
इस अंक की झलकियां
संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू
संसद का बजट सत्र 31 जनवरी को शुरू हुआ। सत्र में 27 दिन बैठक होगी और यह 4 अप्रैल, 2025 को समाप्त होगा।
राष्ट्रपति ने संसद की संयुक्त बैठक को संबोधित किया
संबोधन में सरकार की नीतिगत उपलब्धियों और उद्देश्यों का जिक्र है जिसमें गवर्नेंस, कृषि, स्वास्थ्य आदि क्षेत्र शामिल हैं।
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 जारी
सर्वेक्षण में 2025-26 में 6.3%-6.8% की वास्तविक जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया गया है जिसे निरंतर निवेश, उपभोक्ता विश्वास में सुधार, ग्रामीण मांग और कॉरपोरेट वेतन में बढ़ोतरी से मदद मिलने की उम्मीद है।
2024-25 में जीडीपी 6.4% बढ़ने का अनुमान
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी पहले अग्रिम अनुमानों के अनुसार, 2024-25 में (स्थिर कीमतों पर) भारत की जीडीपी 6.4% बढ़ने का अनुमान है।
कैबिनेट ने केंद्रीय कर्मचारियों के लिए आठवें वेतन आयोग को मंजूरी दी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए आठवें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दी है। सातवें वेतन आयोग के सुझावों का कार्यकाल 2026 में समाप्त होगा।
यूजीसी ने एचईआई में फैकेल्टी और वीसी की नियुक्ति के लिए ड्राफ्ट रेगुलेशन जारी किए
ड्राफ्ट रेगुलेशंस में उद्योग जगत के प्रतिनिधि को वीसी नियुक्त करने की अनुमति दी गई है। वे इस बात की भी अनुमति देते हैं कि इंजीनियरिंग में मास्टर्स डिग्री वाले व्यक्ति को भी सहायक प्रोफेसर बनाया जा सकता है।
सर्वोच्च न्यायालय ने पीजी मेडिकल पाठ्यक्रमों में डोमिसाइल आरक्षण को रद्द किया
फैसले में कहा गया है कि डोमिसाइल-आधारित आरक्षण कानून के समक्ष समानता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। उसमें कहा गया है कि पीजी मेडिकल प्रवेश योग्यता के आधार पर होना चाहिए।
जेपीसी ने वक्फ (संशोधन) बिल, 2024 पर अपनी रिपोर्ट सौंपी
निम्न परिवर्तनों का सुझाव है: (i) उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ का निर्माण भावी रूप से अमान्य, और (ii) सरकारी संपत्ति की पहचान के लिए जिम्मेदार कलेक्टर के स्थान पर राज्य सरकार द्वारा चुने गए किसी अन्य अधिकारी की नियुक्ति।
मंत्रालय ने ड्राफ्ट डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन नियम, 2025 पर टिप्पणियां आमंत्रित कीं
डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023 सरकारी अथॉरिटी को नियम बनाने का अधिकार देता है। नियमों में डेटा फिड्यूशरी की बाध्यताओं, सहमति प्रबंधन और उल्लंघन की सूचना से संबंधित प्रावधान हैं।
सुशासन के लिए आधार प्रमाणीकरण नियम, 2020 में संशोधन
आधार प्रमाणीकरण का उपयोग निवासियों के जीवन को आसान बनाने और सेवाओं तक बेहतर पहुंच के उद्देश्य से भी किया जा सकता है। गैर-सरकारी संस्थाएं भी निर्दिष्ट उद्देश्यों के लिए आधार प्रमाणीकरण का उपयोग कर सकती हैं।
संसद
संसद का बजट सत्र प्रारंभ
Atri Prasad Rout (atri@prsindia.org)
संसद का बजट सत्र 31 जनवरी, 2025 को शुरू हुआ।[1] सत्र में दो चरणों में 27 दिन बैठकें होंगी। पहला चरण 31 जनवरी, 2025 से 13 फरवरी, 2025 तक आयोजित किया जाएगा। उसके बाद अवकाश होगा। दूसरा चरण 10 मार्च, 2025 से 4 अप्रैल, 2025 तक आयोजित किया जाएगा।
राष्ट्रपति ने 31 जनवरी, 2025 को संसद के दोनों सदनों को संबोधित किया। उसी दिन आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 भी पेश किया गया। केंद्रीय बजट 2025-26 1 फरवरी 2025 को पेश किया जाएगा।
राष्ट्रपति ने संसद की संयुक्त बैठक को संबोधित किया
Vaishali Dhariwal (vaishali@prsindia.org)
भारत की राष्ट्रपति सुश्री द्रौपदी मुर्मू ने संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित किया।[2] उन्होंने अपने संबोधन में सरकार की प्रमुख नीतिगत उपलब्धियों और उद्देश्यों को स्पष्ट किया। संबोधन के मुख्य अंश इस प्रकार हैं:
गवर्नेंस: सरकार ने 1,500 से अधिक अप्रचलित कानूनों को निरस्त कर दिया है। 40,000 से अधिक रेगुलेशंस को सरल या कम किया गया है और 3,500 प्रावधानों को अपराधमुक्त किया गया है। पिछले दो वर्षों में सरकार ने 10 लाख स्थायी सरकारी नौकरियां दी हैं। आठवें वेतन आयोग का गठन हो चुका है। इससे आने वाले वर्षों में सरकारी कर्मचारियों के वेतन में काफी वृद्धि होगी।
कृषि: पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत हाल के महीनों में करोड़ों किसानों को 41,000 करोड़ रुपए वितरित किए गए हैं। खरीफ और रबी फसलों के लिए एमएसपी में वृद्धि हुई है। पिछले एक दशक में चावल, गेहूं, दालें, तिलहन और मोटे अनाज की खरीद तीन गुना हो गई है। 2023-24 में भारत ने 332 मिलियन टन खाद्यान्नों का रिकॉर्ड उत्पादन हासिल किया है। भारत अब दूध, दालों और मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक है।
स्वास्थ्य: मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में सुधार हुआ है। टीबी के मामले कम हुए हैं। आयुष्मान भारत के तहत 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के छह करोड़ वरिष्ठ नागरिकों को सालाना पांच लाख रुपए का स्वास्थ्य बीमा कवर मिलेगा। जन औषधि केंद्र 80% रियायती दरों पर दवाएं प्रदान करते हैं जिससे 30,000 करोड़ रुपए से अधिक की बचत हुई है। अगले पांच वर्षों में मेडिकल कॉलेजों में 75,000 नई सीटें बनाई जाएंगी।
राष्ट्रपति के अभिभाषण के सारांश के लिए यहां देखें। राष्ट्रपति के पिछले वर्ष के संबोधन की घोषणाओं की प्रगति पर नोट के लिए यहां देखें।
अर्थव्यवस्था
Shrusti Singh (shrusti@prsindia.org)
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 संसद में पेश
वित्त मंत्री सुश्री निर्मला सीतारमण ने 31 जनवरी, 2025 को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 पेश किया।[3] सर्वेक्षण के मुख्य अंश इस प्रकार हैं:
