
इस अंक की झलकियां
रेपो दर 6% से घटकर 5.5%
स्टैंडिंग डिपॉजिट फेसिलिटी रेट 5.75% से घटाकर 5.25% कर दी गई है। मौद्रिक नीति समिति ने भी अपना रुख उदार से बदलकर तटस्थ करने का फैसला किया है।
जनसंख्या जनगणना दो चरणों में की जाएगी
जनगणना में जातियों की गणना भी शामिल होगी। जनगणना के लिए संदर्भ तिथि 1 मार्च, 2027 होगी। लद्दाख और कुछ राज्यों के बर्फीले इलाकों के लिए संदर्भ तिथि 1 अक्टूबर, 2026 होगी।
2024-25 की चौथी तिमाही में चालू खाता अधिशेष जीडीपी का 1.3%
चालू खाता अधिशेष शुद्ध सेवा निर्यात और अन्य हस्तांतरण में वृद्धि के कारण था। इसकी तुलना में 2023-24 की इसी तिमाही में जीडीपी का 0.5% अधिशेष दर्ज किया गया था।
विशेष आर्थिक क्षेत्र नियम, 2006 में संशोधन अधिसूचित
संशोधनों में सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक घटकों की मैन्यूफैक्चरिंग के लिए भूमि क्षेत्र की सीमा में कमी की गई है, और कुछ मामलों के लिए भूमि-संबंधी कानूनी अनुपालन को सरल बनाया गया है।
ईवी यात्री कारों की मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की योजना के लिए दिशानिर्देश अधिसूचित
पात्र होने के लिए मैन्यूफैक्चरर्स को राजस्व, निवेश और स्वदेशीकरण संबंधी लक्ष्यों को पूरा करना होगा। वे पांच वर्ष के लिए 15% की कम सीमा शुल्क दर पर ईवी यात्री कारों की पूरी तरह से निर्मित यूनिट्स का आयात कर सकते हैं।
राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन अधिसूचित
इस मिशन का उद्देश्य घरेलू और विदेशी खनिज उपलब्धता सुनिश्चित करके भारत की महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति श्रृंखला को सुरक्षित और मजबूत करना है। यह मिशन 2030-31 तक सात वर्षों तक चलेगा।
एनएचएआई ने परिसंपत्ति मुद्रीकरण के लिए रणनीति जारी की
एनएचएआई एक निश्चित वार्षिक कैलेंडर के अनुसार मुद्रीकरण के लिए एसेट बंडलों को रोल आउट करेगा, साथ ही भविष्य की मुद्रीकरण पाइपलाइन की योजना भी बनाएगा। यह मुद्रीकरण से संबंधित सभी प्रक्रियाओं और अनुबंध संबंधी दस्तावेजों को मानकीकृत करेगा।
दूरसंचार साइबर सुरक्षा नियमों में ड्राफ्ट संशोधन पर टिप्पणियां आमंत्रित
कुछ संस्थाओं को साइबर सुरक्षा उद्देश्यों के लिए दूरसंचार पहचानकर्ताओं के उपयोग से संबंधित डेटा सरकार के साथ साझा करना होगा।
एग्रोफॉरेस्ट्री को रेगुलेट करने के लिए मॉडल नियम जारी
नियम एग्रोफॉरेस्ट्री के लिए एक रेगुलेटरी ढांचे का सुझाव देते हैं जिसे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा अपनाया जाएग। नियम एग्रोफॉरेस्ट्री में लगी संस्थाओं के पंजीकरण और पेड़ों की कटाईने के लिए परमिट जारी करने की प्रक्रिया को निर्दिष्ट करते हैं।
मैक्रोइकोनॉमिक विकास
Shrusti Singh (shrusti@prsindia.org)
रेपो दर 6% से घटकर 5.5%
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने पॉलिसी रेपो रेट (जिस दर पर आरबीआई बैंकों को ऋण देता है) को 6% से घटाकर 5.5% कर दिया है।[1] एमपीसी के अन्य निर्णयों में निम्नलिखित शामिल हैं:
स्टैंडिंग डिपॉजिट फेसिलिटी रेट (वह दर जिस पर आरबीआई बिना कोई जमानत दिए बैंकों से उधार लेता है) को 5.75% से घटाकर 5.25% कर दिया गया है।
मार्जिनल स्टैंडिंग फेसिलिटी रेट (वह दर जिस पर बैंक आरबीआई से अतिरिक्त धन उधार ले सकते हैं) और बैंक रेट (जिस दर पर आरबीआई बिल ऑफ एक्सचेंज खरीदता है) दोनों को 6.25% से घटाकर 5.75% कर दिया गया है।
एमपीसी ने अपने रुख को उदार से बदलकर तटस्थ करने का भी फैसला किया है। समिति के फैसलों से मुद्रास्फीति को 4% के लक्ष्य के अनुरूप रखने और विकास को समर्थन मिलने की उम्मीद है।
भारत ने 2024-25 की चौथी तिमाही में जीडीपी का 1.3% चालू खाता अधिशेष दर्ज किया
भारत ने 2024-25 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में 13.5 बिलियन USD (जीडीपी का 1.3%) का चालू खाता अधिशेष दर्ज किया, जबकि 2023-24 की इसी तिमाही में 4.6 बिलियन USD (जीडीपी का 0.5%) का अधिशेष था।[2] यह शुद्ध सेवा निर्यात में 42.7 बिलियन USD से 53.3 बिलियन USD की वृद्धि और अन्य हस्तांतरण में 13.9 बिलियन USD से 19.6 बिलियन USD की वृद्धि के कारण हुआ। 2024-25 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में चालू खाता घाटा 11.3 बिलियन USD (जीडीपी का 1.1%) था।
तालिका 1: भुगतान संतुलन (बिलियन USD)
ति4 2023-24 |
ति3 2024-25 |
ति4 2024-25 |
|
क. निर्यात |
121.6 |
109.8 |
116.3 |
ख. आयात |
173.6 |
189.1 |
175.8 |
ग. व्यापार संतुलन (क-ख) |
-52.0 |
-79.3 |
-59.5 |
घ. शुद्ध सेवाएं |
42.7 |
51.2 |
53.3 |
ङ अन्य हस्तांतरण |
13.9 |
16.7 |
19.6 |
च. चालू खाता (ग+घ+ङ) |
4.6 |
-11.3 |
13.5 |
छ. पूंजी खाता |
25.5 |
-26.6 |
-5.6 |
ज. भूल चूक लेनी देनी |
0.6 |
0.3 |
0.9 |
झ. मुद्रा भंडार में परिवर्तन (च+छ+ज) |
30.8 |
-37.7 |
8.8 |
स्रोत: आरबीआई: पीआरएस.
