिड: जिन क्षेत्रों में घरों के समूह हैं, वहां एक व्यक्तिगत सिस्टम देने की बजाय एक मिनी-ग्रिड स्थापित किया जा सकता है। इस घटक के तहत उपकरण भी उपलब्ध कराए जाएंगे। घर मिनी-ग्रिड से बिजली लेने के पात्र होंगे, और ग्रिड को इस तरह डिज़ाइन किया जाना चाहिए कि इसे भविष्य में मुख्य ग्रिड से जोड़ा जा सके। इस घटक के लिए प्रति परिवार 50,000 रुपए तक का केंद्रीय हिस्सा प्रदान किया जाएगा।

  • बहुउद्देश्यीय केंद्रों का सौर्यीकरण: बहुउद्देश्यीय केंद्रों को ऑफ-ग्रिड सोलर के माध्यम से बिजलीकृत किया जाएगा। इस ग्रिड से बिजली का उपयोग स्ट्रीट लाइटिंग के लिए किया जा सकता है। इस घटक के तहत, केंद्र सरकार प्रति केंद्र एक लाख रुपए प्रदान करेगी। टेंडर देने के नौ महीने के भीतर डिस्कॉम को ग्रिड का संचालन करना होगा।

  • निरीक्षण और निगरानी: कार्यान्वयन एजेंसियां पहले दो वर्षों के लिए निरीक्षण करेंगी, जिसके बाद एक तीसरा पक्ष इसे अंजाम देगा। नवीन एवं अक्षय ऊर्जा मंत्रालय और जनजातीय कार्य मंत्रालय प्रदर्शन संकेतकों की निगरानी करेंगे जैसे कि ऑफ-ग्रिड बिजलीकृत घरों का प्रतिशत।

 

पृथ्वी विज्ञान

Tanvi Vipra (tanvi@prsindia.org) 

कैबिनेट ने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के लिए व्यापक योजना पृथ्वी को मंजूरी दी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक व्यापक योजना पृथ्वी विज्ञान (पृथ्वी) (PRITHvi Vigyan (PRITHVI)) को मंजूरी दे दी।[38]  इसमें पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत चल रही पांच उप-योजनाएं शामिल हैं। ये जलवायु अनुसंधान मॉडलिंग, ध्रुवीय विज्ञान, भूकंप विज्ञान, और शिक्षा एवं आउटरीच से संबंधित हैं। 

पृथ्वी योजना के निम्नलिखित लक्ष्य है: (i) वायुमंडल, महासागर और ठोस पृथ्वी के दीर्घकालिक अवलोकन को बढ़ाना और बरकरार रखना, (ii) मौसम और जलवायु के खतरों को समझने और भविष्यवाणी करने के लिए मॉडल सिस्टम विकसित करना, (iii) ध्रुवीय और उच्च समुद्र क्षेत्रों का पता लगाना, और (iv) समुद्री संसाधनों के सतत दोहन के लिए प्रौद्योगिकी विकसित करना। यह योजना 2021 से 2026 तक 4,797 करोड़ रुपए की कुल लागत से लागू की जानी है।

 

पर्यावरण

Tanvi Vipra (tanvi@prsindia.org) 

एंड-ऑफ-लाइफ वाहनों के प्रबंधन के लिए ड्राफ्ट नियम जारी

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने एंड-ऑफ-लाइफ वाहन (प्रबंधन) नियम, 2024 का ड्राफ्ट जारी किया है।[39]  ये नियम पर्यावरण (संरक्षण) एक्ट, 1986 के तहत तैयार किए गए हैं, और उपभोक्ताओं और वाहनों के निर्माताओं की जिम्मेदारियों को निर्दिष्ट करते हैं।[40]  एंड-ऑफ-लाइफ वाले वाहनों में वे वाहन शामिल हैं जो अब पंजीकृत नहीं हैं, परीक्षण स्टेशनों द्वारा अयोग्य घोषित कर दिए गए हैं, या जिनका पंजीकरण रद्द कर दिया गया है। ड्राफ्ट नियमों की मुख्य विशेषताओं में शामिल हैं:

  • निर्माताओं के लिए रीसाइकिलिंग के लक्ष्य: वाहनों के निर्माताओं को एंड-ऑफ-लाइफ वाहनों से स्टील की रीसाइकिलिंग के लिए निर्दिष्ट लक्ष्यों को पूरा करना होगा। नियम 2025-26 और 2039-40 के बीच की अवधि के लिए और 2039-40 से आगे की अवधि के लिए निजी और वाणिज्यिक वाहनों के लिए अलग-अलग लक्ष्य निर्दिष्ट करते हैं। निर्माता विस्तारित निर्माता उत्तरदायित्व (ईपीआर) प्रमाणपत्र खरीदकर इन लक्ष्यों को पूरा करेंगे। ईपीआर प्रमाणपत्र एंड-ऑफ-लाइफ वाहनों से निकलने वाले स्टील या स्टील स्क्रैप के वजन को इंगित करेगा। प्रमाणपत्र पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग केंद्रों द्वारा तैयार किया जाएगा और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रमाणित किया जाएगा। प्रमाणपत्र उपलब्ध न होने की स्थिति में कलेक्शन की जिम्मेदारी भी निर्माता की होगी।

  • वाहन के मालिकों की जिम्मेदारियां: एक बार जब किसी वाहन को एंड-ऑफ-लाइफ घोषित कर दिया जाता है, तो मालिकों को अपने वाहन को छह महीने से अधिक समय तक रखने की अनुमति नहीं होगी। उन्हें यह प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होगा कि उन्होंने अपना वाहन स्क्रैपिंग केंद्र में जमा कर दिया है।

  • थोक उपभोक्ताओं की जिम्मेदारियां: थोक उपभोक्ताओं का मतलब, उन लोगों से है जिनके पास 100 से अधिक वाहन हैं। ऐसे उपभोक्ता यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होंगे कि एंड-ऑफ-लाइफ वाहनों को पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग केंद्रों या नामित संग्रह केंद्रों पर जमा किया जाता है। उन्हें अपने फ्लीट के बारे में और जमा किए गए वाहनों के एंड-ऑफ-लाइफ के बारे में वार्षिक रिटर्न दाखिल करना होगा।

  • टेस्टिंग स्टेशनों की जिम्मेदारियां: अगर कोई वाहन ऑटोमेटेड फिटनेस टेस्ट में पास नहीं होता तो ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशनों को वाहन के एंड-ऑफ-लाइफ की घोषणा करनी चाहिए। स्टेशन टेस्ट किए गए वाहनों की संख्या का रिकॉर्ड रखेगा और डेटा को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रबंधित पोर्टल से लिंक करेंगे।   

30 मार्च, 2024 तक टिप्पणियां आमंत्रित हैं। 

 

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग

Tanvi Vipra (tanvi@prsindia.org) 

वाहनों की स्क्रैपिंग के नियमों में ड्राफ्ट संशोधन जारी

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने केंद्रीय मोटर वाहन (पंजीकरण और वाहन स्क्रैपिंग केंद्र के कार्य) नियम, 2021 में ड्राफ्ट संशोधन जारी किए हैं।[41],[42],[43]  नियम मोटर वाहन एक्ट, 1988 के तहत बनाए गए हैं।[44]  एक्ट मोटर वाहनों के पंजीकरण का प्रावधान करता है। नियमों में एंड-ऑफ-लाइफ वाहनों को स्क्रैप करने का प्रावधान है। ड्राफ्ट संशोधनों की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  • केंद्र स्थापित करने के लिए सहमति: 2021 के नियमों के तहत, वाहन स्क्रैपिंग केंद्र स्थापित करने के लिए राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सरकार के पंजीकरण प्राधिकारी से सहमति प्राप्त करनी होगी। इसके बजाय ड्राफ्ट संशोधन में प्रावधान है कि राज्य/केंद्रशासित प्रदेश का प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ऐसे किसी केंद्र को स्थापित करने के लिए मंजूरी देगा।