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी): आर्थिक सर्वेक्षण में 2025-26 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.3% से 6.8% के बीच रहने का अनुमान लगाया गया है। 2024-25 में भारत की वास्तविक जीडीपी 6.4% बढ़ने का अनुमान है। 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए भारत को कम से कम एक दशक तक हर वर्ष लगभग 8% की निरंतर आर्थिक वृद्धि की आवश्यकता होगी। सतत निवेश, उपभोक्ता विश्वास में सुधार और कॉरपोरेट वेतन में बढ़ोतरी विकास को मदद देने के लिए महत्वपूर्ण होगी। ग्रामीण मांग और खाद्य मुद्रास्फीति में अनुमानित कमी से निकट अवधि में विकास को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। विकास के जोखिमों में कमोडिटीज़ की कीमतों में संभावित उतार-चढ़ाव और व्यापार एवं भूराजनैतिक अनिश्चतताओं का बढ़ना शामिल है।
मुद्रास्फीति: खुदरा मुद्रास्फीति 2023-24 में 5.4% से घटकर 2024-25 (अप्रैल-दिसंबर) में 4.9% हो गई। यह इनपुट की कीमतों में कमी के कारण है। खाद्य मुद्रास्फीति 2023-24 में 7.5% से बढ़कर 2024-25 (अप्रैल-दिसंबर) में 8.4% हो गई, जो मुख्य रूप से सब्जियों और दालों जैसी वस्तुओं के कारण थी। इसका कारण आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और कुछ खाद्य पदार्थों की कम पैदावार को माना जा सकता है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि आयातित वस्तुओं की गिरती कीमतें भारत की घरेलू मुद्रास्फीति के लिए अनुकूल हैं।
कृषि एवं संबंधित गतिविधियां: कृषि क्षेत्र ने 2016-17 और 2022-23 के बीच 5% की वार्षिक औसत वृद्धि दर दर्ज की है। 2024-25 की दूसरी तिमाही में क्षेत्र 3.5% की दर से बढ़ा। इस क्षेत्र में सतत विकास को लाभकारी कीमतों, संस्थागत ऋण तक बेहतर पहुंच, उत्पादकता में वृद्धि और फसल विविधीकरण द्वारा मदद मिली है। पिछले एक दशक में कृषि आय में सालाना 5.2% की वृद्धि, जबकि गैर-कृषि आय में 6.2% की वृद्धि हुई है।
डीरेगुलेशन: सर्वेक्षण में कहा गया है कि एमएसएमईज़ के लिए बड़े उद्यमों के मुकाबले डीरेगुलेशन ज्यादा महत्वपूर्ण है, क्योंकि बड़े उद्यम आम तौर पर अनुपालन से निपटना जानते हैं। रेगुलेशंस समय के साथ व्यवसायों को शुरू करने और बढ़ने की क्षमता को नुकसान पहुंचाते हैं और परिचालन निर्णयों की लागत में वृद्धि करते हैं। तेज़ आर्थिक विकास के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को ऐसे सुधारों को लागू करना होगा, जिनकी मदद से छोटे और मध्यम उद्यम कुशलतापूर्वक काम कर सकें। डीरेगुलेशंस वाले क्षेत्रों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) भूमि, (ii) श्रम, (iii) परिवहन, और (iv) लॉजिस्टिक्स।
सर्वेक्षण के सारांश के लिए कृपया यहां देखें।
मैक्रोइकोनॉमिक विकास
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
2024-25 में भारत की जीडीपी 6.4% बढ़ने का अनुमान
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार, 2024-25 में (स्थिर कीमतों पर) भारत की जीडीपी 6.4% बढ़ने का अनुमान है।[4] 2024-25 में जीडीपी वृद्धि 2023-24 (8.2%) से कम रहने का अनुमान है।
रेखाचित्र 1: वार्षिक जीडीपी वृद्धि दर (2011-12 की स्थिर कीमतों पर)
स्रोत: एमओएसपीआई; पीआरएस।
सभी क्षेत्रों में जीडीपी को सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) के संदर्भ में मापा जाता है। 2024-25 में सार्वजनिक सेवाओं में सबसे अधिक वृद्धि (9.1%) दर्ज करने का अनुमान है, इसके बाद निर्माण (8.6%), और वित्तीय सेवाओं (7.3%) का स्थान आएगा।
तालिका 1: वार्षिक क्षेत्रीय वृद्धि (2011-12 की स्थिर कीमतों पर)
क्षेत्र |
2022-23 |
2023-24 |
2024-25 |
कृषि |
4.7% |
1.4% |
3.8% |
खनन |
1.9% |
7.1% |
2.9% |
मैन्यूफैक्चरिंग |
-2.2% |
9.9% |
5.3% |
बिजली |
9.4% |
7.5% |
6.8% |
निर्माण |
9.4% |
9.9% |
8.6% |
व्यापार |
12.0% |
6.4% |
5.8% |
वित्तीय सेवाएं |
9.1% |
8.4% |
7.3% |
सार्वजनिक सेवाएं |
8.9% |
7.8% |
9.1% |
जीवीए |
6.7% |
7.2% |
6.4% |
जीडीपी |
7.0% |
8.2% |
6.4% |
स्रोत: एमओएसपीआई; पीआरएस।
कैबिनेट ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए आठवें केंद्रीय वेतन आयोग को मंजूरी दे दी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए आठवें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है।[5],[6] सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों का कार्यकाल 2026 में समाप्त होगा।
2024-25 की तीसरी तिमाही में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति 5.6%
2024-25 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति 5.6% थी।[7] यह पिछले वर्ष की इसी तिमाही में 5.4% और 2024-25 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में 4.2% की सीपीआई मुद्रास्फीति से थोड़ा अधिक था।
2024-25 की तीसरी तिमाही में खाद्य मुद्रास्फीति औसतन 9.4% थी जो 2023-24 की इसी तिमाही के 8.3% से अधिक थी। 2024-25 की दूसरी तिमाही में खाद्य मुद्रास्फीति 6.8% थी।
2024-25 की तीसरी तिमाही में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) मुद्रास्फीति 2.3% थी।[8] यह 2023-24 की इसी तिमाही में 0.3% और 2024-25 की दूसरी तिमाही में 1.8% की डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति से अधिक थी।
रेखाचित्र 2: 2024-25 की तीसरी तिमाही में मासिक मुद्रास्फीति (% परिवर्तन, वर्ष-दर-वर्ष)
स्रोत: एमओएसपीआई; वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय; पीआरएस।
वित्त
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
सोशल स्टॉक एक्सचेंज पर परामर्श पत्र जारी
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सोशल स्टॉक एक्सचेंज के फ्रेमवर्क की समीक्षा पर एक परामर्श पत्र जारी किया है।[9] सोशल स्टॉक एक्सचेंज के जरिए गैर लाभकारी और लाभकारी सामाजिक उद्यम धन जुटा सकते हैं। प्रमुख प्रस्तावों में निम्न शामिल हैं:
गैर लाभकारी संगठन: वर्तमान में गैर लाभकारी संगठनों (एनपीओ) को निम्नलिखित के तहत पंजीकृत धर्मार्थ ट्रस्ट/सोसायटी/कंपनियों को शामिल करने के लिए परिभाषित किया गया है: (i) भारतीय ट्रस्ट एक्ट, 1882, (ii) संबंधित राज्य का सार्वजनिक ट्रस्ट कानून, (iii) सोसायटी पंजीकरण एक्ट, 1860, या (iv) कंपनी एक्ट, 2013। सेबी ने कहा कि एनपीओ के पास उपरिलिखित कानूनों के अलावा विभिन्न कानूनी संरचनाएं भी हैं। उसने स्वीकृत कानूनी संरचनाओं की सूची को विस्तार देने का प्रस्ताव रखा ताकि निम्नलिखित को शामिल किया जा सके: (i) भारतीय पंजीकरण एक्ट, 1908 के तहत ट्रस्ट, (ii) राज्यों में सोसायटी पंजीकरण कानून के तहत धर्मार्थ सोसायटी, और (iii) कंपनी एक्ट के तहत पंजीकृत कंपनियां, 1956 (जिसे कंपनी एक्ट, 2013 के तहत पुनः पंजीकृत करने की आवश्यकता नहीं है)।
सामाजिक उद्यम: कुछ गतिविधियां करने वाले उद्यमों को सामाजिक उद्यमों के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) भूख और गरीबी उन्मूलन, (ii) शिक्षा को बढ़ावा देना, (iii) पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करना, और (iv) राष्ट्रीय विरासत की रक्षा करना। पात्र गतिविधियों की सूची में विस्तार का प्रस्ताव है ताकि निम्न को शामिल किया जा सके: (i) वंचित बच्चों का कल्याण, (ii) व्यावसायिक कौशल, और (iii) विज्ञान, प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग में अनुसंधान और विकास परियोजनाएं।
पंजीकरण: वर्तमान फ्रेमवर्क गैर लाभकारी संगठनों को सोशल स्टॉक एक्सचेंज के साथ पंजीकरण करने की अनुमति देता है, भले ही वे इसके माध्यम से धन न जुटाते हों। सेबी ने कहा कि कई संगठन धन जुटाए बिना या अपने पंजीकरण को रीन्यू किए बिना एक्सचेंज के साथ पंजीकरण करते हैं। सेबी ने गैर लाभकारी संगठनों को धन जुटाए बिना दो वर्ष (या सेबी द्वारा निर्दिष्ट अवधि) के लिए सोशल स्टॉक एक्सचेंज के साथ पंजीकरण करने की अनुमति देने का प्रस्ताव दिया है।
10 फरवरी, 2025 तक टिप्पणियां आमंत्रित हैं।
सेबी ने म्यूचुअल फंड में छोटे निवेश पर परामर्श पत्र जारी किया
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने म्यूचुअल फंड योजनाओं में निवेश के ‘सैचेटाइजेशन’ के जरिए वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने पर एक परामर्श पत्र जारी किया है।[10] म्यूचुअल फंड कई निवेशकों से पैसा इकट्ठा करते हैं और इक्विटी, डेट इंस्ट्रूमेंट और कमोडिटी में निवेश करते हैं। कम आय वाले समूहों तक म्यूचुअल फंड की पहुंच बढ़ाने के लिए सेबी ने म्यूचुअल फंड में समय-समय पर 250 रुपए के निवेश की अनुमति देने का प्रस्ताव दिया है। सेबी ने कहा कि उद्योग प्रतिभागी ऐसे लेनदेन को प्रोसेस करने में होने वाली लागत पर रियायती दरों की पेशकश करने के लिए सहमत हुए हैं। प्रस्तावित फ्रेमवर्क के तहत, बिचौलियों द्वारा दी जाने वाली रियायती दरें एक निवेशक के लिए 250 रुपए की तीन निवेश योजनाओं तक सीमित होंगी।
6 फरवरी, 2025 तक टिप्पणियां आमंत्रित हैं।
वित्त मंत्रालय ने एमएसएमई के लिए क्रेडिट गारंटी योजना को मंजूरी दी
वित्त मंत्रालय ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए पारस्परिक ऋण गारंटी योजना को मंजूरी दी है।[11] योजना के तहत, नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड कुछ वित्तीय संस्थानों द्वारा एमएसएमई को दिए गए 60% ऋण की गारंटी देगी। इनमें अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान शामिल हैं। एमएसएमई को उपकरण/मशीनरी खरीदने के लिए 100 करोड़ रुपए तक के लोन पर गारंटी मिलेगी।
50 करोड़ रुपए तक के ऋण के लिए, पुनर्भुगतान अवधि आठ वर्ष तक होगी और मूलधन पुनर्भुगतान पर दो वर्ष तक का मोराटोरियम मिलेगा। 50 करोड़ रुपए से अधिक के ऋणों में लंबी पुनर्भुगतान अवधि और मोराटोरियम मिल सकता है। यह योजना दिशानिर्देशों की अधिसूचना से चार वर्ष तक या सात लाख करोड़ रुपए की कुल गारंटी जारी होने तक, जो भी पहले हो, प्रदान किए गए ऋण को कवर करेगी।
शिक्षा
यूजीसी ने एचईआई में फैकेल्टी और वीसी की नियुक्ति के लिए ड्राफ्ट नियम जारी किए
Rutvik Upadhyaya (rutvik@prsindia.org)
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने "ड्राफ्ट यूजीसी (विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों और शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति और पदोन्नति के लिए न्यूनतम योग्यता और उच्च शिक्षा में मानकों को बरकरार रखने के उपाय), रेगुलेशन, 2025" जारी किए हैं।[12] ये उच्च शैक्षणिक संस्थानों (एचईआई) में फैकेल्टी और कुलपतियों (वीसी) की नियुक्ति के लिए पात्रता मानदंड प्रदान करते हैं। ड्राफ्ट इस विषय पर 2018 के रेगुलेशंस का स्थान लेने का प्रयास करते हैं।[13] इसकी मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
वीसी की नियुक्ति: कुलपति किसी विश्वविद्यालय का मुख्य कार्यकारी और शैक्षणिक प्रमुख होता है।[14] मौजूदा रेगुलेशंस के अनुसार, वीसी को कम से कम निम्नलिखित पदों पर 10 वर्ष के अनुभव वाले व्यक्तियों में से नियुक्त किया जाना चाहिए: (i) प्रोफेसर के रूप में, या (ii) किसी प्रतिष्ठित अनुसंधान या अकादमिक प्रशासनिक संगठनों के वरिष्ठ पद पर। ड्राफ्ट रेगुलेशंस में कहा गया है कि उन्हें उद्योग, या सार्वजनिक नीति या प्रशासन में वरिष्ठ स्तर पर अकादमिक या विद्वतापूर्ण योगदान के सिद्ध रिकॉर्ड के साथ कम से कम 10 वर्षों का अनुभव रखने वाले व्यक्तियों में से भी नियुक्त किया जा सकता है।