2024-25 की चौथी तिमाही में पूंजी खाते से 5.6 बिलियन USD का शुद्ध बहिर्वाह दर्ज किया गया, जबकि 2023-24 की चौथी तिमाही में 25.5 बिलियन USD का शुद्ध अंतर्वाह दर्ज किया गया था। 2024-25 की तीसरी तिमाही में पूंजी खाते से शुद्ध बहिर्वाह 26.6 बिलियन USD था।
2024-25 की चौथी तिमाही में विदेशी मुद्रा भंडार में 8.8 बिलियन USD की वृद्धि हुई, जो 2023-24 की इसी तिमाही में 30.8 बिलियन USD से कम है। 2024-25 की तीसरी तिमाही में विदेशी मुद्रा भंडार में 37.7 बिलियन USD की कमी आई थी।
गृह मामले
Shirin Pajnoo (shirin@prsindia.org)
जनगणना दो चरणों में की जाएगी
जनगणना-2027 दो चरणों में आयोजित की जाएगी, जिसमें जातियों की गणना भी शामिल होगी।[3] जनगणना के लिए संदर्भ तिथि 1 मार्च, 2027 होगी। लद्दाख और जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के बर्फीले इलाकों के लिए संदर्भ तिथि 1 अक्टूबर, 2026 होगी।3 संदर्भ तिथि से तात्पर्य उस विशिष्ट तिथि और समय से है जिस पर विवरणों का एक सेट एकत्र किया जाता है।[4]
वाणिज्य एवं उद्योग
Shrusti Singh (shrusti@prsindia.org)
विशेष आर्थिक क्षेत्र नियमों में संशोधन अधिसूचित
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज़) नियम, 2006 में संशोधन अधिसूचित किए हैं।[5] प्रमुख संशोधनों में निम्नलिखित शामिल हैं:
सेज़ के लिए भूमि मानदंड: सेज़ नियम, 2006 के अनुसार इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी (आईटी) या आईटी एनेबल्ड सेवाओं के अलावा अन्य क्षेत्रों के लिए सेज़ के पास कम से कम 50 हेक्टेयर का भूमि क्षेत्र होना आवश्यक है।[6] नियम आईटी या आईटी एनेबल्ड सेवाओं हेतु सेज़ के लिए कोई न्यूनतम भूमि क्षेत्र की शर्त निर्धारित नहीं करते हैं। सेमीकंडक्टर या इलेक्ट्रिक घटकों की मैन्यूफैक्चरिंग करने वाले सेज़ के लिए, संशोधनों में भूमि क्षेत्र की सीमा को कम से कम 10 हेक्टेयर कर दिया गया है।
सेज़ के विकास के लिए कानूनी अनुपालन: नियमों के अनुसार डेवलपर को राज्य सरकार से मिला एक प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होगा, जिसमें क्षेत्र को सेज़ के रूप में विकसित करने के लिए कब्जे और अपरिवर्तनीय अधिकारों को साबित किया गया हो। इसमें यह भी प्रमाणित करना होगा कि क्षेत्र दावा-मुक्त है। संशोधनों में दावा-मुक्त क्षेत्र से संबंधित शर्तों में ढिलाई की अनुमति दी गई है। यह उन मामलों में लागू होगा, जहां क्षेत्र केंद्र या राज्य सरकार को गिरवी या पट्टे पर दिया गया है।
नियमों में विदेशी संस्थाओं को मैन्यूफैक्चरिंग सेवाएं प्रदान करने के लिए इकाइयों की स्थापना का प्रावधान है। इससे पहले, इन इकाइयों को या तो सीधे देश से बाहर तैयार माल निर्यात करने या विदेशी संस्था द्वारा बनाए गए गोदाम में तैयार माल की आपूर्ति करने की अनुमति थी। संशोधनों में इसे बदलकर लागू शुल्कों का भुगतान करने पर घरेलू टैरिफ क्षेत्र में माल के हस्तांतरण का भी प्रावधान किया गया है। घरेलू टैरिफ क्षेत्र में विशेष आर्थिक क्षेत्रों को छोड़कर भारत के सभी क्षेत्र शामिल हैं।[7]
इलेक्ट्रिक यात्री कारों की मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की योजना के लिए दिशानिर्देश
भारी उद्योग मंत्रालय ने भारत में इलेक्ट्रिक यात्री कारों की मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की योजना के लिए दिशानिर्देश अधिसूचित किए हैं।[8], [9] इस योजना के तहत पात्र होने के लिए: (i) किसी कंपनी के पास न्यूनतम 10,000 करोड़ रुपए का वैश्विक राजस्व होना चाहिए, (ii) तीन वर्ष की अवधि के दौरान भारत में न्यूनतम 4,150 करोड़ रुपए का निवेश करना चाहिए, और (iii) तीन वर्षों में 25% और पांच वर्षों में 50% का घरेलू मूल्य संवर्धन हासिल करना चाहिए। इस योजना का उद्देश्य चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और इन-हाउस इंजीनियरिंग अनुसंधान और विकास में निवेश को प्रोत्साहित करना भी है। दिशानिर्देशों की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
सीमा शुल्क लाभ: इस योजना के तहत स्वीकृत मैन्यूफैक्चरर्स को पांच वर्ष के लिए 15% की कम सीमा शुल्क दर पर इलेक्ट्रिक यात्री कारों की पूरी तरह से निर्मित यूनिट्स को आयात करने की अनुमति दी जाएगी। आयातित यूनिट्स की अधिकतम संख्या इस तरह सीमित होगी कि कुल छोड़ा गया शुल्क निर्माता के प्रतिबद्ध निवेश या 6,484 करोड़ रुपए से अधिक न हो, जो भी कम हो। आवेदकों को अगले एक वर्ष के लिए अपनी आयात योजनाओं का विवरण देते हुए एक वार्षिक आयात आवेदन प्रस्तुत करना होगा। उन्हें 4,150 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी भी जमा करनी होगी। योजना की शर्तों का कोई भी उल्लंघन बैंक गारंटी का ऑटोमैटिक इनवोकेशन होगा।
परियोजना निगरानी एजेंसी: मंत्रालय मैन्यूफैक्चरर्स के काम की प्रगति का आकलन करने और समय-समय पर समीक्षा करने के लिए एक परियोजना निगरानी एजेंसी (पीएमए) की नियुक्ति करेगा। मैन्यूफैक्चरर्स को प्रत्येक तिमाही के अंत के 30 दिनों के भीतर पीएमए को तिमाही समीक्षा रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। रिपोर्ट में योजना अवधि के दौरान मैन्यूफैक्चरिंग इकाइयों की स्थापना में हुई प्रगति शामिल होनी चाहिए।
वित्त
Shrusti Singh (shrusti@prsindia.org)
आरबीआई ने लघु वित्त बैंकों के लिए प्राथमिकता क्षेत्र ऋण सीमा घटा दी
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने लघु वित्त बैंकों के लिए प्राथमिकता क्षेत्र ऋण मानदंडों को कम कर दिया है।[10] प्राथमिकता क्षेत्र ऋण के तहत, बैंकों को कृषि, शिक्षा और आवास जैसे क्षेत्रों को ऋण का एक निश्चित प्रतिशत प्रदान करना होगा।[11] लघु वित्त बैंक छोटी व्यावसायिक इकाइयों और छोटे और सीमांत किसानों जैसे असेवित और कम सेवा वाले वर्गों को बैंकिंग सेवाएं प्रदान करते हैं।[12] इससे पहले, लघु वित्त बैंकों को अपने समायोजित शुद्ध बैंक ऋण का 75% प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को देना पड़ता था। आरबीआई ने अब इसे समायोजित शुद्ध बैंक ऋण या ऑफ-बैलेंस शीट एक्सपोज़र के बराबर ऋण, जो भी अधिक हो, के 60% तक घटा दिया है।