  • संचालन शुरू करने के लिए सहमति: 2021 के नियमों के तहत, स्क्रैपिंग केंद्र का संचालन शुरू करने के छह महीने के भीतर राज्य/केंद्र शासित प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से संचालन की सहमति प्राप्त करनी होगी। ड्राफ्ट संशोधन में प्रावधान है कि स्क्रैपिंग केंद्र को काम शुरू करने से कम से कम 60 दिन पहले सहमति प्राप्त करनी होगी या आवेदन करना होगा।

  • पंजीकरण का हस्तांतरण: 2021 के नियमों के तहत, स्क्रैपिंग केंद्रों का पंजीकरण गैर-हस्तांतरणीय है। ड्राफ्ट संशोधन पंजीकरण के ऐसे हस्तांतरण की अनुमति देता है।

  • वाहन जमा करने का प्रमाणपत्र: स्क्रैपिंग केंद्र वाहन मालिक को वाहन जमा करने का प्रमाणपत्र जारी करता है। प्रमाणपत्र वाहन के स्वामित्व के हस्तांतरण को मान्यता देता है। अगर लोग नया वाहन खरीदते हैं तो इनसेंटिव और लाभ प्राप्त करने के लिए ये प्रमाणपत्र अनिवार्य रूप से होने चाहिए। प्रमाणपत्र इलेक्ट्रॉनिक रूप से व्यापार योग्य है। ड्राफ्ट संशोधन प्रमाणपत्र की वैधता को दो साल से बढ़ाकर तीन साल करते हैं। सरकारी स्वामित्व वाले वाहनों या जब्त किए गए वाहनों को जारी किए गए प्रमाणपत्रों पर कोई इनसेंटिव नहीं मिलेगा। ऐसे प्रमाणपत्र इलेक्ट्रॉनिक रूप से व्यापार योग्य नहीं होंगे।

17 फरवरी, 2024 तक टिप्पणियां आमंत्रित हैं। 

 

[1] Bulletin II, Lok Sabha, January 12, 2024, https://sansad.in/getFile/bull2mk/2024/12-01-2024.pdf?source=loksabhadocs. 

[2] Press note on First Advance Estimates of National Income 2023-24, national Statistical Office, Ministry of Statistics and Programme Implementation, January 5, 2024, https://www.mospi.gov.in/sites/default/files/press_release/PressNoteFAE2023-24N.pdf. 

[3] “India’s Retail Inflation 5.69 per cent in December 2023”, Press Information Bureau, Ministry of Statistics and Programme Implementation, January 12, 2024, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1995548.  

[4] “Index Numbers of Wholesale Price in India for the Month of December, 2023 (Base Year: 2011-12)”, Press Information Bureau, Ministry of Commerce and Industry, January 12, 2024, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1996177. 

[5] “Government allows direct listing of securities by public Indian companies on International Exchanges of GIFT IFSC”, Press Information Bureau, Ministry of Finance, January 24, 2024, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1999154. 

[6] S.O. 332(E), Department of Economic Affairs, Ministry of Finance, January 24, 2024, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2024/251577.pdf  .

[7] Foreign Exchange Management (Non-Debt Instruments) Rules, 2019, https://incometaxindia.gov.in/Documents/Provisions%20for%20NR/FEM-Non-debt-Instruments-Rules-2019.htm. 

[8] “Department of Revenue, Ministry of Finance, invites suggestions on draft ‘Indian Stamp Bill, 2023’ from public within a period of 30 days”, Ministry of Finance, Press Information Bureau, January 17, 2024, https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1997072. 

[9] The Draft Indian Stamp Bill, 2023, https://dor.gov.in/sites/default/files/stamp%20duty%202023.pdf. 

[10] The Indian Stamp Act, 1899, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/13205/1/the_indian_stamp_act%2C_1899.pdf. 

[11] Risk Management and Inter-Bank Dealings – Hedging of foreign exchange risk, Reserve Bank of India, January 5, 2024, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/notification/PDFs/RISKMANAGEMENTCD64F5FE4F7446568C18FF2185ED06ED.PDF. 