मौजूदा रेगुलेशंस के तहत, वीसी की नियुक्ति तीन से पांच सदस्यीय सर्च कमिटी द्वारा तैयार किए गए नामों के पैनल से की जाएगी। यह नियुक्ति विश्वविद्यालय के विजिटर या चांसलर करेंगे। सर्च कमिटी किसी भी तरह से उस विश्वविद्यालय से जुड़ी नहीं होनी चाहिए। कमिटी का एक सदस्य यूजीसी अध्यक्ष द्वारा नामित होना चाहिए। ड्राफ्ट रेगुलेशंस में प्रावधान है कि इस कमिटी का गठन विश्वविद्यालय के चांसलर/विजिटर द्वारा किया जाएगा। इसमें निम्नलिखित में से प्रत्येक का एक नामांकित व्यक्ति शामिल होगा: (i) विजिटर/चांसलर, (ii) यूजीसी अध्यक्ष, और (iii) विश्वविद्यालय का शीर्ष निकाय। कुछ राज्यों में किसी राज्य विश्वविद्यालय का चांसलर उस राज्य का राज्यपाल होता है।[15] भारत के राष्ट्रपति प्रत्येक केंद्रीय विश्वविद्यालय में कुलाधिपति की नियुक्ति करते हैं।[16]
सहायक प्रोफेसरों की भर्ती: 2018 के रेगुलेशंस के तहत, एचईआई में सीधे भर्ती किए गए सहायक प्रोफेसरों के पास: (i) मास्टर डिग्री होनी चाहिए और उन्हें राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) उत्तीर्ण करनी चाहिए, या (ii) पीएच.डी. होना चाहिए। ड्राफ्ट केवल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री वाले व्यक्तियों को सीधे सहायक प्रोफेसर के रूप में भर्ती करने की अनुमति देता है।
कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर भर्ती: मौजूदा रेगुलेशंस कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर फैकेल्टी की भर्ती की अनुमति देते हैं। हालांकि किसी एचईआई में कॉन्ट्रैक्ट फैकेल्टी कुल फैकेल्टी पदों के 10% से अधिक नहीं होना चाहिए। ड्राफ्ट रेगुलेशंस इस सीमा को हटाते हैं। इसके तहत यह प्रावधान है कि ऐसी फैकेल्टी की कॉन्ट्रैक्ट अवधि छह महीने से अधिक नहीं होनी चाहिए।
टिप्पणियां 5 फरवरी, 2025 तक आमंत्रित हैं।[17]
सर्वोच्च न्यायालय ने पीजी मेडिकल प्रवेश में डॉमिसाइल आधारित आरक्षण को रद्द किया
Anmol Kohli (anmol@prsindia.org)
सर्वोच्च न्यायालय की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने माना कि स्नातकोत्तर (पीजी) मेडिकल पाठ्यक्रमों में डोमिसाइल आधारित आरक्षण समानता के मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 14) का उल्लंघन है।[18] वर्तमान में, पीजी मेडिकल पाठ्यक्रमों की सीटें निम्नलिखित से भरी जाती हैं: (i) एनईईटी रैंकिंग, (ii) राज्य कोटा, और (iii) संस्थागत प्राथमिकताएं।
न्यायालय के समक्ष निम्नलिखित प्रश्न रखे गए थे: (i) क्या पीजी पाठ्यक्रमों में डोमिसाइल आधारित आरक्षण संवैधानिक रूप से स्वीकार्य है, (ii) अगर नहीं, तो राज्य कोटे के तहत सीटें कैसे भरी जानी चाहिए, और (iii) यदि हां, तो सभी पीजी सीटों में राज्य कोटे की सीटों की हिस्सेदारी कितनी होनी चाहिए।
न्यायालय ने कहा कि संविधान पूरे भारत में शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश लेने का अधिकार प्रदान करता है। डोमिसाइल यानी अधिवास के आधार पर विद्यार्थियों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार इस अधिकार को बाधित करता है। हालांकि एमबीबीएस पाठ्यक्रमों में अधिवास आरक्षण की अनुमति है क्योंकि वे उपेक्षित क्षेत्रों में डॉक्टरों की कमी को दूर करने में मदद करते हैं। दूसरी ओर पीजी मेडिकल पाठ्यक्रम विशेषज्ञों की आवश्यकता को पूरा करते हैं और इस प्रकार अंकों और योग्यता के आधार पर विद्यार्थियों का नामांकन किया जाना चाहिए।
न्यायालय ने फैसला सुनाया कि राज्य कोटे के तहत सभी पीजी मेडिकल सीटें नीट में प्रदर्शन के आधार पर भरी जानी चाहिए। हालांकि यह फिलहाल राज्य कोटे के तहत भरी गई सीटों पर लागू नहीं होगा। न्यायालय ने संस्थागत प्राथमिकताओं के माध्यम से भरी गई सीटों की वैधता को बरकरार रखा। ये उसी कॉलेज के यूजी विद्यार्थियों को दी गई सीटें होती हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि ऐसी सीटों की हिस्सेदारी उचित होनी चाहिए।
अल्पसंख्यक मामले
Rutvik Upadhyaya (rutvik@prsindia.org)
वक्फ (संशोधन) बिल, 2024 पर जेपीसी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी
वक्फ (संशोधन) बिल, 2024 पर ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमिटी (अध्यक्ष: श्री जगदंबिका पाल) ने लोकसभा में अपनी रिपोर्ट सौंपी।[19],[20] बिल वक्फ एक्ट, 1995 में संशोधन का प्रयास करता है।[21] यह एक्ट भारत में वक्फ संपत्ति को रेगुलेट करता है। यह वक्फ को मुस्लिम कानून के तहत धार्मिक, पवित्र या धर्मार्थ माने जाने वाले उद्देश्यों के लिए संपत्ति की बंदोबस्ती के रूप में परिभाषित करता है। कमिटी की प्रमुख टिप्पणियों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ: एक्ट में निम्नलिखित के जरिए वक्फ के गठन की अनुमति है: (i) घोषणा, (ii) उत्तराधिकारी न रहने पर बंदोबस्ती या (iii) दीर्घकालिक उपयोग के आधार पर मान्यता। उपयोग के माध्यम से वक्फ का निर्माण उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ कहा जाता है। बिल उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ को हटाता है। कमिटी ने कहा कि बिल इस बारे में अस्पष्टता पैदा करता है कि क्या उपयोगकर्ता संपत्तियों द्वारा मौजूदा वक्फ वक्फ नहीं रहेगा। उसने यह प्रावधान करने का सुझाव दिया कि उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ को हटाना, केवल भावी तौर से लागू होगा।
इस्लाम धर्म मानने का सबूत: एक्ट में किसी व्यक्ति द्वारा वक्फ के निर्माण की अनुमति है। बिल में कहा गया है कि कम से कम पांच वर्ष तक इस्लाम का पालन करने वाले व्यक्ति ही वक्फ की घोषणा कर सकते हैं। कमिटी के अनुसार, इसमें यह और जोड़ा जाए कि केवल वही व्यक्ति वक्फ का निर्माण कर सकते हैं, जो यह दर्शाते या प्रदर्शित करते हैं कि वे कम से कम पांच वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहे हैं।