आरबीआई ने सोना और चांदी गिरवी रखकर ऋण देने से संबंधित निर्देश जारी किए
आरबीआई ने आरबीआई (सोने और चांदी के कोलेट्रल के बदले ऋण) निर्देश, 2025 जारी किए हैं।[13] आरबीआई द्वारा रेगुलेटेड संस्थाओं को उधारकर्ताओं की अल्पकालिक वित्तपोषण आवश्यकताओं के लिए सोने के आभूषण और सिक्कों की कोलेट्रल सिक्योरिटी के बदले ऋण देने की अनुमति है। 2025 के निर्देश ऐसे ऋण देने के लिए रूपरेखा को सुव्यवस्थित करने का प्रयास करते हैं। ये निर्देश आरबीआई द्वारा पिछले कुछ वर्षों में जारी किए गए कई सर्कुलर्स को निरस्त करते हैं। मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
ऋण देने की शर्तें: ऋणदाता की ऋण नीति में निम्नलिखित कारकों का ध्यान रखना चाहिए: (i) पात्र कोलेट्रल के बदले ऋण के लिए एकल उधारकर्ता सीमा, (ii) मूल्यांकन मानक, और (iii) सोने और चांदी की शुद्धता के मानक। 2.5 लाख रुपए से अधिक के ऋण के लिए विस्तृत ऋण मूल्यांकन और उधारकर्ता की पुनर्भुगतान क्षमता का मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
ऋण पर प्रतिबंध: ऋणदाताओं को सोना और चांदी के कोलेट्रल के बदले ऋण देते समय कुछ खास व्यवहार नहीं करने चाहिए। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) ऐसे कोलेट्रल के बदले ऋण देना, जो आभूषण या सिक्कों के रूप में न हों, (ii) ऐसे ऋण देना जहां कोलेट्रल का स्वामित्व संदिग्ध हो, और (iii) 12 महीने से अधिक अवधि वाले उपभोग ऋण देना, यदि वे बुलेट रीपेमेंट लोन्स (परिपक्वता पर मूलधन और ब्याज का भुगतान) हैं।
लोन टू वैल्यू (एलटीवी) अनुपात: एलटीवी अनुपात किसी विशेष दिन पर बकाया ऋण राशि और गिरवी कोलेट्रल के मूल्य के अनुपात को मापता है। निर्देश प्रत्येक उधारकर्ता की ऋण राशि के आधार पर अलग-अलग अधिकतम एलटीवी अनुपात प्रदान करते हैं। अनुपात को ऋण की पूरी अवधि के दौरान निरंतर आधार पर बनाए रखा जाना चाहिए।
तालिका 2: ऋण-मूल्य अनुपात
प्रति उधारकर्ता ऋण राशि |
अधिकतम एलटीवी अनुपात |
2.5 लाख रुपए तक |
85% |
2.5 लाख रुपए से अधिक और 5 लाख रुपए तक |
80% |
5 लाख रुपए से अधिक |
75% |
स्रोत: आरबीआई; पीआरएस।
सेबी ने बोर्ड बैठक में विभिन्न निर्णयों को मंजूरी दी
सेबी ने अपनी बैठक में विभिन्न निर्णयों को मंजूरी दी।[14] प्रमुख निर्णयों में निम्नलिखित शामिल हैं:
मर्चेंट बैंकर और डिबेंचर ट्रस्टी: मर्चेंट बैंकर कंपनियों के लिए सिक्योरिटीज की लिस्टिंग का प्रबंधन करते हैं। डिबेंचर ट्रस्टी किसी कंपनी के डिबेंचर धारकों के हितों की रक्षा करते हैं। सेबी ने निर्दिष्ट किया है कि वे सेबी द्वारा रेगुलेटेड न होने वाली गतिविधियां कर सकते हैं, अगर: (i) वे गतिविधियां किसी अन्य वित्तीय क्षेत्र रेगुलेटर द्वारा रेगुलेट होती हैं या (ii) वे वित्तीय सेवा क्षेत्र से संबंधित शुल्क-आधारित गतिविधियां हैं। सेबी ने कहा कि मर्चेंट बैंकर और डिबेंचर ट्रस्टी दोनों कुछ ऐसी गतिविधियां करते हैं जो सेबी द्वारा रेगुलेट नहीं होती हैं।
इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (इनविट): सेबी ने प्राथमिक बाजार में इनविट के निजी प्लेसमेंट के लिए न्यूनतम लॉट साइज में कमी को मंजूरी दी है। इनविट निवेशकों को फंड इकट्ठा करने और इंफ्रास्ट्रक्चर परिसंपत्तियों में निवेश करने की अनुमति देते हैं। प्रतिभूतियों को पहली बार प्राथमिक बाजारों में जारी किया जाता है और बाद में द्वितीयक बाजार में कारोबार किया जाता है। इससे पहले, निजी तौर पर रखे गए इनविट के लिए प्राथमिक बाजार में न्यूनतम आवंटन लॉट एक करोड़ रुपए या 25 करोड़ रुपए था, जो परिसंपत्ति मिश्रण पर निर्भर करता था। द्वितीयक बाजार में न्यूनतम लॉट साइज के अनुरूप, अब इसे परिसंपत्ति मिश्रण से इतर 25 लाख रुपए कर दिया गया है।
एंजल फंड: एंजल फंड निवेशकों से पूंजी जुटाते हैं और स्टार्ट-अप में निवेश करते हैं। सेबी ने कहा कि केवल उन्हीं निवेशकों को एंजल फंड के माध्यम से गैर-सूचीबद्ध स्टार्टअप में निवेश करना चाहिए, जिनमें पर्याप्त जोखिम क्षमता हो। वर्तमान में इस बात का कोई सत्यापन नहीं होता है कि कोई निवेशक एंजल निवेशक के रूप में पात्र है या नहीं। बोर्ड ने अब मंजूरी दे दी है कि एंजल निवेशकों को अब मान्यता प्राप्त निवेशक होना चाहिए। ऐसे निवेशकों को स्वतंत्र सत्यापन से गुजरना होगा।
आरबीआई ने परियोजना वित्तपोषण के लिए निर्देश जारी किए
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आरबीआई (प्रोजेक्ट फाइनांस) निर्देश, 2025 जारी किए हैं।[15] प्रोजेक्ट फाइनांस किसी प्रोजेक्ट को फंड करने का एक तरीका है, जिसमें प्रोजेक्ट से मिलने वाला राजस्व लोन के लिए सिक्योरिटी के तौर पर काम आता है। प्रोजेक्ट से मिलने वाले राजस्व का इस्तेमाल लोन चुकाने में भी किया जाता है। ये निर्देश 1 अक्टूबर, 2025 से लागू होंगे। यह आरबीआई द्वारा जारी कई निर्देशों/दिशानिर्देशों को निरस्त करता है। इसकी मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
एप्लिकेबिलिटी: ये निर्देश उन ऋणों पर लागू होंगे जहां: (i) पुनर्भुगतान का कम से कम 51% वित्तपोषित परियोजना द्वारा उत्पन्न नकदी प्रवाह से किया जाना है और (ii) सभी ऋणदाताओं का देनदार के साथ एक सामान्य समझौता है।
ऋण स्वीकृत करने की शर्तें: ऋणदाता द्वारा वित्तपोषित सभी परियोजनाओं को कुछ शर्तों को पूरा करना होगा। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) वाणिज्यिक परिचालन शुरू करने की मूल तिथि (डीसीसीओ), जिसे फंड संवितरण से पहले दर्ज किया गया हो, (ii) ऋण समझौतों में परियोजना के पूरा होने के चरण के मद्देनजर विशिष्ट संवितरण अनुसूची को शामिल करना, (iii) प्रारंभिक नकदी प्रवाह के अनुसार डीसीसीओ के बाद पुनर्भुगतान अनुसूची तैयार करना, और (iv) व्यक्तिगत ऋणदाताओं के पास 1,500 करोड़ रुपए तक की ऋण राशि वाली निर्माणाधीन परियोजनाओं के लिए कम से कम 10% का जोखिम होना चाहिए।