[12] Report of the Working Group on State Government Guarantees, Reserve Bank of India, September 2023, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs//PublicationReport/Pdfs/RWGSGG28666DF11C154643BF7FBC5B41C920C9.PDF. 

[13] Draft Framework for Self-Regulatory Organisation(s) in the FinTech Sector, Reserve Bank of India, January 15, 2024, https://rbi.org.in/Scripts/PublicationReportDetails.aspx?UrlPage=&ID=1260. 

[14] Draft Framework for recognising Self-Regulatory Organisations for FinTech Sector, Reserve Bank of India, January 15, 2024, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/PressRelease/PDFs/PR1677FINTECHSECTOR1CF1796B97BB42199458823BC1D4D0FF.PDF. 

[15] Review of regulatory framework for HFCs and harmonisation of regulations applicable to HFCs and NBFCs, Reserve Bank of India, January 15, 2024, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/Content/PDFs/DRAFTCIRCULARHFCSCDE781CE1A854DFEA533F0BF1A803B14.PDF. 

[16] RBI releases draft circular on ‘Review of regulatory framework for Housing Finance Companies (HFCs) and harmonisation of regulations applicable to HFCs and Non-Banking Finance Companies (NBFCs)’, Reserve Bank of India, January 15, 2024, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/PressRelease/PDFs/PR1678DRAFTHFCS173670235ED04B61BEE0010D58CEA013.PDF. 

[17] Consultation Paper on the Interim Recommendations of the Expert Committee for facilitating ease of doing business and harmonising the provisions of ICDR and LODR Regulations, SEBI, January 11, 2024, https://www.sebi.gov.in/reports-and-statistics/reports/jan-2024/consultation-paper-on-interim-recommendations-of-the-expert-committee-for-facilitating-ease-of-doing-business-and-harmonization-of-the-provisions-of-icdr-and-lodr-regulations_80585.html.

[18] Interim Recommendations of the Expert Committee for facilitating ease of doing business and harmonization of the provisions of ICDR and LODR Regulations, SEBI, January 11, 2024, https://www.sebi.gov.in/sebi_data/commondocs/jan-2024/Interim_Recommendations_of_the_Expert_Committee_p.pdf.

[19] SEBI (Listing Obligations and Disclosure Requirements) Regulations, 2015, SEBI, https://www.sebi.gov.in/legal/regulations/dec-2023/securities-and-exchange-board-of-india-listing-obligations-and-disclosure-requirements-regulations-2015-last-amended-on-december-21-2023-_80422.html.

[20] SEBI (Issue of Capital and Disclosure Requirements) Regulations, 2018, SEBI, https://www.sebi.gov.in/legal/regulations/dec-2023/securities-and-exchange-board-of-india-issue-of-capital-and-disclosure-requirements-regulations-2018-last-amended-on-december-21-2023-_80421.html.

[21] Consultation Paper on providing flexibility to Alternative Investment Funds (AIFs), Venture Capital Funds (VCFs) and their investors to deal with unliquidated investments of their schemes beyond expiry of tenure, SEBI, January 12, 2024, https://www.sebi.gov.in/reports-and-statistics/reports/jan-2024/consultation-paper-on-providing-flexibility-to-alternative-investment-funds-aifs-venture-capital-funds-vcfs-and-their-investors-to-deal-with-unliquidated-investments-of-their-schemes-beyond-expir-_80612.html.

[22] Frequently Asked Questions, SEBI (Alternative Investment Funds) Regulations, 2012, January 2017, https://www.sebi.gov.in/sebi_data/faqfiles/jan-2017/1485861425527.pdf.

[23] SEBI (Alternative Investment Funds) Regulations, 2012, https://www.sebi.gov.in/legal/regulations/jan-2024/securities-and-exchange-board-of-india-alternative-investment-funds-regulations-2012-last-amended-on-january-05-2024-_80600.html.

[24] SEBI (Venture Capital Funds) Regulations, 1996, https://www.sebi.gov.in/sebi_data/commondocs/vcfnew_p.pdf.