सरकारी संपत्ति की पहचान: बिल में कहा गया है कि वक्फ घोषित सरकारी संपत्ति वक्फ नहीं रहेगी। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के अनुसार, सितंबर 2024 तक 25 राज्यों में 5,973 सरकारी संपत्तियों को वक्फ घोषित किया गया था। बिल कलेक्टर को संपत्ति का स्वामित्व निर्धारित करने और राज्य सरकार को एक रिपोर्ट सौंपने का अधिकार देता है। कमिटी ने कलेक्टर को ये शक्तियां दिए जाने पर कई आपत्तियां दर्ज कीं। इनमें कलेक्टर की परिभाषा इतनी व्यापक होने के खिलाफ आपत्तियां शामिल थीं क्योंकि इससे इसमें डिप्टी कलेक्टर के बराबर के अधिकारी भी शामिल हो जाएंगे। उसने सुझाव दिया कि कलेक्टर के स्थान पर उसके रैंक से उच्च अधिकारी का प्रावधान किया जाए, जिसका चुनाव राज्य द्वारा किया जाए।
वक्फ ट्रिब्यूनल का संयोजन: एक्ट वक्फ से संबंधित विवादों का निपटारा करने के लिए एक ट्रिब्यूनल का प्रावधान करता है। इसमें तीन सदस्य होते हैं, जिनमें से एक मुस्लिम कानून का विशेषज्ञ होता है। बिल इस विशेषज्ञ को ट्रिब्यूनल से हटाता है, और इसे दो सदस्यीय निकाय बनाता है। कमिटी ने यह सुझाव दिया कि मुस्लिम कानून के विशेषज्ञ को शामिल किया जाए ताकि यह सुनिश्चित हो कि ट्रिब्यूनल तीन सदस्यीय निकाय बना रहे।
सूचना प्रौद्योगिकी
Nripendra Singh (nripendra@prsindia.org)
मंत्रालय ने ड्राफ्ट डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन नियम, 2025 पर टिप्पणियां आमंत्रित कीं
डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023 केंद्र सरकार को निम्नलिखित पर नियम बनाने का अधिकार देता है: (i) डेटा फिड्यूशियरीज़ के दायित्व, (ii) सहमति प्रबंधन, और (iii) डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड को पर्सनल डेटा उल्लंघन की सूचना देने का तरीका।[22] एक्ट निम्नलिखित द्वारा डेटा प्रोसेसिंग पर लागू नहीं होता है: (i) सरकार द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में या सार्वजनिक व्यवस्था को बहाल रखने के लिए, और (ii) अनुसंधान, अभिलेखन और सांख्यिकीय उद्देश्यों के लिए। मंत्रालय ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन नियम, 2025 के ड्राफ्ट पर टिप्पणियां आमंत्रित की हैं।[23],[24] नियमों की विशेषताओं में निम्न शामिल हैं:
बच्चों के डेटा की प्रोसेसिंग: डेटा प्रोसेसिंग से पहले डेटा फिड्यूशियरीज़ को बच्चे के माता-पिता से सत्यापन योग्य सहमति प्राप्त करनी होगी। माता-पिता के बालिग होने का सत्यापन निम्नलिखित का उपयोग करके किया जा सकता है: (i) फिड्यूशियरी के पास उपलब्ध विश्वसनीय पहचान विवरण, (ii) स्वेच्छा से प्रदान की गई जानकारी, या (iii) किसी अधिकृत इकाई से मैप किया गया वर्चुअल टोकन। हेल्थकेयर प्रोफेशनल, शैक्षणिक संस्थानों और चाइल्डकेयर प्रोवाइडर्स को विशिष्ट उद्देश्यों के लिए डेटा प्रोसेस करने के लिए सहमति की शर्त से छूट दी गई है।
बोर्ड की स्थापना: एक्ट कुछ कार्यों के लिए एक बोर्ड की स्थापना करता है। नियम निर्दिष्ट करते हैं कि बोर्ड वर्चुअली संचालित होगा। इसमें एक अध्यक्ष और अन्य सदस्य शामिल होंगे, जिन्हें चयन समिति के सुझावों पर नियुक्त किया जाएगा। बोर्ड सहमति प्रबंधकों के पंजीकरण करेगा, जांच करेगा और डेटा प्रिंसिपल्स की सुरक्षा के लिए कार्रवाई करेगा।
डेटा फिड्यूशियरी के दायित्व: महत्वपूर्ण डेटा फिड्यूशियरीज़ को डेटा प्रोटेक्शन का प्रभाव मूल्यांकन और हर बारह महीने में एक ऑडिट करना होगा। उन्हें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि कुछ निर्दिष्ट पर्सनल डेटा और उससे संबंधित ट्रैफ़िक डेटा भारत के बाहर स्थानांतरित नहीं किया जाए। डेटा फिड्यूशियरी को अपने डेटा को प्रोसेस करने से पहले डेटा प्रिंसिपल्स को स्पष्ट सूचना देनी होगी। इस नोटिस में एकत्र किए गए डेटा को सूचीबद्ध करना चाहिए, संग्रह के उद्देश्य और सहमति वापस लेने की प्रक्रिया की व्याख्या करनी चाहिए। उल्लंघन की स्थिति में उन्हें प्रभावित व्यक्तियों को तुरंत सूचित करना चाहिए, बोर्ड को सूचित करना चाहिए और सुधारात्मक कार्रवाई करनी चाहिए। आवश्यकता न होने पर डेटा को हटा दिया जाना चाहिए, जब तक कि कानून द्वारा आवश्यक न हो। डेटा डिलीट करने से पहले डेटा प्रिंसिपल्स को सूचित किया जाना चाहिए।
18 फरवरी, 2025 पर टिप्पणियां आमंत्रित हैं।
सुशासन के लिए आधार प्रमाणीकरण नियम, 2020 में संशोधन अधिसूचित
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सुशासन (सामाजिक कल्याण, नवाचार, ज्ञान) नियम, 2020 के लिए आधार प्रमाणीकरण में संशोधन को अधिसूचित किया है।[25],[26] नियम 2016 के आधार एक्ट के तहत तैयार किए गए हैं।[27] संशोधन की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
जिन उद्देश्यों के लिए आधार प्रमाणीकरण की अनुमति हो सकती है: नियमों के तहत, केंद्र सरकार निम्नलिखित निर्दिष्ट उद्देश्यों के लिए आधार प्रमाणीकरण की अनुमति दे सकती है: (i) सामाजिक कल्याण लाभों के अपव्यय को रोकना, (ii) सुशासन सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल प्लेटफार्मों का उपयोग, और (iii) नवाचार और ज्ञान के प्रसार को सक्षम करना। संशोधनों में कहा गया है कि केंद्र सरकार 'निवासियों के जीवन को आसान बनाने और उनके लिए सेवाओं तक बेहतर पहुंच को सक्षम करने' के उद्देश्य से आधार प्रमाणीकरण की अनुमति भी दे सकती है।
इकाइयों से अनुरोध: नियमों में प्रावधान है कि केंद्र या राज्य सरकार का कोई विभाग/मंत्रालय आधार प्रमाणीकरण का उपयोग करने के लिए केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव प्रस्तुत कर सकता है। केंद्र सरकार इस प्रस्ताव को भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) को भेज सकती है ताकि प्राधिकरण तय करे कि अनुरोध करने वाली इकाई को इसकी अनुमति दी जाए या नहीं। इसके बाद केंद्र सरकार उपयोग को अधिकृत करती है।
संशोधनों में कहा गया है कि कोई अन्य संस्था भी आधार प्रमाणीकरण का उपयोग करने के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत कर सकती है। ऐसा प्रस्ताव निर्दिष्ट उद्देश्यों के लिए और राज्य के हित में होना चाहिए। प्रस्ताव संबंधित विभाग को प्रस्तुत करना होगा। इसके बाद संबंधित विभाग प्रस्ताव को केंद्र सरकार को भेजेगा।