भूमि की उपलब्धता: ऋणदाता को धन वितरित करने से पहले सभी परियोजनाओं के लिए पर्याप्त भूमि/मार्ग का अधिकार सुनिश्चित करना चाहिए। सार्वजनिक निजी भागीदारी मॉडल के तहत इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के लिए उपलब्ध भूमि का कम से कम 50% उपलब्ध होना चाहिए, जबकि अन्य परियोजनाओं के लिए यह सीमा 75% से अधिक है। ट्रांसमिशन लाइन परियोजनाओं के लिए, भूमि की न्यूनतम उपलब्धता ऋणदाता द्वारा तय की जाएगी।
खनन
Vaishali Dhariwal (vaishali@prsindia.org)
राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन अधिसूचित
खान मंत्रालय ने 2030-31 तक सात वर्षों के लिए स्थापित किए जाने वाले राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन को अधिसूचित किया है।[16] इस मिशन का उद्देश्य घरेलू और विदेश से उपलब्धता सुनिश्चित करके भारत की महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति श्रृंखला को सुरक्षित और मजबूत करना है। यह लिथियम, कोबाल्ट, ग्रेफाइट, निकल और फॉस्फेट सहित 24 महत्वपूर्ण खनिजों से संबंधित है। मिशन में 16,300 करोड़ रुपए का प्रस्तावित व्यय है जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से 18,000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त निवेश अपेक्षित है। प्रमुख पहलों में निम्नलिखित शामिल हैं:
घरेलू आपूर्ति में वृद्धि: महत्वपूर्ण खनिजों की घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के लिए सरकार 1,200 अन्वेषण परियोजनाएं शुरू करेगी और 100 से अधिक खनिज ब्लॉकों की नीलामी करेगी। मिशन अपतटीय क्षेत्रों में खनिज ब्लॉकों की खोज को प्रोत्साहित करेगा। सरकार खनिज अन्वेषण और खनन परियोजनाओं के लिए एक फास्ट-ट्रैक रेगुलेटरी अनुमोदन प्रक्रिया बनाएगी। मिशन लाल मिट्टी और फ्लाई ऐश जैसे खदान अपशिष्ट से खनिज रिकवरी को भी बढ़ावा देगा। सरकार महत्वपूर्ण खनिज प्रसंस्करण पार्क स्थापित करेगी और इस उद्देश्य के लिए मौजूदा औद्योगिक पार्कों का उपयोग करने की योजना शुरू करेगी।
विदेश में संपत्ति अर्जित करना और व्यापार को बढ़ावा देना: मिशन भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के माध्यम से विदेशों में खनिज संपत्तियों की खोज को सहयोग देगा। सरकार सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की भागीदारी के माध्यम से विदेशों में महत्वपूर्ण खनिज संपत्तियों को हासिल करने के लिए केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को प्रोत्साहित करेगी। सरकार निजी कंपनियों को संपत्ति हासिल करने और परिचालन स्थापित करने के लिए सबसिडी भी प्रदान करेगी। सरकार संसाधन संपन्न देशों के साथ महत्वपूर्ण खनिज साझेदारी समझौते करने का लक्ष्य रखेगी। यह द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौतों के माध्यम से टैरिफ संरचनाओं को सुसंगत बनाएगी। इसके अलावा आवश्यकताओं के आधार पर यह महत्वपूर्ण खनिजों और रीसाइक्लिंग के लिए सामग्री पर आयात शुल्क हटा देगा।
महत्वपूर्ण खनिजों की रीसाइक्लिंग को प्रोत्साहन: सरकार महत्वपूर्ण खनिजों की रीसाइक्लिंग के लिए विशिष्ट दिशानिर्देश तैयार करेगी। वह खनिज रीसाइक्लिंग क्लस्टर स्थापित करने के लिए एक प्रोत्साहन योजना शुरू करेगी। यह योजना रीसाइकिल्ड खनिजों के उत्पादन के लिए मध्यम और दीर्घकालिक लक्ष्य निर्धारित करेगी और उसी के अनुसार उद्योगों को प्रोत्साहित करेगी। सरकार खनिजों की मौजूदगी का आकलन करने और रिकवरी के उपाय सुझाने के लिए एक रीसाइक्लिंग सलाहकार समूह भी बनाएगी।
अनुसंधान और क्षमता निर्माण: अनुसंधान और इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए सरकार पेटेंट दाखिल करने की प्रक्रियाओं को सहयोग देगी और अनुसंधान संस्थानों के बीच समन्वय में सुधार करेगी। महत्वपूर्ण खनिजों पर उत्कृष्टता केंद्र और कौशल विकास केंद्र स्थापित किए जाएंगे।
परिवहन
Atri Prasad Rout (atri@prsindia.org)
एनएचएआई ने एसेट्स के मुद्रीकरण के लिए रणनीति जारी की
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने सड़क क्षेत्र के लिए एसेट्स के मुद्रीकरण की रणनीति जारी की है।[17] इस रणनीति का उद्देश्य मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर एसेट्स के मुद्रीकरण से प्राप्त आय का उपयोग भविष्य की परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए करना है। यह रणनीति मुख्य रूप से टोल-ऑपरेट-ट्रांसफर (टीओटी) और इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (इनविट) मॉडल के माध्यम से मुद्रीकरण से संबंधित है। टीओटी के तहत, निवेशक टोल कलेक्शन अधिकारों के बदले एनएचएआई को एकमुश्त राशि का भुगतान करते हैं। इनविट मॉडल निवेशकों को एक साथ पैसा जमा करने और बदले में टोल राजस्व प्राप्त करने की अनुमति देता है। रणनीति की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
मुद्रीकरण के लिए एसेट्स की पहचान: एनएचएआई उच्च मुद्रीकरण क्षमता वाले राजमार्ग एसेट्स की जानकारियों वाला एक एसेट रजिस्टर बनाएगा। ये एसेट्स कम से कम एक वर्ष से परिचालन में होने चाहिए और सकारात्मक नकदी प्रवाह को बनाए रखने के लिए इनके पास पर्याप्त टोल राजस्व होना चाहिए। एसेट्स को वर्तमान राजस्व और भविष्य की राजस्व वृद्धि क्षमता के आधार पर वर्गीकृत किया जाएगा। जोखिम और रिटर्न को संतुलित करने के लिए उन्हें नीलामी के लिए एक साथ रखा जाएगा।