[25] ‘Guidelines for the Regulation of Coaching Centres’, Ministry of Education, January 18, 2024, https://www.education.gov.in/sites/upload_files/mhrd/files/Guideliens_Coaching_Centres_en_0.pdf 

[26] Guidelines on State Centre for Literacy in State Council for Education Literacy and Training’, Ministry of Education, https://dsel.education.gov.in/sites/default/files/update/scl_guidelines_ullas.pdf 

[27] Cabinet approves the scheme for promotion of Coal/Lignite Gasification Projects of Government PSUs and Private Sector towards incentive for coal gasification projects under three categories, Press Information Bureau, January 24, 2024, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1999219.

[28] G.S.R. 49(E), The Mineral (Auction) Amendment Rules, 2024, The Gazette of India, Ministry of Mines, January 21, 2024, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2024/251547.pdf.

[29] The Mineral (Auction) Rules, 2015 as amended up to November 2, 2021, Indian Bureau of Mines, https://ibm.gov.in/writereaddata/files/11222021124835Mineral_Auction_Rules_2015%20updated%20upto%2002112021.pdf.

[30] The Mines and Minerals (Development and Regulation) Act, 1957, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/1421/3/A1957-67.pdf. 

[31] The Mines and Minerals (Development And Regulation) Amendment Act, 2023, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2023/Mines_and_Minerals_(Development_and_Regulation)_Amendment_Act,_2023.pdf. 

[32] Electricity (Amendment) Rules, 2024, Ministry of Power, January 10, 2024, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2024/251281.pdf.

[33] Electricity (Second Amendment) Rules, 2024, Ministry of Power, January 17, 2024, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2024/251408.pdf.

[34] The Electricity Act, 2003, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/2058/1/A2003-36.pdf.

[35] Implementation Guidelines for New Solar Power Scheme (for PVTG Habitations/ Villages) under PM JANMAN, Ministry of New and Renewable Energy, January 4, 2024, https://cdnbbsr.s3waas.gov.in/s3716e1b8c6cd17b771da77391355749f3/uploads/2024/01/2024010413610627.pdf. 

[36] Pradhan Mantri Janjati Adivasi Nyaya Maha Abhiyan, Ministry of Tribal Affairs, https://adiprasaran.tribal.gov.in/pm-janman/man.aspx. 

[37] ‘Cabinet approves Pradhan Mantri Janjati Adivasi Nyaya Maha Abhiyan’, Press Information Bureau, Ministry of Tribal Affairs, November 29, 2023, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1980692. 

[38] “Cabinet approves overarching scheme “PRITHvi VIgyan (PRITHVI)” of the Ministry of Earth Sciences”, Ministry of Earth Sciences, Press Information Bureau, January 5, 2024, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1993366. 

[39] CG-DL-E-31012024-251663, Draft End of Life Vehicles (Management) Rules, 2024, Ministry of Environment, Forest and Climate Change, https://egazette.gov.in/(S(k52ulazql1jyqbckmhzag52o))/ViewPDF.aspx. 

[40] The Environment Protection Act, 1986, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/6196/1/the_environment_protection_act%2C1986.pdf. 

[41] CG-DL-E-23012024-251569, Draft Central Motor Vehicles (Registration and Functions of Vehicle Scrapping Facility) Amendment Rules, 2024, Ministry of Road Transport and Highways, January 19, 2024, 

https://egazette.gov.in/WriteReadData/2024/251569.pdf.  

[42] CG-DL-E-24092021-229931, Motor Vehicles (Registration and Functions of Vehicle Scrapping Facility) Rules, 2021, Ministry of Road Transport and Highways, September 23, 2021, https://morth.nic.in/sites/default/files/notifications_document/GSR%20653.pdf. 

[43] CG-DL-E-16092022-238867, Motor Vehicles (Registration and Functions of Vehicle Scrapping Facility) Amendment Rules, 2022, Ministry of Road Transport and Highways, September 13, 2022, https://morth.nic.in/sites/default/files/circulars_document/GSR%20695(E)%20RVSF%20amendment%20rules%20dated%2013%2009%202022.pdf. 

[44] The Motor Vehicles Act, 1988, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/9460/1/a1988-59.pdf.

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