पर्यावरण
Vaishali Dhariwal (vaishali@prsindia.org)
मंत्रालय ने अंतिम चरण के वाहनों से उत्पन्न कचरे के प्रबंधन के लिए नियमों को अधिसूचित किया
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने पर्यावरण संरक्षण (एंड-ऑफ-लाइफ वाहन) नियम, 2025 को अधिसूचित किया है।[28] नए नियम पर्यावरण (संरक्षण) एक्ट, 1986 के तहत जारी किए गए हैं और 1 अप्रैल, 2025 से लागू होंगे।[29] एंड-ऑफ-लाइफ वाले वाहन वे होते हैं जो अब पंजीकृत नहीं हैं या अयोग्य घोषित किए गए हैं।[30] ये नियम वाहन निर्माताओं, वाहन मालिकों, थोक उपभोक्ताओं और पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग सुविधाओं पर लागू होंगे। इसमें कृषि के लिए उपयोग किए जाने वाले वाहनों को छोड़कर सभी वाहन शामिल होंगे। प्रमुख विशेषताओं में निम्न शामिल हैं:
निर्माताओं की जिम्मेदारी: निर्माताओं को निर्धारित स्क्रैपिंग लक्ष्यों के लिए एक्सटेंडेड प्रोड्यूसर रिस्पांसिबिलिटी (ईपीआर) की बाध्यताओं को पूरा करना होगा। ईपीआर के तहत, निर्माता एंड-ऑफ-लाइफ वाहनों की स्क्रैपिंग के लिए जिम्मेदार होगा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) एक ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से ईपीआर प्रमाणपत्र जारी करेगा। 2025-26 से शुरू होकर, 2005-2006 में गैर-परिवहन वाहनों में उपयोग किए गए कम से कम 8% स्टील को पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित तरीके से स्क्रैप किया जाना चाहिए। परिवहन वाहनों के लिए 2010-11 में वाहनों में प्रयुक्त स्टील का न्यूनतम 8% स्क्रैपिंग लक्ष्य है।
निर्माताओं, थोक उपभोक्ताओं और स्क्रैपिंग केंद्रों की जिम्मेदारियां: एक पंजीकृत मालिक या थोक उपभोक्ता को वाहनों के पंजीकृत न होने या उन्हें अयोग्य घोषित किए जाने के 180 दिनों के भीतर एंड-ऑफ-लाइफ वाहनों को जमा करना होगा। ऐसे वाहनों को निर्माता के निर्दिष्ट बिक्री आउटलेट/ संग्रह केंद्र या पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग केंद्र में जमा किया जाना चाहिए। थोक उपभोक्ता वे हैं जिनके पास 100 से अधिक वाहन हैं।
पर्यावरणीय हर्जाना: निर्माताओं, पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग केंद्रों और थोक उपभोक्ताओं को पर्यावरण या सार्वजनिक स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान के लिए पर्यावरणीय हर्जाना देना होगा। सीपीसीबी निर्माताओं के दायित्वों के संबंध में जुर्माना लगाएगा, जबकि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग केद्रों और थोक उपभोक्ताओं के लिए ऐसा ही करेगा।
मंत्रालय ने अपतटीय क्षेत्रों में अन्वेषण और उत्पादन कार्यों के संबंध में नियमों को अधिसूचित किया
मंत्रालय ने अपतटीय क्षेत्र खनिज संरक्षण और विकास नियम, 2024 जारी किए हैं।[31] अपतटीय क्षेत्र खनिज (विकास और रेगुलेशन) एक्ट, 2002 केंद्र सरकार को अपतटीय क्षेत्रों में अन्वेषण और उत्पादन कार्यों के दौरान पालन की जाने वाली शर्तों पर नियम बनाने का अधिकार देता है।[32] नियमों की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
योजनाओं की आवश्यकता: समग्र लाइसेंस (अन्वेषण और उत्पादन लाइसेंस का संयोजन) के लिए चुने गए बोलीदाताओं को संबंधित परिचालन शुरू करने से पहले निम्नलिखित प्रस्तुत करना होगा: (i) एक अन्वेषण योजना और (ii) एक उत्पादन योजना। महानियंत्रक या भारतीय खान ब्यूरो का एक अधिकारी इन योजनाओं का मूल्यांकन और अनुमोदन करेगा। अन्वेषण योजना में निम्नलिखित शामिल होना चाहिए: (i) अक्षांश और देशांतर (लैटिट्यूड और लॉन्गिट्यूड) में लाइसेंस क्षेत्र, (ii) अन्वेषण कार्यक्रम का विवरण, (iii) अनुमानित समय अवधि और (iv) प्रयुक्त जहाजों और मशीनों का विवरण। उत्पादन योजना में निम्नलिखित शामिल होना चाहिए: (i) उत्पादन के लिए नियोजित विशिष्ट क्षेत्र, (ii) उत्पादन कार्यक्रम का विवरण, (iii) अनुमानित पांच वर्षीय कार्यक्रम और (iv) खदान अपशिष्ट और उनके निपटान का अनुमान।
सुरक्षा उपाय: सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए निकटवर्ती खनन ब्लॉकों के बीच 15 सेकेंड (दूरी इकाई) का बफर जोन बनाया जाएगा। समुद्र तट की निम्न ज्वार रेखा से एक समुद्री मील के भीतर कोई खनन कार्य या अपशिष्ट निपटान नहीं किया जाएगा। लाइसेंसधारियों को निम्नलिखित सुनिश्चित करना होगा: (i) मशीनरी की मजबूती, (ii) कामकाजी व्यक्तियों की उचित योग्यता, (iii) पर्याप्त श्रमशक्ति और (iv) जहाजों का उचित रखरखाव।
सुरक्षा एवं सावधानी उपाय: लाइसेंसधारियों को निम्नलिखित के संबंध में पर्याप्त सावधानी बरतते हुए खनन कार्य करना होगा: (i) समुद्र तल पर अवसादन (डीसैडिमेंटेशन), (ii) वायु प्रदूषण और (iii) अपतटीय प्राप्त ऐतिहासिक या पुरातात्विक वस्तुओं को नुकसान। लाइसेंसधारकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि समुद्री पर्यावरण, पौधों और जानवरों के जीवन को कम से कम नुकसान पहुंचाने वाले अपतटीय कार्य किए जाएं।
अपील: लाइसेंसधारी अनुमोदन प्राधिकारी के आदेशों के खिलाफ केंद्र सरकार में अपील कर सकते हैं। अपील आदेश की तारीख से तीन महीने के भीतर करनी होगी। केंद्र सरकार तीन महीने के बाद की गई अपील को सशर्त स्वीकार कर सकती है।
दंड: कुछ नियमों का उल्लंघन करने पर पांच वर्ष तक की कैद या 50 लाख से एक करोड़ रुपए तक जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। इनमें निम्नलिखित अपराध शामिल हैं: (i) अनुमोदित योजनाओं के बिना अन्वेषण या उत्पादन शुरू करना, (ii) अन्वेषण या उत्पादन कार्यों के निरीक्षण का पालन करने में विफलता, (iii) 15 सेकेंड बाधा क्षेत्र में खनन, (iv) प्रदूषण मानदंडों का पालन करने में विफलता और (v) अनुपचारित कचरे को समुद्र में छोड़ना।
सूचना एवं प्रसारण
Nripendra Singh (nripendra@prsindia.org)