प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाना: एनएचएआई मुद्रीकरण प्रक्रिया से संबंधित सभी प्रक्रियाओं और अनुबंध संबंधी दस्तावेजों को मानकीकृत करेगा। निवेशकों को योजना बनाने में मदद करने के लिए, निश्चित वार्षिक कैलेंडर के अनुसार समय-समय पर एसेट बंडलों को रोल आउट किया जाएगा। इन रोल आउट के समय एनएचएआई भविष्य की मुद्रीकरण श्रृंखला का भी खुलासा करेगा। एसेट्स के आरक्षित मूल्य की गणना के लिए एनएचएआई द्वारा उपयोग की जाने वाली धारणाओं को संभावित निवेशकों के साथ साझा किया जाएगा। एनएचएआई प्रमुख प्रदर्शन संकेतक भी स्थापित करेगा और समीक्षा और जोखिम निगरानी करेगा।
बाजार विकास को बढ़ावा देना: निवेशकों के व्यापक समूह तक पहुंचने के लिए एनएचएआई सार्वजनिक इनविट लॉन्च करेगा, जो खास तौर से खुदरा निवेशकों के लिए होगा। वह निवेशकों की व्यापक श्रेणी तक पहुंचने के लिए विभिन्न आकारों के कई टीओटी एसेट बंडल पेश करेगा। वह हितधारकों को जोड़ने और संस्थागत निवेशकों को आकर्षित करने के लिए लक्षित आउटरीच कार्यक्रम विकसित करेगा।
ऊर्जा
Ayush Stephen Toppo (ayush@prsindia.org)
अपशिष्ट-से-ऊर्जा परियोजनाओं पर दिशानिर्देशों में संशोधन
नवीन एवं अक्षय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने अपशिष्ट-से-ऊर्जा परियोजनाओं के लिए संशोधित दिशा-निर्देश अधिसूचित किए हैं।[18],[19] दिशानिर्देशों को आखिरी बार 2022 में अपडेट किया गया था।[20] इस योजना का उद्देश्य शहरी, औद्योगिक और कृषि अपशिष्टों से बिजली, बायोगैस, बायोसीएनजी, उत्पादक गैस या सिंथेटिक गैस के उत्पादन को बढ़ावा देना है। संशोधित दिशानिर्देश पिछले वर्षों में स्वीकृत सभी परियोजनाओं पर भी लागू होंगे। मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
वित्तीय सहायता का वितरण: पहले के दिशानिर्देशों के अनुसार मैन्यूफैक्चरिंग संयंत्र को किसी भी प्रकार की केंद्रीय वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए अपनी निर्धारित उत्पादन क्षमता का कम से कम 50% प्राप्त करना अनिवार्य था। नए दिशानिर्देश दो चरणों में सहायता के वितरण का प्रावधान करते हैं। कुल सहायता का आधा हिस्सा निम्नलिखित पर प्रदान किया जाएगा: (i) संचालन के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सहमति प्राप्त करना और (ii) बैंक गारंटी प्रस्तुत करना। शेष सहायता तब जारी की जाएगी, जब यह अपनी निर्धारित क्षमता के 50% की सीमा को पार कर जाए, आनुपातिक आधार पर।
संयुक्त निरीक्षण: संशोधित दिशानिर्देशों में राष्ट्रीय जैव-ऊर्जा संस्थान द्वारा निष्पादन का पता लगाने के लिए निम्नलिखित में से किसी एक के साथ संयुक्त निरीक्षण की व्यवस्था की गई है: (i) राज्य नोडल एजेंसी, (ii) बायोगैस प्रौद्योगिकी विकास केंद्र, या (iii) कोई भी एमएनआरई-सूचीबद्ध निकाय।
बायोमास कार्यक्रम पर दिशानिर्देश संशोधित
नवीन एवं अक्षय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने बायोमास कार्यक्रम पर संशोधित दिशानिर्देश अधिसूचित किए हैं।[21] इस कार्यक्रम को नवंबर 2022 में मंजूरी दी गई थी।[22],[23] इसका उद्देश्य बायोमास ब्रिकेट या पेलेट निर्माण संयंत्रों और बायोमास (गैर-बगास) आधारित परियोजनाओं की स्थापना को सहयोग देना है। प्रमुख परिवर्तनों में निम्नलिखित शामिल हैं:
पात्रता मानदंड: केंद्रीय वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए संशोधित दिशानिर्देशों में न्यूनतम दो वर्षीय बिक्री अनुबंध की आवश्यकता को सामान्य बिक्री समझौते से बदल दिया गया है। इसके अलावा सहायता जारी करने के लिए पर्यावरण प्रभाव आकलन मंजूरी प्रस्तुत करने की आवश्यकता को हटा दिया गया है।
सहायता की राशि: संशोधित दिशानिर्देशों में यह प्रावधान है कि सहायता की राशि 50% से 80% के बीच क्षमता उपयोग के लिए आनुपातिक आधार पर तय की जाएगी।
एनर्जी स्टोरेज सिस्टम रेगुलेशंस में ड्राफ्ट संशोधनों पर टिप्पणियां आमंत्रित
विद्युत मंत्रालय ने विद्युत (संशोधन) नियम, 2025 के ड्राफ्ट पर टिप्पणियां आमंत्रित की हैं।[24], [25] 2005 के नियम एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (ईएसएस) के रेगुलेशन का प्रावधान करते हैं।[26] ईएसएस का तात्पर्य ऐसी प्रणाली से है जो अक्षय ऊर्जा स्रोत से बिजली स्टोर करती है। इसका बाद में उपयोग किया जा सकता है।[27]
2005 के नियम कुछ संस्थाओं को ईएसएस विकसित करने, स्वामित्व रखने, पट्टे पर देने या संचालन करने की अनुमति देते हैं। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) बिजली उत्पादन कंपनियां, (ii) ट्रांसमिशन/वितरण लाइसेंसधारी, और (iii) एक स्वतंत्र एनर्जी स्टोरेज सर्विस प्रोवाइडर। ड्राफ्ट संशोधन इस सूची में अंतिम-उपयोग उपभोक्ताओं को जोड़ते हैं, यह स्पष्ट करते हुए कि वे भी ईएसएस विकसित कर सकते हैं, स्वामित्व रख सकते हैं, पट्टे पर दे सकते हैं या संचालन कर सकते हैं।
टिप्पणियां 10 जुलाई 2025 तक आमंत्रित हैं।
बिजली बाजार रेगुलेशन में ड्राफ्ट संशोधनों पर टिप्पणियां आमंत्रित
केंद्रीय बिजली रेगुलेटरी आयोग ने केंद्रीय बिजली रेगुलेटरी आयोग (पावर मार्केट) (पहला संशोधन) रेगुलेशन, 2025 के ड्राफ्ट पर टिप्पणियां आमंत्रित की हैं।[28] यह केंद्रीय बिजली रेगुलेटरी आयोग (पावर मार्केट) रेगुलेशन, 2021 में संशोधन करने का प्रयास करता है।[29] ये रेगुलेशन पावर एक्सचेंजों और ओवर द काउंटर (ओटीसी) मार्केट में कारोबार किए जाने वाले अनुबंधों के लिए एक रूपरेखा प्रदान करते हैं। मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
ओटीसी अनुबंध: 2021 के रेगुलेशन ओटीसी बाजार में डिलीवरी-आधारित अनुबंधों का प्रावधान करते हैं। ड्राफ्ट संशोधन ओटीसी बाजार में पेश किए जाने वाले अनुबंधों का विस्तार करने की कोशिश करते हैं, जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) क्षमता अनुबंध, (ii) अक्षय ऊर्जा प्रमाणपत्र, (iii) वर्चुअल पावर परचेज एग्रीमेंट (वीपीपीए) और (iv) बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम अनुबंध। वीपीपीए नामित उपभोक्ताओं और अक्षय ऊर्जा उत्पादकों के बीच ओटीसी अनुबंध होते हैं। नामित उपभोक्ताओं में वितरण कंपनियां, ओपन एक्सेस उपभोक्ता (जो सीधे उत्पादक से बिजली खरीदते हैं) और कैप्टिव उपयोगकर्ता (जो अपने इस्तेमाल के लिए बिजली पैदा करते हैं) शामिल हैं। अनुबंध के अनुसार, नामित उपभोक्ता अक्षय ऊर्जा प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए उत्पादक को पारस्परिक रूप से सहमत मूल्य का भुगतान करता है। उत्पादक इन प्रमाणपत्रों को हासिल करने के लिए बिजली एक्सचेंजों या अन्य अधिकृत तरीकों से बिजली बेचता है।
ओटीसी प्लेटफॉर्म का रेगुलेशन: ड्राफ्ट ओटीसी प्लेटफॉर्म के पंजीकरण के लिए न्यूनतम शुद्ध मूल्य को एक करोड़ रुपए से बढ़ाकर 35 करोड़ रुपए कर देता है। पहले से पंजीकृत संस्थाओं को एक वर्ष के भीतर संशोधित न्यूनतम शुद्ध मूल्य शर्त का अनुपालन करना होगा। इसमें ओटीसी प्लेटफॉर्म की पंजीकरण अवधि को 5 वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष करने का भी प्रस्ताव है। ड्राफ्ट सीईआरसी को किसी भी ओटीसी प्लेटफॉर्म का निरीक्षण, पूछताछ या ऑडिट करने की अनुमति देता है।
14 जुलाई 2025 तक टिप्पणियां आमंत्रित हैं।
संचार
Ayush Stephen Toppo (ayush@prsindia.org)
दूरसंचार साइबर सुरक्षा नियमों में ड्राफ्ट संशोधनों पर टिप्पणियां आमंत्रित
दूरसंचार विभाग ने दूरसंचार (दूरसंचार साइबर सुरक्षा) संशोधन नियम 2025 के ड्राफ्ट पर टिप्पणियां आमंत्रित की हैं।[30] यह दूरसंचार (दूरसंचार साइबर सुरक्षा) नियम, 2024 में संशोधन करने का प्रयास करता है।[31] 2024 के नियम दूरसंचार साइबर सुरक्षा का संरक्षण प्रदान करते हैं। ड्राफ्ट संशोधनों की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
साइबर सुरक्षा उद्देश्यों के लिए डेटा कलेक्शन: 2024 के नियमों में प्रावधान है कि केंद्र सरकार या कोई अधिकृत एजेंसी किसी दूरसंचार इकाई से ट्रैफिक डेटा या कोई अन्य निर्दिष्ट डेटा मांग सकती है। सरकार और उसकी एजेंसियां दूरसंचार साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से यह डेटा जमा कर सकती हैं। दूरसंचार इकाई में दूरसंचार नेटवर्क ऑपरेटर और दूरसंचार सेवा प्रदाता शामिल हैं।
ड्राफ्ट नियमों में यह भी कहा गया है कि दूरसंचार पहचानकर्ताओं के उपयोग से संबंधित डेटा ऐसे उद्देश्यों के लिए "दूरसंचार पहचानकर्ता उपयोगकर्ता इकाई" (टीआईयूई) से भी मांगा जा सकता है। ड्राफ्ट नियमों में टीआईयूई को ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है जो अपने ग्राहकों, उपयोगकर्ताओं की पहचान करने या सेवाओं के प्रावधान या वितरण के लिए दूरसंचार पहचानकर्ताओं का उपयोग करता है। टीआईयूई में दूरसंचार नेटवर्क संचालित करने या दूरसंचार सेवाएं प्रदान करने के लिए लाइसेंस या अथॉरिटी रखने वाले व्यक्ति शामिल नहीं होंगे। दूरसंचार पहचानकर्ता उपयोगकर्ताओं, दूरसंचार उपकरणों या नेटवर्क तत्वों को सौंपे गए विशिष्ट पहचानकर्ताओं को संदर्भित करते हैं।
टीआईयूई के अन्य दायित्वों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) डिजिटल माध्यम से आवश्यक डेटा उपलब्ध कराना ताकि उसकी प्रोसेसिंग और स्टोरेज हो सके, और (ii) सरकारी आदेश पर निर्दिष्ट दूरसंचार पहचानकर्ताओं के उपयोग को निलंबित करना।
मोबाइल नंबर सत्यापन प्लेटफॉर्म: ड्राफ्ट संशोधनों के अनुसार केंद्र सरकार को मोबाइल नंबर सत्यापन (एमएनवी) प्लेटफॉर्म स्थापित करना होगा। टीआईयूई अपने ग्राहकों द्वारा निर्दिष्ट मोबाइल नंबरों को सत्यापित करने के लिए प्लेटफॉर्म पर अनुरोध कर सकता है। ऐसा स्वैच्छिक रूप से या केंद्र या राज्य सरकारों के निर्देश पर किया जा सकता है।
छेड़छाड़ किए गए या प्रतिबंधित आईएमईआई नंबरों का डेटाबेस: ड्राफ्ट संशोधन में यह भी कहा गया है कि छेड़छाड़ किए गए या प्रतिबंधित अंतर्राष्ट्रीय मोबाइल उपकरण पहचान (आईएमईआई) नंबरों को ट्रैक करने के लिए एक केंद्रीकृत डेटाबेस होना जाएगा। आईएमईआई नंबर हर मोबाइल डिवाइस को दिया जाने वाला एक यूनीक 15-अंकीय नंबर होता है। आईएमईआई नंबर वाले पुराने दूरसंचार उपकरणों की बिक्री और खरीद में लगे व्यक्तियों को इस डेटाबेस से इसकी पुष्टि करके यह सुनिश्चित करना होगा कि उनसे छेड़छाड़ नहीं की गई है या वे प्रतिबंधित नहीं हैं।
टिप्पणियां 24 जुलाई 2025 तक आमंत्रित हैं।
पर्यावरण
Atri Prasad Rout (atri@prsindia.org)
एग्रोफॉरेस्ट्री के लिए पेड़ों की कटाई को रेगुलेट करने वाले मॉडल नियम जारी
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की कृषि भूमि में पेड़ों की कटाई के लिए मॉडल नियम जारी किए हैं।[32] ये नियम एग्रोफॉरेस्ट्री भूमि के पंजीकरण और पेड़ों की कटाई और परिवहन के प्रबंधन के लिए एक रेगुलेटरी ढांचा प्रदान करते हैं। मॉडल नियमों की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
एग्रोफॉरेस्ट्री में लगी संस्थाओं का पंजीकरण: एग्रोफॉरेस्ट्री में संलग्न किसी भी व्यक्ति या संगठन को राष्ट्रीय इमारती लकड़ी प्रबंधन प्रणाली (एनटीएमएस) पर पंजीकरण कराना होगा। उन्हें भूमि स्वामित्व और कृषि भूमि के स्थान के बारे में जानकारी प्रस्तुत करनी होगी। उन्हें पौधरोपण के बारे में भी विवरण प्रदान करना होगा जैसे: (i) लगाए गए पौधों की प्रजाति-वार संख्या, (ii) रोपण का वर्ष और महीना, (iii) पौधों की औसत ऊंचाई, (iv) ज़मीन से 1.37 मीटर की ऊंचाई पर पेड़ के तने की परिधि, और (v) प्रत्येक पेड़ की जियोटैग की गई तस्वीरें।
राज्य स्तरीय समिति (एसएलसी) की भूमिका: मॉडल नियमों में लकड़ी आधारित उद्योग (स्थापना और रेगुलेशन) दिशानिर्देश, 2016 के तहत बनाई गई एसएलसी को अतिरिक्त जिम्मेदारियां दी गई हैं। यह राज्य सरकार को एग्रोफॉरेस्ट्री को बढ़ावा देने और लकड़ी उत्पादन बढ़ाने के बारे में सलाह देगी। यह आधुनिक नर्सरियों के माध्यम से पौध सामग्री के उत्पादन और लकड़ी और संबंधित उत्पादों की खोज में प्रौद्योगिकी के उपयोग को भी बढ़ावा देगी।