मंत्रालय ने स्थानीय केबल ऑपरेटरों के लिए पंजीकरण प्रक्रिया में बदलाव किया
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 में संशोधन किया है।[33] संशोधन स्थानीय केबल टेलीविजन ऑपरेटरों (एलसीओ) के पंजीकरण की प्रक्रिया में बदलाव करते हैं। प्रमुख विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
पंजीकरण प्राधिकारी: पहले के नियमों के तहत, एलसीओ को उस क्षेत्र के स्थानीय मुख्य डाकघर में पंजीकरण करना होता था जिसमें एलसीओ का कार्यालय स्थित था।[34] पोस्टमास्टर पंजीकरण प्राधिकारी था। पंजीकरण एलसीओ को केवल कुछ क्षेत्रों में ही काम करने का अधिकार देता है। संशोधित नियमों के तहत, पंजीकरण एक ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से आयोजित किया जाएगा।33 मंत्रालय पंजीकरण प्राधिकारी होगा। पंजीकरण एलसीओ को पूरे भारत में काम करने का अधिकार देता है।
पंजीकरण शुल्क और वैधता अवधि: पहले के नियमों के तहत, एलसीओ को 500 रुपए का पंजीकरण शुल्क देना पड़ता था। पंजीकरण एक वर्ष के लिए वैध होता था। संशोधित नियमों के तहत पंजीकरण शुल्क बढ़ाकर 5,000 रुपए किया गया है। वैधता अवधि पांच वर्ष तक बढ़ा दी गई है।
पंजीकरण का नवीनीकरण: पहले के नियमों के तहत नवीनीकरण के आवेदन के लिए अवधि की कोई निम्नतर सीमा नहीं थी। यानी एलसीओ इसकी समाप्ति से पहले किसी भी समय नवीनीकरण के लिए आवेदन दाखिल कर सकता है। संशोधित नियमों के तहत एलसीओ को अपने पंजीकरण की समाप्ति से कम से कम 90 दिन पहले नवीनीकरण के लिए आवेदन करना होगा। समाप्ति तिथि के भीतर प्रस्तुत विलंबित आवेदन मामले के आधार पर स्वीकार किए जा सकते हैं।
अस्वीकृति के खिलाफ अपील: पहले के नियमों में पंजीकरण या नवीनीकरण से इनकार के खिलाफ अपील करने का कोई प्रावधान नहीं था। संशोधित नियम, एलसीओ को पंजीकरण या नवीनीकरण से इनकार के खिलाफ अस्वीकृति नोटिस प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर केंद्र सरकार के पास अपील करने की अनुमति देते हैं। एलसीओ अवर सचिव के समक्ष अपील कर सकते हैं।
वाणिज्य एवं उद्योग
Rutvik Upadhyaya (rutvik@prsindia.org)
वाणिज्य मंत्रालय ने हीरों के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति देने वाली योजना शुरू की
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने डायमंड इंप्रेस्ट ऑथराइजेशन योजना शुरू की है।[35] यह योजना 1/4 कैरेट से कम के प्राकृतिक कटे और पॉलिश किए गए हीरों के शुल्क-मुक्त आयात की अनुमति देगी। योजना के तहत पात्रता के लिए लाभार्थियों को कम से कम निम्नलिखित निर्यात करना होगा: (i) पिछले तीन वर्षों से सालाना 15 मिलियन USD मूल्य के कटे और पॉलिश किए गए हीरे, और (ii) सालाना 25 मिलियन USD मूल्य की वस्तुएं।[36] उनके द्वारा पिछले तीन वर्षों का आयकर और जीएसटी रिटर्न भी भरा जाना चाहिए।[37] शुल्क मुक्त आयात का लाभ उठाने के लिए लाभार्थियों को निर्यात से पहले आयातित हीरों में कम से कम 10% मूल्य वर्धन करना होगा।
इस योजना का उद्देश्य निर्माताओं को भारत में अपना कामकाज जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करना है। इसका एक उद्देश्य भारतीय हीरा निर्माताओं की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना भी है। यह योजना 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी।
उपभोक्ता मामले
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
उपभोक्ता मामला विभाग ने पूरे भारत में समय को समकालिक करने के लिए ड्राफ्ट नियम जारी किए
उपभोक्ता मामलों के विभाग ने लीगल मेट्रोलॉजी (भारतीय मानक समय) (आईएसटी) नियम, 2025 का ड्राफ्ट जारी किया है।[38],[39] विभाग ने आईएसटी को मिलीसेकेंड से माइक्रोसेकेंड सटीकता के साथ प्रसारित करने के लिए एक परियोजना शुरू की है। नेविगेशन, दूरसंचार और डीप स्पेस नेविगेशन जैसे क्षेत्रों के लिए ऐसी सटीकता की आवश्यकता है। विभाग ने कहा कि सभी दूरसंचार और इंटरनेट सेवा प्रदाताओं द्वारा आईएसटी को अनिवार्य रूप से नहीं अपनाया गया है। ड्राफ्ट नियमों में प्रावधान है कि कानूनी, प्रशासनिक और आधिकारिक दस्तावेजों में समय आईएसटी को संदर्भित करेगा, जब तक कि अन्यथा न कहा गया हो। वाणिज्य, परिवहन और वित्तीय संचालन जैसे क्षेत्रों में आईएसटी अनिवार्य समय संदर्भ होगा। किसी भी व्यक्ति या इकाई को आधिकारिक या व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए आईएसटी के अलावा किसी अन्य प्रारूप में समय का उपयोग करने, प्रदर्शित करने या रिकॉर्ड करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। पूर्व अनुमति के साथ खगोल विज्ञान, नेविगेशन और वैज्ञानिक अनुसंधान जैसे उद्देश्यों के लिए वैकल्पिक समय-सीमा के उपयोग की अनुमति दी जाएगी और यह सरकारी निर्देशों के अनुपालन के अधीन होगा।
[1] Bulletin Part-II, Rajya Sabha, January 17, 2025, https://sansad.in/getFile/UploadedFiles/TableOffice/Bulletin2/1712025/English/Bull_17012025.pdf?source=rscms.
[2] Address by the Hon’ble President of India Smt. Droupadi Murmu to Parliament, January 31, 2025, https://www.presidentofindia.gov.in/sites/default/files/2023-06/sp31012025eng.pdf.
[3] Economic Survey 2024-25, January 31, 2025, https://www.indiabudget.gov.in/economicsurvey/doc/echapter.pdf.
[4] Press Note on First Advance Estimates of Gross Domestic Product for 2024-25, National Statistics Office, Ministry of Statistics and Programme Implementation, January 7, 2025, https://www.mospi.gov.in/sites/default/files/press_release/PR_NAD_07012025_0.pdf.
[6] “8th Pay Commission for govt employees approved by Cabinet”, Indian Express, as accessed on January 30, 2025, https://indianexpress.com/article/india/8th-pay-commission-govt-staffers-pensioners-9782164/.