पेड़ों की कटाई की अनुमति: 10 से ज़्यादा पेड़ों वाली ज़मीन के लिए, बागान मालिक को पेड़ों की कटाई के लिए एनटीएमएस पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। एसएलसी द्वारा पैनलबद्ध एक सत्यापन एजेंसी फील्ड विजिट करने के बाद कटाई की अनुमति देगी। 10 से कम पेड़ों वाली ज़मीन के लिए बागान मालिक को एनटीएमएस पोर्टल पर पेड़ों की तस्वीरें अपलोड करनी होंगी और कटाई की तारीख बतानी होगी। उन्हें कटाई के बाद पेड़ों के तने की तस्वीरें भी अपलोड करनी होंगी। लकड़ी के पारगमन के आवेदनों का सत्यापन भी सत्यापन एजेंसी करेगी। प्रभागीय वन अधिकारी सत्यापन एजेंसियों के कामकाज की निगरानी करेंगे और एसएलसी को उन पर तिमाही रिपोर्ट पेश करेंगे।
राष्ट्रीय हरित भारत मिशन में संशोधन अधिसूचित
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने राष्ट्रीय हरित भारत मिशन पर संशोधित मिशन दस्तावेज़ जारी किए हैं। देश के वन और वृक्ष आवरण की सुरक्षा और गुणवत्ता में सुधार के लिए 2011 में इस मिशन की शुरुआत की गई थी।[33], [34] संशोधनों का उद्देश्य मिशन के तहत लक्ष्यों को अंतर्राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन समझौतों के तहत भारत की संशोधित प्रतिबद्धताओं के अनुरूप करना है।
वन क्षेत्र और कार्बन सिंक निर्माण: मिशन की शुरुआत 10 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर वन क्षेत्र की गुणवत्ता बढ़ाने और सुधार के उद्देश्य से की गई थी। इसका उद्देश्य 50 से 60 मिलियन टन की वार्षिक कार्बन सिंक क्षमता बनाना भी था। राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान के तहत भारत की प्रतिबद्धताओं के अनुरूप, संशोधित मिशन अन्य सरकारी कार्यक्रमों के साथ 24 मिलियन हेक्टेयर वन भूमि पर वनरोपण या बहाली का लक्ष्य रखेगा। इसका लक्ष्य 2030 तक 2.5 से 3 बिलियन टन CO2 के बराबर अतिरिक्त कार्बन सिंक बनाना भी होगा।
उप-मिशन: पहले, मिशन में पांच उप-मिशन थे। संशोधित संरचना के तहत, उनके अंतर्गत उद्देश्यों और गतिविधियों को तीन उप-मिशन में सुव्यवस्थित किया गया है। ये निम्नलिखित पर ध्यान केंद्रित करेंगे: (i) वन क्षेत्र की गुणवत्ता बढ़ाना, (ii) वन और वृक्ष क्षेत्र को बढ़ाना, और (iii) वन-निर्भर समुदायों के लिए आय और आजीविका के विकल्प बढ़ाना।
सूक्ष्म इकोसिस्टम पर ध्यान: संशोधित मिशन वनीकरण और बहाली के लिए इकोसिस्टम दृष्टिकोण अपनाएगा, जिसमें भूमि, जल और जीवों पर विचार किया जाएगा। यह सूक्ष्म इकोसिस्टम के माध्यम से परिदृश्य की सबसे छोटी इकाइयों पर ध्यान केंद्रित करेगा और बहाली गतिविधियों को क्षेत्र और साइट-विशिष्ट बनाएगा।
निगरानी और मूल्यांकन: संशोधित संरचना के तहत, मूल्यांकन कई स्तरों पर किया जाएगा। राष्ट्रीय मिशन निदेशालय उपग्रह इमेजरी और भौगोलिक जानकारी का विश्लेषण करेगा। राष्ट्रीय वनरोपण डैशबोर्ड विभिन्न कार्यक्रमों में किए गए वृक्षारोपण और पुनर्जनन गतिविधियों पर डेटा एकत्र करेगा। निगरानी के आगे के स्तरों में निम्नलिखित शामिल होंगे: (i) कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा जमीनी स्तर पर स्व-निगरानी, (ii) ग्राम सभाओं द्वारा सामाजिक ऑडिट, (iii) भारतीय वन सर्वेक्षण द्वारा रिमोट-सेंसिंग आधारित निगरानी, और (iv) तीसरे पक्ष की एजेंसियों द्वारा स्वतंत्र मूल्यांकन।
विदेश मामले
Shrusti Singh (shrusti@prsindia.org)
प्रधानमंत्री द्विपक्षीय वार्ता के लिए क्रोएशिया दौरे पर
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्विपक्षीय वार्ता के लिए क्रोएशिया गए थे।[35] इस अवसर पर जारी संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि कृषि, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा संस्कृति के क्षेत्रों में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। भारत और क्रोएशिया ने बंदरगाहों और शिपिंग क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने तथा भारत-मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईसी) पहल के माध्यम से संपर्क सुधारने पर सहमति व्यक्त की है। पश्चिम एशिया के माध्यम से भारत और यूरोप के बीच बहु-मॉडल संपर्क के लिए 2023 में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान आईएमईसी की घोषणा की गई थी।
[1]Resolution of the Monetary Policy Committee, June 4 to 6, 2025, Monetary Policy Statement 2025-26, Reserve Bank of India, June 6, 2025, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/PressRelease/PDFs/PR4894AE68CD2090049E59CE684ED07792E4E.PDF .
[2]Developments in India’s Balance of Payments during the Fourth Quarter (January-March) of 2024-25, Reserve Bank of India, June 27, 2025, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/PressRelease/PDFs/PR61165BB61630589420E879BEB0112B8C128.PDF .
[3][3] “Population Census-2027 to be conducted in two phases along with enumeration of castes”, Press Information Bureau, Ministry of Home Affairs, June 4, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2133845 .
[4] Census, Census division, Directorate of Census Operations, Maharashtra, Ministry of Home Affairs, https://maharashtra.census.gov.in/censusdivision.html .
[5] Notification No. G.S.R. 364(E), Ministry of Commerce and Industry, June 3, 2025, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2025/263574.pdf ।
[6] The Special Economic Zones Rules, 2006, Amended upto February 2020, https://sezindia.gov.in/sites/default/files/sez_rules_amendments/SEZ%20Rules-EPCES%20Book-rotated_1_11zon%20%283%29.pdf .
[7] Special Economic Zones Act, 2005, amended upto February 2020, https://sezindia.gov.in/sites/default/files/Act%20Book.pdf .
[8] Notification No. S.O. 2450(E), Guidelines for the Scheme to Promote Manufacturing of Electric Passenger Cars in India (SPMEPCI), Gazette of India, Ministry of Heavy Industries, June 2, 2025, https://egazette.gov.in/(S(o3qq4mtpvmd3jn0gifimck2s))/ViewPDF.aspx ।
[9] Notification No. S.O. 1363(E), Scheme to Promote Manufacturing of Electric Passenger Cars in India, Gazette of India, Ministry of Heavy Industries, March 15, 2024, https://heavyindustries.gov.in/sites/default/files/2024-04/gazette_notification_15.03.2024.pdf ।
[10] Review of Priority Sector Lending norms - Small Finance Banks, Reserve Bank of India, June 20, 2025, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/notification/PDFs/61NTFBC6FB2CC7AA4E048E0C7C5A44641939.PDF .
[11] Reserve Bank of India (Priority Sector Lending – Targets and Classification) Directions, 2025, Reserve Bank of India, March 24, 2025, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/notification/PDFs/128MD66C4DDCB167C4DC9A5BD913570CB3D47.PDF ।
[12] Guidelines for ‘on tap’ Licensing of Small Finance Banks in the Private Sector, Reserve Bank of India, December 5, 2019, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/Content/PDFs/SFB05122019_FL3EC4152CCF764BCBA2072CADC84906F7.PDF ।
[13] Reserve Bank of India (Lending Against Gold and Silver Collateral) Directions, 2025, Reserve Bank of India, June 6, 2025, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/notification/PDFs/47NTEBC6E8C94DFB432797365CA984734797.PDF ।
[14] SEBI Board Meeting, Securities and Exchange Board of India, June 18, 2025,https://www.sebi.gov.in/media-and-notifications/press-releases/jun-2025/sebi-board-meeting_94657.html .
[15]Reserve Bank of India (Project Finance) Directions, 2025, June 19, 2025, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/notification/PDFs/NT59345BFF7593E047D587358A7A802B0F4A.PDF .
[16]Notification F. No. 28/15/2024-CMM-Part(1), The Gazette of India, Ministry of Mines, June 24, 2025, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2025/264204.pdf
[17]Asset Monetisation Strategy for Roads Sector, National Highways Authority of India, Ministry of Road Transport and Highways, https://nhai.gov.in/nhai/sites/default/files/mix_file/Asset-Monetization_Strategy_Document.pdf .
[18]“MNRE notifies revised guidelines for Waste-to-Energy Projects to enhance performance monitoring and speedier CFA Disbursal”, Press Information Bureau, Ministry of New and Renewable Energy, June 28, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2140328 ।
[19] Revision in waste-to-energy guidelines dated 02.11.2022, 28.02.2020, 30.07.2018, Ministry of New and Renewable Energy, June 27, 2025, https://cdnbbsr.s3waas.gov.in/s3716e1b8c6cd17b771da77391355749f3/uploads/2025/06/202506271427833060.pdf
[20]Programme on Energy from Urban, Industrial and Agricultural Wastes/Residues, Ministry of New and Renewable Energy, November 2, 2022, https://cdnbbsr.s3waas.gov.in/s3716e1b8c6cd17b771da77391355749f3/uploads/2022/12/2022122763-1.pdf .
[21]“MNRE notifies key revisions in Biomass Programme Guidelines”, Press Information Bureau, Ministry of Commerce and Industry, June 28, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2140327
[22]Revision in guidelines for the biomass programme under the umbrella scheme of national biodiversity programme for duration of FY 2021-22 to 2025-26 (Phase I), Ministry of New and Renewable Energy, June 27, 2025, https://cdnbbsr.s3waas.gov.in/s3716e1b8c6cd17b771da77391355749f3/uploads/2022/12/2022123069.pdf .
[23] Scheme to Support Promotion of Manufacturing of Briquettes & Pellets and Biomass (Non-Bagasse) Based Cogeneration in
Industries in the Country, Ministry of New and Renewable Energy, November 2, 2022, https://cdnbbsr.s3waas.gov.in/s3716e1b8c6cd17b771da77391355749f3/uploads/2025/06/20250627973214006.pdf
[24]Draft Central Electricity Regulatory Commission (Power Market) (First Amendment) Regulations, Ministry of Power, June 11, 2025, https://powermin.gov.in/sites/default/files/webform/notices/Stakeholder_consultaion_for_proposed_in_Rule18.pdf .
[25]Electricity Rules, 2005, Ministry of Power, June 8, 2005, https://cea.nic.in/wp-content/uploads/legal_affairs/2020/09/Electricity-rules-2005.pdf .
[26]Electricity (Amendment) Rules, 2022, Ministry of Power, December 9, 2022, https://powermin.gov.in/sites/default/files/uploads/15_d_Electricity_Amendment_Rules_2022.pdf .
[27]“National Framework for Promoting Energy Storage Systems will encourage an ecosystem for development of Energy Storage, which will ensure affordable and clean electricity for everyone: Union Power and New & Renewable Energy Minister”, Press Information Bureau, Ministry of Power, December 7, 2023, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1983650#:~:text=of%20425.5%20GW.-,भारत का ऊर्जा मिश्रण संक्रमण के दौर से गुजरने वाला है,(रिलीज़ आईडी:%201983650) ।
[28]Draft Central Electricity Regulatory Commission (Power Market) (First Amendment) Regulations, Ministry of Power, June 17, 2025, https://www.cercind.gov.in/2025/draft_reg/DN_PMR_Amendment.pdf .
[29]Central Electricity Regulatory Commission (Power Market) Regulations, 2021, Ministry of Power, February 15, 2021, https://thc.nic.in/Central%20Governmental%20Regulations/Central%20Electricity%20Regulatory%20Commission%20(Power%20Market)%20Regulations,%202021.pdf .
[30]Draft Telecommunication (Telecom Cyber Security) Amendment Rules, June, 24, 2025, https://dot.gov.in/sites/default/files/Gazette%20Notification%20Draft%20Telecom%20Cyber%20Security%20Amendment%20Rules.pdf .
[31]Telecommunication (Telecom Cyber Security) Rules, August 28, 2024, https://dot.gov.in/sites/default/files/Gazette%20Notification%20of%20Telecommunications%20%28Telecom%20Cyber%20Security%29%20Rules%2C%202024.pdf .
[32]Model Rules for Felling of Trees in Agricultural Land, 2025, Ministry of Environment, Forests and Climate Change, June 29, 2025, https://static.pib.gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/2025/jun/doc2025629578501.pdf .
[33]National Mission for Green India, Revised Document, Ministry of Environment and Climate Change, June 2025, https://moef.gov.in/uploads/2017/08/Revised%20Mission%20Document.pdf .
[34]National Mission for Green India, Ministry of Environment, Forests and Climate Change, https://moef.gov.in/uploads/2017/08/GIM_Mission-Document-1.pdf .
[35]India-Croatia Leaders’ Statement, June 18, 2025, Ministry of External Affairs, https://www.mea.gov.in/bilateral-documents.htm?dtl/39698 .
डिस्क्लेमर: प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।