[7] “Consumer Price Index Numbers on Base 2012=100 for Rural, Urban and Combined for the Month of December 2024”, Press Information Bureau, Ministry of Statistics and Programme Implementation, January 13, 2025, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2092477.
[8] “Index Numbers of Wholesale Price in India for the Month of December, 2024 (Base Year: 2011-12)”, Press Information Bureau, Ministry of Commerce and Industry, January 14, 2025, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2092706.
[9] Consultation Paper on Review of Framework for Social Stock Exchange, Securities and Exchange Board of India, January 20, 2025, https://www.sebi.gov.in/reports-and-statistics/reports/jan-2025/consultation-paper-on-review-of-framework-for-social-stock-exchange_91022.html.
[10] Consultation Paper on promoting financial inclusion through sachetisation of investment in mutual fund schemes, Securities and Exchange Board of India, January 22, 2025, https://www.sebi.gov.in/reports-and-statistics/reports/jan-2025/consultation-paper-on-promoting-financial-inclusion-through-sachetisation-of-investment-in-mutual-fund-schemes_91106.html.
[11] “Government Approves Mutual Credit Guarantee Scheme to Strengthen MSME Manufacturing Sector, fulfilling the budget announcement of 2024-25”, Press Information Bureau, Ministry of Finance, January 29, 2025, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2097455.
[12] “Draft UGC (Minimum Qualifications for Appointment and Promotion of Teachers and Academic Staff in Universities and Colleges and Measures for the Maintenance of Standards in Higher Education), Regulations, 2025”, University Grants Commission, January 6, 2025, https://www.ugc.gov.in/pdfnews/3045759_Draft-Regulation-Minimum-Qualifications-for-Appointment-and-Promotion-of-Teachers-and-Academic-Staff-in-Universities-and-Colleges-and-Measures-for-the-Maintenance-of-Standards-in-HE-Regulations-2025.pdf.
[13] UGC Regulations On Minimum Qualifications For Appointment Of Teachers And Other Academic Staff In Universities And Colleges And Measures For The Maintenance Of Standards In Higher Education, 2018, University Grants Commission, July 18, 2018, https://www.ugc.gov.in/pdfnews/4033931_UGC-Regulation_min_Qualification_Jul2018.pdf.
[14] “Governance in Higher Education: Handbook for Vice Chancellors”, University Grants Commission, https://www.ugc.gov.in/e-book/VC%20handbook_Complete.pdf.
[15] “UGC (Establishment of and Maintenance Of Standards In Private Universities) Regulations, 2003”, University Grants Commission, https://www.ugc.gov.in/oldpdf/regulations/establishment_maintenance.pdf.
[16] The Central Universities Act, 2009, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/2080/7/a2009-25.pdf.
[17] No. F. 6-1/2025, University Grants Commission, January 6, 2025, https://www.ugc.gov.in/pdfnews/7039866_UGC-Letter-Draft-Regulation-and-Guidelines.pdf.
[18] Civil Appeal No. 9289 of 2019, Supreme Court of India, January 29, 2025, https://api.sci.gov.in/supremecourt/2019/15961/15961_2019_4_1502_59041_Judgement_29-Jan-2025.pdf.
[19] Report of the Joint Committee on the Waqf (Amendment) Bill, 2024, Lok Sabha, January 30, 2025, https://sansad.in/getFile/lsscommittee/Joint%20Committee%20on%20the%20Waqf%20(Amendment)%20Bill,%202024/18_Joint_Committee_on_the_Waqf_(Amendment)_Bill_2024_1.pdf?source=loksabhadocs.
[20] Waqf (Amendment) Bill, 2024, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2024/Waqf_(Amendment)_Bill_2024.pdf.
[21] Waqf Act, 1995, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/15941/1/the_waqf_act%2C_1995.pdf.
[22] Digital Data Protection Act, 2023, https://www.meity.gov.in/writereaddata/files/Digital%20Personal%20Data%20Protection%20Act%202023.pdf.
[23] “Draft Digital Personal Data Protection Rules
”, Press Information Bureau, Ministry of Electronics & Information Technology, January 5, 2025, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2090271.
[24] G.S.R. 02(E), The Gazette of India, Ministry of Electronics & Information Technology, January 3, 2024, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2025/259889.pdf.
[25] G.S.R. 88(E), The Gazette of India, Ministry of Electronics and Information Technology, January 31, 2025, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2025/260652.pdf.
[26] The Aadhaar Authentication for Good Governance (Social Welfare, Innovation, Knowledge) Rules, 2020, https://uidai.gov.in/images/4_Aadhaar_Authentication_for_Good_Governance_Social_Welfare_Innovation_Knowledge_Rules_2020.pdf.
[27] The Aadhaar (Target Delivery of Financial and Other Subsidies, Benefits, and Services) Act, 2016, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/2160/5/A2016-18.pdf.
[28] Environment Protection (End-of-Life Vehicles) Rules, 2025, https://www.moef.gov.in/storage/tender/1736828697.pdf.
[29] The Environment (Protection) Act, 1986, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/6196/1/the_environment_protection_act%2C1986.pdf.
[30] Motor Vehicles (Registration and Functions of Vehicles Scrapping Facility) Rules, 2021, https://morth.nic.in/sites/default/files/notifications_document/GSR%20653.pdf.
[31] Offshore Areas Mineral Conservation Development Rules 2024, Ministry of Mines, https://egazette.gov.in/(S(tileqymlr23uif5tuymawm5r))/ViewPDF.aspx.
[32] The Offshore Areas Mineral (Development and Regulation) Act, 2002, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/2040/6/a2003-17.pdf
[33] “Ministry of I&B introduces key amendments to the Cable Television Network Rules, 1994
”, Press Information Bureau, Ministry of Information & Broadcasting, January 17, 2025, https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=2093753.
[34] The Cable Television Networks Rules, 1994, https://thc.nic.in/Central%20Governmental%20Rules/Cable%20Television%20Networks%20Rules%201994.pdf.
[35] “Department of Commerce introduces Diamond Imprest Authorization Scheme to boost global competitiveness of diamond sector “, Ministry of Commerce and Industry, Press Information Bureau, January 21, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2094862.
[36] “Frequently Asked Questions – The Status Holder Certificate System”, Directorate General of Foreign Trade, as accessed on January 28, 2025 https://content.dgft.gov.in/Website/DGFT%20FAQs%20-%20Status%20Holder%20Certificate%20v1.0.pdf.
[37] Notification No. 53, “Introduction of New Scheme as ‘Diamond Imprest Authorisation” under Chapter 4 of Foreign Trade Policy 2023, Ministry of Commerce and Industry, January 21, 2025, https://static.pib.gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/2025/jan/doc2025121487601.pdf.
[38] “Department of Consumer Affairs, Government of India notifies Draft Legal Metrology (Indian Standard Time) Rules, 2025 to Synchronize Time across India”, Press Information Bureau, Ministry of Consumer Affairs, Food and Public Distribution, January 27, 2025, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2096622.
[39] I-9/1/2025-W&M, Ministry of Consumer Affairs, Food and Public Distribution, January 15, 2025, https://consumeraffairs.nic.in/sites/default/files/file-uploads/latestnews/Draft%20Rules%20Time%20Dissemination.pdf.
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